राष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा)। भारतीय आल राउंडर रविंद्र जडेजा 24 जनवरी से चेन्नई में तमिलनाडु के खिलाफ शुरू होने वाले सौराष्ट्र के रणजी ट्राफी फाइनल राउंड में वापसी के लिये तैयार हैं।वह घुटने (दायें पैर के) की सर्जरी कराने के लिये पिछले साल सितंबर में एशिया कप से हट गये थे।जडेजा (34 वर्ष) इस समय राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में ‘रिहैबिलिटेशन’ की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं और उन्हें नौ फरवरी से नागपुर में आस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू होने वाली चार मैचों की श्रृंखला के पहले दो टेस्ट के लिये 17 सदस्यीय टीम में चुना गया है।
हालांकि उनकी उपलब्धता उनकी फिटनेस पर निर्भर करेगी और जडेजा के फिट होने पर फैसला चार दिवसीय रणजी ट्राफी मैच के दौरान ही लिये जाने की संभावना है।
सौराष्ट्र क्रिकेट संघ (एससीए) अध्यक्ष जयदेव शाह ने पीटीआई से कहा, ‘‘अच्छा होगा, अगर वह सौराष्ट्र के लिये खेलता है। शायद वह खेलेगा, लेकिन मुझे इसके बारे में और जानकारी नहीं है। ’’ जडेजा ने 31 अगस्त को एशिया कप में हांगकांग के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच के बाद कोई प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेला है। इससे पहले उनका प्रथम श्रेणी मैच पिछले साल जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन में एकमात्र टेस्ट मैच था।रिपोर्ट के अनुसार जडेजा ने इस हफ्ते के शुरू में गेंदबाजी और बल्लेबाजी करना शुरू कर दिया था क्योंकि वह एनसीए में अपना रिहैबिलिटेशन खत्म करने की ओर हैं। इस बायें हाथ के बल्लेबाज को भारतीय लाइन-अप में मध्यक्रम में पांचवें या छठे नंबर पर महत्वपूर्ण खिलाड़ी के तौर पर देखा जा रहा है, विशेषकर ऋषभ पंत की अनुपस्थिति में। साथ ही उनकी बायें हाथ की स्पिन भी चार मैचों की श्रृंखला में शीर्ष ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के साथ उपयोगी साबित हो सकती है। इस श्रृंखला से भारत का विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप में फाइनल में लगातार दूसरी बार पहुंचना तय होगा।
आस्ट्रेलिया के खिलाफ 2016-17 श्रृंखला में जडेजा ने अहम भूमिका अदा की थी जिसमें उन्हें 25 विकेट चटकाने और 127 रन बनाने के लिये ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ चुना गया था जिससे भारत ने वापसी करते हुए 2-1 से यादगार जीत दर्ज की थी। जडेजा ने 2017 से 19 टेस्ट में 82 विकेट चटकाये हैं और बल्ले से 52.82 के औसत से 898 रन बनाये हैं जिसमें दो शतक और सात अर्धशतक शामिल हैं।
नई दिल्ली, 15 जनवरी । भारतीय सेना दिवस पर थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने रविवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सेना मजबूती से रक्षा कर रही है.
उन्होंने कहा, "उत्तरी सीमावर्ती इलाक़ों में स्थिति सामान्य रही है. एलएसी पर मजबूत डिफेंस बरकरार रखते हुए हम किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए तैयार हैं. जवानों को सभी प्रकार के हथियार, उपकरण और सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में दिए जा रहे हैं."
सेना प्रमुख ने कहा, "पश्चिमी सीमावर्ती इलाक़ों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम बरकरार है और संघर्ष विराम के उल्लंघन में भी कमी हुई है. लेकिन, सरहद पार आतंकी बुनियादी अभी भी बरकरार है. जम्मू और पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन से हथियार और ड्रग की तस्करी जारी है."
उन्होंने कहा, "आत्मनिर्भरता से आधुनिकता हमारा मूलमंत्र होगा. भारतीय रक्षा उद्योग इन चुनौतियों के लिए आगे आ रहा है. हमें मेड इन इंडिया हथियारों, उपकरणों पर भरोसा है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम संचार, मानव रहित प्रणाली, निर्देशित ऊर्जा हथियार जैसी ऊंचे दर्जे की तकनीक देश में बन रही हैं."
जनरल मनोज पांडे ने अग्निपथ योजना का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, "अग्निपथ योजना के आने से एक एतिहासिक और प्रगतिशील कदम उठाया है. हमने भर्ती प्रक्रिया शुरू की है. हमें देश के युवाओं से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. पुरुष अग्निवीर के पहले बैच की ट्रैनिंग शुरू हो चुकी है."
भारत में हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है. इस साल देश अपना 75वां सेना दिवस मना रहा है. इसका आयोजन कर्नाटक की राजधानी बैंगलुरू में हो रहा है. हर बार सेना दिवस पर कोई न कोई थीम रखी जाती है. इस बार की थीम है 'रक्तदान करें- जीवन बचाएं'. (.bbc.com/hindi)
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश), 15 जनवरी | लखीमपुर खीरी के महेशपुर क्षेत्र में मोहम्मदी वन परिक्षेत्र के पास आवारा जंगली जानवरों को दूर रखने के लिए बिजली से चलने वाली बाड़ के संपर्क में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। पीड़ित खेत में गार्ड था और स्थानीय लोगों द्वारा उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
मोहम्मदी थाने के एसएचओ अंबर सिंह के अनुसार, पीड़ित की पहचान गांव अयोध्या नगर के अमर सिंह के रूप में हुई है, जो हैदराबाद पुलिस सर्कल के अधिकार क्षेत्र में आता है।
खेत के मालिक सुदर्शन पांडे ने अपनी जमीन कश्मीर सिंह को ठेके पर खेती के लिए दी थी, जिसने बिजली की बाड़ लगाई थी।
दक्षिण खीरी वन प्रभाग के डीएफओ संजय बिस्वाल ने कहा, मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं और खेत मालिक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि बिजली के झटके से इंसानों और जानवरों की जान जाने की घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने विद्युतीकृत बाड़ के उपयोग पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि, किसान आवारा पशुओं को दूर रखने और अपनी फसलों को बचाने के लिए बाड़ का विद्युतीकृत कर रहे हैं। (आईएएनएस)|
पीलीभीत (उत्तर प्रदेश), 15 जनवरी | उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक शराबी पति ने अपनी गर्भवती पत्नी को मोटरसाइकिल से बांध दिया और उसे 200 मीटर से अधिक तक घसीटा। पत्नी ने उसकी शराब पीने की आदतों का विरोध किया था। घटना शनिवार को घुंगचाई गांव में हुई और आरोपी राम गोपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि पत्नी सुमन को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
खबरों के मुताबिक शनिवार को राम गोपाल शराब के नशे में घर आया तो सुमन ने इसका विरोध किया। गुस्से में गोपाल ने पहले तो उसकी पिटाई की और फिर उसे बाइक से बांधकर घसीटा।
राहगीरों ने रामगोपाल को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माना।
अंत में, सुमन का भाई अपनी बहन को बचाने में कामयाब रहा और उसे अस्पताल ले गया।
राम गोपाल और सुमन की तीन साल पहले शादी हुई थी। कपल ने लव मैरिज की थी।
सुमन का आरोप है कि शादी के कुछ दिन बाद ही पति नशे का आदी हो गया।
सुमन अब आठ महीने की गर्भवती है। उन्होंने कहा कि वे अक्सर उसकी शराब पीने की आदतों को लेकर लड़ते रहते थे।
घटना के समय राम गोपाल के भाई और मां घर में मौजूद थे, उन्होंने विरोध किया और सुमन को बचाने की कोशिश की। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और रामगोपाल को हिरासत में ले लिया।
घुंगचाई थानाध्यक्ष राजेंद्र सिंह सिरोही ने बताया कि विवाहिता के भाई वैशपाल की तहरीर पर सुमन को जान से मारने की नीयत से घसीट कर पीटने की रिपोर्ट दर्ज की गई है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 15 जनवरी | उत्तर भारत में सर्दी का सितम जारी है। कोहरे और शीतलहर से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। वहीं, कोहरे का ट्रेन और अन्य यात्रा सेवाओं पर खासा असर पड़ रहा है। घने कोहरे के चलते विजिबिलिटी कम हो गई है। ऐसे में ट्रेनों की स्पीड कम हो गई है। रविवार को भी दर्जनों ट्रेनें अपने निर्धारित समय से कई घंटे लेट चल रही हैं। इसमें राजधानी, शताब्दी और हमसफर एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनें भी शामिल हैं। रेलवे ने ट्रेनों को खराब मौसम को देखते हुए कुछ को रिशिड्यूल किया है। तो कुछ ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित कर दिया है। रद्द होने वाली इन ट्रेनों में पैसेंजर, मेल और एक्सप्रेस गाड़ियां शामिल हैं। इससे जम्मू, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और प. बंगाल के रेल यातायात को ज्यादा प्रभावित किया है। नई दिल्ली आने-जाने वाली लंबी दूरी की कई रेलगाड़ियों को रविवार को रद्द कर दिया गया है।
