राष्ट्रीय
गांधीनगर, 21 दिसम्बर | गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बुधवार को राज्य में कोविड-19 की तैयारियों की समीक्षा की और अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर विदेशी आगमन की जांच बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने यहां विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता की, जहां मंत्री को राज्य की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी गई।
पटेल ने आवश्यकता पड़ने पर 'ट्रिपल टी' ²ष्टिकोण - ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट का पालन करने का भी निर्देश दिया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) मनोज अग्रवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को कहा जा रहा है कि वे दवाइयां और टीकों का पर्याप्त स्टॉक तैयार रखें, साथ ही जो ऑक्सीजन प्लांट लगे हैं, उनका परीक्षण करके उन्हें तैयार रखा जाए।
विभाग के मंगलवार के बुलेटिन के अनुसार, राज्य में 20 सक्रिय कोविड मामले हैं और उनकी स्थिति स्थिर है।
मंगलवार को दो नए मामले सामने आए और छह मरीजों को छुट्टी दे दी गई।
मार्च 2020 में पहला मामला सामने आने के बाद से अब तक राज्य में 12,66,452 मरीजों का इलाज किया गया और उन्हें छुट्टी दे दी गई।
अब तक, राज्य में वायरस के कारण कुल 11,043 लोगों की मौत हो चुकी है।
मंगलवार को 3,030 व्यक्तियों को टीका लगाया गया, जिससे कुल संख्या 12,77,27,843 हो गई। (आईएएनएस)|
हैदराबाद, 21 दिसम्बर | तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू बुधवार शाम एक जनसभा को संबोधित करने के लिए हैदराबाद से एक विशाल काफिले में खम्मम शहर के लिए रवाना हुए। नायडू ने टीडीपी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री एन.टी. रामा राव बेगमपेट के रसूलपुरा में उनकी प्रतिमा पर नायडू के साथ बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता थे, जो सड़क मार्ग से खम्मम पहुंचेंगे।
2018 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद तेलंगाना में नायडू द्वारा संबोधित की जाने वाली यह पहली जनसभा होगी।
बैठक को तेलंगाना में पार्टी को पुनर्जीवित करने के नायडू के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। पिछले साल इसके दोनों विधायकों के भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल होने के बाद से पार्टी राज्य में निष्क्रिय हो गई थी।
टीडीपी ने 2018 के चुनावों में 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा में केवल दो सीटें जीती थीं। पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और खम्मम जिले में अश्वारोपेटा और सत्तुपल्ली विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।
जैसा कि टीडीपी का अभी भी खम्मम जिले में काफी समर्थन माना जाता है, नायडू ने पार्टी को पुनर्जीवित करने के अपने प्रयासों को शुरू करने के लिए वहां जनसभा आयोजित करने का फैसला किया।
पिछले महीने कासनी ज्ञानेश्वर को टीडीपी की तेलंगाना इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
खम्मम में टीडीपी ने सरदार पटेल स्टेडियम में जनसभा के लिए बड़े पैमाने पर इंतजाम किए हैं। पार्टी कार्यकर्ता बाइक रैली निकालकर नायडू का स्वागत करेंगे। शहर भर में होडिर्ंग्स, फ्लेक्सिस और बैनर लगाए गए हैं।
टीडीपी जनसभा के लिए संयुक्त खम्मम जिले के 10 निर्वाचन क्षेत्रों सहित 25 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को लामबंद कर रही है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) में केंद्र और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बीएआरसी) से जवाब मांगा है, जिसमें टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट पर आंकड़ों के लिए जिम्मेदार निकाय के सरकारी अधिग्रहण की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी), खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (एमईआईटीवाई), भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से छह सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 28 अप्रैल, 2023 को सूचीबद्ध किया।
ट्रस्ट वेटरन्स फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ द्वारा दायर जनहित याचिका में बीआईएस अधिनियम, 2016 के सख्त कार्यान्वयन और अनुपालन की भी मांग की गई है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञापन और टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट के क्षेत्र में विभिन्न प्रक्रियाओं और सेवाओं के लिए मानक विकसित करने के लिए एक राष्ट्रीय निकाय की स्थापना करता है।
याचिका में कहा गया है, कई निकायों द्वारा किए गए ये कार्य अराजकता, आक्षेप और भ्रष्टाचार का कारण बन रहे हैं, जो बड़े पैमाने पर दर्शकों को प्रभावित कर रहे हैं। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक संबोधन में बुधवार को राहुल गांधी ने कहा कि हम नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने निकले हैं। जब भी ये लोग देश में नफरत और हिंसा फैलाने की कोशिश करते हैं, हमारी विचारधारा के लोग बाहर निकलकर देश में मोहब्बत फैलाना शुरू कर देते हैं। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि "किसी ने आज मुझसे कहा आप देश के तपस्वी हो तो, मैं कहता हूं कि मैं कोई तपस्वी नहीं हूं। मुझसे बड़े तपस्वी वह लोग हैं, जो हर लोग रोज सुबह 4:00 बजे उठकर मजदूरी के लिए निकलते हैं, खेतों में काम करते हैं।"
"मैंने कोई बड़ा काम नहीं किया है कि हम कन्याकुमारी से कश्मीर चल दिए। इससे कई ज्यादा बड़ा काम हर रोज इस देश के गरीब लोग, किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार सब करते हैं।"
आगे राहुल गांधी ने कहा, "मैं हर पार्टी की बात कर रहा हूं। आजकल नेताओं के बीच में और जनता के बीच में खाई बन गई है। नेता सोचते हैं कि जनता को उनके भाषण सुनने की आदत बन गई है। और घंटों लंबे भाषण देते हैं, इस यात्रा ने उसको बदलने की कोशिश की है, 7-8 घंटे हम चलते हैं। और हमारे सारे के सारे नेता किसानों की, मजदूरों की, गरीबों की, छोटे दुकानदारों की, सब की बात सुनते हैं। और 7-8 घंटे चलने के बाद सब से मिलते हुए सब की बात सुनने के बाद हम 15 मिनट भाषण देते हैं।"
"मुझे यह सुनकर बड़ी खुशी हुई है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री राजस्थान के पीसीसी प्रेसिडेंट ने यह निर्णय लिया है कि महीने में एक बार राजस्थान की कैबिनेट राजस्थान के सब नेता 15 किलोमीटर चलकर जनता के बीच में जाकर उनकी बात सुनकर जनता के लिए काम करेंगे । और मैं कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी से कहूंगा कि जहां भी हमारी सरकार है। हमारे कैबिनेट को हमारे विधायकों को हमारे नेताओं को महीने में कम से कम एक दिन सड़कों पर निकल कर चलना चाहिए, धक्के खाना चाहिए, गिरना चाहिए अपने घुटने छिलवाना चाहिए। जनता से मिलकर जनता की बात सुनना चाहिए।" (आईएएनएस)|
कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं के सुचारू होने का युवाओं और खासकर महिलाओं को खूब फायदा हुआ है. नये स्टार्टअप शुरू हुए हैं और विकास की राहें खुली हैं.
भारतीय फैशन डिजाइनर सायरा त्रांबू का सपना था कि एक दिन उनका अपना ऑनलाइन ब्रैंड होगा. इंटरनेट के लगातार बंद होते रहने के कारण उनका यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा था क्योंकि कश्मीर में भारतीय अधिकारी अक्सर इंटरनेट बंद कर देते हैं. आखिरकार पिछले साल जब भरोसेमंद और तेज रफ्तार इंटरनेट कनेक्शन स्थापित हुआ तो त्रांबू ने अपने डिजाइन इंस्टाग्राम पर बेचने शुरू किए. यह उन कई स्टार्टअप कंपनियों में से एक है, जो भारतीय कश्मीर में महिलाओं द्वारा इंटरनेट की उपलब्धता के कारण शुरू किए गए हैं.
27 वर्षीय त्रांबू बताती हैं, "मेरे लिए तो इंटरनेट का मतलब ही जीवन है. इससे ना सिर्फ मुझे आत्मनिर्भर होने और अच्छा पैसा कमाने में मदद मिली है, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार के मौके भी पैदा हुए हैं.” त्रांबू के वर्चुअल स्टोर पर 40 हजार फॉलोअर्स हैं. उनके यहां तीन महिलाएं काम करती हैं जो पारंपरिक कढ़ाई आदि का काम करती हैं.
जब इंटरनेट नहीं था
2019 में भारत ने संविधान में बदलाव कर कश्मीर की स्वायत्तता खत्म कर दी थी और उसे दो संघीय क्षेत्रों में बांट दिया गया है. इसके फलस्वरूप विशाल विरोध प्रदर्शन हुए जिन्हें दबाने के लिए सरकार ने इलाके में संचार सुविधाएं बंद कर दीं. फरवरी 2021 तक इंटरनेट सुविधाएं लगभग पूरी तरह बंद रहीं. उसके बाद 4जी मोबाइल डाटा सेवाएं शुरू की गईं. समाजसेवी संस्था सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर के मुताबिक 2017 के बाद से 2022 में इंटरनेट बंद करने की सबसे कम घटनाएं हुई हैं.
भारतीय कश्मीर में बेहतर इंटरनेट सेवाओं का लाभ उन स्थानीय युवाओं को हुआ है जो सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स में सक्रिय हैं. इनमें बहुत सी महिलाएं हैं जिनके पास पहले घर से बाहर निकलने की वजह से काम करने के मौके कम थे. इन स्टार्टअप कंपनियों को निवेशक भी मिल रहे हैं.
