अंतरराष्ट्रीय
‘किलर रोबोट’ यानी वे हथियार जो बिना इंसानी दखल के घातक हमले कर सकते हैं, विवाद का विषय बने हुए हैं. भारत और अमेरिका सहित कई देश इन पर प्रतिबंध का विरोध कर रहे हैं.
अमेरिका ने ‘किलर रोबोट' कहे जाने वाले हथियारों पर प्रतिबंध लगाने या उनके इस्तेमाल को नियमबद्ध करने की मांग खारिज कर दी है. अमेरिका का प्रस्ताव है कि इनके इस्तेमाल के लिए एक अचार संहिता बनाई जा सकती है.
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किया है कि ‘किलर रोबोट' कहे जाने वाले हथियारों की एक अचार संहिता बनाई जाए. इन हथियारों पर प्रतिबंध लगाने या उनका इस्तेमाल तय नियमों के अंदर करने के कानूनी बंधन सुनिश्चित करने की मांग को खारिज कर उसने यह प्रस्ताव रखा है.
जेनेवा में एक बैठक में बोलते हुए अमेरिकी प्रतिनिधि ने कानून बनाकर स्वचालित घातक हथियारों का इस्तेमाल नियमबद्ध करने के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया. जॉश डोरसिन चाहते थे कि ऐसे हथियारों के इस्तेमाल को लेकर एक साझा पक्ष खोजा जाए जिस पर सभी सहमत हो सकें.
चार साल से जारी बातचीत
इस बैठक में दुनियाभर के विशेषज्ञ शामिल थे. ये लोग अगले हफ्ते होने वाली कॉन्वेंशन ऑफ सर्टेन कन्वेंशनल वेपंस में होने वाली बातचीत की तैयारी कर रहे हैं. इस मौके पर डोरसिन ने कहा, "हमारा विचार है कि आगे बढ़ने का यही सबसे अच्छा तरीका है कि एक अचार संहिता बनाई जाए, जिसमें किसी तरह की बाध्यता ना हो.”
संयुक्त राष्ट्र 2017 से ऐसी बातचीत करवा रहा है कि स्वचालित घातक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर किसी तरह विभिन्न देशों के बीच सहमति बन जाए. शांति कार्यकर्ता और कई देश मांग कर चुके हैं कि ऐसे हथियारों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए जो बिना मनुष्य के दखल किए ही घातक हमले कर सकते हैं.
नवंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंटोनियो गुटेरेश ने भी इस मांग का समर्थन किया था कि जो हथियार बिना इंसानी दखल के हमला करने का फैसला कर सकते हैं उन पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. लेकिन अब तक इस बात को लेकर किसी तरह की सहमित नहीं बन पाई है.
भारत ने भी किया विरोध
गुरुवार को बहस के दौरान कई देशों ने ऐसे हथियारों पर प्रतिबंध का विरोध किया. इनमें अमेरिका के अलावा भारत भी शामिल था. डोरसिन ने कहा कि अचार संहिता "विभिन्न देशों को जिम्मेदाराना व्यवहार और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के लिए प्रेरित करेगी.”
मानवाधिकार कार्यकर्ता इस बात से सहमत नहीं हैं. स्टॉप किलर रोबोट्स अभियान की क्लेयर कोनबॉय कहती हैं, "देशों के पास एक मौका है यह सुनिश्चित करने का ताकत पर अर्थपूर्ण मानव नियंत्रण बना रहे और ऐसी दुनिया ना बन जाए जहां जिंदगी व मौत के फैसले मशीनों के हाथ में हों.”
मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच में हथियारों पर रिसर्च करने वालीं बोनी डॉचरी ने एक बयान में कहा, "फिलहाल चल रहीं कूटनीतिक वार्ताओं के बजाय किलर रोबोट्स पर कानून बनाने के लिए एक निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत विचार-विमर्श करना ज्यादा प्रभावशाली होगा.”
वीके/एए (एएफपी)
सियोल, 3 दिसम्बर| दक्षिण कोरिया के दैनिक कोरोना वायरस मामले शुक्रवार को 5,000 से नीचे हो गए, लेकिन गंभीर रूप से बीमार रोगियों की संख्या अभी तक एक और रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। देश नए ओमिक्रॉन वेरिएंट पर बढ़ती चिंताओं के बीच निजी समारोहों को सीमित करने की तैयारी कर रहा है। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (केडीसीए) के अनुसार, देश में 4,944 नए कोविड मामले दर्ज किए गए, जिससे कुल मामले बढ़कर 4,62,555 हो गए।
गंभीर रूप से बीमार रोगियों की संख्या गुरुवार को 733 के पिछले रिकॉर्ड उच्च स्तर से बढ़कर 736 हो गई।
शुक्रवार का मामला पिछले दिन सामने आए 5,266 मामलों से नीचे है। लगातार दो दिनों तक दैनिक मामले 5,000 से ऊपर रहे।
इस सप्ताह छह ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमणों की पुष्टि की गई है और आशंका लगाई जा रही है कि मामले तेजी से बढ़ेंगे। (आईएएनएस)
-मृत्युंजय कुमार झा
नई दिल्ली, 2 दिसंबर: तीन महीने से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी अंतिम अमेरिकी बंधक मार्क फ्रेरिच का कोई सुराग नहीं है, जिसका पिछले साल तालिबान के खूंखार हक्कानी आतंकी नेटवर्क के आतंकवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था।
तालिबान वार्ताकारों ने अफगानिस्तान के लिए तत्कालीन अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद से कई बार कहा था कि मार्क फ्रेरिच की रिहाई संभव है, अगर अमेरिका तालिबान से संबंध रखने वाले अफगान ड्रग सरगना बशीर नूरजई को मुक्त कर दे।
नूरजई अमेरिका में 5 करोड़ डॉलर की हेरोइन की तस्करी के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। लेकिन, बंधक फ्रेरिच के परिवार ने खलीलजाद पर इस मुद्दे को प्राथमिकता नहीं देने का आरोप लगाया है।
अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने मंगलवार को दोहा में यूएस-तालिबान वार्ता के दौरान तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के साथ इस मुद्दे को फिर से उठाया। वेस्ट ने ट्वीट किया कि मार्क फ्रेरिच की सुरक्षित वापसी सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे वार्ता का मुख्य फोकस है।
हालांकि कोई और विवरण साझा नहीं किया गया था, अफगान सूत्रों के अनुसार मुत्ताकी इस बारे में कोई ठोस जबाव नहीं दे सके कि अमेरिकी बंधक अभी भी उनकी हिरासत में क्यों है।
सूत्रों के अनुसार, मुत्ताकी को याद दिलाया गया है कि सिराजुद्दीन हक्कानी के छोटे भाई अनस हक्कानी ने उम्मीद जताई थी कि उनके समूह और पश्चिम के पूर्ववर्ती प्रतिनिधि खलीलजाद के बीच चर्चा का सकारात्मक परिणाम दिखाई देगा, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है।
अमेरिका ने फ्रेरिच के स्थान के बारे में जानकारी प्रदान करने और उसकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए 50 लाख डॉलर की पेशकश की है। अमेरिका ने पाकिस्तान से संपर्क किया है, जो हक्कानी नेटवर्क की मदद कर रहा है, ताकि आतंकी समूह पर दबाव बनाया जा सके।
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने सिराजुद्दीन हक्कानी के सिर पर 1 करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित किया है।
अमेरिका की ओर से इस मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखने के बावजूद कुछ नहीं हुआ है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, "राष्ट्रपति के लिए फ्रेरिच का बहुत महत्व है। अमेरिकी टीम ने तालिबान पर उनकी रिहाई के लिए दबाव डालना जारी रखा है और दोहा और इस्लामाबाद में वरिष्ठ स्तर की व्यस्तताओं में स्थिति को बढ़ाना जारी रखा है।"
दिलचस्प बात यह है कि बशीर नूरजई सिराजुद्दीन हक्कानी का भरोसेमंद सहयोगी है।
एक ठेकेदार और पूर्व अमेरिकी नौसेना गोताखोर मार्क फ्रेरिच का जनवरी 2020 में हक्कानी नेटवर्क द्वारा अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर खोस्त क्षेत्र में अपहरण कर लिया गया था, जो हक्कानी का गढ़ है। एक महीने बाद यूएस-तालिबान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए और दिलचस्प बात यह है कि सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान की वार्ता टीम के रूप में हस्ताक्षर करने वालों में से एक था, लेकिन उनकी रिहाई के बारे में कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिल रही है।
विश्वसनीय पाकिस्तानी सूत्रों के अनुसार, वह जीवित हैं और हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच उसके ठिकाने बदल रहा है।
अब सवाल यह है कि अगर बाइडेन प्रशासन तालिबान सरकार में वांछित एफबीआई अपराधियों के साथ काम करने को तैयार है तो आखिरी अमेरिकी बंधक को प्राप्त करना इतना कठिन क्यों है?
इस संबंध में पाकिस्तानी सूत्र का कहना है, "तालिबान को लगता है कि फ्रेरिच उनकी जासूसी कर रहा था और वह तालिबान और हक्कानी के बारे में बहुत कुछ जानता है।"
(यह आलेख इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने तालिबान को अपना भाई बताया है और उनके साथ काम करने पर ज़ोर दिया है.
बीबीसी की याल्दा हाकिम को दिए साक्षात्कार में उन्होंने तालिबान से हुई बातचीत, लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं की नौकरी को लेकर बात की.
हामिद करज़ई ने कहा, “ये हमारा देश है. हम इस मिट्टी की संतान हैं, हमें इसे नहीं छोड़ना चाहिए. यहां रहकर इसे बेहतर बनाना चाहिए. मैं अफ़ग़ानिस्तान से जाने वाले हर अफ़ग़ान शख़्स से वापस आने और देश का निर्माण करने की अपील करूंगा.”
