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लॉस एंजेलिस, 13 मार्च | सुपरहिट फिल्म 'आरआरआर' से राम चरण और एनटीआर जूनियर पर फिल्माए गए 'नाटू नाटू' सॉन्ग ने भारत को फिर से गौरवान्वित किया। 'नाटू नाटू' ने 95वें ऑस्कर अवॉर्ड में बेस्ट ऑरिजिनल सॉन्ग का खिताब अपने नाम किया है। लेडी गागा, डायने वॉरेन और रिहाना जैसे नामों को पीछे छोड़ते हुए, 'नाटू नाटू' ने 'टेल इट लाइक अ वुमन' के 'अपलॉज', 'टॉप गन: मेवरिक' के 'होल्ड माई हैंड', 'ब्लैक पैंथर: वकंडा फॉरएवर' से 'लिफ्ट मी अप' और 'एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल ऑन ऑन्सी' से 'दिस इज ए लाइफ' जैसे गानों को पछाड़ते हुए पुरस्कार हासिल कर एक इतिहास रच दिया है।
संगीतकार एम.एम. कीरावानी ने सम्मान प्राप्त करने पर कहा: धन्यवाद अकादमी। मैं कारपेंटर को सुनते हुए बड़ा हुआ हूं, और अब मैं यहां ऑस्कर में हूं। मेरी, राजमौली और मेरे परिवार की केवल एक ही इच्छा थी, 'आरआरआर' को भारत का हर गौरव जीतना है। धन्यवाद।
'नाटू नाटू' सॉन्ग इस साल पहले ही गोल्डन ग्लोब और क्रिटिक्स च्वाइस अवार्ड जीत चुका है।
'आरआरआर' में एनटीआर जूनियर, राम चरण, अजय देवगन, आलिया भट्ट और श्रिया सरन हैं और दो वास्तविक जीवन के भारतीय क्रांतिकारियों अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम की काल्पनिक कहानी और ब्रिटिश राज के खिलाफ उनकी लड़ाई बताती है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 13 मार्च | ऑस्कर की रात अभिनेता एनटीआर जूनियर ने सचमुच अपना दिल अपनी आस्तीन पर ढोया है। 'आरआरआर' स्टार ने हाल ही में कहा था कि जब वह ऑस्कर रेड कार्पेट पर चलेंगे, तो अपने देश भारत को अपने दिल में लेकर चलेंगे। उन्होंने न केवल ऐसा किया, बल्कि 95वें अकादमी पुरस्कारों के रेड कार्पेट पर सोमवार की सुबह जो पहना, वह अपने देश के प्रति प्रेम का प्रतीक भी था। भारतीय फैशन डिजाइनर गौरव गुप्ता द्वारा निर्मित सोने की धातु की कढ़ाई के साथ एक काले मखमली कस्टम निर्मित बंद गले की पोशाक को उन्होंने धारण किया।
काले मखमली पारंपरिक बंद गले पर नाजुक सोने की कढ़ाई भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ के समान थी। यह 'आरआरआर' का एक प्रतिष्ठित गीत है। 'द यंग टाइगर' के अपने प्रचलित नाम से पहचाने जाने वाले एनटीआर जूनियर के लिए यह उपयुक्त पोशाक थी।
उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ग्लोबल आइकन के लिए आउटफिट को कस्टम बनाया गया था। बंद गले को लेदर शूज और घड़ी के साथ पेयर किया गया था।
भारतीय संस्कृति और 'द यंग टाइगर' के व्यक्तित्व को एकीकृत करने के लिए डिजाइन किया गया, काला मखमली सूट दोनों का एक आदर्श संयोजन था।
टेलर्ड पीस डिजाइनर गौरव गुप्ता ने बताया कि एनटीआर जूनियर के लिए इस उत्कृष्ट कस्टम-मेड डिजाइन को बनाने के पीछे मेरा विचार कई तत्वों का संयोजन रहा है। भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व करना हमारे लिए इतना बड़ा क्षण है। इस प्रकार मेरे लिए यह महत्वपूर्ण था कि पोशाक में एनटीआर के व्यक्तित्व का एक तत्व हो और साथ ही एक सच्चे वैश्विक भारतीय होने का प्रतिनिधित्व भी हो।
गुप्ता ने कहा, और यह सब काले मखमली बंदगले पर एंटीक टाइगर कढ़ाई के साथ खूबसूरती से फिट बैठता है। 'द यंग टाइगर' भारत के लिए एक श्रद्धांजलि है क्योंकि यह एनटीआर जूनियर के प्रतिनिधित्व के साथ-साथ हमारा राष्ट्रीय पशु है, जिसे 'द यंग टाइगर' के नाम से भी जाना जाता है।
पूरा लुक एक साथ भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित था, जिसमें उनके चरित्र कोमाराम भीम को एक मधुर श्रद्धांजलि दी गई थी, जैसा कि एनटीआर ने पहले वादा किया था। (आईएएनएस)
लॉस एंजिलिस (अमेरिका), 13 मार्च। ऑस्कर में इस साल ‘एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल एट वन्स’ का बोलबाला रहा... सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनने के साथ इसके लिए डेनियल क्वान तथा डेनियल स्कैनर्ट को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक चुना गया और फिल्म की अदाकारा मिशेल योह को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया।
वहीं फिल्म ‘द व्हेल’ के लिए ब्रेंडन फ्रेज़र को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।
फिल्म ‘एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल एट वन्स’ के लिए ही के ह्यू क्वान को सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता की श्रेणी में और जेमी ली कर्टिस को सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री की श्रेणी में पुरस्कार मिला।
डेनियल क्वान तथा डेनियल स्कैनर्ट को ‘ओरिजनल स्क्रीनपले’ की श्रेणी में भी पुस्कार मिला।
योह (60) ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली एशियाई मूल की पहली अदाकारा बनीं। वह पिछले 20 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली अश्वेत महिला हैं।
पुरस्कार स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ सभी महिलाओं से यह कहना चाहूंगी कि किसी को आपको यह न बताने दें कि आपका समय बीत गया है।’’
भारत की बात करें तो ऑस्कर में भारतीयों ने भी इस बार अपना डंका बजाया।
भारतीय फिल्म ‘आरआरआर’ के गीत ‘नाटु नाटु’ ने 95वें अकादमी पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ मूल (ओरिजनल) गीत की श्रेणी में ऑस्कर जीत इतिहास रच दिया है। (एपी)
हैदराबाद, 13 मार्च | 'आरआरआर' के सॉन्ग 'नाटू नाटू' को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने पर टॉलीवुड मेगास्टार और एक्टर राम चरण के पिता चिरंजीवी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। लॉस एंजेलिस में ऐतिहासिक क्षण के लगभग तुरंत बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर चिरंजीवी ने ट्वीट किया, ऑस्कर भारत के लिए अभी भी एक सपना होता, लेकिन वन मैन एसएस राजमौली के विजन, साहस और ²ढ़ विश्वास ने सपने को हकीकत में बदल दिया। एक अरब से ज्यादा लोगों के दिल गर्व और आभार से भरे हुए हैं। राजमौली की ब्रिलियंट टीम के हर सदस्य को बधाई।
चिरंजीवी के बेटे राम चरण को इस सॉन्ग में दिखाया गया है, जो अपने बीट और ब्रीथटेकिंग कोरियोग्राफी के साथ एक ग्लोबल सेंसेशन बन गए हैं। (आईएएनएस)|
सोमवार सुबह जब भारत में लोग जग रहे होंगे तो अमेरिका के लॉस एंजिलिस में ऑस्कर पुरस्कारों की घोषणा हो रही होगी.
ऑस्कर में भारत से इस बार ऑरिजिनल सॉन्ग में नाटू-नाटू, डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फ़िल्म में 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' और डॉक्यूमेंट्री फ़ीचर फ़िल्म में 'ऑल दैट ब्रीद्स' है.
इस साल जनवरी में नाटू-नाटू ने भारतीय सिनेमा में उस वक़्त नया इतिहास रच दिया था.
इसने रिहाना, टेलर स्विफ्ट और लेडी गागा जैसे मशहूर कलाकारों को पछाड़कर बेस्ट ओरिजिनल गाने का गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीता था.
'ऑल दैट ब्रीद्स' दिल्ली के दो भाइयों की कहानी है, जो 2003 से ही चील को बचाने का काम कर रहे हैं.
डायरेक्टर शौनक सेन की यह डॉक्यूमेंट्री क्लाइमेंट चेंज के ऊपर है.
दिल्ली के वज़ीराबाद में अपने छोटे से फ्लैट में नदीम शहजाद और मोहम्मद सउद घायल पक्षियों का इलाज करते हैं और छत पर ओपन केज बनाया हुआ है.
इन पक्षियों में ज़्यादातर चील हैं, कुछ तो ऐसे हैं जो देख नहीं सकते और वो कई वर्षों से अब उन्हीं के पास हैं.
नदीम शहजाद कहते हैं, "उम्मीद तो है ऑस्कर की. मेरी जिंदगी में जितना मैंने इन पक्षियों को नहीं दिया, उतना इन्होंने मुझे दिया है."
पिछले साल रिंटू थॉमस और सुष्मिता घोष की डॉक्यूमेंट्री 'राइटिंग विद फायर' डॉक्यूमेंट्री फीचर वर्ग में नॉमिनेट हुई थी लेकिन उसे ऑस्कर मिल नहीं पाया.