कश्मीर की पहली स्थानीय कूरियर कंपनी फास्टबीटल एक ऐप के जरिए अपना काम करती है. इसे 31 वर्षीय शेख समीउल्लाह ने शुरू किया है. वह बताते हैं, "हमें कर्फ्यू और बर्फ की आदत है. हम उग्रवाद और गोलीबारी के बीच बड़े हुए हैं. इंटरनेट हमारे व्यापार के लिए ऑक्सीजन है.”
बेहतर हुई स्थिति
इस साल कश्मीर में 1.6 करोड़ पर्यटक आए हैं जो 1947 में भारत के आजाद होने के बाद से सबसे ज्यादा है. कोविड महामारी की पाबंदियां खत्म होने से और घाटी में हालात सामान्य होने से पर्यटन बढ़ा है लेकिन इलाके में रोजगार की स्थिति अब भी बहुत अच्छी नहीं है. थिंकटैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक वहां बेरोजगारी दर 24 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है. इसकी एक बड़ी वजह निजी उद्योगों का ना होना मानी जाती है.
स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशक और उद्योगपति कहते हैं कि क्षेत्रीय भौगोलिक स्थिति तो एक चुनौती है ही, लेकिन इंटरनेट की स्थिति बेहतर होने से अब संभावनाएं सुधरी हैं.
जरीन नाम से फूड बिजनेस करने वाले 25 साल के सैयद फाएज कादरी कहते हैं, "हैदराबाद और बेंगलुरू जैसी जगहों पर स्टार्टअप खुल रहे हैं लेकिन हिमालयी क्षेत्रों में चुनौतियों को पहचानने और हल करने के लिए हिम्मत चाहिए.”
कादरी की कंपनी स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करती है. वह जाफरान को देशभर के रेस्तराओं और ई-कॉमर्स उद्योगों को सप्लाई करते हैं. वह कहते हैं कि उग्रवादियों से मुठभेड़ों से लेकर उत्पादों को ताजा रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं की कमी जैसे चुनौतियों से उन्हें दो-चार होना पड़ता है.
सबको फायदा
इंटरनेट की सुविधा से जरीन के संस्थापकों को इतना फायदा हुआ कि वे कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन में काम करते रहे और नये ग्राहकों को आकर्षित करने में सफल रहे. जैसे ही परिवहन पर लगीं पाबंदियां हटीं, वे अपना पहला ऑर्डर सप्लाई करने को तैयार थे.
उद्योग और निवेशक दोनों ही कहते हैं कि नये स्टार्टअप नयी नौकरियां पैदा कर रहे हैं. वे उनके उत्पादों के लिए नये बाजार खोज रहे हैं और विवादों से घिरे क्षेत्र में विकास की राह खोल रहे हैं. फास्टबील के 1,200 से ज्यादा ग्राहक हैं. इनमें से बहुत सी महिलाएं हैं जो ऑनलाइन अपने उत्पाद बेच रही हैं. अगर पहाड़ों में उन्हें अच्छी इंटरनेट सेवा ना मिले कूरियर्स को अपनी जगहों तक पहुंचने में मुश्किल होती है और तब अक्सर पार्सल दफ्तर लौट आते हैं.
इसका हल यह निकाला गया कि 4जी ऐप को बदलकर 2जी कर दिया गया जो अब बिना इंटरनेट के भी काम करती है. समीउल्लाह कहते हैं, "हम इंटरनेट से चलने वाली एक ऐसी कंपनी के जरिए पैसा बना रहे हैं, जो उस इलाके में काम करती है जहां इंटरनेट ऊपर-नीचे होता रहता है. इससे लोगों को भरोसा हुआ है कि अगर हम निवेश पा सकते हैं, तो उन्हें भी निवेश मिल सकता है.”
वीके/एनआर (रॉयटर्स)
भारत में विदेश जाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और साथ ही बढ़ रहे हैं वीजा चाहने वाले. ऐसे में तमिलनाडु के वीजा मंदिर की प्रसिद्धि और मान्यता भी बढ़ती जा रही है.
अर्जुन विश्वनाथन हाथ जोड़े मंदिर में खड़े हैं. सामने गणेश की मूर्ति है जिसे विश्वनाथन एकटक निहार रहे हैं. मन में एक ही प्रार्थना उमड़-घुमड़ रही है. अमेरिका का वीजा लग जाए. अगले ही दिन उनका अमेरिकी दूतावास में इंटरव्यू था. मंदिर में विश्वनाथन जैसे लोगों की भीड़ लगी है. सभी के मन में एक ही प्रार्थना है, वीजा. किसी को अमेरिका का वीजा चाहिए तो कोई ब्रिटेन जाने को बेकरार है.
समाचार एजेंसी एपी से बातचीत में विश्वानाथन बताते हैं, "10 साल पहले मैं यहां अपने भाई के वीजा के लिए प्रार्थना करने आया था जब उसे यूके जाना था. दो साल पहले मैंने अपनी पत्नी के अमेरिका वीजा के लिए प्रार्थना की थी. उन दोनों को वीजा मिल गया था. इसलिए मेरी यहां पूरी आस्था है.”
श्रीलक्ष्मी वीजा गणपति मंदिर चेन्नई के हवाई अड्डे के पास ही है. वीजा मंदिर के नाम से मशहूर इस प्रार्थनाघर की आस्था पूरे दक्षिण भारत में से कहीं दूर-दूर तक है. पिछले एक दशक में इसकी मान्यता और बढ़ी है, क्योंकि विदेश जाने वालों की तादाद लगातार बढ़ी है. छोटा या बड़ा, देश का शायद ही कोई ऐसा शहर हो जहां किसी ना किसी देश का वीजा पाने की कोशिश में लगे लोग ना हों.
वीजा पाने की उम्मीद लगाये लोगों के बीच वीजा मंदिर की मान्यता बढ़ती जा रही है जिसमें सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रही है. गणपति वीजा मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा नवनीत कृष्णन मंदिर है. वहां एक हनुमान मूर्ति है. लोग मानते हैं कि यहां के हनुमान में वीजा दिलाने की ताकत है. इसलिए लोग इसे अमेरिका आंजनेय और वीजा आंजनेय भी कहते हैं.
दूर-दूर से आते लोग
मंदिर के सचिव जीसी श्रीनिवासन कहते हैं कि मंदिर को वीजा मंदिर के रूप में प्रसिद्धि 2016 के बाद मिली है. वह बताते हैं, "उस दौरान कुछ लोगों ने वीजा के लिए प्रार्थना की और सफल हो गए. फिर उन्होंने बात फैला दी और मंदिर की प्रसिद्धि मिल गई.”
श्रीनिवासन कहते हैं कि महीनाभर पहले उन्हें कोई मिला था जिसे उसके वीजा मिलने की खबर ही तब मिली, जब वह वीजा आंजनेय की परिक्रमा कर रहा था. एक अन्य श्रद्धालु वीजा एस प्रदीप तो वीजा की प्रार्थना के लिए नहीं आये हैं लेकिन उन्हें आंजनेय की वीजा संबंधी ताकतों पर पूरा विश्वास है. वह कहते हैं, "वह मेरे अराध्य देव हैं. अगर आप वीजा के लिए नहीं बल्कि पूरी श्रद्धा से प्रार्थना करें तो आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी.”
उधर गणेश मंदिर के पास कई श्रद्धालुओं के पास इच्छाएं पूरी होने की कहानियां हैं. ज्योति बोंठा कहती हैं कि अमेरिकी दूतावास में उनका इंटरव्यू बिना किसी परेशानी के हो गया, इसलिए वह धन्यवाद देने आई हैं. वह बताती हैं, "उन्होंने मुश्किल से एक-दो सवाल पूछे. मुझे तो बड़ी हैरत हुई.”
बोंठा की दोस्त फणी वीरांकी हालांकि थोड़ी बेचैन हैं. उनके हाथों में दस्तावेजों की फाइल है. आंध्र प्रदेश की रहने वालीं दोनों सहेलियां कंप्यूटर साइंस की छात्राएं हैं और ओहायो जाना चाहती हैं. वीरांकी का इंटरव्यू होना है और वह सफलता के लिए प्रार्थना करने आई हैं. दोनों को वीजा मंदिर के बारे में टेलीग्राम ऐप से पता चला था.
वीरांकी कहती हैं कि उनकी वीजा अर्जी पर बहुत कुछ दांव पर है. वह बताती हैं, "अपने परिवार में मैं पहली व्यक्ति हूं जो अमेरिका जाएगी. मेरी मां तो मुझे भेजने से डर रही हैं. लेकिन मैं अमेरिका में मिलने वाले मौकों को लेकर बहुत उत्साहित हूं.”
अपने दस्तावेजों का लिफाफा पुजारी को देते हुए वीरांकी बताती हैं कि बहुत सारी अर्जियां खारिज होती हैं, इसलिए वह परेशान हैं. वीजा मिल गया तो अमेरिका जाने के बाद दोनों सहेलियां नियाग्रा फॉल्स देखना चाहती हैं. बोंठा कहती हैं, "नियाग्रा फॉल्स देखने की मेरी हमेशा से बहुत इच्छा है.”
