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राजीव भवन में प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम संदेश का किया वाचन
रायपुर/अंबिकापुर 15 अगस्त। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने अंबिकापुर जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय "राजीव भवन" में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ ध्वजारोहण किया, जहां उन्होंने ध्वजारोहण के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के संदेश का वाचन किया। इसके उपरांत श्री सिंहदेव अंबिकापुर स्थित पुलिस लाइन पहुंचे जहां उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण कर मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया, इसके बाद मंत्री सिंहदेव ने श्वेत कपोत उड़ाकर शांति व सद्भाव का संदेश दिया एवं सुरक्षा बल के परेड की सलामी ली और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लालक़िले से देश के नाम दिए संबोधन में महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने की बात पर तंज़ किया है.
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट किया, ‘‘आम जनता से लूटकर चुनिंदा उद्योगपति मित्रों की जेब भरने वाले लोग महात्मा गांधी का नाम न लें तो बेहतर है.’’
इस ट्वीट में देश में ग़रीबों के बुरे हाल का हवाला देते हुए लिखा गया, ‘‘देश में 84 प्रतिशत लोगों की आय कम है, भारत सामूहिक गरीबी वाले देशों में फिर से शुमार हो रहा है और अमीर और ग़रीब के बीच खाई और चौड़ी हो रही है.’’
एक अन्य ट्वीट में कहा गया, ‘‘सिर्फ़ 5 साल के अंदर ही उद्योगपति मित्रों का ₹10 लाख करोड़ का लोन बट्टे खाते में डालने वाले लोगों की कोशिशें किसी से छिपी नहीं है.’’
एक अन्य ट्वीट में कहा गया, ‘‘सिर्फ़ 5 साल के अंदर ही उद्योगपति मित्रों का ₹10 लाख करोड़ का लोन बट्टे खाते में डालने वाले लोगों की कोशिशें किसी से छिपी नहीं है.’’
क्या कहा पीएम मोदी ने?
पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में बापू को याद किया और कहा, ‘‘हम सभी देशवासी पूज्य बापू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर के ऋणी हैं, जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया. कर्तव्य पथ ही उनका जीवन पथ रहा.’’
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने के लिए ख़ुद को समर्पित कर दिया है.
नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैंने उन लोगों को सशक्त करने में समय दिया, जो पिछड़े रहे. देश के वंचित, शोषित, दलित, पिछड़े लोगों के कल्याण के लिए महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिए ख़ुद को समर्पित कर दिया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी का सपना था कि देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचा जाए. यह आज़ादी के अमृत काल की पहली सुबह है और मैं आज देश का सौभाग्य देख रहा हूँ कि भारत का जन मन आकांक्षित जन मन है.’’
कांग्रेस मुख्यालय में भी फहराया गया तिरंगा
राहुल गांघी की मौजूदगी में पार्टी के मुख्यालय में तिरंगा फहराया गया. इस मौके पर पार्टी के कई अन्य नेता भी उपस्थित रहे.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर आज कांग्रेस मुख्यालय में ध्वजारोहण समारोह में शामिल हुआ. ये एक ऐतिहासिक और यादगार पल है. आज हम आज़ादी के 76वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. हमें मिलकर एक नई ऊर्जा का संचार कर, देशहित के कार्यों को नई दिशा और गति देनी होगी.’’ (bbc.com)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर नागपुर स्थित मुख्यालय पर तिरंगा फहराया और भारत माता की तस्वीर पर माल्यार्पण भी किया.
मोहन भागवत ने कहा कि 15 अगस्त को हमें जो आज़ादी मिली उसके लिए कई लोगों ने अनेक काम किए.
उनके अनुसार, ‘‘यदि हम 1857 के बाद देखें तो सशस्त्र संघर्ष, राजनीतिक जागरुकता लाकर आंदोलन करके, सामजिक बुराइयों को दूर करके समाज को संगठित करके और समाज में देशभक्ति का भाव पैदा करके इन चारों रास्तों पर अनेक लोगों ने अपना सब कुछ देकर काम किया है."
बताया तिरंगा के तीनों रंगों का महत्व
इस अवसर पर उन्होंने देश के सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए तिरंगा के तीनों रंगों के महत्व को समझाया है.
उन्होंने कहा- राष्ट्र ध्वज के शीर्ष पर स्थित रंग को हम केसरिया कहते हैं, जो त्याग, कर्म, प्रकाश और ज्ञान का रंग है. वहीं हम पवित्र बनेंगे, हमारा मन विकारों से ग्रस्त नहीं होगा, इसके लिए दूसरा रंग सफेद है और सभी प्रकार की समृद्धि का रंग हरा, लक्ष्मी जी का प्रतीक है.
उन्होंने आगे कहा, ‘‘ऐसा हम धर्म का पालन करके ही कर सकते हैं, इसलिए ध्वज के केंद्र में धर्म चक्र है. इन बातों को समझकर हमें परिश्रम करना चाहिए. हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि मुझे क्या मिलेगा. मैं अपने देश को क्या दे रहा हूँ, इसका विचार करके ही हमें अपना जीवन जीने की आवश्यकता है.’’ (bbc.com)
स्वतंत्रता दिवस पर बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में 10 लाख नौकरी देने के तेजस्वी यादव के वादे पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
उन्होंने अपने संबोधन में कहा- हमलोग बड़ी संख्या में रोज़गार देंगे. नौकरी वाली जो बात है, हमलोग एक साथ हैं. हमलोगों का कॉन्सेप्ट है कि हमलोग कम से कम इसे 10 लाख कर दें. लेकिन हम तो यही कहेंगे कि हम करेंगे बच्चे-बच्चियों की नौकरी के लिए भी. और इसके अलावा उसके रोज़गार के लिए भी. नौकरी और रोज़गार दोनों का इंतजाम इतना कराएँगे, सरकारी और सरकार के बाहर भी. हर तरह से इतना ज़्यादा काम बढ़ना चाहिए कि ये हो जाएगा तो हमलोगों का मन तो है कि इसको हमलोग 20 लाख तक पहुँचाएँ.
दरअसल वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय जनता दल ने 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन उस समय नीतीश कुमार ने बीजेपी के सहयोग से सरकार बनाई थी.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उन दिनों हर रैली में इस वादे का ख़ूब ज़िक्र करते थे. अब नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए हैं और उन्होंने एक बार फिर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई है.
स्वतंत्रता दिवस पर नीतीश कुमार की घोषणा पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके नीतीश कुमार की घोषणा को ऐतिहासिक कहा है.
उन्होंने लिखा है- अभिभावक आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पटना के गाँधी मैदान से ऐतिहासिक ऐलान:- 10 लाख नौकरियों के बाद 10 लाख अतिरिक्त नौकरियां दूसरी अन्य व्यवस्थाओं से भी दी जाएगी.
जज़्बा है बिहारी
जुनून है बिहार
उत्तम बिहार का सपना
करना है साकार
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ पर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत को शुभकामनाएं देते हुए अमेरिका के विकास में भारतीयों के योगदान को याद किया है.
अपने एक बयान में उन्होंने 40 लाख भारतीय मूल के अमरीकियों के अमेरिका के विकास में योगदान को याद किया और अमेरिका को और इनोवेटिव, समावेशी और मजबूत देश बनाने का श्रेय दिया है.
उन्होंने आज़ादी के लिए महात्मा गांधी के योगदान को भी याद करते हुए सत्य और अहिंसा के उनके संदेश को याद किया है.
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय-अमेरिकियों सहित दुनिया भर के लोग भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. अमेरिका अपनी लोकतांत्रिक यात्रा का सम्मान करने के लिए भारत के लोगों के साथ शामिल हो रहा है, जो महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के स्थायी संदेश से प्रेरित होता है.
बाइडन ने कहा, ‘‘भरोसा है कि आने वाले सालों में हमारे दो लोकतंत्र नियम आधारित व्यवस्था की रक्षा के लिए एक साथ खड़े रहेंगे. अपने लोगों के लिए अधिक शांति, समृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देंगे. एक स्वतंत्र खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाएंगे.’’
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी भारत को बधाई दी है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारतीय लोगों को आज़ादी के 75 साल पूरा होने पर संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. इस दिन हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों पर विचार करते हैं. हम भारत के लोगों का सम्मान करते हैं जो उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं.’’ (bbc.com)
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार 'आत्ममुग्ध' है जो स्वतंत्रता सेनानियों की उपलब्धियों को कमज़ोर साबित करने की कोशिश कर रही है.
देशवासियों के नाम जारी अपने संदेश ने सोनिया गांधी ने लिखा, ‘‘हमने 75 सालों में अनेक उपलब्धियां हासिल की, लेकिन आज की आत्ममुग्ध सरकार हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के महान बलिदानों और देश की गौरवशाली उपलब्धियों को तुच्छ साबित करने पर तुली हुई है, जिसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘राजनीतिक लाभ के लिए ऐतिहासिक तथ्यों पर कोई भी ग़लतबयानी और गांधी नेहरू पटेल आज़ाद जी जैसे महान नेताओं को असत्यता के आधार पर कटघरे में खड़े करने के हर प्रयास का कांग्रेस पुरज़ोर विरोध करेगी.’’ (bbc.com)
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत किसी सरकार का एजेंडा नहीं है. यह समाज का जन-आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है.
उन्होंने कहा, "आज़ादी के 75 साल के बाद जिस आवाज़ को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल के बाद वो आवाज़ सुनाई दी. 75 साल के बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार मेड इन इंडिया तोप ने किया है. कौन हिंदुस्तानी होगा जो ये बात, ये आवाज़ उसे नई प्रेरणा या ताक़त नहीं देगी." (bbc.com)
बिहार में लोगों को नौकरी देने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा को लेकर बयानबाज़ी का दौर शुरू हो गया है. स्वतंत्रता दिवस पर पटना के गांधी मैदान से अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के वादे को अपना समर्थन दिया और यहाँ तक कहा कि वे तो 20 लाख नौकरी देने का सोच रहे हैं.
नीतीश कुमार ने कहा- उन्होंने अपने संबोधन में कहा- हमलोग बड़ी संख्या में रोज़गार देंगे. नौकरी वाली जो बात है, हमलोग एक साथ हैं. हमलोगों का कॉन्सेप्ट है कि हमलोग कम से कम इसे 10 लाख कर दें. लेकिन हम तो यही कहेंगे कि हम करेंगे बच्चे-बच्चियों की नौकरी के लिए भी. और इसके अलावा उसके रोज़गार के लिए भी. नौकरी और रोज़गार दोनों का इंतजाम इतना कराएँगे, सरकारी और सरकार के बाहर भी. हर तरह से इतना ज़्यादा काम बढ़ना चाहिए कि ये हो जाएगा तो हमलोगों का मन तो है कि इसको हमलोग 20 लाख तक पहुँचाएँ.
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की इस घोषणा को ऐतिहासिक कहा है. उन्होंने कहा कि पटना के गांधी मैदान से इसकी घोषणा की गई है, इससे बड़ा प्लेटफ़ॉर्म क्या हो सकता है.
पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी यादव ने कहा- ये एक ऐतिहासिक घोषणा है. उन्होंने गांधी मैदान से कहा है कि 10 लाख नौकरियाँ दी जाएँगी और फिर इसे बढ़ाकर 20 लाख भी किया जाएगा. ये बहुत बड़ा मुद्दा है. आप लोग उस पर क्यों नहीं बहस करते हैं. आज बिहार के हर नौजवान के दिल में जो उम्मीद थी, जो ख़्वाहिश थी. उसको हमलोग साथ मिलकर पूरा कर रहे हैं. आपको पूछ रहे थे कि नौकरियों का क्या होगा. तो इससे बड़ा प्लेटफ़ॉर्म क्या होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी ने गांधी मैदान से घोषणा की है कि हमलोग साथ मिलकर नौजवानों को नौकरी देने का काम करेंगे.
हाल ही में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ते हुए राष्ट्रीय जनता दल के साथ फिर सरकार बनाई है. तेजस्वी यादव को बिहार का उप मुख्यमंत्री बनाया गया है.
दरअसल वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय जनता दल ने 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन उस समय नीतीश कुमार ने बीजेपी के सहयोग से सरकार बनाई थी.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उन दिनों हर रैली में इस वादे का ख़ूब ज़िक्र करते थे. दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री और बिहार से बीजेपी के सांसद गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार की घोषणा पर चुटकी ली है.
उन्होंने उनका वीडियो शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा- इनका इतिहास और हम सभी अनुभव कहता है कि यह इसमें भी यू-टर्न ले लेंगे!
लेकिन राष्ट्रीय जनता दल और उसके नेता नीतीश कुमार की घोषणा की जमकर तारीफ़ कर रहे हैं.
