ताजा खबर
विधायक शैलेश पाण्डेय ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का माना आभार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 22 मई। बिलासपुर में राज्य के पहले शासकीय राज्य स्तरीय कैंसर हॉस्पिटल का भूमि पूजन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आज किया।
इस मौके पर रायपुर में उनके निवास पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव व बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय मौजूद थे। वर्चुअल रूप से जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल, बिलासपुर के सांसद अरुण साव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बिलासपुर ही नहीं प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि कैंसर का उच्च-स्तरीय इलाज बिलासपुर में सर्व सुविधा तरीके से हो सकेगा।
विधायक शैलेष पांडेय ने बिलासपुर को दी गई इस सुविधा के लिए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।
ज्ञात हो कि केंद्र व राज्य सरकार के संयुक्त अनुदान से बिलासपुर के कोनी में यह कैंसर हॉस्पिटल स्थापित होने जा रहा है। यहां पर कैंसर से संबंधित शोध भी होंगे। राज्य स्तरीय कैंसर संस्थान में 100 बिस्तर होंगे साथ ही 20 बिस्तर की आईसीयू यूनिट भी होगी।
चेन्नई, 22 मई। तमिलनाडु सरकार ने केंद्र द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों पर कर में कटौती को रविवार को ‘‘आंशिक’’ करार दिया और कहा कि ‘‘राज्यों से उनके करों में कमी करने की उम्मीद करना न तो उचित है और न ही तर्कसंगत है।’’
तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल त्यागराजन ने कहा कि केंद्र सरकार ने कर बढ़ाते समय राज्यों से कभी विचार-विमर्श नहीं किया और नवंबर 2021 में केंद्र सरकार द्वारा की गई कर कटौती के कारण राज्य पहले ही 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान झेल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शनिवार को कर में कटौती की घोषणा के बावजूद दर 2014 के मुकाबले अब भी अधिक हैं।
त्यागराजन ने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर करों को कई बार बढ़ाते समय, राज्यों से कभी सलाह नहीं ली। केंद्र सरकार द्वारा करों में अत्यधिक वृद्धि को कटौती के माध्यम से केवल आंशिक रूप से कम किया गया है और कर 2014 की दरों की तुलना में अब भी अधिक हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए राज्यों से करों में कटौती की उम्मीद करना न तो उचित है और न ही तर्कसंगत है।’’
ईंधन उत्पादों की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आम जनजीवन पर पड़ रहे असर को देखते हुए केंद्र सरकार ने शनिवार को पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः आठ रुपये एवं छह रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की घोषणा की थी।
त्यागराजन ने कहा कि यह देखना ‘सुखद’ है कि केंद्र ने ‘‘पेट्रोल और डीजल पर 2014 से 2021 के बीच उसके द्वारा अत्यधिक बढ़ाए गए करों में कटौती को लेकर तमिलनाडु सरकार के कई बार किए गए अनुरोधों पर अंतत: गौर किया है।’’
उन्होंने जिक्र किया कि एम के स्टालिन नीत द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की सरकार ने अगस्त 2021 में वैट (मूल्य संवर्धित कर) में कटौती की थी, जिससे पेट्रोल की कीमत में तीन रुपए प्रति लीटर की कमी आई थी। मंत्री ने कहा कि इससे राज्य को 1,160 करोड़ रुपए के राजस्व का वार्षिक नुकसान हुआ था, लेकिन ऐसा लोगों की भलाई के लिए किया गया था, जबकि पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार से विरासत में मिले वित्तीय दबाव के कारण सरकार पहले से जूझ रही थी।
त्यागराजन ने कहा, ‘‘पिछले सात वर्षों में पेट्रोल पर केंद्र सरकार के कर में काफी वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार के राजस्व में कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन राज्यों के राजस्व में समान वृद्धि नहीं हुई है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ साझा किए जाने वाले मूल उत्पाद शुल्क को कम किया है, जबकि पेट्रोल और डीजल पर उपकर और अधिभार में वृद्धि की है।’’
त्यागराजन ने कहा कि नवंबर 2021 में केंद्र द्वारा कर में कटौती से तमिलनाडु को 1,050 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व नुकसान हुआ था और ताजा कटौती से एक साल में 800 करोड़ रुपए का और नुकसान होगा, जिससे राज्यों पर वित्तीय दबाव और बढ़ेगा। (भाषा)
भोपाल, 22 मई (भाषा)। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 वर्षीय एक महिला ने अपने 10 वर्षीय भतीजे पर चाकू से कथित रूप से हमला करके उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। महिला अपनी मां के अंतिम संस्कार में अपने भाई एवं भाभी के शामिल न होने से स्पष्ट रूप से आक्रोशित थी।
हनुमानगंज पुलिस थाने के निरीक्षक महेंद्र सिंह ठाकुर ने रविवार को बताया कि यह घटना शनिवार को हनुमानगंज पुलिस थाना क्षेत्र के काजी कैंप इलाके में हुई। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यहां रहने वाली एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद उसका पुत्र और बहू अंतिम संस्कार के लिए यहां भोपाल नहीं आ सके। वे दोनों झांसी में रहते हैं।
ठाकुर ने बताया कि इस बात पर आसमा बेगम (40) को इतना गुस्सा आया कि उसने अपने साथ रह रहे अपने भाई के बेटे अमान अली (10) पर चाकू से कई वार किए और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया।
ठाकुर ने बताया कि गंभीर रूप से घायल बच्चे को शासकीय हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उन्होंने कहा कि आसमा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उसे अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है।
अमरोहा, 22 मई। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के सैयद नगली थाना क्षेत्र के कनैटा गांव में शनिवार शाम आकाशीय बिजली गिरने से तीन मजदूरों की मौत हो गई, जबकि छह अन्य घायल हो गए। पुलिस सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि शनिवार शाम कनैटा गांव के पास नौ मजदूर नीलगिरी के पेड़ काट रहे थे, तभी अचानक आंधी-बारिश शुरू हो गई और सभी मजदूर आकाशीय बिजली की चपेट में आ गए।
सूत्रों के मुताबिक, घटना में रिफाकत (55), प्रेमचंद (23) और राजेंद्र (30) की मौत हो गई, जबकि वसीम, नवाजिश, मोमराज, देवेंद्र, अनीस और इमरान गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने बताया कि सभी घायलों को अमरोहा स्थित मुन्नी देवी मेमोरियल सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संजय अग्रवाल के अनुसार, घायलों का इलाज जारी है और वे सभी खतरे से बाहर हैं। हसनपुर के उप-जिलाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि हर मृतक के परिवार को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 22 मई । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि अगर केंद्र राज्यों को और निधि या अनुदान नहीं देता है तो क्या राज्य पेट्रोल और डीजल पर वैट से मिलने वाले राजस्व को छोड़ने की स्थिति में होंगे? उन्होंने कहा कि राज्यों के लिए हालात ‘‘एक तरफ कुआं और एक ओर खाई’’ के जैसे हैं।