25 साल पुराना मंदिर
वीजा मंदिर को मोहनबाबू जगन्नाथ और उनकी पत्नी संगीता चलाते हैं. इस मंदिर को जगन्नाथ के दादा ने 1987 में बनाया था. उनका घर बंद गली का आखरी मकान है. बहुत सारी संस्कृतियों में बंद गली का आखरी मकान होना अशुभ माना जाता है. हालांकि चेन्नई में लोग मानते हैं कि गणेश मंदिर में अशुभ का प्रभाव खत्म कर देने की शक्ति है.
जगन्नाथ बताते हैं कि पहले उनके मंदिर में सिर्फ पड़ोसी आते थे. वह कहते हैं, "बीते कुछ सालों में मंदिर को यह प्रसिद्धि मिलनी शुरू हुई. बहुत सारे वीजा पाने के इच्छुक लोग यहां आए और सफल होने के बाद उन्होंने इसके बारे में बात फैलाई.”
2009 में जगन्नाथ के पिता राधाकृष्णन ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और उसके नाम में वीजा जोड़ दिया. जगन्नाथ बताते हैं कि लोगों की सफलताओं की कहानियां दिल को छू लेने वाली हैं. कई बार तो लोग उनके घर इस बात का शुक्रिया अदा करने आते हैं कि उन्होंने मंदिर को चालू रखा है.
वह बताते हैं, "मुझे कभी इससे परेशानी नहीं होती. हम इसे लोगों की सेवा मानते हैं. लोगों को खुश देखने में आनंद आता है. जब वे सफल होकर लौटते हैं और अपनी कहानियां बताते हैं तो अच्छा लगता है.”
उनकी पत्नी बताती हैं एक महिला तो हजारों किलोमीटर दूर दिल्ली से प्रार्थना करने आई थी क्योंकि वह अमेरिका जाना चाहती थी और अपने पोते से मिलना चाहती थी. संगीता बताती हैं कि उनकी वीजा अर्जी अस्वीकार हो गई. वह कहती हैं, "बेशक, कुछ लोगों को सफलता नहीं मिलती. कारण तो भगवान ही जानते हैं.”
‘विश्वास की बात है'
पद्मा कानन अपनी बेटी मोनीषा को लेकर आई थीं, जो क्लार्क यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए तैयारी कर रही थीं. कानन मानती हैं कि उनकी बेटी को वीजा मंदिर की वजह से मिला. वह कहती हैं, "मुझे इस मंदिर के बारे मे पता गूगल से चला था. मुझे अपनी बेटी के लिए इतनी फिक्र हो रही थी कि मैंने यहां प्रार्थना की. हम अपने बच्चों के लिए प्रार्थनाएं करते हैं और उनके काम बन जाते हैं.”
विश्वनाथन कहते हैं कि वह आमतौर पर इन बातों में यकीन नहीं रखते और दस साल पहल जब उनके भाई को ब्रिटेन का वीजा मिला तो उन्होंने इसे संयोग ही माना था. परंतु जब उनकी पत्नी को अमेरिका का वीजा मिला तो उनकी भी मान्यता हो गई.
मंदिर में पूजा करने के अगले दिन विश्वनाथन को वीजा मिल गया. अब वह न्यू हैंपशर जाने की तैयारी कर रहे हैं. वह कहते हैं, "यह सब विश्वास की बात है. अगर आप विश्वास करते हैं तो सफलता मिल जाती है.”
वीके/एनआर (एपी)
भारत के रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने की प्रक्रिया यानी डॉलर और अन्य बड़ी मुद्राओं की जगह रुपया इस्तेमाल करने का तरीका अन्य कई देशों को भा रहा है. दुनिया के कई देशों ने इस संबंध में भारत से संपर्क किया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
ताजिकिस्तान, क्यूबा, लग्जमबर्ग और सूडान समेत कई देशों ने भारत से यह जानने के लिए बातचीत शुरू की है कि वह डॉलर या दूसरी बड़ी मुद्राओं को छोड़ भारतीय करंसी में अंतरराष्ट्रीय लेनदेन कैसे कर रहा है. समाचार एजेंस रॉयटर्स ने कम से कम दो आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. जब यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर रूस पर वित्तीय प्रतिबंध लगे थे, तब रूस और भारत ने इस प्रक्रिया से ही कारोबार शुरू किया था.
भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई में यह प्रक्रिया शुरू की थी. उद्योग जगत की एक हस्ती के हवाले से रॉयटर्स ने लिखा है कि अब भारत सरकार ऐसे देशों को भी इस प्रक्रिया के तहत लाने की कोशिश कर रही है जिनके पास डॉलर यानी अमेरिकी मुद्रा की कमी है. इस व्यक्ति ने अपना नाम प्रकाशित ना करने के आग्रह पर यह सूचना दी क्योंकि मामला अभी गोपनीय है. भारतीय वित्त मंत्रालय और आरबीआई ने इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दिए.
रॉयटर्स के देखे दस्तावेजों के मुताबिक कम से कम चार देशों ने भारत में रुपये में खाता खोलने में दिलचस्पी दिखाई है. इन खातों को वोस्तरो अकाउंट कहा जाता है. हालांकि भारत के बैंकों ने अभी उन देशों को ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं. इन खातों को खोलने के लिए रिजर्व बैंक से इजाजत लेनी होती है.
कई और देश इच्छुक
मॉरिशस और श्रीलंका ने भी इस प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाई है. उनके वोस्तरो खातों को तो रिजर्व बैंक ने मंजूरी भी दे दी है. दस्तावेजों के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 वोस्तरो खाते मंजूर किए हैं, जो रूस के साथ रुपये में कारोबार के लिए खोले गये हैं. छह अन्य खाते श्रीलंका और मॉरिशस के लिए हैं. इनमें से श्रीलंका के लिए पांच खाते हैं.
भारत कई अन्य बड़े व्यापारिक साझीदारों के साथ भी डॉलर की जगह रुपये में व्यापार करने की कोशिश कर रहा है. इनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं जिनसे भारत बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक यूएई और भारत के केंद्रीय बैंक रुपया-दिरहम व्यापार व्यवस्था के लिए प्रक्रिया स्थापित करने पर बातचीत कर रहे हैं. सऊदी अरब के साथ रुपया-रियाल व्यापार प्रक्रिया की भी तैयारी की जा रही है.
अधिकारी के मुताबिक यूएई और सऊदी अरब अपने निर्यात से मिलने वाले भारतीय रुपये को भारत में ही निवेश करने के तरीकों पर भी बातचीत कर रहे हैं. इस अधिकारी ने कहा, "हमने अतिरिक्त रुपयों को भारतीय बाजारों में निवेश करने का विकल्प पेश किया है.”
कैसे काम करती है व्यवस्था
इसी साल भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय मुद्रा में उपलब्ध किसी भी संपत्ति को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की इजाजत दे दी थी. आरबीआई ने मार्च में ही भारतीय व्यापारियों को रूस के साथ रुपये में कारोबार करने की इजाजत दे दी थी. भारतीय मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने से भारत को अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी और वह उन देशों के साथ भी व्यापार कर सकता है जिन पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रतिबंध लगे हैं. मसलन, रूस से तेल खरीदने के लिए भारतीय व्यापारियों ने रुपये में भुगतान किया. इससे भारत कम दाम में तेल खरीद पाया.
इस व्यवस्था के तहत आयात और निर्यात करने वाले व्यापारी एक विशेष वोस्तरो खाता खोलते हैं, जो साझीदार देश के किसी बैंक के साथ जुड़ा होता है. वोस्तरो खाता साझीदार देश का बैंक भारत में किसी बैंक में खोलता है. व्यापारी को जितना भुगतान करना होता है, वह इस खाते में रुपयों में जमा कर देता है. उस रुपये को साझीदार देश किसी से भी रुपये में कारोबार करने में इस्तेमाल कर सकता है. (dw.com)
घरों से घूम घूम कर कपड़े इकट्ठा करने वाले और उसके बदले बर्तन या कोई अन्य सामान देने वाले आपको याद होंगे. कभी सोचा है वे कार्बन उत्सर्जन को घटाने और संसाधनों की बर्बादी को कम करने में अहम योगदान दे रहे हैं.
लीला वनोदिया 30 साल से मुंबई में लोगों के घर घर जाकर पुराने कपड़े जमा करती हैं. लीला का संबंध, उत्तरी गुजरात की घुमंतू जनजाति-वाघरी से है, जो लंबे समय तक सामाजिक भेदभाव की शिकार रही है. इस समुदाय के लोगों की रोजी-रोटी का आधार पुराने कपड़े हैं. वे पुराने कपड़ों के बदले लोगों को नए बर्तन, प्लास्टिक का सामान या नकदी देते हैं. और फिर इन कपड़ों को आगे बेच देते हैं. लीला बताती है कि वह इन कपड़ों को करीब 10 रुपये में खरीदती हैं और उसे धो कर और आयरन कर 20 से 30 रुपये में बेच देती है.
वाघरी लोग, जमा किए कपड़ों को मुंबई के उपनगरीय बाजार में बेच आते हैं. यह एक फुटपाथ बाजार है. उन कपड़ों को खरीद कर, व्यापारी उसे दूर-दराज के गांवों में बेचते हैं, उन जगहों पर, जहां लोगों के पास नए कपड़े खरीदने को अक्सर पैसे नहीं होते. हर महीने इस तरह के एक बाजार से ही लगभग 40 टन कपड़े देहाती इलाकों मे जाते हैं. जो माल बचता है वो ज्यादातर फटे कपड़े और चीथड़े होते हैं. उन्हें वजन के हिसाब से रद्दीवालों को बेच दिया जाता है. फैक्ट्रियां वो माल खरीदकर, कार की सीटों या गद्दियों की भराई के काम में लाती हैं.