राइटिंग विद फायर ख़बर लहरिया नाम के एक समाचार सेवा की महिलाओं की असाधारण कहानी सुनाती है.
'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' नेटफ़्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री है.
यह एक हाथी और उसकी देखभाल करने वाले दो लोगों की कहानी है.
इससे पहले 2019 में भारत में बनीं शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री 'पीरियड- द एंड ऑफ सेंटेंस' को ऑस्कर अवॉर्ड मिला था. (bbc.com/hindi)
हैदराबाद, 12 मार्च | अभिनेता एनटीआर जूनियर एक पारिवारिक व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं, जो अन्य चीजों के बजाय अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान, जब पत्रकार ने उन्हें अपने बेटों की तस्वीरें दिखाईं, तो उनकी प्रतिक्रिया ने लोगों को हैरान कर दिया। जब केटीएलए न्यूज के एंकर ने उन्हें अपने बेटों और पत्नी के साथ एक इंस्टाग्राम पोस्ट दिखाया, तो उनकी प्रतिक्रिया थी: हे भगवान! उन्हें देखो। मैं उनको पहले से मिस कर रहा हूं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके बेटों को पता है कि वह ऑस्कर में भाग ले रहे हैं, तो एनटीआर जूनियर ने जवाब दिया: वे जानते हैं कि मैं एक अभिनेता हूं, लेकिन अभी उन्हें पता नहीं है कि मैं ऑस्कर में आया हूं, लेकिन हां मैं एक दिन अपने बच्चों को यह बताऊंगा कि मैं ऑस्कर में क्यों गया और मैं रेड कार्पेट पर चला हूं और कैसे विश्व स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करना एक गर्व की बात है।
अभिनेता आरआरआर के लिए 95वें अकादमी पुरस्कारों में रविवार रात रेड कार्पेट पर चलने के लिए तैयार हैं। (आईएएनएस)|
मुंबई, 12 मार्च (आईएएनएस) टीवी शो 'ना उम्र की सीमा हो' में प्रिया रायचंद का किरदार निभाने वाली टीवी एक्ट्रेस ऋषिना कंधारी ने कहा कि वह इस किरदार को निभाना पसंद करती है, लेकिन वह रियल लाइफ में इससे बिल्कुल अलग हैं। प्रिया व्यक्तिगत रूप से बहुत ही सुलझी हुई और सरल इंसान है। 'ना उम्र की सीमा हो' में मेरा किरदार प्रिया रायचंद का है, जो एक पढ़ी-लिखी लड़की है और काम करना चाहती है। वह अपना बिजनेस शुरू करना चाहती है, लेकिन उसपर अपने अमीर और प्रसिद्ध रायचंद परिवार का दबाव है। परिस्थितियों में उलझकर वह पूरे परिवार के साथ अपने दम पर लड़ाई लड़ने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा: मैं निजी जिंदगी में प्रिया से बिल्कुल अलग हूं, क्योंकि मैं वास्तविक जीवन में पूरी तरह से विपरीत हूं। जिस तरह से मैं इसे निभा रही हूं वह इतना वास्तविक लग रहा है कि मुझे अपने परफॉर्मेस के लिए बहुत प्रशंसा मिल रही है और दर्शकों से मेरे किरदार के लिए सराहना मिल रही है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि उम्र का अंतर रिश्तों में बाधा है तो उन्होंने कहा, केवल भारत में, वह भी केवल बुजुर्ग महिलाओं और युवा पुरुषों के लिए। लेकिन अगर पुरुष अपनी उम्र से दोगुना है तो किसी को यहां या विदेश में भी कोई समस्या नहीं है।
'दिया और बाती हम', देवों के देव.महादेव', 'इशारों इशारों में' में भी नजर आ चुकीं एक्ट्रेस ने साझा किया कि टीवी और ओटीटी के दर्शक पूरी तरह से अलग हैं और कंटेंट के मामले में उनकी अलग-अलग मांगें हैं।
उन्होंने कहा, हम दर्शकों का ध्यान रखते हैं और उन्हें सास-बहू ड्रामा पसंद है। ओटीटी और टीवी के दर्शक बिल्कुल अलग हैं। टीवी की एक फिक्स्ड ऑडियंस है।
अपने को-एक्टर इकबाल खान और रचना मिस्त्री के साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, 'ये उन दिनों की बात है' की एक्ट्रेस ने कहा: मेरा इकबाल के साथ एक स्पेशल बॉन्ड है, वह मुझे सेट पर और बाहर अपनी छोटी बहन कहते हैं। वह बहुत प्यार और देखभाल करते हैं और हर समय सेट पर सभी को चॉकलेट खिलाते रहते हैं।
मुंबई, 12 मार्च (आईएएनएस)| एक्टर कुणाल खेमू और श्वेता त्रिपाठी की आने वाली फैमिली एंटरटेनर फिल्म 'कंजूस मक्खीचूस' 24 मार्च को ओटीटी पर रिलीज होने के लिए तैयार है। कुणाल ने इंस्टाग्राम पर इसकी घोषणा की। उन्होंने विपुल मेहता द्वारा निर्देशित फिल्म का एक पोस्टर भी पोस्ट किया। यह फिल्म जी5 पर रिलीज होगी।
उन्होंने कैप्शन के रूप में लिखा: कुणाल खेमू: कंजूसी और जुगाड़ का मास्टरक्लास लेकर आ रहा है ये कंजूस मक्खीचूस। कल ट्रेलर जारी होगा। प्रीमियर 24 मार्च को केवल जी5 पर।
फिल्म में पीयूष मिश्रा, दिवंगत कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव और अलका अमीन भी हैं।
श्वेता त्रिपाठी ने पोस्टर शेयर किया और लिखा: एक कंजूस की कहानी, जिसमें एंटरटेनमेंट और ड्रामा की कोई कंजूसी नहीं की गई है, कंजूस मक्खीचूस का प्रीमियर 24 मार्च को जी 5 पर कल होगा!
मुंबई, 12 मार्च बॉलीबुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने दिवंगत अभिनेता-निर्देशक सतीश कौशिक को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें ‘‘एक बेहतर इंसान’’ और ‘‘एक बेहद निपुण कलाकार’’ के रूप में याद किया।
कौशिक को दिल का दौरा पड़ा था और बृहस्पतिवार तड़के जब उन्हें गुरुग्राम के अस्पताल ले जाया जा रहा था, तभी उनका निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे।
वर्ष 1998 की हिट एक्शन कॉमेडी फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ में कौशिक के साथ काम कर चुके बच्चन ने कहा कि कौशिक के साथ काम करना एक ‘प्रेरणादायक’ अनुभव था।
अमिताभ (80) ने शुक्रवार रात अपने निजी ब्लॉग पर लिखा, ‘‘और हमने एक शानदार इंसान, बेहद निपुण कलाकार खो दिया है ... सतीश कौशिक ... आपके साथ काम करना बहुत प्रेरणादायक रहा ... और सीखने को मिला... मेरी प्रार्थनाएं...।’’
डेविड धवन द्वारा निर्देशित ‘बड़े मियां छोटे मियां’ में कौशिक ने शराफत अली की भूमिका निभाई थी, जो एक तस्कर होता है और उसे इंस्पेक्टर अर्जुन सिंह पीटता है। इंस्पेक्टर एक छोटे-मोटे चोर ‘बड़े मियां’ का हमशक्ल होता है। बड़े मियां और इंस्पेक्टर दोनों के ही किरदार अमिताभ ने निभाये थे। (भाषा)
नरेंद्र पुप्पाला
हैदराबाद, 12 मार्च | इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के लिए 'नाटू नाटू' सॉन्ग नए जमाने का एंटरटेनमेंट एंथम है, जिसने भारत में तूफान ला दिया और दुनिया का दिल जीत लिया।
दुनिया भर में कई अन्य पहचानों के बीच गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स जीतने के बाद, 'आरआरआर' का 'देसी' सॉन्ग इस साल के ऑस्कर अवॉर्ड्स में बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग कैटेगिरी में टॉप दावेदार है।
एमएम केरावनी द्वारा कंपोज और चंद्र बोस द्वारा लिखे गए इस सॉन्ग को राहुल सिप्लिगुंज और काला भैरव द्वारा तेलुगु में प्रस्तुत किया गया है, जिसने न केवल भारत में बल्कि जापान, साउथ कोरिया और अमेरिका जैसे कई देशों में बड़ी सफलता हासिल की है।
एक्टर राम चरण और एनटीआर जूनियर ने स्क्रीन पर परफेक्शन के लिए जिस हुक स्टेप पर परफॉर्म किया, उसने दुनिया भर के लोगों और मशहूर हस्तियों के साथ इंटरनेट पर नई लहर पैदा कर दी। प्रेम रक्षित द्वारा कोरियोग्राफ किए गए आइकॉनिक डांस स्टेप की सराहना की गई।
'नाटू नाटू' की क्रॉस-कल्चरल पॉपुलैरिटी वर्ल्ड प्लेटफॉर्म पर भारतीय सिनेमा के लिए शानदार पहचान के रूप में आई है। आम लोगों और आलोचकों के बीच 'नाटू नाटू' की अत्यधिक लोकप्रियता के पीछे क्या रहस्य है?