पूर्व वित्त मंत्री की टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब एक दिन पहले सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर की कटौती और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने की अधिसूचना अब आ गई है। वित्त मंत्री ने ‘उत्पाद शुल्क’ शब्द का इस्तेमाल किया था लेकिन कटौती दरअसल अतिरिक्त उत्पाद शुल्क में की गई है, जिसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है। इसलिए मैंने कल जो कहा था, उसमें सुधार करते हुए अब मैं कहना चाहता हूं कि कटौती का पूरा बोझ केंद्र पर ही आएगा।’’
उन्होंने कहा कि राज्यों को पेट्रोल तथा डीजल पर उत्पाद शुल्क का बहुत कम हिस्सा मिल रहा है। उन्हें पेट्रोल और डीजल पर जो राजस्व मिलता है वह वैट के जरिये मिलता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ऐसे में जब तक केंद्र राज्यों को और निधि या अनुदान नहीं देगा, क्या तब तक वे राजस्व में कटौती कर पाएंगे।’’
उन्होंने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कहा कि राज्यों के लिए तो स्थिति ‘‘एक तरफ कुआं और एक ओर खाई’’ के जैसी है।(भाषा)
हमले से जान बचाकर भागे कर्मचारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 मई। राजनांदगांव-दुर्ग नेशनल हाईवे में स्थित एक ढाबा में रविवार सुबह मुस्लिम युवकों की चाय की कीमत को लेकर उठा विवाद उस वक्त हिंसक रूप ले लिया, जब इस भीड़ ने ढाबा में जमकर तोडफ़ोड़ करते उत्पात मचाया।
दरअसल पूरा मामला चाय पीने के बाद ढाबा मालिक के द्वारा मांगे गए पैसे को लेकर शुरू हुआ था। आज सुबह लगभग 5.30 बजे कुछ युवक चाय पीने के लिए ढाबा में रूके। चाय पीने के बाद जब बिल की रकम युवकों ने देखी तो उन्होंने महंगी चाय बेचने के नाम पर ढाबा संचालक के साथ विवाद शुरू कर दिया। उस दौरान तकरीबन 15-20 से युवकों की ढाबा मालिक के साथ बहस हुई। ढाबा मालिक के चाय के दाम पर अडऩे से मामला कुछ देर के लिए शांत हुआ।
तकरीबन डेढ़ से दो घंटे बाद एकाएक भीड़ के शक्ल में मुस्लिम युवकों ने ढाबा में धावा बोल दिया। भीड़ देखकर ढाबा मालिक दीपक बिहारी और उसके भाई के होश उड़ गए। इससे पहले बातचीत हो पाती, भीड़ ने ढाबा के कुर्सी और अन्य सामानों को तहस-नहस करना शुरू कर दिया। ढाबा के बाहर रखे प्लास्टिक के कुर्सियों को पूरी तरह से तोड़ दिया। भीड़ के हिंसक रूख को देखते हुए ढाबा में काम कर रहे छोटे-बड़े कर्मचारी जान बचाकर भागे, लेकिन ढाबा मालिक दीपक और उसके भाई को मुस्लिम युवकों ने पकड़ लिया और उनकी बेतहाशा पिटाई की। इस दौरान भीड़ में से किसी एक युवक ने ढाबा मालिक पर धारदार हथियार से हमला भी कर दिया, जिसके चलते वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
बताया जा रहा है कि शहर के नजदीक एक धार्मिक स्थल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुस्लिम युवक पहुंचे थे। सुबह वापसी के दौरान इन्हीं युवकों का ढाबा में विवाद हुआ और घटना ने हिंसक रूख अख्तियार कर लिया। इधर हिंसक घटना की सूचना सोमनी पुलिस को काफी देर बाद हुई। अब तक पुलिस ने मामला पंजीबद्ध नहीं किया है। हालांकि पुलिस ने ढाबा में हुए घटना के बाद जवानों के एक विशेष दस्ते को तैनात किया है।
-प्रभाकर मणि तिवारी
पश्चिम बंगाल की राजनीति में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) परीक्षा और इसके ज़रिये हुई कथित अवैध नियुक्तियों की आंच लगातार तेज़ हो रही है.
यह कथित घोटाला सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी सरकार और उसके नेताओं के गले की फांस बनता जा रहा है. इसके ख़िलाफ़ दायर जनहित याचिका के आधार पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है.
अदालत ने शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी की पुत्री अंकिता अधिकारी की स्कूल टीचर के तौर पर नियुक्ति को अवैध बताते हुए उसे रद्द कर दिया है और साथ ही उनसे 41 महीने का वेतन दो किस्तों में वसूलने का आदेश दिया है.
दूसरी ओर, सीबीआई पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, जिनके कार्यकाल में कथित घोटाला हुआ और मौजूदा शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी से लगातार पूछताछ कर रही है.
अदालत से कोई राहत नहीं
अदालत से गुहार लगाने के बावजूद इन दोनों नेताओं को कोई राहत नहीं मिल सकी है. सीबीआई ने इस घोटाले के पर्याप्त सबूत हाथ लगने का दावा करते हुए कहा है कि मंत्री की पुत्री अंकिता से भी उसकी नियुक्ति के बारे में जल्दी ही पूछताछ की जाएगी.
हाईकोर्ट ने मंत्री की पुत्री की जगह उस बबीता सरकार की नियुक्ति को तरजीह देने की सिफारिश की है जिसकी याचिका के आधार पर यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मंत्री की पुत्री को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश दिया गया है.
अब इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. विपक्ष ने इस घोटाले पर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए दोनों मंत्रियों के इस्तीफे की मांग की है. वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर भाजपा पर ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है.
नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं को लेकर उठे विवाद के बीच पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
क्या है एसएससी घोटाला
जिस कथित एसएससी घोटाले पर राज्य में बवाल मचा है आखिर वह है क्या?
दरअसल, राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर नियुक्तियों के लिए स्कूल सेवा आयोग ने वर्ष 2016 में परीक्षा आयोजित की थी.
उसका नतीजा निकला 27 नवंबर 2017 को. उसमें सिलीगुड़ी की बबीता सरकार का नाम शीर्ष 20 उम्मीदवारों में शामिल था. लेकिन आयोग ने वह सूची रद्द कर दी. बाद में निकली सूची में बबीता का नाम तो वेटिंग लिस्ट में चला गया. लेकिन उससे 16 नंबर कम पाने के बावजूद मंत्री की पुत्री अंकिता का नाम शीर्ष पर आ गया.
अदालत ने पहले इस कथित घोटाले की जांच के लिए न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी.
मामला सीबीआई को सौंपा गया था
बाग समिति ने ग्रुप-डी और ग्रुप-सी पदों पर नियुक्तियों में अनियमितता पाई थी. उसने कहा था कि ग्रुप-सी में 381 और ग्रुप-डी में 609 नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं. इसने राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की थी. अदालत ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.
इस मामले के आरोपी मंत्री ने इस फैसले के खिलाफ दो जजों की खंडपीठ के समक्ष अपील की थी. लेकिन न्यायमूर्ति तालुकदार और न्यायमूर्ति मुखर्जी की खंडपीठ ने स्कूल सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं को सार्वजनिक घोटाला करार दिया और कहा कि मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा दिया गया सीबीआई जांच का आदेश गलत नहीं था.
शिक्षा विभाग के एक पूर्व कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, "पहली सूची निकलने के बाद कुछ खास उम्मीदवारों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) का इस्तेमाल करते हुए अपनी उत्तर पुस्तिकाओं के दोबारा मूल्यांकन की अपील करने की सलाह दी गई. उसके बाद उनके नंबर बढ़ा कर उनके नाम भी मेरिट लिस्ट में शामिल किए गए. कुछ खास लोगों को उपकृत करने के लिए ऐसा किया गया."
