खेल
पोर्ट ऑफ स्पेन, 25 जुलाई भारतीय विकेटकीपर इशान किशन ने टेस्ट क्रिकेट में मैच की स्थिति के अनुसार बल्लेबाजी करने की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हर पांच दिवसीय मैच में आक्रामक बल्लेबाजी करने की जरूरत है।
वेस्टइंडीज दौरे पर टेस्ट में पदार्पण करने वाले इशान ने दूसरे मैच की दूसरी पारी में आक्रामक बल्लेबाजी करते हुए 34 गेंद में नाबाद 52 रन बनाये थे। भारतीय टीम ने इस दौरान 7.54 के रन रेट से दो विकेट पर 181 रन बनाकर पारी घोषित की थी।
मैच के बाद किशन से जब तेजी से बल्लेबाजी करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ यह जरूरी नहीं है कि आप हर मैच में फटाफट क्रिकेट खेलने लगें। यह स्थिति पर निर्भर होना चाहिए। पिचों की परिस्थिति भी इसमें भूमिका निभाती है कि कोई कितनी तेजी से रन बना सकता है।’’
मैच के चौथे दिन वेस्टइंडीज ने 365 रन के मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए दो विकेट पर 76 रन बनाए थे। पांचवां दिन पूरी तरह से बारिश की भेंट चढ़ गया।
इशान ने कहा, ‘‘ अगर आपको ऐसा विकेट मिलता है जहां आप तेजी से रन बना सकते हैं और टीम को इसकी जरूरत है तो इस (भारतीय) टीम में हर खिलाड़ी उस भूमिका को निभाने की क्षमता रखता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पास जिस तरह के खिलाड़ी हैं और हम जितने प्रारूपों और मैचों में खेलते हैं, हर कोई अपनी भूमिका जानता है कि किस मैच को किस तरह से खेलना है। व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है, हर मैच को इस तरह (आक्रामक बल्लेबाजी) खेलने की जरूरत नहीं है। यह मैच की परिस्थितियों पर निर्भर होना चाहिये।’’
इशान को भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा और जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि हर खिलाड़ी का व्यक्तित्व अलग होता है। यह कुछ के लिए निराशाजनक हो सकता है, लेकिन अन्य खिलाड़ी इसे एक चुनौती के रूप में ले सकते हैं कि ‘मैं उस स्तर तक पहुंचने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा हूं’।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर किसी और को टीम में चुना जाता है और वह प्रदर्शन करता है तो मैं उसकी सराहना करता हूं क्योंकि मुझे पता है कि यह खेल कितना कठिन है, मानसिक रूप से आपकी परीक्षा कैसे होती है, जब इतनी उम्मीदें और दबाव हो तो वह प्रदर्शन करना कितना कठिन होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, जब भी मैं टीम से बाहर पर होता हूं या नहीं खेलता हूं तो मेरी कोशिश होती है कि मैं अपने अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करूं ताकि जब भी मुझे मौका मिले, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूं।’’ (भाषा)
सिडनी, 25 जुलाई कैंसर से उबरने वाली लिंडा कैसिडो के गोल की मदद से कोलंबिया ने फीफा महिला विश्व कप के अपने पहले मैच में मंगलवार को दक्षिण कोरिया को 2-0 से हराया।
रियल मैड्रिड की अग्रिम पंक्ति की खिलाड़ी कैसिडो को 15 साल की उम्र में ‘ओवेरियन कैंसर’ का पता चला था। उन्होंने इस मैच में अपने देश के लिए दूसरा गोल करने के बाद सिडनी फुटबॉल मैदान में कोलंबिया के प्रशंसकों की ओर दौड़ कर खुशी का इजहार किया।
अठारह साल की कैसिडो मैदान के अंदर और बाहर एक प्रेरणादायक शख्सियत हैं। उन्होंने मैच के 39वें मिनट में गोल कर कोलंबिया की बढ़त को 2-0 किया।
इससे पहले कैटलिना उसमे ने मैच के 30वें मिनट में पेनल्टी को गोल में बदल कर कोलंबिया का खाता खोला था।
कैसिडो के अलावा इस मैच में एक और किशोर खिलाड़ी ने अपनी पहचान बनायी। दक्षिण कोरिया की कैसी फेयर 16 साल की उम्र में विश्व कप का मैच खेलने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं। वह मैच के दूसरे हाफ में स्थानापन्न खिलाड़ी के रूप में मैदान में उतरीं।
