ताजा खबर
26 हजार टन कोयले के साथ 11 घंटे में कोरबा से नागपुर पहुंची
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 17 अगस्त। रेलवे ने कोरबा से नागपुर के बीच कोयले से लदी 3.5 किलोमीटर लंबी ट्रेन चलाई। इसमें 295 बोगियां थीं जिसका वजन 25 हजार 962 टन था।
इस मालगाड़ी को सुपर वासुकी नाम दिया गया और आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर बीते 15 अगस्त को चलाया गया। आम तौर पर एक मालगाड़ी में 90 वैगन होते हैं और इनमें करीब 9000 टन कोयला लोड किया जाता है। कई पावर प्लांट इस समय कोयले की संकट से जूझ रहे हैं। आपात् स्थिति में सुपर वासुकी जैसी ट्रेनों से किसी पावर प्लांट के लिए शीघ्रता से पर्याप्त कोयले की आपूर्ति की जा सकती है।
रेल मंत्री अश्वनी उपाध्याय ने इस ट्रेन का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ओर से बताया गया है कि सुपर वासुकी की क्षमता 5 लोडेड मालगाड़ियों के बराबर थी और इसे खींचने के लिए 6 इंजन लगाए गए थे। इसकी लंबाई 3.5 किलोमीटर थी। पहली बार भारतीय रेल के किसी एक ट्रेन में करीब 26 हजार टन कोयले का परिवहन किया गया। यह इतना कोयला था कि 3000 मेगावाट के एक पॉवर प्लांट के लिए पूरे दिनभर की जरूरत पूरी हो सकती है। कोरबा से 15 अगस्त को यह ट्रेन दोपहर 1.50 बजे रवाना हुई थी जो 11.20 घंटे में 267 किलोमीटर की दूरी तय कर नागपुर पहुंची।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके गुलाम नबी आज़ाद ने अपने फ़ैसले से पार्टी के अंदर हलचल पैदा कर दी है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आज़ाद को जम्मू-कश्मीर में पार्टी के प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया लेकिन चंद घंटों के अंदर ही आज़ाद ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया.
जम्मू और कश्मीर में संगठन में सुधार के तौर पर सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आज़ाद के करीबी माने जाने वाले विकास रसूल वानी को केंद्र शासित प्रदेश की इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया है.
आज़ाद कांग्रेस के 'जी-23' समूह के प्रमुख सदस्यों में से भी एक हैं. ये समूह पार्टी नेतृत्व का आलोचक रहा है और संगठनात्मक बदलावों की मांग करते रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि नियुक्तियों को सार्वजनिक किए जाने के कुछ घंटे बाद आज़ाद ने गांधी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पाँच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान खत्म किए जाने के बाद से ही वहाँ विधानसभा अस्तित्व में नहीं है.
परिसीमन का काम संपन्न हो चुका है. फ़िलहाल सरकार की ओर से विधानसभा चुनाव की तारीख़ को लेकर कुछ स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. (bbc.com)
अपने जहाज़ के श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुँचने के बाद चीन ने कहा है कि इससे किसी देश की सुरक्षा को ख़तरा नहीं होगा. चीन ने कहा है कि किसी तीसरे पक्ष को जहाज़ नहीं रोकना चाहिए.
ये पोत 22 अगस्त तक हंबनटोटा में रहेगा. भारत ने कुछ दिन पहले अपने पड़ोस में पोत की मौजूदगी को लेकर श्रीलंका के सामने चिंता ज़ाहिर की थी.
भारत को आशंका है कि जहाज़ युआन वांग-5 के ज़रिए चीन भारत के परमाणु, मिसाइल से जुड़े अहम प्रतिष्ठानों की जासूसी कर सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने चीन के आधिकारिक मीडिया की रिपोर्ट्स के हवाले से बताया है कि ये पोत सैटेलाइट और बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने जैसी उन्नत तकनीक से लैस है. इसमें दो हज़ार क्रू सदस्य सवार हो सकते हैं.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने भारत की चिंताओं से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि जहाज़ "अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार" शोध के लिए हंबनटोटा पहुँचा है.
उन्होंने कहा, "मैं फिर से इस बात पर ज़ो देना चाहता हूं कि युआन वांग-5 की समुद्री वैज्ञानिक शोध गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय सामान्य प्रक्रिया के अनुरूप हैं."
वेनबिन ने कहा, "ये पोत किसी भी देश की सुरक्षा और उसके आर्थिक हितों को प्रभावित नहीं करता. इसे किसी तीसरे पक्ष की ओर से रोकने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए."
हंबनटोटा पोर्ट को बीजिंग ने वर्ष 2017 में श्रीलंका से कर्ज़ के बदले में 99 साल के पट्टे पर ले लिया था. श्रीलंका का कहना है कि उसने गहन विचार-विमर्श के बाद चीन के पोत को हंबनटोटा आने की मंज़ूरी दी है.
भारत को आशंका है कि चीन इस पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए कर सकता है. 1.5 अरब डॉलर का हम्बनटोटा पोर्ट एशिया और यूरोप के मुख्य शिपिंग रूट के पास है.
चीन यूआन वांग 5 को एक अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और शोध-सर्वेक्षण पोत बताता है, लेकिन इसे दोहरे उपयोग वाला जासूसी जहाज़ भी कहा जाता है. (bbc.com)
जम्मू में एक ही परिवार के छह लोगों के शव संदिग्ध हालत में मिले हैं.
पुलिस के अनुसार मृतकों की पहचान सकीना बेग़म, उनकी दो बेटियाँ नसीमा अख़्तर और रूबीना बानो, बेटा ज़फ़र सलीम और दो अन्य रिश्तेदार नूर उल हबीब और सज्जाद अहमद के तौर पर हुई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सभी शव सिद्धरा इलाक़े से बरामद किए गए और अब उन्हें गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, दो शव एक घर में मिले जबकि बाक़ी चार परिवार के दूसरे घर में मिले हैं.
पुलिस की टीम ने मौक़े पर पहुँच कर जाँच शुरू कर दी है. (bbc.com)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया है कि यूक्रेन पर हमले के बाद लगे प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रूस से तेल ख़रीदना क्यों जारी रखा है.
थाइलैंड में भारतीय समुदाय से बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत में लोगों की आमदनी इतनी नहीं कि वे ऊँचे दामों में पेट्रोल-डीज़ल ख़रीद पाएँ. ऐसे में ये उनका नैतिक दायित्व है कि वे अपने लोगों को सबसे अच्छा सौदा दिलवाएँ.
जयशंकर ने इस दौरान कहा, "तेल और गैस की क़ीमतें बेतहाशा बढ़ गई हैं और अब बहुत से पुराने सप्लायर तेल को दूसरे रास्तों से यूरोप भेज रहे हैं. यूरोप अब रूस की बजाय मध्य पूर्व के देशों और उन अन्य स्रोतों से अधिक आयात कर रहा है, जो भारत को आपूर्ति कर सकते हैं."
विदेश मंत्री ने कहा, "ये ऐसी स्थिति है, जहाँ हर देश स्वाभाविक तौर पर अपने नागरिकों के लिए अच्छा से अच्छा सौदा करने और तेल-गैस के बढ़े दामों का असर कम करने की कोशिश करेगा. हम भी ठीक ऐसा ही कर रहे हैं. हालाँकि भारत ये छिपकर नहीं बल्कि ईमानदारी के साथ कर रहा है."
एस जयशंकर ने ये भी कहा, "मेरे देश में प्रति व्यक्ति आमदनी दो हज़ार डॉलर है. ये लोग गैस-तेल के ऊँचे दाम नहीं दे सकते. ये मेरी प्रतिबद्धता और नैतिक दायित्व है कि मैं उन्हें अच्छी डील दिलवाऊँ."