बाग समिति के सदस्य और हाईकोर्ट के एडवोकेट अरुणाभ बनर्जी ने अदालत में कहा, "मूल रूप से कुछ उम्मीदवारों के नंबर बढ़ाने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया."
दूसरी ओर, इस कथित घोटाले और मंत्री की पुत्री की कथित अवैध नियुक्ति के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने वाली बबीता सरकार अदालत के फैसले से खुश हैं.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, "अदालत का फैसला राहत भरा है. लेकिन क्या सरकार उसका आदेश मानेगी?"
लेकिन मंत्री के खिलाफ आरोप लगाते समय आपको कोई डर नहीं लगा था. इस पर बबीता कहती हैं, "उस समय मुझे पता ही नहीं था कि मेरी जगह जिसकी नियुक्ति की गई है वह शिक्षा मंत्री की पुत्री है. मेरी लड़ाई किसी खास व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि न्याय के लिए थी."
आरोप-प्रत्यारोप तेज़
अब तमाम विपक्षी दलों ने दो आरोपी मंत्रियों के इस्तीफे की मांग उठाई है. भाजपा समेत तमाम संगठन इस मामले पर लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए अपने मंत्रियों का बचाव किया है कि वाम मोर्चा के शासनकाल के दौरान भी नियुक्तियां और तबादले पर्ची पर लिखकर किए जाते थे.
उनका कहना था कि वे अब तक चुप्पी साधे बैठी थीं. लेकिन अब ऐसे तमाम मामलों का खुलासा करेंगी. ममता ने कहा, "नियुक्तियों में विसंगतियों को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है. अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो कानून अपना काम करेगा. लेकिन यह दुष्प्रचार अभियान बंद होना चाहिए."
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि घोटाले में कथित भागीदारी के आरोप से जूझ रहे दोनों मंत्रियों को फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए.
मजूमदार कहते हैं, "सीबीआई के सामने पेश होने से पहले मंत्री परेश अधिकारी दो दिनों तक आंख मिचौली खेलते रहे."
सीपीएम नेता चक्रवर्ती कहते हैं, "इस मामले से ध्यान हटाने के लिए ही ममता वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल में पर्ची पर लिख कर नियुक्ति करने के निराधार आरोप लगा रही हैं. अगर ऐसा हुआ था तो उनको साबित करना चाहिए."
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनको ''एसएससी भर्ती घोटाले का मास्टरमाइंड'' बताया है.
अधिकारी का कहना था, "यह अपने किस्म का पहला मामला है जब राज्य के दो मंत्रियों को अदालत ने एक ही दिन केंद्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने का निर्देश दिया." उन्होंने आरोप लगाया कि दो मंत्रियों चटर्जी और परेश अधिकारी ने लाखों योग्य उम्मीदवारों को नौकरी से वंचित कर दिया है.
उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं, ''कानून अपना काम करेगा. हमें न्यायपालिका पर विश्वास है, लेकिन सीबीआई से मेरा सवाल यह है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में आरोपी शुभेंदु अधिकारी को आखिर गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है?'' (bbc.com)
राष्ट्रपति चुनाव जुलाई में होने वाला है लेकिन उसके लिए सुगबुगाहट तेज़ हो गई है. विपक्षी दल अगले हफ़्ते राष्ट्रपति चुनाव के लिए सामूहिक रूप से एक उम्मीदवार चुनने को लेकर बैठक कर सकते हैं ताकि एनडीए के उम्मीदवार को चुनौती दी जा सके.
अंग्रेज़ी अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स में ख़बर है कि विपक्षी नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भी इसके लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं.
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाक़ात की. केसीआर ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से भी दिल्ली में मुलाक़ात की.
वैसे तो केसीआर के मुख्यमंत्रियों से मिलने की तत्काल वजह ये थी कि उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 738 किसानों को तीन लाख का मुआवज़ा देने की घोषणा की थी. उनके आने वाले चुनावों में गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा गठबंधन बनाने पर भी बात करने की उम्मीद है.
केसीआर दूसरी बैठक जनता दल (सेक्यूलर) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा से बैंगलुरू में 26 मई को कर सकते हैं. (bbc.com)
दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर रतन लाल को 'शिवलिंग' को लेकर कथित आपत्तिजनक सोशल पोस्ट मामले में दिल्ली कोर्ट ने शनिवार को ज़मानत दे दी. इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली की कोर्ट ने कई टिप्पणियां कीं.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कोर्ट ने यह कहते हुए कि भारतीय सभ्यता सभी धर्मों को स्वीकार करने के लिए जानी जाती है और इस देश में किसी भी विषय पर 130 करोड़ अलग-अलग विचार हो सकते हैं, शिक्षक रतन लाल को ज़मानत दे दी.
चीफ़ मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ मलिक ने कहा, ''संरचना/प्रतीक के संबंध में ये पोस्ट काल्पनिक प्रकृति की है जो अब सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है.''
कोर्ट ने कहा, ''अभियुक्त की पोस्ट एक विवादित विषय के संबंध में व्यंग्य का एक असफल प्रयास था जिसका उलटा असर हुआ और ये एफ़आईआर हुई.''
न्यायाधीश ने भारतीय सभ्यता की सहिष्णुता और किसी विषय को लेकर अलग-अलग विचार होने पर कई बातें कहीं. कोर्ट ने कहा, ''भारतीय सभ्यता दुनिया में सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और सभी धर्मों के लिए सहिष्णु और सबको स्वीकार करने वाली मानी जाती है. शब्दों से नफ़रत फैलाने का इरादा था या नहीं ये व्यक्तिगत दृष्टिकोण है क्योंकि ये पढ़ने वाले व्यक्ति की धारणा पर निर्भर करता है.''
कोर्ट ने कहा कि भारत 130 करोड़ से ज़्यादा लोगों का देश है और ''किसी विषय पर 130 करोड़ अलग-अलग नज़रिये और धारणाएं हो सकती हैं. किसी एक का आहत होना पूरे समूह या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता और आहत होने संबंधी शिकायतों को पूरे तथ्यों/परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इनके संदर्भ में देखा जाना चाहिए.''
न्यायाधीश ने अपनी इस बात को और विस्तार से समझाते हुए कहा, ''शिकायकर्ता निजी जीवन में हिंदू धर्म के गौरवान्वित अनुयायी हैं और विवादित विषय पर टिप्पणी को अप्रिय और गैर-ज़रूरी कह सकते हैं. वहीं, किसी और व्यक्ति के लिए, यही पोस्ट शर्मनाक हो सकती है लेकिन दूसरी समुदाय के लिए नफ़रत पैदा करने वाली नहीं. इसी तरह, कोई और व्यक्ति इस पोस्ट को बिना नाराज़गी से अलग नज़रिए से देख सकता है. कोई ये भी सोच सकता है कि अभियुक्त ने नतीजों पर विचार किए बिना अनुचित टिप्पणी की है.''
कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई कि ''अभियुक्त ने एक ऐसा काम किया है जिससे अभियुक्त के आसपास के लोगों और जनता की संवेदनाओं को देखते हुए बचा जा सकता था. हालांकि, ये पोस्ट निंदनीय है लेकिन दो समुदायों के बीच नफ़रत को बढ़ावा देने का संकेत नहीं देती.''
