अंतरराष्ट्रीय
सैन फ्रांसिस्को, 17 नवंबर | एलन मस्क ने अपने बयान में कहा है कि वह किसी भी कंपनी के सीईओ नहीं बनना चाहते हैं, चाहे वह टेस्ला हो या ट्विटर।
मस्क ने बुधवार को अमेरिका में एक परीक्षण में गवाही के दौरान टेस्ला में अपने विवादास्पद वेतन मुआवजे पैकेज को चुनौती देने वाली याचिका पर टिप्पणी कर रहे थे। द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, "सच कहूं तो मैं किसी कंपनी का सीईओ नहीं बनना चाहता।"
उन्होंने कहा, "वास्तव में मैं कार में प्रौद्योगिकी के लिए रॉकेट और टेस्ला की इंजीनियरिंग के लिए जिम्मेदार हूं, जो इसे सफल बनाता है।"
मस्क ने कहा, "सीईओ को अक्सर व्यवसाय-केंद्रित भूमिका के रूप में देखा जाता है, लेकिन वास्तव में मेरी भूमिका प्रौद्योगिकी विकसित करने और यह सुनिश्चित करने से कहीं अधिक है कि हम महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास करते हैं और हमारे पास अविश्वसनीय इंजीनियरों की एक टीम है, जो उन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती है।"
उन्होंने कहा कि वह हमेशा के लिए ट्विटर के सीईओ नहीं बने रहना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "मैं ट्विटर पर अपना समय कम करने और समय के साथ ट्विटर चलाने के लिए किसी और को खोजना चाहता हूं।"
टेस्ला बोर्ड के पूर्व सदस्य जेम्स मडरेक के अनुसार मस्क टेस्ला के सीईओ के रूप में पद छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "निवेशकों ने मस्क द्वारा अपने ऊपर अधिक भार लेने पर चिंता जताई है। "
मस्क ने इस सप्ताह अमेरिका में दो अदालती मामलों का सामना किया, एक टेस्ला शेयरधारकों द्वारा आरोपों से अपने 56 बिलियन डॉलर के वेतन पैकेज का बचाव किया और दूसरा लॉस एंजिल्स राज्य में हादसे में हुई मौत के मुकदमे का सामना किया।
विवादास्पद ऑटोपायलट उन्नत चालक सहायता प्रणाली पर टेस्ला जांच का सामना कर रहा है, जिसने कथित तौर पर कई लोगों की जान ले ली है।
अगस्त में कैलिफोर्निया में मोटर वाहन विभाग (डीएमवी) ने मस्क द्वारा संचालित टेस्ला पर अपने ऑटोपायलट और एफसीडी सुविधाओं के बारे में नकली दावे चलाने का आरोप लगाया। (आईएएनएस)|
लंदन, 17 नवंबर | इस सप्ताह के शुरू में पोलैंड में गिरी मिसाइल संभवत: यूक्रेन की मिसाइल थी। यह बयान नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने दिया है। बुधवार रात बीबीसी से बात करते हुए नाटो प्रमुख ने कहा, " अधिक संभावना है कि यह एक यूक्रेनी वायु रक्षा मिसाइल है।" उनकी यह टिप्पणी यूक्रेन से लगी पोलैंड की सीमा से 6 किमी दूर प्रेजवोडो में एक खेत में मंगलवार रात हुए विस्फोट की जांच जारी रहने के बीच आई है।
स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि नाटो ने यूक्रेन को अधिक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति करने के जवाब में वादा किया था, जो गठबंधन का सदस्य नहीं है, लेकिन व्यापक सैन्य सहायता प्राप्त करता है।
उन्होंने बीबीसी को बताया, "आज मैंने यूक्रेन के लिए एक सहायता समूह की बैठक में भाग लिया जहां नाटो सहयोगियों और साझेदारों ने अधिक उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों के लिए नए वादे किए, ताकि हम रूसी मिसाइलों को मार गिराने में मदद कर सकें। लेकिन भविष्य में इस तरह की किसी भी घटना को रोकने का सबसे अच्छा तरीका रूस के लिए युद्ध को रोकना है। हमारे पास कोई संकेत नहीं है कि यह रूस की ओर से जानबूझकर किया गया हमला है।"
हालांकि, उन्होंने कहा कि, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसके लिए रूस भी जिम्मेदार है, क्योंकि ऐसा नहीं होता अगर रूस ने कल यूक्रेनी शहरों के खिलाफ मिसाइल हमलों की बौछार शुरू नहीं की होती।"
मॉस्को और कीव के बीच शांति वार्ता की संभावना के बारे में पूछे जाने पर स्टोलटेनबर्ग ने बीबीसी को बताया कि पिछले प्रयासों से पता चलता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की समझौता व बातचीत करने की कोई इच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा, "हमें यह समझना होगा कि अगर पुतिन और रूस लड़ना बंद कर देते हैं तो हमारे पास शांति होगी लेकिन अगर (यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर) जेलेंस्की और यूक्रेन लड़ना बंद कर देते हैं, तो यूक्रेन एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में नहीं रहेगा।"
यूकेनिसिका की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि, "वारसॉ ने इस घटना को देश पर हमला नहीं माना क्योंकि गिरी हुई मिसाइल को शायद यूक्रेनी वायु रक्षा बलों द्वारा दागा गया था। इस बीच जेलेंस्की ने यूक्रेन के विशेषज्ञों से मामले की जांच के लिए कहा है।"
हालांकि राष्ट्रपति कहते हैं कि मिसाइल यूक्रेन की नहीं, बल्कि रूस की थी। (आईएएनएस)|
लंदन, 17 नवंबर | भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद नवेंदु मिश्रा के नेतृत्व में लेबर सांसदों ने यूके सरकार से भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को त्वरित न्याय, चिकित्सा देखभाल और सही मुआवजा देने के लिए राजनीतिक समर्थन देने का आह्वान किया है। स्टॉकपोर्ट के लेबर एमपी नेवेन्दु मिश्रा ने यूके की संसद से कहा, "2 दिसंबर, 1984 की त्रासदी से पीड़ित होने वालों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है। पीड़ितों का न्याय दिलाने के लिए उनके अभियान में हमारे देश के योगदान की शुरुआत होनी चाहिए।"
33 वर्षीय सांसद ने यूके सरकार से यूनियन कार्बाइड की मूल कंपनी डाउ केमिकल्स पर प्रदूषक भुगतान सिद्धांत को स्वीकार करने और पारिश्रमिक की जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव डालने का आग्रह किया।
इतिहास में सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा के रूप में जानी जाने वाली त्रासदी 38 साल पहले हुई थी, जब भोपाल में यूनियन कार्बाइड रसायन कारखाने में रिसाव के बाद 5 लाख से अधिक लोग 40 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के संपर्क में आ गए थे।
यह अनुमान लगाया गया है कि हादसे में 3,800 लोग तत्काल मारे गए थे। गैस रिसाव के पहले 72 घंटों में 10 हजार लोगों की मौत हो गई, और बाद में गैस के संपर्क में आने वाले 25 हजार और लोगों की मौत हुई। डेढ़ लाख लोग लंबे समय तक बीमार रहे।
लगभग एक लाख लोग दूषित पानी के संपर्क में आ चुके हैं। ग्रीनपीस नामक संस्था ने बताया कि 2002 तक डेढ़ लाख लोग गंभीर रूप से बीमार थे। इनमें से हर दो दिन में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती थी।
वेस्टमिंस्टर हॉल बहस में तनमनजीत सिंह ढेसी ने कहा, "भारत में भोपाल गैस आपदा इतिहास की सबसे भयानक औद्योगिक आपदा है, जिसमें 25 हजार लोगों की मौत हो गई। हादसे के पीड़ित न्याय, जवाबदेही और उचित मुआवजे के हकदार हैं।"
लेबर सांसद लिवरपूल रिवरसाइड के किम जॉनसन ने एक ट्वीट में लिखा, "भोपाल आपदा के लगभग 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड (डॉव द्वारा खरीदा गया) अभी भी पीड़ितों को मुआवजा देने से इंकार कर रहा है। यह उपनिवेशवाद का प्रत्यक्ष परिणाम है, जहां भूरे रंग का जीवन कम मायने रखता है।"
मामले में भारत सरकार ने अमेरिकी अदालत में 3 बिलियन डॉलर के हर्जाने के लिए मुकदमा दायर किया, तो यूनियन कार्बाइड ने राहत के रूप में 7 मिलियन डॉलर की पेशकश की। इसके बाद कंपनी ने 1986 में इस प्रस्ताव को बढ़ाकर 350 मिलियन डॉलर कर दिया। 1989 में यूनियन कार्बाइड ने दावों के अंतिम निपटान में 470 डॉलर मिलियन का भुगतान किया। (आईएएनएस)|
फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप 2022 का आयोजन खाड़ी के देश क़तर में हो रहा है. बुधवार को वहां कवरेज के लिए पहुँचे डेनमार्क के एक टीवी क्रू को ज़बरदस्ती ब्रॉडकास्टिंग से रोका गया.