रेलवे के अनुसार रविवार को डिब्रूगढ़ राजधानी 4:30 घंटे लेट, हावड़ा- पुणे दुरंतो एक्सप्रेस 7 घंटे 10 मिनट लेट, पुणे- संतरागाछी हमसफर एक्सप्रेस 7 घंटे 9 मिनट लेट, नई दिल्ली- कोलकाता हावड़ा राजधानी 7 घंटे 8 मिनट लेट, निजामुद्दीन-हुबली सुपरफास्ट एक्सप्रेस, 6 घंटे 59 मिनट लेट, गोरखपुर- आसनसोल एक्सप्रेस 6 घंटे 58 मिनट लेट, हुसैनसागर एक्सप्रेस 7 घंटे 57 मिनट लेट, देहरादून- गोरखपुर राप्ती गंगा एक्सप्रेस 8 घंटे 50 मिनट देरी से चल रही है, जबकि निजामुद्दीन-रेनिगुंटा 20 घंटे 26 मिनट लेट, देहरादून- मुज्जफरपुर राप्ती गंगा एक्सप्रेस 7 घंटे 17 मिनट लेट चल रही है।
हालांकि सफर के दौरान ट्रेन का लेट होना जितनी सामान्य बात है, उतना ही परेशानी भरा भी रहता है। लेकिन रेलवे ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को कुछ सहूलियत सेवाएं भी मुफ्त देता है। कोहरे की वजह से अगर ट्रेन 3 घंटे या उससे ज्यादा लेट होती है तो यात्री टिकट कैंसिल कराकर पूरा रिफंड ले सकते हैं। वहीं आईआरसीटीसी के मुताबिक, एक्सप्रेस ट्रेनों के यात्रियों को ट्रेन लेट होने पर खाने-पीने की पूरी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 15 जनवरी | उत्तर प्रदेश में पहली बार रोबोटिक सर्जरी से थायराइड कैंसर को दूर किया गया है। संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) के डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी के जरिए पैपिलरी थायरॉइड कैंसर से पीड़ित 21 वर्षीय महिला का सफल ऑपरेशन किया है।
अस्पताल की विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह भारत में पहली बार हुआ है कि एक सरकारी संस्थान में रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से एक कैंसरयुक्त थायरॉयड ग्रंथि को पूरी तरह से हटा दिया गया।
प्रयागराज की रहने वाली इस मरीज में गांठ बन गई थी, जिसके बाद कमला नेहरू कैंसर अस्पताल में उसका पता चला।
एसजीपीजीआईएमएस में रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉ. ज्ञान चंद ने कहा, चूंकि जटिलताओं के कारण गले में चीरा लगाए बिना सर्जरी संभव नहीं थी, इसलिए उसे लखनऊ के अस्पताल में रेफर कर दिया गया।
प्रयागराज की 21 वर्षीय अविवाहित लड़की के गले में थायरायड की गांठ थी, जो लगातार बढ़ रही थी।
प्रयागराज के कमला नेहरू कैंसर अस्पताल में आवश्यक जांच के बाद वहां के डॉक्टरों ने परिवार को बताया कि यह गांठ है और यह घातक है। इन जटिलताओं के कारण गले में चीरा लगाए बिना इसकी सर्जरी संभव नहीं थी।
ऐसे में मरीज और उसके परिजन काफी उदास और निराश थे क्योंकि इससे सर्जरी के बाद चीरे के निशान रह जाते थे।
कमला नेहरू अस्पताल के डॉक्टरों ने तब रोगी को गर्दन में चीरा लगाए बिना सर्जरी के लिए डॉ. ज्ञान चंद, रोबोटिक थायराइड सर्जन, एसजीपीजीआई, लखनऊ के पास रेफर कर दिया।
जरूरी जांच के बाद पता चला कि मरीज को पैपिलरी थायरॉइड कैंसर है, जिसे रोबोटिक तरीके से हटाया जा सकता है।
परिवार की सहमति के बाद डॉक्टर ज्ञान ने चार घंटे के ऑपरेशन में बिना चीरा लगाए मरीज के गले में कैंसर वाली थायरायड ग्रंथि समेत कई गांठों को सफलतापूर्वक निकाल दिया। मरीज अब ठीक है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 15 जनवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सेना दिवस के अवसर पर सभी सैन्यकर्मियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं दीं। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "सेना दिवस पर, मैं सभी सैन्य कर्मियों, दिग्गजों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं देता हूं। प्रत्येक भारतीय को हमारी सेना पर गर्व है और वह हमेशा हमारे सैनिकों का आभारी रहेगा। उन्होंने हमेशा हमारे देश को सुरक्षित रखा है और संकट के समय उनकी सेवा के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है।"
हर साल 15 जनवरी को भारत अपना सेना दिवस मनाता है।
यह वह दिन है जब फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करियप्पा (तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल) ने 1949 में भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ, जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला था। (आईएएनएस)|
मेरठ (उत्तर प्रदेश), 15 जनवरी | मेरठ के मवाना इलाके में शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर 17 वर्षीय एक लड़की को गोली मारने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के मुताबिक, लड़की के बाएं कंधे के नीचे गोली लगी है। उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है।
पुलिस ने आरोपी की पहचान राजन कुमार के रूप में की है, जो हस्तिनापुर के एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से मैकेनिक्स का कोर्स कर रहा है।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, लड़की के एक रिश्तेदार ने आरोप लगाया है कि राजन ने बस को रोका और जब लड़की मवाना इलाके में अपने गांव जा रही थी तो उसने उस पर गोली चला दी। घटना के बाद, वह मौके से भाग गया।
सर्कल अधिकारी, मवाना, आशीष शर्मा ने कहा कि पीड़िता के रिश्तेदार की शिकायत के आधार पर इस संबंध में आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है।
अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी ने लड़की से शादी के लिए कहा था और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। पीड़िता के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद वह उसे प्रताड़ित करता रहा। (आईएएनएस)|
शंभु नाथ चौधरी
रांची, 15 जनवरी | झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और हेमंत सोरेन सरकार के रिश्तों में तल्खियां लगातार बढ़ रही हैं। बीते डेढ़ साल में कम से कम डेढ़ दर्जन मौके ऐसे आए हैं, जब राज्यपाल ने सरकार के विजन और कामकाज से लेकर उसके निर्णयों तक पर सवाल खड़े किए हैं। इसके जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी राज्यपाल पर सीधे-सीधे निशाना साधने का मौका नहीं चूकते।
लगभग डेढ़ साल पहले झारखंड के राज्यपाल का कार्यभार संभालने वाले रमेश बैस ने बीते दिनों कहा था- मुझे झारखंड की राजनीति को समझने में थोड़ा वक्त लग गया। इसके बाद बीते 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर जब पत्रकारों से मुखातिब थे तो उन्होंने कहा, राज्यपाल संवैधानिक पद है। उनपर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। लेकिन कुछ घटनाओं से कभी-कभी लगता है कि यह डबल गेम तो नहीं है। अब वे यहां राज्यपाल की हैसियत से आए हैं या राजनीति करने, यह तो वही बताएंगे।
झारखंड के अब तक के 22 वर्षों के इतिहास में कुल 10 राज्यपाल नियुक्त हुए हैं। इनमें से वर्ष 2004 से 2009 के बीच राज्यपाल रहे सैयद सिब्ते रजी और अब दसवें राज्यपाल के रूप में कार्यरत रमेश बैस का कार्यकाल राजनीतिक विवादों के लिए याद किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी रमेश बैस का लगभग 45-50 वर्षों का पूरा राजनीतिक करियर भारतीय जनता पार्टी के साथ गुजरा है। झारखंड के राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल 7 जुलाई 2021 से शुरू हुआ। पिछले डेढ़ वर्ष के कार्यकाल के दौरान कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनके भाषणों का स्वर किसी विपक्षी नेता सरीखा रहा है।
मसलन, बीते 12 जनवरी को रांची में एक संस्था की ओर से युवा दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड के सरकारी विश्वविद्यालय भगवान भरोसे चल रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों की तमाम कमियां गिनाईं और साथ में यह भी जोड़ा कि उनकी कोशिश है कि स्थिति में सुधार हो। इसके पहले 5 जनवरी को उन्होंने झारखंड में आदिवासियों के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा के लिए संबंधित अफसरों के साथ बैठक की। बैठक के बाद राजभवन की ओर से जो रिलीज जारी की गई, उसके मुताबिक राज्यपाल ने कहा, 'झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के कल्याणार्थ राशि की कमी नहीं है, कमी है तो विजन की और प्रतिबद्धता के साथ योजनाओं का क्रियान्वयन करने की। केंद्र सरकार से प्राप्त राशि पड़ी है लेकिन उचित योजना बनाकर खर्च नहीं कर रहे हैं।'
इसके पहले दिसंबर महीने में रांची के मोरहाबादी मैदान में एक एक्सपो के उदघाटन के दौरान भी राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड में संसाधनों की कोई कमी नहीं है, कमी है तो सिर्फ विजन की। इस कमी के चलते झारखंड आज भी पिछड़ा है।
वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल कहते हैं, 'राज्यपाल रमेश बैस भले अपने भाषण में हेमंत सोरेन का नाम न लें, जब वह बार-बार झारखंड की बदहाली का जिक्र करते हुए इसके लिए सीधे-सीधे विजनलेसनेस की बात करते हैं तो प्रकारांतर से वह राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को कठघरे में खड़ा करते हैं।'