उन्होंने कहा, “मैं तालिबान को भाइयों की तरह देखता हूं और मैं दूसरे अफ़ग़ान लोगों को भी भाइयों की तरह देखता हूं. हमे एक राष्ट्र हैं, इसके लोग हैं.
“सभी अफ़ग़ान लोगों ने परेशानी झेली है. तालिबान से लड़ाई के नाम पर विदेशी शक्तियों ने यहां बम बरसाएं हैं. गांवों में बम बरसाए, बच्चे मारे गए, परिवार बर्बाद हो गए. आख़िर एक अफ़ग़ान ही परेशानी झेल रहा है.”
लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं की नौकरी को लेकर तालिबान से हुई बातचीत को हामिद करज़ई ने सकारात्मक बताया.
उन्होंने कहा, “मेरी उनसे बातचीत हुई है. कई मसलों पर उनके साथ अच्छी चर्चा हुई है. महिलाओं की नौकरियों पर वापसी, स्कूल और देश का झंडा. एक ऐसी सरकार के लिए राजनीतिक प्रक्रिया की ज़रूरत जिसे सभी अफ़ग़ान अपना मानते हों.”
“हम चाहते हैं कि वो ना सिर्फ़ वापस स्कूल जाएं बल्कि विश्वविद्यालय में और नौकरी पर भी जाएं. हमारी इस बारे में तालिबान के साथ बातचीत हुई है. वो हम से सहमत हैं, वो इसे समझते हैं और उन्होंने कहा है कि ऐसा होगा. हमने कहा कि ये अभी तुरंत होना चाहिए.”
हामिद करज़ई ने अमेरिका को संदेश किया कि उन्हें और उनके सहयोगियों को अफ़ग़ानिस्तान की मदद के लिए आगे आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ काम करना होगा क्योंकि वो आज सरकार में हैं. सुधार और एक बेहतर अफ़ग़ानिस्तान के लिए काम करना होगा. (bbc.com)
सैन फ्रांसिस्को, 3 दिसंबर| इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला ने बच्चों के लिए साइबरक्वाड नाम से चार पहिया एटीवी (ऑल-टेरेन व्हीकल) लॉन्च किया है, जिसकी कीमत 1,900 डॉलर है। बच्चों के लिए ऑल-इलेक्ट्रिक साइबरक्वाड इस समय अमेरिका में टेस्ला वेबसाइट पर ऑर्डर करने के लिए उपलब्ध है। दो से चार सप्ताह में शिपिंग शुरू हो जाएगी।
टेस्ला ने अपनी वेबसाइट पर कहा, "हमारे प्रतिष्ठित साइबरट्रक डिजाइन से प्रेरित चार पहिया एटीवी में एक पूर्ण स्टील फ्रेम, कुशन वाली सीट और रियर डिस्क ब्रेकिंग और एलईडी लाइट बार है।"
कंपनी ने बताया कि लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित 15 मील तक की रेंज और 10 मील प्रति घंटे की रफ्तार वाला साइबरक्वाड 8 साल और उससे अधिक उम्र के किसी भी बच्चे के लिए सही है।
टेस्ला के अनुसार, बच्चे के एटीवी को पूरी तरह से चार्ज करने में 5 घंटे तक का समय लगेगा और बैटरी रेंज उपयोगकर्ता के वजन, इलाके और गति सेटिंग से प्रभावित हो सकती है।
जब टेस्ला ने 2019 में साइबरट्रक प्रोटोटाइप का अनावरण किया, तो इसमें एक तितली स्टीयरिंग व्हील, या टेस्ला को 'योक' व्हील कहा गया।
टेस्ला के अगले साल के अंत तक बाजार में साइबरट्रक को लाने की उम्मीद है, लेकिन मस्क ने कहा कि वह 2022 की शुरुआत में एक उत्पाद रोडमैप अपडेट देगा। (आईएएनएस)
ये आपबीती है मलेशिया के मुहम्मद फारिस की. काम के सिलसिले में फारिस रोजाना सिंगापुर जाते थे. मार्च 2020 में कोरोना के चलते जब सीमाएं सील हुईं, तो फारिस सिंगापुर में फंस गए. अब वो अपने परिवार से दोबारा मिल पाए हैं.
मुहम्मद फारिस अब्दुल्ला का घर मलयेशिया में है और दफ्तर सिंगापुर में. कोरोना महामारी से पहले उन्हें घर से दफ्तर आने-जाने में रोजाना बस 30 मिनट लगते थे. मगर मार्च 2020 में जब बिना किसी पूर्व चेतावनी के राष्ट्रीय सीमाएं सील हो गईं, तो खाना पहुंचाने वाली एक कंपनी में ड्राइवर की नौकरी कर रहे 37 बरस के फारिस सिंगापुर में फंस गए. एक ऐसी जगह, जहां उनके पास कोई घर-बार तक नहीं था. कोरोना प्रतिबंधों में दी गई ढील के चलते फारिस इस हफ्ते करीब दो साल बाद अपने परिवार से दोबारा मिल पाए हैं.
मलेशिया के सुदूर दक्षिणी छोर पर बसे शहर जोहोर बाहरु के लिए रवाना होते समय बातचीत में फारिस ने बताया, "ऐसा लग रहा है मानो आपको जेल में बंद कर दिया गया हो और लंबे समय बाद आप अपने परिवार से मिले हों." मुहम्मद फारिस की कहानी अपने आप में अकेली नहीं. मलेशिया और सिंगापुर की सीमा दुनिया की सबसे व्यस्त जमीनी सीमाओं में से एक है. कोरोना के चलते जब ये सीमा बंद की गई, तो दोनों मुल्कों के हजारों लोग अपने घर-परिवार से दूर पड़ोसी देश में फंस गए.
लॉकडाउन में सीमा सील
फारिस का बेटा चार साल का था, जब उन्होंने आखिरी बार उसे देखा था. अब वो छह साल का हो गया है. इतने समय बाद दोबारा उससे मिलते समय फारिस बेहद भावुक थे. उन्होंने कहा, "मैं तो हैरान रह गया उसे देखकर. वो बहुत लंबा हो गया है. उसके जूते का नंबर भी बड़ा हो गया है. उसे अच्छे से समझ सकूं, इसके लिए मुझे उसके साथ ज्यादा समय बिताना होगा." फारिस के बेटे का नाम है, मुहम्मद इशाक बिन मुहम्मद फारिस. इतने महीनों बाद पिता से दोबारा मिलकर वो बहुत खुश हुआ. बोला, "मुझे पापा की बहुत याद आती थी. पापा वापस आ गए, मैं बहुत खुश हूं."
बीते महीने फारिस के लिए काफी मुश्किल थे. कोरोना के चलते सीमा सील होने के बाद शुरुआती छह महीने तो उनके पास सिर छुपाने की भी जगह नहीं थे. मजबूरी में उन्हें अपनी कार के भीतर सोना पड़ता. बाद में वो अपने भाई के साथ रहने चले गए. फारिस बताते हैं कि उनकी अपने ही जैसे परदेस में फंसे कई लोगों से दोस्ती भी हो गई थी.
ओमिक्रॉन ने बढ़ाई चिंता
मलेशिया और सिंगापुर के बीच जमीनी और हवाई यात्रा इस हफ्ते दोबारा शुरू हो गई. फिलहाल केवल वैक्सीन लगवा चुके लोग ही सीमा पार आ-जा सकते हैं. मगर ये भी इतना आसान नहीं है. जैसे कि फारिस, जिन्हें जमीन के रास्ते मलेशिया में प्रवेश की इजाजत नहीं थी. ये अनुमति फिलहाल उन्हीं नागरिकों को है, जिनके पास दोनों देशों में वैध दीर्घकालिक पास हैं.
इसीलिए फारिस सीधे अपने परिवार के पास नहीं जा सके. बल्कि उन्हें पहले हवाई यात्रा करके करीब 350 किलोमीटर दूर स्थित मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर जाना पड़ा. फिर वहां से गाड़ी के रास्ते करीब इतनी ही दूरी और तय कर वो अपने परिवार के पास पहुंचे. मलेशिया और सिंगापुर दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से अपनी जमीनी सीमा को खोलने की योजना बना रहे हैं. मगर ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते उपजी ताजा चिंताओं के कारण इसके आगे खिसकने की आशंका है.
एसएम/एमजे (रॉयटर्स)
विश्व महिला टेनिस की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी पेंग श्वाई के साथ चीन में जो हो रहा है उसे लेकर विश्व महिला टेनिस संगठन ने चीन में अपनी सारी प्रतियोगिताएं रद्द कर दी हैं. कई खिलाड़ियों ने इस कदम की सराहना की है.
पेंग ने नवंबर में सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट में चीन के पूर्व उप-प्रधानमंत्री जांग गाओली पर उनका यौन शोषण करने का आरोप लगाया था. उसके बाद वो एक तरह से गायब हो गईं और उनके आरोपों को भी सार्वजनिक मंचों से हटा दिया गया.
हालांकि वो करीब तीन सप्ताह बाद एक बार फिर नजर आईं. सरकारी मीडिया द्वारा जारी की गई तस्वीरों और वीडियो में वो अपने दोस्तों के साथ खाना खाते और बच्चों के एक टेनिस टूर्नामेंट में नजर आईं. 21 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने 30 मिनट तक पेंग से वीडियो कॉल पर बात भी की, जिस दौरान पेंग ने उन्हें बताया कि वो सुरक्षित हैं.