उन्होंने कहा कि अमेरिका सहित अन्य देश भारत की स्थिति से अच्छे से वाकिफ़ है और वे इसे स्वीकार करके आगे बढ़ेंगे . (bbc.com)
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषियों की रिहाई का बचाव किया है. स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर गुजरात सरकार के इस फ़ैसले की कई विपक्षी पार्टियाँ आलोचना कर रही हैं.
कांग्रेस ने भी इस पर पीएम नरेंद्र मोदी को घेरा है, तो एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस फ़ैसले की आलोचना की है.
विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने बयान जारी करके ओवैसी के बयान की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि वे मुस्लिम समाज को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.
वीडियो संदेश में सुरेंद्र जैन ने कहा- स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर देश की अधिकांश सरकारों ने अपने कई क़ैदियों को उनकी सज़ा में छूट दी है. गुजरात सरकार ने कुछ क़ैदियों को छूट दी. लेकिन ओवैसी जैसे नेताओं ने इस अवसर का भी दुरुपयोग करके मुस्लिम समाज को भड़काने का अक्षम्य अपराध किया है. वो भूल जाते हैं कि गुजरात सरकार ने ये निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही लिया है.
उन्होंने कहा कि क्या देश भर में जो क़ैदी छोड़े गए, उनमें मुसलमान शामिल नहीं हैं? क्या गुजरात के छोड़े गए इन क़ैदियों का अपराध यही है कि वे गुजराती हिंदू हैं?
ओवैसी पर निशाना साधते हुए सुरेंद्र जैन ने कहा- ओवैसी जैसे कट्टरपंथी नेता कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ते मुस्लिम समाज को भड़काने का. इन जैसे भड़काऊ नेताओं के कारण ही तिरंगा यात्रा जैसे महान आयोजनों पर हमले हो रहे हैं. तिरंगे के बीच में चाँद तारा लगाने का अक्षम्य अपराध भी इन्हीं लोगों के द्वारा किया जा रहा है. इन्हीं के कारण से सर तन से जुदा का गैंग आज तेज़ी से सक्रिय हो गया है.
वीएचपी के संयुक्त महामंत्री ने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे भारत के विकास के मार्ग को अवरुद्ध न करें.
2002 के गुजरात दंगों के दौरान एक भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था. इस दौरान पाँच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया.
उनकी तीन साल की बेटी सालेहा की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई. उस वक़्त बिलकिस क़रीब 20 साल की थीं. इस दंगे में बिलकिस बानो की माँ, छोटी बहन और अन्य रिश्तेदारों समेत 14 लोग मारे गए थे.
एक दिन पहले ही असदुद्दीन ओवैसी ने बिलकिस बानो के मामले में कहा था धर्म को लेकर बीजेपी इतनी पक्षपाती है कि रेप और नफ़रती हिंसा के लिए भी माफ़ी मिल जाती है.
ओवैसी ने अपने ट्वीट में लिखा था- आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का ये बीजेपी का तरीक़ा है. जो लोग जघन्य अपराध के दोषी हैं, उन्हें रिहा कर दिया गया है. एक धर्म के लिए बीजेपी इतनी पक्षपाती है कि बलात्कार और हेट क्राइम भी माफ़ कर दिए जाते हैं. क्या बीजेपी-शिंदे की महाराष्ट्र सरकार भी रुबीना मेमन की रिहाई के लिए समिति बनाएगी?
कांग्रेस ने भी मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बिलकिस बानो गैंगपेर के दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी सवाल खड़े किए थे. (bbc.com)
-माजिद जहांगीर
12 अगस्त की रात - बिहार के रहने वाले मोहम्मद आशिक़ और मोहम्मद अंज़र उस घटनास्थल की तरफ़ घबराते हुए आ रहे थे, जहां 19 साल के उन्हीं की तरह कश्मीर में मज़दूरी करने वाले मोहम्मद अमरेज़ की संदिग्ध चरमपंथियों ने घुप्प अंधेरे में गोली मार कर हत्या कर दी थी.
मोहम्मद आशिक़ और मोहम्मद अंज़र चुपचाप घटनास्थल पर पहुंचे, दोनों लंबी दूरी तय करके आए थे. हालाँकि, मोहम्मद अमरेज़ न उनके रिश्तेदार थे और न ही जानने वाले. हां, इतना ज़रूर था कि वो उनके अपने शहर और अपने ही राज्य के थे.
मोहम्मद अंज़र का कहना था "जब बीते हफ़्ते पुलवामा में बिहार के एक मज़दूर को मारा गया, तो हमारे साथियों ने कहा था कि कुछ दिन और रुक कर देखेंगे कि क्या होता है. हम उनसे सहमत हो गए थे. अब फिर वही कुछ हुआ है. एक और मारा गया है. जब इस तरह की घटनाएं हों, डर तो लगेगा ही. जब से हम आए हैं, यहां सिर्फ़ मारधाड़ ही देख रहे हैं. जब इंसान की जान की कोई क़ीमत नहीं रहेगी यहां पर, तो हम यहां रह कर क्या करेंगे? कश्मीर हमने देखा और घूमा भी और कमाया भी. अब कश्मीर में क्यों रहेंगे?"
हालाँकि, आम कश्मीरों से अंज़र को कोई शिकायत नहीं है. वो कहते हैं कि कश्मीर के लोग काफ़ी मिलनसार हैं और दिल के बड़े भी.
बीते एक साल से कश्मीर में मज़दूरी कर रहे अंज़र कहते हैं "हम तो मज़दूर लोग हैं, जहां काम मिलता है वहां चले जाते हैं. कश्मीर जैसी परदेस जगह भी तो हम इसलिए आते हैं कि कुछ कमाई करें. हमारे साथियों ने हमसे कहा था कि कश्मीर में पहाड़ हैं और खूबसूरत जगह है.लेकिन यहां तो सिर्फ़ खून ख़राबा होता है."
बीते शुक्रवार को बांदीपोरा के सदनार गाँव में आधी रात को बिहार के रहने वाले मोहम्मद अमरोज़ की अपने कमरे के बाहर गोली मार कर हत्या की गई. अमरोज़ को गोलियां उस समय मारी गईं, जब वो बाथरूम से बाहर आ रहे था.
सदनार गाँव श्रीनगर से क़रीब 35 किलोमीटर दूर है.
अमरोज़ अपने दो भाइयों के साथ इस गाँव में किराए के एक कमरे में रहते थे. उनके दोनों भाई अब उनका शव लेकर गाँव चले गए हैं. तीनों ही भाई सदनार गाँव में बिस्तर बनाने का काम करते थे.
अमरोज़ के भाई मोहम्मद समर ने घटना के बाद मीडिया से बातचीत में बताया है , "रात के बारह बजे के बाद हम सोए थे और इस बीच एक और भाई ने मुझे बताया कि फ़ायरिंग की आवाज़ आ रही है. मैंने अपने भाई से कहा कि सो जाओ ,ये सब कुछ होता रहता है. उसने पूछा कि भाई(अमरोज़ ) तो यहां नहीं है. उसके बाद मैंने भाई से कहा कि तुम देख आओ, वह बाथरूम गया होगा. जब वो बाहर गया तो भाई को खून में लथपथ पाया. फिर हमने सेना को बुलाया और बाहर आ गए और भाई को उठाया. उसके बाद हम इसको एक नज़दीकी गाँव के अस्पताल में लेकर गए, जहां हमें श्रीनगर ले जाने के लिए कहा गया. श्रीनगर आते-आते उसने दम तोड़ दिया."
पुलिस ने इस घटना को लेकर एक ट्वीट जारी कर बताया " शुक्रवार की दरम्यानी रात को आतंकवादियों ने एक बिहार के एक मज़दूर को गोली मारकर उसे घायल कर दिया है.उन्हें अस्पताल इलाज के लिए ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई."