इसके बाद फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के आयोजकों ने डेनिश पत्रकार से माफ़ी मांगी है.
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में डेनमार्क के टीवी 2 के रिपोर्टर रास्मस टेंथॉल्डट अपने स्टूडियो से लाइव जुड़े हुए हैं.
ठीक तभी क़तर के सिक्यूरिटी गार्ड वहां आते हैं और ब्रॉडकास्ट बंद कर देते हैं.
रास्मस को वीडियो में सुरक्षाकर्मियों के साथ बहस करते देखा जा सकता है. वे अपने कार्ड और परमिट दिखा कर अपना पक्ष रख रहे हैं.
क़तर की एक वेबसाइट अल-आइन ने लिखा है कि क़तर ने डेनमार्क के टीवी क्रू से उस घटना के लिए माफ़ी मांग ली है.
पत्रकार रास्मस ने भी ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की है.
उन्होंने लिखा है, “अब हम से क़तर इंटरनेशनल मीडिया ऑफ़िस ने माफ़ी मांग ली है.”
अल-आइन ने भी जो कुछ हुआ उसे शर्मनाक बताया है.
वेबसाइट ने वर्ल्ड कप के आयाजकों से लिखा है ‘डेनमार्क के पत्रकारों को लाइव के दौरान कुछ दिक्कत आई है. जब ये सुनिश्चित हो गया कि उनके पास कवरेज़ की अनुमति थी तो सिक्योरिटी गार्ड्स ने पत्रकार से वहीं माफ़ी मांग ली.' (bbc.com/hindi)
दुबई, 17 नवंबर। ईरान के दक्षिण-पश्चिम शहर ईज़ेह में कुछ बंदूकधारियों ने बुधवार को एक बाजार में गोलीबारी की, जिसमें दो महिलाओं सहित कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोग और सुरक्षा कर्मी घायल हो गए। सरकारी टेलीविजन ने यह जानकारी दी।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ के मुताबिक, ईरान के इस्फ़हान शहर में भी गोलीबारी की घटना हुई, जिसमें अर्धसैनिक बल बसिज के दो सदस्यों की जान चली गई। दोनों हमलों में बंदूकधारी कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर सवार थे।
सरकारी टेलीविजन के अनुसार, हमलों के पीछे का मकसद अभी पता नहीं चल पाया है। इनका नाता ईरान में पुलिस हिरासत में एक युवती की मौत को लेकर पिछले दो महीने से जारी राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों से होने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं। ईज़ेह में हुए हमले में सुरक्षा कर्मियों सहित 10 लोगों के घायल होने की खबर है।
खुज़ेस्तान प्रांत के डिप्टी गवर्नर वलीओल्लाह हयाती ने सरकारी टेलीविजन को बताया कि ईज़ेह में मारे गए लोगों में दो महिलाएं भी शामिल हैं।
ईज़ेह, खुज़ेस्तान प्रांत में ही स्थित है।
सरकारी टेलीविजन के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों के कई समूह बुधवार देर रात ईज़ेह के विभिन्न हिस्सों में इकट्ठे हुए, सरकार विरोधी नारे लगाए और पुलिस पर पथराव किया। पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान किसी ने शिया समुदाय के मदरसे में आग लगा दी।
गौरतलब है कि ईरान में पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवती की मौत के विरोध में लोग सितंबर से सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ईरान में नैतिकता के नाम पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने युवती महसा अमीनी (22) को पकड़ा था और 16 सितंबर को हिरासत में ही उसकी मौत हो गई थी।
ईरान की सरकार ने लगातार यह दावा किया है कि अमीनी के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया, जबकि अमीनी के परिवार का कहना है कि उसके शरीर पर चोट व पिटाई के निशान थे। अमीनी को हिजाब सही तरीके से न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।
देश में पिछले दो महीने से जारी प्रदर्शनों में कम से कम 344 लोगों की जान गई है, जबकि 15,820 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रदर्शन को रोकने के लिए ईरानी बलों की ओर से की जा रही कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं। (एपी)
अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी ने हाल ही में संपन्न हुए मध्यावधि चुनाव में अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा में अपना दबदबा कायम कर लिया है.
इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी को प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ़ रेप्रज़ेंटेटिव्स में 218 सीटें हासिल हुई हैं.
इस चुनाव में अमेरिकी सीनेट की 35 सीटों और प्रतिनिधि सभा की सभी सीटों के लिए दोनों पार्टियों के बीच संघर्ष हुआ था.
सीनेट सदस्यों का कार्यकाल छह साल और प्रतिनिधि सभा के सदस्यों का कार्यकाल दो साल लंबा होता है.
रिपब्लिकन पार्टी को उम्मीद थी कि उसे सीनेट से लेकर प्रतिनिधि सभा तक दोनों सदनों में अच्छी सफ़लता मिलेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और डेमोक्रेटिक पार्टी ने सीनेट में बहुमत हासिल कर लिया.
हालांकि, प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत होने की वजह से बाइडन प्रशासन के लिए अपने कानूनों को पास करवाना एक चुनौती होगा.
चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने रिपब्लिकन पार्टी को प्रतिनिधि सभा में बहुमत में आने पर बधाई दी है.
उन्होंने कहा है, “मैं रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधि सभा में बहुमत हासिल करने पर उसके नेता केविन मेककार्थी को बधाई देता हूं.
मैं मध्यमवर्गी परिवारों के हित में काम करते हुए नतीजे लाने के लिए रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हूं. मैं उनके हित में काम करने के लिए रिपब्लिकन या डेमोक्रेट किसी के साथ भी काम करने के लिए तैयार हूं.” (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने हालिया इंटरव्यू में आशंका जताई है कि उन पर एक बार फिर जानलेवा हमला हो सकता है.
कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के वज़ीराबाद में इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई के लॉन्ग मार्च के दौरान एक शख़्स ने उन पर जानलेवा हमला किया था जिसके बाद उन्हें लाहौर के शौकत ख़ानम अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
इस हमले में इमरान ख़ान के पैर में गोली लगी थी. वहीं, उनकी पार्टी के एक कार्यकर्ता की मौत हो गयी थी.
इसके बाद इमरान ख़ान और उनकी पार्टी ने इस हमले के लिए पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और पाकिस्तानी सेना के एक मौजूदा जनरल को ज़िम्मेदार ठहराया है.
इसी मसले पर फ्रांस 24 से बात करते हुए इमरान ख़ान ने कहा है कि उनकी जान पर ख़तरा बना हुआ है.
इमरान ख़ान ने कहा, “मेरे सत्ता से बाहर होने के बाद से मेरी पार्टी मजबूत हुई है. मेरी पार्टी ने 75 फीसद उप-चुनावों में जीत हासिल की है. ऐसे में वे डरे हुए हैं कि अगर चुनाव हुए तो हमारी पार्टी की जीत होगी. इसी वजह से वो मुझे ख़त्म करना चाहते थे.”
उन्होंने कहा, “ये ख़तरा बना हुआ है क्योंकि ये लोग मुझे जिस वजह से ख़त्म करना चाहते थे, वो ये है कि मेरी पार्टी इस समय पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय पार्टी है. हमने 75 फीसद उप-चुनाव जीते हैं.
जबकि दूसरी सभी पार्टियां एक तरफ़ हैं, उनको स्टेब्लिशमेंट का समर्थन हासिल है. इसके बाद भी हमने उप-चुनावों में बेहतरीन सफ़लता हासिल की है. हमारी लोकप्रियता बढ़ गयी है क्योंकि जनता इन अपराधियों को नहीं पसंद करती जो इस समय पाकिस्तान पर शासन कर रहे हैं.
इसी वजह से मुझे जनता का असीम समर्थन मिल रहा है. ऐसे में उन्हें लगता है कि मुझे रास्ते से हटाने का एक ही तरीका, मुझे ख़त्म करना है. ऐसे में मुझे लगता है कि ख़तरा बना हुआ है.” (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को 16 नवंबर। एलन मस्क ने ट्विट्टर के कर्मचारियों को कंपनी का हिस्सा बने रहने के लिए बृहस्पतिवार शाम तक का समय दिया है।
ट्विटर के नए मालिक ने कर्मचारियों को भेजे एक ईमेल में लिखा है कि कर्मचारियों को एक सफल ट्विटर 2.0 बनाने के लिए बहुत परिश्रमी होने की आवश्यकता होगी। साथ ही सफलता के लिए लंबे समय तक उच्च क्षमता दिखानी होगी।
मस्क ने कहा कि ट्विटर अधिकतर इंजीनियरिंग आधारित चलेगा और टीम के ज्यादातर कर्मचारी ‘कोडिंग’ करने वाले होंगे।
अरबपति उद्योगपति ने ट्विटर को अक्टूबर के अंत में 44 अरब डॉलर में खरीदने के बाद बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। वह अब अनुबंध वाले कुछ कर्मचारियों को भी निकालने की योजना बना रहे हैं।
मस्क ने ईमेल में कर्मचारियों से पूछा है कि वे ‘नए ट्विटर’ का हिस्सा बनना चाहते हैं या नहीं।
उन्होंने कहा है कि अगर कर्मचारी कंपनी का हिस्सा बने रहना चाहते हैं तो ईमेल में दिए गए लिंक पर ‘हां’ के रूप में क्लिक करें।
ईमेल के अनुसार, उन्होंने कर्मचारियों को लिंक का जवाब देने के लिए बृहस्पतिवार शाम पांच बजे तक का समय है। जो कर्मचारी उस समय तक जवाब नहीं देंगे, उन्हें नौकरी समाप्ति का तीन महीने का नोटिस दिया जाएगा।
मस्क ने लिखा, ‘‘आप जो भी निर्णय लेते हैं, ट्विटर को सफल बनाने के आपके प्रयासों का धन्यवाद।’’ (एपी)
पोलैंड में मिसाइल गिरने की घटना पर पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि पोलैंड के गांव में गिरी ये मिसाइल जानबूझकर किया गया हमला था, बल्कि ये घटना 'दुर्भाग्यपूर्ण' है.
पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत संभावना है कि ये मिसाइल यूक्रेन की तरफ से गिरी है.
इससे पहले, एसोसिएट प्रेस एजेंसी की एक रिपोर्ट में तीन अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि मंगलवार को पोलैंड में गिरने वाली रूसी मिसाइल को यूक्रेन की ओर से दागा गया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि इस बात की ‘संभावना’नहीं है कि पोलैंड में गिरने वाली मिसाइल रूस ने लॉन्च किया.
बेल्जियम की रक्षा मंत्री लुडिवाइन डेडोनडर ने भी पोलैंड में कल देर रात हुए विस्फोट के लिए यूक्रेन की सेना की तरफ इशारा किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी इसकी पुष्टि की जाना बाकी है.
एसोसिएट प्रेस एजेंसी की एक रिपोर्ट में तीन अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है मंगलवार को पोलैंड में गिरने वाली रूसी मिसाइल को यूक्रेन की ओर से दागा गया था.
ये अधिकारी इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं, उन्होंने अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर एपी को ये बात बतायी.
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि इस बात की ‘संभावना’नहीं है कि पोलैंड में गिरने वाली मिसाइल रूस ने लॉन्च किया.
मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर पोलैंड के क्षेत्र में एक ‘मिसाइल’ गिरी जिसके कारण सेरेवोडो गांव में दो लोगों की मौत हो गई.
सेरेवोडो गांव यूक्रेन और पोलैंड की सीमा पर स्थित है और लिएव शहर के उत्तर में स्थित है.
पोलैंड का कहना है कि उसके पास कोई "निर्णायक सबूत" नहीं है कि किसने इस मिसाइल को लॉन्च किया
रूस ने इस हमले से इंकार किया, रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "यूक्रेनी-पोलिश राज्य सीमा के पास के ठिकानों पर कोई हमला रूस की ओर से नहीं किया गया."(bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान ने पाकिस्तान के न्यूज़ आउटलेट ज़ंग ग्रुप पर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है.
इमरान ख़ान ने कहा, "मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे हमारी न्याय व्यवस्था से कोई उम्मीद नहीं है. इसलिए मैंने जियो ग्रुप.. के खिलाफ लंदन की अदालतों में जाने का फैसला किया है. मैं इस व्यक्ति (फारूक जहूर) के खिलाफ दुबई में और जियो ग्रुप के खिलाफ पाकिस्तान में केस करूंगा."
उन्होंने दावा किया कि न्यूज आउटलेट, पत्रकारिता के बजाय प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए अपने मंच का इस्तेमाल कर रहा है.
इमऱान खान ने कहा कि कल जियो टीवी के साथ दुबई निवासी बिजनेसमैन उमर फारूक ज़हूर का इंटरव्यू एक प्रोपेगैंडा कैंपेन का हिस्सा था.
उन्होंने आरोप लगाया कि जियो टीवी, ज़ंग ग्रुप और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ मिलकर उनके खिलाफ प्रोपेगैंडा कैंपेन चला रही हैं और इस साजिश में पाकिस्तान के चीफ इलेक्शन कमिश्नर भी शामिल हैं. (bbc.com/hindi)
इंग्लैंड, 16 नवंबर । इंग्लैंड के विलिस ली के कान में पिछले पांच साल से इयरबड फंसा हुआ था. अब उसे निकलवाकर वे राहत महसूस कर रहे हैं.
विलिस ली, रॉयल नेवी में काम करते हैं. पांच साल पहले विलिस अपने परिवार से मिलने ऑस्ट्रेलिया जा रहे थे. हवाई यात्रा के दौरान उन्होंने एयरप्लेन के शोर से बचने के लिए कानों में इयरबड लगा लिए और यात्रा के बाद उन्हें निकालना भूल गए.
उन्हें लगा कि एविएशन इंडस्ट्री में बहुत समय से काम करने की वजह से उन्हें साफ़ साफ़ सुनाई नहीं दे रहा है या फिर समय के साथ उनकी सुनने की क्षमता घट रही है.
विलिस ली को एक ख्याल ये भी आया कि जवानी के दिनों में रग्बी खेलते हुए उनके कान में चोट भी लगी थी, वे सोच रहे थे कि हो सकता है उसी चोट के चलते सुनने में दिक्कत आ रही है.
लेकिन एक दिन उन्होंने एंडोस्कोप किट खरीदी और घर पर ही कान की जांच की. तब उन्होंने पाया कि कोई सफे़द चीज उनके कान में फंसी हुई है. इसके बाद उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया और उसे निकलवा लिया.
लूसी व्लाडेव
रेग पाय लगभग अस्सी सालों से अपने बटुए में उस फ्रेंच लड़की की तस्वीर सहेजे हुए हैं जिनसे उनकी मुलाक़ात द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी.
ये वो दौर था जब यूरोप समेत दुनिया का ज़्यादातर हिस्सा द्वितीय विश्व युद्ध की चपेट में था.
रेग पाय अपनी यूनिट के साथ नॉरमंडी बीच के पास मौजूद थे. यहीं उनकी मुलाक़ात ह्यूगेट से हुई. ये मुलाक़ात कुछ पलों तक चली लेकिन इसका असर रेग पाय पर पूरी ज़िंदगी रहा.
यही नहीं, 99 साल की उम्र में 78 साल बाद एक बार फिर उनकी मुलाक़ात ह्यूगेट से हुई.
इस मुलाक़ात में वही हुआ जो उन दोनों की पहली मुलाक़ात में हुआ था.
उत्तरी फ़्रांस में स्थित केयर होम में ह्यूगेट से मिलते हुए रेग पाय ने हंसते हुए कहा – ‘ये रहा आपकी जैम सेंडविच’
92 वर्षीय ह्यूगेट ने मुस्कराते हुए कहा, “इतने लंबे अरसे बाद आपको देखकर बहुत अच्छा लगा. हम बूढ़े हो गए हैं लेकिन हम पहले जैसे ही हैं.”
वो पहली मुलाक़ात
रेग और ह्यूगेट की पहली मुलाक़ात 1944 की गर्मियों में हुई जब मित्र राष्ट्रों की सेनाएं जर्मन सेना से लोहा ले रहे थे.
ब्रितानी सैनिक रेग पाय रॉयल इंजीनियर्स की ‘224 फील्ड कंपनी’ के साथ मित्र राष्ट्रों की सेनाओं की मदद करने के लिए फ्रांस पहुंचे हुए थे.
वे फ्रांस के स्वार्ड बीच पर कुछ देर के लिए ब्रेक ले रहे थे.
रेग याद करते हैं, “हमारे पास एक वैन आकर रुकी और गॉर्डी नामक युवक ने हमें पिलचार्ड (मछली) दी. उसने मार्गरीन और लाल जैम लगाकर एक ब्रेड भी दी.”
इसके बाद मैं वापस उस जगह पहुंचा जहां मैंने अपनी वैन खड़ी की थी. और अपने साथ मौजूद एक शख़्स को पिलचार्ड दी.
तभी मैंने नज़र उठाकर देखा तो मेरे सामने एक लड़की खड़ी थी. मैंने उसे अपनी ओर आते हुए नहीं देखा. और मुझे ये कहना नहीं चाहिए लेकिन उसकी ड्रेस काफ़ी गंदी थी. उसे पिल्चार्ड नहीं चाहिए थी.
वह मेरी ओर घूरकर देख रही थी. मैं सोच ही रहा था कि वह कहां देख रही है, तभी मेरी नज़र ब्रेड पर गयी. और मैंने उसे ब्रेड देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया.”
रेग पाय को ये तो याद नहीं है कि ह्यूगेट ने उनके हाथ से ब्रेड ली या नहीं लेकिन उन्हें ये ज़रूर याद है कि उन्होंने ह्यूगेट को दौड़ते हुए गांव के चर्च में जाते देखा.