जांच की मांग
लेकिन पेंग के आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जांग 2018 में सेवानिवृत्त हो गए थे लेकिन उन्होंने और सरकार ने इन आरोपों पर अभी तक कुछ नहीं कहा है. इसके अलावा चीन में इंटरनेट पर इस विषय पर चर्चा पर भी बैन लगा दिया है.
महिला टेनिस संगठन इस पूरी स्थिति को गंभीरता से ले रहा है. संगठन के मुख्य कार्यकारी स्टीव साइमन ने कहा है कि संगठन के निदेशकों के बोर्ड को यह विश्वास नहीं है कि पेंग के साथ सब ठीक है. उन्होंने बताया कि प्रतियोगिताएं रद्द करने के फैसले का बोर्ड ने पूरी तरह से समर्थन किया है.
साइमन ने आगे कहा, "हमें यह तो मालूम है कि पेंग कहां है, लेकिन हमें उनके स्वतंत्र, सुरक्षित और सेंसर, दबाव और भय से मुक्त होने पर गंभीर रूप से शक है." उन्होंने कहा कि उनका सगठन पेंग के आरोपों की पूरी और पारदर्शी जांच की मांग को दोहरा रहा है.
साइमन ने एक बयान में कहा, "पेंग श्वाई को स्वतंत्रता से अपनी बात कहने नहीं दिया जा रहा है और मालूम होता है कि उनपर यौन उत्पीड़न के अपने आरोपों का खंडन करने का दबाव भी डाला गया है, मुझे नहीं समझ में आता कि हम इन हालात में वहां अपने खिलाड़ियों को खेलने के लिए कह सकते हैं."
खिलाड़ियों का समर्थन
साइमन ने यह भी कहा, "अगर शक्तिशाली लोग महिलाओं की आवाज को दबा देंगे और यौन उत्पीड़न के आरोपों को गलीचों के नीचे सरका देंगे तो महिलाओं के लिए बराबरी के जिस आधार पर डब्ल्यूटीए की स्थापना हुई थी उसे एक बड़ा धक्का पहुंचेगा. मैं ना यह होने दे सकता हूं और ना होने दूंगा."
उन्होंने आगे कहा, "मौजूदा हालात को देखते हुए, मुझे इस बात की भी चिंता है कि 2022 में भी अगर हम चीन में कोई कार्यक्रम करेंगे तो वहां हमारे सभी खिलाड़ियों और स्टाफ को जोखिम का सामना करना पड़ सकता है." चीन के विदेश मंत्रालय ने तुरंत इस पर कोई टिप्पणी नहीं की थी.
चीन ओपन प्रतियोगिता के आयोजनकर्ताओं ने फोन कॉल का जवाब नहीं दिया. विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि "कुछ लोगों" को पेंग के मामले का "राजनीतिकरण" और "द्वेषपूर्ण प्रचार" बंद कर देना चाहिए. टेनिस संगठन का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब चीन फरवरी 2022 में शीतकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है.
मानवाधिकारों पर चीन के रिकॉर्ड को देखते हुए वैश्विक अधिकार समूहों और दूसरे कई लोगों ने इन ओलंपिक खेलों के बहिष्कार की मांग की है. डब्ल्यूटीए के इस कदम का बिली जीन किंग और मार्टिना नवरातिलोवा जैसे टेनिस के महान खिलाड़ियों ने समर्थन किया है. पुरुष टेनिस में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने भी अपना समर्थन दिया है.
सीके/एए (एएफपी)
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के ताइवान पर आए एक बयान से नाराज़ चीन ने बीजिंग में जापान के राजदूत को विदेश मंत्रालय तलब कर लिया.
चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार, बुधवार शाम को जापान के राजदूत को एक "आपात बैठक" के लिए बुलाया गया.
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, ''चीन की सहायक विदेश मंत्री हुआ चुनयिंग ने जापान के राजदूत शुई हिदेओ के साथ हुई मुलाक़ात में शिंजो आबे के बयान को "ग़लत" और इसे चीन-जापान संबंधों के बुनियादी मानदंडों का उल्लंघन भी बताया.''
चीन के विदेश मंत्रालय ने शिंजो आबे के बयान के बारे में कहा, "ये चीन की संप्रभुता को खुले तौर पर चुनौती और ताइवान की आज़ादी की बात करने वाले ताक़तों का निर्लज्ज समर्थन है. चीन इसका कड़ा विरोध करता है.''
बयान के अनुसार, हुआ चुनयिंग ने इस मामले में जापान के सामने चीन का "दृढ़ प्रतिनिधित्व" किया.
इससे पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने बुधवार को ताइवान के एक थिंक टैंक के वर्चुअल फोरम में कहा कि यदि चीन ने ताइवान पर हमला किया तो न तो उनका देश और न ही अमेरिका ताइवान के साथ खड़ा हो सकता है.
उन्होंने कहा कि ताइवान पर हमला होने पर जापान की सुरक्षा गंभीर ख़तरे में पड़ जाएगी. शिंजो आबे ने पिछले साल जापान के प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था. वो वहां की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं और अभी भी पार्टी में प्रभावशाली हैं. (bbc.com)
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के फैलने को लेकर पूरी दुनिया में जहां हवाई यात्राओं पर तरह-तरह के नियम लाए जा रहे हैं वहीं कई देशों ने यात्राओं को लेकर नियमों में कई बदलाव किए हैं. कुछ देशों ने तो विदेशी यात्राओं से जुड़े प्रतिबंध भी लगाए हैं.
भारत में भी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बहाली 15 दिसंबर से शुरू होनी थीं, लेकिन उसे फिलहाल अनिश्चितकाल (अगली घोषणा तक) के लिए टाल दिया गया है.
लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर यात्राओं से जुड़ी कोई भी कार्रवाई इसकी "मौजूदगी के ख़तरे के आधार पर" करनी चाहिए क्योंकि यात्रा पर प्रतिबंध इस वेरिएंट को फ़ैलने से नहीं रोक सकेगा.
डब्ल्यूएचओ ने यात्रा से जुड़ा एक बयान जारी कर कहा है कि यात्रा प्रतिबंध ओमिक्रॉन के फैलने को नहीं रोक सकेंगे बल्कि इस तरह के प्रतिबंध लोगों के जीवन और उनकी आजीविका पर भारी पड़ेंगे.
इस बयान में ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट है कि 28 नवंबर तक 56 देशों ने ओमिक्रॉन के उनके देशों में संभावित प्रवेश में देरी को लेकर कुछ यात्रा उपाए लागू किए हैं.
इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ ने 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को लेकर भी सलाह दी है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 60 से अधिक उम्र के उन लोगों ने जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई है या जिनके पास कोविड संक्रमण होने के कोई सबूत मौजूद नहीं हैं और वो जिन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी समस्याएं हैं, उन्हें उनकी यात्रा स्थगित करने की सलाह दी जानी चाहिए क्योंकि उन्हें बीमारी और मौत दोनों का ही अधिक ख़तरा है. (bbc.com)
अमेरिकी मुस्लिम महिला सांसद इल्हान उमर ने बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है. उन्होंने एक वॉयस मेल जारी किया, जिसमें उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई.
उमर ने सांसद लॉरेन बोबर्ट से उनके मुस्लिम विरोधी बयानों पर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने की मांग की थी. जिसे बोबर्ट ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था.
मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में इल्हाम ने रिपब्लिकन नेतृत्व से इस बाबत कहा कि मुस्लिम विरोधी नफ़रत के ख़िलाफ़ खड़े हों और उन्हें रोकें, जो इसके लिए ज़िम्मेदार हैं.
बोबर्ट ने उमर को जिहादी समूह की सदस्य और आत्मघाती हमलावरों से जुड़ा हुआ बताया था.
उमर ने कहा कि उन्हें यह वॉयस मेल सोमवार को मिला, जब बोबर्ट ने एक फ़ोन कॉल के दौरान सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया था. बीते हफ़्ते बोबर्ट ने उमर पर जो टिप्पणी की थी, उसके बाद से दोनों सांसद खुल कर एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं.
अमेरिकी संसद के बाहर उमर के वीडियो को देखकर बोबर्ट ने कहा था कि उन्हें यह देख कर राहत मिली कि उनके पास कोई बैकपैक नहीं है.
बोबर्ट ने बीते हफ़्ते इसे लेकर माफ़ी भी मांगी थी.
उन्होंने ‘मुस्लिम समुदाय में मैंने, जिसे भी ठेस पहुँचाई हो’ कहते हुए माफ़ी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने सीधे तौर पर उमर का नाम नहीं लिया था.
सोमवार को फ़ोन पर हुई बातचीत के बाद उमर और बोबर्ट ने एक-दूसरे की आलोचना करते हुए बयान जारी किया.
उमर ने कहा, "मैं उनके साथ बातचीत करने में यक़ीन रखती हूँ, जो सम्मानजनक तरीक़े से आपसे मतभेद रखते हैं. लेकिन तब नहीं जब वह मतभेद घृणा या अन्य नकारात्मक कारणों पर आधारित हों."
उन्होंने कहा, "मैंने उस बेकार के फ़ोन कॉल को बीच में ही ख़त्म करना सही समझा."
वहीं बोबर्ट ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो में कहा, "माफ़ी स्वीकार नहीं करना और कॉल बीच में काट देना, ख़राब संस्कृति की पहचान और डेमोक्रेटिक पार्टी का आधार है."
क़रीब एक हफ़्ते पहले बोबर्ट ने अपने क्षेत्र के लोगों के साथ हुई बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसमें इल्हान उमर से बातचीत का ज़िक्र था.
हालांकि उमर का कहना है कि दोनों के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई.
जिहादी दस्ते का हिस्सा कहे जाने के विरोध में इल्हान को न्यूयॉर्क के जमाल बोमन का भी समर्थन मिला है.