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने ट्वीट करके लिखा है- 10 लाख नौकरियों के अलावा 10 लाख अतिरिक्त नौकरियाँ. यही है स्वतंत्रा दिवस की खूबसूरती, जिसमें आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज चार चांद लगा दिया. जय हिन्द
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है- गांधी मैदान से बेरोजगारों एवं युवाओं की अपेक्षाओं और सपनों के अनुरूप बिहार में 10 लाख नौकरियाँ एवं अन्य 10 लाख नौकरियों की व्यवस्था करने की ऐतिहासिक घोषणा पर आदरणीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी का कोटि-कोटि धन्यवाद। हम और आप ले चलेंगे बिहार को विकास और प्रगति के पथ है शपथ! (bbc.com)
-श्रवण गर्ग
सत्ताएँ जब जनता को उसके सपनों की समृद्धि हासिल करवाने में नाकामयाब हो जाती हैं तो वे बजाय अपनी विफलताओं को विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर पश्चाताप करने के किसी वर्ग के विशेष ख़िलाफ़ शस्त्र उठाने का उद्घोष करने वाली धर्म संसदों की आढ़ में छुपने लगतीं हैं या फिर अपने नागरिकों के हाथों में झंडे थमा देती हैं। झंडा तब राष्ट्र के नागरिकों की अंतरात्मा और आकांक्षाओं के प्रतीक के स्थान पर व्यक्तिवादी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का हथियार नज़र आने लगता है।
तिरंगे को लेकर दिए गए बलिदानों की हज़ारों-लाखों भारतीय कहानियाँ खून और आंसुओं से लिखी हुईं और देश भर में बिखरी पड़ीं हैं। हो यह रहा है कि आज़ादी की लड़ाई के दौरान किए गए देशभक्ति के संघर्षों को इस समय राष्ट्रवाद के गोला-बारूद में ढाला जा रहा है। आज़ादी प्राप्ति के अमृतकाल को विभाजन की विभीषिका की पीड़ादायक स्मृतियों से रंगा जा रहा है।
देश के एक सौ चालीस करोड़ नागरिकों की कल्पना का तिरंगा तो पीएम द्वारा किए गए आह्वान के काफ़ी पहले से पटना में सचिवालय के बाहर महान मूर्तिकार देवी प्रसाद रॉय चौधुरी की अभिकल्पना का मूर्त रूप धारण किए सात युवा शहीदों की जीवनाकार कांस्य प्रतिमा में अंकित है। देशभक्ति के जज़्बे से रोमांचित कर देने वाली यह प्रतिमा उन सात युवा छात्रों के संकल्प का दर्शन कराती है जिन्हें ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान तिरंगा फहराने के प्रयास में 11 अगस्त 1942 को अंग्रेजों द्वारा निर्दयतापूर्वक गोलियों से भून दिया गया था। इन सात युवाओं में तीन, कक्षा नौ में पढ़ाई करते थे। पच्चीस अन्य युवा तब गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान तेरह से पंद्रह अगस्त तक हर घर में तिरंगा फहराने का आह्वान नागरिकों से किया है। पीएम ने यह अपील भी की है कि सभी लोग अपने सोशल मीडिया अकाउंट में तिरंगे की डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) लगाकर इस राष्ट्रीय अभियान को और सशक्त बनाएँ।सरकार तिरंगे के लिए कपड़ा खादी का ही होने की अनिवार्यता पहले ही समाप्त कर चुकी है।
प्रधानमंत्री को पूरा अधिकार है कि वे समय-समय पर देश के नागरिकों का आह्वान करते रहें। हमारे कई पूर्व प्रधानमंत्री भी अतीत में ऐसा करते रहे हैं, पर केवल राष्ट्रीय संकटों के दौरान अथवा किसी महत्वपूर्ण अवसर पर। अन्न-संकट के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के आह्वान पर पूरा देश सप्ताह में एक दिन उपवास रखता था (प्रधानमंत्री ने अपने पंद्रह अगस्त के लाल क़िले से उद्बोधन में शास्त्री जी के ‘जय जवान ,जय किसान’ नारे का उल्लेख भी किया )। चीनी आक्रमण के दौरान पंडित नेहरू के आह्वान पर देशवासियों द्वारा किए गए त्याग की अनेक कथाएँ हैं। नागरिक अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार रहते थे। उनका उत्साह स्व-स्फूर्त रहता था। तत्कालीन सत्ताओं ने न तो कभी नागरिकों के राष्ट्रप्रेम की परीक्षाएँ लीं, और न ही अपने आह्वानों को राष्ट्रीय उत्सवों में परिवर्तित किया।
याद यह भी किया जा सकता है कि आज़ादी के पचास साल पूरे होने पर ‘स्वर्ण जयंती’ वर्ष को तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किस तरह से मनाया था, देश को किस तरह की सौग़ातें उन्होंने दीं थीं ! या आज़ादी की साठवीं वर्षगाँठ या ‘हीरक जयंती’ के अवसर पर पंद्रह साल पहले देश में किसकी सरकार थी, और तब क्या हुआ था ? ‘
साल 2020 के पीड़ादायक कोरोना काल में जब देश भारी संकट से गुज़र रहा था, प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से आह्वान किया था कि वे 22 मार्च की शाम अपने घरों के दरवाज़ों, खिड़कियों के पास या बालकनियों में खड़े हो पाँच मिनिट तक ताली-थाली बजाकर अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाओं के प्रति धन्यवाद का ज्ञापन करें ।अपने तमाम अभावों और कष्टों को भूलकर नागरिकों ने प्राणप्रण से प्रधानमंत्री की भावनाओं का सम्मान किया। उसके बाद क्या हुआ ?
दवाओं, ऑक्सिजन की कमी और कोविड से निपटने की अपर्याप्त सरकारी कोशिशों की जानकारी और नागरिक मौतों के आँकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्टों में तलाश किए जा सकते हैं। कोविड के टीकों को लेकर देश द्वारा हासिल की गई उपलब्धि की चर्चा तो प्रधानमंत्री दुनिया भर में गर्व के साथ करते हैं, पर आज़ादी के अमृतकाल के ठीक पहले कोविड से हुई लाखों मौतों के सवाल पर वे विश्व स्वास्थ्य संगठन के दावों को कोई चुनौती नहीं देते। ग़लत-सही आरोप यह है कि प्रधानमंत्री अपने हरेक नागरिक आह्वान को अपनी लोकप्रियता और सरकार की उपलब्धि में तब्दील करके उसे दुनिया के सामने भारत की ताक़त के प्रदर्शन के रूप में पेश कर देते हैं।
पूछा जा सकता है कि देश के 140 करोड़ नागरिकों (जिनमें वे बाइस करोड़ मुस्लिम भी शामिल हैं, जिनकी भारतीयता और देशभक्ति को संघ और (जनसंघ) भाजपा द्वारा पिछले पचहत्तर सालों से शक की नज़रों से देखा जाता रहा है ) से उनकी राष्ट्रभक्ति का प्रमाणपत्र बार-बार क्यों माँगा जाना चाहिए ? बहुत सम्भव है कि प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद मदरसों और मस्जिदों की छतों पर दूर से ही नज़र आ जाने वाले तिरंगे सरस्वती शिशु मंदिरों और हिंदू धार्मिक स्थलों से पहले ही लगा दिए गए हों।
एनडीए-शासित उत्तराखंड राज्य के भाजपा प्रमुख के हवाले से वायरल हुए वीडियो में अगर कोई सच्चाई है तो उनका कहना है कि : "भारत उन लोगों पर भरोसा नहीं कर सकता है, जो राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराते।जिसके घर में तिरंगा नहीं लगेगा, हम उसे विश्वास की नज़र से कभी देख नहीं पाएंगे। मुझे उस घर का फ़ोटो चाहिए जिस घर में तिरंगा न लगा हो। समाज देखना चाहता है उस घर को, उस परिवार को देखना चाहता है कि भारत को लेकर सम्मान का भाव किस-किस (परिवार) के अंदर नहीं है। घर में देश का झंडा लगाने से किसे दिक्कत हो सकती है? देश ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं कर सकता जो तिरंगा नहीं फहराते हों।’’
नागरिक डरे हुए हैं। वे स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि तिरंगे को लेकर सरकार उन्हें डराने की कोई भावना रखती है। पर ऐसा हो रहा है। जो नज़र आ रहा वह यही है कि तिरंगे को राष्ट्र के प्रति प्रेम का प्रदर्शन करने से अधिक देश के प्रति वफ़ादारी साबित करने का अवसर बनाया जा रहा है।(‘हर घर तिरंगा’ अभियान में भाग लेने वाले नागरिक सरकार से एक ‘प्रशंसा प्रमाण पत्र’ (Certificate) भी प्राप्त कर सकेंगे।इसके लिए सरकार द्वारा एक वेबसाइट जारी की गई है जिस पर नागरिकों को तिरंगे के साथ अपनी सेल्फ़ी अपलोड करना होगा।)
प्रधानमंत्री के आह्वान की उपलब्धि इस बात को अवश्य माना जा सकता है कि तिरंगे को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ आज़ादी के बाद से ही लगाए जा रहे रहे आरोप तात्कालिक रूप से ही सही, ख़ारिज करना पड़ रहे हैं। संघ ने तिरंगा भी फहरा लिया है, और अपनी डीपी भी बदल ली है। मानकर चला जा सकता है कि प्रधानमंत्री का कोई नया आह्वान संघ की विचारधारा को भी बदलकर उदार बना देगा। प्रधानमंत्री के उस आह्वान के दिन की प्रतीक्षा उत्सुकता से की जानी चाहिए !
भारत के 'वारेन बफेट', 'बिग बुल' जैसे कई उपनामों के साथ अपनी पहचान बनाने वाले शेयर बाज़ार के दिग्गज़ निवेशक राकेश झुनझुनवाला की मौत ने कई लोगों को स्तब्ध कर दिया है.
राकेश झुनझुनवाला को भारत का वारेन बफ़ेट इसलिए कहा जाता था क्योंकि शेयर बाज़ार से पैसे कैसे बनाया जाए, वे इस कला में माहिर थे. राकेश झुनझुनवाला के सबसे नए निवेश की उड़ान इसी महीने शुरू हुई थी.
उन्होंने जेट एयरवेज के पूर्व सीईओ विनय दुबे और इंडिगो के पूर्व प्रमुख आदित्य घोष के साथ मिलकर इसी महीने भारत के सबसे नए 'बजट एयर कैरियर' अकासा को लॉन्च किया था.
अकासा ने बीते एक हफ़्ते के दौरान मुंबई-अहमदाबाद और बेंगलुरु-कोच्चि रूट पर अपना परिचालन शुरू किया है.
पीटीआई के मुताबिक, चार्टर्ड अकाउंटेंट झुनझुनवाला हंगामा मीडिया और एप्टेक के चेयरमैन भी थे. वे वायसराय होटल्स, कॉनकॉर्ड बायोटेक, प्रोवोग इंडिया और जियोजित फ़ाइनैंशियल सर्विस के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में भी शामिल थे.
फ़िल्मों के शौकीन झुनझुनवाला कई बॉलीवुड फ़िल्मों के सहनिर्माता भी रह चुके हैं. श्रीदेवी की 'इंग्लिश विंग्लिश', करीना कपूर-अर्जुन कपूर की 'की एंड का' और अमिताभ बच्चन, धनुष, अक्षरा हासन की फ़िल्म 'शमिताभ' में पैसे लगाए और इन तीनों फ़िल्मों ने भी अच्छी कमाई की.
1200 रुपये से शुरुआत, 46 हज़ार करोड़ के मालिक
राकेश झुनझुनवाला आयकर अधिकारी के बेटे थे. शुरू से ही उनका रुझान शेयर बाज़ार की तरफ़ था. राकेश झुनझुनवाला ने पहली बार शेयर बाज़ार में तब निवेश किया जब वे कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे.
झुनझुनवाला ने 25 साल की उम्र में 1985 में 100 अमेरिकी डॉलर से बाज़ार में निवेश करना शुरू किया था. 1985 में प्रति डॉलर की कीमत क़रीब 12 रुपये थी. इसके लिए उन्होंने अपने एक रिश्तेदार से उधार लिया था.
जब झुनझुनवाला ने पहली बार बाज़ार में निवेश किया था. उन्होंने शेयर बाज़ार के तब के दिग्गज़ राधाकिशन दमानी का दामन थामा. तब बंबई शेयर बाज़ार का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 150 अंकों पर था.
आज की तारीख़ में सेंसेक्स 59,000 अंकों से भी ऊपर व्यापार कर रहा है. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक राकेश झुनझुनवाला इस समय देश के 48वें सबसे अमीर व्यक्ति थे.
फ़ोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक इस दुनिया को अलविदा करने के समय झुनझुनवाला 5.8 बिलियन डॉलर (क़रीब 46,000 करोड़ रुपये) के मालिक थे.
1985 में जब उन्होंने शेयर बाज़ार में निवेश करना शुरू किया तो जल्द ही उन्हें ये आभास हुआ कि वो एक अच्छे निवेशक बन सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें और पैसों की ज़रूरत थी.
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक उन्होंने तब अपने भाई के क्लाइंट से उधार मांगा और बदले में उन्हें बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट से अधिक मुनाफ़ा देने का वादा किया.
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक शेयर बाज़ार में उनका पहला बड़ा मुनाफ़ा 1986 में हुआ जब उन्होंने इससे पांच लाख रुपये बनाए. उन्होंने टाटा टी के पांच हज़ार शेयर 43 रुपये प्रति शेयर की दर से ख़रीदे और तीन महीने के भीतर उसे 143 रुपये प्रति शेयर बेच कर तीन गुना मुनाफ़ा कमाया. अगले कुछ सालों में झुनझुनवाला को कई शेयरों से अच्छा मुनाफ़ा हुआ. 1986-89 के दौरान उन्होंने 20-25 लाख रुपये कमाए.
बाद में झुनझुनवाला ने सीसा गोवा में निवेश किया. इसके शेयर उन्होंने 28 रुपये में ख़रीदे, जो जल्द ही 35 रुपये पर पहुंच गए. कुछ दिनों में इसके शेयर में और उछाल आया और ये 65 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया.
2002-03 में उन्होंने टाइटन कंपनी का शेयर ख़रीदा. तब उसकी कीमत 3 रुपये प्रति शेयर थी. आज उनके पोर्टफ़ोलियो में सबसे अधिक शेयर इसी कंपनी के हैं.
शेयर बाज़ार के अपने लंबे करियर के दौरान राकेश झुनझुनवाला ने सफलतापूर्वक कई बड़े मल्टीबैगर स्टॉक जैसे क्रिसिल, प्राज इंडस्ट्रीज़, अरबिंदो फार्मा और एनसीसी में निवेश किया.
हालांकि राकेश झुनझुनवाला को कुछ असफलताओं का सामना भी करना पड़ा. 2008 के वैश्विक मंदी के बाद और उसके बाद के वर्षों में झुनझुनवाला के शेयरों की कीमत 30 फ़ीसद कम हो गई लेकिन 2012 के दरम्यान उन्होंने वापसी की और सभी घाटे से उबर गए.
सबसे अधिक निवेश किस शेयर में है?
झुनझुनवाला के गुरु राधाकिशन दमानी गिरते बाज़ार के नब्ज को पहचानते थे. झुनझुनवाला ने उनसे इस कला को सीखा और गिरते बाज़ार में भी उन्होंने बहुत पैसे बनाए.
फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक झुनझुनवाला हमेशा बेहतरीन रिटर्न देने वाले शेयरों को जल्दी पकड़ने के लिए जाने जाते थे. यही वजह थी कि गिरते बाज़ार में भी राकेश झुनझुनवाला पोर्टफोलियो के कुछ शेयरों ने निवेशकों को 110 फ़ीसदी से भी अधिक का रिटर्न दिया है.
शेयर बाज़ार में उनकी ऐसे निवेशक के रूप में ख़्याति थी जिन्हें जोखिम लेने में महारथ हासिल थी और उनके निवेश में से कई ने उन्हें बहुत शानदार रिटर्न दिया.
ट्रेंड लाइन के मुताबिक जून 2022 तक राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में कुल 32 शेयर थे जिनकी नेटवर्थ क़रीब 31,904.8 करोड़ रुपये थी.
उनके पोर्टफोलियो में सबसे अधिक शेयर टाइटन कंपनी के थे, जिनकी लागत तब के मुताबिक 11 हज़ार करोड़ से अधिक थी.