अमरोज़ के मकान मालिक बिलाल अहमद ने बताया "करीब रात के एक बजने वाले थे जब मेरे फ़ोन की घंटी बजी. मेरे पास वाले मकान में रहने वाले बिहार के मज़दूरों का फ़ोन था. उन्होंने कहा कि आप जल्दी से आइए. घटनास्थल पर पहुंचने के बाद अमरोज़ खून में लथपथ था और उनके भाई रो रहे थे. मैंने पुलिस को फ़ोन किया लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया, जिसके बाद मैंने सेना के मेजर को फ़ोन किया और उन्होंने पूछा कि क्या बात है. मैंने उनसे कहा कि बिहार के एक मज़दूर को गोली लगी है जिसके बाद वो दो मिनट में यहां पहुंच गए."
बिलाल का कहना था उनके मकान में मज़दूरों के रहने की वजह से उनके बच्चों की पढ़ाई का ख़र्चा चलता था. उनका ये भी कहना था कि अब जब किराएदार ही मारा गया तो पैसा कहां से आएगा.
कश्मीर में हज़ारों प्रवासी मज़दूर काम करते हैं जो भारत के कई राज्यों से आते हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मज़दूरों की संख्या ज़्यादा है.
2 जून 2022 को, जिला बडगाम के मगरेपोरा में ईंट बनाने के कारखाने में काम करने वाले बिहार के एक मज़दूर 17 वर्षीय दिलकुश कुमार की गोली मार कर हत्या की गई थी और उनके दो साथियों को ज़ख़्मी किया गया था.
हत्या की घटना के बाद दिलकुश के दूसरे साथी अपने घर वापस चले गए हैं. ईंट के उस कारखाने पर अब पंजाब और उत्तर प्रदेश के मज़दूरों से हमारी मुलाक़ात हुई,जो अब ईंट के इस कारखाने में काम करते हैं और वे बिना किसी डर के काम कर रहे हैं. एक मज़दूर ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि किस को कब मारा गया. लेकिन कुछ मज़दूर चिंतित भी नज़र आए.
दिलकुश की हत्या के बाद ईंट कारखाने के मालिक मोहम्मद यूसुफ़ मीर को पुलिस ने कथित लापरवाही के इलज़ाम में हिरासत में भी लिया था.
बीबीसी को फ़ोन पर उन्होंने बताया कि प्रशासन ने हमें सीसीटीवी और लगाने के लिए कहा है. उनका कहना था कि पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसीज कभी -कभी कारखानों का चक्कर लगाती हैं और हालात का जायज़ा लेती हैं.
मीर के मुताबिक़, उनके कारखाने में दो सौ से अधिक मज़दूर काम करते हैं. उनक कहना था कि दिलकुश की हत्या के बाद उन्हें दूसरे मज़दूरों को लाना पड़ा है.
पसीने भरे जिस्म और माथे की सिलवटों में छुपी थकान के निशान लिए उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले रामनाथ बताते हैं, "पूरा दिन हम मज़दूरी करके टूट जाते हैं और शाम के समय में एक तरफ़ खाना बनाना पड़ता है तो दूसरी ओर ये भी देखना पड़ता है कि कोई आ न जाए और हमें मार डाले."
रामनाथ से जब हमने पूछा कि क्या आप के दिमाग़ में ये सवाल आता है कि मज़दूरों को क्यों मारा जाता है, तो उनका जवाब था, "हमें क्यों मारा जाता है, इस सवाल को तो कश्मीर के लोगों को जानना चाहिए. हम लोग तो कश्मीर को बनाने आते हैं. किसी की इमारत बना रहे हैं, तो किसी के ईंट के कारखाने में कोयले जला रहे हैं या कोई मज़दूर सेब तोड़ने का काम रहा है."
मगरेपोरा से क़रीब दस किलोमीटर दूर जिला पुलवामा के गडोरा में बीते हफ्ते बिहार के एक मज़दूर मुमताज़ अहमद की ग्रेनेड हमले में मौत हो गई जबकि उनके दो साथी घायल हो गए थे.
मुमताज़ अहमद सड़क किनारे टेंट लगाकर बिस्तर बनाने का काम करते थे. उनके टेंट के अंदर हैंड ग्रेनेड फेंका गया था.
गडोरा इलाके में आज भी दर्जनों प्रवासी मज़दूर रहते हैं. ये शाम के साढ़े छह बजे का समय था, जब हम गडोरा गाँव के काफ़ी अंदर गए और उस इमारत में दाख़िल हो गए जहां दर्जनों प्रवासी मज़दूर रहते हैं.
तीन मज़दूर गपशप लगा रहे थे. ज़्यादातर मज़दूर काम से वापस लौटे थे. यहां कई मज़दूरों से हमने बात की और जिनके विचार अलग-अलग थे.
सब अपने अपने कमरों में अपनी थकान को दूर करने और रात का खाना बनाने की तैयारी में लगे थे. कोई लेटा था , कोई पानी भर के ला रहा था तो कोई सब्ज़ी काट रहा था.
बिहार के रहने वाले मोहम्मद साकिब के अंदर डर नाम की कोई चीज़ नहीं दिखी. वो बीते 13 वर्षों से कश्मीर आ रहे हैं.
मोहम्मद साकिब का कहना था, "मेरे साथ अभी तक कुछ हुआ नहीं, इसलिए मुझे डर भी नहीं है. जो डर रहे हैं, उसकी वजह तो वही लोग जानते हैं कि उनको डर क्यों है ? मेरे पास कोई अजनबी भी आ जाए तो मुझे अछा लगता है. मैं उसकी मेहमाननवाज़ी करता हूँ. परिवार वाले तो चिंतित रहते हैं. वो ये सोचते हैं कि हमारे साथ भी इस तरह की घटना घट सकती है."
साकिब कहते हैं कि एक दिन में छह सौ रूपये कमाते हैं और महीने भर क़रीब 15 हज़ार की रक़म बनती है. उनका ये भी कहना था कि हर महीने वो अपने परिवार को 12 हज़ार भेज पाते हैं.
मोहम्मद साकिब अपने साथियों के साथ एक कमरे में रहते हैं. हर एक को महीने में 600 रुपया किराया देना पड़ता है.
पश्चिम बंगाल के एक दूसरे मज़दूर ने बताया कि उन्हें कश्मीर दूसरा घर लगता है. बातचीत में उन्होंने बताया कि वह साल का ज़्यादा समय कश्मीर में गुज़ारते हैं.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बीबीसी को बताया कि कश्मीर में चरमपंथियों के हाथों प्रवासी मज़दूरों को मारने की घटनाओं का मक़सद ये है कि देश और दुनिया को बताया जा सके कि कश्मीर में हालात ठीक नहीं हैं और इस तरह की घटनाओं से वे सरकार को बैकफुट पर लाना चाहते हैं.
उनका ये भी कहना था कि जब बाहर के किसी को मारा जाता है तो वो एक बड़ी ख़बर बन जाती है और बाहर ग़लत संदेश जाता है. साथ ही उनका ये भी कहना था कि इस तरह की घटनाओं से ज़्यादा फ़र्क़ पड़ने वाला नहीं है.
पुलिस ने आधिकारिक रूप से प्रवासी मज़दूरों या फिर आम नागरिकों की हत्याओं पर बार-बार दोहराया है कि घटना अंजाम देने वाले चरमपंथियों की पहचान की गई है और उनको बहुत जल्द मारा जाएगा. कई सारी घटनाओं पर पुलिस ने दावा भी किया कि उन चरमपंथियों को मारा गया है, जिनका आम नागरिकों या प्रवासी मज़दूरों को मरने में हाथ था.
हाल के वर्षों में प्रवासी मज़दूरों पर हमले
अक्टूबर 2019 से लेकर अब तक कश्मीर में 20 से अधिक प्रवासी मज़दूर टार्गेटेड किलिंग्स में मारे जा चुके हैं, जिनमें कुछ ट्रक चालक मज़दूर भी शामिल हैं.
जम्मू -कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेदा 370 के हटाए जाने के बाद अक्टूबर 2019 को कुलगाम में पश्चिम बंगाल के पांच मज़दूरों की एक साथ गोली मार कर हत्या की गई थी.