बीते 14 दिसंबर को राज्यपाल रमेश बैस ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने 10 अप्रैल 2022 को देवघर के त्रिकूट पर्वत पर हुए रोपवे हादसे और 10 जून 2022 को रांची के मेन रोड में हुई सांप्रदायिक हिंसा और पुलिस फायरिंग की घटना का जिक्र करते हुए इनकी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं मिलने पर हैरत जताई। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटनाओं की जांच पर राज्य सरकार की ओर से कोई नोटिस नहीं लिया गया है। ऐसे में भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति कैसे रोकी जा सकेगी? उन्होंने सीएम से कहा कि इन दोनों मामलों की जांच जल्द से जल्द कराकर की गई कार्रवाई से उन्हें अवगत कराया जाए।
राज्यपाल इसके पहले रांची हिंसा, दुमका में छात्रा को जिंदा जलाए जाने सहित कई घटनाओं को लेकर राज्य की विधि-व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणियां कर चुके हैं। बीते जून में रांची में हुई हिंसा की घटना के बाद तो उन्होंने राज्य के डीजीपी और रांची के एसएसपी को राजभवन तलब कर लिया था और हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों की तस्वीर वाले होडिर्ंग लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद दूसरे दिन पुलिस ने ऐसी होडिर्ंग भी लगा दी। इसकी खबर मिलते ही राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने अफसरों की क्लास लगाई। राज्यपाल के आदेश से लगी होडिर्ंग्स कुछ ही घंटे में हटाए गए।
राज्यपाल राज्य में जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) के गठन को लेकर राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली पर कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में पारित एंटी मॉब लिंचिंग बिल, कृषि मंडी बिल सहित आधा दर्जन बिल अलग-अलग वजहों से दिए थे। हालांकि इनमें से तीन विधेयक विधानसभा के बीते सत्र में पुन: पारित कराए और राज्यपाल की कई आपत्तियों को खारिज कर दिया।
लेकिन, इन प्रकरणों से इतर जिस मुद्दे पर राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच सबसे ज्यादा रस्साकशी हुई, वह है भारत के निर्वाचन आयोग से आई चिट्ठी। सभी जानते हैं कि इसे लेकर राज्य में इस कदर राजनीतिक तूफान खड़ा हुआ कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार को रिजॉर्ट प्रवास से लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बहुमत साबित करने तक की मशक्कत करनी पड़ी। निर्वाचन आयोग की यह सीलबंद चिट्ठी बीते 25 अगस्त को नई दिल्ली से रांची स्थित राजभवन पहुंची थी। चुनाव आयोग की यह चिट्ठी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की योग्यता-अयोग्यता तय किये जाने के संबंध में थी, लेकिन आज तक इसका आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं हुआ है कि इस चिट्ठी का मजमून क्या है? फिलहाल चिट्ठी वाला यह प्रकरण तो ठंडा पड़ा है, लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार को यह आशंका बनी हुई है कि राज्यपाल कभी भी यह चिट्ठी सामने ला सकते हैं और इसका इस्तेमाल सरकार के खिलाफ किया जा सकता है। (आईएएनएस)|
बेंगलुरु, 15 जनवरी | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने चार संदिग्ध आतंकवादियों को सात साल के सश्रम कारावास और 40,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। इन पर आतंकवादी गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए बेंगलुरु में डकैती करने का आरोप था। कोर्ट ने शनिवार को आदेश सुनाया कि सभी आरोपी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) से जुड़े हैं।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के कदोर खाजी उर्फ मोटा अनस (33), शमशेरगंज जिले के मुस्तफिजर रहमान उर्फ तुहिन (39), आदिल शेख (27), मुर्शिदाबाद जिले के अब्दुल करीम उर्फ छोटा (21) पर दोष साबित हुआ है।
दोषियों ने केआर थाने में लूट की वारदात को अंजाम दिया था। उन्हें अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था और एनआईए अधिकारियों ने भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, रासायनिक पदार्थ, बम तैयार करने के लिए कंटेनर, तात्कालिक विस्फोटक उपकरण और एक डिजिटल कैमरा जब्त किया था।
पुलिस ने 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी।
जांच में साबित हुआ था कि सभी दोषी अपने घर में बम तैयार कर रहे थे। उनमें में से एक अब्दुल करीम उर्फ छोटा बिहार में 7 जुलाई 2013 को यूनेस्को के विश्व विरासत केंद्र महाबोधि मंदिर के आसपास के इलाकों में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में आरोपी था। पी. प्रसन्ना कुमार ने एनआईए के लिए अपनी दलीलें पेश कीं। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 15 जनवरी | पिछले कुछ सालों में भारत समेत दुनियाभर में मौसम के अलग रूप देखे जा रहे हैं। कभी भयंकर गर्मी, तो कभी मूसलाधार बारिश और अब एक बार फिर कड़ाके की ठंड मौसम के बदलते स्वरूप को दिखा रही है। आखिर क्यों मौसम में आ रहे है बड़े बदलाव और क्या है इसके पीछे के कारण। उत्तर भारत इन दिनों भीषण ठंड की चपेट में है। रात में कोहरा तो दिन में सर्द हवाओं से लोग परेशान हैं। वहीं एक मौसम विशेषज्ञ ने आने वाले दिनों के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है।
मौसम विशेषज्ञ नवदीप दहिया ने कहा है कि 14 से 19 जनवरी तक उत्तर भारत भीषण शीतलहर की चपेट में होगा। खास तौर पर 16 से 18 जनवरी के बीच ठंड अपने चरम पर होगी और मैदानी इलाकों का पारा माइनस 4 डिग्री सेल्सियस से लेकर दो डिग्री तक गिर सकता है।
वहीं दूसरी तरफ बीते साल 2022 के मौसम को देखें तो पता चलेगा कि इस एक साल में भी कई बदलाव हुए हैं। साल के पहले महीने से लेकर दिसंबर तक मौसम का रूख पूरी तरह अलग रहा। मानसून और गर्मी के आगमन में भी बदलाव देखा गया। वहीं बीते साल मौसम में ठंड के दिनों में भी बदलाव देखा गया। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है। इसी के चलते मौसम हर वक्त करवट बदल रहा है।
जलवायु एक लंबे समय में या कुछ सालों में किसी स्थान का औसत मौसम है और जलवायु परिवर्तन उन्हीं परिस्थितियों में हुए बदलाव के कारण होता है। वर्तमान जलवायु परिवर्तन का असर ग्लोबल वामिर्ंग और मौसम के पैटर्न दोनों पर पड़ रहा है। दरअसल जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वामिर्ंग और मानसून में अस्थिरता को बढ़ा रही है, जिसके चलते गर्मी के मौसम की अवधि बढ़ रही है और बारिश की अवधि कम हो रही है।
मौसम विशेषज्ञ नवदीप दहिया ने आईएएनएस को बताया कि मौसम में बदलाव को अगर बड़े पैमाने पर देखें तो इसके पीछे 'ला नीना' एक कारण है। जिसकी वजह से प्रशांत महासागर की सतह का तापमान काफी ठंडा हो जाता है। नवदीप ने कहा कि ला नीना ने 2019 से अपना प्रभाव दिखाना शुरू किया है। इसकी वजह से ही हमारे यहां ठंड ज्यादा हो रही है।
साल 2023 में भी इसका यही पैटर्न काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि पहले मौसम स्थिर होता था। एक तय समय और मात्रा तक ठंड, गर्मी और बरसात होती थी। मगर पिछले 50 सालों से जलवायु परिवर्तन के कारण ट्रेंड बदल रहा है। पिछले एक दशक में अल नीनो और ला नीना दोनों में ही गर्मी भी काफी हुई है।
अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है। अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंडा। दोनों आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन असाधारण मामलों में कई वर्षों तक रह सकते हैं। इन दोनों का असर भारत में भी देखने को मिलता है।
अल नीनो: इसके कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। ये तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है। अल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा है। यह मौसम पर बहुत गहरा असर डालता है। इसके आने से दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव दिखता है और बारिश, ठंड, गर्मी सबमें अंतर दिखाई देता है।
ला नीना: इसमें समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है। ला नीना से आमतौर पर उत्तर-पश्चिम में मौसम ठंडा और दक्षिण-पूर्व में मौसम गर्म होता है। भारत में इस दौरान भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी ठीक-ठाक होती है।
पिछले कुछ सालों में घरेलू कामों, कारखानों और परिचालन के लिए मानव तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल बढ़ा है। जिसका जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पर्यावरण वैज्ञानिक चंदर वीर सिंह ने आईएएनएस को बताया कि जब हम जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, तो उनसे निकलने वाले ग्रीन हाउस गैस में सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड होता है।
वातावरण में इन गैसों की बढ़ती मौजूदगी के कारण धरती का तापमान बढ़ने लगता है।