इसके अलावा टाटा मोटर्स, टाटा कम्यूनिकेशन, क्रिसिल, स्टार हेल्थ, फोर्टिस हेल्थकेयर, नज़ारा टेक्नोलॉजीज, फेडरल बैंक, केनरा बैंक, करूर वैश्य बैंक, एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड आदि कंपनियों के शेयर उनकी पोर्टफ़ोलियो में हैं.
राकेश झुनझुनवाला अपने पोर्टफ़ोलियो के शेयरों के डेविडेंड से भी अच्छी कमाई करते थे. ख़बरों के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष में टाइटन कंपनी ने प्रति शेयर 7.5 रुपये, केनरा बैंक ने प्रति शेयर 6.50 रुपये और फेडरल बैंक ने प्रति शेयर 1.80 रुपये के डेविडेंट की घोषणा की थी.
मिडास टच
राकेश झुनझुनवाला ने रेयर इंटरप्राइजेज़ (Rare) की नींव रखी थी. इसका नाम उन्होंने अपने नाम राकेश और अपनी पत्नी के नाम रेखा के शुरुआती दो अक्षरों Ra और Re को मिलाकर रखा.
उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया था कि इसका आइडिया उनकी पत्नी रेखा का ही था.
फ़ोर्ब्स ने 2021 के राकेश झुनझुनवाला के प्रोफ़ाइल में लिखा कि उनके चुने गए स्टॉक्स की कामयाबी ने उन्हें 'मिडास टच' वाला धुरंधर बना दिया. 'मिडास टच' यानी जिस चीज़ को छुआ उसे सोने में बदल दिया.
एक दशक पहले न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में राकेश झुनझुनवाला ने कहा कि उन्हें भारत का वारेन बफेट कहा जाना पसंद नहीं है, साथ ही ये भी कहा कि बर्कशायर हैथवे के सीईओ उनसे कहीं आगे हैं.
तब उन्होंने ये कहा था कि, "मैं किसी का क्लोन नहीं हूं. मैं राकेश सिर्फ़ और सिर्फ़ राकेश झुनझुनवाला हूं."
बता दें कि वारेन बफेट को निवेश का जादूगर माना जाता है जिन्होंने लगातार निवेश के ज़रिए बड़ी संपत्ति अर्जित की.
शेयर बाज़ार को लेकर आशावादी नज़रिया
झुनझुनवाला शेयर बाज़ार को लेकर बहुत आशावादी थे. मौत से कुछ हफ़्ते पहले उन्होंने न्यूज़ चैनल सीएनबीसी-टीवी18 को बताया कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों की परवाह किए बग़ैर भारतीय शेयर बाज़ार बढ़ता रहेगा, भले ही उसकी गति धीमी क्यों न हो.
इसी साल फ़रवरी में इकोनॉमिक टाइम्स को दिए अपने इंटरव्यू में राकेश झुनझुनवाला ने कहा था कि वो मेटल, इंफ्रास्ट्रक्चर और हास्पिटालिटी सेक्टर को लेकर बुलिश हैं.
फ़रवरी में ही रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में लगभग सभी मेटल के दामों में तेज़ी आई. तब उन्होंने कहा था कि भारत का विकास दर 10 फ़ीसदी की गति से संभव है.
शेयर बाज़ार के दिग्गज़ अजय बग्गा ने बीबीसी से कहा कि झुनझुनवाला आज के भारत की कहानी को मूर्त रूप देने वालों में से हैं.
उन्होंने कहा, "मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और बहुत कम पैसों के साथ शुरुआत करके भारत के वित्तीय बाज़ार में झुनझुनवाला ने नए प्रतिमान गढ़े."
बग्गा कहते हैं कि झुनझुनवाला भारत को लेकर बहुत आशावादी थे. उनका आशावादी होना द बिग बुल ऑफ़ दलाल स्ट्रीट (बॉम्बे शेयर बाज़ार) के उनके उपनामों में भी परिलक्षित होता है.
कुल मिलाकर, राकेश झुनझुनवाला एक स्मार्ट और समझदार निवेशक थे जिनकी शेयर बाज़ार के नब्ज पर बहुत अच्छी पकड़ थी.
आलम ये था कि शेयर बाज़ार में अगर किसी शेयर से उनका नाम जुड़ता था तो वो पूरी तरह से प्रभावित हो जाता था.
अगर झुनझुनवाला कोई स्टॉक अपने पोर्टफ़ोलियो में जोड़ते थे तो उसके शेयर तेज़ी से ऊपर चढ़ जाते थे और यदि वे बेच रहे होते थे तो शेयर के दाम उतनी ही तेज़ी से नीचे आ जाते थे.(bbc.com)
-सौतिक बिस्वास
साल 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक स्वयंसेवक को ज़िंदगी बदल देने वाला अहसास हुआ.
भारत के पूजनीय राष्ट्रीय हीरो महात्मा गांधी विशाल स्वतंत्रता समर्थक रैली में अपनी आवाज़ लोगों तक पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. नानिक मोटवाने उन्हें देख रहे थे.
बाद में नानिक मोटवाने ने इस बारे में लिखा कि महात्मा गांधी एक ही रैली में अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग मंचों से बोल रहे थे ताकि लोग उनकी कमज़ोर आवाज़ को बड़ी तादाद में सुन सकें.
ये वो पल था जब 27 वर्षीय मोटवाने ने तय किया कि वो गांधी की आवाज़ को लोगों तक पहुंचाने का तरीक़ा निकालेंगे.
एक प्रवासी व्यापारी परिवार की दूसरी पीढ़ी के कारोबारी मोटवाने चाहते थे कि "जो सभी लोग महात्मा गांधी को देखने से ज़्यादा उन्हें सुनने में उत्सुक थे, वो उन्हें स्पष्टता से सुन सकें."
दो साल बाद कराची में जब कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन था तब मोटवाने एक सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली के साथ तैयार था. अपनी सबसे पुरानी उपलब्ध तस्वीरों में से एक में पारंपरिक गांधी टोपी पहने हुए मोटवाने महात्मा गांधी को अपने माइक्रोफ़ोन का ब्रांड नाम- शिकागो रेडियो दिखाते हुए दिख रहे हैं.
अगले दो दशकों तक शिकागो रेडियो उन लाउडस्पीकरों का पर्याय बन गया जो साम्राज्यवादी ब्रितानी शासन से भारत की आज़ादी के संघर्ष के संदेश सुनाते थे.
मोटवाने परिवार की तीसरी पीढ़ी की कमान संभाल रहे नानिक मोटवाने के बेटे किरण मोटवाने कहते हैं, "हम अपने लाउडस्पीकरों को वॉयस ऑफ़ इंडिया (भारत की आवाज़) कहते थे."
मोटवाने परिवार 1919 में मुंबई आया था. इस शहर में स्थित फर्म के लिए शिकागो रेडियो नाम हैरान करने वाला था. किरण मोटवाने बताते हैं कि उनके पिता ने शिकागो स्थित एक रेडियो निर्माता से ये नाम अनुमति के साथ उधार लिया था. ये फर्म बंद हो रही थी.
विदेशी नाम के प्रति आकर्षण की एक वजह ये भी हो सकती है कि मोटवाने ऐसे समुदाय से जुड़े थे जो व्यापार में आगे बढ़ रहा था और दुनिया भर में जिसका नेटवर्क था.
शुरुआत में नानिक मोटवाने लाउडस्पीकर, एम्पलीफ़ायर और माइक्रोफोन को अमेरिका और ब्रिटेन से आयात करते थे. एक उद्घोषणा प्रणाली के ये ज़रूरी हिस्से हैं.
बाद में पांच इंजीनियरों की उनकी टीम इनका पुर्जा-पुर्जा अलग करती और स्थानीय स्तर पर इस्तेमाल के लिए इन्हें रिवर्स इंजीनियर किया जाता.
नानिक मोटवाने के भाई भी इस काम में उनकी मदद करते थे. हालांकि मोटवाने ट्रेन और ट्रकों में अपने सिस्टम लेकर कांग्रेस की रैली स्थलों पर जाते थे. जब सड़क यात्रा कठिन होती थी तब स्वयंसेवक और पुलिस उन्हें सुरक्षा प्रदान करती थी. मोटवाने आमतौर पर बैठक या रैली से एक दिन पहले स्थल पर पहुंच जाते थे जो सामान्य तौर पर कोई धूल भरा मैदान होता था. मोटवाने वहां सिस्टम का टेस्ट करते और लाउडस्पीकरों के लिए पर्याप्त बैटरी की उपलब्धता सुनिश्चित करते. इसके बाद वो सींग जैसा दिखने वाले अपने लाउडस्पीकरों को मैदान में बल्लियों पर टांगते ताकि हर कोनो में आवाज़ साफ़-साफ़ पहुंच सके.
नानिक मोटवाने के मुताबिक एक मैदान में फैले एक दर्ज़न लाउडस्पीकर दसियों हज़ार लोगों तक आवाज़ पहुंचाने के लिए काफ़ी होते थे. इसके कई साल बाद उन्होंने एक लाउडस्पीकर के ऊपर दूसरा लाउडस्पीकर लगाना शुरू कर दिया ताकि आवाज़ और साफ़ हो और दूर तक जाए. कांग्रेस की किसी भी बैठक या रैली तक पहुंचने के लिए उनके पास देशभर में सौ से अधिक लाउडस्पीकर सिस्टम तैयार थे.
किरण मोटवाने कहते हैं, "वो भारत में पब्लिक एड्रेस सिस्टम के अगुआ थे और कांग्रेस पार्टी उनकी एकमात्र ग्राहक थी."
आज़ादी के संघर्ष के उन सालों में भारत की आज़ादी के कई हीरो के सबसे यादगार और उत्तेजक भाषण शिकागो रेडियो के लाउडस्पीकरों के ज़रिए ही लोगों तक पहुंचे. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इस ब्रांड के बड़े समर्थक और प्रशंसक थे. कांग्रेस की एक बैठक के बाद नेहरू ने मोटवाने को लिखा, "आपके लाउडस्पीकरों ने सबसे शानदार काम किया और आपकी व्यवस्था की हर किसी ने तारीफ़ की."
मोटवाने सरकारी रेडियो प्रसारकों के साम्राज्यवादी प्रोपागेंडा का जवाब देने के लिए चलाए जा रहे एक गुप्त रेडियो के संचालन में भी मदद करते थे. ये रेडियो स्टेशन महात्मा गांधी और आज़ादी के संघर्ष के दूसरे नेताओं के संदेश प्रसारित करता था.
1942 में इस स्टेशन ने प्रसारण शुरू किया था और इसके ढाई महीने बाद जिन पांच लोगों को गिरफ़्तार किया गया था उनमें से मोटवाने भी एक थे. महात्मा गांधी ने साल 1942 में ही अंग्रेज़ों भारत छोड़ो का नारा दिया था और सभी भारतीयों से आज़ादी के लिए अहिंसक संघर्ष करने का आह्वान किया था. इसे ही भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जाना गया.
इस रेडियो स्टेशन पर किताब लिखने वाली उषा ठक्कर के मुताबिक, "कांग्रेस रेडियो स्टेशन केस भारत की आज़ादी के संघर्ष का अहम अध्याय है." अदालत में चले इस मामले को यही नाम दिया गया था.
नानिक मोटवाने को स्टेशन के लिए साज़ो-सामान और तकनीकी सहायता देने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. दिलचस्प बात ये है कि शिकागो रेडियो आज़ादी के आंदोलन के क़रीब होते हुए भी ब्रितानी पुलिस की निगरानी में नहीं था.
ब्रितानी पुलिस अधिकारी अक्सर अपने वायरलेस सिस्टम के लिए उपकरण ख़रीदने मोटवाने के यहां जाते थे और उनके हिसाब-किताब में भी कोई गड़बड़ नहीं होती थी.
मोटवाने ने पुलिस को बताया कि वो कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं. उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला और उन्हें रिहा कर दिया गया. किरण मोटवाने बताते हैं, "वो एक महीने तक जेल में रहे जहां उन्हें यातनाएं दी गईं थीं. ये सच है कि वो भूमिगत चल रहे रेडियो स्टेशन की मदद किया करते थे."
नानिक मोटवाने एक समर्पित राष्ट्रवादी होते हुए भी एक चतुर कारोबारी थी क्योंकि यही उनकी विरासत का पता था. वो पूरी शिद्दत से अख़बारों को पत्र लिखते और नेताओं की उन तस्वीरों की कॉपिया मांगते जो शिकागो माइक्रोफ़ोन में उनके बोलते हुए खींची गईं होती थीं. वो इन तस्वीरों और रैलियों से जुड़ी न्यूज़ की क्लिप को संजोकर रखा करते थे.
सिर्फ़ यही नहीं, वो नेताओं के भाषओं को स्पूल टेप पर रिकॉर्ड करते और फिर उनकी कॉपी पार्टी को उपलब्ध करवाते. उन्होंने एक फोटोग्राफर को नौकरी पर रखा जो उनके साथ रैलियों में जाता था और तस्वीरें और वीडियो बनाता था. उन्होंने महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और करिश्माई नेता सुभाष चंद्र बोस की रैलियों की बेशक़ीमती तस्वीरें और वीडियो फुटेज लीं.
अब इनमें से बहुत सी तस्वीरें और वीडियो मुंबई के पॉश इलाक़े में स्थित मोटवाने के निवास में इधर-उधर पड़ी हैं.
किरण मोटवाने कहते हैं, "वो बैठकों का विस्तृत रिकॉर्ड रखते थे. वो बहुत ही मेहनती थे."
मोटवाने के परिवार के मुताबिक क़रीब तीन दशकों तक उन्होंने कांग्रेस की बैठकों और रैलियों के लिए लाउडस्पीकर सिस्टम उपलब्ध करवाए. हर महीनों वो दर्जनों रैलियों में सिस्टम भेजते थे.
अपने चरम पर शिकागो रेडियो के देशभर में 200 कर्मचारी थे और ये फर्म दो शहरों में लाउडस्पीकर सिस्टम बनाती थी और उनकी सर्विस करती थी. आज़ादी के बाद ही मोटवाने ने व्यवसायिक रूप से लाउडस्पीकर की बिक्री शुरू की. उन्होंने आज़ादी के बाद 1960 के दशक तक पार्टी से लाउडस्पीकर सिस्टम का किराया नहीं लिया.
किरण मोटवाने कहते हैं, "फिर नेहरू हमें पैसा देने के लिए तैयार हो गए. वो हमारा ख़र्चा उठाते थे और हर बैठक के लिए 6 हज़ार रुपए दिया करते थे."
कई साल बाद 1963 में दिल्ली में खचाखच भरे मैदान में जब भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने शिकागो रेडियो के माइक से शहीदों को सलामी देते हुए 'ऐं मेरे वतन के लोगों' गाया तो लोगों की आंखों में आंसू आ गए.