26 जुलाई 2022 को संसद में प्रवासी मज़दूरों की जम्मू कश्मीर में हत्याओं के आंकड़े पेश करते हुए केंद्र सरकार ने बताया कि वर्ष 2017 से अब तक (26 जुलाई 2022 तक ) 28 प्रवासी मज़दूर जम्मू -कश्मीर में मारे गए हैं जिन में सात मज़दूर बिहार के रहने वाले थे.
चरमपंथियों के इन हमलों में कम-से-कम आठ प्रवासी मज़दूर घायल भी हुए हैं. वर्ष 2021 में भी जब प्रवासी मज़दूरों की हत्याएं हुई थी तो कई प्रवासी मज़दूर कश्मीर छोड़ चले गए थे.
कश्मीर में प्रवासी मज़दूरों की हत्याएं पहले भी होती रही हैं. विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म होने से हटने के बाद इन घटनाओं में तेज़ी देखने को मिली है. (bbc.com)
-प्रभाकर मणि तिवारी
तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के समय से ही ये दोनों नेता पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफ़ी करीबी रहे हैं.
लेकिन मंत्रिमंडल में नंबर दो और पार्टी में तीसरे स्थान पर रहे पार्थ चटर्जी जब अपनी महिला मित्र के साथ गिरफ्तार हुए तो ममता ने कई दिनों तक चुप्पी साध रखी थी.
उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी भी तो यह एलान करने के लिए कि पार्थ को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया है.
उसी दिन शाम को सांसद अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में हुई पार्टी की अनुशासन समिति की बैठक में पार्थ को तमाम पदों से हटाते हुए जाँच पूरी नहीं होने तक निलंबित करने का भी फ़ैसला किया गया.
उसी समय राजनीतिक हलकों में इसे पार्थ के राजनीतिक करियर के अंत की शुरुआत के तौर पर देखा गया था.
लेकिन दूसरी ओर, सीबीआई ने जब पशु तस्करी मामले में बीरभूम के तृणमूल कांग्रेस प्रमुख अनुब्रत मंडल को उनके घर से गिरफ्तार किया तो ममता अपनी पूरी ताक़त के साथ उनके समर्थन में खड़ी नज़र आ रही हैं.
ये तब है जबकि वे महज़ एक ज़िला अध्यक्ष थे. ममता ने उनकी गिरफ्तारी के बाद केंद्र, बीजेपी, सीबीआई और ईडी के ख़िलाफ़ तो आक्रामक रवैया अपना ही रखा है, इसके ख़िलाफ़ जेल भरो आंदोलन का भी एलान किया है.
दोनों नेताओं के मामले में ममता के अलग-अलग रवैए से राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि आख़िर इसकी वजह क्या है?
बंगाल की राजनीति
पार्थ शुरू से ही मंत्रिमंडल में ममता के बेहद करीबी रहे थे. उनकी अहमियत का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि तृणमूल कांग्रेस में महासचिव का पद ख़ास तौर पर उनके लिए ही बनाया गया था. जबकि अनुब्रत मंडल कभी किसी सरकारी पद पर नहीं रहे.
तृणमूल कांग्रेस के एक नेता बताते हैं, "पार्थ चटर्जी के महिला मित्रों के खुलासे और अर्पिता मुखर्जी के घर से करोड़ों की नक़दी और दूसरे सामान मिलने के बाद ममता समझ गईं कि इस मामले में पार्थ का बचना मुश्किल है. इसलिए क़रीब पाँच दिनों की चुप्पी के बाद उन्होंने पार्थ को मंत्रिमंडल और पार्टी से हटाने का फ़ैसला किया."
उसके पहले तक तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष लगातार कहते रहे थे कि अदालत में दोषी साबित होने के बाद ही पार्थ के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
दोनों नेताओं के मामले में ममता का रवैया आख़िर अलग-अलग क्यों रहा? इस सवाल का जवाब जानने और समझने के लिए पहले अनुब्रत के राजनीतिक करियर पर एक निगाह डालना ज़रूरी है.
बंगाल की राजनीति पर निगाह रखने वालों के लिए अनुब्रत का नाम कोई अनजाना नहीं है.
अनुब्रत मंडल का सिक्का
क़रीब तीन दशकों से राजनीति में सक्रिय अनुब्रत का सिक्का सिर्फ़ बीरभूम ही नहीं बल्कि उससे सटे बर्दवान ज़िले में भी चलता था. यह कहना ज़्यादा सही होगा कि उनकी मर्ज़ी के बिना इन दोनों ज़िलों में एक पत्ता तक नहीं खड़कता था.
लंबे राजनीतिक करियर के दौरान कई बार उनके ख़िलाफ़ चुनावी धांधली, पशु तस्करी, कोयले और बालू-पत्थर की अवैध खनन जैसे कई आरोप लगे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व का वरदहस्त होने की वजह से अब तक उन पर कोई हाथ नहीं डाल सका था.
यह बात भी शायद कम लोग ही जानते हैं कि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने 'खेला होबे' का जो मशहूर नारा दिया था वह भी अनुब्रत के दिमाग़ की ही उपज थी.
यही वजह है कि एक पत्रकार चंद्रनाथ बनर्जी ने अनुब्रत की जो जीवनी लिखी है उसका नाम भी 'खेला होबे' ही है. उस पुस्तक के लोकार्पण समारोह में शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु समेत तमाम नेता मौजूद थे. यह भी दिलचस्प है कि तृणमूल कांग्रेस में ममता के बाद अणुब्रत अकेले ऐसे नेता हैं जिनकी जीवनी लिखी गई है.
सीबीआई का दावा
अनुब्रत अपनी टिप्पणियों और बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहे हैं. अनुब्रत के बयानों पर कई बार विवाद भी हुआ.
लेकिन ममता का वरदहस्त होने की वजह से उनका कुछ नहीं बिगड़ा.
ख़ुद तृणमूल में अनुब्रत को नापसंद करने वाले नेताओं की कमी नहीं है. लेकिन ममता की वजह से तमाम लोग चुप्पी साधे रहते हैं.
सीबीआई के हाथों गिरफ़्तारी के बाद चुप्पी साधे रहने वाले अनुब्रत ने ममता का समर्थन पाते ही हिरासत में अपने सुर बदल लिए हैं.
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि अब वे जाँच में असहयोग कर रहे हैं और किसी भी मामले में अपनी किसी भूमिका से साफ़ इनकार कर रहे हैं.
लेकिन सीबीआई का दावा है कि बीरभूम और मुर्शिदाबाद के अलावा कोलकाता में भी अणुब्रत की करोड़ों की नामी-बेनामी संपत्ति है.
दरअसल, पशु तस्करी मामले की जाँच कर रही सीबीआई ने पहले मंडल के बॉडीगार्ड एस हुसैन को गिरफ्तार किया था.
उनसे पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधान पर ही अनुब्रत को कम से कम दस बार समन भेजा गया था. लेकिन वे महज़ एक बार ही जाँच एजेंसी के समक्ष पेश हुए थे.
उसके बाद हर बार स्वास्थ्य का हवाला देकर वे बचते रहे थे. इसलिए सीबीआई की टीम ने उनको उनके घर से ही गिरफ्तार किया.
अनुब्रत की गिरफ्तारी के बाद ममता ने पहली बार एक जनसभा में इस मुद्दे पर उनके साथ खड़े रहने का भरोसा देते हुए सवाल किया कि आख़िर अनुब्रत को क्यों गिरफ्तार किया गया? उन्होंने क्या किया था?
यही नहीं, गिरफ़्तारी के बाद पार्टी ने अनुब्रत के ख़िलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
तृणमूल कांग्रेस
बीरभूम जिला तृणमूल कांग्रेस की बैठक में भी अनुब्रत की कुर्सी ख़ाली ही नज़र आई थी. इससे साफ़ है कि इस मामले में पार्टी पूरी तरह अनुब्रत के साथ है. यह पार्थ के मामले में हुई कार्रवाइयों से अलग है.