जानकारी के मुताबिक 19वीं सदी की तुलना में धरती का तापमान लगभग 1.2 सेल्सियस अधिक बढ़ चुका है और वातावरण में सीओ-2 की मात्रा में भी 40-50 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन की वजह से तकरीबन हर मौसम में असामान्य व्यवहार नजर आता है। मानव जनित गतिविधियों की वजह से होने वाले जलवायु परिवर्तन का असर गर्मियों में भीषण गर्मी और सर्दियों में कड़ाके की ठंड के तौर पर सामने आ रहा है।
पिछले कुछ सालों में मानसून प्रणालियों में भी बदलाव देखा गया है। गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में पिछले साल यानी 2022 में ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी।
इसके बिल्कुल उलट पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में बारिश ही नहीं हुई। पिछले साल के अगस्त महीने में बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक दो मानसून चक्र बने जिससे पूरा मध्य भारत प्रभावित हुआ। (आईएएनएस)|
देहरादून, 14 जनवरी | केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को चीड़बाग, देहरादून स्थित शौर्य स्थल का उद्घाटन किया। केन्द्रीय रक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री ने शौर्य स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित कर उत्तराखंड के वीरगति प्राप्त योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शौर्य स्थल का अवलोकन किया एवं शहीदों के परिजनों से मुलाकात भी की। उत्तराखंड वार मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से बनाए गए इस शौर्य स्थल पर प्रदेश के सभी बलिदानी सैनिकों के नाम अंकित हैं। बीते दिसंबर माह में उत्तराखंड वार मेमोरियल ट्रस्ट ने शौर्य स्थल को सेना को हस्तांतरित कर दिया है। शौर्य स्थल का लोकार्पण करने के बाद रक्षा मंत्री अब शहीद जसवंत सिंह मैदान में वेटरन रैली में हिस्सा लिया। इसके बाद वह पूर्व सैनिकों व वीर नारियों को संबोधित करेंगे। वे सोल ऑफ स्टील अभियान की भी शुरुआत करेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही सीडीएस जनरल अनिल चौहान भी दून पहुंचे। सीडीएस बनने के बाद जनरल चौहान का यह पहला दून दौरा है। इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी डोईवाला विधायक ब्रिज भूषण गैरोला कैंट विधायक सविता कपूर जिलाधिकारी सोनिका एसएसपी दिलीप कुमार आदि ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का स्वागत किया।
इस दौरान रक्षामंत्री ने कहा कि जब मैं आप जैसे देश के वीरों के बीच पहुंचता हूं, तो मेरा शीश श्रद्धा से झुक जाता है। आपकी वीरता और बलिदान के दृश्य मेरी आंखों के सामने चमकते रहते हैं। आपने हमारे देश की सीमाओं की रक्षा की है और इसकी एकता और अखंडता को बनाए रखा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब भी इस देश को जरूरत पड़ी है, उत्तराखंड के वीरों ने देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया है।
इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (से.नि), सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, पूर्व राज्यसभा सांसद तरूण विजय एवं मेजर जनरल संजीव खत्री ने भी उत्तराखण्ड के वीरगति प्राप्त योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी। (आईएएनएस)|
जयपुर, 14 जनवरी | राजस्थान के बाड़मेर जिले में अलग-अलग राज्यों में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले जुड़वा भाइयों, जिनकी मौत एक जैसी परिस्थितियों में हुई थी, का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
सरनोन का ताला गांव में हुई दर्दनाक घटना के बाद से मातम पसर गया है।
सुमेर और 26 वर्षीय सोहन का गुरुवार को एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
सुमेर सिंह, जो सूरत में काम करता था, मंगलवार को फोन पर बात करते समय अपना संतुलन खो बैठा और छत से गिर गया। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बुधवार को उसका पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव लाया गया।
सोहन सिंह, जो जयपुर में ग्रेड 2 शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा था, को उसके पिता बाबूसिंह के खराब स्वास्थ्य के बहाने घर बुलाया गया था।
गुरुवार की सुबह जब सोहन सिंह घर से 100 मीटर दूर टंकी से पानी लेने गया था तो टंकी में गिर गया। काफी देर तक जब वह घर नहीं लौटा तो परिजनों ने उसकी तलाश की तो टंकी में उसका शव देखकर कोहराम मच गया। बाद में ग्रामीणों ने सोहन के शव को बाहर निकाला।
ग्रामीणों ने मीडिया को बताया कि दोनों भाइयों में गहरा रिश्ता था। उन्होंने अपनी पढ़ाई एक साथ पूरी की।
ग्रामीणों ने कहा कि सुमेर सिंह पढ़ाई में अच्छा नहीं था, लेकिन उसने सोहन को कड़ी मेहनत करने और शिक्षक की नौकरी पाने के लिए प्रोत्साहित किया। (आईएएनएस)|
नागपुर (महाराष्ट्र), 14 जनवरी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा धमकी भरे 'कॉल' करने के बाद यहां उनके आवास और कार्यालय में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि खामला में गडकरी के जनसंपर्क कार्यालय में सुबह 11 बजकर 25 मिनट से दोपहर साढ़े 12 बजे के बीच तीन धमकी भरे फोन कॉल आए।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हम फोन करने वाले व्यक्ति का पता लगा रहे हैं।’’ (भाषा)
भोपाल, 14 जनवरी फिल्म निर्माता और समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता ओनिर धर द्वारा भोपाल लिट फेस्ट (बीएलएफ) में समलैंगिकों (एलजीबीटीक्यू) के मुद्दों पर चर्चा को एक समूह द्वारा विरोध प्रदर्शन की धमकी के बाद रद्द कर दिया गया है।
आयोजन समिति के सदस्य लेखक-पत्रकार अभिलाष खांडेकर ने शनिवार को कहा, सरकारी सूत्रों ने बताया किया धर की उपस्थिति के कारण सुरक्षा व्यवस्था में दिक्कत पैदा हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है कि ऐसी स्थिति में किसी भी लेखक को दुख हो सकता है। हमें सरकारी सूत्रों ने बताया कि वे सुरक्षा कारणों से इस तरह के लेखक (धर) को भारत भवन में नहीं चाहते हैं क्योंकि इससे कार्यक्रम खराब हो सकता है।’’
बीएलएफ शुक्रवार को यहां सरकार द्वारा संचालित कला परिसर भारत भवन में शुरू हुआ। इसके पहले ही दिन धर को बोलना था।
लिट फेस्ट में अपना सत्र रद्द होने की जानकारी ‘माई ब्रदर... निखिल’ के निर्माता धर ने ट्विटर के जरिए दी। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हैरान और दुख की बात है कि जिस कार्यक्रम में मैं वास्तव में चर्चा करने की उम्मीद कर रहा था वह मुझे छोड़ना पड़ा। जाहिर है विरोध और हिंसा की धमकी देने वाला एक समूह था और पुलिस ने आयोजकों से कहा कि वे मेरी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकते। इसलिए उन्होंने कार्यक्रम रद्द कर दिया।’’
खांडेकर ने कहा कि उन्होंने पूरे उत्सव को रद्द करने के बजाय उनके सत्र को रद्द करना बेहतर समझा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं इसलिए हमने ओनिर धर को बीएलएफ में आमंत्रित किया। यहां तक कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एलजीबीटीक्यू मुद्दे पर बात की है। पिछले साल शिमला में केंद्र द्वारा आयोजित लिट फेस्ट में भी इस विषय पर सत्र हुए थे।’’
खांडेकर ने कहा, ‘‘इसलिए जब हमें बताया गया कि भोपाल में उनकी सुरक्षा का सवाल उठ सकता है तो हमने धर से अनुरोध (रद्द करने के लिए सहमत होने के लिए) किया। किसी ने सुझाव दिया कि पुलिस को बुलाया जा सकता है लेकिन हमारा मानना है कि साहित्य उत्सव में पुलिस नहीं होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि आयोजक भोपाल को देश के साहित्यिक मानचित्र पर लाना चाहते हैं। (भाषा)
हैदराबाद, 14 जनवरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को मकर संक्राति के अवसर पर तेलंगाना के सिकंदराबाद से आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के बीच संचालित होने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का डिजिटल तौर पर शुभारंभ करेंगे।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी और तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन नयी रेलगाड़ी के उद्घाटन समारोह के दौरान व्यक्तिगत रूप से सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर मौजूद रहेंगे।
रेलवे के सूत्रों ने बताया कि इस नयी ट्रेन की नियमित सेवा 16 जनवरी को शुरू होगी और टिकटों की बुकिंग शनिवार से शुरू हो गई है।
दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) ने एक विज्ञप्ति में बताया कि विशाखापत्तनम-सिकंदराबाद एक्सप्रेस (20833) सुबह पांच बजकर 45 मिनट पर विशाखापत्तनम से रवाना होगी और दोपहर दो बजकर 15 मिनट पर सिकंदराबाद पहुंचेगी।
एससीआर के मुताबिक सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम ट्रेन (20834) अपराह्न तीन बजे सिकंदराबाद से रवाना होगी और रात 11 बजकर 30 मिनट पर विशाखापत्तनम पहुंचेगी। विज्ञप्ति के मुताबिक यह ट्रेन दोनों दिशाओं से राजमुंद्री, विजयवाड़ा, खम्मम और वारंगल में रुकेगी।