पुलिस की कार्रवाई को लेकर कोर्ट ने कहा कि वो सुरक्षा बलों की चिंताओं को समझते हैं क्योंकि उन्हें क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी दी गई है और उन्हें अशांति के ज़रा से भी संकेत पर कार्रवाई करनी होती है. हालांकि, किसी व्यक्ति को हिरासत में भेजने के लिए कोर्ट को उच्च मानक तय करने होंगे.
पुलिस ने इस मामले में पूरी तरह जांच करने के लिए शिक्षक रतनलाल की 14 दिन न्यायिक हिरासत की मांग की थी.
शिक्षक रतन लाल के वकील ने उनकी ज़मानत की अर्जी देते हुए दलील दी थी कि उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए किसी को नहीं भड़काया. वो कोई अपराधी नहीं हैं. वो एक प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रोफ़ेसर हैं. पुलिस उन्हें नोटिस दे सकती थी और उनके जवाब के लिए इंतज़ार कर सकती थी. संतोषजनक जवाब ना आने पर उन्हें गिरफ़्तार कर सकते थे.
वहीं, पुलिस की ओर से मौजूद अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि "प्रथम दृष्टया कुछ टिप्पणियां की गई हैं जिनमें सार्वजनिक शांति भंग करने की क्षमता है. इसी के अनुसार एफ़आईआर दर्ज की गई है. ऐसे शिक्षित व्यक्ति से ये अपेक्षित नहीं था. इस प्रकार की टिप्पणी के बाद वो यहीं नहीं रुके बल्कि यूट्यूब पर अपलोड किए गए विभिन्न वीडियो के माध्यम से अपना बचाव करते रहे.''
रतन लाल के वकील ने कहा कि भगवान शिव समाज के किसी एक वर्ग की संपत्ति नहीं हैं. क्या रतन लाल अपने ही लोगों को भड़काएंगे? वो खुद शिव भक्त हैं.
इसके जवाब में अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षक रतन लाल को ये पोस्ट करने से पहले सोचना चाहिए था. आपको ज़िम्मेदाराना तरीक़े से व्यवहार करना चाहिए था.
एसोसिएट प्रोफ़ेसर रतन लाल हिंदू कॉलेज में इतिहास पढ़ाते हैं. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद से निकले ढांचे को लेकर कथित आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट लिखी थी. इस ढांचे को लेकर शिवलिंग या फ़व्वारा होने के दावे किए जा रहे हैं. (bbc.com)
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भाषा विवाद से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा है, “उर्दू देश की भाषा है. उर्दू ने आज़ादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण निभाई है, लेकिन जाने क्यों प्रधानमंत्री की पार्टी उर्दू से इतनी नफ़रत करती है?”
ओवैसी ने अपने बयान में कहा,“हम प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि आपकी पार्टी उर्दू से इतनी नफ़रत क्यों करती है? उर्दू भी तो इस देश की ज़ुबान है. भारत की जंग-ए-आज़ादी में एक महत्वपूर्ण रोल निभाया है. तो उर्दू से आख़िर इतनी तक़लीफ़ क्यों हो जाती है, बीजेपी को, प्रधानमंत्री को.”
ओवैसी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को जब पार्लियामेंट में शेर पढ़ना होता है तो उर्दू का शेर पढ़ते हैं लेकिन उर्दू को पसंद नहीं करते हैं. ये क्या बात है.
उन्होंने कहा कि उर्दू सिर्फ़ मुसलमानों की ज़ुबान नहीं है, उर्दू इस देश की ज़ुबान है.
ओवैसी की यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि इससे महज़ दो दिन पहलेजयपुर में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में पीएम मोदी ने हाल के दिनों में राष्ट्र भाषा पर छिड़ी बहस पर अपनी राय दी थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता देना, हर क्षेत्रीय भाषा के प्रति हमारे कमिटमेंट को दिखाता है. भाजपा, भारतीय भाषाओं को भारतीयता की आत्मा मानती है और राष्ट्र के बेहतर भविष्य की कड़ी मानती है.” (bbc.com)
आज गामा पहलवान की 144वीं जयंती है. इसस मौक़े पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है. गामा पहलवान का असली नाम गुलाम मोहम्मद था. जिनका जन्म 1878 में एक कश्मीरी परिवार में हुआ था.
गामा पहलवान की पहलवानी का करियर 50 साल से अधिक का रहा. वो ना केवल भारत में अविजीत रहे बल्कि इंग्लैंड और दूसरे कई यूरोपीय देशों में भी उन्होंने अपने नाम का लोहा मनवाया.
1910 के दौर में लोग उन्हें दुनिया के सबसे ताकतवर शख़्स रूप में परिभाषित करते थे. (bbc.com)
राज ठाकरे पांच जून को अयोध्या का दौरा करने वाले थे लेकिन उसे टाल दिया गया है और रविवार को वह पुणे में एक बैठक को संबोधित करने वाले हैं.
आज सुबह 10 बजे पुणे के गणेश क्रीड़ा मंडल में उनकी बैठक होनी है.
राज ठाकरे पांच जून को अयोध्या जाने वाले थे जिस पर बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह ने विरोध जताया था.
20 मई को राज ठाकरे के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके बताया गया कि उनका अयोध्या दौरा स्थगित किया जा रहा है. उन्होंने यह भी लिखा था कि वह इसके बारे में बाद में विस्तार से जानकारी देंगे.
बीबीसी मराठी की ख़बर के मुताबिक़, राज ठाकरे के करीबियों ने जानकारी दी है कि अगले कुछ दिनों में उनक पैर की सर्जरी हो सकती है, इसलिए अयोध्या दौरा रद्द किया गया.
इससे कुछ महीने पहले भी उनके पैर की सर्जरी हुई थी.
राज ठाकरे पिछले साल मार्च में टेनिस खेलते समय गिर पड़े थे. इस दौरान उनके हाथ में चोट लग गई थी. फिर पैर में दर्द शुरू हो गया. अप्रैल में उनकी सर्जरी हुई थी. लेकिन इसके बाद भी दर्द कम नहीं हुआ. अब उनके पैर में फिर से दर्द हो रहा है.
डॉक्टर ने उन्हें बाहर न जाने की सलाह दी है. इस वजह से दौरा रद्द कर दिया गया है. (bbc.com)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थॉमस कप के खिलाड़ियों से आज मुलाक़ात की. इस दौरान सभी खिलाड़ियों ने मैच के दौरान के अपने अनुभव साझा किए.
खिलाड़ियों ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा कि उन्होंने मैच ख़त्म होने के बाद हर खिलाड़ी को फ़ोन करके बधाई दी.
पीएम मोदी ने इस मुलाक़ात को लेकर ट्वीट किया है.
उन्होंने लिखा है,“आज हमारे बैडमिंटन चैंपियन्स से मुलाक़ात हुई और बातचीत की,जिन्होंने थॉमस कप और उबर कप के अपने अनुभव साझा किए. खिलाड़ियों ने अपने खेल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात की. देश को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है."
पहली बार जीता भारत
किदाम्बी श्रीकांत की अगुआई वाली भारतीय पुरुष टीम ने पहली बार थॉमस कप जीतकर इतिहास रचा है.