आईएएनएस से बात करते हुए, सॉन्ग के लिरिसिस्ट चंद्र बोस ने 'नाटू नाटू' की विश्व लोकप्रियता के पीछे के कारणों के रूप में मजबूत प्राकृतिक तत्वों और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, लोकल ग्लोबल हो गया है। समय आ गया है कि हम अपनी परंपराओं को, अपनी संस्कृति को, अपनी प्रथाओं को दुनिया के सामने पेश करें। असली कला दुनिया भर में हमारी मूल संस्कृति को फैलाने के बारे में है। यही कला का वास्तविक उद्देश्य है। हमारी संस्कृति, परंपराओं, प्रथाओं और भूमि से पैदा हुआ एक सॉन्ग दुनिया पर राज कर रहा है और सीमाओं को पार कर गया है। यही इसकी सफलता का रहस्य है।
लीड एक्टर राम चरण के लिए यह सॉन्ग ड्रामा और इमोशन्स से भरा हुआ है जिसने ग्लोबल ऑडियंस के साथ एक जुड़ाव स्थापित किया।
एक्टर ने लॉस एंजिल्स में 'टॉक ईजी' शो के सैम फ्रैगोसो को बताया, यह गाना ड्रामा और इमोशन्स के कारण ऑस्कर तक पहुंचा है। सौहार्द और भाईचारे ने गाने को इतना खास बना दिया है।''
अधिकांश भारतीय फिल्मों में नियमित रूप से डाले जाने वाले गीतों के विपरीत, 'नाटू नाटू' कहानी के कई पहलुओं को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह गीत की लोकप्रियता का एक प्रमुख कारक भी रहा है।
इसके साथ ही, कहानी में शासकों के वर्चस्व के खिलाफ किरदारों ने भी दर्शकों को आकर्षित किया है।
राम चरण ने सैम फ्रैगोसो को दिए इंटरव्यू में कहा, हर टेक इतना चुनौतीपूर्ण था। एक खास स्ट्रेच को दो दिनों में शूट किया गया था। डांस स्टेप्स एक साथ करना सबसे कठिन था। इसे डिग्री के हिसाब से पिच-परफेक्ट होना था। कीरावनी की अमेजिंग बीट्स ने इसे एक बेहतरीन गाना बना दिया। (आईएएनएस)|
नरेंद्र पुप्पाला
वर्तमान सदी को भारत की सदी माना जा रहा है। भारतीय सिनेमा को वैश्विक मान्यता मिल रही है। एस.एस. राजामौली की 'आरआरआर' 12 मार्च को अमेरिका में शुरू हो रहे ऑस्कर के 95वें संस्करण की धुरी बनी है।
अकादमी पुरस्कार, जिसे हम सभी 'ऑस्कर' के नाम से बेहतर जानते हैं, किसी भी फिल्म निर्माता को उसकी उपलब्धि का प्रमाण पत्र है। भारतीयों और भारत-आधारित फिल्मों ने पहले भी ऑस्कर जीता है, लेकिन यह पहली बार है कि सही मायने में 'मेड इन इंडिया' फिल्म 'नाटू नाटू' के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत श्रेणी में भारत के लिए ऑस्कर जीतने का मौका देख रही है।
अमेरिकी दर्शकों की कल्पना पर कब्जा करने वाली आरआरआर फिल्म के साथ, राजामौली अमेरिका में एक जाना पहचाना नाम बन गए हैं। एक बार जब फिल्म अमेरिका में देखी जाने लगी, तो निर्माता फिल्म को सही तरीके से बढ़ावा देने के लिए तैयार हो गए।
आरआरआर को बढ़ावा देने के लिए यात्राओं से शुरू होकर, पुरस्कार समारोहों में भाग लेने, स्थानीय मीडिया के साथ बातचीत करने और विभिन्न प्रकार के टॉक शो में भाग लेने के लिए, राजामौली 'आरआरआर' की रिलीज के बाद अमेरिका में लगातार आते रहे हैं।
पिछले साल सितंबर में, राजामौली ने अमेरिका की अपनी यात्राओं की पहली श्रृंखला शुरू की। दिग्गज निर्देशक ने एलए के बियॉन्ड फेस्ट के 10वें संस्करण के हिस्से के रूप में फ्रॉम टॉलीवुड टू हॉलीवुड: द स्पेक्टेकल एंड मेजेस्टी ऑफ एस.एस. राजामौली कार्यक्रम के साथ एक अमेरिकी फिल्म समारोह में अपनी शुरुआत की। महीने भर चलने वाले इस कार्यक्रम में उनकी कई प्रसिद्ध फिल्मों को प्रदर्शित किया गया।
इस साल जनवरी में राजामौली इस बार गोल्डन ग्लोब अवार्डस में एक शॉट के लिए फिर से अमेरिका में थे।
लॉस एंजिल्स में गोल्डन ग्लोब, उन पुरस्कारों में सबसे प्रमुख है, जो आरआरआर ने यूएस में प्राप्त किए। टेलर स्विफ्ट, लेडी गागा और रिहाना जैसे अमेरिकी गायकों से प्रतिस्पर्धा के खिलाफ, 'नाटू नाटू' ने इस उपलब्धि को हासिल करने वाले पहले भारतीय उत्पादन के रूप में इतिहास बनाने के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता।
इस यात्रा का मुख्य आकर्षण राजामौली की हॉलीवुड निर्देशकों स्टीवन स्पीलबर्ग और जेम्स कैमरून के साथ मुलाकात थी।
अन्य लोगों के अलावा 'ईटी' और 'शिंडलर्स लिस्ट' के प्रसिद्ध निर्देशक स्पीलबर्ग ने राजामौली और उनकी दृश्य शैली की सराहना की थी।
'टाइटेनिक' फेम जेम्स कैमरून ने राजामौली से कहा था, अगर आप कभी यहां फिल्म बनाना चाहते हैं, तो बात करते हैं।
कुल मिलाकर, टॉलीवुड निर्देशक ने अपनी भारतीयता में डूबे हुए आत्मविश्वास का परिचय दिया।
चाहे वह पुरस्कार स्वीकार कर रहे हों, पारंपरिक भारतीय पोशाक पहने हुए हों, या अमेरिकी पत्रकारों को बॉलीवुड और गैर-बॉलीवुड फिल्मों के बीच के अंतर को मजबूती से समझा रहे हों, राजामौली अपने अमेरिकी प्रवास में आकर्षण का केंद्र थे।
गोल्डन ग्लोब के अलावा, 'आरआरआर' ने अमेरिका में कई प्रमुख फिल्म आयोजनों में पुरस्कारों के माध्यम से भी पहचान हासिल की।
दूसरों के बीच, फिल्म ने हॉलीवुड क्रिटिक्स एसोसिएशन अवार्डस (एचसीएए) में भी अपनी छाप छोड़ी, जहां चालक दल और कलाकारों को स्पॉटलाइट विनर अवार्ड मिला।
राजामौली ने प्रतिष्ठित न्यूयॉर्क फिल्म क्रिटिक्स सर्कल (एनवाईएफसीसी) समारोह में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार भी जीता।
13 मार्च को ऑस्कर पुरस्कारों की घोषणा के साथ, एसएस राजामौली पहले ही अमेरिका में आ चुके हैं, उनकी अब तक की तीसरी 'आरआरआर' यात्रा है और संभवत: लगभग एक साल पहले सिनेमाघरों में हिट होने वाले एक महाकाव्य का 24 मार्च को रोमांचकारी समापन होगा।
अक्षय आचार्य
मुंबई, 12 मार्च | ऑस्कर समारोह नजदीक हैं और भारत के पास जश्न मनाने और अनुमान लगाने के तीन कारण हैं क्योंकि देश से इस बार तीन नामांकन हैं। इनमें एस.एस. राजामौली की महान रचना 'आरआरआर', जो ' नाटू नाटू के साथ सर्वश्रेष्ठ मूल गीत की दौड़ में है, गुनीत मोंगा निर्मित कार्तिकी गोंसाल्विस की लघु फिल्म, 'द एलिफेंट व्हिस्पर्स', सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र लघु फिल्म के लिए और शौनक सेन की 'ऑल दैट ब्रीथ्स' सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फीचर के लिए शामिल हैं।
गौरतलब है कि भारतीय फिल्में लगातार अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी धमक जमा रही हैं। निर्माता गुनीत मोंगा को लगता है कि स्ट्रीमिंग सेवाओं ने भारतीय फिल्मों को पृथ्वी पर सबसे दूरस्थ स्थानों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मोंगा ने आईएएनएस से कहा, हमारी कहानी कहने की जड़ें यहीं हैं और यह सही समय है जब हमें दुनिया भर में पहचाना जाता है। आखिरकार, हम दुनिया में सबसे अधिक समृद्ध फिल्म उद्योग हैं। 'आरआरआर' भारतीय है और यही कारण है कि यह वैश्विक हो गया।
उन्होंने कहा, एक फिल्म या एक श्रृंखला के काम करने के लिए और भौतिक सीमाओं को पार करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि यह अपने दृष्टिकोण में ईमानदार हो, तीनों फिल्मों 'द एलिफेंट व्हिस्पर्स', 'आरआरआर' और 'ऑल दैट ब्रीथ्स' में उपरोक्त विशेषता है।