कोलंबिया की टीम ग्रुप एच में अपने अगले मुकाबले में रविवार को जर्मनी जबकि दक्षिण कोरिया की टीम सोमवार को मोरक्को का सामना करेगी। जर्मनी ने सोमवार को मोरक्को को 6-0 से हराया था। (एपी)
पुणे, 25 जुलाई । भारत की अयहिका मुखर्जी, जिनकी वैश्विक रैंकिंग 135 है, ने सोमवार को महालुंगे-बालेवाड़ी स्थित शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अल्टीमेट टेबल टेनिस के चौथे सीजन के एक रोमांचक मुकाबले में दुनिया की 26वें नंबर की खिलाड़ी लिली झांग पर 2-1 से चौंकाने वाली जीत दर्ज की। उनके इस शानदार परफॉर्मेंस की बदौलत दबंग दिल्ली टीटीसी ने यू मुंबा टीटी को 11-4 से हराकर इस सीजन की अपनी दूसरी जीत दर्ज की।
टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीटीएफआई) के तत्वावधान में आयोजित की जा रही इस फ्रेंचाइजी-बेस्ड लीग की शुरुआत 2017 में हुई थी और इसके प्रमोटर नीरज बजाज और वीटा दानी हैं।
अयहिका ने हर अंक के लिए संघर्ष किया और अमेरिका की लिली के खिलाफ 2-1 से जीत हासिल कर अपनी फ्रेंचाइजी की जीत की नींव रखी।
दोनों खिलाड़ियों के बीच पहले गेम में कांटे की टक्कर देखने को मिली। लिली और अयहिका ने एक-एक अंक जीतने के लिए जान लगा दी। दोनों का बैकहैंड शानदार था। अंत में, हालांकि अमेरिकी खिलाड़ी को गोल्डन पॉइंट के आधार पर जीत मिली।
दोनों ने दूसरे गेम में भी अपना जुझारूपन जारी रखा। यह गेम गोल्डन पाइंट के माध्यम से अयहिका के पक्ष में गया। तीसरे और निर्णायक गेम में भारतीय पैडलर ने जबरदस्त मानसिक दृढ़ता दिखाई और एक बार फिर गोल्डन पाइंट के जरिए गेम जीतकर मैच अपने नाम कर लिया।
इससे पहले, यू मुंबा टीटी के मानव ठक्कर दबंग दिल्ली टीटीसी के जॉन परसन के खिलाफ 0-3 से हार गए। मानव शुरुआत में ही लय में नहीं दिखे। इसका फायदा लेकर परसन शुरुआती गेम में जल्दी ही 10-2 पर पहुंच गए। इसके बाद हालांकि मानव ने दर्शकों को रोमांचित करते हुए लगातार छह अंक अर्जित किए। हालांकि, स्वीडिश पैडलर ने धैर्य बनाए रखते हुए सटीक फोरहैंड से पहला गेम 11-8 से जीत लिया।
दूसरे गेम में भी सूरत के पैडलर ने परसन को हर अंक के लिए पसीना बहाने पर मजबूर किया लेकिन दबंग दिल्ली टीटीसी के खिलाड़ी ने इस गेम को 11-8 से अपने नाम कर लिया। परसन ने दोनों छोर पर अपने शानदार शॉट्स से अगला गेम भी 11-7 से जीतकर मैच अपने नाम कर लिया।
सत्यन गणशेखरन और बारबोरा बालाजोवा ने मुकाबले के तीसरे मैच, जो कि मिश्रित युगल था, में मानव और लिली को 2-1 से हराकर दबंग दिल्ली टीटीसी की बढ़त को मजबूत किया। पहला गेम यू मुंबा टीटी की जोड़ी के नाम 11-5 से रहा, लेकिन सत्यन और बारबोरा ने अगले दो गेम 11-5, 11-8 से जीतकर मैच अपने नाम कर लिया।
दुनिया के 18वें नंबर के खिलाड़ी कादरी अरुणा ने सत्यन को अंतिम से पहले वाले मुकाबले में, जो कि पुरुष एकल था, में 2-1 से हराया लेकिन यू मुंबा टीटी को हार से नहीं बचा सके। कादरी ने पहले दो गेम 11-6, 11-6 से जीते लेकिन बाद में सत्यन ने तीसरा गेम 11-8 से जीत लिया ।
मुकाबले का आखिरी मैच महिला एकल था, जिसमें श्रीजा अकुला ने दीया चितले को 3-0 (11-8, 11-9, 11-8) से हराकर दबंग दिल्ली टीटीसी की शानदार जीत तय कर दी।
मैच का परिणाम:
दबंग दिल्ली टीटीसी 11-4 यू मुंबा टीटी
जॉन परसन 3-0 मानव ठक्कर (11-8, 11-8, 11-7)
अयहिका मुखर्जी 2-1 लिली झांग (10-11, 11-10, 11-10)
सत्यन/बारबोरा 2-1 मानव/लिली (5-11, 11-5, 11-8)
सत्यन गणशेखरन 1-2 कादरी अरुणा (6-11, 6-11, 11-8)
श्रीजा अकुला 3-0 दीया चितले (11-8, 11-9, 11-8) (आईएएनएस)।
विधांशु कुमार
भारतीय क्रिकेट टीम नवनिर्माण के दौर से गुज़र रही है. इसकी दो मुख्य वजह बताई जा सकती हैं.