रेग पाय कहते हैं, “मैंने इसके बाद उसे कभी नहीं देखा.”
जब रेग पाय को मिली तस्वीर
इस मुलाक़ात की अगली सुबह जब रेग अपनी गाड़ी में पहुंचे तो वहां बिखरी तमाम चीजों के बीच उन्हें एक लड़की की तस्वीर दिखाई दी.
ये तस्वीर ह्यूगेट की थी.
वह बताते हैं, “और यही वो तस्वीर है जिसे मैंने हमेशा अपने बटुए में रखा.”
लेकिन रेग पाय ने सिर्फ़ फ्रैंच प्रेसबिट्री के बाहर खड़े होकर खिंचाई गयी ह्यूगेट की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर को ही अपने दिल के क़रीब नहीं रखा.
वो बीते 78 सालों तक ह्यूगेट से एक बार फिर मिलने का ख़्वाब अपनी आंखों में संजोए रहे.
रेग कहते हैं, “ज़िंदगी के सबसे अंधकार भरे लम्हों में इंसानियत से मेरी इस छोटी सी मुलाक़ात ने मेरी पूरी ज़िंदगी पर असर छोड़ा.”
युद्ध के बाद रेग की शादी मेरवेन से हुई जो 72 सालों तक चली. साल 2015 में रेग की पत्नी का निधन हो गया. लेकिन उन्होंने इससे पहले भी अपने इकलौते बेटे की मदद से ह्यूगेट को तलाशने की कोशिश की.
आख़िरकार 78 साल बाद आख़िरकार उनकी मुलाक़ात ह्यूगेट से हो गयी.
ह्यूगेट से 78 साल बाद मिले रेग
रेग ने ह्यूगेट की ओर उनकी धुंधली हो चुकी तस्वीर बढ़ाते हुए कहा, “ये मेरे पास पिछले 78 सालों से थी.”
रेग अपने साथ पिल्चार्ड और ब्रेड लेकर गए थे जिसमें जैम लगी हुई थी.
पिछली बार की तरह ह्यूगेट ने एक बार फिर पिल्चार्ड लेने से मना कर दिया.
लेकिन ह्यूगेट ने अपने परिवार के साथ शेंपेन पी और कहा कि उनके लिए ये काफ़ी भावुक करने वाला है कि रेग ने इतने वर्षों बाद भी उन्हें तलाशना जारी रखा.
दिलचस्प बात ये है कि रेग और ह्यूगेट को एक दूसरे से बात करने के लिए दुभाषिए की ज़रूरत पड़ी.
इस मुलाक़ात को याद करते हुए रेग ने कहा, “वह ज़िंदा हैं. मैं सोचता था कि शायद वह गुज़र गयी होंगी क्योंकि उनकी युवावस्था का दौर काफ़ी मुश्किल था. लेकिन वह काफ़ी अच्छी है. हमारा बहुत अच्छी तरह स्वागत हुआ. ये हमारी ज़िंदगी के 45 सबसे ख़ूबसूरत घंटे थे.”
इस मुलाक़ात के बाद दोनों ने एक दूसरे को गले लगाकर गालों पर किस किया.
ह्यूगेट ने हंसते हुए कहा कि उन्हें अब शादी करनी पड़ेगी.
रेग शादी के लिए और ह्यूगेट केयर होम के अपने बॉयफ्रेंड को छोड़ने को राज़ी हो गयीं.
रेग कहते हैं, “उन्होंने इंटरप्रिटर के माध्यम से यही कहा कि वह आपसे शादी करने जा रही हैं.”
आख़िर में रेग कहते हैं, “कुछ ऐसी रही हमारी मुलाक़ात.”
पोलैंड, 16 नवंबर । पोलैंड के एक गांव में मिसाइल गिरने से दो लोगों की मौत हो गई है. ऐसी ख़बरें हैं कि ये मिसाइल रूस की ओर से आई है लेकिन अब भी ये साफ़ नहीं है कि दरअसल हुआ क्या है.
रूस ने इस दावे को ख़ारिज कर दिया है कि मिसाइल उसकी ओर से आई है. रूस ने एक बयान में कहा है कि ये हालात को जानबूझकर उकसाने की कोशिश है.
अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय ताक़तों ने कहा है कि वे घटना की जांच कर रहे हैं और फिलहाल इस पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचे हैं. इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि इस बात की संभावना कम है कि ये मिसाइल रूस की ओर दागी गई हो.
इंडोनेशिया के बाली में जी 20 सम्मेलन में जमा हुए जी 7 नेताओं ने इस मसले पर बातचीत करने के बाद एक बयान जारी किया है.
जी 7 और नेटो की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "हमने पोलैंड में हुए धमाके पर चर्चा की है. हम पोलैंड को इसकी जांच में पूरा सहयोग करने का प्रस्ताव दे रहे हैं. हम अगले क़दम के लिए पोलैंड के साथ नज़दीकी संपर्क में रहेंगे."
बयान में इन देशों ने रूस के साथ यूक्रेन के युद्ध में यूक्रेन का साथ देने का वादा दोहराते हुए कल यूक्रेनी शहरों पर मिसाइल हमलों की कड़ी निंदा की है.
फ़्रांस ने भी इस मसले पर सावधानी बरते जाने पर ज़ोर देते हुए कहा है कि क्षेत्र के कई देशों के पास ऐसी मिसाइलें हैं.
फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया, "तार्किक यही है कि हम इस मुद्दे पर अति सावधानी से गौर करें. चूंकि ऐसे मिसाइलें कई देशों के पास हैं इसलिए मिसाइल के नाम से देश की पहचानना करना ठीक नहीं होगा."
उधर समाचार एजेंसी एसोसिएटड प्रेस ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा है कि शुरूआती जांच में मिसाइल के यूक्रेन द्वारा दागे जाने का पता चला है.
समाचार एजेंसी के मुताबिक इस अधिकारी को आधिकारिक बयान देने का अधिकार नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता
उधर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने पोलैंड में गिरी मिसाइल पर गहरी चिंता व्यक्त की है.
संयुक्त राष्ट्र की ओर जारी एक बयान में कहा गया है कि वे इस घटना पूरी जांच की उम्मीद कर रहे हैं.
यूएन के प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने कहा, "ये बिल्कुल ज़रूरी है कि यूक्रेन के युद्ध को और अधिक ने भड़कने दें."
पोलैंड की सरकार की ओर से भी कोई बयान सामने नहीं आया है.
पोलैंड ने बस इतना कहा है कि वे अपनी कुछ सैन्य टुकड़ियों को हाई अलर्ट पर रख रहे हैं.
पोलैंड के फ़ायर फ़ाइटर्स ने दो लोगों की मौत की पुष्टि की है. ये विस्फोट देश के पूर्वी क़स्बे ज़वोडॉउ में हुआ है. दमकल विभाग ने विस्फोट के कारण के बारे में कुछ नहीं बताया है.
जी 7 नेताओं की आपात बैठक
सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही एक तस्वीर में मिसाइल से हुए नुकसान को दिखाया जा रहा है.
एक तस्वीर में मिसाइल का टुकड़ा भी दिख रहा है.
अगर इस बात की पुष्टि होती है कि ये मिसाइल रूस ने चलाई है तो ये पहली बार होगा जब किसी नेटो सदस्य देश में रूसी मिसाइल गिरी हो.
इस स्थिति में सबकी निगाहें नेटो का जवाब पर होंगी.
इंडोनेशिया में चल रही जी 20 बैठक का आज आख़िरी दिन है. इसी बैठक के दौरान ही आज जी7 देशों के नेताओं ने पोलैंड में गिरी रूसी मिसाइल के बारे में चर्चा की है.
इस बातचीत की तस्वीर सामने आई है जिसमें अमेरिका, इटली, जर्मनी, फ़्रांस, ब्रिटेन,जापान, स्पेन और नीदरलैंड्स के नेता मौजूद हैं.
इनके अलावा इस बैठक में यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिसेल और यूरोपीय संघ के कमिशनर भी शामिल रहे.
रूसी मिसाइल के पोलैंड में गिरने के भयंकर परिणाम हो सकते हैं. पोलैंड नेटो मिलिट्री अलायंस का सदस्य है और उस पर हमला नेटो पर हमला माना जा सकता है.
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या इस हमले के बाद नेटो सेना पोलैंड में आएगी?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी यही लगता है कि इस बात की संभावनाएं कम हैं कि पोलैंड पर गिरने वाली मिसाइल रूस ने ही दाग़ी हो.
जो बाइडन ने कहा, "मैं तब तक कुछ नहीं कहूँगा जब तक हम पूरी तरह से इंवेस्टिगेट नहीं कर लेते. लेकिन इस बात की संभावना कम है कि मिसाइल रूस ने दागी हो."