भारतीय टीम ने फाइनल में सबसे ज़्यादा 14 बार ख़िताब जीतने वाले इंडोनेशिया को पहले तीन मैचों में हराकर ख़िताब जीता. (bbc.com)
उत्तरप्रदेश की एक मस्जिद को लेकर यह ऐतिहासिक विवाद चल रहा है कि क्या एक मंदिर को तोडक़र इसे बनाया गया है? देश की कई अदालतें इस सवाल के अलग-अलग पहलुओं से जूझ रही हैं, और देश के कुछ अलग-अलग कानून एक-दूसरे के सामने खड़े किए जा रहे हैं कि किस कानून के मुताबिक क्या होना चाहिए। हिन्दू और मुस्लिम दो तबके अदालत में एक-दूसरे के सामने खड़े हैं, और अदालत का सिलसिला कुछ पहलुओं पर शक से घिरा हुआ है, और इसी के चलते अदालत को अपनी मातहत अदालत का तैनात किया गया एक जांच कमिश्नर हटाना भी पड़ा है। लेकिन यह एक जटिल मामला है जिस पर यहां लिखने के बजाय किसी लेख में उसके साथ अधिक इंसाफ हो सकता है। यहां आज इस कानूनी विवाद पर लोगों की लिखी जा रही बातों पर लिखने की नीयत है।
जब मस्जिद में जांच के दौरान अदालत से तैनात एक हिन्दू जांच कमिश्नर वकील ने अदालत को रिपोर्ट देने के बजाय यह सार्वजनिक बवाल खड़ा करना शुरू किया कि मस्जिद में पानी की एक टंकी में शिवलिंग मिला है, तो इस पर देश भर से लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखना शुरू किया। टीवी समाचार चैनलों को रोजी-रोटी मिली, और वे भी स्टूडियो में एक-दूसरे से पहले साम्प्रदायिक दंगा करवाने के गलाकाट मुकाबले में उतर पड़े। सोशल मीडिया पर लिखने वालों में दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास के एक प्रोफेसर रतनलाल भी थे, जिनके खिलाफ हिन्दू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की पुलिस रिपोर्ट की गई, जुर्म दर्ज हुआ, और आनन-फानन उनकी गिरफ्तारी भी हो गई। खबरों से पता लगा कि रतनलाल एक दलित हैं, और उनकी पोस्ट पर विवाद होने के बाद उन्होंने जोर देकर यह कहा कि उन्होंने बहुत जिम्मेदारी के साथ लिखा था।
जैसा कि जाहिर है शिवलिंग से हिन्दू धर्मालुओं की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, और शिवलिंग एक प्रतीक के रूप में किसी दूसरे धर्म की भावनाओं को चोट पहुंचाने का काम भी नहीं करता। इसलिए मस्जिद में मिला हुआ पत्थर शिवलिंग है या नहीं, यह अदालत के तय करने की बात है, उस पत्थर को शिवलिंग कहकर किसी दूसरे धर्म पर चोट पहुंचाने का काम नहीं हो रहा था। किसी जगह पर किसी एक धर्म के दावे का झगड़ा था, जो कि अभी निचली अदालत में है, और 25-50 बरस बाद वह हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी अदालत से तय हो सकता है, लेकिन तब तक उस पत्थर को लेकर कोई झगड़ा नहीं था। वह पत्थर भी किसी का नुकसान नहीं कर रहा था। वह सैकड़ों बरस से उसी जगह पर पानी में डूबे हुए था, वहां से नमाज पढऩे के पहले लोग हाथ और चेहरा धोने को पानी लेते थे, और अगर बहस के लिए यह मान लें कि वह शिवलिंग ही है, तो भी सैकड़ों बरस के लाखों नमाजियों के हाथ लगते हुए भी उस शिवलिंग को कोई दिक्कत नहीं थी।
ऐसे में सोशल मीडिया पर प्रोफेसर रतनलाल के अलावा भी हजारों लोगों ने साम्प्रदायिकता का विरोध करने के लिए शिवलिंग का विरोध करना शुरू कर दिया, या अधिक बेहतर यह कहना होगा कि उन्होंने उस पत्थर के शिवलिंग न होने के दावे करने शुरू कर दिए, और ऐसा करते हुए लोग तरह-तरह से शिवलिंग के अपमान पर चले गए। यह अपमान उस पत्थर को शिवलिंग मानकर उसकी उत्तेजना फैलाने की साजिश का होता, तो भी ठीक होता। इस मामले में पहली नजर में दिखता है कि अदालत के तैनात जिस जांच कमिश्नर को रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को ही देनी थी, उसने एक घोर हिन्दुत्ववादी की तरह हमलावर अंदाज में एक पत्थर के शिवलिंग होने का दावा करते हुए मीडिया में बयानबाजी शुरू कर दी, और उसके तौर-तरीकों से, और उसके दावों से बिना सुबूत सहमत होते हुए निचली अदालत ने मुस्लिमों के नमाज पढऩे के पहले वुजू करने, हाथ धोने की उस जगह को सील कर दिया। अब यह मौका एक छोटी अदालत के जज, और अदालत के जांच-कमिश्नर वकील को लेकर कुछ लिखने का था, और लोगों ने शिवलिंग का मखौल उड़ाना शुरू कर दिया। अभी तो यह तय भी नहीं हुआ था कि वहां मिला वह पत्थर सचमुच ही शिवलिंग है, लेकिन एक धार्मिक प्रतीक शिवलिंग को लेकर इतनी ओछी और अश्लील बातें लिखी जाने लगीं, कि मानो शिवलिंग खुद ही त्रिशूल लेकर हिंसा कर रहा हो।
यह मौका अदालत के जांच कमिश्नर और जज के पक्षपात या पूर्वाग्रह, उनके न्यायविरोधी रवैये को साबित करने का था, हिन्दुस्तानी मीडिया ने जिस तरह एक हिन्दुत्ववादी वकील के उछाले हुए शिवलिंग शब्द को लपककर पूरे देश में साम्प्रदायिकता और धर्मान्धता फैलाना शुरू किया, मीडिया के उस रूख के बारे में लोगों को बात करनी थी, लेकिन यह पूरी बहस इस बात पर आकर सिमट गई कि कुछ कथित धर्मनिरपेक्ष लोग किस तरह शिवलिंग का मजाक उड़ा रहे हैं, हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचा रहे हैं।
मेरी तरह के परले दर्जे के नास्तिक, और धर्मनिरपेक्ष को भी धार्मिक प्रतीक का गंदी जुबान और गंदी मिसाल के साथ मखौल उड़ाना न सिर्फ नाजायज लगा बल्कि यह देश में साम्प्रदायिक ताकतों के हाथ मजबूत करना भी लगा। जिस वक्त देश की बहस को असल मुद्दों से भटकाकर भावनाओं में उलझाने की राष्ट्रीय स्तर की साजिशें लगातार चल रही हैं, उसी वक्त अगर देश के असली या कथित धर्मनिरपेक्ष लोग भी अनर्गल, अवांछित, और नाजायज बकवास करके देश की बहस को गैरमुद्दों में उलझाने का काम करेंगे, तो यह धर्मनिरपेक्षता नहीं है, यह साम्प्रदायिक ताकतों के हाथ में उसी तरह खेलना है, जिस तरह देश के कई टीवी स्टूडियो खेल रहे हैं। हिन्दुस्तानी लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अगर पूरी तरह से नाजायज बातों को जायज ठहराने की कोशिश होगी, तो उससे अभिव्यक्ति की जरूरी और जायज स्वतंत्रता की शिकस्त होगी। जब यह देश अपने आजाद इतिहास के सबसे खतरनाक दौर से गुजर रहा है, जब उसके सामने असली और गंभीर चुनौतियां जानलेवा दर्जे की हो चुकी हैं, तो यह वक्त अपनी गैरजिम्मेदार और फूहड़ बातों से दुश्मन के हाथ मजबूत करने का नहीं है। जिन लोगों को यह लगता है कि वे शिवलिंग का मखौल उड़ाकर मुसलमानों के हाथ मजबूत कर सकते हैं, उनसे अधिक गैरजिम्मेदार आज कोई नहीं होंगे क्योंकि इससे हिन्दू लोगों में से सबसे अधिक हिंसक और साम्प्रदायिक लोगों के हाथ मजबूत होने के अलावा और कुछ नहीं हो रहा। जो लोग हिन्दुस्तान में सभी धर्मों को बराबरी दिलाना चाहते हैं, कुचले जा रहे धर्म को बचाना चाहते हैं, उनमें से कुछ लोग अगर धर्मान्ध-साम्प्रदायिक लोगों के हाथ अपने बयानों के हथियार थमा रहे हैं, तो यह धर्मनिरपेक्षता का काम नहीं है, यह साम्प्रदायिकता का काम है।