मोंगा, जिन्होंने पहले 'पीरियड' में कार्यकारी निमोता के रूप में काम किया था। एंड ऑफ सेंटेंस', जिसने सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र लघु फिल्म के लिए 2019 अकादमी पुरस्कार जीता, ने कहा, ये सभी कहानियां जड़ें हैं। भारतीय सामग्री की खोज और प्रदर्शन करने वाले स्ट्रीमिंग दिग्गजों के साथ, मैं बहुत अच्छी तरह से कह सकता हूं कि भारतीय फिल्में वैश्विक स्तर पर धूम मचाने जा रही हैं।
वह यह भी मानती हैं कि स्ट्रीमिंग सेवाएं भारतीय सिनेमा के एकीकरण का एक अभिन्न अंग हैं, क्योंकि इससे अधिक लोगों को भारतीय क्षेत्रीय फिल्म देखने और खोजने का मौका मिलता ह,ै जो भारतीय सिनेमा की ताकत को बढ़ाता है।
मोंगा ने आईएएनएस को बताया, भारत में हमारे लिए भी विजय सेतुपति के जादू की खोज करना बहुत ताजा है। फिल्म निर्माताओं के दृष्टिकोण से देश के कोने-कोने में सिनेमा को देखना बहुत बड़ी बात है। आपके दर्शक वर्ग का विस्तार होता है, आपको कहानी को अपने तरीके से कहने की अधिक स्वतंत्रता होती है और फिल्म कॉमर्स की ज्यामिति से चिपके नहीं रहना चाहिए और बाजार के अनुसार चीजों को मजबूर करना चाहिए।
स्ट्रीमिंग भारतीय सिनेमा के एकीकरण में बड़े पैमाने पर मदद कर रही है, इसने विभिन्न प्रकार के सिनेमा के बीच की रेखाओं को धुंधला कर दिया है, चाहे वह क्षेत्रीय, हिंदी मुख्यधारा या हिंदी स्वतंत्र सिनेमा हो, अब यह सिर्फ भारतीय सिनेमा है।
'द एलिफेंट व्हिस्पर्स', जो नेटफ्लिक्स प्रोडक्शन है, बोमन और बेली नाम के एक स्वदेशी जोड़े की कहानी कहता है, जिन्हें रघु नाम के एक अनाथ बच्चे को सौंपा गया है।
निर्देशक कार्तिकी गोंसाल्वेस औद्योगीकरण से प्रेरित दुनिया में मनुष्यों और जानवरों के बीच संबंधों की गतिशीलता के विषय को छूते हैं, जहां मनुष्य अक्सर अपने असली मालिकों - जानवरों के क्षेत्रों का अतिक्रमण करते हैं।
मोंगा ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि 'द एलिफेंट व्हिस्पर्स' उन लोगों की कहानी है, जो हाथियों के साथ पीढ़ीगत रूप से काम करते रहे हैं और वे जंगल की जरूरतों के बारे में बहुत जागरूक हैं।
उन्होंने कहा, फिल्म में एक खूबसूरत दृश्य है, जो जंगल से लेने की बात करता है, लेकिन केवल उस सीमा तक जिसकी जरूरत है, और जंगलों में सभी के लिए पर्याप्त है। लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हमें क्या चाहिए या क्या लेना चाहिए। हम जमाखोरी करते हैं। मनुष्यों की जरूरतें अनंत हैं, यह हम पर है कि हम अपनी सीमा रेखा खींचे और जानवरों को वह सम्मान दें, जिसके वे पात्र हैं। (आईएएनएस)|
मुंबई, 12 मार्च | अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपनी अगली एक्शन थ्रिलर 'योद्धा' की शूटिंग फिर से शुरू कर दी है। रविवार की सुबह सिद्धार्थ ने इंस्टाग्राम पर अपनी स्टोरीज पर एक वीडियो शेयर किया। वीडियो शहर का एक ²श्य दिखाता है और उस पर सुबह 6 बजे का टाइम स्टैम्प लगा है।
कैप्शन के लिए उन्होंने लिखा: हैशटैग योद्धा।
पुष्कर ओझा और सागर अंब्रे द्वारा निर्देशित थ्रिलर 'योद्धा' एक हाइजैकिंग कहानी पर आधारित फिल्म है। इसमें सिद्धार्थ एक्शन से भरपूर भूमिका में और बिल्कुल नए अवतार में हैं। सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ को-स्टार दिशा पटानी और राशि खन्ना नजर आएंगी।
इसके अलावा रोहित शेट्टी के निर्देशन में बनने वाली 'द इंडियन पुलिस फोर्स' भी उनके पास है जो एक्शन से भरा है। (आईएएनएस)|
नयी दिल्ली, 11 मार्च। भारत के लिए 95वें अकादमी पुरस्कार ऐतिहासिक हो सकते हैं क्योंकि, इस साल फिल्म 'आरआरआर' के हिट गीत 'नाटू नाटू' के साथ भारतीय डॉक्यूमेंट्री 'ऑल दैट ब्रीथ्स' और 'द एलीफैंट व्हिस्परर्स' ऑस्कर पुरस्कार के लिए शार्टलिस्ट हुई है।
ऑस्कर समारोह का आयोजन सोमवार सुबह (भारतीय समयानुसार) हॉलीवुड के डॉल्बी थिएटर में किया जाएगा।
फिल्म 'आरआरआर' के "नाटू नाटू" गाने को मूल गीत के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है। जबकि "ऑल दैट ब्रीथ्स" बेस्ट फीचर डॉक्यूमेंट्री और "द एलिफेंट व्हिस्परर्स" बेस्ट लघु डॉक्यूमेंट्री श्रेणी में शामिल है।
ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत में निर्मित फिल्म, वृत्तचित्र ने ऑस्कर में इतने नामांकन अर्जित किए हैं। प्रशंसकों को इनके साथ ऑस्कर के भारत आने की उम्मीद है।
भारत इस बार ऑस्कर के मंच पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएगा। कार्यक्रम में 'नाटू नाटू' के संगीतकार एमएम कीरावनी और गायक राहुल सिप्लिगुंज-काल भैरव मंच पर प्रदर्शन के लिए मौजूद रहेंगे। इसके अलावा, अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी समारोह में पुरस्कार प्रदान करती हुई नजर आएंगी।
वहीं, "आरआरआर" के प्रमुख कलाकार राम चरण और जूनियर एनटीआर और निर्देशक एस एस राजामौली भी फिल्म की टीम का उत्साह वर्द्धन करने के लिए दर्शकों में मौजूद रहेंगे।
‘‘ऑल दैड ब्रीथ्स’’ जहां शौनक सेन की बनाई डॉक्यूमेंट्री है, वहीं ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को कार्तिकी गोंसाल्विस ने बनाया है। दोनों ही वृत्तचित्र पर्यावरण के सामने मौजूद चुनौतियों और उसके प्रभाव पर आधारित हैं।
फिल्म निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर ने इस मौके पर कहा कि उम्मीद है कि अगला दशक भारत का होगा।
"नाटू नाटू", "ऑल दैट ब्रीथ्स" और "द एलिफेंट व्हिस्परर्स" की ऑस्कर संभावनाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे आशा है कि हम जीतेंगे, और हम इस बार तीन ऑस्कर घर लाएंगे। यदि ऐसा नहीं होता है तो इसका मतलब है कि हम दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं और वे दरवाजे कहीं तो खुलेंगे।" (भाषा)
मुंबई, 10 मार्च | सुपरस्टार एनटीआर जूनियर का कहना है कि फिल्म 'आरआरआर' से उनके आइकॉनिक नंबर 'नाटू नाटू' के स्टेप मुश्किल नहीं थे, मुश्किल था गाने को सिंक करना। इस गाने के लिए वह और उनके को-स्टार रोजाना 3 घंटे तक प्रैक्टिस करते थे। गाने की शूटिंग से उनके पैर अभी भी दुख रहे हैं। एंटरटेनमेंट टुनाइट को दिए एक इंटरव्यू में, एनटीआर जूनियर से पूछा गया कि क्या आपने सोचा था कि यह फिल्म सभी ग्लोबल लाइन्स को पार कर देगी और सभी इसे पसंद करेंगे?
सवाल के जवाब में एक्टर ने कहा: मुझे नहीं पता, लेकिन गाने को शूट करने का एक्सपीरियंस, ये मैं बताता रहा हूं.. मेरे पैरों में आज भी दर्द होता है।
डांस स्टेप्स मुश्किल नहीं थे लेकिन जो मुश्किल था वह था 'सिंक'। हम तीन घंटे तक हर रोज डांस प्रैक्टिस करते थे। हम उस गाने की शूटिंग के दौरान इसकी रिहर्सल करते थे। हमने उस गाने की शूटिंग से एक हफ्ते पहले रिहर्सल की थी और हम सेट पर भी रिहर्सल कर रहे थे। यह केवल सिंक्रोनाइजेशन के लिए था।
अपनी सफलताओं की लिस्ट में एकेडमी अवॉर्ड-नॉमिनी को शामिल करना कैसा लगता है?