भारत आने वाले वैश्विक विदेशी नेता जैसे निकिता क्रशचेव, लॉयनिड ब्रेजनेव, ड्वाइट आइसनहॉवर ने भी मोटवाने के लाउडस्पीकर से ही विशाल भीड़ को संबोधित किया.
1980 में जब इंदिरा गांधी ने चुनाव जीता था तब शिकागो रेडियो ने जनपथ पर 1.8 मील के रास्ते पर 120 लाउडस्पीकर लगाए थे.
ये ब्रांड एक शहरी किंवदंती बन गया. नेहरू के शिकागो रेडियो को बढ़ावा देते हुए नकली विज्ञापन भी आए.
1970 के दशक में शिकागो रेडियो को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से एक बेवजह के सख़्त संदेश के साथ पत्र मिला.
किरण मोटवाने याद करते हैं, "हमसे अपने ब्रांड का नाम बदलने के लिए कहा गया था. पत्र में पूछा गया था कि हम अपने ब्रांड के लिए विदेशी नाम क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं."
किरण कहते हैं, "हमें कोई अंदाज़ा नहीं था कि ये क्यों हुआ था. मेरे पिता ने प्रधानमंत्री कार्याल की मांग नहीं मानी और प्रधानमंत्री को जवाब लिख दिया. हम मोटवाने को एक तरफ़ रखते हैं और शिकागो रेडियो को एक तरफ़"
भारत की आज़ादी की आवाज़ को उठाने के लिए लांच होने के लगभग एक सदी बाद शिकागो रेडियो अभी भी है, हालांकि अब ये एक छोटी फर्म है जो एक परिपक्व बाज़ार में पब्लिक एड्रेस सिस्टम बेचती है.
किरण मोटवाने कहते हैं, "हम भी शोर मचा रहे हैं." ये अलग बात है कि अब ये कुछ म्यूट हो गया है. (bbc.com)
रायपुर, 15 अगस्त। पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर ने एक के बाद एक ट्वीट कर सीएम भूपेश बघेल से स्वाधीनता इतिहास को लेकर कुछ प्रश्न किए हैं। चंद्राकर ने कहा कि लाला लाजपत राय के अलावा कांग्रेस के और किस बड़े नेता ने बलिदान या वीर सावरकर स्तर का योगदान दिया है बताएं।
संसदीय सचिव द्वारिकाधीश यादव ने किया ध्वजारोहण
बस्तर, 15 अगस्त। जगदलपुर, बस्तर जिले में 75वां स्वतंत्रता दिवस समारोह गरिमापूर्वक मनाया गया। मुख्य कार्यक्रम जगदलपुर के लालबाग परेड मैदान में आयोजित किया गया, जहां मुख्य अतिथि आदिम जाति कल्याण, स्कूली शिक्षा तथा सहकारिता विभाग के संसदीय सचिव द्वारिकाधीश यादव ने ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। कार्यकम में स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जनता के नाम जारी संदेश का वाचन किया। इस दौरान कमिश्नर श्याम धावड़े, पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी., कलेक्टर चंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र मीणा उपस्थित थे।
स्वामी आत्मानंद स्कूल के एनसीसी प्लाटून को प्रथम पुरस्कार
स्वतंत्रता पर्व की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर परेड कमांडर उप पुलिस अधीक्षक सुश्री ललिता मेहर और परेड टू आईसी उप निरीक्षक गुनेश्वरी नरेटी के नेतृत्व में 11 प्लाटूनों ने बैंड की धुन पर आकर्षक मार्च पास्ट किया। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धरमपुरा के एनसीसी प्लाटून को प्रथम पुरस्कार, सीआरपीएफ की सेड़वा स्थित 241 बस्तरिया बटालियन की प्लाटून को दूसरा स्थान और छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के पांचवीं वाहिनी की प्लाटून को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले 106 अधिकारी कर्मचारी और स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में महापौर श्रीमती सफीरा साहू, सभापति श्रीमती कविता साहू, पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी, कुलपति एसके सिंह, मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद, सीमा सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोहित व्यास, वनमण्डालाधिकारी डीपी साहू, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक धम्मशील गणवीर सहित गणमान्य नागरिकगण और अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
रायपुर, 15 अगस्त। देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर जनसंपर्क संचालनालय में संचालक जनसम्पर्क सौमिल रंजन चौबे ने ध्वजारोहण किया। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। श्री चौबे ने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर अपर संचालक द्वय उमेश मिश्रा एवं संजीव तिवारी सहित सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
रायपुर, 15 अगस्त। कांकेर जिले के इरपनार पीवी 110 गांव में दीवाल गिरने से एक ही परिवार के 5 सदस्यों की दर्दनाक मौत की खबर आ रही है। बांदे थाना क्षेत्र की घटना है।
भिलाई नगर, 15 अगस्त। छावनी थाना अंतर्गत कल देर रात्रि मामूली विवाद पर आरोपी ने युवक के पेट में चाकू घोंप दिया, उसे गंभीर अवस्था में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायल युवक के दोस्त की रिपोर्ट पर पुलिस द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया गया है।
छावनी थाना पुलिस ने बताया कि अमित सिंह (25 वर्ष) निवासी हाउसिंग बोर्ड, ईडब्लयूएस 408, दस दुकान के पीछे रहता है और एजेंट का काम करता है। कल रात्रि उसका दोस्त सूरज सिंह, कविन्द्र यादव के साथ आशीष इंटरनेशनल होटल पावर हाउस से अपने घर जा रहा थे। तभी करीबन 11 बजे नंदनी रोड बाबू पान ठेला में वो दोनों सामान खरीदने रूके। उसी समय सूरज का हाथ दीपक नायक को भूलवश लगा तो दीपक नाराज होकर गाली गलौज करने लगा। बात बढी़ तो उसने तेजधार चाकू निकाल प्राण घातक हमला कर दिया। सूरज को तत्काल ईलाज कराने शासकीय अस्पताल सुपेला जाया गया जहां डक्टर द्वारा चोट गंभीर होने से उसे बीएम शाह अस्पताल रैपर किया गया। में अमित की रिपोर्ट पर से छावनी पुलिस ने आरोपी दीपक नायक के खिलाफ धारा 307 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया है।
भिलाई नगर, 15 अगस्त। रविवार की सुबह से लगातार हो रही बारिश के बाद दुर्ग के महमरा एनीकट से 8 फ़ीट ऊपर से पानी बह रहा है जबकि शिवनाथ नदी खतरे के निशान से 2 फीट ऊपर बह रही है। तीनों जलाशय मोगरा, सूखा नाला एवं घुमरिया से लगातार 70 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। तांदुला भी लगभग 95 फीसदी भराव की स्थिति में है और उसके छलकने की पूरी संभावना बनी हुई है।
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री सुरेश पांडेय ने बताया कि लगातार हो रही अच्छी वर्षा के कारण केचमेंट एरिया से लगातार शिवनाथ नदी में पानी आ रहा है, इसके साथ ही तीनों जलाशयों मोगरा, घुमरिया एवं सूखा नाला से भी 70 हजार क्यूसेक पानी शिवनाथ नदी में ही छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण शिवनाथ नदी का जल स्तर खतरे के निशान से 2 फ़ीट ऊपर बह रहा है। शिवनाथ में लगातार जलभराव के कारण महमरा एनीकट 8 फीट ऊपर से बह रहा है। देर शाम तक जल स्तर और भी अधिक बढ़ने की संभावना है। श्री पांडेय ने कहा कि शाम तक नदी का जलस्तर और भी बढ़ेगा, इसके अलावा महानदी से भी पानी शिवनाथ नदी में आ रहा है।
रायपुर, 15 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर मंडल के विभिन्न स्थानों पर स्थित कार्यालयों में पारंपरिक हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया । मुख्य कार्यक्रम रायपुर रेल मंडल कार्यालय के प्रांगण में आयोजित गया। डीआरएम श्याम सुंदर गुप्ता, विशिष्ट अतिथि अध्यक्षा सेक्रो राधा गुप्ता एवं राजेश शेखावत इरिसेन पुणे की उपस्थिति मे मनाया गया।
डीआरएम ने मंडल सुरक्षा आयुक्त, संजय कुमार गुप्ता की अगुवाई में परेड़ की सलामी ली । वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी उदय कुमार भारती भी मौजूद रहे। डीआरएम ने कहा है रायपुर रेल मंडल ने यात्री सुविधाओ, रेलवे ट्रैक मेंटेनेंस, खेलों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन, सुरक्षा-संरक्षा, उत्कृष्ट माल लदान, में अच्छा प्रदर्शन किया है केवटी से अंतागढ़ तक 17 किलोमीटर नई रेल लाइन पर रेल सेवा का शुभारंभ कर लिया है।डीआरएम गुप्ता, अध्यक्षा सेक्रो श्रीमती राधा गुप्ता ने राष्ट्रीय एकता को दर्शाते तिरंगे गुब्बारों और शांति के प्रतीक शवेत कबूतरों को नीले आकाश में छोड़ कर सभी को उत्साहित किया । स्काउट गाइड के सदस्यों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
आज इस कार्यक्रम के दौरान एडीआरएम (इन्फ्रास्ट्रक्चर)
आशीष मिश्रा, एडीआरएम (परिचालन) लोकेश विश्नोई, सहायक मंडल कार्मिक अधिकारी रूहिना तुफ़ैल खान सहित सेक्रो की पदाधिकारी, यूनियन के प्रतिनिधि, मीडिया के सदस्य, रेल कर्मियों उपस्थित रहे ।
रायपुर, 15 अगस्त। आज राष्ट्रीय पर्व 75 वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर महापौर एजाज ढेबर ने मुख्यालय भवन महात्मा गाँधी सदन के प्रांगण में सभापति प्रमोद दुबे, नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे, आयुक्त मयंक चतुर्वेदी, एमआईसी सदस्य सुन्दरलाल जोगी, आकाश तिवारी,पूर्व नेता प्रतिपक्ष सूर्यकान्त राठौड़, निगम जोन 2 जोन अध्यक्ष हरदीप सिंह होरा बंटी, अपर आयुक्त सर्वश्री अभिषेक अग्रवाल, सुनील चंद्रवंशी, अरविन्द शर्मा, मुख्य अभियन्ता आर. के. चौबे, सभी जोन कमिश्नर, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराया।
सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन कार्यपालन अभियन्ता हरेन्द्र कुमार साहू एवं आभार प्रदर्शन निगम संस्कृति विभाग के अध्यक्ष आकाश तिवारी ने किया.