रेलवे ने बताया कि 14 वातानुकूलित कुर्सीयान और दो एक्जीक्यूटिव वातानुकूलित कुर्सी यान डिब्बों से युक्त इस ट्रेन में 1,128 यात्रियों की क्षमता है। यह दोनों स्टेशनों के बीच तीव्र गति की परिवहन सुविधा प्रदान करेगी। (भाषा)
जयपुर, 14 जनवरी गुलाबी नगरी जयपुर का आसमान शनिवार को रंग-बिरंगी पतंगों से ढक गया जहां लोगों ने खिली धूप में मकर संक्रांति का त्योहार उत्साह से मनाया। दिन भर जयपुर के आसमान में नए नए रंगों की पतंगें कुलांचे भरती रहीं और छतों से 'वो काटा वो काटा' का शोर गूंजता रहा।
मकर संक्रांति पर धर्मावलंबी शहर के गलता तीर्थ के साथ-साथ पड़ोसी जिले अजमेर के पुष्कर पहुंचे व पवित्र सरोवरों में डुबकी लगाई, सूर्य को अर्घ्य दिया और मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की।
वहीं युवा व बच्चों ने पतंगबाजी का आनंद लिया। शहर में मकर संक्रांति पतंगबाजी का सबसे बड़ा अवसर माना जाता है और यहां विशेष रूप से परकोटे वाले शहर में इस त्योहार को लेकर जबरदस्त जुनून रहता है।
सुबह होते ही बच्चे व युवा घरों की छतों व खुले मैदानों में पहुंच गए और शहर के आसमान में रंग बिरंगी, अलग-अलग आकार की पतंगें नजर आने लगीं। पतंगों व मांझे की दुकानों के साथ-साथ गजक रेवड़ी व मूंगफली वाली दुकानों पर अच्छी भीड़ रही। हालांकि बाकी बाजार अपेक्षाकृत सूने रहे और लोगों ने त्योहार का आनंद लिया।
पतंग विक्रेता उस्मान खान ने बताया कि पिछले साल की तुलना में पतंग थोड़ी महंगी हुई है, लेकिन बिक्री पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि कागज से बने छोटे गर्म हवा के गुब्बारे 'स्काई लालटेन' की भी पतंग की तरह ही मांग है।
उन्होंने कहा, ‘‘शाम के समय उड़ाई जाने वाली स्काई लालटेन भी युवाओं व बच्चों में समान रूप से लोकप्रिय हो रही है और पतंग प्रेमियों द्वारा मकर संक्रांति पर खरीदारी की आवश्यक वस्तु बन गई है। बच्चे व युवा दिन भर पतंगबाजी के बाद शाम को 'स्काई लाइट' छोड़ते हैं।’’
राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए इस पर्व को दिलों में सद्भाव की मिठास घोलने वाला बताया। गहलोत ने ट्वीट किया, ‘‘मकर संक्रांति के पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं। सूर्यदेव की उपासना, उदारता, दान और धर्म परायणता का यह पर्व जीवन में उत्साह और उमंग का संचार बढ़ाता है। सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक पर्व सांस्कृतिक एकता और सद्भाव की मिठास दिलों में घोलता है।’’ (भाषा)
कन्नूर (केरल), 14 जनवरी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शनिवार को कहा कि कोई कुछ भी कहे लेकिन वह पहले की तरह अपना काम जारी रखेंगे और लोगों से मुलाकात करते रहेंगे।
थरूर की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब कांग्रेस के कई नेताओं ने एक दिन पहले उन पर राज्य की राजनीति की ओर ध्यान केंद्रित करने के उनके कदम को लेकर निशाना साधा था।
तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा कि वह राज्य भर के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं क्योंकि उन्हें विभिन्न हलकों से बहुत सारे निमंत्रण मिलते हैं और इसमें कुछ भी खास नहीं है क्योंकि अन्य नेता भी ऐसा ही कर रहे हैं।
कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा उनका नाम लिए बिना दिये बयानों के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई कुछ भी कहता रहे...मैं अपना काम कर रहा हूं...कोई कुछ भी कहे, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि वह अभी वही कर रहे हैं जो वह पिछले 14 वर्षों से कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें लोगों से निमंत्रण मिलता है, तो वह कार्यक्रमों का चयन करते हैं और अपनी सुविधा के अनुसार उनमें शामिल होते हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला उन व्यक्तियों में शामिल थे, जिन्होंने शुक्रवार को तिरुवनंतपुरम में पार्टी के एक कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान थरूर पर परोक्ष रूप से निशाना साधा था।
वर्ष 2026 में होने वाले अगले राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी के संबंध में थरूर के कथित बयान पर कटाक्ष करते हुए, चेन्निथला ने कहा था, ‘‘यदि किसी ने मुख्यमंत्री पद के लिए एक कोट सिलवा लिया है, तो उन्हें इसे पीछे छोड़कर आगामी संसदीय चुनावों में पार्टी की सफलता के लिए काम करने को लेकर तैयार रहना चाहिए।’’
उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी यह दावा नहीं करना चाहिए कि वे अगले चार वर्षों में किस पद पर रहेंगे।
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने पार्टी नेताओं द्वारा अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का सार्वजनिक रूप से खुलासा करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि हर चीज पर चर्चा पार्टी के मंचों पर की जानी चाहिए। उन्होंने नेताओं से आग्रह किया था कि वे मीडिया को ऐसे मामलों पर चर्चा करने का कोई मौका न दें।
केरल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरन ने भी कहा कि किसी के लिए अपने पद या आगामी विधानसभा चुनावों के लिए निर्वाचन क्षेत्र का फैसला करना उचित नहीं है।
पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या चेन्निथला की ‘‘मुख्यमंत्री कोट’’ वाली टिप्पणी में उन्हें निशाना बनाया गया, तो थरूर ने कहा कि उन्होंने शीर्ष पद के लिए कोई कोट नहीं सिलवाया है।
उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री आमतौर पर कोट नहीं पहनते हैं...मुझे नहीं पता कि कोट किसने और कब सिलवाया...आपको (मीडिया) सवाल उन लोगों से पूछना चाहिए जिन्होंने इस तरह के बयान दिए हैं...मुझसे नहीं।’’ (भाषा)
विशाल गुलाटी
शिमला, 14 जनवरी | शहर में अवैध निर्माण के कारण अधिकांश इमारतें खड़ी ढलानों पर लटकी हुई हैं और एक दूसरे से चिपकी हुई हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शिमला,मैक्लोडगंज, कसौली, मनाली, पालमपुर, मंडी, सोलन आदि इलाकों में स्थित इमारतें उच्च तीव्रता वाले भूकंप का सामना नहीं कर सकती हैं और ताश के पत्तों की तरह ढह सकती है।
साथ ही हाल के वर्षों में पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में बादल फटना और अचानक आई बाढ़ एक रेगुलर फीचर बन गया है। इस तरह की आपदाओं के कारण होने वाली जीवन की भारी हानि के लिए मुख्य रूप से बढ़ती मानवीय गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
इस तथ्य के बावजूद कि हिमालयी राज्य के अधिकांश पिकनिक स्थल उच्च भूकंपीय क्षेत्र 4-5 में आते हैं। गंभीर भूकंपीय संवेदनशीलता का संकेत देने के बावजूद स्थानीय अधिकारी अभी तक अपनी नींद से नहीं जागे हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और राज्य उच्च न्यायालय ने पूरे हिमाचल में बढ़ते अनधिकृत निर्माणों की प्रतिक्रिया में कमी के लिए राज्य के अधिकारियों को बार-बार फटकार लगाई है।
पुराने समय के लोग बीजेपी और कांग्रेस सरकारों पर ज्यादातर सुरम्य शहरों को कंक्रीट के जंगलों में बदलने का आरोप लगाते हैं।
शिमला के बाहरी इलाके में भीड़भाड़ वाले इलाके संजौली में, मृतकों को अक्सर रस्सियों के सहारे घरों से बाहर निकालना पड़ता है।
शिमला में जन्मे और पले-बढ़े अस्सी वर्षीय रमेश मंटा ने कहा, आप शिमला के तेजी से बदलते क्षितिज को देख सकते हैं, जहां इमारतें, भले ही वे संरचनात्मक रूप से सुरक्षित हों या नहीं, बेतरतीब ढंग से एक के बाद एक आ रही हैं।
हिमाचल पर्यटन विकास निगम लिफ्ट के पास खड़े होकर मॉल रोड के नीचे आने वाले वर्टिकल निर्माण की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, आप विकास के दबाव को देख सकते हैं, जो पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या वृद्धि और पर्यटकों के उच्च प्रवाह के कारण बढ़ा है।
अधिकारियों ने आईएएनएस से माना कि शिमला में 14 प्रमुख इलाके 70-80 डिग्री के औसत ढाल पर स्थित हैं, जहां अधिकांश इमारतें उपनियमों और भवन निर्माण मानदंडों का उल्लंघन करती हैं और यहां तक कि भूकंपीय मानदंडों का भी पालन नहीं किया है।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि शिमला के रिज के उत्तरी ढलान, मॉल के ठीक ऊपर एक खुली जगह, जो पश्चिम में ग्रैंड होटल और पूर्व में लक्कड़ बाजार तक फैली हुई है, धीरे-धीरे धंस रही है।
एक अन्य निवासी नरेश सूद ने कहा, ज्यादातर इमारतें खतरनाक रूप से खड़ी ढलानों पर लटकी हुई हैं और एक-दूसरे से चिपकी हुई हैं। एक मध्यम या उच्च तीव्रता वाला भूकंप भीड़भाड़ वाली बस्तियों के लिए विनाशकारी हो सकता है। वे ताश के पत्तों की तरह ढह सकते हैं।