किसी व्यक्ति के धर्म, उसकी जाति, उसके वर्ग की वजह से उसकी सार्वजनिक बातों को रियायत नहीं दी जा सकती, खासकर ऐसे व्यक्ति को जिनकी पढ़ाई-लिखाई और समझदारी में कोई कमी नहीं है। ऐसे लोग अगर किसी एक गंभीर और व्यापक सोच के चलते हुए भी किसी धर्म के प्रतीक का मखौल उड़ाना जायज समझते हैं, तो वे लोग हिन्दुस्तान में आज असल मुद्दों पर बहस को बंद करवाने का काम कर रहे हैं, और ऐसे नुकसानदेह लोगों को बढ़ावा देकर देश में साम्प्रदायिक ताकतों को और मजबूत नहीं करना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 मई। अनाज कारोबारी नरेंद्र खेतपाल से लूट मामले में पुलिस ने 2 मास्टर माइंड को भी गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही आरोपियों के कब्जे से 5 लाख रुपए भी बरामद किए हैं ।इस मामले में अब तक 12 आरोपी पकड़े जा चुके है। वहीं मामले का एक आरोपी अब भी फरार है?
लूट मामले में पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी है।पुलिस ने मामले के मास्टर माइंड देवेंद्र घृतलरे और तिलक को गिरफ्तार कर लिया है।साथ ही दोनों आरोपियों के पास से 5 लाख रुपए की नगदी भी जब्त किया है।वहीं लूट मामले का एक आरोपी अजय उर्फ अज्जू अब भी फरार है। फरार आरोपी की पुलिस तलाश कर रही है।
हालांकि लूट मामले में पुलिस ने शनिवार को 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर 8 लाख रुपये बरामद किया था? मिली जानकारी के मुताबिक व्यापारी ने 50 लाख की लूट की शिकायत की थी, लेकिन आरोपियों से पूछताछ में 12 से 15 लाख की लूट किए हैं। चेहरा बांध कर रखे थे? आरोपियों की गाडिय़ों को ट्रैक कर पुलिस लुटेरों तक पहुंची?
पुलिस ने बताया कि थाना माना कैम्प क्षेत्रांतर्गत स्थित माना मोड़ पास दिए रकम डकैती की घटना को अंजाम दिए थे। बड़े ही शातिर तरीके से योजना के अनुसार डकैती की घटना को अंजाम दिये थे। आरोपी शशिकांत और बनवारी को प्रार्थी के एटीएम कार्ड से नगदी रकम चोरी करने पर गिरफ्तार किया गया है।
घटना के 4 दिन के भीतर ही मामले का खुलासा करते आरोपियों/अपचारियों को गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में एण्टी क्राइम और साइबर यूनिट की महत्वपूर्ण भूमिका रहीं।
आरोपियों/अपचारी की निशानदेही पर लूट की नगदी रकम 7,95,400/- रूपये, ए।टी।एम।कार्ड एवं बैंक पास बुक जब्त किया गया। घटना में प्रयुक्त 5 नग मोबाइल फोन और 5 नग मोटर साइकल को भी जब्त किया था। आरोपियों/अपचारी के विरूद्ध थाना माना कैम्प में अपराध क्रमांक 122/22 धारा 395 भादवि। का अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
गिरफ्तार आरोपियों में अभनपुर निवासी शिव कुमार कोसले, अभनपुर निवासी मनीष यादव, अभनपुर निवासी टिकेश चतुर्वेदी, सूरज महेश्वर, नरेन्द्र बंजारे उर्फ बबलू, अगम दास कोसले, शशिकांत चतुर्वेदी उर्फ गोलू, बनवारी यादव समेत 2 नाबालिग भी गिरफ्तार किए गए हैं।
नयी दिल्ली, 22 मई । शेयर बाजारों में तेजी और खुदरा निवेशकों की रुचि बढ़ने के बीच परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (एएमसी) 2021-22 में 176 नई कोष पेशकश (एनएफओ) लेकर आई हैं, जिनके जरिये कुल 1.08 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए।
फायर्स के शोध प्रमुख गोपाल कवालिरेड्डी ने कहा, ‘‘
नकदी की सख्त स्थिति, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, शेयर बाजार में मजबूती, दफ्तर से काम फिर शुरू होने के बाद आगे चलकर एनएफओ में रुचि घट सकती है। वहीं निश्चित परिपक्वता वाली योजनाओं (एफएमपी) में उल्लेखनीय रूप से नई पेशकशें देखने को मिल सकती हैं।
उन्होंने कहा कि लगभग सभी एएमसी ने विभिन्न श्रेणियों में नई योजनाएं पेश की हैं और पहले मौजूद उत्पादों के अंतराल को पाटने का काम किया है।
उन्होंने बताया कि निवेश के उद्देश्यों में अंतर, विशिष्ट योजनाओं में निवेशकों की रुचि, धन की उपलब्धता, कोष प्रबंधकों की विश्वसनीयता और शेयर बाजारों के प्रदर्शन के आधार पर नई पेशकशों की संख्या तय होगी।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में 176 नई कोष पेशकशें आईं। इन एनएफओ के जरिये 1,07,896 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।
यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कहीं ऊंचा आंकड़ा है। 2020-21 में 84 एनएफओ आए थे और इनके जरिये कुल 42,038 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।(भाषा)
मुंबई, 22 मई। स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की मुंबई इकाई ने पड़ोसी ठाणे जिले से प्रतिबंधित नशीली दवा कोडीन युक्त कफ सिरप की 8,640 बोतल जब्त की हैं और इस सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
एनसीबी की एक टीम ने एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए शनिवार को ठाणे में भिवंडी शहर के पास आगरा-मुंबई राजमार्ग पर एक कार को रोका। एनसीबी अधिकारी ने बताया कि कार की तलाशी के दौरान उन्हें कोडीन युक्त कफ सिरप की 8,640 बोतल मिलीं, जिनका वजन सामूहिक रूप से 864 किलोग्राम था और वो 60 बॉक्स में रखी थीं।
उन्होंने बताया कि कार चालक को गिरफ्तार कर लिया गया और उससे मिली सूचना के आधार पर एनसीबी ने जाल बिछाया तथा एक अन्य व्यक्ति को भी पकड़ लिया, जो इस खेप को हासिल करने वाला था। एनसीबी अधिकारियों ने दूसरे व्यक्ति के दोपहिया वाहन का लगभग दो किलोमीटर तक पीछा किया और उसके वाहन को भी जब्त कर लिया।
अधिकारी ने कहा कि इस खेप की मुंबई और ठाणे के कुछ हिस्सों में नशे और गैर-निर्धारित उद्देश्यों के लिए आपूर्ति की जानी थी। उन्होंने बताया कि एनसीबी ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। (भाषा)
वाशिंगटन, 22 मई। अमेरिकी वायु सेना अकादमी के उन तीन कैडेट को सैन्य अधिकारी के तौर पर शामिल नहीं किया जाएगा जिन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके की खुराक लेने से इनकार कर दिया था।
हालांकि इन कैडेट को स्नातक की डिग्री प्रदान की जाएगी।
अकादमी के प्रवक्ता डीन मिलर ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चौथे एक और कैडेट जिसने करीब एक सप्ताह पहले संक्रमण रोधी टीके की खुराक लेने से इनकार किया था, उसने टीका लगवाने के लिए हामी भर दी है, इसलिए अब वह स्नातक पूरा करके वायु सेना का अधिकारी बनेगा।
मिलर ने एक बयान जारी करके कहा कि तीनों कैडेट को डिग्री दी जाएगी ‘‘लेकिन जब तक वे टीके नहीं लगवाते उन्हें अमेरिकी वायु सेना में कमीशन नहीं दिया जाएगा।’’
गौरतलब है कि अब तक वायु सेना ही एकमात्र सैन्य अकादमी है जहां कैडेट को टीके से इनकार करने पर कमीशन नहीं प्रदान किया जा रहा।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पिछले वर्ष सैन्य बलों के जवानों के लिए कोविड-19 का टीका लगवाना अनिवार्य किया था, इनमें सैन्य अकादमी में पढ़ाई करने वाले कैडेट भी शामिल हैं। ऑस्टिन ने कहा था कि सेना की पूरी तैयारी और जवानों के स्वास्थ्य के लिहाज से टीका जरूरी है।
