अंतरराष्ट्रीय
-ऐलिस डेविस
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि परमाणु युद्ध का ख़तरा बढ़ता जा रहा है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि रूस "पागल नहीं है" और वो परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की पहल नहीं करेगा.
पुतिन ने कहा कि उनका देश बस किसी हमले का जवाब देने के लिए ही परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा. रूस के मानवाधिकार परिषद की सालाना बैठक के दौरान उन्होंने ये भी कहा कि यूक्रेन में युद्ध लंबा चल सकता है.
वहीं, पश्चिमी देशों का मानना है कि पुतिन की शुरुआती योजना जल्द से जल्द युद्ध को जीतने की थी. इसी साल फ़रवरी महीने में यूक्रेन पर हमले के बाद से ही रूस की परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की आशंकाओं को बल मिलने लगा.
पुतिन ने परमाणु युद्ध की संभावना के बारे में कहा, "इसका ख़तरा वाक़ई बढ़ रहा है, इसे छिपाना ग़लत होगा."
उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी परिस्थिति में रूस परमाणु हथियार चलाने की पहल नहीं करेगा और किसी को अपने परमाणु हथियारों के जख़ीरे से डराएगा भी नहीं.
पुतिन ने कहा, "हम पागल नहीं हैं, हमें पता है कि परमाणु हथियार क्या होते हैं." पुतिन ने ये भी कहा कि रूस के पास दुनिया में सबसे आधुनिक परमाणु हथियार हैं.
उन्होंने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा, "हमने किसी और देश में अपने परमाणु हथियार तैनात नहीं किए हैं लेकिन अमेरिका ने तुर्क़ी और कई यूरोपिय देशों में ऐसा किया है."
बीते महीने रूसी बल यूक्रेन के खेरसोन शहर से भी वापस हो गई थी. फ़रवरी में हमले के बाद रूस के नियंत्रण में आने वाला ये अकेला बड़ा शहर था.
इसी सप्ताह रूस ने एक बार फिर से यूक्रेन के पावर ग्रिड को निशाना बनाते हुए मिसाइल हमले शुरू कर दिए हैं.(bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 7 दिसंबर। तालिबान के अधिकारियों ने एक व्यक्ति की हत्या के दोषी को बुधवार को फांसी दी। पिछले साल अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद सार्वजनिक रूप से फांसी देने का यह पहला मामला है। एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी।
यह घटना अगस्त 2021 में देश पर तालिबान के कब्जे के बाद, लागू की गयी कठोर नीतियां जारी रखने और इस्लामी कानून, या शरिया की अपनी व्याख्या पर कायम रहने के अफगानिस्तान के नए शासकों के इरादों को रेखांकित करती है।
तालिबान सरकार के शीर्ष प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद के अनुसार पश्चिमी फराह प्रांत में सैंकड़ों लोगों और राजधानी काबुल व प्रांत के कई शीर्ष तालिबान अधिकारियों के सामने दोषी को फांसी दी गई।
मुजाहिद ने कहा कि सजा देने का फैसला “बेहद सावधानी पूर्वक लिया गया।”
उन्होंने कहा कि इसके लिए देश की तीन शीर्ष अदालतों व तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिब्तुल्ला अखुंदजादा की मंजूरी ली गई थी।
हेरात प्रांत के रहने वाले ताजमीर नामक जिस व्यक्ति को फांसी दी गई उसे पांच साल पहले एक व्यक्ति की हत्या करने और उसकी मोटरसाइकिल व फोन चुराने का दोषी पाया गया था। (एपी)
चीन, 7 दिसंबर । चीन के आयात और निर्यात में नवंबर महीने में भारी गिरावट आई है. चीन में कोरोना की रोकथाम के लिए पाबंदियों के बीच अर्थव्यवस्था को ये झटका लगा है.
देश में सख़्त कोरोना प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. इससे पहले अक्टूबर महीने में भी चीन का आयात और निर्यात 2020 के बाद से सबसे अधिक घटा था.
हालांकि, हाल के दिनों में चीन के कुछ शहरों में कोविड पाबंदियों में ढील दी गई है, लेकिन इससे देश के उत्पादन क्षेत्र को पहले ही काफ़ी नुक़सान हो चुका है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, नवंबर महीने में चीन का निर्यात बीते साल की तुलना में 8.7 फ़ीसदी गिर गया. वहीं आयात में बीते साल की तुलना में 10.6 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
इसके साथ ही चीन का व्यापार मुनाफ़ा भी अक्टूबर के 85.15 अरब डॉलर से घटकर नवंबर में 69.84 अरब डॉलर हो गया है.
शंघाई और वुहान जैसे इंडस्ट्रियल शहरों में लॉकडाउन से उत्पादन गिरा है. ये चीन के कारोबार के लिहाज से बड़े शहर माने जाते हैं. इन शहरों में लगातार तीन महीनों से आर्थिक गतिविधियां सुस्त हैं.
सख़्ती की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था भी मंद पड़ गई है और घरेलू मांग में भी कमी आई है. (bbc.com/hindi)
वॉशिंगटन, 7 दिसंबर । सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोगी की मौत के मामले में अमेरिका की एक अदालत ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ख़िलाफ़ दायर मुक़दमे को खारिज कर दिया है. ये मुक़दमा जमाल ख़ाशोगी की मंगेतर ने दायर किया था.
वॉशिंगटन के फेडरल जज ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा दी गई इम्यूनिटी (छूट) के कारण केस खारिज किया जा रहा है.
यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जॉन बेट्स ने कहा कि वे मुक़दमा खारिज करने को लेकर हिचक रहे हैं लेकिन बाइडन प्रशासन के फ़ैसले की वजह से उनके पास कोई विकल्प नहीं रह गया था.
25 पन्नों के इस फ़ैसले में जज जॉन बेट्स ने कहा, "अदालत की असहजता, मोहम्मद बिन सलमान की प्राइम मिनिस्टर के पद पर नियुक्ति और जमाल ख़ाशोगी हत्या में उनके शामिल होने को लेकर पुख़्ता आरोपों के बावजूद अमेरिका की सरकार ने कोर्ट को ये बताया है कि वो इम्यून हैं."
मोहम्मद बिन सलमान की हेड ऑफ़ स्टेट के तौर पर नियुक्ति की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए जज जॉन बेट्स ने कहा कि सऊदी किंग सलमान ने उन्हें सितंबर में रॉयल डिक्री के जरिए प्राइम मिनिस्टर नियुक्त किया था.
जमाल ख़ाशोगी की हत्या इस्ताम्बुल स्थित सऊदी दूतावास में अक्टूबर, 2018 में कर दी गई थी. अमेरिकी ख़ुफिया अधिकारियों का ये मानना है कि क्राउन पिंस ने जमाल ख़ाशोगी की हत्या का हुक्म दिया था.
हालांकि सऊदी क्राउन प्रिंस इन आरोपों से खारिज करते हैं. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी सरकार की एजेंसी 'यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम' ने धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन के लिहाज से सबसे चिंताजनक देशों की ब्लैक लिस्ट में सऊदी अरब का नाम शामिल किया है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि इस ब्लैक लिस्ट में सेंट्रल अफ़्रीकी रिपब्लिक में हुए खूनखराबे में शामिल रहे लड़ाकों के समूह 'वैग्नर ग्रुप' का नाम भी जोड़ा गया है.
इसके साथ ही लातिन अमेरिकी देश क्यूबा और निकारागुआ को भी ब्लैकलिस्टेड किया गया है. इस समय इस सूची में कुल बारह देशों के नाम हैं.
ये देश हैं- सऊदी अरब, क्यूबा, निकारागुआ, चीन, ईरान, इरीट्रिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, म्यांमार.
इसके साथ ही अमेरिका ने अल्जीरिया, सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक, कोमोरोस, और वियतनाम को विशेष निगरानी सूची में रखा है. इस लिस्ट में से भारत को बाहर रखा गया है जिसे लेकर 'यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम' ने सरकार के प्रति नाराज़गी जताई है.
सऊदी अरब पर क्या कहा गया है
'यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम' के कमिश्नर स्टीवन स्नेक ने बताया है कि सऊदी अरब की सरकार इस्लाम से इतर किसी अन्य धर्म के पूजा स्थल के निर्माण को प्रतिबंधित करती है.
उन्होंने कहा, "सऊदी अरब इस्लाम के अलावा किसी अन्य धर्म के पूजा स्थलों के निर्माण को प्रतिबंधित करता है. सरकार की ओर से विरोध करने वाले धार्मिक नेताओं को भी हिरासत में रखना जारी है. और सऊदी राज परिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर धार्मिक स्वतंत्रता के इन उल्लंघनों के लिए खुली छूट नहीं दी जा सकती."