अनुब्रत जो पार्टी और इलाके में केष्टो के नाम से मशहूर हैं, के मुद्दे पर ममता ने मोदी सरकार को भी आड़े हाथों लिया है.
उनका कहना था, "साल 2024 में मोदी सरकार सत्ता में नहीं रहेगी. केंद्र ने महाराष्ट्र में सरकार गिराई और अब बंगाल में भी यही प्रयास कर रही है. लेकिन बंगाल रॉयल बंगाल टाइगर है. यहाँ उसकी कोशिशें नाकाम ही रहेंगी. ममता ने चुनौती देते हुए कहा कि आख़िर वह लोग कितने नेताओं को गिरफ्तार करेंगे. मैं जेल भरो आंदोलन शुरू करूँगी."
ममता ने जिस दिन अनुब्रत के साथ खड़े रहने का भरोसा दिया था उसी दिन बीरभूम जिला तृणमूल कांग्रेस की बैठक में आम राय से फ़ैसला किया गया कि केष्टो के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी.
बदले हुए रवैये की वजह
बीरभूम जिला तृणमूल कांग्रेस उपाध्यक्ष और ज़िले में पार्टी के प्रवक्ता मलय मुखर्जी कहते हैं, "हमने फ़ैसला किया है कि अनुब्रत के रहते जो फ़ैसले किए गए थे उन पर अमल किया जाएगा. इस दौरान कोई नया फ़ैसला नहीं किया जाएगा."
"इसी के तहत 15 अगस्त को हमने स्वाधीनता दिवस का पालन किया और 16 को 'खेला होबे दिवस' मनाया. अब पाँच सितंबर को शिक्षक दिवस भी मनाया जाएगा. ज़िले में फ़िलहाल एक समिति का गठन किया गया है जो अनुब्रत की ग़ैर-मौजूदगी में पार्टी से संबंधित तमाम फैसले लेगी."
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अनुब्रत के मामले में ममता के बदले हुए रवैये की वजह आगामी लोकसभा चुनाव और इलाक़े में अनुब्रत की मज़बूत पकड़ है. अनुब्रत के रहते ममता को कम से कम दो ज़िलों के बारे में ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी.
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफ़ेसर समीरन पाल कहते हैं, "ममता और तृणमूल के लिए अनुब्रत की बेहद अहमियत है. अनुब्रत ने अकेले अपने बूते न सिर्फ़ बीरभूम में तृणमूल कांग्रेस को अजेय बनाया बल्कि सीपीएम के गढ़ रहे बर्दवान ज़िले में भी लाल क़िले को ढहाने में अहम भूमिका निभाई थी."
"यही वजह थी कि ममता बड़ी से बड़ी गलती के बावजूद उनको हल्की झिड़की देकर माफ़ कर देती थीं. अब लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी के इस मज़बूत स्तंभ के सीबीआई की गिरफ्तार में आने की वजह से पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर प्रभाव पड़ने का अंदेशा है."
वह कहते हैं कि पार्थ पहले सरकार में और पार्टी में बड़े पदों पर रहे हों, ज़मीनी स्तर पर उनकी ख़ास पकड़ नहीं थी. वे ख़ुद ममता के बूते जीतते रहे थे. अपने बूते एक भी सीट जिताने की क्षमता उनके पास नहीं थी. दोनों नेताओं में यह अंतर ही उनके मामलों में ममता के भिन्न रवैए की सबसे बड़ी वजह है. (bbc.com)
स्वागत के लिए पहुंचे नारायण चंदेल
छत्तीसगढ़ संवाददाता
रायपुर, 17 अगस्त। नेता प्रतिपक्ष बदलने की चर्चाओं के बीच प्रदेश भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी बुधवार को यहां पहुंचीं। उनके स्वागत के लिए पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष नारायण चंदेल भी एयरपोर्ट पहुंचे थे । खास बात यह है कि चंदेल का नाम नए नेता प्रतिपक्ष के रूप में लिया जा रहा है।
एयरपोर्ट पर मीडिया से चर्चा में पुरंदेश्वरी ने साफ तौर पर कह दिया कि नेता प्रतिपक्ष बदला जाएगा। धरमलाल कौशिक की जगह कौन नेता प्रतिपक्ष होगा, यह विधायक दल की बैठक में तय होगा ।
विधायक दल की बैठक थोड़ी देर बाद शुरू होगी। चर्चा के दौरान चंदेल, और शहर जिला अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी, ललित जैसिंघ भी थे ।
रायपुर, 17 अगस्त। राजधानी में चोरियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। मशहर के हर थाना इलाके में रोजाना बैखोफ बड़ी चोरियों की वारदातों को आसानी से अंजाम दे रहे है। बीती रात सड्ढू के सेक्टर 8 निवासी फिजियोथेरिपिस्ट डॉक्टर के सूने मकान पर धावा बोलकर घर से एलसीडी,जेवर,बर्तन समेत पूरे घर का सामान लेकर फरार हो गए। विसभा पुलिस मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
रायपुर, 17 अगस्त। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुसार प्रति वर्ष 5 सितम्बर को विकासखण्ड स्तर, जिला स्तर और संभाग स्तर पर ‘मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण’ योजना के अंतर्गत शिक्षकों को पुरस्कृत किया जा रहा है। शिक्षक दिवस 5 सितम्बर को विकासखण्ड स्तर पर ‘शिक्षा दूत’ पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए प्राथमिक शाला के कक्षा पहली से पांचवीं तक में अध्यापन कराने वाले शिक्षक ही पात्र होंगे, चाहें वे किसी भी पद नाम से जाने जाते हों। जिला स्तर पर ‘ज्ञान दीप’ पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए पूर्व माध्यमिक शाला अर्थात् कक्षा 6वीं से 8वीं तक अध्यापन करने वाले शिक्षक ही पात्र होंगे चाहे वे किसी भी नाम से जाने जाते हों। इसी प्रकार संभाग स्तर पर ‘शिक्षा श्री’ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। इसके लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक में अध्यापन करने वाले शिक्षक ही पात्र होंगे, चाहे वे किसी भी पद नाम से जाने जाते हों।
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा इन तीनों पुरस्कार प्रदान करने के संबंध में सभी संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण और जिला शिक्षा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन तीनों पुरस्कारों के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार शिक्षक, राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों का चयन नहीं किया जाएगा। पुरस्कार के लिए यह नियम शासकीय प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल से उन शिक्षकों पर लागू होगा, जो स्कूल में छात्र-छात्राओं को अध्यापन कराते हैं। उत्कृष्ट शिक्षक चयन हेतु संकुल, विकासखण्ड, जिला स्तर, संभाग स्तर पर दिए जाने वाले पुरस्कार के लिए चयन समिति का गठन किया गया है। इन सभी समितियों का कार्यकाल तीन वर्ष का रहेगा, किसी कारण से समिति का पद रिक्त होने पर शेष अवधि के लिए समिति गठन हेतु सक्षम अधिकारी पद की पूर्ति कर सकेगा।
आज आनलाइन फार्म लांच होगा
रायपुर, 17 अगस्त। भाजयुमो 24 अगस्त को रायपुर में बड़ा विरोध प्रदर्शन करने जा रहा है। कार्यक्रम की रूप रेखा तय करने मंगलवार शाम पदाधिकारियों, जिला प्रभारियों और जिला अध्यक्षों की बैठक हुई। बैठक में तय किया गया कि भाजयुमो द्वारा बेरोजगारी विषय पर विगत एक महीने से चल रहे आंदोलन को बड़ा रूप दिया जाएगा। इस आंदोलन में प्रदेश भर से हजारों युवाओं के जुटने के आसार हैं। इसके लिए भाजयुमो आज आनलाइन फार्म लांच कर रहा है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि भाजयुमो प्रदेश के युवा की ताकत है। हम छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता श्रद्धेय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि मना रहे हैं। यह दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है, कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को लगातार छला गया, ठगा गया। नशे का काला कारोबार फल फूल रहा हैं। अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ को अपराध का गढ़ बना दिया गया है। माफिया राज चल रहा हैं।