एक सप्ताह पहले वायु सेना अकादमी के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रायन मागुईरे ने कहा था कि चारों कैडेट को संभावित परिणामों के बारे में बता दिया गया है और उनके पास ‘गैजुएशन सेरेमनी’ से पहले निर्णय बदलने का वक्त है। इस पर एक कैडेट ने अपना फैसला बदल दिया। (भाषा)
पालघर (महाराष्ट्र), 22 मई। महाराष्ट्र के पालघर में मानसिक रूप से अस्वस्थ 40 वर्षीय एक व्यक्ति ने अपने पिता की कथित रूप से हत्या कर दी। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
पुलिस नियंत्रण कक्ष के अधिकारी ने बताया कि यह घटना पालघर के मोखाडा तालुका में स्थित एक खेत में शनिवार को हुई, जहां 70 वर्षीय बुजुर्ग पांडु सावजी मोलवे काम करता था।
अभी यह पता नहीं चल पाया है कि आरोपी ने अपने पिता की हत्या क्यों की।
अधिकारी ने बताया कि मोलवे की पत्नी जब खाना लेकर खेत पर पहुंची, तो काशीनाथ ने मोलवे के हाथ से कुल्हाड़ी छीन ली और उसी से अपने पिता पर कथित रूप से हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि मोलवे की पत्नी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने उसके बेटे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपी को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 22 मई। वाहनों में इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में कटौती के सरकार के फैसले के बाद रविवार को पेट्रोल की कीमत 8.69 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 7.05 रुपये प्रति लीटर कम हो गई जिससे महंगाई से परेशान उपभोक्ताओं को राहत मिली।
ईंधन उत्पादों की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आम जनजीवन पर पड़ रहे असर को देखते हुए सरकार ने शनिवार को पेट्रोल एवं डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में क्रमशः आठ रुपये एवं छह रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने की घोषणा की थी।
उत्पाद शुल्क में की गई इस कटौती से दिल्ली में पेट्रोल की कीमत में 8.69 रुपए और डीजल की कीमत में 7.05 रुपए प्रति लीटर की कमी आई। ऐसा उत्पाद शुल्क की दर पर लगने वाले अन्य करों में कमी आने की वजह से हुआ।
सरकार के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं की एक मूल्य अधिसूचना के अनुसार, शुल्क कटौती प्रभावी होने के बाद दिल्ली में अब पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जबकि इससे पहले इसकी कीमत 105.41 रुपये प्रति लीटर थी। वहीं, डीजल अब 89.62 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा है, जो इससे पहले 96.67 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर मिल रहा था।
मुंबई में पेट्रोल के दाम 120.51 रुपये से घटकर 111.35 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं, जबकि डीजल के दाम 104.77 रुपये से घटकर 97.28 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।
अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट जैसे स्थानीय करों में भिन्नता के कारण कीमतों में अंतर होता है।
कोलकाता में पेट्रोल की कीमत अब 106.03 रुपये (पहले 115.12 रुपये) और चेन्नई में 102.63 रुपये (पहले 110.85 रुपये) प्रति लीटर है। कोलकाता में डीजल की कीमत 92.76 रुपये (पहले 99.83 रुपये) और चेन्नई में 94.24 रुपये (पहले 100.94 रुपये) प्रति लीटर है।
पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें बढ़ने के अलावा रसोई गैस की कीमतें भी लगातार बढ़ी हैं। इसकी वजह से लोगों के बजट पर बुरा असर पड़ रहा था। इसको देखते हुए तमाम जानकार एवं विपक्षी दल ईंधन कीमतों में कटौती की मांग कर रहे थे।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना था कि पेट्रोल एवं डीजल के दाम बढ़ाने से जरूरी चीजों का भी आवागमन महंगा हो गया, जिससे उनके दाम बढ़ गए। इसका असर थोक एवं खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों में आई तेजी के रूप में भी देखने को मिला। बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक को भी रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी करनी पड़ी।
सरकार ने इसके पहले चार नवंबर, 2021 को भी पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, लेकिन मार्च, 2022 के दूसरे पखवाड़े से पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी शुरू हो गई थी जिसके लिए रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में हुई वृद्धि को जिम्मेदार बताया गया। (भाषा)
रांची, 22 मई। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र लिखकर सत्र 2022-23 में स्नातक के लिए साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) लागू करने में हो रही कठिनाइयों से अवगत कराया है और केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह जनजातीय विद्यार्थियों की समस्या को देखते हुए इस वर्ष इसे लागू करने पर पुनर्विचार करे।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल रमेश बैस ने विद्यार्थियों की विभिन्न समस्याओं की ओर माननीय शिक्षा मंत्री का ध्यान आकृष्ट करवाया है और कहा है कि उनकी समस्याओं को देखते हुए वर्तमान सत्र से राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक कार्यक्रम के लिए सीयूईटी को लागू करना संभव प्रतीत नहीं होता है।
राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष का एक पत्र प्राप्त हुआ था जिसमें झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्नातक में नामांकन के लिए शैक्षणिक सत्र 2022-23 से सीयूईटी के कार्यान्वयन के लिए कहा गया, तद्नुसार, राज्य के सभी कुलपतियों के साथ-साथ उच्च शिक्षा विभाग को यूजीसी के उक्त दिशा-निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया गया।
उन्होंने पत्र में उल्लेख किया है कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से शैक्षणिक सत्र 2022-23 से स्नातक में विद्यार्थियों के नामांकन के लिए सीयूईटी लागू करने में हो रही कठिनाइयों के संदर्भ में जानकारी मिली है। विश्वविद्यालयों द्वारा बताया गया है कि झारखंड राज्य के अधिकांश विद्यार्थियों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि बेहतर नहीं हैं। विशेष रूप से जनजाति और पिछड़े समुदायों की छात्राएं सीयूईटी के लिए आवेदन शुल्क (लगभग 500-600), वहन करने की स्थिति में नहीं हैं और इससे ड्रॉप आउट मामलों की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है।
राज्यपाल ने लिखा है कि सीयूईटी परीक्षा के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 22 मई, 2022 है, लेकिन अभी भी परीक्षा के पाठ्यक्रम और परीक्षा के स्वरूप (पैटर्न) के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि वर्तमान परिस्थितयों में इस वर्ष से राज्य में सीयूईटी लागू करने पर केन्द्र सरकार पुनर्विचार करे। (भाषा)