उन्होंने ये भी कहा, "सऊदी अरब सरकार लगातार धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन करती आई है. ये उल्लंघन सरकार के उन दावों को कमतर करते हैं जिनमें कहा गया है कि वहां अलग-अलग क्षेत्रों में प्रगति हुई है. अमेरिका को सऊदी अरब सरकार से लगातार आग्रह करना चाहिए कि वह धार्मिक आज़ादी के प्रति ज़्यादा सम्मानजनक भाव रखे."
'यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम' दुनिया भर में उन मुल्कों पर नज़र रखता है जहां धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के मामले सामने आते हैं. इसके बाद यह आयोग इन मुल्कों को विशेष सूचियों में दर्ज करने के लिए अमेरिकी सरकार को अपने सुझाव देती है.
इस आयोग की रिपोर्ट में सामने आया है कि 'सऊदी अरब में शिया मुसलमानों को शिक्षा, रोजगार और न्यायपालिका में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही सेना और सरकार के उच्च पदों तक भी उनकी पहुंच नहीं है.
सऊदी अरब के कुछ इलाकों में शिया बहुमत वाले क्षेत्रों के बाहर शिया मस्जिदों का निर्माण अभी भी प्रतिबंधित है. इसके साथ ही सरकारी संस्थाएं अभी भी इन इलाकों में शिया समुदाय के धार्मिक आह्वानों पर रोक लगाए हुए हैं.
यही नहीं, आयोग की वेबसाइट पर मौजूद दस्तावेज़ों के मुताबिक़, 'सऊदी अरब में ईसाई, यहूदी समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय सिर्फ निजी स्तर पर मुलाक़ातें कर सकते हैं. सऊदी अरब ने कभी-कभी धार्मिक विरोधियों के ख़िलाफ़ जासूसों का इस्तेमाल किया जाता है.'
भारत को बाहर रखने पर विरोध
अमेरिकी आयोग ने इस साल जून में भारत को भी इस सूची में रखने का सुझाव दिया था. इस पर भारत सरकार ने अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को 'पक्षपातपूर्ण' और 'ग़लत' बताया था.
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि 'अफ़सोस की बात है, यूएससीआईआरएफ़ अपनी रिपोर्टों में बार-बार तथ्यों को गलत तरीक़े से पेश करना जारी रखे हुए है.'
भारत ने कहा था कि 'हम अपील करेंगे कि पहले से बनाई गई जानकारियों और पक्षपातपूर्ण नज़रिये के आधार पर किए जाने वाले मूल्याकंन से बचा जाना चाहिए.'
अमेरिकी आयोग पिछले तीन सालों से अमेरिकी विदेश मंत्रालय से भारत को चिंताजनक देशों की सूची में डालने की अपील कर रहा है. लेकिन अब तक भारत को इस सूची में नहीं डाला गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, 'भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद' और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आज़ादी से जुड़े अमेरिकी आयोग की ओर से अमेरिकी विदेश मंत्रालय पर इस एलान से पहले इस सूची में भारत का नाम रखे जाने को लेकर भारी दबाव अभियान चलाया गया था.
लेकिन अमेरिकी सरकार ने साल के अंत में इस लिस्ट में भारत का नाम नहीं रखा है. इस पर अमेरिकी आयोग की ओर से नाराज़गी जताई गई है.
'यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम' के चेयरमैन नूरी टुरकेल ने कहा, "विदेश मंत्रालय का नाइजीरिया और भारत को धार्मिक आज़ादी के उल्लंघन करने वालों के रूप में पहचान न देने की कोई वजह समझ नहीं आती. क्योंकि दोनों मुल्क चिंताजनक हालातों वाले देशों की सूची में रखने के लिए ज़रूरी सभी क़ानूनी मानकों को पूरा करते हैं. आयोग इस बात से बेहद निराश है कि विदेश मंत्री ने हमारे सुझावों को पारित नहीं किया."
नूरी ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय को घेरते हुए ये भी कहा है कि विदेश मंत्रालय को स्वयं भी इन देशों में धार्मिक आज़ादी के उल्लंघन के उदाहरण मिले हैं.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि उनकी ब्लाइंड (दृष्टिहीन) क्रिकेट टीम को टी-20 विश्व कप के लिए भारत ने वीज़ा देने से मना कर दिया है.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, "भारत में टी-20 विश्व कप में हिस्सा लेने जा रही हमारी ब्लाइंड क्रिकेट टीम को वीज़ा न जारी किए जाने पर पाकिस्तान खेद जताता है. भारत के इस फ़ैसले की वजह से पाकिस्तानी खिलाड़ी अहम अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेने से वंचित रह जाएंगे. ये शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए खेल को बढ़ावा देने के मामले में भारत की असंवेदनशीलता दिखाता है."
"खेल का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. हमने भारत के सामने अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है."
इस बयान के बाद समाचार एजेंसी पीटीआई ने मंगलवार रात अधिकारियों के हवाले से ये जानकारी दी कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कुल 34 खिलाड़ियों और सदस्यों को वीज़ा जारी करने की अनुमति दे दी है.
इसी ट्वीट पर पाकिस्तानी ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने जवाब में लिखा है कि भारत के गृह मंत्रालय ने तो 3 दिसंबर को ही वीज़ा जारी करने की अनुमति दे दी थी, लेकिन विदेश मंत्रालय ने बीते शनिवार को क्लीयरेंस देने से इनकार कर दिया. (bbc.com/hindi)
न्यूयॉर्क (अमेरिका), 7 दिसंबर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कंपनी ‘ट्रंप ऑर्गनाइजेशन’ को मैनहट्टन में अपार्टमेंट व लग्जरी कार जैसे गैर-जरूरी भत्तों के नाम पर अधिकारियों को कर चोरी में मदद करने के लिए मंगलवार को कर धोखाधड़ी का दोषी ठहराया गया।
एक ज्यूरी ने ‘ट्रंप ऑर्गनाइजेशन’ की दो कॉरपोरेट इकाइयों को सभी 17 मामलों में दोषी पाया। इसमें साजिश रचने व गलत व्यापार रिकॉर्ड देने के मामले शामिल हैं। इसमें ट्रंप के खिलाफ कोई मामला नहीं है।
न्यूयॉर्क की एक अदालत ने दो दिन तक करीब 10 घंटे तक विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया।
कंपनी पर 16 लाख डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। सजा 13 जनवरी को सुनाई जाएगी।
मैनहट्टन जिला अटॉर्नी एल्विन ब्रैग ने अदालत के बाहर कहा, ‘‘पूर्व राष्ट्रपति की कंपनियां दोषी करार दी गई हैं। यह दिखाता है कि मैनहट्टन में सभी के लिए न्याय एक समान है।’’
बचाव पक्ष ने कहा कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेगा। (एपी)
मेक्सिको सिटी, 7 दिसंबर। मेक्सिको के प्रशांत तटीय रिजॉर्ट अकापुल्को के एक बार में सोमवार को हुई गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हो गयी।
अभियोजकों ने कहा कि हमले के एक संभावित संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है। तीन लोगों की बार के अंदर और दो लोगों की बाहर अथवा अस्पताल में मौत हो गई।
अभियोजकों ने सोमवार को पुष्टि की कि एक अन्य हमले में अकापुल्को में एक अन्य क्षेत्र में तीन अन्य लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
अकापुल्को की छवि वर्षों से वहां होने वाले हिंसक अपराधों के कारण खराब हुई है। अकापुल्को अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच अब पहले जैसा लोकप्रिय नहीं रहा है।
लेकिन सप्ताहांत में कारोबार पर उस समय इसका असर पड़ने लगा जब रिसॉर्ट को राजधानी से जोड़ने वाले मुख्य राजमार्ग के किनारे कारों पर लूट के प्रयास की खबरें आईं।
दक्षिणी गुएरेरो राज्य के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने उन खबरों के बाद पुलिस गश्त बढ़ा दी है।
एक वाहन चालक ने कहा कि बदमाशों ने कारों को रुकने के लिए मजबूर करने की कोशिश करने के लिए राजमार्ग पर उपर से पत्थर फेंके या टायर गिराए। (एपी)
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के लेखक सलमान रुश्दी के नए उपन्यास के अंश जारी किए गए हैं. उन पर हमला होने के चार महीने बाद ये अंश जारी हुए हैं. उपन्यास अगले साल फरवरी में जारी होने की संभावना है.