इल्हान मूल रूप से सोमालिया की हैं. सोमालिया से पलायन कर उनका परिवार अमरीका में शरणार्थी के तौर पर बस गया था.
2018 में हुए चुनावों में मिनेसोटा से जीतकर इल्हान उमर हाइस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स में आई थीं. वो पहली दो मुसलमान महिलाओं में से एक हैं जो अमरीकी कांग्रेस तक पहुंचीं हैं.
मिशिगन में 15 साल के एक हाई स्कूल के छात्र ने अपने स्कूल में अचानक गोलियां चला दीं, जिसमें तीन छात्र मारे गए. राज्य के गवर्नर ने स्कूलों के परिसरों में होने वाली गोलीबारी को एक विशिष्ट रूप से अमेरिकी समस्या बताया है.
घटना मिशिगन में डेट्रॉइट से करीब 65 किलोमीटर दूर ऑक्सफर्ड हाई स्कूल की है. 15 वर्षीय इस छात्र ने मंगलवार 30 नवंबर को स्कूल में ही अचानक एक सेमी-ऑटोमैटिक हैंडगन से गोलियां चला दीं. मरने वाले तीनों छात्र थे, जबकि घायल होने वाले आठ लोगों में से एक शिक्षक हैं और बाकी सब छात्र.
इनमें से दो की सर्जरी चल रही है और बाकी छह की हालत स्थिर है. पुलिस ने बताया कि गोली चलाने वाले छात्र को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन उसकी मंशा का अभी तक पता नहीं चल पाया है.
'अमेरिकी' समस्या
उसने यह काम अकेले किया और करीब 15-20 गोलियां चलाईं. उसने पुलिस को अपने इरादों के बारे में कुछ नहीं बताया और अपने माता-पिता की सलाह पर वकील से सलाह लेने के अधिकार की मांग की.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पत्रकारों से बात करते हुए "अपने प्रियजन को खो देने के अकल्पनीय दुख से गुजर रहे परिवारों" के प्रति संवेदना व्यक्त की. इससे पहले भी अमेरिका में स्कूलों में कई बार इस तरह गोली चलाने की घटनाएं हो चुकी हैं.
अमेरिका में बंदूकों के इस्तेमाल पर नियंत्रण पर हमेशा बहस छिड़ी रहती है. कई राज्यों में हथियार रखने को बहुत आसान बना दिया गया है. मिशिगन के राज्यपाल ग्रेचेन व्हिटमर ने कहा, "ये विशिष्ट रूप से एक अमेरिकी समस्या है जिसका हमें समाधान निकालने की जरूरत है."
स्कूल रहते हैं तैयार
स्कूल की 15 वर्षीय छात्र ऐबी होडर ने डेट्रॉइट फ्री प्रेस को बताया कि वो केमिस्ट्री की कक्षा में थीं जब उन्होंने कांच के टूटने की आवाज सुनी. उन्होंने बताया, "मेरे शिक्षक बाहर की तरफ भागे और टेबलों को धक्का देने लगे. हमें स्कूल में सिखाया जाता है कि ऐसी स्थिति में बैरिकेड कर लेना चाहिए इसलिए हम सब को यह पता था. फिर हम सब टेबलों को धक्का देने लगे."
पुलिस ने इस तरह की घटना के लिए तैयार रहने की और व्यवस्थित तरीके से लोगों को निकाल लेने की सराहना की. ओकलैंड काउंटी के पुलिस अधिकारी माइकल बाउचर्ड ने बताया कि वो बंदूक छात्र के पिता ने खरीदी थी, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि बंदूक खरीदने का कारण क्या था.
बाउचर्ड ने यह भी बताया कि छात्र ने उस बंदूक को चलाने की प्रैक्टिस भी की थी और उसकी तस्वीरें भी ऑनलाइन डाली थी. एक और पुलिस अधिकारी माइक मैक केब ने बताया कि सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि स्कूल में गोली चलने की एक घटना हो सकती है इस तरह की चर्चा पहले से चल रही थी, लेकिन पुलिस अभी इस बात की जांच करेगी.
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ग्रीस में सरकार ने 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए कोविड वैक्सीन को अनिवार्य कर दिया है. जो व्यक्ति वैक्सीन नहीं लगवाएगा उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा.
ग्रीस में 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को वैक्सीन अनिवार्य रूप से लगवानी होगी. ऐसा ना करने पर उन्हें 100 यूरो प्रति माह जुर्माना देना होगा. देश में कोविड के मामलों में एक बार फिर वृद्धि के चलते यह फैसला किया गया है.
ग्रीस के प्रधानमंत्री कीरियाकोस मित्सोताकीस ने मंगलवार को टीवी पर एक संबोधन में इस फैसले का ऐलान किया. उन्होंने बताया कि यह निर्णय 16 जनवरी से लागू होगा और जुर्माने की राशि टैक्स बिल में जोड़ दी जाएगी.
ग्रीस में अब तक कुल 18,000 लोगों की मौत कोविड-19 से हो चुकी है. देश में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले रिकॉर्ड स्तर पर हैं जबकि देश की करीब एक चौथाई आबादी को टीका नहीं लगा है.
लॉकडाउन नहीं लगेगा
इससे पहले ग्रीस की सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी ऐसा ही फैसला किया था. तब सभी स्वास्थ्यकर्मियों और अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों के लिए वैक्सीन लेना अनिवार्य कर दिया गया था और ऐसा न करने पर उन्हें बिना वेतन नौकरी से अनिश्चितकाल के लिए निलंबन की सजा तय की गई थी.
सरकार ने कहा है कि देश में और लॉकडाउन नहीं लगाए जाएंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि बुजुर्गों के लिए सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं ताकि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमराने से बचाया जा सके. देश में आईसीयू के बिस्तर लगभग पूरी तरह भरे हुए हैं
मित्सोताकीस ने कहा, "नया ओमिक्रॉन वेरिएंट चिंता का विषय है और हमें सचेत रहन की जरूरत है. दुर्भागय से जिन लोगों ने अब तक टीका नहीं लगवाया है उनमें से पांच लाख 80 हजार लोग 60 साल से ऊपर हैं. नवंबर में टीका लगवाने के लिए सिर्फ 60 हजार लोगों ने अपॉइंटमेंट ली है."
प्रधानमंत्री मित्सोताकीस ने सचेत किया कि 60 साल से ऊपर के लोगों को ही ज्यादातर अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है और उन्हीं की जान भी ज्यादा जा रही है.
यूरोप में कई जगह गंभीर हालात
यूरोप के कई देशों में कोरोनावायरस के कारण स्थिति एक बार फिर गंभीर हो गई है. फ्रांस में स्वास्थ्य मंत्री ओलिविए वेरान ने चेतावनी दी है कि हालात खराब हो रहे हैं. संसद में मंगलवार को उन्होंने कहा, "बीते 24 घंटे में 47 हजार नए मामले आए हैं जो दिखाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है."
दो हफ्ते पहले फ्रांस में कुल मामले 15 हजार थे जो एक हफ्ता पहले 23 हजार पर और इस हफ्ते की शुरुआत में 30 हजार पर पहुंच गए थे. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "अगर इसी तरह चलता रहा तो हफ्ते के आखिर तक मरीजों की संख्या तीसरी लहर से भी ऊपर चली जाएगी."
फ्रांस में ओमिक्रॉन का पहला मामला भी दर्ज हो चुका है और वेरान ने कहा कि आने वाले घंटों में और कई मामले सामने आ सकेत हैं. यूरोप में फ्रांस उन देशों में है जहां सबसे ज्यादा वैक्सीन लग चुकी हैं. देश की 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को टीका लग चुका है.
ब्रिटेन में भी ओमिक्रॉन के मामले सामने आ रहे हैं. मंगलवार को आठ नए मामलों के साथ देश में ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों की संख्या 22 हो गई थी. मीडिया से बातचीत में देश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि जनवरी के आखिर तक देश के सभी योग्य लोगों को बूस्टर डोज देने की योजना है.
जॉनसन ने कहा, "देश में अस्थायी टीकाकरण केंद्र क्रिसमस ट्री की तरह जगह-जगह लगाए जाएंगे." ब्रिटेन में 12 साल से ऊपर के 88 फीसदी से ज्यादा लोगों को कोविड वैक्सीन की पूरी खुराक मिल चुकी है.
ओमिक्रॉन का बढ़ता डर
दुनियाभर में कोरोनवायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के कारण चिंता बढ़ गई है. कई देशों ने अपने यहां लोगों के आने पर पाबंदी लगा दी है जिनमें हांग कांग, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देश शामिल हैं.
अमेरिका ने विदेशी यात्रियों के लिए कोविड जांच के नियमों को और सख्त कर दिया है. वहां की केंद्रीय संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन ने मंगलवार को कहा कि विदेशी यात्रियों के लिए ‘ग्लोबल टेस्टिंग ऑर्डर' में बदलाव किए गए हैं और अब अमेरिका आने वाले लोगों को यात्रा शुरू करने से एक दिन पहले टेस्ट कराना होगा.
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दक्षिण अफ्रीका में जिस वैज्ञानिक ने सबसे पहले ओमिक्रॉन को देखा, उसके लिए यह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था. ओमिक्रॉन की पहचान की पूरी कहानी तीन दिन की है.
दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी निजी टेस्टिंग लैब लांसेट की विज्ञान प्रमुख रकेल वियाना के लिए वह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था. उनके सामने कोरोनावायरस के आठ नमूनों के विश्लेषण थे. और इन सभी में अत्याधिक म्यूटेशन नजर आ रहा था, खासकर उस प्रोटीन की मात्रा तो बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी जिसका इस्तेमाल वायरस इंसान के शरीर में घुसने के लिए करता है.