एक तो टीम के कई वरिष्ठ खिलाड़ी अपने करियर के आख़िरी पड़ाव पर हैं.
हालांकि उनमें से कई अब भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन वो सभी अपने करियर की पीक से नीचे उतर आए हैं और वक़्त तेज़ी से गुज़र रहा है.
दूसरी बड़ी वजह है पिछले कई साल से आईसीसी ट्रॉफ़ी के अकाल ने टीम मैनेजमेंट और फ़ैंस के धीरज के बांध को भी तोड़ दिया है. टीम में नई ऊर्जा की ज़रूरत महसूस की जा रही है और कई क्षेत्रों में बदलाव किए भी जाने लगे हैं.
युवा खिलाड़ियों की खोज में आईपीएल, घरेलू टूर्नामेंट, अंडर-19 और इंडिया ए के मैचों में खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर चयनकर्ताओं की कड़ी नज़र है.
इस लिहाज़ से श्रीलंका में ख़त्म हुआ एशियन क्रिकेट काउंसिल का इमर्जिंग कप टूर्नामेंट काफ़ी अहम रहा है.
जैसा कि इस टूर्नामेंट का नाम था, इसके लिए ऐसे उभरते खिलाड़ियों को चुना गया जिन पर चयनकर्ताओं को लंबे समय तक खेलने का भरोसा है.
टूर्नामेंट में भारत की शानदार शुरुआत रही और इंडिया ए की टीम ने यूएई, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान को हराते हुए फ़ाइनल में जगह बनाई. लेकिन जहां लीग मुक़ाबले में भारत ने पाकिस्तान को आसानी से 8 विकेटों से हराया था, वहीं फ़ाइनल में भारतीय टीम की हवा निकल गई.
पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 8 विकेट के नुकसान पर 352 रनों का बड़ा स्कोर बनाया. जवाब में भारतीय पारी 40 ओवरों में 224 पर ही सिमट गई और टीम ने 128 रनों के बड़े अंतर से मैच गंवा दिया.
वैसे फ़ाइनल में ढुलमुल प्रदर्शन ने भारतीय खिलाड़ियों की चमक को फीका कर दिया, लेकिन फिर भी कुछ खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने अपनी प्रतिष्ठा में इज़ाफा किया.
नज़र डालते हैं कुछ ऐसे खिलाडियों पर जिन्होंने इस टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से भारतीय सीनियर टीम के दरवाज़े पर दस्तक दी है.
यश ढुल
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है भारतीय कप्तान यश ढुल का. मिडिल ऑर्डर में, आमतौर पर नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करने वाले ढुल ने टूर्नामेंट में कुल 234 रन बनाए और वो सर्वोच्च स्कोरर की लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहे.
सबसे ज्यादा 255 रन श्रीलंका के अविष्का फर्नांडो ने बनाए थे लेकिन वो सीनियर प्लेयर्स के अंतरराष्ट्रीय मैच पहले ही खेल चुके है.
ढुल ने यूनाइटेड अरब अमीरात के ख़िलाफ़ 108 नाबाद रन बनाए और बांग्लादेश के विरुद्ध भी उन्होंने 66 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली.
दिल्ली से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले ढुल बड़ी पारियां खेलने के लिए जाने जाते हैं और एक बार वो जम जाते हैं तो उन्हें आउट करना मुश्किल हो जाता है.
इस टूर्नामेंट की चार पारियों में ढुल 2 बार नॉट आउट रहे और उनका औसत 117 का रहा.
ये औसत टॉप स्कोरर अविष्का के 64 की औसत से कहीं ज्यादा रहा. 50 ओवर के क्रिकेट में भी उन्होंने 100 से ऊपर का स्ट्राइक रेट रखा और 102 के स्ट्राइक से रन बनाए जो दिखाता है कि वो ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो बड़े स्कोर्स करते हैं और तेज़ी से रन बनाते हैं.
साई सुदर्शन
साई सुदर्शन ने इस टूर्नामेंट के पांच पारियों में 73 की औसत से 220 रन बनाए. उनका स्ट्राइक रेट भी 99 का रहा जिसे बढ़िया कहा जा सकता है.
एक ओपनर के तौर पर उन्होंने भारतीय टीम को लगभग हर मैच में अच्छी शुरुआत दिलाई. उन्होंने बड़े मैचों में बड़ा दिल दिखाया और जमकर खेले.
पाकिस्तान के खिलाफ़ लीग मैच में उन्होंने 104 रनों की नाबाद पारी खेली और पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ों और स्पिनर्स के अटैक को धो डाला.
उनकी पारी की वजह से भारत को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी जीत मिली थी. फाइनल में भी पाकिस्तान के बड़े स्कोर का पीछा करते हुए उन्होंने अच्छी शुरुआत दिलवाई थी लेकिन 29 रनों पर वो आउट हो गए जिसके बाद भारतीय टीम बड़ी पार्टनरशिप नहीं बना सकी.