सलमान रुश्दी का नया उपन्यास छपने के लिए तैयार है. न्यूयॉर्कर पत्रिका ने ‘बोरा भर बीज' नाम से इन अंशों को प्रकाशित किया है. जिस अंक में ये अंश प्रकाशित हुए हैं, वह 12 दिसंबर को बाजार में आएगा. इस उपन्यास का शीर्षक ‘विक्ट्री सिटी' है जो पेंग्विन रैंडम हाउस प्रकाशन से अगले साल फरवरी में प्रकाशित होना है. यह उनका 15वां उपन्यास होगा.
विवादित लेखक सलमान रुश्दी पर इसी साल न्यूयॉर्क मेंएक युवक ने चाकू से हमला कर दिया था जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे. यह हमला उनके खिलाफ जारी एक फतवे का नतीजा था, जो ईरान के धार्मिक नेता अयातोल्लाह खोमैनी ने उनकी किताब "शैतानी आयतें" (Satanic Verses) के प्रकाशन के बाद 14 फरवरी 1989 को जारी किया था.
उन पर और उपन्यास के प्रकाशन और वितरण में मदद देने वाले लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया. उनके जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की तो हत्या ही कर दी गई. इटैलियन अनुवादक और नॉर्वे के प्रकाशक हमले में बाल-बाल बचे थे.
क्या है विक्ट्री सिटी?
रुश्दी की नई किताब विक्ट्री सिटी 14वीं सदी के एक भूभाग के बारे में है जो अब भारत का हिस्सा है. यह एक औरत की कहानी है.
न्यूयॉर्कर में अंशों के प्रकाशन की पुष्टि करते हुए रुश्दी ने ट्वीट भी किया है, जो अगस्त में हमले के बाद से उनका पहला ट्वीट है.
न्यूयॉर्कर में प्रकाशित अंश कुछ यूं शुरू होता है, "शहर की कहानी 14वीं सदी के साझा युग में उसके दक्षिणी हिस्से में आरंभ होती है जिसे हम आज इंडिया या भारत या हिंदुस्तान कहते हैं.”
औरतों को तो सरहदें लांघ कर ही आगे जाना हैः गीतांजली श्री
कहानी जिस महिला की है, उस किरदार का नाम पांपा कंपाना है. उसका जिक्र इस तरह आता है, "पंपा कंपाना ने यह सब होते हुए देखा. ऐसा प्रतीत होता था मानो ब्रह्मांड उसे एक संकेत भेज रहा था कि सुनो, ग्रहण करो और सीखो. वह नौ साल की थी और अपनी आंखों में आंसु भरकर, अपनी मां का हाथ पूरे जोर से पकड़े हुए थी, जिसकी आंखें एकदम सूखी थीं. जितनी महिलाओं को वह जानती थी, उसने सबको अग्नि में प्रवेश करते हुए देखा.”
रुश्दी का जीवन
1988 में सैटनिक वर्सेस प्रकाशित होने के बाद सेरुश्दी ने अपनी अधिकतर जिंदगी डर के साये में गुजारी है. 12 साल तक वह ब्रिटेन में सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा में रहे. साल 2000 में वह अमेरिका चले गए थे औरअब अमेरिकी नागरिक हैं. 2002 से उन्हें सुरक्षा तो हासिल नहीं है लेकिन सुरक्षाकर्मी उनके सार्वजनिक आयोजनों पर साथ होते हैं. हालांकि वह अब भी अल कायदा और इस्लामिक स्टेट की हिटलिस्ट पर हैं. (dw.com)
जर्मनी, 6 दिसंबर । दक्षिणी जर्मनी में स्कूल जा रही छात्राओं पर एक व्यक्ति ने चाकू से हमला किया है.
हमले में 14 वर्षीय छात्रा की मौत हो गई और 13 साल की दूसरी लड़की घायल हो गई.
पुलिस का कहना है कि संदिग्ध हमलावर सोमवार की सुबह इलर्किरचबर्ग गांव में शरणार्थी शिविर से बाहर निकला और उसने विद्यार्थियों पर हमला किया.
बाद में बड़ी लड़की की अस्पताल में मौत हो गई.
इस मामले में जर्मनी की पुलिस ने एक 27 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ़्तार किया है.
पुलिस के मुताबिक वह इरीट्रिया का शरणार्थी है.
घटना के बाद अधिकारियों ने पास की एक इमारत की तलाशी ली और संदिग्ध हमलावर को पकड़ लिया. उसके पास से हमले में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद किया गया है.
मामले में दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है. संदिग्ध पुलिस निगरानी में अस्पताल में भर्ती है, जहां एक अज्ञात चोट के कारण उसका इलाज किया जा रहा है.
पुलिस ने अपने बयान में जनता से अपील की है कि वो विदेशियों या शरण चाहने वालों के ख़िलाफ़ इस घटना का इस्तेमाल भावनाएं भड़काने के लिए ना करें.
स्थानीय खबरों में कहा गया है कि 13 साल की लड़की चोट से उबर रही है. (bbc.com/hindi)
चीन, 6 दिसंबर । चीन ने अपने पूर्व राष्ट्रपति जियांग ज़ेमिन को राजधानी बीजिंग में मौजूद स्मारक स्थल पर आख़िरी विदाई दी.
साल 1989 में तियानमेन चौक पर प्रदर्शनकारियों पर हुई कार्रवाई के बाद जियांग ने सत्ता संभाली थी. उन्हें चीन की अर्थव्यवस्था को प्रगति देने के लिए हमेशा याद किया जाता है.
उनके शासनकाल में ही चीन विश्व व्यापार संगठन का हिस्सा बना. उन्हीं के कार्यकाल में ब्रिटेन ने चीन को हांग-कांग सौंपा था.
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने बाताया कि जियांग ज़ेमिन ने बीते बुधवार को अंतिम सांसें लीं. वो 96 वर्ष के थे. सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने करीब एक घंटे तक ग्रेट हॉल ऑफ़ पीपल में जियांग ज़ेमिन की याद में भाषण दिया. (bbc.com/hindi)
ऑस्ट्रेलिया के वीराने में एक विशाल दूरबीन का निर्माण शुरू हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप होगा.
ऑस्ट्रेलिया को सितारों के अध्ययन के लिए दुनिया की सबसे मुफीद जगहों में गिना जाता है. इस अध्ययन को और गहराई देने के मकसद से वहां एक रेडियो टेलीस्कोप बनाया जा रहा है. बहुत से एंटीना लगाकर यहां एक समूह तैयार होगा जो दक्षिण अफ्रीका में लगे डिश नेटवर्क के साथ मिलकर काम करेगा और स्क्वेयर किलोमीटर आरे (एसकेए) बनाएगा. यह विशालकाय मशीन सितारों के निर्माण और आकाशगंगाओं के रहस्यों से जुड़े सवालों के जवाब तो खोजेगी ही, साथ ही यह ब्रह्मांड में कहीं जीवन है या नहीं, इस पहेली को सुलझाने पर भी काम करेगी.
इस टेलीस्कोप को बनाने का विचार सबसे पहले 1990 के दशक में आया था लेकिन यह परियोजना धन के अभाव और लालफीताशाही की उलझनों में फंसी रही. एसकेए ऑब्जरवेटरी के महानिदेशक फिलिप डायमंड कहते हैं कि टेलीस्कोप का निर्माण मानव इतिहास में एक मील का पत्थर है. उन्होंने कहा, "यह टेलीस्कोप इंसान द्वारा विज्ञान की दिशा में किये गये सबसे बड़े प्रयासों में से एक होगा.”
जगह कैसे चुनी गई?
इस टेलीस्कोप का नाम (एसकेए) उसी विचार का परिचायक है, जहां से इस परियोजना की शुरुआत हुई थी. जब यह योजना बनाई गई थी तो विचार यह था कि दूरबीन एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को देख सके. हालांकि ऑब्जरवेटरी का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका दोनों जगह लगे एंटीना मिलकर उसका आधा ही देख पाएंगे.
ऑस्ट्रेलिया औऱ दक्षिण अफ्रीका दोनों ही इस तरह के टेलीस्कोप के लिए सटीक जगह हैं क्योंकि दोनों के पास ऐसे विशाल निर्जन इलाके हैं, जहां लंबे चौड़े डिश एंटीना लगाए जा सकते हैं क्योंकि वहां तरंगों के मार्ग में किसी तरह की बाधा नहीं होती. ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी प्रांत वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस ट्री के आकार के 130,000 एंटीना लगाए जाएंगे.