रकेल वियाना बताती हैं, "वो देखकर तो मुझे बड़ा झटका लगा था. मैंने पूछा भी कि कहीं प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ तो नहीं हो गई है. लेकिन जल्दी ही वो झटका एक गहरी निराशा में बदल गया क्योंकि उन नमूनों के बहुत गंभीर नतीजे होने वाले थे."
वियाना ने फौरन फोन उठाया और जोहानिसबर्ग स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्यूनिकेबल डिजीज (NICD) स्थित अपने एक सहयोगी वैज्ञानिक डेनियल एमोआको को फोन किया. एमोआको जीन सीक्वेंसर हैं. वियाना कहती हैं, "मुझे समझ नहीं आ रहा ये बात उन्हें कैसे बताई जाए. मुझे तो ये एक अलग ही शाखा लग रही थी."
यह ओमिक्रॉन था!
यह शाखा दरअसल कोरोनावायरस का वो वेरिएंट ओमिक्रॉन था, जिसने इस वक्त पूरी दुनिया को चिंता में डाला हुआ है. दो साल बाद जब हालात सामान्य होने लगे थे तब एक बार फिर दुनिया बड़े लॉकडाउन के मुहाने पर पहुंच गई है. कई देश अपनी सीमाएं बंद कर चुके हैं और विशेषज्ञों में डर है कि अब तक किया गया टीकाकरण भी इस वेरिएंट के सामने नाकाम हो सकता है.
20-21 नवंबर को एमोआको और उनकी टीम ने वियाना के भेजे आठ नमूनों का अध्ययन किया. एमोआको बताते हैं कि उन सभी में समान म्यूटेशन पाई गई. एक बार तो उन लोगों को भी लगा कि कहीं कोई गलती हुई है. फिर उन्हें ख्याल आया कि पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के मामलों में असामान्य वृद्धि हुई थी, जिसकी वजह यह नया वेरिएंट हो सकता है.
इससे पहले वियाना को उनके एक सहयोगी ने भी एक अलग तरह के म्यूटेशन के बारे में चेताया था जो अब तक के सबसे खतरनाक वेरिएंट डेल्टा से टूटकर बना था. एमोआको बताते हैं, "23 नवंबर, मंगलवार तक हमने जोहानिसबर्ग और प्रेटोरिया के इर्द-गिर्द 32 और नमूनों की जांच की. इसके बाद तस्वीर साफ हो गई. यह डराने वाली थी."
दुनियाभर में प्रसार
मंगलवार को ही NICD की टीम ने स्वास्थ्य मंत्रालय और देश की अन्य प्रयोगशालाओं को सूचित किया. बाकी प्रयोगशालाओं को भी वैसे ही नतीजे मिले. आंकड़ों को वैश्विक डेटाबेस GISAID को भेजा गया और तब पता चला कि बोत्सवाना और हांग कांग में भी ऐसे ही जीन सीक्वेंस वाले मामले मिल चुके हैं.
24 नवंबर को NICD व दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया. वियाना कहती हैं कि तब तक दक्षिण अफ्रीकी राज्य गाउटेंग में मिले कोरोनावायरस के मामलों में दो तिहाई से ज्यादा ओमिक्रॉन के थे, जो एक संकेत था कि यह वेरिएंट तेजी से फैल रहा था.
सोमवार को देश के प्रमुख विशेषज्ञ सलीम अब्दुल करीम ने बताया कि ओमिक्रॉन की वजह से इस हफ्ते के आखिर तक दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के मामले चार गुना बढ़कर 10 हजार को पार कर जाएंगे.
अब वैज्ञानिको के सामने बड़ा सवाल यह है कि ओमिक्रॉन वैक्सीन या पहले हुए संक्रमण से तैयार हुई इम्यूनिटी को धोखा दे सकता है या नहीं. साथ ही यह भी कि किस आयुवर्ग पर इस वेरिएंट का असर सबसे ज्यादा होगा. इन सवालों के जवाब खोजने में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. उनका कहना है कि इनके जवाब मिलने में तीन-चार हफ्ते का वक्त लग सकता है.
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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कराची में तमाम ग़ैर-क़ानूनी इमारतें ध्वस्त की जा रही हैं तो ऐसा नहीं हो सकता है कि फ़ौज के ग़ैर-क़ानूनी ढांचों को छोड़ दिया जाए.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद और जस्टिस क़ाज़ी अमीन ने कैंटोनमेंट की अपील पर व्यावसायिक गतिविधियों के ख़िलाफ़ सुनवाई पूरी की तो मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि सेना के ग़ैर-क़ानूनी ढांचों को छोड़ दिया तो बाक़ी को कैसे गिराएंगे.
जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि देश की ज़मीन का शोषण नहीं किया जा सकता है, सेना जिन क़ानूनों का सहारा लेकर कैंटोनमेंट की ज़मीन पर व्यवयासिक गतिविधियां करती है वो ग़ैर-संवैधानिक हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रक्षा सचिव की रिपोर्ट को असंतोषजनक क़रार देते हुए कहा कि कैंटोनमेंट की तमाम ज़मीनें असली सूरत में बहाल करनी होंगी.
क्या है मामला
कैंट
ग़ौरतलब है कि बीते हफ़्ते बुधवार के दिन कराची में अतिक्रमण और कल्याणकारी उद्देश्य से आवंटित की गई ज़मीन के मामले में सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद ने अपने आदेश में कहा था कि कैंटोनमेंट की ज़मीनों पर हाउसिंग और व्यापारिक गतिविधियां कैंटोनमेंट एक्ट 1924 और लैंड एक्विज़िशन एक्ट 1937 का उल्लंघन है.
कराची में सेना के हाथों आईजी सिंध के कथित अपहरण की घटना के बाद, लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को हुमायूं अज़ीज़ की जगह कराची का कोर कमांडर नियुक्त किया गया था.
फ़ैज़ हमीद का दौर ख़त्म, ISI के नए प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम कौन हैं?
समाप्त
सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ पाकिस्तान ने कहा था कि कैंटोनमेंट बोर्ड को केंद्र और राज्य सरकारों ने जो ज़मीनें आवंटित की हैं वो सिर्फ़ कैंट उद्देश्यों के लिए हैं और वहां व्यावसायिक और हाउसिंग उद्देश्य ग़ैर-क़ानूनी हैं.
दूसरी ओर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट कराची रजिस्ट्री में रक्षा सचिव पेश हुए थे और उन्होंने कहा था कि भविष्य में कैंटोनमेंट की ज़मीनें रक्षा उद्देश्यों के अलावा किसी काम के लिए इस्तेमाल नहीं की जाएंगी और इसको लेकर उन्हें सशस्त्र बलों के प्रमुखों ने सूचित कर दिया है.
'अफ़सरों को घर देना रक्षा उद्देश्यों में नहीं आता'
मंगलवार को इस्लामाबाद में इस केस की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीस जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि 'फ़ौज के साथ कोई क़ानूनी सहायता नहीं होती है, वो जो चाहते हैं करते रहते हैं, समझ नहीं आता कि रक्षा मंत्रालय कैसे इन गतिविधियों को बरक़रार रखेगा.'
मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि 'अटॉर्नी जनरल साहब फ़ौज को क़ानून कौन समझाएगा?'
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 'सिनेमा, शादी हॉल और घर बनाना अगर रक्षा गतिविधियां हैं तो फिर रक्षा क्या होगी?'
उन्होंने कहा कि 'सिर्फ़ कराची का मामला नहीं है पूरे देश का यही हाल है, क्वेटा, लाहौर में भी रक्षात्मक ज़मीनों पर शॉपिंग मॉल बने हुए हैं.'
सुनवाई समाप्त करते हुए मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने पूछा कि 'क्या सिनेमा, शादी हॉल, स्कूल और घर बनाना रक्षात्मक उद्देश्यों में है?'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 'वरिष्ठ फ़ौजी अफ़सरों को घर देना रक्षात्मक उद्देश्यों में नहीं आता, फ़ौज को मामूली कारोबार के लिए अपने बड़े उद्देश्यों पर समझौता नहीं करना चाहिए और अपने संस्थानों के सम्मान का ध्यान रखना चाहिए.'
मुख्य न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 'कैंटोनमेंट को ज़मीन रक्षा उद्देश्यों को पूरा होने के बाद सरकार को वापस करनी होती है.'
जस्टिस क़ाज़ी अमीन ने कहा कि 'सैन्य गतिविधियों के लिए गेरिसन और रिहाइश के लिए कैंटोनमेंट होते हैं.'
इस मौक़े पर रक्षा सचिव ने अदालत को बताया कि क़ानून के उल्लंघन की जांच के लिए तीनों सेनाओं की एक संयुक्त समिति बना दी गई है.
अदालत ने कहा कि 'कैंटोनमेंट की तमाम ज़मीन असल हालत में बहाल करनी होगी और संविधान के अनुसार सेना के सभी नियमों और विनियमों की समीक्षा की जाए.'
सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा सचिव से चार हफ़्तों के अंदर इसकी कार्यान्वयन रिपोर्ट मांगी है. (bbc.com)
इस्तांबुल, 1 दिसम्बर | स्थानीय मीडिया के अनुसार, तुर्की के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में तेज आंधी तूफान ने कम से कम छह लोगों की जान ले ली और 50 से अधिक घायल हो गए। तुर्की के एक टीवी समाचार चैनल एनटीवी ने मंगलवार को कहा कि 16 मिलियन से अधिक की आबादी वाले तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल में चार लोगों की मौत हो गई और 46 अन्य घायल हो गए।
रिपोर्ट के अनुसार, खराब मौसम ने दो और लोगों की जान ले ली और उत्तरी प्रांतों कोकेली और जोंगुलडक में कई अन्य घायल हो गए।
जहाज फंस गए हैं और तेज हवाओं के कारण स्कूलों को बंद करना पड़ा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तेज हवा के झोंकों के कारण मोटरसाइकिल चालकों को बोस्फोरस पुलों को पार करना मुश्किल हो गया है।
स्थानीय समय (1500 जीएमटी), सोमवार को इस्तांबुल के गवर्नर कार्यालय ने एक लिखित बयान में कहा कि शाम छह बजे तक सड़क पर मोटरसाइकिल और इलेक्ट्रिक स्कूटर पर रोक लगा दी गई।
तुर्की की राष्ट्रीय ध्वज एयरलाइन टर्किश एयरलाइंस के अनुसार, तूफान ने इस्तांबुल के लिए जाने वाले विमानों को बाधित कर दिया है। (आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 1 दिसम्बर | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि एक वैश्विक महामारी से और इस अन्यायपूर्ण और अनैतिक स्थिति से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका वैश्विक टीकाकरण अभियान है। महासचिव 77 (जी77) और चीन के समूह के विदेश मंत्रियों के साथ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक बैठक में बोल रहे थे, जहां उन्होंने कहा कि विकसित और विकासशील देशों पर समान रूप से कोविड -19 महामारी का कहर जारी है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित टीकाकरण रणनीति के पीछे खड़ा है, जिसका लक्ष्य 2021 के अंत तक सभी देशों के 40 प्रतिशत लोगों और 2022 मध्य तक 70 प्रतिशत लोगों को टीके लगाना है।
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने एसीटी-त्वरक और कोवैक्स सुविधा के लिए समर्थन मांगते हुए कहा कि हर जगह, हर किसी के पास तक कोविड -19 टीके, परीक्षण और उपचार की पहुंच होनी चाहिए।
गुटेरेस ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के 2021 में 5.9 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन रिकवरी की गति बेहद असमान है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जब विकसित अर्थव्यवस्थाएं अपने सकल घरेलू उत्पाद का 28 प्रतिशत रिकवरी में निवेश करती हैं, मध्यम आय वाले देश 6 प्रतिशत निवेश करते हैं और सबसे कम विकसित देश केवल 1.8 प्रतिशत निवेश करते हैं, तो यह उनके लिए आश्चर्यजनक नहीं लगता है।
उदाहरण के लिए, उप-सहारा अफ्रीका में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति संचयी आर्थिक विकास बाकी दुनिया की तुलना में 75 प्रतिशत कम होगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि यह खतरनाक विचलन व्यापक होने का खतरा है क्योंकि 2022 में विकास दर घटने की उम्मीद है। बढ़ती मुद्रास्फीति उधार लेने और कर्ज चुकाने की लागत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जलवायु परिवर्तन, असमानता और नई प्रौद्योगिकियों के विकास को भी संबोधित किया, जिन्होंने इन वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए एकता और एकजुटता का आह्वान किया।
महामारी के दौरान, महासचिव ने बहुपक्षवाद के महत्व और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर प्रकाश डाला।
संयुक्त राष्ट्र देशों की टीमों ने 139 देशों और क्षेत्रों के लिए सामाजिक-आर्थिक प्रतिक्रिया योजनाएँ जारी कीं। तत्काल समर्थन को प्राथमिकता देने के लिए लगभग 3 बिलियन डॉलर का पुनर्खरीद किया गया था और अन्य 2 बिलियन डॉलर जुटाए गए थे।
महासचिव के लिए, यह हाल के सुधार थे जिन्होंने विश्व निकाय को समायोजित करने और त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाया।(आईएएनएस)
संजीव शर्मा
नई दिल्ली, 30 नवंबर| अफगानिस्तान में 15 अगस्त को सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान लड़ाकों ने 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन 'गायब' कर दिया है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों, जिनमें सैन्यकर्मी, पुलिस, खुफिया सेवा के सदस्य और मिलिशिया शामिल थे, की हत्याओं या 'गायब होने' का दस्तावेजीकरण किया है। उसने कहा कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अकेले गजनी, हेलमंद, कंधार और कुंदुज प्रांतों से 100 से अधिक हत्याओं पर विश्वसनीय जानकारी एकत्र की है।
ह्यूमन राइट्स वॉच की एसोसिएट एशिया डायरेक्टर पेट्रीसिया गॉसमैन ने कहा, "तालिबान नेतृत्व ने अपने वादे के मुताबिक स्थानीय कमांडरों को अफगान सुरक्षा बल के पूर्व सदस्यों को मौत के घाट उतारने या गायब करने से नहीं रोका है। तालिबान पर अब आगे की हत्याओं को रोकने, जिम्मेदार लोगों को पकड़ने और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने का भार है।"
समूह ने आम माफी घोषित किए जाने के बावजूद अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जारी रखने की ओर इशारा किया।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने गवाहों, रिश्तेदारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, तालिबान अधिकारियों और अन्य लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से कहा कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच चार प्रांतों में 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों की हत्याओं या गायब होने के संबंध में एकत्र की गई जानकारी का दस्तावेजीकरण किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने चार प्रांतों में 40 लोगों का व्यक्तिगत रूप से साक्षात्कार किया और अन्य 27 लोगों से टेलीफोन द्वारा साक्षात्कार लिया। तालिबान के एक कमांडर ने कहा कि अत्याचार के लिए जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं किया जा सकता है।
तालिबान नेतृत्व ने आत्मसमर्पण करने वाली सुरक्षा बलों की इकाइयों के सदस्यों को उनकी सुरक्षा की गारंटी के लिए एक पत्र प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करने का निर्देश दिया है। हालांकि, तालिबान बलों ने इन स्क्रीनिंग का उपयोग लोगों को उनके रिश्तेदारों या समुदायों को खोजने के लिए पंजीकरण के कुछ दिनों के भीतर उन्हें हिरासत में लेने और सरसरी तौर पर निष्पादित या जबरन गायब करने के लिए किया है।
तालिबान उन रोजगार रिकॉर्डो तक भी पहुंच बनाने में सफल रहे हैं, जिन्हें पूर्व सरकार ने पीछे छोड़ दिया था, उनका उपयोग गिरफ्तारी और फांसी के लिए लोगों की पहचान करने के लिए किया गया था।
केवल एक उदाहरण को लें तो सितंबर के अंत में कंधार शहर में, तालिबान सेना बाज मुहम्मद के घर गई, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस), राज्य की पूर्व खुफिया एजेंसी द्वारा नियोजित (काम पर रखने) किया गया था और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में परिजनों को उसका शव मिला।
तालिबान ने संदिग्ध पूर्व अधिकारियों को पकड़ने और कभी-कभी जबरन गायब करने के लिए रात में छापेमारी सहित अपमानजनक तलाशी अभियान भी चलाया है।
हेलमंद प्रांत के एक नागरिक समाज कार्यकर्ता ने इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा, "तालिबान की रात की छापेमारी भयानक है।"
तलाशी के दौरान, तालिबान अक्सर परिवार के सदस्यों को धमकाते और गाली देते हैं कि वे छिपे हुए लोगों के ठिकाने का खुलासा करें। अंतत: पकड़े गए लोगों में से कुछ को इस बात की स्वीकृति के बिना या उनके स्थान के बारे में जानकारी के बिना मार डाला गया या हिरासत में ले लिया गया।
अगस्त के अंत में आत्मसमर्पण करने के बाद, हेलमंद में तालिबान के खुफिया विभाग ने एक पूर्व प्रांतीय सैन्य अधिकारी अब्दुल रजीक को हिरासत में लिया था। उसके बाद से, उसके परिवार को यह पता नहीं चल पाया है कि उसे कहां रखा गया है, या वह अभी भी जीवित है या नहीं।
फांसी और गुमशुदगी जैसी आशंकाओं ने पूर्व सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों के बीच भय पैदा कर दिया है, जो शायद यह मानते थे कि तालिबान के अधिग्रहण से बदला लेने वाले हमलों का अंत हो जाएगा जो अफगानिस्तान के लंबे सशस्त्र संघर्ष की एक विशेषता बन चुकी थी।
विशेष रूप से नंगरहार प्रांत में, तालिबान ने उन लोगों को भी निशाना बनाया है जिन पर उन्होंने इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत (आईएसकेपी, इस्लामिक स्टेट का एक सहयोगी, जिसे आईएसआईएस भी कहा जाता है) का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
जैसा कि संयुक्त राष्ट्र ने रिपोर्ट की है, आईएसकेपी के खिलाफ तालिबान की कार्रवाई 'न्यायिक हिरासत और हत्याओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है।' मारे गए लोगों में से कई को उनके विचारों या उनके विशेष आदिवासी संबद्धता के कारण निशाना बनाया गया है।
21 सितंबर को तालिबान ने मानवाधिकारों के हनन, भ्रष्टाचार, चोरी और अन्य अपराधों की रिपोटरें की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना की घोषणा की थी। आयोग ने किसी भी कथित हत्याओं की किसी भी जांच की घोषणा नहीं की है, हालांकि इसने कई तालिबान सदस्यों की चोरी के लिए गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार के लिए दूसरों की बर्खास्तगी पर रिपोर्ट की है। ह्यूमन राइट्स वॉच के निष्कर्षों पर 21 नवंबर की प्रतिक्रिया में, तालिबान ने कहा कि उन्होंने दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों को बर्खास्त कर दिया है लेकिन इसने किए जा रहे दावे की पुष्टि करने के लिए कोई जानकारी नहीं दी है। (आईएएनएस)
अमेरिकी महानगर सान फ्रांसिस्को में ये आइकोनिक आर्ट डेको बिल्डिंग ट्विटर का मुख्यालय है. इसके कई फ्लोर पर उसके आफिस फैले हुए हैं. ये दुनियाभर में ट्विटर की गतिविधियों को संचालित भी करते हैं, नए इनोवेशन भी करते हैं और ट्विटर की तमाम चीजों पर नजर रखते हैं. ट्विटर का ये आफिस ऐसे आधुनिक आफिसों की तरह है, जहां सुंदरता भी है, सुकून भी और कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रेंडली स्पेस भी.