क्षेत्रीय सह संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने भाजयुमो के कार्यों की समीक्षा की और आगामी आंदोलन को लेकर आवश्यक रणनीतिक दिशा निर्देश दिये। बैठक में प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन ने कहा कि हम ना सोएंगे, ना सोने देंगे। युवाओं को छलने और ठगने वाली छत्तीसगढ़ की कांग्रेस की नींद उड़ा देंगे।
मीडिया कोऑर्डिनेट उमेश घोरमोड़े ने बताया कि बैठक में संगठन महामंत्री पवन साय ने रायपुर चलने का आह्वान रायपुर चलो का नारा बुलंद करते हुए एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करने के निर्देश दिए हैं। भाजयुमो अध्यक्ष अमित साहू ने अब तक किए गए आंदोलन और आगामी कार्ययोजना की जानकारी दी। इस बैठक में भाजपा प्रदेश महामंत्री नारायण चंदेल, भूपेंद्र सवन्नी, किरण देव, शिवरतन शर्मा, अनुराग सिंहदेव, ओपी चौधरी शाामिल हुए।
गोंदिया के पास देर रात हुआ हादसा
बिलासपुर, 17 अगस्त। बिलासपुर से जोधपुर के लिए निकली भगत की कोठी एक्सप्रेस गोंदिया के पास स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गए। मालगाड़ी के तीन डिब्बों के पटरी से उतरने और करीब एक दर्जन यात्रियों के घायल होने की खबर है।
जानकारी के अनुसार घटना रात करीब 2.30 बजे की है। गोंदिया जंक्शन में जिस ट्रैक पर एक मालगाड़ी खड़ी थी, उसी पर भगत की कोठी एक्सप्रेस को सिग्नल दे दी गई, जिससे जाकर वह मालगाड़ी से टकरा गई। मालगाड़ी भी नागपुर की ओर जाने के लिए खड़ी थी।
घायल यात्रियों की संख्या के बारे में रेलवे ने कोई अधिकारिक जानकारी नहीं दी है। किसी भी यात्री के जान जाने की खबर नहीं है। घटना किस कारण हुई, इसकी जांच कराई जा रही है।
नोएडा (उप्र), 17 अगस्त। ग्रेटर नोएडा में कथित रूप से मान्यता लिए बिना संचालित किए जा रहे एक स्कूल को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मंगलवार को बंद करा दिया।
गौतम बुद्ध नगर जिले की बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी ने बताया कि वह नोएडा और ग्रेटर नोएडा के परिषदीय स्कूलों का निरीक्षण कर रही थीं और इसी दौरान उन्होंने टेक जोन- चार स्थित एक इमारत से छुट्टी के समय विद्यार्थियों को निकलते हुए देखा।
उन्होंने बताया कि इमारत पर कहीं भी स्कूल का नाम नहीं लिखा था, जिसके बाद उन्होंने वहां निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि उन्हें बच्चों के बस्तों से ‘एस डी पब्लिक स्कूल’ के नाम से छापी गई डायरी और पुस्तिकाएं मिलीं।
लक्ष्मी ने बताया कि स्कूल प्रबंधन से जब मान्यता संबंधी दस्तावेज देने को कहा गया, तो वह ऐसा करने में असमर्थ रहा, जिसके बाद स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला लगवा दिया गया।
उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन से कहा गया है कि वह बुधवार को मान्यता संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करें अन्यथा उसे स्थायी रूप से बंद करा दिया जाएगा। (भाषा)
श्रीनगर, 17 अगस्त। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड से हमला किया और बलों की घेराबंदी से बचकर भाग गए। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों ने शोपियां के कुटपोरा में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद मंगलवार देर रात उस इलाके की घेराबंदी की और तलाश अभियान शुरू किया।
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि इसी अभियान के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंके और गोलीबारी की, जिसके बाद बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन आतंकवादी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए।
उन्होंने बताया कि इसके बाद एक मकान में आतंकवादियों के ठिकाने का भंडाफोड़ किया गया और वहां से हथियार एवं गोला बारूद बरामद किया गया।
आतंकवादियों ने शोपियां में हमले तेज कर दिए हैं। उन्होंने मंगलवार को एक कश्मीरी पंडित की हत्या की थी। इससे पहले, उन्होंने जिले में सोमवार शाम को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक बंकर पर भी हमला किया था। (भाषा)
राघवेंद्र राव और तेजस वैद्य
जिस दिन भारत अपनी आज़ादी की 76वीं सालगिरह मना रहा था उसी दिन गुजरात में एक सामूहिक बलात्कार और सात लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सज़ा पाने वाले 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करके उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.
ये 11 लोग साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहे थे और गोधरा जेल में बंद थे.
इनकी सजा माफ़ करने का फ़ैसला गुजरात सरकार ने एक ऐसे समय पर लिया है जब केंद्र सरकार ने सज़ा भुगत रहे कैदियों की सज़ा माफ़ी के बारे में सभी राज्यों को जून के महीने में लिखी एक चिट्ठी में ये कहा था कि उम्रकै़द की सज़ा भुगत रहे और बलात्कार के दोषी पाए गए क़ैदियों की सज़ा माफ़ नहीं की जानी चाहिए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जून को सभी राज्यों को पत्र लिखकर बताया था कि भारत की आज़ादी की 76वीं सालगिरह पर मनाये जा रहे आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान कुछ श्रेणियों के बंदियों की सज़ा माफ़ कर उन्हें तीन चरणों में रिहा करने का प्रस्ताव है: पहला चरण 15 अगस्त 2022 होगा, दूसरा चरण 26 जनवरी 2023 और तीसरा चरण 15 अगस्त 2023 होगा.
साथ ही ये भी बताया था कि किन श्रेणियों के क़ैदियों की सज़ा माफ़ नहीं की जा सकती है. इसमें बलात्कार के दोषी और उम्रकै़द की सज़ा भुगत रहे क़ैदी शामिल थे.
गुजरात की 2014 की सज़ा माफ़ी की नीति
गुजरात के गृह विभाग ने 23 जनवरी 2014 को कै़दियों की सज़ा माफ़ी और समय से पहले रिहाई के लिए दिशानिर्देश और नीति जारी की थी जिसमें भी ये साफ़ तौर पर कहा गया था कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों की सामूहिक हत्या के लिए और बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के दोषी सज़ायाफ़्ता कैदियों की सज़ा माफ़ नहीं की जाएगी.
इस नीति में ये भी कहा गया था कि जिन क़ैदियों को दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 के तहत की गई जांच में अपराध का दोषी पाया गया, उनकी सज़ा भी माफ़ नहीं की जा सकती और न ही उन्हें समय से पहले रिहा किया जा सकता है.
गौरतलब है कि सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (सीबीआई) को मामलों की जांच करने की शक्ति दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 के तहत दी गई है और इस मामले में सीबीआई ने बिलकिस बानो मामले की जांच की और 11 लोगों का अपराध सिद्ध किया था.
इस बारे में बीबीसी ने गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राज कुमार से बात की.
उन्होंने कहा, "ये समय से पहले रिहाई का नहीं बल्कि सज़ा माफी का मामला था. उनको जब दोषी ठहराया गया था तब उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी. जब 14 साल पूरे हो जाते हैं तो कोई भी सज़ा माफ़ी की दरख़्वास्त कर सकता है. उन्होंने भी ये दरख़्वास्त की थी. 2014 की जो मौजूदा नीति थी उसके तहत उनको माफ़ी नहीं मिल सकती थी. तो ये मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में लड़ा गया और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस दिन कन्विक्शन हुआ था और ये लोग दोषी पाए गए थे, उस दिन जो नीति अमल में थी उसके अधीन आप निर्णय लें. ऐसा सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था."