ये एंटीना जिस जमीन पर लगाए जाएंगे वह वजारी आदिवासियों की जमीन है. वे लोग इस जगह को इन्यारीमन्हा इगारी बंडारा कहते हैं. इसका मतलब है आसमान और सितारों को साझा करना कहते हैं. डायमंड कहते हैं, "हम उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हैं कि वे अपने आसमान और सितारों को हमारे साथ साझा करने को राजी हैं क्योंकि हम विज्ञान के कुछ आधारभूत सवालों के जवाब खोजना चाहते हैं.”
दक्षिण अफ्रीका में इस टेलीस्कोप का दूसरा हिस्सा स्थापित किया जाएगा. वहां सुदूर कारू इलाके में करीब 200 डिश लगाई जाएंगी. एसकेए का कहना है कि दो रेडियो टेलीस्कोपों की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि वे अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों जगहों यानी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को मिलाकर एसकेए किसी भी एक टेलीस्कोप के रूप में सबसे ज्यादां संवेदनशील होगा क्योंकि यह कोई एक डिश नहीं है बल्कि बहुत सारे एंटीना औ डिश का समूह है जो मिलकर एक विशाल वर्चुअल डिश बन जाएंगे.
कितना ताकतवर होगा टेलीस्कोप?
टेलीस्कोप डाइरेक्टर सारा पीयर्स कहती हैं कि यह टेलीस्कोप आकाशगंगाओं के जन्म और मृत्यु की पहेलियां सुलझाने में मदद करेगा. साथ ही इससे नई तरह की ग्रैविटेशन तरंगें खोजी जा सकेंगी और "ब्रह्मांड के बारे में हमारी जानकारी और बढ़ेगी.”
कर्टिन इंस्टिट्यूट ऑफ रेडियो एस्ट्रोनॉमी के डैनी प्राइस कहते हैं कि यह टेलीस्कोप अत्याधिक शक्तिशाली होगा. उन्होंने बताया, "एसकेए की संवेदनशीलता को आप इस तरह समझ सकते हैं कि यह 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल पर मौजूद एक अंतरिक्षयात्री की जेब में पड़ा मोबाइल फोन खोज सकता है.”
एसकेए ऑब्जर्वेटरी का मुख्यालय ब्रिटेन के जोडरेल बैंक में है. उसका कहना है कि इस दशक के आखिर तक यह टेलीस्कोप काम करना शुरू कर देगा. एसकेए ऑब्जरवेटरी 14 देशों की एक सामूहिक संस्था है. इसमें ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, न्यूजीलैंड, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड्स शामिल हैं.
रूस, 6 दिसंबर । रूस के ताज़ा मिसाइल हमलों की वजह से पावर ग्रिड प्रभावित होने की वजह से यूक्रेन के कई इलाकों में बिजली काट दी गई है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि पावर ग्रिड को जब तक ठीक नहीं कर लिया जाता, तब तक बिजली कटौती जारी रहेगी. उन्होंने बताया कि बहुत से क्षेत्र प्रभावित हुए हैं.
स्थानीय प्रशासन ने चेताया है कि आने वाले दिनों में आधा कीएव बिजली आपूर्ति के अभाव में अंधेरे में डूबा रहेगा.
क्षेत्रीय अधिकारियों ने कहा कि दक्षिणी शहर ज़पॉरज़िया में रातभर रूस की ओर से मिसाइलें दाग़ कर अहम ढांचों और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया गया है.
इन हमलों में किसी के हताहत होने की जानकारी अभी तक नहीं मिली है लेकिन सोमवार को चार लोग मारे गए थे.
यूक्रेन के कई इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और पारा शून्य से भी नीचे जा गिरा है. इस सर्द मौसम में लाखों लोग बिना बिजली और पानी के रहने को मजबूर हैं. ऐसी चिंताएं जताई जा रही हैं कि इस स्थिति में बहुत से लोग हाइपोथर्मिया की वजह से मारे जा सकते हैं.
मंगलवार को एक अन्य मामले में रूस के कुर्स्क क्षेत्र के गवर्नर ने कहा कि एक ड्रोन हमले की वजह से तेल टैंकर में आग लग गई. इस हादसे में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है. हालांकि, गवर्नर रोमन स्तारोवोइत ने ये नहीं बताया कि यूक्रेन की सीमा से सटे इस इलाके में ड्रोन हमले के पीछे कौन है.
सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस ने कम से कम 70 मिसाइलें दागीं, जिनमें से अधिकांश गिरा दी गईं. (bbc.com/hindi)
जकार्ता, 6 दिसंबर। इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में बहु-प्रतीक्षित एवं विवादास्पद संशोधन को पारित कर दिया है, जिसके तहत विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध है और यह देश के नागरिकों तथा विदेशियों पर समान रूप से लागू होता है।
एक संसदीय कार्यबल ने नवंबर में विधेयक को अंतिम रूप दिया था और सांसदों ने मंगलवार को इसे पारित कर दिया।
‘द एसोसिएटेड प्रेस’ के पास मौजूद संशोधित दंड संहिता की एक प्रति के अनुसार, विवाहेतर यौन संबंध का दोषी पाए जाने पर एक साल की जेल की सजा का प्रावधान है, लेकिन व्यभिचार का आरोप पति, माता-पिता या बच्चों द्वारा दर्ज की गई पुलिस शिकायत पर आधारित होना चाहिए।
उसके अनुसार, गर्भनिरोधक और ईश-निंदा को बढ़ावा देना अवैध है। वहीं मौजूदा राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति, देश के संस्थानों और राष्ट्रीय विचारधारा का अपमान करने के कृत्यों पर प्रतिबंध को भी बहाल कर दिया गया है।
संहिता के अनुसार, गर्भपात एक अपराध है, हालांकि इसमें वे महिलाएं जिन्हें गर्भ कायम रखने से उनकी जान को खतरा हो या जो बलात्कार के बाद गर्भवती हो गई हों उन्हें अपवाद माना गया है, लेकिन गर्भ 12 सप्ताह से कम का हो, जैसा कि 2004 के ‘मेडिकल प्रैक्टिस’ कानून में पहले से ही विनियमित है।
मानवाधिकार समूहों ने कुछ प्रस्तावित संशोधनों की व्यापक स्तर पर निंदा की और आगाह किया कि उन्हें नई दंड संहिता में शामिल करने से सामान्य गतिविधियों को दंडित किया जा सकता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व गोपनीयता के अधिकारों को खतरा हो सकता है। हालांकि, कुछ ने इसे देश के एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक समुदाय) अल्पसंख्यकों की जीत करार दिया है।
सांसद एक गहन विचार-विमर्श के बाद अंतत: इस्लामी समूहों द्वारा प्रस्तावित एक अनुच्छेद को निरस्त करने पर सहमत हुए, जिसमें समलैंगिक यौन संबंधों को अवैध घोषित किया गया था।
दंड संहिता में अपराधिक न्याय प्रणाली के तहत मृत्युदंड को बरकरार रखा गया है, जबकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य समूहों ने इसे निरस्त करने की मांग की थी जैसा कि अन्य कई देशों ने भी किया है। (एपी)
इंडोनेशिया, 6 दिसंबर । विवादों के बीच इंडोनेशिया की संसद ने मंगलवार को नए आपराधिक क़ानून को पास कर दिया, जिसके तहत शादी से पहले यौन संबंध बनाना और विवाहेत्तर संबंध अपराध की श्रेणी में होगा. दोषी पाए जाने पर जेल की सज़ा होगी.
हालांकि, इंडोनेशिया के क़ानून मंत्री ने कहा कि नया क्रिमिनल कोड तीन साल बाद लागू होगा.
नए क़ानून को अधिकांश सांसदों का समर्थन मिला. संसद के एक विशेष सत्र के दौरान सदन के उपाध्यक्ष ने नए क़ानून की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब ये 'वैध है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार इंडोनेशिया के सामाजिक कार्यकर्ता नए क़ानून का विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि इससे मुस्लिम बहुल देश में नागरिकों की आज़ादी छिन सकती है.
इंडोनेशिया के क़ानून और मानवाधिकार मंत्री यसोना लेओली ने कहा, "हमने सभी ज़रूरी मुद्दों और अलग-अलग विचारों को जगह देने की पूरी कोशिश की है. हालांकि,अब समय आ गया है जह हम दंड संहिता में संशोधनों को स्वीकार करे और औपनिवेशिक काल के क़ानून को पीछे छोड़ दें."
इंडोनेशिया की नई दंड संहिता में जिस अनुच्छेद पर सबसे अधिक विवाद हो रहा है वह शादी से पहले यौन संबंधों और शादी में रहते हुए किसी अन्य के साथ संबंधों को अपराध बनाता है.