सर्कुलर अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका
वाघरी जैसे समुदाय सर्कुलर इकोनमी में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इसीलिए एक सामाजिक उद्यम, बॉम्बे रिसाइक्लिंग कंसर्न उनकी मदद कर रहा है. कंपनी के संस्थापक विनोद निंद्रोजिया का कहना है कि एक बाजार में ही वाघरी लोग 5 से 6 टन कपड़ा लाते हैं और इस तरह कार्बन डाईऑक्साइड कम करने में मदद करते हैं. ये कपड़े यदि रद्दी में फेंक दिए जाएं तो उन्हें गलने में सालों लगेंगे. भारत में हर साल कपड़े का करीब 80 लाख टन कचरा निकलता है. अक्सर, उन्हें कूड़ाघरों में या यूं ही कहीं भी फेंक दिया जाता है.
पिछले 15 सालों में दुनिया भर में, कपड़ा उत्पादन दोगुना हुआ है. फास्ट फैशन अभी भी लोगों की, इस्तेमाल करो और फेंको की आदत को बढ़ावा दे रहा है. इसीलिए कपड़े ज्यादा नहीं पहने जा रहे हैं. जल्दी फेंक दिए जाते हैं. कपड़ों को पहने जाने की दर पिछले दो दशकों में करीब 40 फीसदी तक गिरी है. फैशन उद्योग बेशक आर्थिक वृद्धि के विकास में मददगार है लेकिन वो संसाधनों का बड़े पैमाने पर दोहन कर रहा है. फैशन रिवोल्यूशन इंडिया की श्रुति सिंह का कहना है, "फैशन इंडस्ट्री में कल्पना से कहीं ज्यादा, पानी इस्तेमाल होता है. 93 अरब मीट्रिक क्यूब. इतना पानी एक साल में 50 लाख लोगों के पीने के काम आ सकता है."
इतना सारा पानी फैशन के लिए बर्बाद किया जा रहा है. इस बर्बादी को बचाने का एक रास्ता है कपड़ों का दोबारा इस्तेमाल. इसीलिए सेकेंड हैंड कपड़ों का ग्लोबल बाजार फलफूल रहा है. भारत में ये बाजार अभी शुरुआत में ही है. इसकी बड़ी वजह है, पुराने सेकेंड हैंड कपड़ों को पहनने से जुड़ी हिचक. लेकिन शहरों में युवा खरीदार, फास्ट फैशन के टिकाऊ विकल्पों पर जोर दे रहे हैं और उन्होंने पहने हुए कपड़ों को अपनाना शुरू कर दिया है.
फिर लौटकर आ रहे पुराने कपड़े
गांवों में पहले भी ऐसा होता था कि बड़ी बहन के कपड़े छोटी बहन पहनती थी और बड़े भाइयों के कपड़े छोटे भाई. देश के शहरी इलाकों में भी किफायत की नई संस्कृति पैदा हो रही है. बढ़ती मांग ने दुकानों को सेकेंड हैंड कपड़ों और दूसरे पुराने सामान से भर दिया है.
किफायती स्टोरों की बढ़ती मांग
स्टाइलिस्ट और फैशन डिजाइनर अमित दिवेकर बांद्रा के एक किफायती स्टोर में नियमित रूप से आते हैं. वे कहते हैं, "हम सब लोग सस्टेनेबिलिटी का रुख कर रहे हैं, फैशन में इस चीज़ की इस समय काफी मांग है. इसीलिए माल को रिसाइकिल करना सही है. अपने संसाधनों को बर्बाद कर हमेशा नया माल का उत्पादन सही नहीं है." 2019 में खुले बॉम्बे क्लोजेट क्लींस में लोग नकदी के बदले अपने कपड़े बेच सकते हैं. कंपनी की संस्थापक सना खान का कहना है, "जो लोग यहां आते हैं, वे ऐसे लोग नहीं है जो नए कपड़े नहीं खरीद सकते. वे ऐसा इसलिए कर रहे है क्योंकि ये लाइफस्टाइल चेंज है." अनुमान है कि, रीसेल बाजार अगले कुछ बरसों में ई-कॉमर्स बाजार से आगे निकल सकता है.
भारत के फैशन ब्रांड्स को सेकेंड हैंड सेगमेंट की ओर मोड़ने में मदद करने वालों में रीलव जैसे प्लेटफॉर्म हैं. ये एक सर्कुलर टेक प्लेटफॉर्म है जिसे कीर्ति पूनिया और प्रतीक गुप्ता ने बनाया है. इसकी मदद से ब्रांड अपनी ही वेबसाइटों पर अपने उत्पादों को फिर से बेच सकते हैं. कीर्ति पूनिया बहुत उत्साहित हैं, "अगर आप पिछले साल जनवरी में इंस्टाग्राम पर #thriftindia देखें तो चार लाख पोस्ट थीं. अभी सात लाख हैं. जनवरी से अब तक ग्रोथ ही हुई है."
कुछ किफायती स्टोर अपनी वैल्यू चेन में महिलाओं को लाने की कोशिश कर रहे हैं. वे सीधे महिलाओं से अपने ग्राहकों की पसंद का माल खरीद लेते हैं. महिलाओं के लाए पारंपरिक कपड़ों की बिक्री के लिए भी वो वन स्टॉप कलेक्शन पॉइंट की तरह हैं. इस मॉडल को अगर आगे बढ़ाया जाए, तो यह वाघरी लोगों की एक बड़ी चुनौती से निपटने में काम आ सकता है. फिर लीला जैसी महिलाओं को दिन भर सड़कों पर यूं भटकना नहीं पड़ेगा. उनके कारोबार को संगठित करने के कदम उठाए जाएं तो भारत, 36 अरब डॉलर की कीमत वाले, दुनिया के सेकेंड हैंड मार्केट में अपनी भागीदारी बढ़ा सकता है. और अर्बन रीसाइक्लिंग में कीमती योगदान करने वाले वाघरी समुदाय को भी मान्यता मिल सकती है. (dw.com)
चार साल की लचर बहस और खींचतान के बाद आखिर 190 से ज्यादा देश चीन की मध्यस्थता में उस करार के लिए तैयार हो गये हैं जिसका लक्ष्य पृथ्वी की जमीनों, महासागरों, और जीवों को प्रदूषण, क्षरण और जलवायु संकट से बचाना है.
मांट्रियल के कॉप15 नेचर समिट में हुए समझौते को ऐतिहासिक कहा जा रहा है. यह समझौता धरती पर तेजी से खत्म हो रही जैव विविधता और लुप्त हो रहे जीवों को बचाने के लिहाज से किया गया है. इस बार के सम्मेलन की अध्यक्षता चीन के पास थी और शायद यही वजह थी कि कानाडा के प्रधानमंत्री को छोड़ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अकेले ऐसे राष्ट्रप्रमुख थे जिन्होंने इसे संबोधित किया हालांकि यह कवायद भी ऑनलाइन ही पूरी हुई.
चीन के पर्यावरण मंत्री हुआंग रुनकियू ने डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के विरोध को दरकिनार कर मांट्रियल में समझौते का एलान किया. कॉन्गो ने इस समझौते में कही बातों से असहमति जताई है. चीनी पर्यावरण मंत्री का कहना है, "हमारे हाथों में एक पैकेज है जो मेरे ख्याल में हम सबको जैवविविधता को हो रहे नुकसान को कम करने में साथ लायेगा और जैव विविधता को वापसी के रास्ते पर लायेगा जिससे पूरी दुनिया के लोगों का फायदा होगा." कनाडा के पर्यावरण मंत्री और मेजबान स्टीवन गिलबॉयल्ट ने इस समझौते को "ऐतिहासिक कदम" कहा है.
समझौते में क्या है?
इस समझौते में धरती के 30 फीसदी हिस्से को 2030 तक संरक्षित क्षेत्र बनाने की बात है. इसके साथ ही विकासशील देशों को करीब 3 करोड़ डॉलर की सालाना संरक्षण मदद दी जायेगी. इसकी मदद से वो मानव जनित कारणों से लुप्त होने का संकट झेल रहे जीवों की मदद के लिए कुछ कर सकेंगे. कैम्पेन फॉर नेचर के ब्रायन ओ डॉनेल का कहना है कि यह, "इतिहास में धरती और सागर के संरक्षण के लिए सबसे बड़ी प्रतिबद्धता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने साथ आकर जैव विविधता के लिए करार किया है जिसने थोड़ी उम्मीद दी है कि संकट झेल रही प्रकृति पर अब वह ध्यान दिया जा रहा है जिसकी वो हकदार है."
समझौते में मूलवासियों के अधिकार को सुरक्षित रखने की भी बात कही गई है और उन्हें अपनी जमीन के रक्षक के रूप में चिह्नित किया गया है. जैव विविधता के लिए अभियान चला रहे लोगों की यह प्रमुख मांग थी. हालांकि कुछ बिंदुओं पर उतनी सख्ती नहीं दिखाई गई है. मसलन कारोबारियों को जैव विविधता पर पड़ने वाले असर को रिपोर्ट करने की शर्त रखी गई लेकिन कार्यकर्ता इसे बाध्यकारी शर्त बनाने की मांग कर रहे हैं.