उनका आउट होना भी विवादों से घिरा रहा क्योंकि वो गेंद शायद नो बॉल थी. साई सुदर्शन के खाते में एक और अच्छी बात जाती है कि वो बाएं हाथ से बैटिंग करते हैं और टीम इंडिया को इसकी बहुत ज़रूरत है क्योंकि आज की तारीख में वनडे के टॉप पांच में उनके पास कोई भी लेफ्ट हैंडर नहीं है.
अभिषेक शर्मा
पंजाब से खेलने वाले ऑलराउंडर अभिषेक शर्मा ने टूर्नामेंट में साई सुदर्शन के साथ बेहतरीन ओपनिंग जोड़ी बनाई.
उन्होंने 5 पारियों में 44.20 की औसत से 221 रन बनाए और टूर्नामेंट में सर्वोच्च स्कोरर की लिस्ट में तीसरे नंबर पर रहे.
उन्होंने इस सिरीज़ में दो अर्धशतक लगाए. नेपाल के विरुद्ध उन्होंने 87 रन बनाए और फ़ाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ़ 61 रन पर आउट हुए.
पिछले कुछ सीज़न से वो आईपीएल में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इस साल उन्होंने हैदराबाद के लिए आईपीएल में 11 पारियों में 225 रन बनाए थे. क़रारे औऱ लंबे शॉट्स लगाने वाले शर्मा बाएं हाथ के गेंदबाज़ भी हैं और इमर्जिंग कप में उन्हें 2 विकेट भी मिले.
साई सुदर्शन की ही तरह वो भी लेफ्ट हैंड बैटर हैं और भारतीय टीम के लिए अभी वर्क इन प्रोग्रेस माने जा सकते हैं.
भारतीय मैनेजमेंट मानती है कि मैदान पर चारों तरफ शॉट्स लगाने वाले अभिषेक शर्मा जब अपने पीक पर होंगे तो दुनिया भर के गेंदबाज़ों के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं.
निशांत सिंधु
एसीसी इमर्जिंग कप ने भारतीय क्रिकेट को जो नया सितारा दिया, उसका नाम निशांत सिंधु है. हरियाणा से खेलने वाले सिंधु इस टूर्नामेंट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले बॉलर बने हैं.
उन्होंने 11.81 की ज़बरदस्त औसत के साथ 11 विकेट लिए. बांग्लादेश के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम मैच हार गई होती अगर सिंधु और मानव सुथार ने शानदार बॉलिंग ना की होती.
उस लो-स्कोरिंग मैच में सिंधु ने 20 रन देकर 5 विकेट लिए थे. उन्नीस साल के सिंधु बाएं हाथ के बल्लेबाज भी है और टीम में बतौर ऑलराउंडर खेलते हैं.
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने अपने छोटे से करियर में अभी तक 14 मैचों में 40 की औसत से 921 रन भी बनाए हैं और 34 की औसत से 27 विकेट भी लिए हैं.
वो खुद को एक टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़ मानते हैं जो विकेट भी ले सकता है. कम से कम अगले आईपीएल में इस खिलाड़ी पर बड़े दांव लग सकते हैं.
मानव सुथार
सिंधु के बॉलिंग पार्टनर मानव सुथार ने इमर्जिंग कप में खुद को एक डिपेंडेबल बॉलर के रूप में स्थापित किया.
राजस्थान के लंबे कद के और बाएं हाथ के स्पिनर सुथार ने श्रीलंका में खेले गए इमर्जिंग कप में 19.50 की औसत से 10 विकेट चटकाए.
सेमीफ़ाइनल में 211 के स्कोर का पीछा करते हुए बांग्लादेश की टीम एक समय 90 पर एक विकेट के स्कोर पर खेल रही थी, लेकिन इसके बाद सुथार और सिंधु की बॉलिंग का जादू छाया और दोनों ने मिलकर कुल 2 बांग्लादेशी विकेट झटके.
सुथार ने 32 रन देकर 3 विकेट लिए, जबकि सिंधु की झोली में 5 विकेट आए और बांग्लादेश की टीम 51 रनों से मैच हार गई.
सुथार की बॉलिंग की खासियत है कि वो पिच से गेंद को अच्छा टर्न कराते हैं और साथ ही साथ एक मंझे हुए बाएं हाथ के बॉलर की तरह बहुत ही सटीक लाइन और लेंथ पर बॉलिंग करते हैं.
इसकी वजह से उनकी इकॉनमी भी ठीक रहती है और विकेट भी वो खूब झटकते हैं. राजस्थान से खेलने वाले सुथार ने 2022-23 सीज़न में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 39 विकेट लिए.
टीम में उनकी अहमियत कितनी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने से सीनियर रवि बिश्नोई को भी टीम में जगह बनाने के लिए मुश्किल खड़ी कर दी थी.