नए आपराधिक क़ानून के आलोचकों को डर है कि इन नियमों का इंडोनेशिया में रहने वाले एलजीबीटीक्यू समुदाय पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा, जहां अभी तक समलैंगिक विवाह को मंज़ूरी नहीं मिली है.
क़ानून मंत्रालय के प्रवक्ता एलबर्ट एरीज़ ने बदलाव का बचाव करते हुए कहा कि इससे शादी जैसी संस्थाओं की रक्षा होगी. उन्होंने कहा कि शादी से पहले और विवाहेत्तर यौन-संबंध बनाने के मामलों की शिकायत जीवनसाथी, माता-पिता या बच्चे कर सकते हैं. (bbc.com/hindi)
कनाडा, 6 दिसंबर । कनाडा के ब्रैम्पटन की रहने वाली एक 21 वर्षीय सिख युवती की गोली मारकर हत्या का मामला सामने आया है. पुलिस को अंदेशा है कि ये 'टारगेट किलिंग' हो सकती है.
टोरंटो सन की ख़बर के अनुसार युवती पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं. पील रीजनल पुलिस ने बताया कि ये हमला मिसिसॉजा गैस स्टेशन के पास हुआ.
अधिकारियों के अनुसार, महिला की पहचान पवनप्रीत कौर के तौर पर हुई है जो गैस स्टेशन पर ही काम करती थीं.
एक प्रत्यक्षदर्शी मार्क सैंडोवल ने टोरंटो सन को बताया, "हमने हमलावर को पीड़िता के माथे पर बंदूक़ ताने हुए देखा था." कुछ अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिला को तीन से चार बार गोली मारी गई.
ट्रिब्यून इंडिया की ख़बर के अनुसार, पुलिस जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंची, लेकिन पवनप्रीत कौर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी. उन्हें तत्काल इलाज देने की कोशिश की गई, लेकिन ये नाकाम रही.
पुलिस के अनुसार, घटनास्थल से अभी तक कोई हथियार बरामद नहीं हुआ है.
ये मामला ऐसे समय में सामने आया है जब कुछ दिन पहले ही भारतीय मूल की 18 वर्षीय महकप्रीत सेठी को भी सरी के एक पार्किंग लॉट में चाकूओं से गोद-गोदकर मारा गया था.
टोरंटो सन की ख़बर के अनुसार, अभी तक हमलावर की पहचान नहीं हो सकी है. ये भी जानकारी नहीं है कि हमला किसी महिला ने किया या पुरुष ने. पुलिस अधिकारी ने टोरंटो सन को बताया, "अभियुक्त ने गहरे रंग के कपड़े पहने थे और वो मौके से फ़रार है. प्रत्यक्षदर्शियों की ओर से मिली शुरुआती जानकारी से हमें लगता है कि ये टारगेट किलिंग हो सकती है." (bbc.com/hindi)
कीव, 6 दिसंबर। रूस ने यूक्रेन में कई मिसाइल दागीं, जो घरों व इमारतों में जाकर गिरीं और इसके कारण कई आम नागरिकों की मौत हो गई।
रूस ने उसके क्षेत्र में दो सैन्य हवाई अड्डों पर यूक्रेन द्वारा ड्रोन हमले किए जाने का आरोप लगाने के बाद यह कार्रवाई की है।
रूस में इस अप्रत्याशित हमले के बाद नौ महीने से जारी युद्ध के और तेज होने की आशंका पैदा हो गई है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी भूमि की रक्षा करने के लिए हर उपलब्ध साधन का इस्तेमाल करने की धमकी दी है।
रूस, क्रीमियाई प्रायद्वीप को उसकी मुख्य भूमि से जोड़ने वाले अहम पुल पर आठ अक्टूबर को की गई बमबारी के जवाब में लगभग हर सप्ताह यूक्रेन में विस्फोट कर रहा है।
पुतिन ने आंशिक रूप से मरम्मत के बाद सोमवार को यह दिखाने के लिए इस पुल पर कार चलाई कि उनका देश इस हमले से हुई शर्मिंदगी से उबर सकता है।
पुतिन ने क्रीमिया पर अपने दावे को मजबूत करने के प्रयास के तहत 2018 में 19 किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन किया था। रूस ने क्रीमिया पर 2014 में कब्जा कर लिया था।
यूक्रेन ने सर्दी का मौसम आने के दौरान और नुकसान पहुंचाने की अपनी रणनीति के तहत सोमवार को यूक्रेन में कई मिसाइल दागीं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि सोमवार को हुए हमलों में चार लोगों की मौत हो गई।
यूक्रेन की वायु सेना ने सोमवार को कहा कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपने ताजा हमले में करीब 70 मिसाइल दागीं जिनमें से 60 से अधिक को गिरा दिया गया।
यूक्रेन की आधारभूत संरचना को निशाना बनाकर रूस ने हालिया समय में हमले तेज कर दिए हैं जिससे देश में बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है और सर्दियों की दस्तक देने के साथ लोग ऊर्जा संकट से जूझ रहे हैं।
शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि रूसी सेना ने कैस्पियन सागर में जहाजों से और रोस्तोव के दक्षिणी रूसी क्षेत्र से 38 क्रूज मिसाइल दागीं। यूक्रेन की वायु सेना ने अपने टेलीग्राम पेज पर कहा कि रूस के काला सागर बेड़े से 22 अन्य कलिब्र क्रूज मिसाइल दागी गईं।
यूक्रेन की सेना ने कहा कि हमले में रूस के लंबी दूरी के बमवर्षक, लड़ाकू विमान और निर्देशित मिसाइलें भी शामिल थीं। वायु सेना के बयान में कहा गया, ‘‘कुल मिलाकर आक्रमणकारियों की 60 से ज्यादा मिसाइल को गिरा दिया गया।’’
इससे पहले रूसी रक्षा मंत्रालय ने अपने सैन्य अड्डों पर हमलों की जानकारी देते हुए बताया कि उसने दो यूक्रेनी ड्रोन को मार गिराया। उसने बताया कि इन हमलों में तीन रूसी सैन्यकर्मी मारे गए और चार अन्य घायल हो गए। इसके अलावा दो विमान मामूली रूस से क्षतिग्रस्त हुए। (एपी)
(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 5 दिसंबर। नेपाल के पांच दलीय सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने सोमवार को यहां प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के आधिकारिक आवास पर बैठक की और आम चुनावों की समीक्षा करने के साथ नयी सरकार के गठन पर चर्चा की।
बलूवातार स्थित प्रधानमंत्री आवास में हुई इस बैठक में नेपाली कांग्रेस के प्रमुख देउबा, वरिष्ठ नेता राम चंद्र पौडेल, उपाध्यक्ष पूर्ण बहादुर खड़का, सीपीएन (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण काजी श्रेष्ठ, सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के अध्यक्ष माधव नेपाल और राष्ट्रीय जनमोर्चा उपाध्यक्ष दुर्गा पौडेल शामिल हुए।
पांच दलीय गठबंधन ने प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली (एफपीटीपी) के तहत प्रतिनिधि सभा की 165 सीट में से 90 सीटों पर जीत दर्ज की है।
संयुक्त बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने यह राय व्यक्त की कि चुनाव परिणामों ने गठबंधन की जरूरत एवं प्रासंगिकता की पुन: पुष्टि की है।
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में गठबंधन के नेताओं ने कहा कि परिणामों ने आपसी सहमति तथा सहयोग के साथ आगे बढ़ने की जरूरत को रेखांकित किया है।
बयान में कहा गया, ‘‘यह जरूरी है कि देश के सामने चुनौतियों का सामना करने के लिए मौजूदा गठबंधन जारी रहे।’’
हाल के चुनाव के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन की यह पहली संयुक्त बैठक है।
नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि बैठक में मुख्य रूप से सत्ता साझेदारी और सरकार गठन से जुड़े विषयों पर चर्चा हुई।
नेपाल के संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री देउबा की नेपाली कांग्रेस 57 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और उसके सरकार बनाने की संभावना प्रबल हो गयी है।
संसदीय चुनाव के लिए प्रत्यक्ष मतदान के तहत मतगणना सोमवार को यहां समाप्त हो गयी।
प्रत्यक्ष चुनाव में सीपीएन-माओइस्ट सेंटर को 18 सीट मिली हैं, जबकि सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट को 10 सीट पर जीत हासिल हुई है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को चार और राष्ट्रीय जनमोर्चा ने एक सीट पर जीत प्राप्त की है।
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए प्रतिनिधि सभा और सात प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनाव 20 नवंबर को हुए और मतगणना एक दिन बाद शुरू हुई।
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्य प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से चुने जाएंगे, जबकि शेष 110 आनुपातिक चुनाव प्रणाली के माध्यम से निर्वाचित होंगे।
किसी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत के लिए 138 सीटों की जरूरत है।
नेपाल के निर्वाचन आयोग के अनुसार विपक्षी सीपीएन-यूएमएल को अब तक 44 सीट पर जीत मिली है। इसी तरह राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी ने सात-सात सीटें जीती हैं। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी को क्रमश: चार और तीन सीटों पर विजय प्राप्त हुई है।
नेपाली वर्कर्स और पीजेंट्स पार्टी तथा जनमत पार्टी एक-एक सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी हैं। पांच सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों को प्राप्त हुई हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि अनुपातिक मतदान प्रणाली के तहत दो सीटों पर मतगणना अभी चल रही है।
नेपाली कांग्रेस प्रतिनिधि सभा में 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, वहीं सीपीएन-यूएमएल को 77 सीटों पर जीत मिली है। तीसरे स्थान पर सीपीएन-माओइस्ट सेंटर है जिसे 32 सीटों से संतोष करना पड़ा, वहीं आरएसपी 21 सीटों के साथ चौथे स्थान पर रह सकती है। (भाषा)
चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री अपने अंतरिक्ष स्टेशन पर छह महीने का मिशन पूरा करने के बाद धरती पर लौट आए हैं.