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राज कुमार ने साथ ही ये भी कहा कि कन्विक्शन के समय जो नीति थी वो साल 1992 की थी.
उन्होंने कहा, "उस पॉलिसी में कोई वर्गीकरण नहीं था. कन्विक्शन कौन से सेक्शन के तहत हुआ है, उसका कोई वर्गीकरण नहीं था. उसमें सिर्फ इतना कहा गया है कि 14 साल पूरे कर लिए गये हैं तो ऐसे मामलों पर विचार किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि 2014 कि जो नीति है वो नीति इस मामले में लागू नहीं होती."
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राज कुमार ने यह भी कहा कि चूंकि इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी, इसलिए गुजरात सरकार ने भारत सरकार से परामर्श किया कि इस मामले में कौन सी सरकार सज़ा माफ़ी के लिए कम्पीटेंट होगी: केंद्र की या राज्य की?
उन्होंने कहा, "उनका कहना था इस मामले में सज़ा माफ़ी के मुद्दे पर फैसला लेने में राज्य सरकार कम्पीटेंट होगी."
क्या 2014 की सज़ा माफ़ी की नीति को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है?
इस मामले में दोषियों की सज़ा माफ़ करने के लिए गुजरात सरकार की 1992 की नीति को आधार बनाया जाना और 2014 की नीति को नज़रअंदाज़ किया जाना सही है?
इसी सवाल का जवाब जानने के लिए हमने मेहमूद प्राचा से बात की जो एक वकील हैं और दिल्ली दंगों जैसे महत्वपूर्ण मामलों से जुड़े रहे हैं.
वे सामूहिक बलात्कार का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि पहले सामूहिक बलात्कार की सज़ा मृत्युदंड नहीं थी तो अगर ऐसे में किसी ने सामूहिक बलात्कार किया और बाद में सामूहिक बलात्कार की परिभाषा और सज़ा बदल गयी तो इसका पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं हो सकता. आसान शब्दों में कहें तो किसी सामूहिक बलात्कार के दोषी को बाद में ये कह कर मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता कि अब क़ानून बदल गया है. अपराध करने के समय जो क़ानून था उसी के मुताबिक सज़ा होगी.
लेकिन प्राचा के मुताबिक सज़ा माफ़ी के मामले में ऐसा नहीं है.
मेहमूद प्राचा कहते हैं, "किसी भी आधार पर सज़ा माफ़ी एक प्रक्रिया से जुड़ी बात है. आप प्रक्रिया बदल सकते हैं और इसका पूर्वव्यापी प्रभाव हो सकता है. इसलिए सज़ा माफ़ी प्रक्रिया से जुड़ा एक पहलू है और यह अपराध की सज़ा को मूल रूप से नहीं बदलता है."
उनके मुताबिक सज़ा की एक निश्चित अवधि पूरी करने के बाद ही सज़ा माफ़ी का सवाल उठेगा. इसलिए कोई गोलपोस्ट नहीं बदला जा रहा है.
वे कहते हैं, "सज़ा माफ़ी का सवाल तब उठता है जिस दिन आप सज़ा माफ़ी का आवेदन करने के योग्य होते हैं. उस दिन सज़ा माफ़ी का जो क़ानून लागू होता है, उसी के आधार पर सज़ा माफ़ी के आवेदन पर फ़ैसला लेना होगा."
बिलकिस बानो मामले से जुड़े दोषियों की सज़ा माफ़ी के बारे में प्राचा कहते हैं, "अगर 2014 के बाद छूट के लिए आवेदन किया गया है तो 2014 की नीति मार्गदर्शक सिद्धांत होनी चाहिए थी."
क्या है मामला?
साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के पास रनधिकपुर गांव में एक भीड़ ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था. उनकी तीन साल की बेटी सालेहा की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.
21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में 11 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी सज़ा को बरकरार रखा था.
15 साल से अधिक की जेल की सज़ा काटने के बाद दोषियों में से एक राधेश्याम शाह ने सज़ा माफ़ी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को सज़ा माफ़ी के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद गुजरात सरकार ने एक कमेटी का गठन किया. इस कमेटी ने मामले के सभी 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करने के पक्ष में सर्वसम्मत फ़ैसला लिया और उन्हें रिहा करने की सिफ़ारिश की. आख़िरकार 15 अगस्त को इस मामले में उम्रकै़द की सजा भुगत रहे 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत वकील प्योली स्वतिजा कहती हैं कि ये उनकी समझ से बाहर है कि किस तरह गुजरात सरकार की कमिटी ने इस मामले के दोषियों की सज़ा माफ़ करके उन्हें रिहा करने का फै़सला किया.
वे कहती हैं, "एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि सज़ा माफ़ी का फ़ैसला गुजरात सरकार ही कर सकती है तो गुजरात सरकार ने जो कमिटी बनाई उसके पास शक्तियां थीं लेकिन वो उन शक्तियों का इस्तेमाल आँख मूंदकर नहीं कर सकती थी. उनको ये ज़रूर देखना चाहिए था कि अपराध की प्रकृति क्या थी. इन पहलुओं को देखना ही होता है कि न केवल क़ैदी का व्यवहार कैसा है पर अपराध की प्रकृति क्या है. अगर अपराध की प्रकृति देखी जाती तो मुझे नहीं लगता कि एक अच्छे अंतःकरण वाली कमिटी कैसे इस तरह का फ़ैसला ले सकती थी."
प्रधानमंत्री पर विपक्ष का निशाना
इस मामले में 11 दोषियों के रिहा किये जाने को "अप्रत्याशित" बताते हुए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला बोला है.
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "कल प्रधानमंत्री जी ने लाल क़िले की प्राचीर से बड़ी-बड़ी बातें की... नारी सुरक्षा, नारी सम्मान, नारी शक्ति... अच्छे अच्छे शब्द इस्तेमाल किये. कुछ घंटों के बाद गुजरात सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया जो अप्रत्याशित था, जो कभी नहीं हुआ."
खेड़ा ने गुजरात सरकार के उस बयान पर भी निशाना साधा जिसमें इस मामले के दोषियों के 14 साल की सज़ा को भुगत लेना, उनके अच्छे व्यवहार और अपराध की प्रकृति को उनकी रिहाई की वजहें बताया गया था.
खेड़ा ने कहा, "अगर अपराध की प्रकृति की ही बात करें तो क्या बलात्कार उस श्रेणी में नहीं आता जिसमें कड़ी से कड़ी सज़ा मिले उनको? जितनी कड़ी सज़ा मिले उतनी कम मानी जाती है."
इस मामले में दोषी ग्यारह लोगों के जेल से छूटने के बाद के चित्रों और वीडियो को लेकर भी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा.