समझौते के 23 लक्ष्यों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली खेती की सब्सिडी में कटौती करके अरबों डॉलर बचाने की भी बात है. इसके साथ ही कीटनाशकों के खतरों को घटाना और घुसपैठिया प्रजातियों से निबटने को भी करार में शामिल किया गया है.
कैसे हुआ समझौता
एक समय तो ऐसा लग रहा था कि बातचीत बीच में ही टूट जाएगी क्योंकि देशों के बीच पैसों को ले कर खींचतान बहुत बड़ी हो गई थी. अमीर देश कितना पैसा विकासशील देशों को देंगे जहां धरती की सबसे अधिक जैवविविधता का बसेरा है, इसे लेकर मामला बहुत उलझा हुआ था. विकासशील देश एक नये बड़े सहायता कोष की मांग कर रहे थे. हालांकि समझौता मौजूदा ग्लोबल एनवायर्नमेंट फैसिलिटी यानी जीईएफ के तहत ही कोष बनाने पर हुआ.
फिलहाल विकासशील देशों में प्रकृति के लिए भेजी जाने वाली रकम सालाना 10 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास है. कांगो के प्रतिनिधि ने प्लैनरी सेशन में सालाना कोष को 100 अरब तक बढ़ाने की मांग की. हालांकि हुआंग ने इसके बगैर ही समझौते को पारित कर दिया जिसे लेकर कांगो ने काफी नाराजगी जताई है.
अमेरिका ने इस समझौते पर दस्तखत नहीं किया है क्योंकि रिपब्लिकन सीनेटर इसके विरोध में हैं. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने करार का समर्थन किया है और घरेलू स्तर पर "30 तक 30" योजना लॉन्च की है. अमेरिका ने जीईएफ के जरिये विकासशील देशों को मदद देने की बात कही है.
एनआर/एमजे (एएफपी)
भारत में जलवायु परिवर्तन रोकने में मदद देने के मकसद से लोग अब कार्बन क्रेडिट खरीदने की ओर बढ़ रहे हैं. कंपनियों के साथ साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी ऐसी कोशिशें हो रही हैं.
सोनिया संधू-टोरे ने अपना 50वां जन्मदिन मनाया तो शानदार पार्टी दी. तब उन्होंने अपने आपको एक महत्वपूर्ण तोहफा दिया. एक वादा किया कि पार्टी कार्बन-न्यूट्रल होगी.
पश्चिमी राजस्थान के एक होटल में पार्टी देने वालीं संधू बताती हैं, "हमने 50 मेहमान बुलाए थे जो फ्लाइट और कार लेकर आने वाले थे. मैं पार्टी करना चाहती थी लेकिन इस बात को लेकर भी चिंतित थी कि इससे कार्बन फुटप्रिंट कितना बड़ा होगा. मैं कुछ करना चाहती थी क्योंकि मैं जानती हूं कि अब हम जो भी कदम उठाएंगे उनका असर भविष्य पर होगा.”
तो संधू ने क्लाइम्स का प्रयोग किया. यह एक क्लाइमेट-टेक स्टार्टअप है, जो लोगों और कंपनियों को कार्बन ऑफसेट खरीदकर ‘क्लाइमेट फ्रेंडली' यानी पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार करने में मदद करता है. ऐसे कई उद्यम शुरू हो चुके हैं जिनके जरिए भारत में कार्बन क्रेडिट की बिक्री हो रही है.
भारत में बढ़ती जागरूकता
क्लाइम्स, लोसूट और वोस (WOCE) जैसे ये उद्यम उन भारतीयों की जरूरत पूरी कर रहे हैं जो जलवायु परिवर्तन को लेकर सजग हैं और इसे रोकने में अपनी तरफ से कोई योगदान देना चाहते हैं. ऐसे लोग यात्राओं, शादियों और ऑनलाइन खरीदारी में होने वाले कार्बन उत्सर्जन की भरपाई करना चाहते हैं.
वैश्विक स्तर पर कार्बन क्रेडिट का व्यापार दो अरब डॉलर तक पहुंच चुका है और लगातार तेजी से बढ़ रहा है. ‘ईकोसिस्टम मार्केटप्लेस' के मुताबिक 2021 का व्यापार 2020 के मुकाबले चार गुना ज्यादा रहा था जबकि 50 करोड़ कार्बन क्रेडिट बिके थे. ये कार्बन क्रेडिट 50 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन के बराबर है.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है. उसका मकसद 2070 तक कार्बन न्यूट्रल हो जाने का है. यानी देश में उतनी ही कार्बन हाउस गैसें उत्सर्जित हों जितनी सोखी जा सकें. धीरे-धीरे देश में कार्बन क्रेडिट की मांग और बिक्री बढ़ रही है.
संधू की पार्टी में केक काटा गया, फैंसी ड्रेस कॉम्पटिशन हुआ, नाच-गाना भी हुआ. लेकिन साथ में लोगों को एक प्रेजेंटेशन भी दिखाई गई, जिसमें लोगों को बताया गया कि कार्बन क्रेडिट किस तरह काम करता है. इस प्रेजेंटेशन के जरिए लोगों को कार्बन क्रेडिट खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि वे कार्बन उत्सर्जन कम करने में अपना योगदान दे सकें.
तोहफों के पैकेटों पर क्यूआर कोड लगे थे जिनमें क्लाइम्स की वेबसाइट का लिंक था. लोग इस लिंक पर जाकर पार्टी के उत्सर्जन में हिस्सेदारी खरीद सकते थे. इस धन का प्रयोग जंगलो को पुनर्जीवित करने से लेकर कचरे को ऊर्जा में बदलने वाली तकनीक को विकसित करने में होता है.
संधू कहती हैं, "प्रक्रिया बहुत सरल थी और बहुत से मेहमानों ने वन परियोजनाओं के लिए दान देने का विकल्प चुना. हर कोई देख सकता है कि उसका दिया पैसा कहां खर्च हो रहा है. इससे बातचीत शुरू हुई और कई मेहमान और ज्यादा जानना चाहते थे क्योंकि इस बारे में बहुत सारे गोरखधंधे भी चल रहे हैं.”
क्या हैं मुश्किलें?
पर्यावरण के अनुकूल काम करने वाली कपड़ा कंपनी टैमरिंड चटनी ने जब सोचा कि अपने कार्बन उत्सर्जन के बराबर धन कहीं दान दिया जाए तो उसे ऐसे विकल्प खोजने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा.
कंपनी की संस्थापक 29 साल की तन्वी भीखचंदानी बताती हैं, "एक साल तक शोध करने के बाद हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी क्योंकि कोई पारदर्शी विकल्प नहीं मिला था. हम यह जानना चाहते थे कि हमारा धन कहां जा रहा है. लेकिन सब कुछ ब्लैक होल जैसा था. ज्यादातर परियोजनाएं ऐसी थीं जिनमें कार्बन ऑफसेट को एक हल की तरह पेश किया गया था और उसके स्रोत की बात ही नहीं थी. यह निराशाजनक था.”
शायद यही वजह है कि स्वयंसेवी कार्बन बाजारों को लोगों का भरोसा जीतने में मुश्किल हो रही है. पर्यावरणविद कहते हैं कि कार्बन क्रेडिट खरीदना अपने उत्सर्जन की जिम्मेदारी छोड़ने का आसान तरीका है क्योंकि आपके उत्सर्जन के लिए कोई और भुगतान कर रहा है. कार्बन मार्केट वॉच नामक संस्था के संचार निदेशक खालिद दियाब कहते हैं, "एक टन उत्सर्जित कार्बन का असर बचाए गए या सोख लिए गए गए एक टन कार्बन से हमेशा ज्यादा होगा. यह एक वजह है कि कार्बन क्रेडिट को कार्बन ऑफसेट के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. जलवायु के लिए काम करना अच्छी बात है लेकिन कार्बन क्रेडिट खरीदने को जेल से निकलने की कीमत चुकाने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.”
कार्बन क्रेडिट के बाजार के बारे में दियाब कहते हैं कि यह अनियमित है और कार्बन क्रेडिट की विश्वसनीयता तय करने की पूरी जिम्मेदारी ग्राहकों पर छोड़ दी गई है, जो एक बड़ी चुनौती है क्योंकि ज्यादातर ग्राहक विशेषज्ञ नहीं हैं. वह कहते हैं, "इससे कॉरपोरेशनों को ग्रीनवॉशिंग का ताकतवर हथियार मिल जाता है.” ग्रीनवॉशिंग उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें कार्बन उत्सर्जित कर बड़ी कंपनियां उसके बराबर कार्बन क्रेडिट खरीदकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती हैं.
उद्योग और सरकार की सक्रियता
भारत ने पिछले महीने ही ऊर्जा संरक्षण कानून पारित किया है जिसमें सरकारों और उद्योगों को कार्बन क्रेडिट कमाने और खर्चने के नियम बनाने का प्रावधान किया गया है. इसकी शुरुआत स्वेच्छा के आधार पर होगी.
भारत में हरित ऊर्जा के उत्पादन से जुड़ीं कंपनियों ने अक्टूबर में मिलकर एक कार्बन मार्किट बनाने पर काम शुरू किया है जिसका मकसद भारत में ऊर्जा उत्पादन को जीवाश्म से हरित स्रोतों की ओर ले जाना है और सरकार के साथ मिलकर बाजार के लिए दिशा-निर्देश तय करना है.