ये अंतरिक्ष यात्री तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के अंतिम चरण की देखरेख के लिए 5 जून को रवाना हुए थे. उनकी समयसीमा नवंबर में पूरी हो गई थी.
रविवार को शेनझोउ -14 अंतरिक्ष यान का चालक दल रविवार को चीन के मंगोलिया के स्वायत्त क्षेत्र में उतरा.
चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने इस मिशन को 'पूरी तरह सफल' बताया है.
अंतरिक्ष स्टेशन से रवाना होने के लगभग नौ घंटे बाद स्थानीय समयानुसार 20:00 बजे के बाद अंतरिक्ष यान उतरा. लैंडिंग साइट पर मौजूद कर्मचारियों ने पर चालक दल को कैप्सूल से बाहर निकाला,
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री यांग ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन में उनकी यादें अविस्मरणीय हैं और वो 'मातृभूमि लौटने के लिए उत्साहित थी.' (bbc.com/hindi)
ख़बरों के मुताबिक रूस से दो सैन्य हवाई क्षेत्रों में धमाके हुए हैं. जिसमें कई लोग मारे गए हैं.
मॉस्को के दक्षिण-पूर्व में रियाज़ान शहर के पास एअर फ़ील्ड में एक ईंधन टैंकर में विस्फोट होने से तीन लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए.
साराटोव क्षेत्र में हुए विस्फोट में दो अन्य लोगों के घायल होने की ख़बर है.
अभी तक इन धमाकों की वजह का पता नहीं चला है. दोनों इलाके यूक्रेन की सीमा से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इन दोनों घटनाओं के बारे में सूचना दे दी गई है.
साराटोव के रीजनल गवर्नर ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसिया धमाके का कारण पता लगाने में जुटी हैं. उन्होंने इसे "मिलिट्री ठिकानों पर हादसे की रिपोर्ट" बताया है.
सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में एंगल्स एयरबेस पर लड़ाकू विमान खड़े देखे जा सकते हैं.
दूसरी तस्वीरों से पता चलता है कि इस एयरबेस पर मिलिट्री विमानों की संख्या में कुछ इज़ाफ़ा हुआ है.
यूक्रेन ने इसपर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं है. (bbc.com/hindi)
ईरान, 5 दिसंबर । ईरान में सितंबर से चल रहे भीषण विरोध प्रदर्शनों के बाद आख़िरकार ईरान की सरकार ने 'मोरैलिटी पुलिस'-जिसका काम देश में इस्लामिक ड्रेस कोड को लागू करना है, उसे ख़त्म करने का फ़ैसला लिया है.
ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफ़र मोंताज़ेरी ने रविवार को ये बयान दिया है. हालांकि उनके अलावा अभी तक ईरानी हुकूमत की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.
इस साल सितंबर में ईरान में 22 साल की महसा अमीनी नाम की महिला की पुलिस की हिरासत में मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शन अब तक जारी हैं.
मोंताज़ेरी एक धार्मिक आयोजन में शिरकत कर रहे थे जब उनसे पूछा गया कि क्या ईरान की मोरैलिटी पुलिस को भंग किया गया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मोरैलिटी पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें जिसने शुरू किया था उन्होंने ही 'शट-डाउन यानी ख़त्म' कर दिया है."
दरअसल ये पूरा विवाद इस साल सितंबर से शुरू हुआ, जब ईरान की मोरैलिटी पुलिस ने 22 साल की महसा अमीनी को हिजाब 'ठीक से ना' पहनने के आरोप में हिरासत में लिया. जब अमीनी को हिरासत में लिया गया तो वह अपने भाई के साथ थीं.
पुलिस हिरासत में ही 16 सितंबर को अमीनी की मौत हो गई और आरोप है कि उनकी मौत मोरैलिटी पुलिस की प्रताड़ना के कारण हुई. अमीनी की मौत के तीन दिन के बाद बड़ी तादाद में ईरानी महिलाएं सड़कों पर उतर आईं और तब से हो रहा प्रदर्शन अब तक जारी है. इस देशव्यापी प्रदर्शन में अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं.
लगभग तीन महीने से चल रहे इस प्रदर्शन के कारण मोरैलिटी पुलिस का भंग होना इन प्रदर्शनकारियों की बड़ी जीत मानी जा रही है. ईरान से आ रही इस ख़बर को दुनिया भर के अख़बारों, मीडिया चैनलों पर प्रमुखता से जगह दी जा रही है. आपको बताते हैं कि दुनिया के नामचीन अख़बार और चैनल इस ख़बर को कैसे देख रहे हैं.
'मोरैलिटी पुलिस ख़त्म भी हो जाए तो हिजाब ड्रेस-कोड जारी रहेगा'
क़तर के अल जज़ीरा ने इस पर एक लेख लिखा है. इसमें कहा गया है, "हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि मोरैलिटी पुलिस ईरान में अनिवार्य रूप से हिजाब पहनने के नियम को लागू कराए जाने का एक ज़रिया भर है. लेकिन साल 1979 में इस्लामिक क्रांति के चार साल बाद से ही ईरान में ड्रेस-कोड को लेकर नियम बनाए गए और हिजाब पहनना उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है."
अपने लेख में अल जज़ीरा लिखता है- 'अब तक ईरान के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने ये नहीं कहा है कि हिजाब से जुड़े नियम में कोई बदलाव होने वाला है, बल्कि ईरान के उच्च अधिकारी कई साल से इस बात को दोहराते रहे हैं कि ये मुद्दा एक "रेड-लाइन" है जिस पर बात नहीं होगी.'
क्या ये ईरान सरकार का आधिकारिक फ़ैसला है?- न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि महीनों के प्रदर्शन के बाद ईरान में मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म करने का फ़ैसला लिया गया है.
हालांकि, ये साफ़ नहीं है कि ये धर्मशासित देश का आधिकारिक फ़ैसला है या नहीं, क्योंकि इसे लेकर एक अधिकारी का ही बयान अब तक सामने आया है. ईरान की सरकार ने अब तक ना ही इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी किया है और ना ही अपने अटॉर्नी जनरल के बयान को ख़ारिज किया है.
अख़बार के मुताबिक़, अगर मोरैलिटी पुलिस को भंग भी कर दिया गया है तो भी ये प्रदर्शन शायद ख़त्म ना हों क्योंकि प्रदर्शनकारियों और दूसरे सुरक्षा बलों के बीच झड़प अभी भी जारी है और बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इस्लामिक रिपब्लिक के ख़ात्मे की बात कर रहे हैं.
अख़बार लिखता है- ये बात समझना यहां अहम है कि ईरान में सेना और पुलिस न्यायपालिका के अंतर्गत नहीं बल्कि इंटीरियर मिनिस्ट्री यानी गृह मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं. और ये भी समझने वाली बात है कि अगर ईरान ने मोरैलिटी पुलिस को भंग कर दिया है तो भी देश में लागू इस्लामिक ड्रेस-कोड पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
अख़बार लिखता है कि मोरैलिटी पुलिस ईरान पुलिस के अंतर्गत आती है ना कि अटॉर्नी जनरल के अंतर्गत, ऐसे में संभव है कि ईरानी सरकार अटॉर्नी जनरल मोंताज़ेरी के बयान को हल्का और ग़ैर-ज़रूरी बना कर पेश करने की कोशिश करे.