रायपुर, 15 अगस्त। भाजपा प्रदेश कार्यालय कुशभाऊ ठाकरे परिसर मे अरुण साव ने झंडा फहराया। इस अवसर पर अजय जामवाल, निवृत्तमान अध्यक्ष विश्नुदेव साय , पवन साय, गौरी शंकर अग्रवाल, सुभाष राव, छगन मुंडरा, सच्चिदानन्द उपासने, संजय श्रीवास्तव, केदारनाथ गुप्ता, दीपक मह्स्के, सहित वरिष्ठ पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे ।
आगामी शिक्षा सत्र से 422 स्कूलों में लागू होगी स्वामी आत्मानंद योजना
रायपुर, 15 अगस्त। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को आजादी की 75वीं वर्षगांठ के पावन और गौरवशाली अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड मैदान में ध्वजारोहण करने के बाद प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जनता के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ से फिर एक नया सफर शुरू होगा, जो न्याय की हमारी विरासत के साथ आगे बढ़ेगा और ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का लक्ष्य पूरा करेगा।
मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि आजाद भारत के अमृत महोत्सव के मायने और मूल्यों को समझने के लिए हमें दो शताब्दियों की गुलामी को याद करना होगा। हमारे पुरखों ने अपनी जान दांव पर लगाकर, फिरंगी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। उनका त्याग और बलिदान देश की भावी पीढ़ियों का जीवन खुशहाल बनाने के लिए था। हमारा कर्त्तव्य है कि उनके सपनों को साकार करें और उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाएं।
अमर शहीदों को नमन
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि अमर शहीदों गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतिबाई लोधी जैसी हजारों विभूतियों की शहादत हमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की प्रेरणा देती रहेगी। स्वतंत्रता संग्राम और आजाद भारत को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल-बाल-पाल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसी विभूतियों ने राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व दिया था। वहीं वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, डॉ. ई.राघवेन्द्र राव, क्रांतिकुमार, बैरिस्टर छेदीलाल, लोचन प्रसाद पाण्डेय, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणीबाई परगनिहा, केकतीबाई बघेल, श्रीमती बेलाबाई, इंदरू केंवट, उदय राम वर्मा, खिलावन बघेल, घसिया मंडल जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रीय आंदोलन में छत्तीसगढ़ की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की थी, मैं इन सभी को सादर नमन करता हूं। देश की एकता और अखण्डता, संविधान व लोकतंत्र के प्रति आस्था को बचाए रखना एक चुनौती थी और इसके लिए भी हमारे देश की सेनाओं व सुरक्षा बलों के जवानों ने शहादत दी है। मैं उन अमर शहीदों को भी सादर नमन करता हूं।
प्रकृति-सम्मत विकास की राह पर आगे बढ़ा छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आखिरी वसीयतनामे का उल्लेख करते हुए कहा था-‘भारत ने राजनीतिक स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन उसे अभी शहरों और कस्बों से भिन्न अपने सात लाख गांवों के लिए सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना बाकी है’। आज देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं। कृषि व वन भूमि का कम होना, पर्यावरण असंतुलन, प्रदूषण, बीमारियों, महंगाई, बेरोजगारी आदि से लोगों का जीवन संकटमय हुआ है। हमने पुरखों की सीख और माटी की संस्कृति का सम्मान करते हुए कृषि तथा वन उत्पादों, परंपरागत ज्ञान, आधुनिक साधनों व रणनीतियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का रास्ता चुना। मुझे गर्व है कि हम आजादी की 75वीं सालगिरह के अवसर पर देश और दुनिया के सामने, बापू के सिद्धांतों और विचारों के अनुरूप कार्य करने में सफल हुए हैं। इसमें प्रकृति-सम्मत विकास, हर व्यक्ति को गरिमा, न्याय व बराबरी के अवसर देने वाली योजनाएं और कार्यक्रम शामिल हैं।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना: किसानों को 13 हजार करोड़ रूपए की इनपुट सब्सिडी
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने न्याय योजनाओं की जो पहल की थी, उसे निरंतर आगे बढ़ाने के लिए भी संकल्पबद्ध हैं। यही वजह है कि ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इससे लगभग 13 हजार करोड़ रुपए की राशि किसानों को दी जा चुकी है। इस तरह एक सीज़न में किसानों को प्रति एकड़ 9 हजार रुपए की आदान सहायता देने वाला देश का पहला राज्य हमारा छत्तीसगढ़ है। ‘गोधन न्याय योजना’ भी तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, इसके अंतर्गत अब-तक गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को 312 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। देश में रासायनिक खाद की कमी और मूल्य वृद्धि के परिदृश्य में हमारे गौठानों में निर्मित जैविक खाद, अब एक बेहतर विकल्प बन रही है। किसानों की सिंचाई कर माफी की पहल में भी विस्तार किया गया है और 17 लाख से अधिक किसानों के 342 करोड़ रुपए की राशि माफ की जा चुकी है। किसानों को 4 वर्ष पहले मात्र 3 हजार 692 करोड़ रुपए कृषि ऋण के रूप में प्राप्त हुआ था। हमने इस वर्ष लक्ष्य बढ़ाकर 6 हजार 500 करोड़ रुपए कर दिया है, जिससे लगभग 75 प्रतिशत अधिक राशि ब्याजमुक्त ऋण के रूप में कृषि क्षेत्र में आएगी। ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके तहत अब-तक पात्र हितग्राहियों को 213 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है।
प्रदेश में 35 हजार से अधिक कृषि पंपों का ऊर्जीकरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 जनवरी 2021 तक लंबित कृषि पंपों के ऊर्जीकरण की घोषणा के अनुरूप हमने 35 हजार 151 कृषि पंपों को ऊर्जित करते हुए एक नया कीर्तिमान बना लिया है। अब 20 हजार 550 नए पंप कनेक्शनों का कार्य 31 मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
छत्तीसगढ़ में खेती बनीं लाभ का जरिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने खेती को लाभ का जरिया बनाने का वादा भी निभाया है। लगातार बढ़ते हुए, इस वर्ष धान खरीदी 98 लाख मीटरिक टन के सर्वोच्च शिखर पर पहंुची है, जो 4 वर्ष पूर्व मात्र 57 लाख मीटरिक टन थी। धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी अब बढ़कर 21 लाख 77 हजार से अधिक हो गई है, जो पहले मात्र 12 लाख 6 हजार थी। इस तरह हमारे प्रयासों से धान बेचने वाले किसानों की संख्या 9 लाख 71 हजार बढ़ी है। प्रदेश में धान के अलावा अन्य अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के भी अनेक उपाय किए गए हैं, जिसके कारण अनाज उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ न सिर्फ स्वावलम्बी हुआ है बल्कि प्रदेश में कुल आवश्यकता का 270 प्रतिशत अधिक अनाज उत्पादन हुआ है। फसल विविधीकरण की गति बढ़ाने के लिए ‘टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन किया गया है। दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए हमने बहुत से कदम उठाए हैं। इस वर्ष से दलहन फसलों की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। खरीफ 2021 में धान के बदले 17 हजार 539 एकड़ क्षेत्र में दलहन, तिलहन एवं 240 एकड़ में वृक्षारोपण किया गया है। रबी 2021-22 में ग्रीष्मकालीन धान का रकबा 95 हजार हेक्टेयर कम करते हुए 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का एवं शेष रकबे में दलहन, तिलहन, साग-सब्जी की फसलें लगाई गई हैं। खरीफ 2022 में धान के 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को दलहन-तिलहन एवं अन्य उद्यानिकी फसलों से प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
लघु धान्य फसलों को प्रोत्साहन
प्रदेश में लघु धान्य फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ का गठन किया गया है। कोदो, कुटकी, रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर इनकी खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ है।
नरवा योजना: भू-जल स्तर में 30 प्रतिशत तक वृद्धि
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सुराजी गांव योजना’ से छत्तीसगढ़ को स्वावलंबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने, भू-जल संरक्षण व रिचार्जिंग को बढ़ाने और कृषि भूमि को जहरीले रसायनों से मुक्ति दिलाते हुए जैविक खेती में मदद मिल रही है। ‘नरवा योजना’ से विभिन्न नालों में 99 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे उपचारित क्षेत्र में भू-जल स्तर में 30 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है, वहीं नालों में पानी की उपलब्धता भी दो माह अधिक रहने लगी है। ‘गरुवा योजना’ में पहले हमने गौठानों के विकास पर जोर दिया। अब-तक 8 हजार 408 गौठानों को विकसित किया जा चुका है, जो ‘रोका-छेका अभियान’ के साथ आर्थिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र बने हैं। गोबर से बिजली बनाने के लिए ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर’ के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने हेतु एमओयू किया गया है। गोबर से ऑयल पेंट तथा अन्य उत्पाद बनाने की दिशा में भी बहुआयामी पहल की जा रही है।
गांधी जयंती से ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ की होगी शुरूआत
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों को आजीविका-केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु हम ‘ग्रामीण आजीविका पार्क’ अर्थात ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ प्रारम्भ करने जा रहे हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए आजीविका के माध्यम से अतिरिक्त आय के साधन बनाना है। गांधी जयंती अर्थात 2 अक्टूबर 2022 के अवसर पर इसका शुभारम्भ किया जाएगा और प्रथम वर्ष में 300 ऐसे पार्क स्थापित कर दिए जाएंगे। अब एक कदम और आगे बढ़ाते हुए हमने 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गौ-मूत्र खरीदी की योजना भी शुरू कर दी है, जो ‘रासायनिक पेस्टिसाइड्स’ के मुकाबले एक बेहतर विकल्प है। ‘बाड़ी योजना’ अंतर्गत प्रति गौठान एक से डेढ़ एकड़ तक भूमि चिन्हांकित की गई है और अभी तक 3 लाख से अधिक बाड़ियां विकसित की जा चुकी हैं। राज्य के बम्पर धान उत्पादन को किसानों की शक्ति बनाने के लिए हमने राज्य की जरूरतें पूरी होने के बाद, शेष धान से ‘बायो एथेनाल’ के उत्पादन की योजना बनाई है और 27 निवेशकों के साथ एमओयू भी किया है। विकासखण्डों में फूडपार्क बनाने की योजना के तहत अभी तक 112 स्थानों पर भूमि चिन्हांकित की जा चुकी है और इनमें से 52 विकासखण्डों में लगभग 621 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण उद्योग विभाग को किया गया है। परम्परागत कौशल के वैल्यू-एडीशन के लिए हमने ‘सी-मार्ट’ की स्थापना का वादा भी निभाया है। इससे बुनकरों, कारीगरों, शिल्पकारों तथा स्व-सहायता समूहों के स्थानीय उत्पादों की बिक्री हेतु उचित बाजार मिलेगा।
मनरेगा में 2,709 अमृत सरोवर निर्मित
श्री बघेल ने अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा कि ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ को हम ग्रामीण अंचलों में मजदूरी से जीवन-यापन करने वाले परिवारों की जीवन रेखा मानते हैं। मुझे खुशी है कि वर्ष 2021-22 में हमने ‘लेबर बजट’ के विरूद्ध मांग के आधार पर लक्ष्य से 108 प्रतिशत अधिक मानव दिवस रोजगार सृजित किए। मनरेगा से हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर निर्मित करने का लक्ष्य था, हमने उससे अधिक 2 हजार 709 अमृत सरोवर निर्मित किए। गौठानों के निकट मछली पालन के 1 हजार 859 तालाब स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 1 हजार 318 पूर्ण कर लिए गए हैं। मैंने मनरेगा को शहरी क्षेत्रों के लिए भी लागू करने का अनुरोध भारत सरकार से किया है।
सभी वर्गाें को न्याय
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। आदिवासियों को विभिन्न तरीकों से न्याय देने के उपाय किए गए हैं। अदालतों में लंबित विभिन्न प्रकार के 1 हजार 275 प्रकरण वापस होने से उनकी सम्मानजनक रिहाई तथा घर वापसी हुई है। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा करते हुए ऐसे मामलों में आदिवासियों तथा अन्य परंपरागत वन निवासियों को उनकी काबिज भूमि के अधिकार देने का वादा हमने निभाया है। ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण योजना’ का लाभ 3 हजार से अधिक हितग्राहियों को, ‘मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक निःशुल्क कार्ड योजना’ का लाभ 88 हजार से अधिक हितग्राहियों को मिला है। ‘मुख्यमंत्री सियान श्रमिक योजना’ के तहत निर्माण श्रमिकों को पात्रता अनुसार 10 हजार रुपए, श्रम कल्याण मंडल में पंजीकृत श्रमिक परिवारों के बच्चों को शैक्षणिक छात्रवृत्ति के रूप में 30 हजार रुपए तक राशि, ‘मेधावी शिक्षा पुरस्कार योजना’ के तहत 1 लाख रुपए तक की राशि, ‘खेलकूद प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत 1 लाख 50 हजार रुपए तक की राशि देने का प्रावधान किया गया है।
चिटफंड कम्पनियों के विरूद्ध कार्रवाई: निवेशकों को 18 करोड़ रुपए की राशि लौटाई गई
श्री बघेल ने कहा कि पूर्व में आम जनता के साथ ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के खिलाफ हमने ठोस कार्यवाही करते हुए उनके 622 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है। माननीय न्यायालयों द्वारा लगभग 56 करोड़ रुपए की सम्पत्ति की नीलामी के आदेश दिए जा चुके हैं, जिसमें से 32 करोड़ रुपए की राशि नीलामी से प्राप्त हुई है और 28 हजार से अधिक निवेशकों को लगभग 18 करोड़ रुपए लौटाए जा चुके हैं। नीलामी से प्राप्त शेष राशि भी निवेशकों को लौटाने का कार्य प्रगति पर है। ऐसी अन्य कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही भी जारी है।
वन निवासियों को व्यक्तिगत सामुदायिक और वन संसाधन अधिकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति तथा परंपरागत वन निवासियों को अभी तक 5 लाख 3 हजार 993 व्यक्तिगत, सामुदायिक तथा वन संसाधन अधिकार पत्र दिए जा चुके हैं, जिसके तहत 38 लाख 85 हजार 900 हेक्टेयर भूमि के अधिमान्यता पत्र वितरित किए गए हैं। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 2 हजार 500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए किया। पूर्व में सिर्फ 7 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी। हमने 65 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ की। विगत 3 वर्षों में देश में समर्थन मूल्य पर हुई कुल लघु वनोपज खरीदी का 75 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ में क्रय किया गया, जो एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है, इससे वनआश्रित परिवारों को करोड़ों रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु देवगुड़ी व घोटुल स्थलों का पुनरुद्धार किया जा रहा है। नक्सली गतिविधियों से बाधित और बंद हुई 260 शालाओं का संचालन पुनः प्रारंभ किया गया है। विशेष पिछड़ी जनजातियों के 9 हजार 623 युवाओं को सरकारी नौकरी देने की घोषणा भी मैंने की है, जिसे शीघ्र पूरा किया जाएगा।