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि दुनिया के नेता इस मामले की पूरी तफ़्तीश के बाद ही अपने अगले क़दम का एलान करेंगे. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 16 नवंबर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस की दौड़ में तीसरी बार शामिल होने की मंगलवार को घोषणा की।
उन्होंने मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के खराब प्रदर्शन और मार-आ-लागो क्लब सहित अन्य मामलों में अपने खिलाफ जारी कानूनी जांच के बीच यह घोषणा की।
हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार करने से इनकार करने वाले ट्रंप को अपना उम्मीदवार बनाने पर विचार करेगी या नहीं, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। ट्रंप के हार न स्वीकार करने और उनके कथित भड़काऊ भाषणों के बीच उनके समर्थकों ने छह जनवरी को अमेरिकी संसद भवन (कैपिटल हिल) में कथित तौर पर हिंसा की थी।
पाम बीच स्थित मार-आ-लागो क्लब में अमेरिका के 30 झंडों और ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नारे वाले बैनर के बीच खड़े ट्रंप (76) ने अपने हजारों समर्थकों, क्लब सदस्यों और पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अमेरिका को फिर से महान बनाने के लिए मैं आज अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर रहा हूं।’’
उन्होंने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 2024 में फिर से न चुने जाएं।
ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं आपकी आवाज हूं।’’ इसके बाद उन्होंने ‘संघीय निर्वाचन आयोग’ में आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी की।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं चुनाव में इसलिए खड़ा हो रहा हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि दुनिया ने अभी तक इस देश की असली महानता नहीं देखी है। मानो या न मानो, लेकिन हम उस शिखर पर अभी नहीं पहुंचे हैं।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका मुश्किल समय से गुजर रहा है।
ट्रंप ने कहा, ‘‘हम कट्टरपंथी डेमोक्रेट्स को हराएंगे, जो हमारे देश को भीतर से नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
इससे पहले, बाइडन ने कहा था कि वह फिर से चुनाव में खड़े होना चाहते हैं, लेकिन इस संबंध में अंतिम फैसला क्रिसमस और नववर्ष के अवकाश के दौरान लेंगे।
ट्रंप ने अपने राजनीतिक सफर के बेहद नाजुक दौर में एक बार फिर राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वह मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की भारी जीत के बीच अपने अभियान की शुरुआत करना चाहते थे, लेकिन ट्रंप समर्थित ज्यादातर उम्मीदवारों की हार के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका।
रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप का समर्थन लगातार घट रहा है। हाल के महीनों में उन्हें अपने ही कुछ सहयोगियों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, जिनका कहना है कि रिपब्लिकन पार्टी के लिए अब भविष्य के बारे में सोचने का समय आ गया है। फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसैंटिस पार्टी में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए पहली पसंद बनकर उभर रहे हैं। (भाषा)
न्यूयॉर्क, 16 नवंबर अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने कहा है कि ट्विटर की आठ अमेरिकी डॉलर वाली ब्लूटिक सब्सक्रिप्शन सेवा 29 नवंबर को फिर शुरू की जाएगी।
माइक्रोब्लॉगिंग मंच ने फर्जी खातों की शिकायत आने के बाद इसे अस्थायी रूप से रोक दिया था।
ट्विटर पर 27 अक्टूबर को मस्क के नियंत्रण से पहले ब्लूटिक मशहूर हस्तियों, सरकार से जुड़े लोगों, पत्रकारों और अन्य हस्तियों को दिया जाता था। इसके लिए पहले उनके प्रोफाइल को सत्यापित किया जाता था।
ट्विटर ने छह नवंबर को कहा कि कोई भी आठ डॉलर का शुल्क देकर ब्लूटिक ले सकता है। बताया गया कि कंपनी ने आय बढ़ाने के उपायों के तहत ऐसा किया। हालांकि, इस फैसले से फर्जी खाते बढ़ गए, जिसके बाद ट्विटर को अस्थायी रूप से इस सेवा को रोकना पड़ा।
मस्क ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, 'ब्लू वेरिफाइड को 29 नवंबर तक फिर से शुरू किया जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह भरोसेमंद है।'
मस्क ने कहा कि नई शुरुआत के साथ किसी भी सत्यापित नाम को बदलने पर ब्लूटिक निशान चला जाएगा और ट्विटर की सेवा शर्तों के तहत नाम की पुष्टि के बाद ही ब्लूटिक वापस मिलेगा।
पिछले हफ्ते मस्क ने संकेत दिया था कि वह ब्लूटिक सब्सक्रिप्शन सेवा को फिर से शुरू करेंगे। (भाषा)
वॉरसॉ, 16 नवंबर पोलैंड का कहना है कि एक रूस निर्मित मिसाइल देश के पूर्वी हिस्से में गिरी, जिसकी चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि इस मिसाइल के रूस द्वारा दागे जाने की ‘‘संभावना कम’’ हैं, लेकिन वह पोलैंड की जांच में सहयोग करेंगे।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस हमले को ‘‘ युद्ध को बढ़ावा देने वाला’’ कदम बताते हुए इसकी निंदा की। वहीं बाइडन ने मामले पर इंडोनेशिया में जी7 और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)देशों के नेताओं की एक ‘आपात’ बैठक बुलाई।
अगर मिसाइल के रूस निर्मित होने की पुष्टि हो जाती है तो रूस को गठबंधन से टकराव का सामना कर पड़ सकता है, क्योंकि नाटो गठबंधन की नींव इस सिद्धांत पर रखी गई है कि किसी भी सदस्य देश पर हमला गठबंधन पर हमला माना जाएगा।
हालांकि रूस ने पोलैंड में हुए विस्फोट में उसका हाथ होने की बात से इनकार किया है।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने ‘‘यूक्रेन-पोलैंड सीमा के पास मिसाइल हमले’’ में उसका हाथ होने से इनकार करते हुए एक बयान में कहा कि तस्वीरों में कथित तौर पर जो नुकसान नजर आ रहा है, उसका रूसी हथियारों से ‘‘कोई लेना-देना’’ नहीं है।
अमेरिका के तीन अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार पोलैंड में गिरी मिसाइल को यूक्रेन की सेना ने रूस द्वारा दागी गई मिसाइल के जवाब में प्रक्षेपित किया था।
गौरतलब है कि रूस ने मंगलवार को यूक्रेन के पूर्व से लेकर पश्चिमी इलाके तक ऊर्जा तथा अन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले किए थे, जिससे एक बड़ा बिजली संकट खड़ा हो गया।
बाइडन का इंडोनेशिया में मामले पर दिया बयान और यह शुरुआती आकलन अमेरिका के वरिष्ठ खुफिया अधिकारी के बयान से अलग है, जिन्होंने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) ने कहा था कि रूसी मिसाइल, पोलैंड की सीमा में गिरी।
पोलैंड के प्रधानमंत्री मैटिअस्ज मोराविएकी ने कहा कि उनकी सरकार हमले की जांच कर ही है और सैन्य तैयारियां भी बढ़ा दी गई हैं।
पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार देर रात एक बयान जारी कर कहा था कि मिसाइल के रूस निर्मित होने का पता चला है। हालांकि, पोलैंड के राष्ट्रपति एंड्रेज डूडा ने बताया कि अभी अधिकारियों को यह पता नहीं चल पाया है कि मिसाइल किसने और कहां से दागी। उन्होंने कहा कि यह ‘‘शायद’’ रूस निर्मित है, लेकिन इस तथ्य की अभी पुष्टि की जा रही है।
डूडा ने कहा, ‘‘ हम धैर्य के साथ काम कर रहे हैं। यह एक कठिन परिस्थिति है।’’
वहीं मिसाइल रूस द्वारा दागे जाने के सवाल पर इंडोनेशिया में बाइडन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रारंभिक जानकारी इसका खंडन करती है। प्रक्षेपवक्र को देखते इसके रूस द्वारा दागे जाने की संभावना नहीं है, लेकिन हम इस पर गौर करेंगे।’’
राष्ट्रपति बाइडन ने बुधवार सुबह पोलैंड के राष्ट्रपति को फोन किया और घटना पर ‘‘गहरी संवेदना व्यक्त की।’’
बाइडन ने ट्वीट किया, ‘‘पोलैंड की जांच में अमेरिका पूर्ण सहयोग करेगा। हम नाटो के लिए अमेरिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।’’
इस बीच, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने पोलैंड की यूक्रेन से लगी सीमा के पास हुए मिसाइल हमले पर चर्चा करने के लिए ब्रसेल्स में गठबंधन देशों के दूतों की एक आपात बैठक बुलाई।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के भी बुधवार को बैठक करने की उम्मीद है। यूक्रेन की स्थिति पर आज परिषद की बैठक पहले से ही निर्धारित थी। (एपी)
वाशिंगटन, 16 नवंबर डोनाल्ड ट्रंप द्वारा व्हाइट हाउस की दौड़ में तीसरी बार शामिल होने की मंगलवार को घोषणा किए जाने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने अमेरिका को निराश किया है।
ट्रंप राष्ट्रपति के रूप में अपने शासन से जुड़े कई आपराधिक मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को फ्लोरिडा स्थित मार-आ-लागो क्लब में घोषणा की कि वह अमेरिका को ‘फिर से महान’ बनाने के लिए 2024 में राष्ट्रपति पद के चुनाव में खड़े होंगे।
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ट्रंप (76) और बाइडन के बीच फिर से मुकाबला हो सकता है।
पाम बीच स्थित मार-आ-लागो क्लब में अमेरिका के 30 झंडों और ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नारे वाले बैनर के बीच खड़े ट्रंप ने अपने हजारों समर्थकों, क्लब सदस्यों और पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अमेरिका को फिर से महान बनाने के लिए मैं आज अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर रहा हूं।’’
इस बीच, बाइडन ने इंडोनेशिया के बाली से ट्वीट किया, ‘‘डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को निराश किया है।’’ बाइडन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विश्वभर के नेताओं के साथ जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
बाइडन ने ट्विटर पर 52 सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप के कार्यकाल में ‘अमीरों के लिए अर्थव्यवस्था में धांधली’ की गई और इस दौरान ‘नौकरियों के मामले में मंदी के बाद सबसे खराब स्थिति’ रही।
उन्होंने छह जनवरी 2021 को अमेरिकी कैपिटल (संसद परिसर) में हुई हिंसा का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि ट्रंप ने ‘उग्र भीड़ को उकसाया’, ‘चरमपंथियों को बढ़ावा दिया’ और ‘महिलाओं के अधिकारों पर हमला किया।’
ट्रंप द्वारा 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार न करने और उनके कथित भड़काऊ भाषणों के बीच उनके समर्थकों ने छह जनवरी 2021 को कैपिटल परिसर में कथित तौर पर हिंसा की थी। (भाषा)
भीषण गर्मी, बाढ़, सूखा,जंगल की आग और तूफानों के रूप में इस साल जितनी आपदाएं आईं, वे आने वाले कल की भयानक तस्वीर पेश करती हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी की बचाना है तो 1.5 डिग्री सेल्सियस की हद में रहना होगा.