हाल ही में ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने अपने सर्बिया दौरे के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था, "ईरान में लोकतंत्र और आज़ादी के फ़्रेमवर्क में रहते हुए हम आगे की ओर बढ़ रहे हैं."
'महिलाओं के नेतृत्व वाला प्रदर्शन जिसे सरकार ने दंगाई बताया था'
रियाद से निकलने वाले अख़बार अरब न्यूज़ ने इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है.
अख़बार लिखता है कि ईरान ने दो महीने से अधिक समय से जारी प्रदर्शनों के बीच मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है.
महिलाओं के नेतृत्व में हो रहे इस प्रदर्शन को ईरान की सरकार और अधिकारियों ने 'दंगा' का नाम दिया है जो एक 22 साल की कुर्द लड़की महसा अमीनी की मौत के बाद से आग की तरह देश में फैल गया.
ये ईरान सरकार का फ़ैसला है या नहीं?
अमेरिका से निकलने वाला एक और अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल इस पर लिखता है, "ईरान ने मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म किया है और हो सकता है कि देश अपने हिजाब नियमों में भी कुछ बदलाव करे."
अख़बार ने तेहरान की एक कार्यकर्ता अतेना दाएमी से बात की है और उनका कहना है कि हाल-फ़िलहाल में ईरान की सड़कों पर जब से प्रदर्शन शुरू हुए हैं मोरैलिटी पुलिस की गाड़ियां गश्त लगाती लगभग ना के बराबर नज़र आती हैं. वह कहती हैं कि अगर ये प्रदर्शन यहां ख़त्म हो गया तो ईरानी हुकूमत पुलिस और दूसरे तरीकों से महिलाओं पर हिजाब पहनने के नियम लागू करेगी.
बयान को संदर्भ से अलग पेश किया जा रहा-ईरानी मीडिया
तेहरान से निकलने वाले अख़बारों में मोरैलिटी पुलिस को लेकर कवरेज ना के बराबर है. किसी भी चैनल की वेबसाइट और अख़बार के मुख्य पन्ने पर ये ख़बर नज़र नहीं आती.
लेकिन तेहरान से प्रसारित होने वाला प्रमुख चैनल अल-आलम कहता है कि अटॉर्नी जनरल मोंताज़ेरी के बयान को विदेशी मीडिया संदर्भ से अलग हटा कर देख रहा है.
चैनल अपनी वेबसाइट पर छपे एक लेख में लिखता है कि ईरान के अटॉर्नी जनरल ने अपने बयान से ये साफ़ कर दिया है कि मोरैलिटी पुलिस न्यायिक अधिकारियों के अंतर्गत नहीं आती और जिसने भी इसका गठन बनाया है वह ख़ुद इसकी पेट्रोलिंग को 'कैंसिल' कर चुके हैं.
अटॉर्नी जनरल का ये बयान ऐसे समय आया है जब ईरानी सरकार ने मोरैलिटी पुलिस के पेट्रोलिंग को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है.
चैनल कहता है कि अटॉर्नी जनरल मोहम्मद ज़फ़र मोंताज़ेरी के बयान का ज़्यादा से ज़्यादा यही मतलब निकाला जा सका है कि मोरैलिटी पुलिस की पेट्रोलिंग अपने गठन से ही कभी भी न्यायिक अधिकारियों के दायरे में नहीं रही है. अटॉर्नी जनरल ने ये साफ़ किया है कि न्यायपालिका कम्युनिटी के स्तर पर लोगों के काम और व्यवहार की निगरानी करेगी.
इसके अलावा तेहरान टाइम्स, इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी जैसे मुख्य ईरानी अख़बारों ने इसे कोई कवरेज नहीं की है. (bbc.com/hindi)
लॉस एंजिलिस, 5 दिसंबर | हिंसा भड़काने के आरोप में ट्विटर से निलंबित किए जाने के बाद रैपर कान्ये वेस्ट सोशल मीडिया पर फिर से आ गए हैं और अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरु कर दिया है। 'डेडलाइन' की रिपोर्ट के अनुसार, रैपर ने इंस्टाग्राम पर एक नया संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने एलन मस्क को क्लोन बताया और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी जिक्र किया।
उन्होंने लिखा, "क्या मैं अकेला हूं जो सोचता हूं कि एलन आधा चीनी हो सकता है? क्या आपने कभी एक बच्चे के रूप में उसकी तस्वीर देखी है? एक चीनी प्रतिभा को लें और उन्हें एक दक्षिण अफ्रीकी सुपर मॉडल के साथ मिला दें और हमारे पास एक एलन मस्क है।"
"मैं उन्हें एक एलन कहता हूं क्योंकि उन्होंने शायद 10 से 30 एलन बनाए हैं और वह पहला जेनेटिक हाइब्रिड है जो अटक गया है, ठीक है, ओबामा के बारे में मत भूलना।"
"मुझे चर्च में अपशब्दों का उपयोग करने के लिए खेद है, लेकिन मेरे पास ओबामा के लिए अभी तक एक और शब्द नहीं है।"
पोस्ट के कैप्शन में, किम कार्दशियन के पूर्व पति ने कहा, "जे जेड के जन्मदिन पर संयुक्त राज्य अमेरिका के भविष्य के राष्ट्रपति ये मार्क जुकरबर्ग के मंच का उपयोग करते हैं ताकि एलन मस्क की बचपन की तस्वीरों की बड़े पैमाने पर जांच को उकसाया जा सके, मैं इसे थ्योरी कहता हूं।"
कंसपिरेशी थ्योरी देने वाले एलेक्स जोन्स के साथ इंफोवार्स पर एक उपस्थिति के बाद ये फिर से मुसीबत में पड़ गए, जहां उन्होंने हिटलर की प्रशंसा की और ट्विटर पर टिप्पणी जारी रखी।
आखिरकार उन्हें मंच से प्रतिबंधित करने के लिए स्टार ऑफ डेविड के अंदर एक स्वस्तिक की एक छवि थी, जिसे मस्क ने पुष्टि की जब उन्होंने एक उपयोगकर्ता को जवाब दिया।
मस्क ने ट्वीट किया, "मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। इसके बावजूद, उसने फिर से हिंसा भड़काने के लिए हमारे नियमों का उल्लंघन किया। खाता निलंबित कर दिया जाएगा।"
वेस्ट के पोस्ट के वायरल होने के बाद, मस्क की ट्विटर पर प्रतिक्रिया हुई जहां उन्होंने कहा, "मैं इसे एक तारीफ के रूप में लेता हूं!" (आईएएनएस)|
-सियावाश अर्दालान & मारिटा मोलोनी
'मोरैलिटी पुलिस' ईरान की पुलिस व्यवस्था का वो हिस्सा है जो इस्लामिक क़ानूनों और ड्रेस कोड को लागू करना सुनिश्चित करती थी. ईरान के अटॉर्नी जनरल के बयान के मुताबिक़, अब इस पुलिस व्यवस्था को भंग किया जा रहा है.
हालांकि अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफ़र मोंटाज़ेरी के इस बयान की पुष्टि ईरान से बाहर की एजेंसियों के ज़रिए की जानी बाकी है, लेकिन माना जा रहा है उन्होंने ये बयान रविवार को एक कार्यक्रम में दिया है.
कुछ महीने पहले ईरान में पुलिस कस्टडी में एक महिला की मौत के बाद से लगातार प्रदर्शन जारी है. उस महिला का नाम था महसा अमीनी जिन्हें हिजाब नहीं पहनने के जुर्म में पुलिस ने हिरासत में लिया था.
एक धार्मिक कार्यक्रम में मोंटेज़ेरी से जब ये पूछा गया कि क्या सरकार मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म करने जा रही है, तो उनका जवाब था- "मोरैलिटी पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है. वो व्यवस्था जिस तरह बनाई थी, उसे अब पूरी तरह ख़त्म किया जा चुका है. इसका कंट्रोल गृह मंत्रालय के पास था ना कि न्यायपालिका के पास."
इससे पहले मोंटेज़ेरी ईरानी संसद में ये कुबूल कर चुके हैं कि महिलाओं को हिजाब पहनना ज़रूरी करने वाले क़ानून पर दोबारा विचार किया जाएगा.