वैसे तो ट्विटर की शुरुआत 21 मार्च 2006 में ही हो गई थी लेकिन समय के साथ जब ये बड़ा होने लगा तो वर्ष 2012 में इस सोशल साइट के मुख्यालय को सान फ्रांसिस्को में लाया गया. इस बिल्डिंग के कई फ्लोर किराए पर लेकर उन्हें फिर से डिजाइन कराया गया.
जब ट्विटर का वर्ल्ड हेडक्वार्टर यहां आया तो ये जगह सान फ्रांसिस्को की साधारण जगह हुआ करती थी. ट्विटर के आने के बाद ये जगह बदल गई है. ये अब सान फ्रांसिस्को की मुख्य जगहों में पहचान पा चुकी है.
ये ट्विटर मुख्यालय की वो जगह है, जहां उसके आफिस के तीन कैफेटेरिया में एक बना हुआ है, जहां सुकून से बैठकर कर्मचारी खाना, काफी या स्नैक्स आदि लेते हैं. बिल्डिंग में ये नीली चिड़िया बनी मिल जाएगी, जो ट्विटर का लोगो है. इसके दूसरी ओर कांफ्रेंस रूम औऱ केबिन या बैठने की जगह है.
ट्विटर के पूरे आफिस के इंटीरियर में लोकल और वर्ल्ड क्लास टच है. ये ऐसा बनाया है कि कर्मचारी जहां भी बैठकर काम कर रहे हैं, वहां उन्हें सुकून और कंफर्ट का अहसास होगा. इंटीरियर के रंग आमतौर पर स्मूद हैं. उसमें नीले रंग की ज्यादा प्रधानता है.
ट्विटर का मुख्यालय दरअसल दो बिल्डिंग्स को मिलाकर बना है. इसमें एक बिल्डिंग 1937 की आर्ट डेको बिल्डिंग है और दूसरी 1970 के दशक में बनी बिल्डिंग. आफिस दोनों बिल्डिंग्स का इस्तेमाल करता है. आफिस के अंदर जगह जगह इस तरह के प्लांट लगे हैं. जो रोशनी और पानी से फलते फूलते हैं.
ट्विटर ने ही चूंकि हैशटैग का प्रभावशाली इस्तेमाल शुरू किया, लिहाजा पूरे आफिस में हैशटैग देकर बहुत ढेर स्लोगंस और आफिस प्लेस के नाम लिखे मिल जाएंगे. आफिस में जगह जगह कॉफी की व्यवस्था तो है ही लेकिन बाहर से आने वालों के बैठने के लिए एक ट्विटर कैफेटेरिया ही बना है, जिसमें वो आराम से बैठकर काफी समय भी गुजार सकते हैं. हर फ्लोर पर कर्मचारियों को ऐसी जगह दी गई है, जिसमें वो आराम से बैठ सकते हैं. बातचीत कर सकते हैं. दरअसल ट्विटर ने इस बिल्डिंग के कई फ्लोर लेने के बाद इसकी समूची डिजाइन अपने हिसाब से बदल दी गई.
ये ट्विटर का एक और बड़ा कैफेटेरिया है. जो काफी बड़े हाल में है यहां काफी बड़ी संख्या में लोग एक साथ बैठ सकते हैं. वैसे आपको बता दें कि ट्विटर मुख्यालय अपने कर्मचारियों को फ्री लंच की सुविधा देता है, जिसमें पिज्जा, सलाद, फ्रेश फ्रूट्स और चिकन आदि मुहैया कराई जाती हैं. खाने में लोकल टच से लेकर कांटिनेंटल वैरायटी होती है. खानपान का डिपार्टमेंट संभालने वालों की टीम भी अच्छी खासी है.
कर्मचारी अगर काम के दौरान ऊब जाते हैं या उन्हें सूरज की रोशनी में जाकर लेटने या बैठने का मन है, जो छत पर लान पर सनबाथ की भी व्यवस्था है. उसका वो भऱपूर लुत्फ ले सकते हैं. छत पर लगे सोफों या आराम कुर्सियों पर बैठकर कर्मचारी काम भी कर सकते हैं.
वैसे तो ट्विटर के दुनियाभर में 5500 से ज्यादा कर्मचारी हैं और तमाम आफिस दुनियाभर में फैले हैं लेकिन इस मुख्यालय भवन में 2500 कर्मचारी काम करते हैं. इसमें आधे इंजीनियर हैं तो बाकी कंपनी के दूसरे कामों को देखते हैं. जिसमें सेल्स से लेकर एचआर तक है. वैसे इन दिनों बहुत से कर्मचारी रिमोटवर्क ही कर रहे हैं.
काम के बीच कर्मचारियों के लिए खेलने या एंटरटेन करने की भी भरपूर व्यवस्था है, जिससे वो खुद को तरोताजा रखें और ऊबन से बच सकें. हालांकि इस आफिस में कर्मचारियों को अपने बच्चों को लाने की इजाजत है लेकिन बच्चों के लिए इसमें एक अलग जगह जहां उन्हें छोड़ना पड़ता है. वहां किड्स के लिए योगा से लेकर तमाम प्रोग्राम चलते रहते हैं.
पाकिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान सहायता सामग्री पहुंचाने के भारत के प्रस्ताव को मान लेने के बाद अब पाकिस्तान ने कुछ ऐसी शर्तें रख दी हैं जो भारत को मंज़ूर नहीं हैं.
'अमर उजाला' अख़बार लिखता है कि इस मामले के जानकार ने बताया है कि भारत अफ़गानिस्तान को पाकिस्तान के रास्ते भारतीय गेहूं और दवाओं को पहुंचाना चाहता है लेकिन पाकिस्तान ने परिवहन के तौर-तरीकों को अभी तक पूरा नहीं किया है.
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान चाहता है कि 50,000 टन गेहूं और दवाओं की खेप वाघा सीमा से पाकिस्तानी ट्रकों से पहुंचाई जाए जबकि भारत ने कहा कि वह ख़ुद के परिवहन से सहायता सामग्री पहुंचाएगा.
भारत चाहता है कि सहायता अफ़ग़ान लोगों तक बिना किसी शर्त के पहुंचे. राहत सामग्री का परिवहन उन कई मुद्दों में से एक है जिसे दोनों पक्ष समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं.
वहीं अब इस बात के संकेत मिले हैं कि भारत अफ़ग़ानिस्तान में सामग्री पहुंचाने के लिए वाघा सीमा पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी से बात कर सकता है और पाकिस्तान पर दबाव डाल सकता है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले सोमवार को कहा था कि उनकी सरकार भारत से अफ़ग़ानिस्तान में 50,000 टन गेहूं के परिवहन की अनुमति देगी.
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हमें अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं की मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए सात अक्टूबर को दिए गए हमारे प्रस्ताव पर पाकिस्तान सरकार से प्रतिक्रिया मिली है. इनमें जीवन रक्षक दवाएं भी शामिल हैं जिन्हें हम भेजना चाहते थे. (bbc.com)
एक सौ से अधिक यूरोपीय सांसदों ने सऊदी अधिकारियों द्वारा "सऊदी महिला कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न" की निंदा की है. उनका कहना है कि जेल से रिहा होने के बाद भी अधिकारों के उल्लंघन और कठोर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.
डॉयचे वैले पर जेनीफर केमिनो गोंजालेज की रिपोर्ट-
यूरोपीय सांसदों ने सोमवार 29 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय महिला मानवाधिकार रक्षक दिवस पर सऊदी अरब में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता व्यक्त की. इस संबंध में 120 से अधिक यूरोपीय सांसदों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जर्मनी के आठ सदस्य हैं जो विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े हैं.
पत्र में यूरोपीय सांसदों ने सऊदी अधिकारियों से "उन सभी महिलाओं को तुरंत और बिना शर्त रिहा करने का आह्वान किया, जिन्हें उनके मानवाधिकार गतिविधियों के लिए निशाना बनाया गया है."
पत्र में खुशी व्यक्त की गई है कि 2018 की कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार की गईं महिला कार्यकर्ताओं को "लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव में" रिहा कर दिया गया और अब वे जेल से बाहर हैं. इस सूची में प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता समर बदावी, नसीमा अल-सदा और लुजैन अल हथलौल शामिल हैं. लेकिन यूरोपीय सांसदों ने महिला कार्यकर्ताओं पर उनकी रिहाई के बाद से लगाए गए कठोर प्रतिबंधों और उनको मूल अधिकारों से वंचित करने की कड़ी निंदा की है.
पत्र में कहा गया है, "इन उपायों से उनके मौलिक अधिकारों का और उल्लंघन होता है. जिनमें बिना रोकटोक आवाजाही और अभिव्यक्ति की आजादी शामिल हैं. और इस वजह से कार्यकर्ता जेल से रिहा होने के बाद भी एक नया जीवन शुरू करने की महत्वपूर्ण दहलीज पर अलग-थलग हैं."
प्रमुख महिला कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को उनकी रिहाई के बाद तीन साल के प्रतिबंध के साथ-साथ पांच साल के यात्रा प्रतिबंध का सामना करना पड़ा. उन्हें महिलाओं के लिए ड्राइविंग अधिकार मांगने और पुरुष संरक्षण प्रणाली का विरोध करने के लिए जाना जाता है.