एनटीआर जूनियर ने मुस्कराते हुए जवाब दिया: एक एक्टर और क्या मांग सकता है, एक फिल्ममेकर विश्व स्तर पर सिनेमा के सबसे बड़े उत्सव, ऑस्कर का हिस्सा बनने के लिए और क्या मांगेगा।
उन्होंने कहा कि बड़ा दिन वह होता है, जब एक एक्टर के रूप में नहीं, बल्कि एक भारतीय के रूप में रेड कार्पेट पर चलने का मौका मिलता है।
उन्होंने कहा, उस दिन के लिए, मुझे लगता है कि हम 'आरआरआर' के एक्टर बनकर नहीं चलेंगे। मैं रेड कार्पेट पर एक भारतीय के रूप में चलने जा रहा हूं, मेरे लिए यह गर्व की बात है, मेरे दिल में मेरा देश है।
एसएस राजामौली की 'आरआरआर' ने अपने लाइववायर ट्रैक 'नाटू नाटू' के लिए 95वें ऑस्कर अवॉर्डस में बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग में नॉमिनेशन हासिल किया। 12 मार्च को ग्रैंड इवेंट होगा।
एम. एम. कीरावनी द्वारा कंपोज ट्रैक, जनवरी में 80वें गोल्डन ग्लोब अवार्डस में बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग अवॉर्ड जीतने वाला पहला भारतीय और एशियाई गीत बना। (आईएएनएस)
मुंबई, 10 मार्च | मशहूर सिंगर टोनी कक्कड़ ने 'इंडियन आइडल 13' के कंटेस्टेंट ऋषि सिंह के सिंगिंग स्टाइल की सराहना की। ऋषि सिंह ने 'एक अजनबी हसीना से' और 'ये जो मोहब्बत है' गानों पर परफॉर्म किया, जो 'अजनबी' और 'कटी पतंग' फिल्मों से लिया गया है और यह मूल रूप से किशोर कुमार द्वारा गाया गया है। उन्होंने कहा: ऋषि, आपने असाधारण रूप से अच्छा गाया। 'ये जो मोहब्बत है' पर आपके परफॉर्मेंस ने पूरे सेट की वाइब बदल दी। आपकी आवाज में कोर स्पेक्ट्रम है और इसकी एक वाइड रेंज है जो प्लेबैक सिगिंग के लिए एकदम सही है।
श्रीलंकाई सिंगर योहानी ने टोनी कक्कड़ और रैपर इक्का के साथ उनके लेटेस्ट होली सॉन्ग 'चुनरी में दाग' के लिए सहयोग किया है। टोनी और योहानी अपने गाने को प्रमोट करने के लिए सिंगिंग रियलिटी शो में दिखाई दे रहे हैं और सभी बेहतरीन सिंगर्स ने कंटेस्टेंट्स की परफॉर्मेंस का आनंद लिया और ट्रैक के बारे में भी बात की।
टोनी ने ऋषि को योहानी के साथ उनके पॉपुलर सॉन्ग 'माणिके मागे हीथे' पर परफॉर्म करने के लिए कहा।
सिंगिंग रियलिटी शो को विशाल ददलानी, नेहा कक्कड़ और हिमेश रेशमिया जज करते हैं।
'इंडियन आइडल 13' सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित होता है। (आईएएनएस)
मुंबई, 10 मार्च | बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण, जो इस साल ऑस्कर में सेलिब्रिटी प्रेजेंटर्स होंगी, बड़े इवेंट के लिए अमेरिका के लिए रवाना हो गई हैं। दीपिका को ऑस्कर 2023 अवॉर्ड्स के लिए निकलते हुए एयरपोर्ट पर देखा गया। उनके पति और एक्टर रणवीर सिंह उन्हें एयरपोर्ट पर ड्रॉप करने पहंचे।
सेलेब्रिटी फोटोग्राफर विरल भयानी द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में दीपिका डेनिम और ब्लैक ब्लेजर में अपनी कार से उतरते हुए दिखाई दे रही हैं।
एक्ट्रेस 12 मार्च को ऑस्कर समारोह के लिए लॉस एंजिल्स में एमिली ब्लंट, सैमुअल जैक्सन और ड्वेन जॉनसन जैसे ग्लोबल स्टार्स के साथ शामिल होंगी।
दीपिका ने इंस्टाग्राम के जरिए प्रेजेंटर्स की लिस्ट में अपने नाम की घोषणा की थी। उन्होंने 95वें ऑस्कर में प्रेजेंटर्स की एक लिस्ट साझा की, जिसमें उनका नाम सैमुअल जैक्सन, ड्वेन जॉनसन और रिज अहमद जैसे सितारों के साथ शामिल है। (आईएएनएस)
बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़ ख़ान के बंगले ‘मन्नत’ के अंदर घुसने के आरोप में बीते हफ़्ते दो युवकों को गिरफ़्तार किया गया था.
मुंबई पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद बताया कि ये दोनों युवक शाहरुख़ के मेकअप रूम में क़रीब आठ घंटे तक छुपे रहे.
पुलिस ने बताया, “दोनों अभियुक्त शाहरुख़ ख़ान से मिलने उनके बंगले में घुसे और क़रीब आठ घंटे तक मेकअप रूम में अभिनेता का इंतज़ार करते रहे. वे सुबह के क़रीब 3 बजे बंगले में घुसे थे जहां उन्हें 10.30 बजे पकड़ लिया गया था.”पुलिस के मुताबिक दोनों युवक दीवार फांद कर बंगले में घुसे थे.
दोनों युवकों की पहचान साहिल सलीम ख़ान और राम सराफ़ कुशवाहा के रूप में हुई है.
पुलिस पूछताछ के दौरान युवकों ने अपनी उम्र 20 और 22 साल बताई है और ये भी बताया कि वो गुजरात के भरूच शाहरुख़ ख़ान से मिलने की कोशिश में उनके बंगले पर पहुंचे थे, जहां उन्हें सुरक्षागार्डों ने पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.
फिलहाल पुलिस दोनों युवकों से पूछताछ कर रही है. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 7 मार्च हैदराबाद में फिल्म ‘प्रोजेक्ट के’ के एक एक्शन दृश्य की शूटिंग के दौरान घायल हुए बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने अपने शुभचिंतकों की फिक्र और दुआओं के लिए मंगलवार को उनका आभार जताया।
रविवार को अपने ब्लॉग पोस्ट में 80 वर्षीय बच्चन ने बताया था कि उनका “रिब कार्टिलेज टूट गया है और दाहिनी पसली का मांस भी फट गया है।”
मंगलवार को उन्होंने ट्वीट किया, “मुझे लेकर आपकी फिक्र और दुआओं के लिए हमेशा प्यार और आभार... आपकी दुआएं ही इलाज हैं... मैं आराम कर रहा हूं और आपकी दुआओं के बलबूते मेरी हालत में सुधार हो रहा है।”
मुंबई लौटने से पहले बच्चन ने कहा था कि हैदराबाद के एक अस्पताल में उनका सीटी स्कैन किया गया और डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
उन्होंने बताया था कि वह तकलीफ में हैं, लेकिन “सभी जरूरी गतिविधियों के लिए थोड़ा बहुत चल-फिर ले रहे हैं।”
बच्चन ने लिखा था, “सांस लेते समय काफी दर्द हो रहा है। ठीक होने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं... दर्द दूर करने के लिए कुछ दवाएं भी ले रहा हूं।”
अभिनेता ने बताया था कि उनके घायल होने से ‘प्रोजेक्ट के’ सहित कई अन्य फिल्मों की शूटिंग रोकनी पड़ी है।
‘प्रोजेक्ट के’ 12 जनवरी 2024 को सिनेमाघरों में दस्तक देगी। इसमें अमिताभ बच्चन के साथ प्रभास और दीपिका पादुकोण भी अहम किरदार निभाते नजर आएंगे।
घायल होने के कारण बच्चन को जुहू स्थित अपने बंगले ‘जलसा’ के बाहर इकट्ठा होने वाले प्रशंसकों के साथ रविवार की अपनी मुलाकात और अभिवादन कार्यक्रम भी रद्द करना पड़ा था। (भाषा)
जोया मतीन और मेरिल सेबैस्टियन
एक हादसे के बाद दुश्मन देश में फंसी एक युवती जहां उसे सेना का एक हैंडसम अधिकारी बचाता है.
उन्हें एक दूसरे से प्यार हो जाता है. लेकिन एक होने के लिए उनके बीच कई रुकावटें हैं. इनमें वो लकीर भी शामिल है जो दोनों देशों को बांटती है.
कुछ साल पहले अगर आप ये कहानी किसी भारतीय को सुनाते तो उन्हें सहसा साल 2004 की बॉलीवुड फ़िल्म 'वीरा ज़ारा' की याद आ जाती.
शाहरूख ख़ान और प्रीति ज़िंटा ने इस फ़िल्म भारत और पाकिस्तान के किरदारों को निभाया था. इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में खटास की वजह से तनाव रहता है.
'वीर ज़ारा' की यादें 2019 के बाद धुंधली पड़ने लगीं.
दरअसल, 2019 के कोरियाई ड्रामा (के ड्रामा) क्रैश लैंडिंग ऑन यू (सीएलओवाई) की कहानी भी इससे मिलती जुलती थी. उस कहानी के केंद्र में पड़ोसी देश दक्षिण और उत्तर कोरिया हैं.