अधिकतम 16,000 की आबादी के लिए नियोजित शिमला अब 2,50,000 से अधिक लोगों का घर है।
शिमला के पूर्व उप महापौर टिकेंद्र पंवार ने स्वीकार किया कि शिमला की नगरपालिका सीमा के भीतर अस्पतालों और सरकारी स्कूलों और कॉलेजों सहित 200 से अधिक सार्वजनिक उपयोगिता भवनों को भूकंपीय मजबूती की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर कोई बड़ा भूकंप आता है तो शिमला में 98 प्रतिशत से अधिक इमारतों के ढहने का खतरा है।
धर्मशाला के उपनगरों में स्थित मैक्लोडगंज में तेजी से बढ़ते अवैध निर्माण से तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के आवास पर खतरा मंडरा रहा है।
विशेषज्ञों को डर है कि एक उच्च तीव्रता वाला भूकंप चढ़ाई वाले शहर मैक्लोडगंज को मलबे में बदल सकता है, क्योंकि यह भूकंपीय क्षेत्र वी में पड़ता है।
कांगड़ा जिले में मैक्लोडगंज लगभग 16,000 निर्वासित तिब्बतियों और इतनी ही संख्या में भारतीयों का आवास है।
कोलकाता के पर्यटक संजय बसु ने टिप्पणी की, मैं पांच साल बाद मैक्लोडगंज गया था और उस जगह को देखकर चौंक गया था। यह हरे-भरे ढलानों के साथ एक खूबसूरत जगह हुआ करती थी, जबकि आज यह बड़े पैमाने पर ऊंची इमारतों के साथ कंक्रीट है।
1905 में एक विनाशकारी भूकंप ने कांगड़ा क्षेत्र में संपत्ति को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसमें सेंट जॉन चर्च भी शामिल था, जहां कई ब्रिटिश अधिकारियों को दफनाया गया था, और 20,000 से अधिक लोगों की जान ले ली थी।
मैक्लोडगंज में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के फील्ड स्टेशन के रिकॉर्ड से पता चलता है कि 1905 के बाद से इस क्षेत्र में कई भूकंप आए हैं।
इनमें से प्रमुख 15 जून, 1978 को और दूसरा 26 अप्रैल, 1986 को रिक्टर पैमाने पर पहला परिमाण 5 और दूसरा 5.7 था।
भारतीय सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक राम कृष्ण ठाकुर ने खतरे की घंटी बजाते हुए आईएएनएस को बताया कि उत्तराखंड के जोशीमठ शहर की तरह मनाली और इसके उपनगर भी भूस्खलन के मलबे पर स्थित हैं।
आबादी कई गुना बढ़ गई है और पर्यटकों का इजाफा हो रहा है। इंफ्रास्ट्रक्च र का विस्तार नहीं हुआ है, लेकिन इसे अनियंत्रित किया गया। मनाली शहर में उचित जल निकासी और सीवरेज प्रणाली नहीं है।
वर्ष 2002 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मनाली में रह रहे ठाकुर ने कहा, रिसाव के कारण भूस्खलन हो सकता है, जिससे मनाली की इमारतों में दरारें आ सकती हैं।
ठाकुर के अनुसार मनाली के उपनगरीय इलाके में स्थित बुरवा गांव में इन दिनों निर्माण में तेजी देखी जा रही है, जबकि पूरा क्षेत्र धंसाव क्षेत्र में आता है।
बेतरतीब निर्माणों को गंभीरता से लेते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में मुख्य सचिव सहित राज्य के शीर्ष अधिकारियों को तलब किया था। मुख्य न्यायाधीश ए.ए. सईद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवल दुआ की खंडपीठ ने सोलन जिले के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील बड़ोग क्षेत्र में अनियमित निर्माण को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आमतौर पर हम राज्य के उच्चाधिकारियों को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश देने वाले आदेश पारित करने से बचते हैं। हालांकि राज्य के अधिकारियों की हलफनामों में व्यक्त की गई मजबूरी को देखते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए आदेश पारित किया गया है।
निर्माण गतिविधियों, विशेष रूप से पहाड़ियों में, जो राज्य के पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र हैं, को विनियमित किया जाता है और पर्यावरण की क्षति या आगे की गिरावट के अधीन नहीं हैं।
हिमाचल प्रदेश विभिन्न प्रकार की आपदाओं के प्रति संवेदनशील है। केंद्र सरकार ने 25 खतरों की पहचान की है जिससे राज्य प्रभावित है। (आईएएनएस)|
-सुशीला सिंह
नई दिल्ली, 14 जनवरी । भारत की राजधानी दिल्ली में सात महीने की एक गर्भवती महिला को जलाने का मामला सामने आया है.
ये घटना बाहरी दिल्ली के बवाना इलाक़े की है.
आरोप है कि इस महिला को उनके पति ने जलाने की कोशिश की. महिला दिल्ली स्थित सफ़दरजंग अस्पताल में भर्ती है और उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
पुलिस ने इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की है और पति के ख़िलाफ़ 498ए और आईपीसी की धारा 307 (हत्या की कोशिश) लगाई गई है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बीबीसी को बताया कि इस महिला ने पुलिस और एसडीएम के सामने बयान दिया है.
इसमें कहा गया है कि उनके पति दहेज के लिए उन्हें परेशान करते थे. वो शराब भी पीते थे और पिटाई करते थे.
इस महिला का नाम खुशबू सिंह है और उसके पति का नाम वीर प्रताप सिंह बताया गया है.
क्या है मामला
स्वाति मालीवाल बताती हैं, ''इस महिला ने बताया है कि उनके पति ने शादी के ज़ेवर की मांग की. इसके बाद दोनों के बीच झगड़ा हुआ और फिर पति ने खुशबू को जलाने की कोशिश की. इस मामले में पुलिस ने कम सेक्शन लगाए हैं. हमने इस मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है और सख़्त कार्रवाई की मांग की है.''
इस मामले से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी को बताया, ''पहले ख़ुशबू ने इसे हादसा बताया था लेकिन परिवार उनकी बेटी को जलाने का आरोप बार-बार लगा रहा था. इस मामले में एसडीएम ने एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की और बयान दर्ज किया गया, जहाँ महिला ने पति पर जलाने का आरोप लगाया.''
पुलिस ने बताया कि ख़ुशबू ने जानकारी दी कि उनका पति शादी के गहने की मांग कर रहा था जिसके बाद उनका झगड़ा हुआ.
इसके बाद उनके पति ने थिनर डाल कर जलाने की कोशिश की. जब लोग इकठ्ठा हुए तो पति ने आग बुझाने की कोशिश की जिसमें वो भी थोड़ा जल गया. वहीं परिवार ने दहेज मांगने का भी आरोप लगाया है लेकिन लड़की ने इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा है.
दोनों का इलाज अस्पताल में चल रहा है. ख़ुशबू की हालत स्थिर है.
पुलिस का कहना है कि अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद वीर प्रताप की गिरफ़्तारी की जाएगी.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार साल 2012 में एक लाख पर क़रीब 20 महिलाएँ पति की ओर से की गई क्रूरता का शिकार हुईं.
नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार हर तीन में से एक महिला शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का अनुभव करती है.
ये सर्वे 15-49 साल की महिलाओं में किया गया था.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों की मानें, तो दक्षिण एशिया में भारत चौथा ऐसा देश है, जहाँ महिलाएँ पतियों की हिंसा का अनुभव करती हैं.
ऐसे में भारतीय दंड संहिता में क्या प्रावधान किए गए हैं?
क्या कहता है क़ानून?
एक महिला के साथ घर के अंदर होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा से सुरक्षा के लिए घरेलू हिंसा से महिला सरंक्षण अधिनियम, 2005 लाया गया.
इस क़ानून के अनुसार ये महिला पत्नी, बहन, बेटी, माँ हो सकती है. लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को भी ये अधिकार दिए गए हैं.
ऐसी किसी भी महिला के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, उसके शरीर के अंग या उसे किसी प्रकार की मानसिक क्षति नहीं पहुँचाई जा सकती है.
इस क़ानून में शारीरिक, मानसिक, मौखिक, भावनात्मक, यौन हिंसा को भी शामिल किया गया है.
साथ ही किसी महिला को आर्थिक रूप से भी परेशान नहीं किया जा सकता है.
आर्थिक रूप से परेशान करने का मतलब है कि महिला को घरेलू ख़र्च, स्त्रीधन आदि न देने के लिए परेशान नहीं किया जा सकता है.
एक शादीशुदा महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है.
साथ ही महिला या उनसे संबंध रखने वाले लोगों को अपशब्दों के ज़रिए नहीं डराया जा सकता है.
सेक्शन 498ए
इसके अलावा अगर पति या उसके परिवार के सदस्य महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करते हैं, तो भारतीय दंड संहिता की सेक्शन 498 ए के तहत इसे अपराध बताया गया है.
सेक्शन 498ए में शारीरिक या मानसिक तौर पर दी जाने वाली प्रताड़ना को भी शामिल किया गया है.
हालांकि मैरिटल रेप या शादी में पति द्वारा जबरन बनाए गए शारीरिक संबंध को अभी अपराध नहीं माना गया है, लेकिन इस सेक्शन के अंतर्गत जबरन बनाए गए यौन संबंध को क्रूरता माना गया है.
दहेज निषेध अधिनियम, 1961
ये क़ानून दहेज पर पूरी तरह से रोक लगाता है.
अगर कोई दहेज देता, लेता या उसकी मांग या अप्रत्यक्ष रूप से मांग करता है, तो उसके लिए सज़ा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
ये अधिनियम एक तरह से 498ए का विस्तृत रूप है.
इसमें दहेज के ऐसे मामलों को भी शामिल किया गया था, जो 498ए के दायरे में नहीं आते हैं.