सऊदी सुधार पर्याप्त नहीं
यूरोपीय सांसदों ने भी स्वीकार किया है कि सऊदी अधिकारियों ने महिलाओं के दैनिक जीवन पर लगे कई प्रतिबंधों में से कुछ को हटाने में सफलता हासिल की है.
2018 में सऊदी महिलाओं को अकेले गाड़ी चलाने और ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने का अधिकार दिया गया था. अगले साल देश ने वयस्क महिलाओं को पुरुष "अभिभावक" की अनुमति के बिना पासपोर्ट प्राप्त करने और यात्रा करने की अनुमति दी. लेकिन इनमें से कुछ सुधारों के बावजूद यूरोपीय सांसदों ने देश की दमनकारी व्यवस्था की निंदा करते हुए कहा कि यह महिलाओं को चोट पहुंचाती है.
पत्र में लिखा गया, "ये प्रयास सही हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हैं. पुरुष संरक्षण प्रणाली के साथ-साथ अवज्ञा कानून महिलाओं के जीवन के सभी पहलुओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं." (dw.com)
एक ट्रांसजेंडर को बांग्लादेश के एक सुदूर शहर का मेयर चुना गया है. बांग्लादेश के इतिहास में यह पहली बार है कि तीसरे लिंग की नेता को शहर की कमान संभालने के लिए चुना गया है.
45 वर्षीय निर्दलीय उम्मीदवार नजरुल इस्लाम रितु ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी जीत हासिल की. नजरुल इस्लाम की जीत की औपचारिक घोषणा सोमवार 29 नवंबर को की गई है. लेकिन नजरूल इस्लाम ने कहा कि उनकी जीत ने "हिजड़ा" समुदाय की बढ़ती स्वीकृति को दिखाया, जो जन्म लेने वाले पुरुषों के लिए एक अपशब्द है.
इस दक्षिण एशियाई देश में लगभग 15 लाख ट्रांसजेंडर लोग रहते हैं, जो बड़े पैमाने पर भेदभाव और हिंसा का सामना करते हैं. अक्सर वे भीख मांगकर या देह व्यापार करके जीने के लिए मजबूर होते हैं.
हालांकि, नजरुल इस्लाम की चुनावी जीत को बांग्लादेश में समुदाय के लिए बढ़ती सामाजिक स्वीकृति के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है. नजरुल इस्लाम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "कांच की छत टूट रही है. यह एक अच्छा संकेत है." उन्होंने कहा, "इस जीत का मतलब है कि लोग उन्हें प्यार करते हैं और उन्हें अपना मानते हैं. मैं अपना जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित करूंगी."
नजरुल इस्लाम एक बड़े मुस्लिम परिवार में पैदा हुई थीं, लेकिन एक बच्चे के रूप में अपने ग्रामीण गृहनगर त्रिलोचनपुर से भाग गईं और उसके बाद राजधानी ढाका में ट्रांसजेंडर लोगों के एक केंद्र में शरण ली.
वह 20 साल के बाद अपने क्षेत्र में लौट आईं और दो मस्जिदों के निर्माण और कई स्थानीय हिंदू मंदिरों को दान करने में मदद करने के बाद समुदाय में एक लोकप्रिय व्यक्ति बन गईं.
रविवार को मेयर पद के लिए हुए चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 9,557 मतों से हराया. अब वह क्षेत्र की मेयर के रूप में काम करेंगी. नजरुल इस्लाम बांग्लादेश में पहली महापौर हैं जो तीसरे लिंग की हैं, रूढ़िवादी मुस्लिम-बहुल देश में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए स्वीकृति बढ़ती जा रही है.
2013 में बांग्लादेश में ट्रांसजेंडर लोगों को औपचारिक रूप से तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गई थी, जबकि 2018 में उन्हें तीसरे लिंग के मतदाताओं के रूप में पंजीकरण करने की भी अनुमति दी गई थी. नजरुल इस्लाम कहती हैं कि वह अपने 40,000 लोगों के शहर में "भ्रष्टाचार को खत्म करने और नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने" की कोशिश करेंगी.
एए/वीके (एएफपी)
कन्नौज, 30 नवंबर। फेसबुक पेज पर बुआ-बबुआ नाम से ग्रुप बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई। इस मामले में एक सपा कार्यकर्ता ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग व ग्रुप एडमिन समेत 49 लोगों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस मामले की विवेचना कर रही है।पुलिस के मुताबिक यदि आवश्यक हुआ तो विवेचना में इंटरपोल की मदद ली जा सकती है।
ठठिया थाना क्षेत्र के ग्राम सरहटी निवासी अंकित यादव ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया है। अंकित के मुताबिक वह समाजवादी पार्टी के सिद्धांतों पर विश्वास करता है। फेसबुक के विशेष पेज पर बुआ-बबुआ के नाम से ग्रुप संचालित किया जा रहा है, जिसमें विशेष कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर अभद्र टिप्पणी की जाती है तथा अपशब्दों का भी प्रयोग किया जाता है व कार्टूनों के माध्यम से उपहास किया जाता है। अराजकतत्वों द्वारा फेसबुक के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे आहत होकर उन्होंने पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने न्यायालय की शरण ली। सोमवार को कोर्ट के आदेश पर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, ग्रुप एडमिन तथा 49 अन्य लोगाें के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक प्रयागनारायण बाजपेयी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर विवेचना की जा रही है। यदि आरोपित विदेश में रहते हैं तो गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जाएगी। (jagran.com)
लागोस, 30 नवंबर| मध्य नाइजीरिया के पठार राज्य में एक जेल में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 252 कैदी फरार हो गए। अधिकारी के मुताबिक जेल पर अज्ञात बंदूकधारियों के एक समूह ने हमला किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नाइजीरियाई सुधार सेवा (एनसीओएस) के एक प्रवक्ता फ्रांसिस एनोबोर ने सोमवार को एक बयान में कहा कि जोस शहर में बंदूकधारियों द्वारा जेल पर हमले के दौरान एक गार्ड और नौ कैदियों की जान चली गई।
एनोबोर ने कहा कि स्टाफ के एक अन्य सदस्य के हाथ में गोली लगी और हमले में छह कैदी भी घायल हो गए।
उन्होंने कहा कि बंदूकधारियों में से एक की भी मौत हो गई है।
प्रवक्ता के अनुसार, कुछ हमलावर और 262 कैदी हाथापाई में भाग निकले, जिसमें से अब तक 10 कैदियों को वापस ले पकड़ लिया गया है।
एनोबोर ने कहा कि सभी 'अपराधियों' को पकड़ने के प्रयास जारी हैं और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया है और सुविधा में सुरक्षा को और बढ़ा दिया गया है। उन्होंने भाग रहे कैदियों को पकड़ने के लिए स्थानीय लोगों से सहयोग का आह्वान किया और विश्वसनीय खुफिया जानकारी के लिए स्वेच्छा से काम करने को कहा, जो इस तरह की घटनाओं को शुरुआत में ही रोक सकता है।
उन्होंने कहा कि हमले के समय जोस कस्टोडियल सेंटर में 1,060 कैदी थे, जिनमें 560 प्री-ट्रायल बंदी और 500 अपराधी शामिल थे।
अक्टूबर में नाइजीरियाई सरकार ने कहा था कि उसने हाल के महीनों में देश के कुछ हिस्सों में जेलब्रेक के बाद, जेल सुविधाओं का ऑडिट शुरू किया है। (आईएएनएस)
मॉस्को, 30 नवंबर | रूस के गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने कहा है कि उसने कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट को लक्षित करने के लिए अनुकूलित स्पुतनिक वैक्सीन का एक नया वर्जन विकसित करना शुरू कर दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, गामालेया ने सोमवार को एक बयान में कहा कि केंद्र इस बात का अध्ययन कर रहा है कि क्या उसके स्पुतनिक वी और स्पुतनिक लाइट टीके आमिक्रॉन संस्करण को बेअसर कर सकते हैं।
यदि संशोधन की आवश्यकता है, तो नया स्पुतनिक ओमिक्रॉन वेरिएंट 45 दिनों में बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार हो सकता है। केंद्र ने कहा, उम्मीद है कि स्पुतनिक ओमिक्रॉन बूस्टर शॉट्स की एक बड़ी मात्रा 2022 की शुरुआत में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश कर सकती है।(आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 30 नवंबर| कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपीस)की एक साइट पर छापे में कम से कम 20 लोग मारे गए और कई घायल हो गए, संयुक्त राष्ट्र ने इसकी जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने सोमवार को कहा कि इटुरी के जुगु क्षेत्र में ड्रोड्रो के पास हमला, 19 नवंबर के बाद से प्रांत में बड़े पैमाने पर आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को निशाना बनाने वाला चौथा हमला है।
ओसीएचए ने कहा कि रविवार को ताजा हमला नागरिकों की सुरक्षा और मानवीय पहुंच की कमी के संदर्भ में एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।
असुरक्षा और विस्थापितों की मेजबानी करने वाली साइटों पर हमलों के कारण हजारों लोग मानवीय सहायता तक नहीं पहुंच सकते हैं। कुछ संयुक्त राष्ट्र मानवीय साझेदारों ने संचालन निलंबित कर दिया है।
डीआरसी में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक डेविड मैकलाचलन-कर ने कहा, "ये हमले अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और आईडीपी पर 2009 के कंपाला कन्वेंशन का उल्लंघन हैं। उन्हें तुरंत रुकना चाहिए।"
उन्होंने किंशासा में जारी एक बयान में कहा, "मैं केंद्रीय और प्रांतीय दोनों स्तरों पर कांगो के अधिकारियों से विस्थापितों सहित नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करने का आह्वान करता हूं।" (आईएएनएस)