पेसा अधिनियम: ग्राम सभाओं होंगी सशक्त
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने आदिवासियों के हित में बरसों से लंबित ‘पेसा अधिनियम’ के अंतर्गत नियम बनाने का काम पूरा कर इसे लागू कर दिया है, जिससे ग्राम सभाओं की शक्ति बढ़ेगी और उन्हें जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला लेने का अधिकार मिलेगा। मेरा मानना है कि हमारे पुरखों ने देश को आजाद कराने की जो अवधारणा विकसित की थी, वह बहुत व्यापक थी और उसमें सबसे प्रमुख तत्व न्याय दिलाना ही था। इसलिए हमने आर्थिक, सामाजिक क्षेत्रों के साथ ऐसे हर उपाय किए हैं, जिससे समाज के हर वर्ग को गरिमा के साथ जीने का अवसर मिले, उनके विकास के बंद रास्ते खुलें। जटिल नियम-प्रक्रियाओं के बंधन समाप्त हों। हर क्षेत्र में सुधार हों। जनता के संविधान सम्मत अधिकारों और सुविधाओं में निरंतर वृद्धि हो।
‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना’: स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी क्रांति
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमने सुधार के स्थायी उपाय किए, जिसके तहत पहले चरण में 14 हजार से अधिक शिक्षकों की स्थायी भर्ती का कार्य शुरू किया गया, जो अब अंतिम चरणों में है। इसके अतिरिक्त 10 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना’ से स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी क्रांति आयी है। विगत वर्ष हमने 51 स्कूलों से यह योजना प्रारंभ की थी, जो अब बढ़कर 279 स्कूलों तक पहुंच चुकी है। इनमें से 32 स्कूल हिन्दी माध्यम के हैं तथा 247 स्कूलों में हिन्दी के साथ अंग्रेज़ी माध्यम में भी शिक्षा दी जा रही है। इस वर्ष 2 लाख 52 हजार 600 बच्चों ने इन स्कूलों में प्रवेश लिया है, जिसमें 1 लाख 3 हजार बच्चे अंग्रेज़ी माध्यम तथा 1 लाख 49 हजार 600 बच्चे हिन्दी माध्यम के हैं। इस योजना की सफलता को देखते हुए हमने निर्णय लिया है कि अधिक से अधिक स्कूलों को इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। आगामी शिक्षा सत्र के पूर्व 422 स्कूलों में यह योजना लागू होगी, जिनमें से 252 स्कूल बस्तर एवं सरगुजा संभाग में होंगे और इनमें दंतेवाड़ा जिले के शत-प्रतिशत शासकीय हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल होंगे। अपना वादा निभाते हुए हमने नवा रायपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बोर्डिंग स्कूल स्थापित करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी है।
बच्चों को मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए हमने हिन्दी के अलावा 16 स्थानीय भाषाओं में तथा 4 पड़ोसी राज्यों की भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराई हैं। ‘निःशुल्क पाठ्य पुस्तक योजना’ के तहत कक्षा पहली से कक्षा दसवीं तक सभी शासकीय-अशासकीय शालाओं तथा कक्षा आठवीं तक मदरसों के बच्चों को लगभग 52 लाख पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जा रही हैं। नवमीं कक्षा में पढ़ने वाली 1 लाख 55 हजार छात्राओं को इस वर्ष निःशुल्क सायकल देने का लक्ष्य रखा गया है।
शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बेरोजगारी दर लगातार देश में न्यूनतम स्तर पर बनी हुई है, जो हमारी युवा कल्याण और रोजगारपरक योजनाओं की सफलता का प्रमाण है। ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनॉमी’ द्वारा जारी नए आंकड़ों के अनुसार जुलाई में राज्य की बेरोजगारी दर मात्र 0.8 प्रतिशत रही, जबकि देश की औसत बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई है। हमने स्कूली शिक्षा को रोजगारमूलक बनाने के लिए उसका आईटीआई के साथ समन्वय किया गया है, ताकि स्कूली शिक्षा और आईटीआई प्रशिक्षित होने का प्रमाण-पत्र एक साथ प्राप्त हो सके। इस योजना के तहत 114 हायर सेकेण्डरी स्कूलों को जोड़ा जा चुका है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 1 हजार 459 सहायक प्राध्यापकों, क्रीड़ा अधिकारियों और ग्रंथपालों की नियुक्ति की गई है। अतिथि व्याख्याताओं का मानदेय बढ़ाया गया है। सभी जिलों में कन्या महाविद्यालय खोलने के क्रम में मुंगेली में नया कन्या महाविद्यालय प्रारंभ कर दिया गया है। दुर्गम वन अंचलों में पीपीपी मॉडल पर महाविद्यालय खोलने, उत्कृष्ट शासकीय महाविद्यालयों में मुक्त दूरवर्ती शिक्षा केन्द्र की स्थापना, स्नातक स्तर पर 4 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम, बस्तर विश्वविद्यालय में आदिवासी लोक नृत्य एवं संगीत पर सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने की पहल जैसे उपायों से उच्च शिक्षा का दायरा बढ़ाया जा रहा है, जिससे युवाओं को पढ़ाई पूरी करने के साथ बेहतर रोजगार के अवसर मिलेंगे।
राजीव युवा मितान क्लब: युवाओं की ऊर्जा को मिली रचनात्मक दिशा
हमने युवाओं को सकारात्मक और रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए 6 हजार 518 से अधिक ‘राजीव युवा मितान क्लब’ प्रारम्भ कर दिए हैं, जिसका विस्तार सभी पंचायतों तथा नगरीय-निकायों में किया जाएगा।
कर्मचारी हितैषी निर्णय: पुरानी पेंशन योजना बहाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि 26 जनवरी 2022 को शासकीय कार्यालयों में पांच कार्य दिवस प्रति सप्ताह प्रणाली लागू करने की घोषणा की थी, जिसे तत्काल पूरा किया गया, जिससे हमारे कर्मचारी साथी अधिक ऊर्जा और उत्साह के साथ कार्य करने में सक्षम हुए हैं। इसी प्रकार हमने राज्य के शासकीय कर्मचारियों एवं उनके परिवारजनों के भविष्य की चिंता करते हुए, उनकी लंबित मांग पूरी की और 1 नवम्बर, 2004 अथवा उसके पश्चात नियुक्त शासकीय कर्मचारियों के लिये नवीन अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है।
सबके स्वास्थ्य का रखा ध्यान
हमने स्वास्थ्य सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’, ‘निःशुल्क डायलिसिस कार्यक्रम’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लीनिक योजना’, ‘दीर्घायु वार्ड योजना’ के अंतर्गत 83 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य-लाभ मिला है। प्रदेश को मलेरियामुक्त बनाने के विशेष अभियान से 6 चरणों में मलेरिया की दर 4.6 प्रतिशत से घटकर 0.21 प्रतिशत हो गई है। उच्च गुणवत्ता की जेनेरिक दवाएं तथा सर्जिकल सामान 51 से 72 प्रतिशत तक छूट पर देने के लिए हमने ‘श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना’ के अंतर्गत नगरीय क्षेत्रों में 184 दुकानें प्रारंभ कर दी हैं। जेनेरिक दवाओं के विक्रय से अब तक 19 लाख लोगों को 35 करोड़ रुपए की बचत हुई है। रियायती दर पर पैथोलॉजी जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में 10 जिलों व 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ‘हमर लैब’ प्रारंभ किए गए हैं। विगत वर्ष प्रदेश में ‘हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर’ स्थापित करने के लिए निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध हमने 116 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की और 4 हजार 512 ऐसे सेंटर स्थापित किए, जिसके कारण छत्तीसगढ़ को देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ में छत्तीसगढ़ को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
नये चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए बजट प्रावधान
जगदलपुर तथा बिलासपुर में मल्टी सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय, बिलासपुर में राज्य कैंसर संस्थान, कोरबा-कांकेर तथा महासमुंद में नए चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना हेतु राज्य शासन द्वारा समुचित बजट प्रावधान किया गया है। नवा रायपुर में भी अत्याधुनिक मल्टी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की स्थापना हेतु 25 एकड़ जमीन चिन्हांकित कर दी गई है।
4.44 करोड़ से अधिक लोगों का कोरोना टीकाकरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में कोरोना से बचाव के लिए टीके लगाने का काम हम काफी तेजी से कर रहे हैं। अभी तक कुल 4 करोड़ 44 लाख 75 हजार टीके लगाए जा चुके हैं। मैं चाहंूगा कि आप सभी लोग कोरोना से बचाव के लिए पात्रतानुसार टीका लगवाएं। वर्तमान में जो निःशुल्क ‘बूस्टर डोज’ की सुविधा उपलब्ध है, उसका लाभ भी बड़ी संख्या में उठाएं।
2.60 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा
हमने प्रदेश में सार्वभौम पीडीएस व्यवस्था लागू करने का वादा निभाया है। इस योजना के हितग्राहियों की संख्या 2 करोड़ 60 लाख हो गई है, जो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 100 प्रतिशत कवरेज है। आयरन फॉलिक एसिड युक्त, फोर्टिफाइड चावल का वितरण 10 आकांक्षी जिलों के साथ कबीरधाम एवं रायगढ़ जिलों में भी ‘मध्याह्न भोजन’ व ‘पूरक पोषण आहार योजना’ के तहत किया जा रहा है। वर्ष 2024 तक पीडीएस के अंतर्गत सभी जिलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण प्रारंभ किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुपोषण योजना: 2.11 लाख बच्चे कुपोषण से हुए मुक्त
छत्तीसगढ़ में महिलाओं की सुरक्षा, पोषण और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश के 51 हजार 664 आंगनवाड़ी केन्द्रों में 26 लाख महिलाओं तथा बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। ‘मुख्यमंत्री सुपोषण योजना’ से कुपोषित बच्चों की संख्या में 48 प्रतिशत की कमी आई है। योजना अवधि में अब तक 2 लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। ‘नोनी सुरक्षा योजना’ के अंतर्गत 43 हजार से अधिक बेटियों को लाभान्वित किया गया है। आंगनवाड़ी और प्राथमिक शाला के समन्वय से 5 हजार से अधिक आंगनवाड़ी को बालवाड़ी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
राज्य स्वच्छ सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ लगातार तीन वर्षाें से प्रथम स्थान पर
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘स्वच्छता अभियान’ में छत्तीसगढ़ की भागीदारी और सफलता की मिसाल है कि हमारे ‘ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल’ को विगत 3 वर्षों से लगातार राष्ट्रीय स्तर पर ‘राज्य स्वच्छ सर्वेक्षण’ में प्रथम स्थान मिल रहा है। शहरी सुविधाओं में सुधार की दिशा में हमने शहरी क्षेत्रों में 5 हजार वर्गफुट भू-खण्ड के आवासों में ‘ट्रस्ट दैन वेरिफाई’ के सिद्धांत पर सीधे हितग्राही को भवन अनुज्ञा प्रदान करने का कार्य प्रारंभ किया है।
जन्माष्टमी से शुरू होगी ‘कृष्ण कुंज योजना‘
नागरिकों को मानचित्र ऑनलाइन कम्प्यूटर से जांच उपरांत एक क्लिक एवं एक रुपए के आवेदन शुल्क की अदायगी पर पूरे वैधानिक प्रावधानों के साथ जारी किए जा रहे हैं। शहरों के पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाए रखने के लिए हमने इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर ‘कृष्ण कुंज योजना’ शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत सभी 170 नगरीय-निकायों में 226 एकड़ क्षेत्र में सांस्कृतिक महत्व के पौधों का रोपण किया जाएगा।
झुग्गीवासियों के लिए 1 लाख से अधिक आवासों का निर्माण
आम जनता को घर पहुंच नागरिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई, ‘मुख्यमंत्री मितान योजना’ का लाभ 14 नगर निगमों में 5 हजार से अधिक लोगों को मिल चुका है। ‘मोर जमीन-मोर मकान’ एवं ‘मोर मकान-मोर चिन्हारी’ योजनाओं के जरिए हमने झुग्गीवासियांे के लिए 1 लाख से अधिक आवासों का निर्माण पूर्ण कर लिया है। अब शहरी किराएदारों को भी मकान उपलब्ध कराने की दिशा में कार्यवाही की जा रही है।
रियल इस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन
हमने छोटे भू-खंडों की खरीदी-बिक्री से रोक हटाने का जो फैसला किया था, उसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं, इससे लगभग 3 लाख 55 हजार छोटे भू-खंडों के पंजीयन हुए हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक गतिविधियां शुरू र्हुइं और अनेक लंबित कार्य संभव होने से परिवारों में खुशियां आई हैं। हमने जमीनों की गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की कमी, महिलाओं के पक्ष में रियायत, आवासीय भवनों के पंजीयन में रियायत, पंजीयन हेतु ‘ऑनलाइन अपॉइंटमेंट’ जैसे अनेक सुधार किए, जिससे कोरोना के बावजूद प्रदेश में स्थायी सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय बढ़ा और लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्ति हुई। इससे हमारी सरकार की सुधारों के प्रति व्यावहारिक दृष्टि और उसे जन-समर्थन मिलने की पुष्टि भी होती है। जनहित के लिए सुधारों के सिलसिले में अनधिकृत विकास के नियमितीकरण हेतु नया कानून, आवासीय कालोनियों के विकास हेतु एकल खिड़की प्रणाली-सीजी आवास, प्रमुख शहरों के जर्जर भवनों के पुनर्विकास हेतु योजना, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की विशेष भाड़ा योजना में विधवा, शासकीय कर्मचारी, निगम-मंडल के कर्मचारी, शासकीय व अर्द्धशासकीय विभागों के संविदा कर्मचारी, सैनिक व भूतपूर्व सैनिक तथा स्वास्थ्यकर्मी को कुल देय ब्याज की राशि में 10 प्रतिशत की छूट का लाभ भी मिलेगा।
राज्य में 21 हजार 494 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश
प्रदेश में उद्योग-व्यापार तथा कारोबार में वृद्धि को कानून- व्यवस्था की बेहतर स्थिति तथा राज्य सरकार की सकारात्मक नीतियों का परिणाम माना जाता है। विगत साढ़े तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में 2 हजार 230 नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं, जिनमें 21 हजार 494 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है और लगभग 41 हजार लोगों को रोजगार मिला है। खाद्य प्रसंस्करण की 502 इकाइयों में 970 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है। भारत सरकार द्वारा जारी स्टार्टअप रैंकिंग में छत्तीसगढ़ को स्टार्टअप ईको-सिस्टम के विकास तथा 748 स्टार्टअप इकाइयों के पंजीयन हेतु एस्पायरिंग लीडर का सम्मान मिला। इसके अतिरिक्त विगत साढ़े तीन वर्षों में नए उद्योगों की स्थापना हेतु 177 एमओयू किए गए हैं, जिनके माध्यम से लगभग 90 हजार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश तथा 1 लाख 10 हजार लोगों को रोजगार देना प्रस्तावित है। इनमें से 11 इकाइयों में 1 हजार 513 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है। मुझे विश्वास है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल एवं लीथियम आयन बैटरीज, जूट बैग निर्माण प्रोजेक्ट जैसे नए क्षेत्रों को विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज देने का भी लाभ जल्दी मिलेगा।