दोषी पाए जाने पर कम से कम छह महीने की सज़ा, जिसे बढ़ाकर दो साल किए जाने का प्रावधान है.
वहीं जुर्माने की रक़म 10 हज़ार रुपए तक हो सकती है.
लेकिन क़ानून की मदद कैसे ले सकती हैं महिलाएँ?
अगर कोई भी महिला इस प्रकार की हिंसा का सामना करती है, तो वो अपने इलाक़े के पुलिस थाने का रुख़ कर सकती है.
पुलिस थाने में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
अगर थाने में आपको कहा जाता है कि उनके थाने के अंतर्गत आपका इलाक़ा नहीं आता है, तो महिलाएँ उन्हें ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज करने के लिए कह सकती हैं.
ज़ीरो एफ़आईआर किसी भी थाने में की जा सकती है और फिर वो उपयुक्त थाने में स्थानांतरित हो जाती है.
अगर आप पुरुष अधिकारी से बात करने में सहज महसूस नहीं कर रही हैं तो आप महिला अधिकारी की मांग कर सकती हैं.
पुलिस आपकी रिपोर्ट/एफ़आईआर दर्ज कर सकती है या ज़िले के सुरक्षा अधिकारी से मिलने में मदद कर सकती है.
इसके अलावा आप अपने इलाक़े की महिला कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकती हैं.
इस कोर्ट में आमतौर पर महिला जज होती हैं और यहाँ दहेज और घरेलू हिंसा के मामले आते हैं.
वहीं आप अपनी एफ़आईआर ऑनलाइन भी दर्ज करा सकती हैं या राष्ट्रीय महिला आयोग की वेबसाइट का भी सहारा ले सकती हैं.
शिकायत दर्ज कराने पर आगे की प्रक्रिया
शिकायत दर्ज करवाने के बाद कोर्ट आपके लिए एक प्रोटेक्शन ऑफ़िसर या सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति करेगा.
वैसे ये अधिकारी आपके घर आकर इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट दर्ज करेगा.
इस रिपोर्ट को सुरक्षा अधिकारी कोर्ट में पेश करेगा.
अगर आप अपना केस लड़ने में खुद सक्षम हैं तो आप वो कर सकती हैं, नहीं तो कोर्ट आपके लिए वकील की नियुक्ति कर सकता है.
इसके बाद कोर्ट आपकी सुरक्षा के लिए आदेश दे सकता है.
अगर इस सुरक्षा आदेश की अवहेलना होती है तो व्यक्ति के ख़िलाफ़ एक साल की सज़ा का प्रावधान किया गया है.
किस महिला पर लागू होगा क़ानून
इस क़ानून का सहारा हर धर्म और जाति से संबंधित महिला ले सकती हैं.
अगर शिकायत दर्ज कराने के बाद आपको घर से निकाले जाने का डर लगता है, तो आप कोर्ट से इस संबंध में ऐसा न करने के लिए अंतरिम आदेश की मांग कर सकती हैं.
वहीं अगर आपको लगता कि शिकायत के बाद आपको आर्थिक तंगी हो सकती है, तो इस सिलसिले में भी आप कोर्ट से जब तक कोर्ट का फैसला न आ जाए, गुज़ारा भत्ता देने के लिए मांग कर सकती हैं.
आपका अगर पति के साथ संयुक्त बैंक अकाउंट है या दोनों के नाम पर संपत्ति है और आपको ये डर है कि पति उसे बेच सकता है तो वो उसे ना बेचे, इसके लिए भी आप कोर्ट से मदद ले सकती हैं.
एक शादीशुदा ज़िंदगी में पति द्वारा पत्नी के साथ जबरन बनाए गए संबंध (मैरिटल रेप) को बलात्कार करार दिए जाने पर याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.
लेकिन घरेलू हिंसा क़ानून के अंतर्गत एक महिला यौन उत्पीड़न की शिकायत कर सकती है.
अगर आप यौन उत्पीड़न की शिकायत करती हैं, तो अदालत ये आदेश दे सकती है कि आपके पति आपसे संपर्क न करें और जिस घर में आप रहती हैं वहाँ जाने से भी मना कर सकती है.
अगर पति इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके लिए एक साल तक की सज़ा का प्रावधान भी किया गया है.
हालांकि कई मामलों में ये समझा जाता है कि अगर महिला घरेलू हिंसा का शिकायत कर रही है, तो तलाक़ लेना चाहती है. (bbc.com/hindi)
अमिता वर्मा
लखनऊ, 14 जनवरी | 2070 तक भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के साथ उपयुक्त आवासों में गिरावट के कारण, भारतीय मैंग्रोव लगभग 50 प्रतिशत कम हो जाएंगे।
मैंग्रोव साल्ट-टोलरेंट पेड़ हैं, जिन्हें हेलोफाइट्स भी कहा जाता है और कठोर तटीय परिस्थितियों में रहने के लिए अनुकूलित होते हैं। उनमें खारे पानी के विसर्जन और तरंग क्रिया से निपटने के लिए एक जटिल नमक निस्पंदन प्रणाली और एक जटिल जड़ प्रणाली होती है।
कई मैंग्रोव वनों को उनकी जड़ों की घनी उलझन से पहचाना जा सकता है, जिससे पेड़ पानी के ऊपर स्टिल्ट पर खड़े दिखाई देते हैं।
लखनऊ में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोसाइंसेज (बीएसआईपी) द्वारा किए गए एक शोध से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय गार्ड के रूप में कार्य करने वाले भारतीय तटों पर मैंग्रोव काफी कम हो गए हैं।
देश के दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में मैंग्रोव, जो चार राज्यों (कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश को कवर करते हैं) सबसे कमजोर स्थिति में होंगे।
ये तटरेखाएं जलमग्न हो जाएंगी और अन्य क्षेत्रों की तुलना में इस क्षेत्र में मैंग्रोव का क्षरण अधिक होगा।
अध्ययन में कहा गया है कि पूर्वी तट के साथ चिल्का और सुंदरबन जैसे कुछ क्षेत्रों और भारत के पश्चिमी तट के साथ द्वारका और पोरबंदर में वर्ष 2070 तक कम कमी और भूमि की ओर बदलाव देखने की संभावना है, क्योंकि बारिश और समुद्र के स्तर में अंतर भारतीय तटरेखा के विभिन्न भागों में परिवर्तन की प्रतिक्रिया है।
बीएसआईपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक ज्योति श्रीवास्तव के नेतृत्व में पांच शोधकर्ताओं की एक टीम ने दो मैंग्रोव प्रजातियों, राइजोफोरा म्यूक्रोनेट और एविसेनिया ऑफिसिनैलिस पर शोध किया, जो भारत के समुद्र तट पर हावी हैं।
यह शोध साइंस जर्नल एल्सेवियर: इकोलॉजिकल इंफॉर्मेटिक्स में प्रकाशित हुआ है।
अनुसंधान का नेतृत्व करने वाली वरिष्ठ वैज्ञानिक ज्योति श्रीवास्तव ने कहा, "हमारे अध्ययन में, हमने दो मैंग्रोव प्रजातियों को लिया जो भारतीय समुद्र तट पर हावी हैं और फिर हमने अतीत, वर्तमान और भविष्य के जलवायु परिवर्तन परि²श्यों में हमारे देश के समुद्र तट पर इन पौधों की प्रजातियों के वितरण का अनुमान लगाया और मैप किया।"
बीएसआईपी टीम ने सबसे पहले सभी उपलब्ध मैंग्रोव जीवाश्म रिकॉर्ड एकत्र किए, जिसमें लगभग 6,000 साल पहले की दो प्रजातियों के पराग रिकॉर्ड का संग्रह शामिल था, यह जानने के लिए कि ये प्रजातियां कैसे जीवित रहीं और इसका वितरण क्या था।
वैज्ञानिकों ने अतीत में इन पौधों के वितरण को पिछले जलवायु डेटा की मदद से मॉडल किया और कई तकनीकों के माध्यम से इसे मान्य किया।
मॉडल प्रक्षेपण और पिछले रिकॉर्ड के माध्यम से, उन्होंने पाया कि दो मैंग्रोव प्रजातियों का भारतीय समुद्र तट में तुलनात्मक रूप से व्यापक वितरण था और वे अच्छी तरह से फल-फूल रहे थे।
इसके बाद, टीम ने इसकी तुलना वर्तमान मैंग्रोव डेटा से की जो गोदावरी, कावेरी और महानदी डेल्टा के साथ मैंग्रोव क्षेत्रों में क्षेत्र सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र किया गया था।
जलवायु परिवर्तन की स्थिति के मद्देनजर वर्तमान और अतीत दोनों के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद, वैज्ञानिक संस्थान ने पाया कि वर्तमान में मैंग्रोव क्षरण बहुत अधिक है।
श्रीवास्तव ने कहा, "अतीत की तुलना में वर्तमान में मैंग्रोव में गिरावट तापमान में वृद्धि के साथ वर्षा में गिरावट के कारण है। तापमान में गिरावट से मैंग्रोव को कमजोर बनाने वाले समुद्र तटों के साथ उच्च खारेपन की स्थिति पैदा हो जाती है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने इन दो मैंग्रोव प्रजातियों को अनुसंधान के लिए लिया क्योंकि वे सबसे प्रमुख प्रजातियों में से हैं जो चक्रवात और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हमारी तटरेखा को नष्ट होने से बचाती हैं। यदि उन्हें कम किया जाता है, तो हमारे तट और तट पर स्थित गांवों की रक्षा करने वाला प्राकृतिक ढांचा बह जाएगा।" (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 14 जनवरी | पिछले साल मई में अपने लिव-इन पार्टनर द्वारा मारी गई श्रद्धा वॉल्कर की हड्डियों को काटने के लिए आरी का इस्तेमाल किया गया था। ऑटोप्सी रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। दिल्ली पुलिस को उसकी 23 हड्डियों की फॉरेंसिक विश्लेषण रिपोर्ट मिल गई है, जो जांच के दौरान बरामद की गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, इसे ऑस्टियोलॉजिकल स्टडी या हड्डी के टुकड़ों का बायोफिजिकल स्टडी कहा जाता है जो ऐसे मामलों में पुलिस की मदद करता है।