कांग्रेस पवन खेड़ा ने कहा, "फिर आज हमने ये भी देखा कि जो रिहा हुए हैं, उनकी आरती उतारी जा रही है, उनको तिलक किया जा रहा है, उनका अभिनंदन किया जा रहा है. ये है अमृत महोत्सव? ये है प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में अंतर? या तो प्रधानमंत्री की सुननी बंद कर दी है उनके लोगों ने, उनकी अपनी सरकारों ने... या फिर प्रधानमंत्री जी देश को कुछ और कहते हैं और फ़ोन उठाकर अपनी राज्य सरकारों को कुछ और कहते हैं." (bbc.com/hindi)
जयपुर, 17 अगस्त। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि छात्रों को अपना करियर शुरू करते हुए अपने लक्ष्य तय करने चाहिए और उन्हें हासिल करने के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि छात्र जो शिक्षा ग्रहण करता है उसका अधिकतम लाभ देश और समाज को मिलना चाहिए।
बिरला मंगलवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। कुलपति प्रोफेसर आनंद भालेराव ने समारोह की अध्यक्षता की और छात्रों को उपाधियों से सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि यहां से शिक्षा प्राप्त करने के बाद युवा स्नातकों को समाज की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार योगदान देना होगा क्योंकि आने वाले समय में दुनिया सभी जरूरतों के लिये भारत की ओर देखेगी और युवाओं को उन्हें पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
विश्वविद्यालय के कुल 1283 छात्रों को विभिन्न विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर उपाधि प्रदान की गई और 116 छात्रों को पीएचडी की उपाधि जबकि 82 स्नातकों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। चार छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा में उत्कृष्टता के लिये विश्वविद्यालय पदक से सम्मानित किया गया।
दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्राओं की अधिक संख्या को देख बिरला ने कहा कि यह संख्या साबित कर रही है कि आज के भारत में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही है जो एक अच्छा संकेत है।
उन्होंने छात्रों से देश की राजनीतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने और संस्था को सहयोग और समर्थन करने के लिये काम करने का आग्रह किया ताकि आने वाले समय में यह विश्वविद्यालय न केवल देश में बल्कि दुनिया में अग्रणी विश्वविद्यालय बन सके।(भाषा)
कोलकाता, 17 अगस्त। कोलकाता के कईं इलाकों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) महासचिव अभिषेक बनर्जी की तस्वीरों वाले पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि 'छह महीने में नयी और सुधरी हुई तृणमूल कांग्रेस अस्तित्व में आएगी।'
यह पोस्टर ज्यादातर दक्षिण कोलकाता के हाजरा और कालीघाट इलाके में लगाए गए थे।
ज्ञात हो दोनों इलाके भवानीपुर में स्थित टीएमसी प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री के आवास के निकट हैं।
हालांकि, किसी भी पोस्टर में ममता बनर्जी की तस्वीरें नहीं थीं। पार्टी के अधिकांश नेता इस घटनाक्रम पर चुप्पी साधे रहे। वहीं, अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि पोस्टर में कुछ भी गलत नहीं है। (भाषा)
मुंबई, 17 अगस्त। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा कि सत्ता संभालने के पहले 40 दिनों में उनकी सरकार ने 750 फैसले लिए।
शिंदे ने तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे नीत पूर्ववर्ती सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में मनमाने तरीके से आदेश जारी किए।
उन्होंने दावा किया कि ठाकरे के जून के अंत में पद छोड़ने के बाद भी पिछली सरकार द्वारा कुछ आदेश जारी किए गए थे। शिंदे ने पूछा, आखिर उन फैसलों की समीक्षा क्यों नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने विपक्ष और उनके पूर्ववर्ती ठाकरे पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, हमारी सरकार “ज़मीनी स्तर पर कार्य करती है”।
नवगठित सरकार द्वारा पिछली सरकार के फैसलों पर रोक लगाये जाने के आरोपों को मुख्यमंत्री ने सिरे से नकार दिया। (भाषा)
रायपुर, 17 अगस्त। बीती रात गोंदिया के निकट जोधपुर एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए। इसमें 50 से अधिक यात्रियों के घायल होने की खबर है। ट्रेन बिलासपुर से जोधपुर के लिए निकली थी। घटना करीब रात ढाई बजे हुई।
रायपुर, 17 अगस्त। कचहरी चौक स्थित बाल आश्रम से एक बालक के भाग जाने की खबर है। बालक की उम्र 14 वर्ष बताई जा रही है। यह घटना 13 अगस्त की है। आश्रम के कर्मचारी शिव प्रसाद दुबे ने मंगलवार रात करीब साढ़े आठ बजे मौदहापारा में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने बहला फुसलाकर बालक का अपहरण कर ले गया। पुलिस पता साजी में जुट गई।
अगरतला, 17 अगस्त। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कोलकाता से बांग्लादेश के मंगला बंदरगाह होते हुए भारत के पूर्वोत्तर में माल पहुंचाने के लिए हुए एक परीक्षण के तहत मंगलवार को त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले में माल का खेप प्राप्त किया।
माल की खेप जिले में श्रीमंतपुर भू-सीमा केंद्र (एलसीएस) पर उतरी और इसे वहां से असम के सिलचर पहुंचाया जाएगा।
भौमिक ने कहा, ‘‘बांग्लादेश से आज माल की एक खेप श्रीमंतपुर एलसीएस पहुंची। इसे बाद में सिलचर भेजा जाएगा। कोलकाता से बांग्लादेश के मंगला बंदरगाह-बिबिर बाजार से होते हुए सामान की खेप को प्रायोगिक आधार पर श्रीमंतपुर भेजना था। इससे माल ढुलाई की नयी संभावना सृजित हुई है।’’ (भाषा)
नोएडा (उत्तर प्रदेश), 17 अगस्त। गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा सेक्टर-93 में स्थित सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट में आवासी भूखंड पर अवैध तरीके से बनाए गए टावर एपेक्स और सियान को फायर एनओसी देने के मामले में अग्निशमन विभाग के तीन तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
कोतवाली फेस-2 में दमकल अधिकारी योगेंद्र चौरसिया की शिकायत पर तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी महावीर सिंह, राजपाल त्यागी व आइएस सोनी को नामजद किया गया है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक लिमिटेड को आवंटित ग्रुप हाउसिग भूखंड पर बने अवैध टावर संख्या टी-16 और टी-17 को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं।
पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तत्कालीन अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आइआइडीसी) संजीव मित्तल की अध्यक्षता में उत्तरदायित्व तय करने के लिए जांच कमेटी का गठन किया गया था। जांच के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। इसके आधार पर अभी तक कई अधिकारी निलंबित हो चुके हैं।
इस मामले में उस समय नोएडा में अलग-अलग पदों पर तैनात रहे चार आइएएस समेत कुल 26 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। कमेटी द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि अवैध रूप से स्वीकृत मानचित्रों के आधार पर हुए निर्माण को अग्निशमन विभाग ने भी अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया था।
थाना फेस-दो कोतवाली प्रभारी परमहंस तिवारी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 217 (लोक सेवक द्वारा सजा से व्यक्ति को बचाने के इरादे से कानून की एक दिशा की अवहेलना) और 11 उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण व अग्नि सुरक्षा अधिनियम वर्ष 2005 के तहत मामला दर्ज किया गया है। (भाषा)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अगस्त। सोमवार को खरोरा क्षेत्र से 14 चक्का ट्रक चोरी करने वाले आरोपी एनुराम निषाद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह पहले भी चोरी के मामले में जेल जा चुका है।
पुलिस के मुताबिक लालपति यादव ने थाना खरोरा में इस चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। लालपति माता रोड केरियर में ड्राइवर है और हीरापुर कबीर नगर में रहता है। वह 15 अगस्त को अपनी 14 चक्का ट्रक क्र0 सी जी 07 बी.पी. 9900 को आजाद चैक बुडेरा खरोरा में रोड़ किनारे खड़ी कर सब्जी खरीदने गया था एवं चाबी ट्रक में ही लगी हुई थी। वह सब्जी खरीदकर वापस आकर देखा तो ट्रक नहीं था, कोई अज्ञात चोर ट्रक को चोरी कर ले गया था। इस पर पुलिस ने धारा 379 भादवि. का अपराध पंजीबद्ध किया।
पुलिस ने लालपति से और घटना स्थल पर आसपास के लोगों से भी पूछताछ कर अज्ञात आरोपी की पतासाजी की। टीम के सदस्यों द्वारा घटना स्थल व उसके आस-पास लगे सी.सी.टी.व्ही. कैमरों के फुटेजों का अवलोकन करने के साथ ही प्रकरण में मुखबीर भी लगाये गये। इसी दौरान आरोपी एनुराम निषाद को पकड़ कर उसके कब्जे से चोरी की ट्रक क्र0 सी जी 07 बी.पी. 9900 कीमती 20,00,000/-(बीस लाख रूपये) जप्त किया।।एनुराम निषाद पूर्व में भी चोरी के प्रकरण में थाना गोबरानवापारा से जेल निरूद्ध रह चुका हैं।