फिल्म सेल का गठन
हमने छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फिल्म सेल का गठन किया है। ‘सिंगल विंडो पैनल सॉफ्टवेयर’ विकसित किया है, जिसमें निर्माता-निर्देशक को समस्त विभागों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान करने हेतु जिला कलेक्टर को अधिकृत किया गया है।
98 लाख लोगों को मिला ऑनलाइन नागरिक सेवाओं का लाभ
मेरा मानना है कि शासन-प्रशासन की सुविधाएं आम जनता को व्यापक पारदर्शिता के साथ मिले तो यह भी न्याय है। हमने सूचना प्रौद्योगिकी आधारित नवाचारों से ऑनलाइन नागरिक सेवाओं पर जोर दिया, जिसके कारण प्रदेश में ऑनलाइन नागरिक सेवाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 300 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है और 98 लाख से अधिक लोगों ने ऑनलाइन शासकीय सेवाओं का लाभ लिया है।
परिवहन सेवाएं हुई ऑनलाइन
परिवहन से संबंधित सेवाओं का वास्ता अधिकांश लोगों से होता है। हमने लर्निंग लाइसेंस, यात्री वाहनों के पर्यटन आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन की है। वाहनों के पंजीयन एवं चालक लाइसेंस ‘क्यू आर कोड’ आधारित स्मार्ट कार्ड पर जारी किए जा रहे हैं। परिवहन कार्यालय आने-जाने से बचत हेतु ‘परिवहन सुविधा केन्द्र’ खोले जा रहे हैं। ‘तुंहर सरकार-तुंहर दुआर’ की संकल्पना को साकार करने हेतु आरसी बुक तथा लाइसंेस की घर पहुंच सेवा स्पीड पोस्ट के माध्यम से की गई, जिसके तहत अभी तक 11 लाख 41 हजार से अधिक दस्तावेज आवेदकों के घर भेजे जा चुके हैं।
बेहतर प्रबंधन से बढ़ा सिंचाई का रकबा
अधोसंरचना विकास के लिए हमने परिणाममूलक नजरिया अपनाया, जिसके कारण सिंचाई क्षेत्र में बेहतर प्रबंधन से वास्तविक सिंचाई का रकबा 10 लाख 90 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 13 लाख 58 हजार हेक्टेयर हो गया।
जल जीवन मिशन: 13.08 लाख नल कनेक्शन
जल-जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य के 56 लाख ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन देने के लिए सितम्बर 2023 की समय-सीमा तय की गई है और 13 लाख 8 हजार नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
24 हजार करोड़ रूपए लागत से हो रहा सड़क-पुल-पुलियों का निर्माण
प्रदेश में 24 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से सड़क-पुल-पुलियों का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य की विशेष जरूरतों के अनुरूप ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ में 495 करोड़ रुपए की लागत से 735 किलोमीटर सड़कें, एडीबी लोन के माध्यम से 3 हजार 535 करोड़ रुपए की लागत से 869 किलोमीटर सड़कंे, आदिवासी बहुल एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 1 हजार 637 करोड़ रुपए की लागत से 2 हजार 478 किलोमीटर सड़कें, छत्तीसगढ़ सड़क अधोसंरचना विकास निगम द्वारा 5 हजार 503 करोड़ रुपए की लागत से 3 हजार 169 किलोमीटर सड़कें तथा ‘जवाहर सेतु योजना’ के माध्यम से 620 करोड़ रुपए की लागत से 94 पुलों का निर्माण कराया जा रहा है।
हाफ बिजली बिल योजना: 41 लाख उपभोक्ताओं को 2500 करोड़ रूपए की बचत
मैंने कहा था कि प्रदेश में बिजली का उपभोग बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होगी ताकि बिजली हमारे प्रदेश में रोजगार, उद्यमिता और जीवन स्तर उन्नयन का माध्यम बने। हमने ‘हाफ बिजली बिल योजना’ का वादा निभाया, जो अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके अंतर्गत 41 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 2 हजार 500 करोड़ रुपए की बचत हो चुकी है। आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने वर्ष 2018-19 की सर्वाधिक मांग 4 हजार 640 के मुकाबले 5 हजार 300 मेगावाट का उच्चतम स्तर छुआ है। कुशल प्रबंधन से विद्यमान बिजली घरों में उच्चतम उत्पादन हुआ और पारेषण तथा वितरण की बेहतर व्यवस्था करने में भी सफल हुए। अब छत्तीसगढ़ एक सशक्त विद्युत प्रणाली वाला राज्य बन गया है, जिससे और भी अधिक सुदृढ़ करने के लिए हमने वर्ष 2025 तक की कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ किया है।
छत्तीसगढ़ की माटी का बढ़ा मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की तासीर पर हम सबको गर्व होने के अनेक कारण हैं। एक ओर स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देश की एकता और अखण्डता की रक्षा के दौरान छत्तीसगढ़ महतारी के वीर सपूतों और सुपुत्रियों के पराक्रम के साथ ही उनकी सत्याग्रह के प्रति अटूट आस्था के दर्शन होते हैं तो वहीं दूसरी ओर वह विशाल आदिवासी अंचल भी है, जिसने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया था। भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि का प्रताप भी हमारी धरती में समाया है, इसलिए हम राम वनगमन पर्यटन परिपथ का विकास कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र जारी कर उसे समस्त सरकारी कार्यालयों में लगाने के निर्देश दिए गए हैं। अपनी माटी का मान बढ़ाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन ‘माटी पूजन अभियान’ की शुरूआत तथा श्रम दिवस के दिन ‘बोरे बासी’ का सम्मान लौटाने की शुरूआत की गई। हरेली, तीजा-पोरा, भक्तमाता कर्मा जयंती, छेर-छेरा पुन्नी, विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा आदि को लोक पर्व के रूप में स्थापित कर, हमने छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान को नई ऊंचाई दी है। अब राज्य स्तरीय सम्मानों की सूची में ‘देवदास बंजारे स्मृति पंथी नृत्य पुरस्कार’ और ‘लाला जगदलपुरी साहित्य पुरस्कार’ को भी शामिल किया गया है।
’बस्तर फाइटर्स’ विशेष बल में 2 हजार 800 पदों पर भर्ती
हमें विरासत में जो नक्सलवाद की समस्या मिली थी, उसकी रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत है। इस जीत में ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ की बड़ी भूमिका है। हमने विगत साढ़े तीन वर्षों में सकारात्मक कदम उठाकर पुलिस और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया है। वर्ष 2018 में राज्य में पुलिस बल की संख्या 75 हजार 125 थी, जो अब बढ़कर 80 हजार 128 हो गई है। ’बस्तर फाइटर्स’ विशेष बल में 2 हजार 800 पदों पर स्थानीय युवाओं की भर्ती की जा रही है, जो सुरक्षा बलों को नई शक्ति प्रदान करेंगे। हमारे प्रशासन व आपदा-मोचन बल की कुशलता और सक्षमता का प्रमाण जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पिहरीद में खुले बोरवेल में गिरे एक बच्चे के बचाव और बाढ़ में फंसे 68 लोगों को सुरक्षित बचाने के दौरान भी दिखा।
जनप्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की क्षमता वृद्धि से जन-अपेक्षाओं की पूर्ति व विकास कार्यों का सीधा रिश्ता होता है। इसलिए हमने त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं, नगरीय निकायों के पदाधिकारियों के मानदेय एवं वित्तीय अधिकारों में वृद्धि की है, साथ ही विधानसभा सदस्यों का वेतन भी बढ़ाया है। मैं चाहूंगा कि समस्त जनप्रतिनिधि अधिक सक्रियता के साथ जनसमस्याओं के निवारण और प्रदेश की प्रगति में अपनी भागीदारी निभाएं। आपसी विश्वास, समन्वय, सद्भाव, एकता और समझदारी की बदौलत हम भावी चुनौतियों का मुकाबला भी पूरी क्षमता से करेंगे।
9 अगस्त, 1947 को नोआखाली जाते हुए महात्मा गांधी कलकत्ता में रुके थे. कलकत्ता में उन दिनों सांप्रदायिक दंगों के कारण मुसलमानों के मन में डर समाया हुआ था.
उन्होंने गांधी से अनुरोध किया कि नोआखाली जाने से पहले वो कुछ समय कलकत्ता में बिताएं ताकि शहर को जला रही सांप्रदायिकता की भयानक आग में थोड़ा पानी छिड़का जा सके.
जैसे ही उन दिनों दिल्ली की यात्रा पर गए शहीद सुहरावर्दी ने सुना कि गाँधीजी कलकत्ता में हैं, उन्होंने अपनी यात्रा बीच में रोक कर कलकत्ता लौटने का फ़ैसला किया.
आज़ादी से चार दिन पहले बीबीसी ने ब्रिटिश साम्राज्य के सबसे बड़े दुश्मन से एक संदेश देने का अनुरोध किया. गांधीजी के सचिव रहे प्यारे लाल अपनी किताब 'महात्मा गांधी द लास्ट फ़ेज़' में लिखते हैं, 'जीत के साथ साथ वो समय दुख का भी था और गांधी ने महसूस किया कि उन्हें कुछ भी नहीं कहना हैं.
बीबीसी ने ज़ोर दिया कि उनका संदेश कई भाषाओं में अनुवादित करके प्रसारित किया जाएगा. लेकिन निर्मल कुमार बोस के ज़रिए महात्मा गांधी ने बीबीसी को सख़्त भाषा में संदेश भिजवाया. उन्होंने बोस से कहा, "मुझे इस प्रलोभन में नहीं आना चाहिए. उनसे कह दो कि वो भूल जाएं कि मुझे अंग्रेज़ी आती है."
सुहरावर्दी ने गांधी से कलकत्ता में रुकने के लिए कहा
उसी शाम जब शहीद सुहरावर्दी ने कहा कि कलकत्ता को कुछ समय के लिए गांधी की ज़रूरत है तो गांधी ने उन्हें जवाब दिया, "ठीक है मैं नोआखाली की यात्रा स्थगित कर देता हूँ, बशर्ते आप मेरे साथ रहना स्वीकार करें. हमें तब तक काम करना होगा जब तक कलकत्ता में हर हिंदू और मुसलमान उस जगह पर नहीं लौट जाता जहाँ वो पहले रह रहा था. हम अपनी आख़िरी साँस तक अपनी कोशिश जारी रखेंगे. मैं नहीं चाहता कि आप इसपर तुरंत फ़ैसला लें. आप अपने घर जाएं और अपनी बेटी से सलाह करें. पुराने सुहरावर्दी को मर कर एक फ़कीर का रूप धारण करना होगा."
सुहरावर्दी ने गांधी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. 12 अगस्त को हुई प्रार्थना सभा में गांधी ने कहा कि उन्हें कुछ हिंदुओं ने आगाह किया है कि सुहरावर्दी पर विश्वास न करें.
लेकिन वो सोहरावर्दी पर विश्वास करेंगे और बदले में ये भी चाहेंगे कि उन पर भी विश्वास किया जाए. गांधी ने कहा, "हम दोनों एक ही छत के नीचे रहेंगे और एक दूसरे से कुछ भी नहीं छिपाएंगे. लोगों को हर परिस्थिति में सच कहने का साहस होना चाहिए."
13 अगस्त की सुबह गांधी ने सोदपुर आश्रम और सुहरावर्दी ने अपना घर छोड़ दिया और बेलियाघाट के एक टूटे फूटे छोड़ दिए गए मुस्लिम घर हैदरी मंज़िल में पहुंच गए.
तुषार गांधी अपनी किताब 'लेट्स किल गांधी' में लिखते हैं, 'ठीक 2 बज कर 28 मिनट पर गांधी ने अपना कमरा छोड़ा. 2 बजकर 30 मिनट पर वो कार में ड्राइवर के बग़ल में बैठ कर हैदरी मंज़िल की तरफ़ चल पड़े. हैदरी मंज़िल कलकत्ता के एक गंदे इलाके बेलियाघाट में एक मुसलमान का घर था. 12 घंटों में उस घर की सफ़ाई कर उसे रहने लायक बनाया गया था. ये घर चारों तरफ़ से खुला हुआ था. गांधी और उनके साथियों के लिए तीन कमरे साफ़ किए गए थे. एक कमरे में गांधी के रहने का इंतज़ाम किया गया गया था. दूसरे कमरे में उनके साथियों और सामान को रख गया था. तीसरे कमरे में गांधी का दफ़्तर बनाया गया था.'
जैसे ही गांधी और सोहरावर्दी की कारें वहाँ पहुंची नाराज़ भीड़ ने उनका स्वागत किया. प्यारे लाल लिखते हैं, "अभी भीड़ प्रदर्शन कर ही रही थी कि वहाँ एक अंग्रेज़ होरेस एलेक्ज़ेंडर पहुंच गए. भीड़ ने उन्हें रोकने की कोशिश की. जब उनके साथ एक भारतीय ने भीड़ को समझाने की कोशिश की तो भीड़ ने 'गाँधी वापस जाओ' के नारे लगाने शुरू कर दिए. कुछ युवा लोगों ने खिड़की पर चढ़ कर उस कमरे में घुसने की कोशिश की जिसमें गांधी रुके हुए थे. जैसे ही होरेस ने खिड़कियों को बंद करने की कोशिश की उन पर पत्थरों की बरसात शुरू हो गई और खिड़कियों के शीशे टूट कर हर दिशा में उड़ने लगे."
गाँधी पर मुस्लिम समर्थक होने का आरोप
वहाँ मौजूद हिंदुओं ने गांधी पर मुस्लिम समर्थक होने का आरोप लगाते हुए उनसे बेलियाघाट छोड़ देने के लिए कहा.
प्यारे लाल लिखते हैं, "गांधी ने इन लोगों के साथ दो बार मुलाकात की. इन लोगों ने गाँधी से शिकायत की कि वो पिछले साल 16 अगस्त को कहाँ थे जब उनके ख़िलाफ़ 'डायरेक्ट एक्शन' की शुरुआत हुई थी ? अब मुसलमानों के इलाके में थोड़ा परेशानी आई तो आप उन्हें बचाने दौड़ते हुए चले आए."
गांधी ने जवाब दिया, "अगस्त 1946 से लेकर अब तक हुगली का बहुत पानी बह गया है. उस समय मुसलमानों ने जो कुछ किया वो ग़लत था लेकिन 1946 का बदला 1947 में लेने का क्या फ़ायदा है ? अगर बेलियाघाट के हिंदू अपमे मुस्लिम पड़ोसियों को वापस आने का न्योता दें तो वो मुस्लिम बहुल इलाके में जा कर उनसे भी हिंदुओं को वापस बुलाने का अनुरोध करेंगे. गांधी की इस मुद्रा से हिंदुओं की नाराज़गी तुरंत दूर हो गई."
गांधी ने कहा मैं अपनेआप को आपके संरक्षण में दे रहा हूँ. आपको छूट है कि आप मेरे ख़िलाफ़ हो सकते हैं. मैं अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया हूँ. मैंने नोआखाली के मुसलमानों से भी इसी अंदाज़ में बात की है. आप क्यों नहीं देख पा रहे कि इस कदम से मैंने नोआखाली में हिंदुओं की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एक तरह से शहीद सुहरावर्दी और उनके साथियों पर छोड़ दी है ?
लेकिन जब दिल्ली में सरदार पटेल ने सुना कि गांधीजी हैदरी मंजिल में रहने चले गए हैं तो उन्होंने गांधी को पत्र लिखकर अपनी चिंता का इज़हार किया.
उन्होंने लिखा, 'तो आपको कलकत्ता में रोक लिया गया है वो भी एक ऐसे घर में जो खंडहर बन चुका है और जो गुंडों और बदमाशों का अड्डा है. क्या आपका स्वास्थ्य ये तनाव झेल पाएगा ? मुझे पूरा अंदाज़ा है कि वो बहुत गंदी जगह होगी. मुझे अपने बारे में बताते रहिएगा.'
उस शाम हैदरी मंज़िल के अहाते में हुई प्रार्थना सभा में करीब दस हज़ार से अधिक लोग मौजूद थे. गांधी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'कल 15 अगस्त को हम ब्रिटिश शासन से मुक्त हो जाएंगे. लेकिन आज आधी रात को भारत दो देशो में विभाजित हो जाएगा. कल का दिन ख़ुशी के दिन के साथ साथ दुख का भी दिन होगा. अगर कलकत्ता में बीस लाख हिंदू और मुस्लिम एक दूसरी की जान के प्यासे हो रहे हैं तो मैं किस मुँह से नोआखाली जाकर मुसलमानों के सामने हिंदुओं का केस रखूँगा?
प्रार्थना के बाद गांधी अपने कमरे में आ गए. थोड़ी देर बाद वो सड़क की तरफ़ खुलने वाली खिड़की के सामने पहुंच गए. नीचे खड़ी भीड़ सुहरावर्दी के ख़िलाफ़ नारे लगा रही थी.
तुषार गाँधी लिखते हैं- गांधी ने सुहरावर्दी को अपने बग़ल में आने के लिए कहा. उन्होंने अपना एक हाथ सुहरावर्दी और दूसरा हाथ मनु के कंधे पर रखा. भीड़ में से किसी ने चिल्ला कर सुहरावर्दी से पूछा क्या आप एक साल पहले कलकत्ता में हुई हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार नहीं थे ? सुहरावर्दी ने उन हत्याओं में अपनी भूमिका स्वीकार करते हुए कहा, 'हाँ मैं उसके लिए ज़िम्मेदार था.' भीड़ का इसपर सकारात्मक असर हुआ.
14 अगस्त की रात जब भारत आज़ाद हो रहा था और नेहरू संसद के केंद्रीय हॉल में अपना भाषण दे रहे थे, तीन दशकों से भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाला सबसे बड़ा नेता हैदरी मंज़िल के एक अंधेरे कमरे में फ़र्श पर गहरी नींद में सोया हुआ था.