रिपोर्ट में पता चला है कि उसकी हड्डियों को आरी और इसी तरह के धारदार हथियार से काटा गया था।
मंगलवार को एम्स में पोस्टमार्टम किया गया।
सूत्र ने कहा, पोस्टमार्टम विश्लेषण ने सुझाव दिया है कि उसकी हड्डियों को आरी की मदद से काटा गया था। अब हम साकेत कोर्ट के समक्ष यह रिपोर्ट पेश करेंगे।
वॉल्कर और आफताब अमीन पूनावाला 2018 में डेटिंग ऐप 'बंबल' के जरिए मिले थे। वे 8 मई को दिल्ली आए थे और 15 मई को छतरपुर इलाके में शिफ्ट हो गए। 18 मई को पूनावाला ने उसकी हत्या कर दी और उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए। 18 दिनों के अंदर उसने उसके शरीर के अंगों को अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया।
वह अमेरिकी क्राइम शो 'डेक्सटर' से प्रेरित था, जो एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो दोहरी जिंदगी जीता है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 14 जनवरी | दिल्ली में जन्मदिन की पार्टी में जश्न के दौरान फायरिंग के दौरान 37 वर्षीय एक व्यक्ति के चेहरे पर गोली लगी। पुलिस के मुताबिक घटना जोनापुर गांव में शुक्रवार रात की है।
प्रमोद के रूप में पहचाने गए घायल व्यक्ति का एम्स में इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने जोनापुर निवासी आरोपी रणपाल उर्फ शूटर को भी गिरफ्तार कर लिया है, जो पहले हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट सहित चार आपराधिक मामलों में शामिल पाया गया था।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण), चंदन चौधरी के अनुसार, फतेहपुर बेरी पुलिस को शुक्रवार की रात गांव में फायरिंग की घटना के बारे में रात 8.24 बजे एक पीसीआर कॉल मिली।
डीसीपी ने बताया, "मौके पर पहुंची पुलिस ने पाया कि दो साल के बच्चे का जन्मदिन मनाने के लिए पार्टी थी और पूरा मोहल्ला उसके घर पर इकट्ठा हो गया था। छत पर कुछ लोग शराब पी रहे थे।
रणपाल ने जश्न में फायरिंग कर दी जिसमें प्रमोद के दाहिने गाल में गोली लग गई।
अधिकारी ने बताया, "घायलों को एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया और मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) एकत्र किया गया। घायलों के बयान पर आईपीसी और आर्म्स एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।" (आईएएनएस)|
जयपुर, 14 जनवरी मकर संक्रांति पर राजस्थान कड़ाके की ठंड की चपेट में है, जहां शुक्रवार रात को फतेहपुर में न्यूनतम तापमान शून्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने यह जानकारी दी।
मौसम विभाग के अनुसार बीते चौबीस घंटे में राज्य में तापमान में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान फतेहपुर सीकर में न्यूनतम तापमान शून्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस नीचे, चूरू में शून्य से 0.7 डिग्री सेल्सियस नीचे और बीकानेर में 1.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
इसी तरह, संगरिया में 2.5 डिग्री, पिलानी में 2.9 डिग्री, सीकर में 3.5 डिग्री, जैसलमेर में 3.9 डिग्री एवं गंगानगर में 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरी हवाओं के प्रभाव से शनिवार से राज्य के अधिकतर इलाकों में एक बार फिर न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होगी व शीतलहर का दौर शुरू होगा। रविवार से शीतलहर की तीव्रता में बढ़ोतरी होने की संभावना है। 15 से 17 जनवरी के दौरान बीकानेर, जयपुर, अजमेर, जोधपुर व भरतपुर संभाग के अधिकतर इलाकों में कहीं शीतलहर तो कहीं तीव्र शीतलहर चलने की प्रबल संभावना है। (भाषा)
भारत कश्मीर में हजारों ग्रामीणों के उस नेटवर्क को दोबारा खड़ा कर रहा है जिन्हें हथियारबंद कर अपने-अपने इलाकों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था. हाल ही में घाटी में सात नागरिकों की हत्या के बाद यह कदम उठाया जा रहा है.
भारतीय अधिकारी कश्मीरी गांवों में हजारों लोगों को ऑटोमेटिक हथियारों से लैस करने की तैयारी कर रहे हैं. इसी महीने की शुरुआत में घाटी में सात आम नागरिकों की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने आम लोगों के एक सुरक्षा नेटवर्क को दोबारा खड़ा करने का फैसला किया है. अधिकारियों ने लगभग 26 हजार ग्रामीणों में विलेज डिफेंस गार्ड्स (VDG) को फिर से सक्रिय कर दिया है, जो बीते कुछ सालों में निष्क्रिय हो गया था.
स्थानीय पुलिस प्रमुख हसीब मुगल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "हम उन वीडीजी को दोबारा संगठित कर रहे हैं जो पहले से ही वहां थे. इलाके में सालों तक हालात सामान्य बने रहने के चलते उसमें ढिलाई आ गई थी. ऐसे हमलों को रोकने के लिए हम उन्हें पुनर्गठित कर रहे हैं और प्रशिक्षित कर रहे हैं. हमने कुछ लोगों को ऑटोमेटिक राइफलें भी दी हैं.”
हिंदुओं पर लगातार हमले
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में उग्रवादियों ने 1 जनवरी को हमला किया था. इस घटना में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के 4 लोगों की मौत हो गई थी और 7 घायल हो गए थे. गोलीबारी अलग-अलग तीन घरों पर की गई थी. पुलिस ने बताया कि राजौरी के डांगरी इलाके में हुई गोलीबारी में एक ही परिवार के सात लोग घायल हुए थे जिनमें एक महिला और एक बच्चा भी शामिल था. बाद में उनमें से चार लोगों ने दम तोड़ दिया. मरने वाले सभी हिंदू समुदाय के लोग थे.
पिछले साल घाटी में रहने वाले हिंदू परिवारों पर लगातार हमले होते रहे थे. दिसंबर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया था कि 2020 से 2022 के बीच तीन साल में नौ कश्मीरी पंडितों की मौत हुई थी. मरने वालों में कई ऐसे कश्मीरी पंडित थे जो प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत घाटी में काम कर रहे 56 कर्मचारियों में शामिल थे.
प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत इन 56 कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाया गया और वहां काम दिया गया. यह भारत सरकार की उन कश्मीरी पंडित परिवारों को वापस लाने की कोशिशों का हिस्सा है, जो 1990 के दशक में आतंकवाद के डर से राज्य छोड़कर चले गए थे. इन परिवारों की वापसी के लिए 19 जगहों पर 6,000 फ्लैट बनाए गए हैं. हालांकि पिछले साल एक के बाद एक कई हत्याएंहोने के बाद से ये कश्मीरी पंडित घाटी से बाहर कहीं और बसाए जाने की मांग कर रहे हैं.
लोगों को हथियार देना कितना सही?
1 जनवरी को राजौरी में हुई घटना के बाद अधिकारियों में इस बात की चिंता बढ़ी है कि उग्रवादी कश्मीर घाटी के बाहर जम्मू इलाके में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा सकते हैं.एक अधिकारी के मुताबिक इसकी वजह यह भी हो सकती है कि कश्मीर घाटी में सेना की भारी तैनाती के कारण उग्रवादी गतिविधियों को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं. इसी के चलते वीडीजी नेटवर्क को फिर से तैयार किया जा रहा है.
जम्मू के डोडा जिले में एक वीडीजी बसंत राज ठाकुर कहते हैं कि लोगों को बोल्ट-एक्शन राइफल की जगह ऑटोमेटिक हथियार देना सही कदम है. ठाकुर ने बताया, "जिस तरह हालात बदल रहे हैं, उन्हें और ज्यादा ऐसे हथियार देने चाहिए और ट्रेनिंग भी देनी चाहिए.” वीडीजी सुरक्षाकर्मियों को स्थानीय प्रशासन से चार हजार रुपये मासिक का भत्ता भी मिलता है. हालांकि कुछ वीडीजी कर्मियों पर अपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लगते रहे हैं. इसलिए उन्हें पुनर्गठित करने का स्थानीय नेताओं में विरोध भी हो रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा, "सीमावर्ती जिलों में स्थानीय लोगों के हाथों में हथियार देने का कदम सरकार के उस दावे को गलत साबित करता है कि इलाके में हालात सामान्य हैं.” शुक्रवार को भारत के गृह मंत्री अमित शाह राज्य का दौरा करने वाले हैं जहां वे राजौरी में मारे गए लोगों के परिजनों से भी मिलेंगे.
वीके/एमजे (रॉयटर्स)