भारतीय ए टीम के ये सभी खिलाड़ी 19 से 22 की उम्र के हैं और इन्होंने अपने करियर की अभी शुरुआत ही की है, लेकिन अपने टैलेंट के बल पर इन्होंनें छोटे से ही करियर में बड़ा नाम कर लिया है.
आम तौर पर किसी भी वर्ल्ड कप के बाद टीम में बड़े परिवर्तन करने का मौक़ा मिलता है. इन खिलाड़ियों का 2023 के वर्ल्ड कप की टीम में आना तो मुश्किल लगता है लेकिन उसके बाद के सफ़र में बड़ी संभावना है कि आप ज़रूर इनके नाम भारतीय टीम के साथ जुड़ते हुए देखेंगे. (bbc.com)
पोर्ट ऑफ स्पेन, 24 जुलाई । भारत के विकेटकीपर-बल्लेबाज ईशान किशन ने रविवार को वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पहले टेस्ट अर्धशतक के बाद ऋषभ पंत को धन्यवाद दिया और कहा कि सीरीज की शुरुआत से पहले दोनों खिलाड़ियों ने एनसीए में बातचीत की थी।
पंत 30 दिसंबर, 2022 को हुई भीषण कार दुर्घटना से उबर रहे हैं। बीसीसीआई उनकी बारीकी से निगरानी कर रही है। बीसीसीआई ने पिछले हफ्ते बताया था कि क्रिकेटर में लगातार सुधार हो रहा है।
रविवार को किशन ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट के चौथे दिन शानदार पारी खेली। खेल के बाद किशन ने पंत को धन्यवाद दिया और कहा कि दोनों के बीच एनसीए में बातचीत हुई थी। पंत वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला की तैयारी कर रहे थे।
"मैं यहां आने से पहले एनसीए में था। मैं वहां अभ्यास कर रहा था और रिषभ भी अपने रिहैब के लिए वहां था। उसने मुझसे सब कुछ पूछा, बैट पोजिशन और बहुत कुछ। उसने मुझे खेलते हुए भी देखा। हमने कई मैच एक साथ खेले हैं। हम अंडर-19 के बाद से एक साथ हैं।
किशन ने कहा, “तो वह जानता है कि मैं कैसे खेलता हूं, मेरा माइंडसेट क्या है। उसने बैट पोजिशन और दूसरी चीजों में मेरी मदद की। बहुत अच्छा लगा जब वो आया और मेरे साथ बातचीत की और इसके लिए मैं वास्तव में आभारी हूं।''
चौथे दिन वेस्टइंडीज की टीम ने 5 विकेट पर 229 रन बनाकर शानदार शुरुआत की, लेकिन आखिरी पांच विकेट उन्होंने सिर्फ 26 रन पर गंवा दिए। भारत ने 183 की बढ़त के साथ वेस्टइंडीज के सामने 365 रन का लक्ष्य रखा है।
जवाब में, वेस्टइंडीज ने दिन का अंत 2 विकेट पर 76 रन पर किया। टैगेनरीन चंद्रपॉल और जर्मेन ब्लैकवुड क्रीज पर थे। उन्हें अंतिम दिन फिर से जीत के लिए 289 रनों की जरूरत होगी।
हालांकि, सोमवार को मैच का नतीजा तय करने में मौसम अहम भूमिका निभा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक बारिश की 80 प्रतिशत संभावना है। (आईएएनएस)।
विमल कुमार
पोर्ट ऑफ स्पेन से, 24 जुलाई। रोहित शर्मा और टीम इंडिया को इस बात का बख़ूबी अहसास है कि पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट के आख़िरी दिन अगर किसी एक टीम की सिर्फ़ जीत की संभावना है तो वो टीम इंडिया है.
इसकी वजह ये है कि आख़िरी दिन मेज़बान को जीत के लिए 289 रनों की ज़रूरत है जबकि इस पिच पर पहले दिन सबसे ज़्यादा 278 रन बने थे.
यानी वेस्ट इंडीज़ के लिए रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की जोड़ी के सामने ऐसा सोचना भी बेहद कठिन लगेगा.
ख़ासकर, ये देखते हुए कि ये दिग्गज जोड़ी अब साझेदारी में 500 विकेट पूरी कर चुकी है और महज़ दो विकेट के बाद वो अनिल कुंबले और हरभजन सिंह के 501 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे.
बहरहाल, मैच के चौथे दिन टीम इंडिया के लिए हीरो रहे पारी में पाँच विकेट लेने वाले मोहम्मद सिराज.
तीसरे दिन 229 रनों के स्कोर पर पाँच विकेट के स्कोर से खेलने उतरी कैरेबियाई टीम चौथे दिन अचानक से ही ताश के पत्तों की तरह बिखर गई और 255 रन पर सिमट गई.
इसके बाद जो रोहित शर्मा-यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल ने मिलकर महज़ 12. 2 ओवर में किसी भी टीम के लिए इतिहास का सबसे तेज़ शतक बना डाला.