'ड्रामा ओवर फ्लॉवर्स' नामक 'के ड्रामा पॉडकास्ट' की को होस्ट परोमा चक्रवर्ती कहती हैं, "दुनिया ने सीएलओवाई को इसलिए पसंद किया क्योंकि इस शो ने दोनों देशों के साझा ग़म को साफ़ साफ़ दिखाया. लेकिन मुझे लगता है कि दुनिया भर में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों ने इसे अलग तरह से लिया."
उनके पॉडकास्ट से संकेत मिलता है कि अब 'के ड्रामा' भारत में कितना लोकप्रिय है.
'के ड्रामा' को देश में पसंद किए जाने का सिलसिला उत्तर पूर्व के राज्य मणिपुर से शुरू हुआ. ये तब की बात है जब अलगाववादी विद्रोहियों ने साल 2000 में बॉलीवुड की फ़िल्मों को बैन कर दिया. धीरे धीरे 'के ड्रामा' बाकी देश में भी फैल गया.
साल 2020 में जब कोविड महामारी की वजह से लोग घरों में रहने को मजबूर थे तब इसकी लोकप्रियता को उछाल मिला. उस साल भारत में नेटफ्लिक्स पर ठीक पिछले साल के मुक़ाबले 'के ड्रामा' देखने वालों की संख्या 370 प्रतिशत ज़्यादा रही.
'के ड्रामा' पसंद करने वालों की संख्या बढ़ रही है. कहानी बयान करने के मामले में उनके अंदाज़ में नयापन है और ये सचाई के ज़्यादा करीब है. ये भारत की विशाल हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री 'बॉलीवुड' के लिए 'व्यूअरशिप ट्रेंड्स' को बदल रहा है.
बॉलीवुड अब भी कोरोना महामारी के पहले स्तर को हासिल करने में संघर्ष कर रहा है.
बॉलीवुड बनाम कोरियाई ड्रामा
साप्ताहिक '52' की संपादक सुप्रिया नायर 'के ड्रामा' की प्रशंसक हैं. वो कहती हैं कि दोनों के बीच तुलना मुश्किल है.
वो कहती हैं, "लोकप्रिय हिंदी सिनेमा की तरह लोकप्रिय कोरियाई सिनेमा मुख्य रुप से मेल ऑडिएंस यानी पुरुष दर्शकों के लिए बनाया जाता है. पॉपुलर कोरियन टीवी, पॉपुलर हिंदी टीवी की ही तरह, महिलाओं के लिए बनाया जाता है."
लेकिन मनोरंजन जगत से जुड़े इन दोनों उद्योगों में कई समानताएं हैं. दोनों ही अपनी अतिनाटकीयता और अजब गजब रोमांस के लिए मशहूर हैं.
बॉलीवुड की ही तरह 'के ड्रामा' भी अपना संसार रचता है. ये ज़रूरी नहीं कि ब्रह्मांड के नियम यहां हमेशा लागू हों. यहां कहानी का प्लॉट में कभी रुखी सूखी सचाई हो सकती है और कभी सिर चकरा देने वाले तथ्य.
ये दोनों बड़ी इंडस्ट्री हैं. इनके लाखों दर्शक हैं और बेशुमार दीवानगी रखने वाले फैन हैं.
सुप्रिया नायर कहती हैं, "(बॉलीवुड) अलग अलग शैली और तौर तरीकों को सहजता से मिला लेता है. हम एक ही कहानी में तमाशा, एक्शन, रोमांस, वास्तविकता और भावुकता को शामिल कर सकते हैं."
और कोरियाई शोज़ के कहानी बयान करने तरीके में भी यही लचीलापन मिलता है. हर बार परीकथा जैसे सुखद अंत की गारंटी रहती है लेकिन वहां तक पहुंचने के पहले कहानी में कई तरह के घुमाव और मोड़ आते हैं.
लेकिन उनके बीच सबसे बड़ी समानता कहानियों में पारिवारिक और सामाजिक ताने बाने की मौजूदगी है.
सुप्रिया नायर कहती हैं, "कोरियाई ड्रामा में मां पिता और बच्चों के साथ रिश्तों का जो जुड़ाव सामने आता है, उसे पश्चिमी देश उस तरह से कतई नहीं समझ सकते जैसे कि हम समझते हैं."
कोरियाई शोज़ और बॉलीवुड फ़िल्मों की पटकथा इसी के असर के इर्द गिर्द घूमती है. प्यार किससे करना है ये तय करने से लेकर बच्चे कौन सा करियर चुनें, पति के परिवार को लेकर एक महिला की ज़िम्मेदारी और परिवार की ओर से मिलने वाले सामाजिक दायरे तक की बात होती है.
सुप्रिया नायर कहती हैं, " लेकिन सचाई चाहे जितनी रूखी हो, मुझे लगता है कि बेहतरीन ड्रामा में सभी किरदारों को बेहद नरमी और सोच समझ के साथ गढ़ा और पेश किया जाता है. "
कई बार स्क्रीन पर मुहब्बत दिखाने के मामले में भी ये दोनों इंडस्ट्री एक सी नज़र आती हैं.
परोमा चक्रवर्ती कहती हैं, " मुहब्बत को आदर्श रुप में पेश किया जाता है. इसे हासिल करने में भी प्यार और मासूमियत झलकती है. ये वो मामला है जहां बीते कुछ साल से बॉलीवुड लीक तोड़ रहा है, इसलिए कई सारे भारतीय दर्शक 'के ड्रामा' का रुख कर रहे हैं."
सुप्रिया नायर इसे उदाहरण से समझाती हैं. वो कहती हैं कि तमिल, मलयालम और तेलुगू फ़िल्मों के कई फैन 'होमटाउन चा चा चा' जैसे 'के ड्रामा' में काफी समनाता तलाश सकते हैं.
वो कहती हैं, "इसकी कहानी का प्लॉट वैसा ही है जैसा दशकों से दशकों दक्षिण भारतीय फ़िल्ममेकर्स पसंद करते रहे हैं. शहर में रहने वाली एक महत्वाकांक्षी लड़की एक नाटकीय गांव पहुंचती है, जहां स्थानीय लोग उसकी फिरकी लेते हैं और उसे एक ग्रामीण से प्यार हो जाता है."
लेकिन, इन समानताओं के मायने ये हैं कि दोनों ही इंडस्ट्री एक सी ही ग़लतियों के लिए अभिशप्त हैं. ख़ासकर मुहब्बत को बयान करते वक़्त, प्यार पाने के लिए महिला का पीछा करना, महिला को जबरन पकड़ना और हीरोइन के लिए कमसिन होने की शर्त.
परोमा चक्रवर्ती कहती हैं, "जलन को प्यार के संकेत के तौर पर दिखाया जाता है. पुरुषों के प्रेमिका या पत्नी पर एकाधिकार को गहरे लगाव के तौर पर दिखाया जाता है."
वो कहती हैं कि 'के ड्रामा' और भारतीय फ़िल्मों में आखिर में परिवार के दुष्ट सदस्य को माफी मिल जाती है और दोनों ही इंडस्ट्री की कहानियों में घरेलू अत्याचारों को शायद ही कभी ठीक तरीके से संभाला जाता है.
दमदार होते हैं महिलाओं के रोल
लेकिन, भारत की कई महिलाओं के लिए कोरियाई शोज़ का सबसे बड़ा आकर्षण उनमें महिलाओं को दिखाए जाने का तरीका है. इनमें आला भूमिकाएं निभाने वाली महिलाएं अक्सर स्मार्ट और पेचीदा होती हैं. मुहब्बत के परे भी उनका चरित्र विकसित किया जाता है और वो सिर्फ़ हीरो की परछाईं नहीं होती हैं.
उदाहरण के लिए बॉलीवुड की सुपरहिट फ़िल्म 'दंगल' और कोरियन ड्रामा 'वेटलिफ्टिंग फेयरी किम बोक-जू' को देखें. 2016 में रिलीज़ दोनों ही कहानियां महिला खिलाड़ियों पर आधारित है.
'दंगल' में सुपरस्टार आमिर ख़ान थे. इस फ़िल्म में बेटी को कामयाब पहलवान बनाने के लिए पिता की कुर्बानियों को प्रमुखता दी गई. जबकि 'के ड्रामा' में युवा महिला वेटलिफ़्टर को कहानी केंद्र में रखा गया.
दोनों ही कहानियों में साहस, विद्रोह और कुर्बानी दिखाई गई लेकिन 'दंगल' में आखिरकार बेटी को पिता के फ़ैसले को मानना पड़ा वहीं 'के ड्रामा' में युवा खिलाड़ी के संघर्ष को केंद्र में रखा गया.
कोरियाई इंडस्ट्री में कई शोज़ महिलाएं लिखती और निर्देशित करती हैं. सुप्रिया नायर कहती हैं, "कोरिया के शो रनर एक तरफ पारंपरिक नियमों और ब्रॉडकास्ट मानकों को बनाए रखते हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं की महत्वाकांक्षाओं और उनकी निजी आज़ादी का का भी ख्याल रखते हैं. "
इसलिए जहां 'दंगल' चमत्कार के लिए आमिर ख़ान की स्टार पावर पर भरोसा दिखाती है, वहीं वेटलिफ्टिंग फेयरी का पूरा फोकस उसकी मुख्य किरदार पर टिका रहता है.