नयी दिल्ली/लखनऊ, 22 मई। विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और सत्तारूढ़ दल भाजपा के सांसद वरूण गांधी ने भी राशन कार्ड सत्यापन दिशानिर्देशों को लेकर शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि चुनाव हो जाने के बाद उसने गरीबों का परित्याग कर दिया।
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी सपा ने ट्वीट किया, ‘‘गरीबों को राशन से वंचित करने की यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नई तरकीब है। उसने गरीबों के वोट लेकर सत्ता हथियायी। अब सरकार को वादे के मुताबिक उन्हें पूरा राशन देना चाहिए।’’
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि हाल के विधानसभा चुनाव के दौरान मुफ्त राशन का लगातार जिक्र करने वाली यह सरकार अब तथाकथित ‘अपात्र’ लोगों को इस लाभ से वंचित करने के लिए ‘बकवास’ दिशानिर्देश लागू कर रही है।
उन्होंने जानना चाहा कि क्या राशन कार्ड के वितरण के समय मान्य मापदंड उसे बांटे जाने के बाद बदले गये और यदि राशन कार्ड गलत लाभार्थियों के हाथों में चले गये तो सरकारी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
भाजपा सासंद वरूण गांधी ने कहा, ‘‘ यदि आम आदमी के जीवन को प्रभावित करने वाले सभी मापदंड चुनाव को देखते हुए तय किये जायेंगे तो सरकार अपनी विश्वसनीयता गंवा बैठेगी।’’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘चुनाव से पहले पात्र एवं बाद में अपात्र।’’
वह उत्तर प्रदेश के उस कथित दिशानिर्देश पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें अपात्र कार्डधारकों को अपना कार्ड लौटाने अन्यथा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 2013 के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी गयी है।
रालोद ने आरोप लगाया कि गरीबी का मापदंड बदलकर भाजपा सरकार राज्य में गरीबों की दयनीय दशा का मजाक उड़ा रही है। (भाषा)
कोलकाता, 22 मई। पश्चिम बंगाल के दक्षिण हिस्से में शनिवार को काल बैसाखी के साथ 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ तेज हवा चलने एवं वर्षा होने के कारण कम से कम चार लोगों की मौत हो गयी। राज्य आपदा प्रबंधन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि पूर्व बर्धमान जिले में दीवार के ढह जाने से एक व्यक्ति की जान चली गयी, जबकि नदिया जिले में आकाशीय बिजली गिरने से एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गयी।
पुलिस ने बताया कि यहां काल बैसाखी के दौरान रवींद्र सरोवर झील में एक नौका के पलट जाने से दो लड़कों की मौत हो गयी।
आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद अहमद खान ने बताया कि कोलकाता में तेज आंधी-तूफान के कारण कई पेड़ उखड़ गये, जिससे यातायात प्रभावित हुआ।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि कोलकाता के अलावा उत्तरी एवं दक्षिणी 24 परगना, हुगली, पूरबा बर्धमान जिलों में काल बैसाखी के कारण राज्य के कई हिस्सों में 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चली।
वैसे तो इस वर्षा से गर्मी से राहत मिली लेकिन उसने यात्रियों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी की। सड़कों पर बहुत कम वाहन नजर आये।
एक अधिकारी के मुताबिक यहां महानायक उत्तम कुमार एवं नेताजी स्टेशन के बीच मेट्रो रेल ट्रैक पर एक पेड़ टूटकर गिर गया, जिससे करीब 50 मिनट तक यातायात बाधित हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘ शाम को चार बजकर 40 मिनट से साढ़े पांच बजे तक (मेट्रो) सेवाएं प्रभावित रहीं।’’
उधर, हवाई अड्डा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि काल बैसाखी के चलते नेताजी सुभाष चंद्रबोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर करीब डेढ़ घंटे तक विमान सेवाएं बाधित रहीं। उन्होंने बताया कि दो विमानों के मार्ग में बदलाव करना पड़ा। (भाषा)
जम्मू, 22 मई। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में माता वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य पुजारी अमीर चंद का शनिवार को उनके आवास पर निधन हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि 85 वर्षीय ‘प्रथम पुजारी’ की उनके कटरा स्थित आवास पर दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।
माता वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य पुजारी अमीर चंद को लोगों ने श्रद्धांजलि दी। इसके बाद बालगंगा श्मशान घाट पर शाम चार बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पुजारी के अंतिम संस्कार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के देवेंद्र सिंह राणा सहित कई प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए।
उपराज्यपाल एवं श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष मनोज सिन्हा ने पुजारी के निधन पर दुख व्यक्त किया।
उपराज्यपाल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘माता वैष्णो देवी जी के मुख्य पुजारी श्री अमीर चंद जी के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। मैं उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। शोक संतप्त परिवार और अनुयायियों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। ओम शांति।’’ (भाषा)
बनिहाल/ जम्मू, 22 मई। जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा ढहने से जान गंवाने वाले 10 मजदूरों के परिजनों को 16-16 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सुरंग में हुए हादसे के दो दिन बाद शनिवार को मलबे से नौ और शव बरामद किए गए, जिससे इस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि सभी लापता श्रमिकों के शव बरामद होने के साथ ही दो दिन तक चला बचाव अभियान शनिवार देर शाम समाप्त हो गया।
उनमें पांच श्रमिक पश्चिम बंगाल के, दो दो श्रमिक जम्मू कश्मीर एवं नेपाल के तथा एक श्रमिक असम का था।
उपायुक्त मुसर्रत इस्लाम ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिले निर्देश के अनुसार निर्माण कार्य कर रही कंपनी द्वारा सुरंग हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों के परिजनों को 15-15 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने भी मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है।
इस बीच, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सुरंग हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों की मौत पर शोक व्यक्त किया। साथ ही घायलों के लिए बेहतर उपचार व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस घटना में लोगों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
उमर ने ट्वीट कर कहा, 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण। रामबन में कार्यस्थल पर हुई दुर्घटना में मारे गए दस लोगों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं। शोकाकुल परिवारों को यह दुख सहन करने की शक्ति मिले।' (भाषा)