मौजूदा बेज़बॉल वाले दौरे में इंग्लैंड के ओपनर भी इतने आक्रामक नज़र नहीं आए, जैसा कि कप्तान रोहित शर्मा और जायसवाल की जोड़ी दिखी.
रोहित का इरादा
रोहित ने अगर अपने करियर का सबसे तेज़ अर्धशतक महज़ 35 गेंदों पर बनाया तो जायसवाल ने पहले ही ओवर में केमार रोच जैसे अनुभवी गेंदबाज़ के ओवर में एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से छक्का जड़ दिया.
रोहित की तेज़ तर्रार पारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनसे तेज़ अर्धशतक सिर्फ वीरेंद्र सहवाग ने लगाया है जिन्होंने ये कामल 32 गेंदों पर दिखाया है.
बहरहाल, तमाम कैरेबियाई दर्शक इस नज़ारे को देखकर स्तब्ध थे कि आखिर जिस पिच पर तीसरे दिन उनकी टीम घुटने के बल पर रेंगते हुए बल्लेबाज़ी कर रही थी और वहां पर टीम इंडिया टी20 वाली रफ्तार से बल्लेबाज़ी कर रही थी.
निश्चित तौर पर, बारिश की आशंका को ध्यान में रखते हुए रोहित शर्मा ने बेहद आक्रामक रुख़ अपनाया था.
रोहित शायद ये नहीं चाहते हों कि जिस तरह से 2011 में महेंद्र सिंह धोनी ने 1-0 की बढ़त को 2-0 में बदलने से इनकार कर दिया था और बाद में हर किसी को मलाल होता रहा.
रोहित का इरादा हर हाल में 2-0 की बढ़त लेने का है और इसलिए मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करने के लिए विराट कोहली से ऊपर ईशान किशन आए और झारखंड के इस विकेट कीपर-बल्लेबाज़ ने अपने साथी ऋषभ पंत के ही चिर-परिचित अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करते हुए 33 गेंदों पर अर्धशतक ठोक दिया.
12 साल बाद फिर घूमा वक़्त का पहिया
टीम इंडिया के लिए चौथे दिन आक्रामक बॉडी लैंग्वेज का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिन के खेल के दौरान एक बार स्लिप और विकेटकीपर के बीच से गेंद निकली तो उसे बाउंड्री से रोकने के लिए कीपर ईशान किशन और पहली स्लिप पर अजिंक्य रहाणे के बीच रेस लग गई.
इतना ही नहीं इस रेस में थर्ड मैन से तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज भी जुड़ गए.
एक युवा विकेट कीपर, एक बेहद अनुभवी उप-कप्तान और एक युवा तेज़ गेंदबाज, इन तीनों का सिर्फ़ एक रन बचाने के लिए एक साथ दौड़ना दिखा रहा था कि भारत हर हाल में टेस्ट जीतने के लिए बेकरार है.
दिन का खेल ख़त्म होने के बाद सिराज प्रेस-वार्ता के लिए आए. हमने उनसे सवाल किया कि क्या मैच के आखिरी दिन उनके अलावा अश्विन-जडेजा की जोड़ी को झेलना कैरेबियाई बल्लेबाज़ों के लिए आसान नहीं होगा तो सिराज ने अपने दिलचस्प अंदाज़ में जवाब देते हुए कहा कि अश्विन भाई तो इस पिच पर खोल देंगे अगर हम लोग पहले सत्र में अच्छी गेंदबाज़ी करते हैं.
सिराज ने ये भी माना कि जब भी अनुभवी गेंदबाज़ टीम के साथ नहीं होते हैं तो उन पर अतिरिक्त ज़िम्मेदारी आती है और वो उस पर खरा उतरने की कोशिश करते हैं.
शिवनारायण चंद्रपॉल ने 2011 में डोमिनाक टेस्ट के दौरान शतक बनाते हुए इतना वक्त टीम इंडिया के लिए खत्म कर दिया था कि उनके पारी घोषित करने के बाद इतना वक्त नहीं बचा था कि कोई भी कप्तान आसानी से लक्ष्य़ के लिए जाता.
12 साल बाद वक्त का पहिया फिर से दिलचस्प अंदाज़ में घूमा है और एक बार फिर से चौथे दिन का खेल खत्म होने तक चंद्रपॉल क्रीज़ पर नाबाद टिके हैं औऱ अगर तेजनारायण ने तेज़ शतक बनाया तो कौन जाने जीत ना ही सही लेकिन ड्रॉ नतीजे के लिए वो अहम भूमिका निभा सकते हैं.
लेकिन, ऐसा सोचने के लिए भी ना सिर्फ उन्हें बल्कि निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के लिए काफी अनुशासन की जरूरत पड़ेगी, नहीं तो अगर मैच लंच से पहले या फिर चाय से पहले खत्म हो जाए तो चौंकने की ज़रूरत नहीं, बशर्ते बारिश इस बार मेज़बान को बचा ना दे. (bbc.com/hindi)
ऑस्ट्रेलिया ने एशेज सिरीज़ पर अपना कब्ज़ा कायम रखा है.