'16 अध्याय का उपन्यास'
ऐसे में 'के ड्रामा' अक्सर अपनी कहानी 16 एपिसोड में पूरी कर लेते हैं. परोमा चक्रवर्ती इसे "16 अध्याय वाला उपन्यास" कहती हैं.
सुप्रिया नायर कहती हैं कि 'के ड्रामा' में महिलाओं को मिलने वाली अहमियत उत्साह जगाती है.
वो कहती हैं, "क्या आपने कभी नोटिस किया है कि कोरिया के पीरियड ड्रामा में महिलाओं की आज़ादी को लेकर कितनी फंतासी दिखाई जाती है."
सुप्रिया नायर कहती हैं, "इंडियन पॉप कल्चर में हम कभी ऐसा नहीं बनाते क्योंकि फंतासी में भी हम कभी महिलाओं को जाति और धर्म के दायरे से बाहर की आज़ादी नहीं दे सकते."
वो कहती हैं कि इसकी एक वजह 20वीं सदी में कोरिया, चीन और पूर्वी एशिया के कुछ दूसरे हिस्से में महिलाओं को अपेक्षाकृत हासिल हुई धार्मिक और सामाजिक आज़ादी है.
वो कहती हैं कि 'के ड्रामा' देखने वाले लंबे समय से इनकी नई स्टोरीलाइन का श्रेय अच्छी स्क्रिप्ट राइटर्स को देते हैं. स्क्रिप्ट लिखने वालों में ज़्यादातर महिलाएं हैं. बॉलीवुड के कहानी कहने के तरीके में भी तब आमूलचूल बदलाव आ सकता है, जब यहां भी स्क्रिप्ट लिखने वालों को ऐसा ही सम्मान मिले.
एक मुश्किल कहानी को मजेदार और संवेदनशील कैसे बनाया जा सकता है, 'क्रैश लैंडिंग ऑन यू' इसका एक अच्छा उदाहरण है.
सुप्रिया नायर कहती हैं, "हिंदी सिनेमा के कई बड़े स्टार और फ़िल्म निर्माताओं ने विभाजन के दर्द को सीधे तौर पर महसूस किया है लेकिन मुझे नहीं लगता कि उन्होंने या फिर उनके बच्चों ने सीमा के आर पार मुहब्बत को उस कामयाबी से दिखाया जैसे कि कोरिया के लोगों ने दिखाया है."
"ये विडंबना है क्योंकि कोरियाई देश 70 साल से जंग के मुहाने पर हैं जबकि भारत और पाकिस्तान के बीच बीते कुछ समय से शांति है." (bbc.com/hindi)
-शेरिलान मोल्लान
भारत के शहरों में एक समय सिंगल-स्क्रीन सिनेमा हॉल ही हुआ करते थे. मल्टीप्लेक्स के उभरने के बाद से सिंगल स्क्रीन सिनेमा का धीरे-धीरे पतन हो गया है. अब उनमें से कुछ सौ ही बचे हैं.
सिनेमेटोग्राफ़र हेमंत चतुर्वेदी इस ख़त्म होती परम्परा का दस्तावेज़ीकरण करते रहे हैं. भारत के तमाम सिंगल-स्क्रीन सिनेमा हॉल भव्य हुआ करते थे ताकि वे दर्शकों को आकर्षित कर सकें. इन्हें बनाने के लिए स्थापत्य के विविध प्रयोग किए गए थे.
2019 में हेमंत चतुर्वेदी ने अपना प्रोजेक्ट शुरू किया. उन्होंने अब तक 15 राज्यों के 950 सिनेमाघरों के फ़ोटो खींचे हैं. वो कहते हैं, "पिछले 25 सालों में सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघरों की संख्या 24,000 से घटकर 9,000 हो गई है."
कुछ को मॉल और इमारतों के लिए जगह बनाने के लिए ढहा दिया गया. बाकी सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघर ग्राहक खोने की वजह से खंडहर में तब्दील हो गए.
हेमंत चतुर्वेदी कहते हैं, "ये थिएटर भारत की सिनेमा देखने की संस्कृति के विकास के गवाह थे. भारत में सबसे छोटे शहरों में भी लोगों को फ़िल्मों का आनंद लेने में सिंगल-स्क्रीन सिनेमा ने मदद की."
चतुर्वेदी को इस प्रोजेक्ट का ख़्याल तब आया जब वो अपने दादा-दादी के घर इलाहबाद गए थे.
बचपन में वो इलाहाबाद के लक्ष्मी टॉकीज़ जाया करते थे. अब वो बंद हो चुका है. चतुर्वेदी जब दोबारा वहां गए तो देखा कि ढहते हुए खंडहर में देवी की एक मूर्ति बची है जिसके नाम पर थिएटर का नाम रखा गया था. प्रतिमा धूल से ढकी है और उसका एक हाथ गायब हो गया है.
हेमंत चतुर्वेदी कहते हैं कि उन्हें ये सब देखकर एहसास हुआ कि कैसे नगरीकरण की वजह से शहर अपना इतिहास खोते जा रहे हैं. वहीं से भारत के सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघरों के दस्तावेज़ीकरण की उनकी शुरुआत हुई.
निरंजन टॉकीज
उत्तर प्रदेश के निरंजन टॉकीज को 1940 में तैयार किया गया था, लेकिन एक ज़मीन के विवाद की वजह से 1989 में इसे बंद कर दिया गया.
अपने सुनहरे दिनों में ये टॉकीज अपने आर्ट डेको डिजाइन, सनबर्स्ट मोज़ेक फर्श और प्रभावशाली संरचना के लिए जानी जाती थी लेकिन अब ये खंडहर में बदल चुका है, लेकिन इसकी भव्यता के निशान उन जगहों पर दिखाई देते हैं जो समय की मार से बच गए हैं.
हेमंत चतुर्वेदी का मानना है कि "यह इलाहाबाद शहर का पहला एयर कंडीशन्ड सिनेमाघर था."
वो आगे कहते हैं, "स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि कैसे उनके दादा-दादी फिल्म ख़़त्म होने के बाद थिएटर के बाहर इकट्ठा होते थे ताकि वे वातानुकूलित हवा का आनंद उठा सकें."
कहा जाता है कि राजस्थान के बीकानेर में गंगा टॉकीज को उस समय के शासक राजा ने बनाया था.
थिएटर पिछले 20 साल से बंद है. लेकिन धूल भरे कोनों और टूटी फूटी दीवारों के ऊपर यादगार ख़जाना मिलता है. दीवारों पर शम्मी कपूर की 1961 की हिट फ़िल्म 'जंगली' और नरगिस की आख़िरी फ़िल्म 'रात और दिन' (1967) के मूल पोस्टर मौजूद हैं.
पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में विजयानंद टॉकीज को 1914 में बनाया गया था. भारत की पहली पूरी फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनाने वाले दादासाहेब फाल्के इस थिएटर के पास एक भूखंड पर दो पेड़ों के बीच बंधे एक सफेद कपड़े पर ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों की स्क्रीनिंग करते थे.
हेमंत चतुर्वेदी बताते हैं कि, ''जाहिर तौर पर लोग चलती-फिरती तस्वीरों को देखकर डर गए थे और उन्हें लगा कि यह काले जादू का नतीजा है.''
वो आगे कहते हैं कि, ''स्थानीय पुलिस को एक मुहिम चलानी पड़ी, जिसके तहत उन्हें लोगों को बताना होता था कि वो (दादासाहेब फाल्के) कोई जादू टोना (काला जादू) नहीं बल्कि एक नई तकनीक दिखा रहे हैं जिसे सिनेमा कहा जाता है.''
"स्थानीय पुलिस को लोगों को यह बताने के लिए अभियान चलाना पड़ा कि वह सिनेमा नामक एक नई तकनीक दिखा रहे हैं और यह जादू टोना (काला जादू) नहीं है."
रॉयल टॉकीज
रॉयल टॉकीज मुंबई के एक ऐसे इलाक़े में स्थित है जिसे 1800 के दशक में 'प्ले हाउस' कहा जाता था, क्योंकि इस इलाक़े में नाटकों और संगीत के लिए कई थिएटर थे.
1900 के दशक में भारत में सिनेमा आने के बाद उन्हें मूवी हॉल में बदल दिया गया.
हेमंत चतुर्वेदी कहते हैं, "जो थिएटर अभी भी खड़े हैं उनमें ग्रीन रूम एरिया और स्क्रीन के पीछे स्टेज हैं."
दिलचस्प कहानी
वो आगे कहते हैं कि, "रॉयल टॉकीज़ में मुझे 1950 और 1962 के दो पुराने लेटर हेड मिले. उनके पास पहला और एकमात्र फिजिकल एविडेंस था जो मुझे इस इलाक़े के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 'प्ले हाउस' शब्द का पता मिला."
गुजरात में वाधवान की एक पुरानी रियासत में एक अकेली टिकट खिड़की के साथ उबड खाबड सरंचना है जिसकी एक दिलचस्प कहानी है.
स्थानीय कहावत है कि वाधवान के राजा ने 1896 में मुंबई (तब बॉम्बे कहा जाता है) की यात्रा पर 10,000 रुपये ($121; £99) में लुमियर ब्रदर्स द्वारा आविष्कार किया गया एक प्रारंभिक फिल्म प्रोजेक्टर को बुक किया था.