इस नई बनी कार्बन मार्केट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनीष दबकारा कहते हैं कि कुछ कंपनियों को ग्रीनवॉशिंग में शामिल पाया गया है लेकिन सभी ऐसा नहीं करती हैं. उन्होंने कहा, "अब बाजार में ज्यादा पारदर्शिता और जागरूकता है.”
अब तक कार्बन क्रेडिट को भारत में एक लग्जरी उत्पाद के रूप में देखा जाता रहा है जिसे धनी लोग खरीदते हैं लेकिन दबकारा कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय चलन में बदलाव से भारत में भी बदलाव आएगा.
वीके/एनआर (रॉयटर्स)
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | पार्टी सांसदों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को चीन के मुद्दे पर संसद में बहस की अनुमति नहीं देने पर केंद्र पर लोकतंत्र का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, गंभीर राष्ट्रीय चिंता के इस तरह के मामले पर संसदीय बहस की अनुमति देने से इनकार करना हमारे लोकतंत्र के प्रति अनादर है, और सरकार की मंशा पर खराब असर डालता है। यह राष्ट्र को एक साथ लाने में अपनी अक्षमता को प्रदर्शित करता है।
उन्होंने कहा, विभाजनकारी नीतियों का पालन कर, घृणा फैलाकर और हमारे समाज के कुछ वर्गों को लक्षित कर , सरकार देश के लिए विदेशी खतरों के खिलाफ एक होकर खड़ा होना मुश्किल बना रही है।
वरिष्ठ नेता ने कहा, इस तरह के विभाजन हमें कमजोर करते हैं और हमें अधिक कमजोर बनाते हैं। ऐसे समय में यह सरकार का प्रयास और जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह हमारे लोगों को एकजुट करे, न कि उन्हें विभाजित करे, जैसा कि वह (केंद्र) पिछले कई वर्षों से करती आ रही है।
सोनिया गांधी ने कहा कि देश महंगाई, बेरोजगारी, सामाजिक ध्रुवीकरण, लोकतांत्रिक संस्थानों के कमजोर होने और बार-बार सीमा पर घुसपैठ जैसी महत्वपूर्ण आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
मुख्य विपक्षी दल के रूप में, हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है और हमें इसे पूरा करने के लिए खुद को मजबूत करना जारी रखना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के बार-बार आग्रह करने के बावजूद कि सब ठीक है, आर्थिक स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
दैनिक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि जारी है, जिससे करोड़ों परिवारों पर भारी बोझ पड़ रहा है। विशेष रूप से युवाओं के लिए रोजगार प्रदान करने में असमर्थता, इस सरकार के कार्यकाल की एक विशेषता रही है।
बेरोजगारी की स्थिति तब भी बदतर है जब प्रधानमंत्री हजारों युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंप रहे हैं, करोड़ों को सरकारी रिक्तियों के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, परीक्षाएं अविश्वसनीय हैं, और सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जाता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, छोटे व्यवसाय, जो देश में भारी मात्रा में रोजगार पैदा करते हैं, नोटबंदी के बार-बार प्रहार, खराब तरीके से लागू जीएसटी, और कोविड-19 महामारी के लिए भी जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसानों को बढ़ती लागत का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से उर्वरकों की। उनकी फसलों के लिए अनिश्चित कीमतें, इन सभी ने अनियमित मौसम की स्थिति से बदतर बना दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद किसान भी अब केंद्र की प्राथमिकता नहीं रह गए हैं।
उन्होंने कहा, न्यायपालिका पर सवाल उठाना एक नया प्रयास है। विभिन्न आधारों पर न्यायपालिका पर हमला करने के लिए मंत्रियों, और यहां तक कि एक उच्च संवैधानिक प्राधिकरण को लगाया गया है। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह सुधार के लिए उचित सुझाव देने का प्रयास नहीं है। बल्कि यह जनता की नजरों में न्यायपालिका की हैसियत को कम करने की कोशिश है। (आईएएनएस)|
हल्द्वानी, 21 दिसंबर (आईएएनएस)| बीते दिनों मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में रैगिंग मामले में 43 छात्रों पर आर्थिक जुर्माना लगाया गया था। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के एमबीबीएस के छात्रों ने कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। हालांकि, सबसे ज्यादा जुर्माना जिस छात्र पर लगाया गया, उसने अदा भी कर दिया है। वहीं अन्य 42 छात्रों ने कोर्ट जाने की बात कही है। मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ.अरुण जोशी ने बताया कि मामले में कॉलेज प्रशासन ने कार्रवाई कर एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक की।
कमेटी ने एक सीनियर छात्र को हॉस्टल से बाहर करते हुए 50 हजार का जुर्माना लगाया था। जबकि उसके अन्य 42 सहयोगियों पर 25-25 हजार का जुर्माना लगाया था। सोमवार को जुर्माना जमा करने की अंतिम तिथि थी।
प्राचार्य जोशी ने बताया कि कमेटी ने गाइडलाइन के मुताबिक जुर्माना लगाया है। सूत्रों के अनुसार छात्रों की मांग पर मामला दोबारा एंटी रैगिंग कमेटी के सामने जा सकता है।
सैन फ्रांसिस्को, 21 दिसंबर | इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के शेयरों में लगभग 137 डॉलर की गिरावट आई है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। एलन मस्क ने बुधवार को इसके लिए फिर से वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थितियों को जिम्मेदार ठहराया। इस साल अप्रैल में मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदे जाने के बाद से टेस्ला के शेयरों में भारी गिरावट आई है। तब से टेस्ला के शेयरों में 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, क्योंकि मस्क ट्विटर पर दैनिक मामलों के सूक्ष्म प्रबंधन में व्यस्त हैं।
टेस्ला के रॉस गेरबर ने ट्वीट किया: "टेस्ला स्टॉक की कीमत अब कोई सीईओ नहीं होने के मूल्य को दर्शाती है। ग्रेट जॉब टेस्ला बीओडी- टाइम फॉर ए शेक अप टेस्ला।"
मस्क ने जवाब दिया, "जैसा कि बैंक बचत खाते की ब्याज दरें गारंटीशुदा हैं, स्टॉक मार्केट रिटर्न की ओर बढ़ना शुरू कर देती हैं, जिसकी गारंटी नहीं है, लोग तेजी से अपने पैसे को स्टॉक से नकदी में ले जाएंगे, इस प्रकार शेयरों में गिरावट आएगी।"
जैसा कि टेस्ला के शेयरों में भारी नुकसान हुआ है, एलन मस्क ने पिछले हफ्ते मौजूदा स्थिति के लिए फेडरल रिजर्व को दोषी ठहराते हुए कहा था कि उनकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी पहले से बेहतर कर रही है।
टेस्ला के गिरते शेयरों ने मस्क की कुल संपत्ति को प्रभावित किया है, जो 174 अरब डॉलर तक गिर गई, जिससे वह दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति की सूची में दूसरे स्थान पर पहुंच गए। वहीं फ्रांसीसी फैशन और कॉस्मेटिक मैग्नेट बर्नार्ड अरनॉल्ट सबसे अमीर व्यक्ति की सूची में पहले स्थान पर पहुंच गए।
मस्क ने 2022 में अपनी नेटवर्थ में 100 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट देखी है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | कुछ देशों में कोविड-19 के मामलों में अचानक वृद्धि को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दिशा-निर्देशों का पालन करने और भारत जोड़ो यात्रा स्थगित करने का अनुरोध किया है। मंडाविया ने मंगलवार को राहुल गांधी और गहलोत को पत्र लिखा। यह राजस्थान के कुछ सांसदों द्वारा लिखे गए पत्रों के बाद आया, जिसमें उन्होंने यात्रा के दौरान दिशानिर्देशों का पालन न करने के कारण कोविड संक्रमण के प्रसार पर चिंता व्यक्त की थी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड प्रोटोकॉल के पालन पर जोर देते हुए कहा कि मास्क, सेनेटाइजर का प्रयोग और अन्य सावधानियां बरतना जरूरी है।
मंडाविया ने राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत को संबोधित पत्रों में कहा, "राजस्थान में चल रही 'भारत जोड़ो यात्रा' में कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन किया जाए। मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि केवल कोविड के खिलाफ टीका लगाए गए लोग ही इस यात्रा में भाग लें।"
मंडाविया ने दोनों नेताओं को लिखे अपने पत्रों में आगे कहा, अगर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन संभव नहीं है, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल को देखते हुए और देश को कोविड महामारी से बचाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा स्थगित करें।
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री देश में कोविड की स्थिति की समीक्षा के लिए अपने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता भी कर रहे हैं। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 21 दिसम्बर | सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर अपनी पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के करीब आ रहे हैं। इसका एक संकेत तब मिला जब उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने राजभर को अटल बिहारी वाजपेयी फाउंडेशन का उपाध्यक्ष नियुक्त किया।