बारिश के कारण मैनचेस्टर में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जा रहा चौथा टेस्ट मैच ड्रॉ हो गया.
सिरीज़ में ऑस्ट्रेलिया दो मैच जीतकर आगे चल रही थी. इंग्लैंड ने सिरीज़ में एक मैच जीता था. मैनचेस्टर में इंग्लैंड की कोशिश थी कि किसी तरह से मैच जीतकर सिरीज़ ड्रॉ करवाई जा सके या बराबरी की जा सके.
सिरीज़ का पांचवा मैच 28 जुलाई से ओवल में खेला जाएगा. मगर अगर इस मैच में इंग्लैंड की टीम जीत भी गई तब भी सिरीज़ 2-2 से ड्रॉ हो जाएगी.
दोनों देशों के बीच हुई पिछली एशेज सिरीज़ भी ऑस्ट्रेलिया ने 4-0 से जीती थी.
नियम ये है कि अगर सिरीज़ ड्रॉ होती है तो ट्रॉफी डिफेंडिंग चैंपियन के पास ही रहेगी. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 22 जुलाई । भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर का मानना है कि अगर अनुभवी मध्यक्रम बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे खुद को दौड़ में बनाए रखना चाहते हैं तो उन्हें टेस्ट क्रिकेट में लगातार रन बनाने होंगे।
पिछले महीने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से 209 रन की हार में रहाणे 89 और 46 के स्कोर के साथ भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे। फिर उन्हें वेस्टइंडीज के मौजूदा टेस्ट दौरे के लिए उप-कप्तान नियुक्त किया गया, जहां उनके स्कोर सिर्फ तीन और आठ रन रहे हैं।
“अजिंक्य रहाणे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बाद से अगर अपना फॉर्म कायम रखे होते तो वो आज भारतीय टीम के कप्तान होते।"
जियोसिनेमा पर वर्चुअल मीडिया इंटरेक्शन में जाफर ने कहा, “लेकिन फिर उन्होंने आईपीएल के दौरान खुद को फिर से स्थापित किया और यहां तक कि उन्हें विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में भी मौका मिला, जहां उन्होंने रन बनाए। उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ इस श्रृंखला के लिए उप-कप्तान भी बनाया गया था। चयनकर्ताओं ने देखा होगा कि उनके पास काफी क्षमता है। लेकिन एकमात्र चीज यह है कि उसे रन बनाने की जरूरत है। अगर वह रन नहीं बनाते हैं, तो उनके लिए मुश्किलें होंगी।”
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने शुक्रवार को कहा कि केएल राहुल और श्रेयस अय्यर ने दाहिनी जांघ और पीठ की चोटों से उबरने के बाद बल्लेबाजी अभ्यास शुरू कर दिया है। जाफर ने दोहराया कि अगर रहाणे लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें टेस्ट टीम के भविष्य के कप्तान के रूप में देखा जा सकता है।
“पहले दो बार जब बल्लेबाजी करने का मौका मिला तो वह जल्दी आउट हो गए। मैं श्रेयस अय्यर और केएल राहुल की वापसी पर कहूंगा कि वे बड़ी चोटों के बाद वापस आ रहे हैं और उन्हें अपनी फिटनेस साबित करने, रन बनाने की जरूरत है।"
“लेकिन अजिंक्य रहाणे को लगातार रन बनाने होंगे क्योंकि 80-90 टेस्ट मैच (84 मैच) खेलने के बावजूद यही उनकी समस्या रही है। रोहित शर्मा के बाद वह कप्तानी के लिए एक अच्छे विकल्प हो सकते हैं। एक बार जब वह लगातार रन बनाना शुरू कर देंगे तो यह सब अपने आप हो जाएगा।"
जाफर ने यह भी कहा कि टेस्ट टीम में चयन के लिए नजरअंदाज किए जाने के बावजूद मुंबई के बल्लेबाज सरफराज खान को रन बनाने में निरंतरता पर ध्यान देना होगा। सरफराज रणजी ट्रॉफी में शानदार रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे हैं, लेकिन उन्हें टेस्ट टीम में जगह नहीं दी गई है। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने दलीप ट्रॉफी के हालिया संस्करण में हालांकि कोई बड़ा स्कोर नहीं किया।
"बेशक उसे (सरफराज को) निराश होने का अधिकार है और इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन कुछ चीजें हैं जो उसके नियंत्रण से बाहर हैं। उसे फिर से रन बनाने पर फोकस करना होगा। अगर वह दलीप ट्रॉफी की तरह विफल रहते हैं या आगामी मैचों में रन नहीं बनाते हैं तो मौका मिलने की सम्भावना कम है।" (आईएएनएस)