प्रोजेक्टर दस साल बाद आया. चतुर्वेदी के मुताब़िक, यह ओपन एयर थिएटर में स्थापित किया गया था, जो भारत में मूक फिल्मों की स्क्रीनिंग करने वाला पहला स्क्रीनिंग हो गया. आज वहां सिर्फ थिएटर की टिकट खिड़की मौजूद है.
भागवत चित्र मंदिर
महाराष्ट्र के शोलापुर शहर में भागवत चित्र मंदिर 1935 में बना एक भव्य नाट्यशाला है.
मालिकों का दावा है कि गायिका लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र में यहां पहली बार सार्वजनिक रूप से गाना गाया था.
वहां परिसर के भीतर तीन से ज़्यादा थिएटर मौजूद हैं.
हेमंत चतुर्वेदी कहते हैं, "इसके मालिक गर्व से कहते हैं कि वे भारत में मल्टीप्लेक्स अवधारणा के संस्थापक थे."
छाया मंदिर, कला मंदिर और उमा मंदिर नाम के ये तीन थिएटर डब्लयू. एम नामजोशी ने बनाया था. उन्होंने भारत में लगभग तीन दर्जन सिंगल-स्क्रीन थिएटर डिज़ाइन किए थे.
जिन्होंने भारत में लगभग तीन दर्जन सिंगल-स्क्रीन थिएटर डिज़ाइन किए थे.
पठान से फिर सुर्खियों में सिंगल स्क्रीन थियेटर
चतुर्वेदी याद करते हुए कहते हैं, "मालिक ने मुझे बताया कि कैसे एक समय जब सभी चार थिएटर पूरी क्षमता से चलते थे और वह और उनके पिता टिकट के लिए भीड़ को तितर-बितर करने के लिए छत से पटाखे फेंकते थे."
मुंबई में निशात सिनेमा रेनोवेशन के लिए लंबे समय से बंद था और हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की फ़िल्म 'पठान' की स्क्रीनिंग के लिए अपने दरवाजे खोले.
थिएटर इतना भरा हुआ था कि मालिकों को पास के थिएटर से 'हाउसफुल' बोर्ड मंगवाना पड़ा, क्योंकि उन्होंने दशकों से अपना 'हाउसफुल' बोर्ड इस्तेमाल नहीं किया था और उन्हें नहीं पता था कि बोर्ड कहां है.
हेमंत चतुर्वेदी कहते हैं, "फिल्म के रिलीज़ होने के बाद कई लोगों ने मुझे मैसेज किया, यह कहते हुए कि इसने भारत में सिंगल-स्क्रीन थिएटरों को पुनर्जीवित किया है."
"मैं उनसे बस इतना ही कह सकता था कि 'पठान' के बाद क्या होता है? क्या थिएटर फिर से अंधेरे में डूब जाते हैं?" (bbc.com/hindi)
(शुभा दुबे)
नयी दिल्ली, 6 मार्च। रणबीर कपूर का मानना है कि एक कलाकार का भावनात्मक रूप से परिपक्व होना उसके काम में झलकता है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में उन्होंने जो उतार-चढ़ाव देखे हैं उससे उनमें एक कलाकार के तौर पर आए बदलावों को समझने में उन्हें अभी समय लगेगा।
अभिनेता (40) के पिता ऋषि कपूर का कैंसर से अप्रैल 2020 में निधन हो गया था। वह पिछले साल अदाकारा आलिया भट्ट के साथ शादी के बंधन में बंधे और नवंबर में उनकी बेटी राहा का जन्म हुआ।
उन्होंने कहा कि इन सभी क्षणों ने उन्हें जिंदगी को बेहतर तरीके से समझने का मौका दिया।
रणबीर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘किसी की भी जिंदगी में अपने माता-पिता में से किसी को खोना एक बेहद मुश्किल पल होता है। जब आप 40 (वर्ष) के आसपास होते हैं तब अकसर ऐसा होता है... आप इसके लिए कभी खुद को तैयार नहीं कर सकते। हालांकि ऐसे समय में आपका परिवार करीब आ जाता है। इससे आपको जिंदगी को समझने का मौका मिलता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उससे कई अच्छी और बुरी बातें निकलकर सामने आती हैं... मैं एक बेटी का पिता बना। पिछले साल ही मेरी आलिया से शादी हुई। कई उतार-चढ़ाव भी आए लेकिन यही तो जिंदगी है।’’
अभिनेता ने कहा कि भावनात्मक रूप से उनमें जो बदलाव आए हैं, उसे अपनी कला में ढालने में अभी उन्हें कुछ वर्ष लग सकते हैं।
रणबीर आखिरी बार फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र: पार्ट वन शिवा’ में नजर आए थे। उनकी आने वाली फिल्म ‘तू झूठी मैं मक्कार’ आठ मार्च को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी।
फिल्म रिलीज पर अभिनेता ने कहा, ‘‘ वैश्विक महामारी के बाद लोगों का फिल्मों को लेकर नजरिया बदला है। लोग एक्शन फिल्मों, ‘स्पेशल इफेक्ट’ फिल्मों को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन यह एक रोमांटिक-कॉमेडी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं देखना चाहता हूं कि क्या दर्शक अब भी इसे मौका देते हैं या नहीं। यह फिल्म जगत के लिए भी जरूरी है क्योंकि इसके चलने पर ही इस विषय की फिल्में आगे बनती रहेंगी, नहीं तो हम केवल एक्शन फिल्मों को ही सिनेमाघरों के लिए बनाएंगे। कई बार लोग एक रोमांटिक-कॉमेडी देख अच्छा समय बिताना चाहते हैं। इसलिए ही मुझे लगता है कि लोगों को यह पसंद आएगी।’ (भाषा)
बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान घायल हो गए. अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में इसकी जानकारी दी है.
उन्होंने बताया है कि हैदराबाद में 'प्रोजेक्ट के' फ़िल्म के लिए एक एक्शन सीन शूट करते वक़्त वो घायल हो गए. अमिताभ बच्चन की पसली में चोट आई है.
अमिताभ बच्चन ने बताया है कि चोट के कारण उन्हें सांस लेते समय और हिलने-डुलने में दर्द हो रहा है, जिसके लिए दवाइयां दी गई हैं.
ठीक होने तक अमिताभ बच्चन ने सभी मीटिंग और कार्यक्रम टाल दिए हैं. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 5 मार्च अभिनेता शाहरुख खान की फिल्म “पठान” भारत में सबसे अधिक कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बन गई है। यशराज फिल्म्स (वाईआरएफ) ने यह जानकारी दी।
वाईआरएफ ने एक विज्ञप्ति में कहा, “फिल्म भारत में 529 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है। इसमें से 511.70 करोड़ रुपये फिल्म ने हिंदी में कमाए हैं जबकि दूसरी भारतीय भाषाओं में वह18.26 करोड़ रुपये कमा चुकी है। दुनियाभर में इस फिल्म की कमाई 1,028 करोड़ रुपये रही है। इनमें से उसने 641.50 करोड़ रुपये भारत जबकि 386.50 करोड़ रुपये दूसरे देशों में कमाए हैं। ”
यह फिल्म 25 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।
सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में बनी फिल्म ने रिलीज होने के बाद छठे शुक्रवार को भारत में 1.07 करोड़ रुपये कमाई की। इसमें से उसने 1.05 करोड़ रुपये हिंदी जबकि 0.02 करोड़ रुपये दूसरी भाषाओं में कमाए हैं।
आनंद ने एक बयान में कहा कि दर्शकों ने ‘पठान’ फिल्म के प्रति जो प्यार दिखाया है वह ऐतिहासिक है और यह बॉक्स ऑफिस परिणाम में झलकता है। (भाषा)
हैदराबाद, 3 मार्च | 'पुष्पा' के बाद अल्लू अर्जुन की अगली फिल्म को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है। फिल्म का टाइटल अभी तय नहीं है, लेकिन फिल्म का निर्माण भूषण कुमार कर रहे हैं और यह 'अर्जुन रेड्डी' फेम संदीप रेड्डी वांगा द्वारा निर्देशित है।
भारतीय सिनेमा के तीन पॉवरहाउस, प्रोड्यूसर भूषण कुमार, डायरेक्टपर संदीप रेड्डी वांगा और सुपरस्टार अल्लू अर्जुन के एक साथ आने से फिल्म से भारी-भरकम कलेक्शन की उम्मीद की जा रही है। इस एसोसिएशन के तहत फिल्म का निर्माण टी-सीरीज फिल्म्स प्रोडक्शन और भद्रकाली पिक्चर्स द्वारा किया जाएगा।
प्रोड्यूसर भूषण कुमार, प्रणय रेड्डी वांगा, को-प्रोड्यूसर शिव चानना के साथ डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा और सुपरस्टार अल्लू अर्जुन ने हाल ही में इस कोलाबोरेशन को औपचारिक रूप देने के लिए मुलाकात की थी।
अल्लू अर्जुन की इस फिल्म का फिल्मांकन संदीप वांगा की 'स्पिरिट' की समाप्ति के ठीक बाद शुरू होगा, जिसे टी-सीरीज फिल्म्स प्रोडक्शन द्वारा भी प्रोड्यूस किया गया है। (आईएएनएस)|