डॉयचे वैले पर अशोक कुमार की रिपोर्ट-
मिस्र के शर्म अल शेख में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में दुनिया भर के नीति निर्माता, वैज्ञानिक और पर्यावरण कार्यकर्ता इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि दुनिया को तापमान वृद्धि की डेढ डिग्री की सीमा में कैसे रखा जाए?
क्या है 1.5 डिग्री लक्ष्य
मौजूदा जलवायु संकट की शुरुआत उस वक्त से होती है जब इंसान की जिंदगी में मशीनें आईं. ये 1850 के दशक की बात है. ऐसी मशीनें जो कोयला या बिजली से चलती थीं. इसमें बाद में प्राकृतिक गैसें और कच्चा तेल भी उद्योगों का आधार बन गए. ये सारी चीजें जमीन से निकलती हैं, इसीलिए इन्हें जीवाश्म ईंधन कहते हैं, लेकिन इन ईंधनों के जलने से भारी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन होता है. इससे हमारी पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है.
जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर 1850 के दशक के औसत तापमान को आधार मानें, तो इस सदी के आखिर तक पृथ्वी के तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इसलिए फिलहाल जलवायु संरक्षण की सारी बहस में 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रहने पर इतना जोर दिया जा रहा है. नई दिल्ली से शर्म अल शेख के जलवायु सम्मेलन में हिस्सा लेने आए आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ एम रमेश बाबू कहते हैं, "1.5 डिग्री असंभव दिखाई देता है, लेकिन यह असंभव है नहीं. यह संभव हो सकता है अगर इसके लिए पैसा हो, जागरूकता हो, कार्बन को कम किया जाए और इसके लिए जरूरी टेक्नोलॉजी लागू की जाए."
भारत में इस साल पड़ी गर्मी हो या फिर यूरोप में पड़ा 500 साल का सबसे बुरा सूखा या फिर पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़, ये सब जलवायु परिवर्तन के परिणाम हैं. दुनिया के तेजी से पिघलते ग्लेशियर समुद्री के जलस्तर को बढ़ा रहे हैं, और दुनिया के कई इलाके धीरे धीरे समंदर में डूबते जा रहे हैं. यह हाल अभी है जब हमने 1.2 डिग्री सेल्सियस वृद्धि के स्तर को पार किया है. मतलब साफ है अगर दुनिया ने कदम नहीं उठाए तो भविष्य में और मुश्किल हालात होंगे.
रमेश बाबू कहते हैं, "जब आप भारत को देखते हैं तो हमारे यहां पिछले 12 साल में बहुत सारी आपदाएं आई हैं. और अगर आपके पास 1.5 डिग्री सेल्सियस का कोई लक्ष्य नहीं है, तो यह सब और ज्यादा बढ़ सकता है और यह पृथ्वी के लिए बहुत खतरनाक होगा."
पर्याप्त नहीं 1.5 डिग्री लक्ष्य
शर्म अल शेख के जलवायु सम्मेलन में दुनिया के कोने-कोने से लोग हैं, और सब किसी ना किसी तरह अपने इलाकों में जलवायु परिवर्तन के परिणाम झेल रहे हैं. फिर भी जलवायु की बहस में उनकी अपनी अपनी जरूरतें और हित हैं. यही वजह है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य तक रास्ता बनाना एक चुनौती है. आईपीसीसी का अनुमान कहता है कि अगर दुनिया के तापमान में वृद्धि 1.7 डिग्री से 1.8 तक हो जाती है तो दुनिया की आधी आबादी गर्मी और नमी के चलते जानलेवा खतरे का सामना करेगी.
सिंडी सिमानगुनसोंग इंडोनेशिया के पापुआ इलाके में वर्षा वनों के संक्षरण के लिए काम करती हैं. वह 1.5 डिग्री के लक्ष्य को नाकाफी मानती हैं, लेकिन कहती हैं कि कोई लक्ष्य ना होने से कुछ लक्ष्य होना अच्छा है. सिमानगुनसोंग कहती हैं, "बेशक यह पर्याप्त नहीं है. यह तो न्यूनतम है, जो वैज्ञानिकों ने बताया है. हम इंडोनेशिया के बारे में बहुत सारी बातें कह सकते हैं. हमारे यहां बहुत सूखा पड़ा, बहुत सारी फसलें बर्बाद हुईं. इंडोनेशिया दुनिया में सबसे बड़े कृषि प्रधान देशों में से है. हमारे यहां बहुत से तटीय इलाके और छोटे द्वीप हैं. उन पर इस जलवायु संकट का बहुत असर हुआ है. इसीलिए 1.5 तो न्यूनतम है, लेकिन अगर हम इस लक्ष्य को भी नहीं पा सके, तो मुझे नहीं लगता कि हम लोग इस दुनिया में बच पाएंगे.
बदलाव जरूरी
पेरिस में 2015 में हुए जलवायु सम्मेलन में डेढ़ डिग्री सेल्सियस के भीतर रहने का लक्ष्य तय किया गया था. लक्ष्य तय करना एक बात है और उसे हासिल करना बिल्कुल दूसरी. जलवायु परिवर्तन पर जो संयुक्त राष्ट्र का पैनल है वह कहता है कि दुनिया जिस रफ्तार से जा रही है, उसे देखते हुए इस सदी के आखिर तक तो क्या, हम दस साल में ही डेढ़ डिग्री की सीमा से बाहर निकल जाएंगे.
साफ है, इंसानी गतिविधियों से पर्यावरण में हो रहा बदलाव प्राकृतिक आपदाओं के रूप इंसानों पर ही भारी पड़ रहा है. इसलिए इंसानों को खुद को ही बदलना होगा. जरूरत ऐसे स्रोतों की तरफ जाने की है जो ऊर्जा भी पैदा करें और पर्यावरण को नुकसान भी ना पहुंचाएं. इस बदलाव का रास्ता तैयार करने में जलवायु सम्मेलनों की अहम भूमिका है. यह बदलाव सामाजिक, व्यक्तिगत और नीतिगत, सभी स्तरों पर करना होगा. (dw.com)
आग में पका हुआ खाना खाने का प्रमाण इसकी शुरुआत और पीछे ले गया है. इस्राएली रिसर्चरों ने बताया है कि 780,000 साल पहले भी खाना पका कर खाने के सबूत मिले हैं. यह आग में खाना पकाने के अब तक मिले सबूतों में सबसे पुराना है.
इंसान ने खाना पका कर खाना कब शुरू किया इसके सटीक समय को लेकर पुरातत्वशास्त्रियों के बीच हमेशा से विवाद रहा है. प्राचीन काल के चूल्हे या भट्टियां खाने पकाने के लिए थीं या फिर सिर्फ गर्मी देने के लिए यह साबित करना मुश्किल रहा इसलिये यह विवाद पक्के तौर पर सुलझाया नहीं जा सका.