हालांकि मोरैलिटी पुलिस की व्यवस्था ख़त्म करने के बावजूद ईरान में माना जा रहा है कि इससे दशकों पुराने इस्लामिक क़ानूनों की सख़्ती में कोई बदलाव नहीं आएगा.
इसके ख़िलाफ़ पूरे ईरान में 16 सितंबर से ही लगातार प्रदर्शन चल रहे हैं, जब पुलिस कस्टडी में 22 साल की युवती महसा अमीनी की मौत की ख़बर आई थी.
अमीनी को मौत से तीन दिन पहले पुलिस ने हिरासत में लिया था. उनकी मौत के ख़िलाफ़ पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हुए, जिसे दंगा क़रार देते हुए ईरानी प्रशासन ने लगातार सख़्ती बरतना शुरू कर दिया.
ईरान में ये प्रदर्शन भले ही हिजाब को लेकर सख़्ती और पुलिस ज़्यादती के ख़िलाफ़ शुरू हुए थे, लेकिन देखते ही देखते ग़रीबी, बेरोज़गारी, ग़ैर-बराबरी, अन्याय और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे प्रदर्शन के एजेंडे में शामिल होते गए.
'हमारे साथ क्रांति की मशाल है'
अगर मोरैलिटी पुलिस व्यवस्था भंग करने की ख़बर पुख़्ता होती है तो ये प्रदर्शनकारियों के लिए बड़ी जीत होगी, लेकिन तब भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि पूरे ईरान में चल रहे प्रदर्शनों में कोई कमी आएगी.
बीबीसी से बातचीत में एक ईरानी महिला ने कहा, "अगर सरकार ये भी मान लेती है कि हिजाब व्यक्तिगत पसंद का मामला है तो भी ये हमारे लिए काफ़ी नहीं होगा. लोग जान चुके हैं कि मौजूदा सरकार के साथ ईरान का कोई भविष्य नहीं. महिलाओं के तमाम अधिकार दिलाने के लिए हमारे साथ मुल्क के कई तबकों के लोग एकजुट हो रहे हैं."
एक दूसरी ईरानी महिला ने बीबीसी से कहा, "हिजाब हमारे लिए अब चिंता का विषय है ही नहीं, ये तो हम पिछले 70 दिनों से नहीं पहन रहे. आज हमारे पास क्रांति की मशाल है. इसकी शुरुआत हिजाब से हुई थी, लेकिन अब तानाशाही के ख़ात्मे और मौजूदा सत्ता में बदलाव से कम हमें कुछ भी मंज़ूर नहीं. "
मोरैलिटी पुलिस क्या है?
ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद मोरैलिटी पुलिस के कई रूप देखने को मिले. लेकिन इसका हालिया रूप ग़श्त-ए-इरशाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा. ईरानी पुलिस का यही वो हिस्सा है जो महिलाओं को हिजाब पहनाने के साथ इस्लामिक क़ानूनों को सख़्ती से लागू कराना सुनिश्चित कर रहा था.
इन्होंने 2006 से ही अपनी पेट्रोलिंग शुरू कर दी थी. इस दौरान ये लोग तय करते थे कि कोई भी महिला बिना हिजाब के नहीं निकले. महिलाएं शॉर्ट्स, फटी हुई जीन्स की बजाय पूरी लंबाई तक के कपड़े पहनें.
साल 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए 'मोरैलिटी पुलिस' कई स्वरूपों में मौजूद रही है.
इनके अधिकार क्षेत्र में महिलाओं के हिजाब से लेकर पुरुषों और औरतों के आपस में घुलने-मिलने का मुद्दा भी शामिल रहा है.
लेकिन महसा अमीनी की मौत के लिए ज़िम्मेदार बताई जा रही सरकारी एजेंसी 'गश्त-ए-इरशाद' ही वो मोरैलिटी पुलिस है जिसका काम ईरान में सार्वजनिक तौर पर इस्लामी आचार संहिता को लागू करना है.
'गश्त-ए-इरशाद' का गठन साल 2006 में हुआ था. ये न्यायपालिका और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स से जुड़े पैरामिलिट्री फ़ोर्स 'बासिज' के साथ मिलकर काम करता है.(bbc.com/hindi)
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया है कि पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल 2019 के दौरान तीन साल बढ़ाकर उन्होंने 'भारी गलती' की थी.
पत्रकार इमरान रियाज खान को दिए एक इंटरव्यू में तहरीक-ए-इंसाफ के चेयरमैन ने कहा कि जनरल बाजवा को एक्सटेंशन देना बहुत बड़ी गलती थी, सेना में किसी को एक्सटेंशन नहीं मिलना चाहिए. मैं तब भी सोचता था, लेकिन हालात ऐसे ही बना दिए गए.
उनका दावा है कि सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल का विस्तार मिलने के बाद जनरल बाजवा ने अन्य दलों के साथ बातचीत शुरू की और संभवत: जनरल बाजवा द्वारा सहयोगी दलों को कुछ आश्वासन दिया गया था.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि उन्होंने पीएमएल को भी कुछ आश्वासन दिया होगा. वह सभी को आश्वासन देते रहे. जब जनरल फैज को हटाया गया तो यह साफ हो गया कि उन्होंने मुझे हटाने का फैसला कर लिया है."
इमरान खान ने कहा, "जनरल बाजवा ने डबल गेम खेले हैं. उन्होंने मेरे साथ क्या किया, मैं एक डायरी लेकर पीएम हाउस से निकल गया."
इमरान खान ने कहा कि साढ़े तीन साल बाद मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मुझमें कितनी कमजोरी है कि मैं उन पर (जनरल बाजवा) भरोसा कर सकता हूं. जनरल बाजवा कहते थे देश को बचाने के लिए हमारे हित समान हैं. मुझे नहीं पता था कि मुझे कैसे धोखा दिया गया, झूठ बोला गया.
"कुछ दिनों पहले जब हमें पता चला कि साजिश चल रही है तो आईबी की रिपोर्ट आई. वह आकर मुझे व्यक्तिगत रूप से बताते थे, मुझे लिखकर नहीं, ताकि मुझे पता न चले."
इमरान खान ने आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम और आईएसपीआर के उस दावे को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि सेना पिछले डेढ़ साल से राजनीति में अहस्तक्षेप का रुख बनाए हुए है.
"मैं साढ़े तीन साल से सरकार में बैठा हूं, मुझे पता है कि इसे कैसे संचालित किया जाता है." (bbc.com/hindi)
ईरान के प्रॉसिक्यूटर जनरल ने एक धार्मिक सम्मेलन में बताया कि देश की धार्मिक पुलिस यानी मोरैलिटी पुलिस को भंग कर दिया गया है.
हालांकि प्रॉसिक्यूटर जनरल मोहम्मद जफ़र मॉन्ताज़ेरी के बयान को ईरान की क़ानून लागू करने वाली संस्था ने पुष्टि नहीं की है.
हाल ही में 22 वर्षीय महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से ईरान में इसके ख़िलाफ़ सरकार-विरोधी प्रदर्शन जारी हैं.
इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत भी हुई है.
महसा अमीनी को तेहरान की मोरैलिटी पुलिस ने कथित तौर पर 'ठीक से हिजाब' न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया और बाद में उनकी मौत हो गई.
ईरान के सख़्त नियमों के अनुसार, महिलाओं के लिए हिजाब या हेडस्कार्फ़ पहनना अनिवार्य है.
हालांकि बीबीसी फ़ारसी सेवा के रिपोर्टर सियावाश अर्दलान ने कहा कि मोरैलिटी पुलिस को भंग किए जाने का मतलब ये ज़रूरी नहीं है कि अब हिजाब का क़ानून बदल जाएगा. उन्होंने इसे बहुत देर से उठाया गया छोटा क़दम बताया.
मोरैलिटी पुलिस क्या है?
साल 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए 'मोरैलिटी पुलिस' कई स्वरूपों में मौजूद रही है.
इनके अधिकार क्षेत्र में महिलाओं के हिजाब से लेकर पुरुषों और औरतों के आपस में घुलने-मिलने का मुद्दा भी शामिल रहा है.
लेकिन महसा की मौत के लिए ज़िम्मेदार बताई जा रही सरकारी एजेंसी 'गश्त-ए-इरशाद' ही वो मोरैलिटी पुलिस है जिसका काम ईरान में सार्वजनिक तौर पर इस्लामी आचार संहिता को लागू करना है.
'गश्त-ए-इरशाद' का गठन साल 2006 में हुआ था. ये न्यायपालिका और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स से जुड़े पैरामिलिट्री फ़ोर्स 'बासिज' के साथ मिलकर काम करता है. (bbc.com/hindi)