पाठक फाउंडेशन के प्रमुख हैं और इसके बाद राजभर ने फाउंडेशन की बैठक में भाग लिया।
राजभर ने कहा कि यह एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम है। उन्होंने कहा, यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है और हम राजनीतिक लोग हैं। इसे अलग तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मंत्री दया शंकर सिंह ने कहा है कि एसबीएसपी अध्यक्ष वैचारिक रूप से भाजपा के करीब थे।
सिंह ने आगे बताया, "राजभर बीजेपी के पुराने सहयोगी हैं। वे भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, राजनीति में कुछ भी हो सकता है। राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। समय और परिस्थितियों के हिसाब से फैसले लिए जाते हैं।
दया शंकर सिंह ने पहले दावा किया था कि राजभर उनके दोस्त थे और एसपीएसपी प्रमुख को तत्कालीन यूपी बीजेपी प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह से मिलने भी ले गए थे।
दिलचस्प बात यह है कि हाल के दिनों में राजभर खुलकर सपा की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को नेक इरादों वाला नेता करार दिया है।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर एक पिछड़े नेता हैं, जिनका पूर्वी यूपी के जिलों में प्रभाव है।
उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन में राज्य में 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और इस साल के विधानसभा चुनावों में सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने से पहले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पहली सरकार में मंत्री भी थे, जिसमें उनकी पार्टी ने छह सीटें जीतीं।
राज्य में भाजपा के फिर से सत्ता में आने के बाद से, राजभर को सत्तारूढ़ दल के साथ गठबंधन करने के लिए झुकाव दिखाया जा रहा है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 21 दिसम्बर | आश्रय गृह में रहने वाली 19 साल की एक किशोरी के साथ मंगलवार शाम सामूहिक दुष्कर्म किया गया, जब वह पास की दुकान से कुछ खरीदने गई थी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर एक नाबालिग समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पीड़िता ने उनकी शिनाख्त कर ली है।
गिरफ्तार लोगों में 19 वर्षीय अनिरुद्ध चौधरी और 28 वर्षीय अभिमन्यु शाह शामिल हैं। दोनों की फुटपाथ पर छोटी-छोटी दुकानें हैं। अपराध में शामिल एक नाबालिग को भी बाल सुधार गृह भेजा गया है।
एडिशनल डीसीपी, ईस्ट जोन, सैयद अली अब्बास ने कहा कि पीड़िता अपने शेल्टर होम के पास कुछ सामान खरीदने गई थी और वापस शेल्टर होम का रास्ता भूल गई।
पुलिस ने कहा कि लड़की को सॉफ्ट टॉय बेचने वाली एक दुकान मिली और सॉफ्ट टॉय का लालच दिया।
दुकान पर नाबालिग लड़के ने उसे एक छोटा सा खिलौना दिया और उसे एक सुनसान जगह पर ले गया, जहां उसने उसके हाथ-पैर बांध दिए और फिर उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया।
पीड़िता ने पुलिस को बताया, मुझे होश आया और मैंने खुद को एक गंदे कमरे में पाया और खिलौना बेचने वाले के अलावा दो और बुजुर्ग शामिल थे और उन्होंने मुझ पर हमला कर दिया।
वह किसी तरह खुद को छुड़ाने में सफल रही और एक अंडर ब्रिज पर पहुंची, जहां उसने एक पुलिस गश्ती दल को देखा और उन्हें आपबीती सुनाई। पीड़िता ने पुलिस को प्राथमिकी में अपनी आपबीती सुनाई और एक महिला अधिकारी मुझे अस्पताल ले गई।
एडीसीपी अब्बास ने कहा कि उसे तीन दिन पहले गोमती नगर के एक अन्य आश्रय गृह से आश्रय में लाया गया था।
उन्होंने कहा, हमें अभी उसके इतिहास के बारे में जानना बाकी है क्योंकि वह सदमे की स्थिति में है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 21 दिसम्बर | समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने कहा है कि वह अपनी 'आखिरी सांस' तक सपा में बने रहेंगे- चाहे उन्हें पार्टी में कोई पद मिले या न मिले। शिवपाल ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा सौंपी गई छोटी या बड़ी कोई भी जिम्मेदारी वह निभाएंगे।
कयास लगाए जा रहे थे कि शिवपाल को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है या पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है, लेकिन सपा नेतृत्व ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
शिवपाल ने कहा, विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अखिलेश अच्छा काम कर रहे हैं। सपा नेताओं को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी संघर्ष करती रहेगी।
भाजपा सरकार अन्याय कर रही है। क्या झूठे मुकदमे दर्ज करना और किसी के घर को बुलडोजर से तोड़ना न्याय है? भाजपा सरकार झूठे मामलों में निर्दोष लोगों को जेल भेज रही है।
उन्होंने आगे कहा, समाजवादी पार्टी अन्याय का सामना कर रहे लोगों के लिए लड़ाई जारी रखेगी। हमारी सरकार बनने पर झूठे मुकदमे वापस लिए जाएंगे। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा, 21 दिसम्बर (आईएएनएस)| ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा कोतवाली क्षेत्र में नाले से 19 दिसंबर से लापता छात्र का शव मिला है। छात्र का बैग नाले में तैरता मिला, जिसके बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चला कर उसका शव नाले से बरामद किया। छात्र के हाथ में उसका फोन भी था।
गौर यमुना सिटी निवासी व हाईकोर्ट के वकील का बेटा दीपराज लापता चल रहा था। दीपराज 19 दिसंबर को कॉलेज गया था, लेकिन घर नहीं लौटा। पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। गौर यमुना सिटी में रहने वाले राजबहादुर सिंह दिल्ली हाई कोर्ट में वकील हैं। इनका 18 वर्षीय पुत्र दीपराज एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा में एलएलबी प्रथम वर्ष का छात्र था। परिजनों के मुताबिक, रोजाना की तरह छात्र सोमवार सुबह अपने कॉलेज गया था। लेकिन देर शाम तक जब वह वापस नहीं लौटा। परिजनों ने उसको फोन किया, लेकिन फोन स्विच ऑफ बता रहा था। पिता राज बहादुर सिंह ने बताया कि दीपराज के दोस्तों से भी पूछताछ की गई, उन्होंने भी कुछ नहीं कहा। सोमवार रात ही रबूपुरा कोतवाली पहुंचकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस छानबीन में जुटी थी।
इसी दौरान मंगलवार शाम को छात्र का बैग सोसाइटी के पास ही स्थित एक नाले में तैरता मिला। इस पर पुलिस ने छात्र के नाले में डूबने की आशंका जताई। एनडीआरएफ टीम व गोताखोरों की मदद से घंटों तक नाले में सर्च ऑपरेशन चलाया। पम्पसेटों की मदद से नाले के पानी को खींचा गया, तब जाकर शव को बाहर निकाला जा सका।
मंगलवार देर रात छात्र दीपराज का शव बरामद किया गया। छात्र का मोबाइल फोन भी उसके हाथ में था। आशंका जताई जा रही है कि कॉलेज से लौटने के दौरान घर जाते समय छात्र का पैर फिसलने से नाले में जा गिरा और पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई।
इस बारे में रबूपुरा कोतवाली प्रभारी सुधीर कुमार का कहना है कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही पता चल सकेगा। फिलहाल लोगों से पूछताछ की जा रही है।
सीतापुर, 21 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक स्थानीय पत्रकार पर एक नर्स से छेड़छाड़ करने और उसका वीडियो और फोटो वायरल न करने के लिए 5 लाख रुपये की मांग करने का आरोप लगा है। एफआईआर के अनुसार, एन.के. अवस्थी नामक शख्स ने सीतापुर के एक प्रमुख हिंदी डेली का स्थानीय पत्रकार होने का दावा किया है। शिकायतकर्ता से उसकी दोस्ती हो गई, जो जिला अस्पताल में स्टाफ नर्स थी।
नर्स ने अपनी शिकायत में कहा कि, अवस्थी एक अन्य व्यक्ति के साथ इलाज के लिए अस्पताल आया था। बाद में वह और अवस्थी दोस्त बन गए और अवस्थी नियमित रूप से उसके घर आने-जाने लगा। और एक बार जब अवस्थी उसके घर आया तो उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा।
नर्स ने दावा किया कि, अवस्थी ने उसके वीडियो और फोटो भी लिए और उन्हें वायरल न करने के लिए 5 लाख रुपये की मांग की।
नर्स ने पुलिस को बताया कि, आरोपी ने उसके घर के बाहर जातिसूचक टिप्पणियां कीं, उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित कर उसकी प्रतिष्ठा खराब करने की धमकी दी और उसकी बेटी को जान से मारने की धमकी भी दी।
पुलिस ने कहा कि, आरोपी के खिलाफ धारा 452, धारा 354 बी, 506, एससी/एसटी अधिनियम सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है और मामले की जांच की जा रही है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | केरल की एक अदालत में दायर एक रिपोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के अलकायदा से संबंध हैं। जांच एजेंसी ने रिपोर्ट में आरोप लगाया कि पीएफआई के नेता अलग-अलग तरीकों से आतंकी समूह के संपर्क में थे।