माउंटबेटन और नेहरू दोनों ने गांधी से आज़ादी के दिन दिल्ली में रहने का अनुरोध किया था लेकिन गांधी ने ये कहते हुए उस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था कि कलकत्ता में उनकी ज़्यादा ज़रूरत है. 15 अगस्त, 1947 भारत के करोड़ों लोगों के लिए एक ऐतिहासिक दिन था लेकिन गांधीजी के लिए भी दूसरे कारण से वो दिन बहुत ख़ास था.
इस दिन उनके निकटतम सहयोगी रहे महादेव देसाई की पाँचवीं पुण्यतिथि थी. प्रमोद कपूर अपनी किताब 'गांधी ऐन इलस्ट्रेटेड बायोग्राफ़ी' में लिखते हैं, 'उस दिन गांधी हैदरी मंज़िल में जागने के अपने नियत समय से एक घंटा पहला दो बजे उठ गए. पिछले पाँच सालों के 15 अगस्त की तरह उस दिन भी उन्होंने उपवास रखा और अपने सचिव की याद में पूरी गीता पढ़वाई.
गांधी से मिलने वालों का ताँता
गांधी के मुस्लिम मेज़बानों ने पूरे घर को तिरंगे झंडे से सजा रखा था. भोर होने के पहले ही रबींद्रनाथ टैगोर के गीत गाता हुआ युवा लड़कियों का एक जत्था वहाँ आया.
जब वो गांधी की खिड़की के नीचे पहुंचीं तो उन्होंने गाना बंद कर दिया और वहाँ हो रही प्रार्थना में शामिल हो गईं. थोड़ी देर बाद लड़कियों का एक और जत्था वहाँ पहुंच गया और उसने भी गीत गाने शुरू कर दिए.
दोपहर को गांधी बेलियाघाट में एक मैदान में प्रार्थना सभा में गए जहाँ हिंदु, मुस्लिम और समाज के हर तबकें के लोग शामिल हुए. वहाँ सबने एक स्वर में नारा लगाया, 'हिंदू- मुस्लिम एक हों.'
उस दिन कलकत्ता में आज़ादी के स्वागत में हर जगह रोशनी की गई थी लेकिन गांधी इस सबसे दूर ही रहे. राजमोहन गांधी, गांधी की जीवनी 'मोहन दास' में लिखते हैं, उस दिन हैदरी मंज़िल में गांधी से मिलने वालों का ताँता लगा रहा. मिलने वालों में प्रफुल्ल घोष की अध्यक्षता वाली नई मंत्रिपरिषद, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल राजगोपालाचारी, छात्र, कम्युनिस्ट और बहुत से आम लोग भी थे.
ब्रिटिश लोगों को अपना प्यार भेजा
उसी शाम उन्होंने इंग्लैंड में अपनी दोस्त अगाथा हैरिसन को एक पत्र लिखा, 'प्रिय अगाथा, मैं चर्खा कातते हुए ये पत्र तुम्हें डिक्टेट करा रहा हूँ. तुम्हें पता है कि आज जैसे बड़े अवसरों को मेरा मनाने का अपना तरीका है, प्रार्थना कर ईश्वर को धन्यवाद देना. इसके बाद उपवास का समय है अगर आप फल के रस पीने को उपवास मानें तो. और फिर गरीबों के साथ अपना जुड़ाव दिखाने के लिए चर्खा कातना. ब्रिटेन में मेरे सारे दोस्तों को प्यार.'
इस तरह ब्रिटिश साम्राज्य के सबसे बड़े दुश्मन ने अपने देश की आज़ादी के दिन सभी ब्रिटेनवासियों को अपना प्यार भेजा. उसी दिन गांधी ने राजकुमारी अमृत कौर को भी एक पत्र लिखा, 'मैं एक मुस्लिम के घर में रह रहा हूँ. वो सब बहुत अच्छे हैं. मुझे जितनी भी मदद की ज़रूरत है वो मुझे अपने मुस्लिम दोस्तों से मिल रही है मुझे दक्षिण अफ़्रीका में बिताए और ख़िलाफ़त के दिन याद आ रहे हैं. हिंदू और मुसलमान एक दिन के अंदर दोस्त बन गए हैं. मुझे नहीं पता कि ये कब तक चलेगा ? ऐसा लगता है कि सुहरावर्दी भी अब बदल गए हैं.'
कलकत्ता शहर का कार से दौरा
अपनी प्रार्थना सभा में गांधीजी ने कलकत्ता में लोगों के दिलों में हो रहे बदलाव पर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की और लाहौर से आ रही पागलपन की ख़बरों और चटगाँव में जो अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था, अचानक आई बाढ़ पर अपनी चिंता प्रकट की.
उन्होंने कलकत्ता के लोगों से भारत में रहने का फ़ैसला करने वाले अंग्रेज़ों से उसी तरह का व्यवहार करने का अनुरोध किया जैसा व्यवहार वो अपने प्रति करने की अपेक्षा करते हैं. फिर उन्होंने असामान्य फ़रमाइश की कि उन्हें कलकत्ता की सड़कों पर कार से घुमाया जाए ताकि वो अपनी आँखों से देख सकें कि कलकत्ता के लोगों के दिलों में आया बदलाव वाकई एक चमत्कार है या दुर्घटना.
अगले दिन यानि 16 अगस्त को गांधी ने 'हरिजन' के अंक में लिखा, 'कलकत्ता के लोगों के दिलों में हुए परिवर्तन का हर जगह श्रेय मुझे दिया जा रहा है जिसके कि मैं लायक नहीं हूँ, न ही शहीद सोहरावर्दी इसके हकदार हैं. ये बदलाव एक या दो व्यक्तियों की कोशिश से नहीं आ सकता. हम लोग ईश्वर के हाथ के खिलौवे हैं. वो हमें अपनी धुन पर नचाता है.'
18 अगस्त को ईद थी. उस दिन मोहम्मडन स्पोर्टिंग फ़ुटबॉल क्लब के मैदान पर हुई गांधी की प्रार्थना सभा में करीब पाँच लाख हिंदू और मुसलमान शामिल हुए. हर दिन उनकी सभाओं में भीड़ बढ़ती जा रही थी.
15 अगस्त को गांधी के पास पटना से टेलिफ़ोन संदेश आया कि कलकत्ता के जादू का असर वहाँ भी महसूस किया जा रहा है. 24 अगस्त को संविधान सभा की बैठक में मुस्लिम लीग ने एक प्रस्ताव पास कर कलकत्ता में शाँति बहाल करने और दोनों देशों के बीच भाईचारा बढ़ाने के गाँधी के प्रयासों की तारीफ़ करते हुए कहा कि इससे ह़ज़ारों मासूम लोगों की जान बच गई है.
लॉर्ड माउंटबेटन ने भी महात्मा गाँधी को पत्र लिख कर कहा, 'पंजाब में हमारे पास 55000 सैनिक हैं तब भी वहाँ दंगे जारी हैं. बंगाल में हमारे पास सिर्फ़ एक शख़्स है, आप और वहाँ दंगे पूरी तरह से रुक गए हैं. एक प्रशासक के तौर पर क्या मुझे एक सदस्यीय सीमा बल और उसके नंबर 2 सुहरावर्दी को अपना सम्मान प्रकट करने की अनुमति है ? आपको 15 अगस्त को संविधान सभा में गूँजी तालियों की आवाज़ सुननी चाहिए थी जो आपका नाम आने के बाद वहाँ गूँजी थी. उस समय हम सब आपके बारे में सोच रहे थे.'
शाँति के लिए उपवास
महात्मा गाँधी सुहरावर्दी के साथ नोआखाली जाने की योजना बना रहे थे लेकिन उनपर नेहरू और पटेल का दबाव था कि वो वहाँ के पंजाब जाएं जहाँ दिनोंदिन हालत ख़राब होती जा रही थी.
लेकिन 31 अगस्त को हैदरी मंज़िल पर हुए हिंसक प्रदर्शन ने गाँधी को फिर से अपनी योजना बदलने पर मजबूर कर दिया. रात 10 बजे नाराज़ हिंदुओं ने घर की खिड़कियाँ दरवाज़ें और छत के पंखे तोड़ दिए. गांधी पर पत्थर और लाठियाँ फेंकी गईं.
राजमोहन गांधी लिखते हैं, 'इस दौरान आभा और मनु ने गाँधी का साथ नहीं छोड़ा. गांधी ने हाथ जोड़ कर उपद्रवियों से चले जाने के लिए कहा लेकिन वो तभी वहाँ से हटे जब पुलिस अधीक्षक वहाँ पहुंचे. गाँधी रात साढ़े बारह बजे सोने गए लेकिन तीन घंटों के अंदर फिर जाग गए. उन्होंने सरदार पटेल को पत्र लिख कर घटना का ब्योरा दिया. सुबह जब कलकत्ता में हुई हिंसा में करीब 50 लोगों के मरने की ख़बर गांधी के पास पहुंची तो उन्होंने तय किया कि वो न तो नोआखाली जाएंगे और न ही पंजाब. वो तब तक हैदरी मंज़िल में ही रहकर उपवास रखेंगे जब तक कलकत्ता में शाँति फिर नहीं बहाल हो जाती.'
गांधी के उपवास का तुरंत असर हुआ और कलकत्ता में आश्चर्यजनक रूप से ख़ूनख़राबा रुक गया. हिंदुओं और मुसलमानों ने मिलकर शहर में शाँति मार्च निकाला. कलकत्ता के करीब 500 पुलिसकर्मियों ने भी गाँधी के समर्थन में ड्यूटी पर रहते हुए उपवास किया.
शाँति के वादे के बाद तोड़ा उपवास
समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया गांधी के सामने उन युवा हिंदुओं को लेकर गए जिन्होंने हिंसा में अपना हाथ होना स्वीकार किया. उन्होंने अपने सारे हथियार गाँधी के सामने रख दिए. गांधी ने उन्हें देख कर कहा, 'मैं अपने जीवन में पहली बार स्टेन गन देख रहा हूँ.'
जब 4 सितंबर को एक दूसरे समूह ने गांधी के सामने आकर कहा कि वो कोई भी सज़ा भुगतने के लिए तैयार हैं बशर्ते आप अपना उपवास तोड़ दें. गांधी का जवाब था, 'आप मुसलमानों के घरों में जाकर उन्हें आश्वस्त करिए कि उनका जीवन अब पूरी तरह सुरक्षित है. सभी धर्मों के लोगों द्वारा शाँति बनाए रखने का वादा करने के बाद 4 सिंतबर को गांधी ने 72 घंटों बाद अपना उपवास तोड़ दिया.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने शहर के रोटरी क्लब में दिए गए भाषण में कहा, 'गांधी ने अपने जीवनकाल में बहुत सी उपलब्धियाँ हासिल की हैं. लेकिन मैं नहीं समझता कि वो उपलब्धियाँ उतनी महान हैं जितनी कलकत्ता की उनकी शांति बहाल करवाने की यह उपलब्धि.' (bbc.com/hindi)
रांची, 14 अगस्त। झारखंड की राजधानी रांची के कांके थाना क्षेत्र के अरसंडे गांव में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को अपने मकान की छत पर तिरंगा लगाने के दौरान तीन बहन-भाइयों की 11 हजार वोल्ट के बिजली की तार की चपेट में आने से मौत हो गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तीनों की दुखद मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है।
रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल ने ‘पीटीआई/भाषा’ को बताया कि आज शाम कांके थाना क्षेत्र के अरसंडे गांव में हुए इस हादसे में एक ही परिवार के तीन लोगों, दो बहनों और एक भाई, की मौत हो गई है।
उन्होंने बताया कि छत पर तिरंगा लगाने के दौरान विनीत झा छत के उपर से गुजर रहे 11 हजार वोल्ट के हाई टेंशन तार की चपेट में आ गया, उसे बचाने के प्रयास में उसकी दो बहनें पूजा और आरती भी करंट की चपेट में आ गयीं। उन्होंने बताया कि तीनों भाई-बहनों की करंट लगने से मौत हो गई।
घटना की जानकारी पाकी मौके पर पहुंची पुलिस ने इलाके की बिजली आपूर्ति बंद करवा कर तीनों को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस बीच मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और कहा है, ‘‘रांची के कांके में घर की छत पर तिरंगा झंडा लगाते वक्त करंट की चपेट में आने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मृत्यु की दुःखद खबर मिली। परमात्मा दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान कर शोक-संतप्त परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 15 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 76वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की धारियों वाला सफेद रंग का साफा पहना।
पारंपरिक कुर्ता और चूड़ीदार पायजामे के ऊपर नीले रंग का जैकेट तथा काले रंग के जूते पहने, प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया और लगातार नौवीं बार देश को संबोधित किया।
इसी के साथ ही मोदी ने स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोहों में आकर्षक, चटकीले और रंग-बिरंगे साफे पहनने का सिलसिला जारी रखा। प्रधानमंत्री का साफा पीछे की ओर लंबा था तथा उस पर भी तिरंगे की धारियां बनी हुई थी।
पिछली बार मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर धारीदार केसरिया साफा पहना था।
74वें स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले पर आयोजित समारोह में मोदी ने केसरिया और क्रीम रंग का साफा पहना था। प्रधानमंत्री ने इसके साथ आधी बाजू वाला कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा पहना था। उन्होंने केसरिया किनारी वाला सफेद गमछा भी डाल रखा था, जिसे उन्होंने कोविड-19 से बचाव के उपायों के तहत इस्तेमाल किया।
वर्ष 2019 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद लाल किले से अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री ने कई रंगों से बना साफा पहना था। यह लाल किले से उनका लगातार छठा संबोधन था।
पहली बार देश की कमान संभालने के बाद जब ऐतिहासिक लाल किले से प्रधानमंत्री ने पहली बार देश को 2014 में संबोधित किया था तब उन्होंने गहरे लाल और हरे रंग का जोधपुरी बंधेज साफा पहना था।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में पीले रंग का साफा पहना था, जिस पर बहुरंगी धारियां थीं, जबकि 2016 में उन्होंने गुलाबी और पीले रंग का लहरिया ‘टाई एंड डाई’ साफा चुना था।
उन्होंने 2017 में सुनहरी धारियों वाला चटकीले लाल रंग का साफा पहना था।
उन्होंने 2018 में केसरिया साफा पहना था। गणतंत्र दिवस समारोहों में भी कच्छ के लाल बांधनी साफे से लेकर पीले राजस्थानी साफे तक, मोदी के साफे लोगों का ध्यान आकर्षित करते रहे हैं। (भाषा)