पाक कला का जन्म मानव इतिहास का एक प्रमुख मोड़ रहा है. इसकी वजह से खाने को चबाना और पचाना बहुत आसान हो गया. माना जाता है कि इसने दुनिया भर में मानव जाति के विस्तार में बहुत बड़ा योगदान दिया.
6 लाख साल पीछे गया इतिहास
अब तक निएंडरथल और होमो सेपिएंस के खाना पकाने के जो सबूत मिले थे वह करीब 170,000 साल पुराने थे इस बारे में नेचर इकोलॉजी और इवॉल्यूशन जर्नल में रिपोर्ट छपी थी. इस तारीख को 6 लाख साल और पहले ले जाने का सबूत तेल अवीव यूनिवर्सिटी के स्टाइनहार्ट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के पुरातत्वशास्त्री इरित जोहर ने ढूंढ निकाला है.
इरित ने 16 साल की मेहनत के बाद यह खोज की है. इस समय में उन्होंने उत्तरी इस्राएल के गेशर बेनोत याकोव में मिले हजारों मछलियों के जीवाश्मों की सूची तैयार की है. जॉर्डन नदी के किनारे के इस इलाके में कभी एक झील हुआ करती थी. यहां मिले प्राचीन मछलियों के जीवाश्मों ने रिसर्चरों की टीम को इस बात की पड़ताल करने में मदद दी है कि सबसे पहले कब खाना पकाने की शुरूआत हुई.
खाना पकाने के सबूत
जोहर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "यह किसी पहेली सुलझाने जैसा था, जैसे जैसे ज्यादा जानकारी सामने आती गई हम इंसान की उत्पत्ति के बारे में कहानी बनाते गये."पहला सुराग ऐसे इलाके में मिला जहां "मछलियों के कोई कांटे नहीं थे" लेकिन उनके दांतों की भरमार थी. इससे इन्हें पकाने का संकेत मिला क्योंकि मछलियों की हड्डियां यानी उनके कांटे 500 डिग्री सेल्सियस की आंच पर पकाई जाये तो नरम हो कर टूट जाती हैं लेकिन उनके दांतों पर कोई असर नहीं होता.
इसी इलाके में जोहर के एक साथी को एक जला हुआ चकमक पत्थर भी मिला और साथ ही कुछ ऐसे सबूत जिनसे पता चलता है कि इस जगह का इस्तेमाल चूल्हे या भट्ठी के रूप में हुआ था. इसके साथ ही ज्यादातर जो दांत मिले है वो कार्प मछली की दो बड़ी प्रजातियों के हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें उनके मांसल शरीर की वजह से खाने के लिए चुना गया होगा. कुछ कार्प मछलियां दो मीटर तक लंबी थीं.
दांतों से मिले सबूत
जौहर ने बताया कि निर्णायक सबूत दांतों के इनेमल के अध्ययन से मिला. रिसर्चरों ने एक खास तकनीक का इस्तेमिल किया जिसमें जिसे एक्स-रे पाउडर डिफ्रैक्शन कहते हैं. लंदन की नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में इस तकनीक के इस्तेमाल से रिसर्चरों को पता चला कि इनेमल को बनाने वाले क्रिस्टल की रचना गर्मी से कैसे बदल जाती है.
मछलियों के दूसरे जीवाश्मों से जब नतीजों की तुलना की गई तो पता चला कि झील के इलाके में मिली मछलियों के दातों ने 200-500 डिग्री सेल्सियस का तापमान झेला था. यही वो तापमान है जो मछली पकाने के लिए इस्तेमाल होता है.
अब हमारे पूर्वजों ने मछलियों को पकाया था, भुना, सेंका या फिर हल्का सा तला था यह अब भी नहीं बता है. हालांकि रिसर्च से यह जरूर पता चला है कि मिट्टी के बने चूल्हे जैसी चीज का इस्तेमाल हुआ था.
आग की खोज
होमो इरेक्टस ने आग की खोज करीब 17 लाख साल पहले की थी. जौहर का कहना है, "अगर आप गर्मी के लिए आग को नियंत्रित नहीं कर तो इसका मतलब यह नहीं है कि भोजन पकाने के लिए भी इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता- उन लोगों ने आग के संपर्क में आई मछली खाई होगी."
फ्रांस की नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के पुरातत्वप्राणीविज्ञानी अना मरास कहती हैं कि हो सकता है कि खाने के बाद मछलियों के कांटें और हड्डियां उन्होंने आग में फेंक दी होंगी. मरास इस रिसर्च में शामिल नहीं हैं मगर उनका कहना है, "आग से संपर्क में पूरा सवाल यही है कि क्या यह बचे खुचे से मुक्ति पाने के लिए हुआ या फिर उसे पकाने के लिए." विज्ञान कभी ना कभी तो इसका पता भी लगा ही लेगा.
एनआर/आरपी (एएफपी)
लंदन, 16 नवंबर | द्विपक्षीय और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक द्वारा शुरू की गई एक नई योजना में, 3,000 भारतीयों को यूके आने के लिए सालाना वीजा दिया जाएगा। नई यूके-इंडिया यंग प्रोफेशनल्स स्कीम के तहत, देश 18-30 वर्षीय डिग्री शिक्षित भारतीय नागरिकों को सालाना 3,000 स्थानों की पेशकश करेगा, ताकि वे यूके आकर यहां दो साल तक रह सकें और काम कर सकें।
यह कदम इंडोनेशिया में चल रहे जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर पहली बार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिले सुनक के रूप में आया है।
सुनक ने प्रधानमंत्री द्वारा जारी एक बयान में कहा, "हिंद-प्रशांत हमारी सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। यह गतिशील और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं से भरा हुआ है और अगले दशक को इस क्षेत्र में क्या होता है, इससे परिभाषित किया जाएगा।"
"मैं भारत के साथ हमारे गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के अविश्वसनीय मूल्य को प्रत्यक्ष रूप से जानता हूं। मुझे खुशी है कि भारत के अधिक प्रतिभाशाली युवाओं को अब ब्रिटेन में जीवन की पेशकश करने वाले सभी का अनुभव करने का अवसर मिलेगा।"
योजना पारस्परिक होगी। ब्रिटेन में लगभग एक चौथाई अंतर्राष्ट्रीय छात्र भारत से हैं और यूके में भारतीय निवेश पूरे यूके में 95,000 नौकरियों का समर्थन करता है।
डाउनिंग स्ट्रीट के बयान में कहा गया है, "योजना का शुभारंभ भारत के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों और भारत-प्रशांत क्षेत्र के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए यूके की व्यापक प्रतिबद्धता दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।"
यूके भारत के साथ एक व्यापार समझौते पर भी बातचीत कर रहा है, जो यूके-भारत व्यापारिक संबंध पर आधारित होगा, जो पहले से ही 24 बिलियन पाउंड का है और यूके को भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था द्वारा प्रस्तुत अवसरों को जब्त करने की अनुमति देगा। (आईएएनएस)|
पोलैंड, 16 नवंबर । एसोसिएट प्रेस एजेंसी की एक रिपोर्ट में तीन अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है मंगलवार को पोलैंड में गिरने वाली रूसी मिसाइल को यूक्रेन की ओर से दागा गया था.
ये अधिकारी इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं, उन्होंने अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर एपी को ये बात बतायी.
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि इस बात की ‘संभावना’नहीं है कि पोलैंड में गिरने वाली मिसाइल रूस ने लॉन्च किया.
मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर पोलैंड के क्षेत्र में एक ‘रूसी मिसाइल’ गिरा जिसके कारण सेरेवोडो गांव में दो लोगों की मौत हो गई.
सेरेवोडो गांव यूक्रेन और पोलैंड की सीमा पर स्थित है और लिएव शहर के उत्तर में स्थित है.
पोलैंड का कहना है कि उसके पास कोई "निर्णायक सबूत" नहीं है कि किसने इस मिसाइल को लॉन्च किया.
हालांकि ये मिसाइल रूसी ज़रूर थी, युद्ध में दोनों पक्षों ने रूसी युद्ध सामग्री का इस्तेमाल किया है.
पोलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लुकाज़ जसिना ने कहा कि पोलैंड में रूसी राजदूत को घटना पर "तत्काल विस्तृत स्पष्टीकरण" देने के लिए बुलाया गया.
सेरेवोडो गांव यूक्रेन और पोलैंड की सीमा पर स्थित है और लिएव शहर के उत्तर में स्थित है.