एनआईए ने आगे दावा किया कि प्रतिबंधित समूह एक सीक्रेट विंग चला रहा था, जिसे वे अलग समय पर रिवील करना चाहते थे।
एक सूत्र ने कहा, हाल के छापे के दौरान, एनआईए ने कुछ उपकरण बरामद किए। उन उपकरणों की स्कैनिंग के दौरान, एजेंसी को पता चला कि पीएफआई के नेता अलकायदा के संपर्क में थे। उनका एक सीक्रेट विंग भी था।
पीएफआई के पूरे नेटवर्क का एनआईए ने हाल ही में किए गए राष्ट्रव्यापी छापे के दौरान भंडाफोड़ किया था।
तब पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और उसके सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा, 21 दिसंबर | एनेस्थीसिया की ओवरडोज से बच्ची की हुई मौत के मामले में ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल के डॉक्टर और नसिर्ंग स्टाफ पर केस दर्ज हो गया है। नाक पर चोट लगने की वजह से डेढ़ साल की बच्ची को यथार्थ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने कहा था कि प्लास्टिक सर्जरी कर बच्ची की नाक पर आए निशान को पूरी तरीके से मिटा देंगे। उसके लिए ऑपरेशन करना होगा। बच्ची के पिता का आरोप है कि एनेस्थीसिया की ओवरडोज के चलते बच्ची की मौत हो गई। जिसके बाद मामला दर्ज करवाया गया है।
ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल में सोमवार को इलाज के दौरान डेढ़ साल की बच्ची की मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि एनस्थीसिया की ओवरडोज देने से बच्ची की मौत हुई है। घर पर खेलते समय बच्ची को चोट लग गई थी अस्पताल में चिकित्सकों ने पट्टी कर दी और सर्जरी की सलाह दी थी। पिता ने 60,000 रूपए जमा भी करा दिए थे।
आरोप है कि ऑपरेशन के लिए डॉक्टर बच्ची को ऑपरेशन थिएटर ले गए थे। कुछ देर बाद डॉक्टरों ने बच्ची की मौत होने की सूचना दी। परिजनों का आरोप है कि एनेस्थीसिया की ओवरडोज देने की वजह से ही मौत हुई है।
इस मामले में बच्ची के पिता की तरफ से बीटा 2 कोतवाली पुलिस स्टेशन में इलाज में लापरवाही के चलते मौत होने के जिम्मेदार बनाते हुए अज्ञात डॉक्टर और नसिर्ंग स्टाफ के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। पुलिस के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन डॉक्टर और नसिर्ंग स्टाफ से पूछताछ की जा रही है। (आईएएनएस)|
देहरादून, 21 दिसंबर (आईएएनएस)| उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अंकिता भंडारी मर्डर केस में वीआईपी का नाम सामने ना आने के सवाल पर बड़ा बयान दिया है। रावत के अनुसार इस मामले में एसआईटी ने नार्को टेस्ट की मांग की है। उनके अनुसार उन्हें उम्मीद हैं की जल्द इसकी अनुमति मिल जाएगी। उनके अनुसार जल्द इस सवाल का जवाब मिल जाना चाहिए और मिल भी जाएगा जब नार्को टेस्ट होगा। उन्होंने कहा कि यह कुहासा छंटना चाहिए और छटेगा भी।
अंकिता हत्याकांड के मामले मे विपक्ष लगातार यह सवाल खड़ा कर रहा है कि वह वीआईपी कौन है, जिसके पास वहां के स्टाफ को भेजा जाता था। अभी तक पुलिस इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ़ पाई है। ऐसे में अब जनता के दबाव में नार्को टेस्ट किया जा रहा है। बड़ा सवाल है कि क्या सच मे नार्को टेस्ट कोई खुलासा करेगा।
बर्लिन, 21 दिसंबर | पोलैंड के एक कंसंट्रेशन कैंप में काम करने वाली 97 वर्षीय पूर्व नाजी टाइपिस्ट और स्टेनोग्राफर को होलोकॉस्ट के दौरान 10,505 लोगों की हत्या में शामिल होने का दोषी ठहराया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी दी गई है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इरगार्ड फर्चनर को जर्मनी के इत्जेहो की एक अदालत ने मंगलवार को दो साल की निलंबित जेल की सजा सुनाई।
नाबालिग उम्र में फर्चनर ने नाजी कब्जे वाले पोलैंड में ग्दान्स्क के पास स्टटथोफ कैंप में 1943 से 1945 में नाजी शासन के अंत तक काम किया था।
अपराध के समय महिला नाबालिग थी। इसलिए, फर्चनर को सजा के लिए किशोर अदालत में पेश किया गया और उसे जुवेलाइन प्रोवेशन में रखा जाएगा।
स्टुट्थोफ में लगभग 65,000 लोग भयानक परिस्थितियों में मारे गए थे, जिनमें यहूदी कैदी, गैर-यहूदी ध्रुव और कैद किए गए सोवियत सैनिक शामिल थे।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, फर्चनर को 10,505 लोगों की हत्या में मदद करने और हत्या के लिए उकसाने और पांच अन्य की हत्या के प्रयास में मिलीभगत का दोषी पाया गया।
स्टुट्थोफ में, जून 1944 से कैदियों की हत्या करने के लिए कई तरह के तरीकों का इस्तेमाल किया गया और गैस चैंबरों में हजारों लोग मारे गए।
सितंबर 2021 में जब ट्रायल शुरू हुआ, तो फर्चनर अपने रिटायरमेंट होम से भाग गई और अंतत: हैम्बर्ग की एक सड़क पर पाई गई।
अदालत में अपने संबोधन में, फुर्चनर ने कहा: जो कुछ भी हुआ उसके लिए मुझे खेद है। मुझे खेद है कि मैं उस समय स्टुट्थोफ में थी। मैं बस इतना ही कह सकती हूं।
बीबीसी ने बताया कि उसका मुकदमा जर्मनी में नाजी-युग के अपराधों में अंतिम हो सकता है, हालांकि कुछ मामलों की अभी भी जांच की जा रही है।
स्टुट्थोफ में किए गए नाजी अपराधों के लिए हाल के वर्षों में दो अन्य मामले अदालत में गए हैं। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 21 दिसंबर | एलन मस्क ट्विटर को चलाने के लिए एक नया सीईओ ढूंढ रहे हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि वह सॉफ्टवेयर और सर्वर टीमों को तभी चलाएंगे जब सीईओ पद के लिए कोई 'फूलिश' मिल जाएगा। मस्क ने सोमवार को चलाए गए एक सर्वेक्षण के जवाब में यह बयान दिया, जहां 57.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें ट्विटर सीईओ का पद छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने ट्वीट किया, "जैसे ही मुझे कोई फूलिश मिलेगा, जो काम ले सकेगा, मैं सीईओ के पद से इस्तीफा दे दूंगा! उसके बाद, मैं सिर्फ सॉफ्टवेयर और सर्वर टीमों को चलाऊंगा।"
मस्क के पोस्ट पर कई यूजर्स ने अपने विचार व्यक्त किए।
एक उपयोगकर्ता ने टिप्पणी की, 'बिल्कुल सही शब्द। सिर फट रहे हैं। उन्होंने सोचा कि आप छोड़ने जा रहे हैं, जैसे कि आप अभी भी कंपनी के मालिक नहीं हैं', दूसरे ने कहा, "ब्रो जनता बोल चुकी है।"
इस बीच, मंगलवार को खबर आई थी कि मस्क माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के लिए नए सीईओ की तलाश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा था, "कोई भी नौकरी नहीं चाहता है जो वास्तव में ट्विटर को जीवित रख सके। कोई उत्तराधिकारी नहीं है.. सवाल एक सीईओ खोजने का नहीं है, सवाल एक सीईओ खोजने का है जो ट्विटर को चला सके।"
पिछले महीने मस्क ने कहा था कि वह किसी भी कंपनी के सीईओ नहीं बनना चाहते, चाहे वह टेस्ला हो या ट्विटर।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर | महाराष्ट्र के अमरावती जिले में केमिस्ट शॉप के मालिक उमेश प्रह्लादराव कोल्हे (54) की बर्बर हत्या के मामले में 11 आरोपियों के खिलाफ दायर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की चार्जशीट में तब्लीगी जमात के एक सदस्य की भूमिका का उल्लेख किया गया है। प्रह्लादराव कोल्हे ने नूपुर शर्मा का समर्थन किया था। एनआईए ने 16 दिसंबर को चार्जशीट दायर की थी।
आरोपियों की पहचान मुदस्सिर अहमद, शाहरुख खान, अब्दुल तौफीक शेख, मोहम्मद शोएब, आतिब राशिद, यूसुफ खान, इरफान खान, अब्दुल अरबाज, मुशिफिक अहमद, शेख शकील और शाहिम अहमद के रूप में हुई है। सभी पर आईपीसी की धारा 120बी, 341, 302, 153-ए, 201, 118, 505, 506, 34ए और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 16, 17, 18, 19 और 20 के तहत चार्जशीट दायर की गई है।
चार्जशीट में तब्लीगी जमात के सदस्य के रूप में शेख इब्राहिम के बेटे मुदस्सिर अहमद का जिक्र है।
एनआईए ने कहा, "जांच से पता चला है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा उमेश कोल्हे की हत्या के लिए एक आतंकवादी गिरोह का गठन कर एक आपराधिक साजिश रची गई थी, जिसने पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा द्वारा की गई कथित रूप से विवादास्पद टिप्पणी के समर्थन में अपना व्हाट्सऐप पोस्ट अपलोड किया था। आम इरादों के साथ काम करने वाले अभियुक्तों ने 21 जून, 2022 को सार्वजनिक क्षेत्र में अमरावती के घंटाघर में लोगों के बीच आतंक फैलाने के उद्देश्य से कोल्हे की बेरहमी से हत्या कर दी।"
इस संबंध में उनके पुत्र संकेत कोल्हे ने सिटी कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बाद में मामले की जांच एनआईए ने अपने हाथ में ले ली थी।
एनआईए ने कहा, "कोल्हे ने एक व्हाट्सऐप ग्रुप पर एक मैसेज पोस्ट किया, जहां मुस्लिम भी उसके ग्रुप में शामिल थे। उन्हें नूपुर को उसका समर्थन पसंद नहीं आया और उसे मार डाला।" (आईएएनएस)|