रूस ने इस हमले से इंकार किया, रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "यूक्रेनी-पोलिश राज्य सीमा के पास के ठिकानों पर कोई हमला रूस की ओर से नहीं किया गया." (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 16 नवंबर | पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2024 का राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने व्हाइट हाउस के लिए अपनी तीसरी बोली की घोषणा की है। ट्रंप ने मंगलवार को फ्लोरिडा के पाम बीच में अपने मार-ए-लागो एस्टेट में एक कार्यक्रम में कहा, "अमेरिका को फिर से महान बनाने के लिए, मैं आज अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर रहा हूं।"
अपनी घोषणा से कुछ समय पहले, ट्रंप ने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति पद के लिए कागजी कार्रवाई भी दायर की।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम में लाउडस्पीकर पर एक आवाज ने ट्रंप को संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में पेश किया।
उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन पर हमला बोलते हुए अपने भाषण की शुरूआत की और समर्थकों से कहा कि अमेरिका की वापसी अभी शुरू होती है।
अपने चार साल के कार्यकाल का जिक्र करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "चार साल की छोटी सी अवधि में हर कोई बहुत अच्छा कर रहा था, हर कोई पहले की तरह फल-फूल रहा था।"
उन्होंने आगे दावा किया कि, कोरोनोवायरस महामारी के दौरान जब उन्होंने कार्यालय छोड़ा तो देश की अर्थव्यवस्था तेजी से ठीक हो रही थी।
उच्च मुद्रास्फीति दर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "अब हमारा देश फिर से नीचे आ रहा है।" ट्रंप ने यह भी कहा कि, बाइडेन ने यूक्रेन में संघर्ष से निपटने के अपने तरीके से अमेरिका को परमाणु युद्ध के कगार पर ला दिया है।
बीबीसी ने पूर्व राष्ट्रपति के हवाले से कहा, "यहां तक कि आज भी एक मिसाइल शायद रूस द्वारा पोलैंड भेजी गई है। लोग बिल्कुल जंगली और पागल हो रहे हैं और वे खुश नहीं हैं। वे बहुत गुस्से में हैं।"
मंगलवार को अपनी घोषणा से पहले ट्रंप ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह 15 नवंबर को एक महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे।
बीबीसी ने बताया कि, हाल के महीनों में, वह व्हाइट हाउस के संभावित तीसरे अभियान के बारे में संकेत दे रहे थे।
अक्टूबर में, उन्होंने टेक्सस में एक रैली में कहा था कि उन्हें शायद इसे फिर से करना होगा, जबकि सितंबर में पेंसिल्वेनिया में एक कार्यक्रम में, पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "मुझे इसे फिर से करना पड़ सकता है।"
8 नवंबर के मध्यावधि चुनाव से ठीक पहले, उन्होंने सिओक्स सिटी, आयोवा में एक रिपब्लिकन अभियान की रैली में कहा कि, "वह बहुत, बहुत, बहुत संभव है फिर से व्हाइट हाउस के लिए दौड़ेंगे।" (आईएएनएस)|
ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने मंगलवार को कहा है कि ट्विटर ब्लू चेक सब्सक्रिप्शन योजना 29 नवंबर से एक बार फिर से शुरू की जाएगी.
उन्होंने बुधवार की सुबह (भारतीय समयानुसार) ट्वीट किया- “ 29 नवंबर को ट्विटर ब्लू-वैरिफाइड को दोबारा लॉन्च किया जाएगा और इस बार सुनिश्चित किया जाएगा कि ये पहले से मज़बूत हो.”
बीते दिनों ट्विटर को अपनी 8 डॉलर सब्सक्रिप्शन फ़ीस के बदले अकाउंट वैरिफ़ाइ करने की सेवा को तत्काल प्रभाव से रोकना करना पड़ा था.
दरअसल, इस योजना के तहत कई फ़ेक और पैरोडी अकाउंट ने पैसे देकर खुद के लिए ब्लू वैरिफ़िकेशन टैग खरीद लिया था.
इस योजना में सामने आ रही गड़बड़ियों को देखते हुए ट्विटर को ये प्रक्रिया रोकनी पड़ी.
एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने के बाद वैरिफ़िकेशन प्रक्रिया के लिए पैसे लेने का एलान किया था. इसके बाद वैरिफ़िकेशन के लिए आठ डॉलर प्रतिमाह की फ़ीस तय की गई थी.
मस्क ने कहा-इन्हें नौकरी से निकाल कर गलती की
इसके अलावा एलन मस्क के ट्विटर का नया बॉस बनने के बाद कंपनी में बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से निकाला है.
अब एलन मस्क ने ऐसे ही दो कर्मचारियों की तस्वीर शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा है कि उन्होंने इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल कर गलती की थी. और अब उन्हें दोबारा नौकरी पर रख लिया गया है.
उन्होंने ट्वीट किया- ‘लिगमा और जॉनसन आपका स्वागत है.’ (bbc.com/hindi)
नुसा दुआ (इंडोनेशिया), 16 नवंबर। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को कहा कि इस बात की ‘संभावना कम’ है कि रूस ने नाटो सहयोगी पोलैंड में मिसाइल दागी, जिसकी चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई।
हालांकि, उन्होंने कहा कि वह पोलैंड की जांच का समर्थन करेंगे, जिसने मिसाइल को ‘रूस निर्मित’ बताया है।
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सहयोगी पोलैंड ने कहा था कि ‘रूस निर्मित’ एक मिसाइल यूक्रेन सीमा के पास देश के पूर्वी हिस्से में गिरी, जिसकी चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई। इसके बाद बाइडन ने इंडोनेशिया में जी7 और नाटो देशों के नेताओं की एक ‘आपात’ बैठक बुलाई।
बाइडन जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इंडोनेशिया पहुंचे हैं।
मिसाइल रूस द्वारा दागे जाने के सवाल पर बाइडन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रारंभिक जानकारी इसका खंडन करती है। प्रक्षेपवक्र को देखते इसके रूस द्वारा दागे जाने की संभावना नहीं है, लेकिन हम इस पर गौर करेंगे।’’
मिसाइल दागे जाने की सूचना मिलने के बाद बाइडन और उनके सहयोगी रातभर इस संबंध में जानकारी बटोरते रहे।
इससे पहले, राष्ट्रपति बाइडन ने बुधवार सुबह पोलैंड के राष्ट्रपति एंड्रेज डूडा को फोन किया और घटना पर ‘गहरी संवेदना व्यक्त की।’
बाइडन ने ट्वीट किया, ‘‘पोलैंड की जांच में अमेरिका पूर्ण सहयोग करेगा। हम नाटो के लिए अमेरिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।’’
बाइडन ने कहा कि उन्होंने डूडा और नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग के साथ हुई बातचीत की जानकारी सहयोगियों को दी और हमले में पोलैंड की जांच का समर्थन करने को लेकर सभी एकमत हैं।
बाइडन ने कहा, ‘‘मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि वास्तव में जो भी हुआ है, उसका पता चले। इसके बाद ही हम आगे की रणनीति तय कर पाएंगे।’’
अपने होटल के एक बॉलरूम में बाइडन ने यह बैठक की। इसमें जी7 के नेता और नाटो सहयोगी स्पेन और नीदरलैंड के प्रधानमंत्री शामिल हुए।
जी7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा था कि मिसाइल के रूस निर्मित होने का पता चला है। हालांकि, पोलैंड के राष्ट्रपति डूडा ने बताया कि अभी अधिकारियों को यह पता नहीं चल पाया है कि मिसाइल किसने और कहां से दागी।
उन्होंने कहा कि यह ‘शायद’ रूस निर्मित है, लेकिन इस तथ्य की अभी पुष्टि की जा रही है।
अगर मिसाइल के रूस निर्मित होने की पुष्टि हो जाती है तो यूक्रेन पर आक्रमण के बाद यह पहली बार होगा, जब रूस ने किसी ‘नाटो’ सदस्य देश पर कोई हथियार दागा है।
इससे रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है, क्योंकि नाटो गठबंधन की नींव इस सिद्धांत पर रखी गई है कि किसी भी सदस्य देश पर हमला गठबंधन पर हमला माना जाएगा। (एपी)
इंडोनेशिया में चल रही जी 20 बैठक का आज आख़िरी दिन है. इसी बैठक के दौरान ही आज जी7 देशों के नेताओं ने पोलैंड में गिरी रूसी मिसाइल के बारे में चर्चा की है.
इस बातचीत की तस्वीर सामने आई है जिसमें अमेरिका, इटली, जर्मनी, फ़्रांस, ब्रिटेन,जापान, स्पेन और नीदरलैंड्स के नेता मौजूद हैं.
इनके अलावा इस बैठक में यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिसेल और यूरोपीय संघ के कमिशनर भी शामिल रहे.
रूसी मिसाइल के पोलैंड में गिरने के भयंकर परिणाम हो सकते हैं. पोलैंड नेटो मिलिट्री अलायंस का सदस्य है और उसपर हमला नेटो पर हमला माना जा सकता है.
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या इस हमले के बाद नेटो सेना पोलैंड में आएगी?
बीबीसी संवाददाता क्रिस मेसन के मुताबिक पोलैंड की घटना के बाद जी 20 में सारे देशों की योजनाओं पर पानी फिरता दिख रहा है.
पश्चिमी देशों के नेता अपने रक्षा और विदेश मंत्रियों से बातचीत में व्यस्त हो गए हैं और पोलैंड को भी फ़ोन कर रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक पोलैंड के संपर्क में हैं.
जो बाइडन ने नेटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग से भी बातचीत की है. (bbc.com/hindi)