पोर्ट ऑफ स्पेन, 21 जुलाई । वेस्टइंडीज के सहायक कोच केनी बेंजामिन का मानना है कि भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन गेंदबाजों को कड़ी मेहनत करनी होगी और साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि गेंदबाज अपनी योजनाओं को अच्छी तरह से क्रियान्वित करेंगे।
टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने उतरी वेस्टइंडीज की टीम पहले सत्र में एक भी विकेट नहीं ले पाई। लेकिन मेजबान टीम ने दूसरे सत्र में चार विकेट लेकर वापसी की, लेकिन विराट कोहली (नाबाद 87) और रवींद्र जड़ेजा (नाबाद 36) ने 106 रन की अटूट साझेदारी की, जिससे भारत ने पहले दिन का खेल 84 ओवर में 288/4 के स्कोर पर समाप्त किया।
बेंजामिन ने पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमारे पास प्रत्येक बल्लेबाज के लिए अपनी योजनाएँ हैं और हम आशा करते हैं कि गेंदबाज उन योजनाओं पर कायम रहेंगे और धैर्य रखेंगे। मैं जानता हूं कि कोहली, जड़ेजा और बाकी बल्लेबाज आने वाले हैं तो वे हमें जाने नहीं देंगे। इसलिए, हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और उम्मीद करनी होगी कि गेंदबाज अपनी योजनाओं को अच्छी तरह से क्रियान्वित करेंगे। ''
अपनी 21वीं गेंद पर खाता खोलने वाले कोहली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 500वें मैच में अपने 29वें टेस्ट शतक तक पहुंचने से सिर्फ 13 रन दूर हैं। 1992-1998 तक वेस्टइंडीज के लिए 92 टेस्ट मैच और 33 वनडे खेलने वाले बेंजामिन इस बात पर अड़े थे कि उनके गेंदबाज कोहली को शतक तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करवाएंगे।
"अगर वह (शतक बनाने के लिए) तैयार है तो उसे इसके लिए काम करना होगा, हम इसे उसे आसानी से हासिल नहीं करने देंगे और रास्ते में खूंटा गाड़ देंगे। उम्मीद है कि अगर हम शुक्रवार को ऐसा करते हैं तो हमारे पास दूसरी नई गेंद से शुरुआत करने का मौका होगा। हमें उम्मीद है कि हम कुछ सफलता हासिल करेंगे और खुद को खेल में वापस लाएंगे।"
धीमी, शांत पिच पर पहले गेंदबाजी करने के पीछे के तर्क के बारे में पूछे जाने पर, बेंजामिन ने कहा, “ठीक है, कोच और कप्तान को लगा कि कुछ नमी थी। जब उन्होंने गेंदबाजी की तो हम स्टंप के पीछे से देख सकते थे कि पिच में कुछ नमी थी। इसलिए हमें लगा कि अगर हमें पिच से कुछ हासिल करना है तो वह पहले दिन ही होगा।''
उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि भारत और वेस्टइंडीज के बीच 100वें टेस्ट का पहला दिन मेजबान टीम के लिए संतोषजनक रहा। "हम थोड़े निराश थे कि हमने लंच तक एक या दो विकेट नहीं लिए लेकिन फिर हमने चार विकेट लेकर अच्छा प्रदर्शन किया।"
"विराट और जडेजा को बधाई, उन्होंने बहुत अच्छा खेला और वे बहुत अनुभवी हैं। विराट एक बहुत ही खास खिलाड़ी हैं और दोनों ने वह सत्र हमसे छीन लिया, लेकिन कुल मिलाकर यह एक संतोषजनक दिन था।" (आईएएनएस)।
रसेलशेम (जर्मनी), 20 जुलाई भारतीय महिला हॉकी टीम का निराशाजनक प्रदर्शन जारी रहा और उसे जर्मनी से 0-2 से हार का सामना करना पड़ा जो उसकी वर्तमान दौरे में लगातार तीसरी पराजय है।
भारतीय टीम के जर्मनी दौरे के तीसरे और अंतिम मैच में मेजबान टीम की तरफ सेनाइक लोरेंज (52वें मिनट) और चार्लोट स्टेपनहॉर्स्ट (54वें मिनट) ने गोल किए।
भारतीय टीम अपने पिछले दो मुकाबलों में चीन (2-3) और जर्मनी (1-4) से हार गई थी।
भारतीय टीम का जर्मनी का यह दौरा आगामी एशियाई खेलों की तैयारियों के सिलसिले में था।
दौरे के तीसरे और अंतिम मैच में भारतीय टीम जर्मनी को तीसरे क्वार्टर तक गोल रहित बराबरी पर रोकने में सफल रही थी। चौथे क्वार्टर में हालांकि कड़ा मुकाबला देखने को मिला जिसमें जर्मनी ने आक्रामक रुख अपनाया।
भारत को इसके पिछले क्वार्टर में दो पेनल्टी कॉर्नर मिले थे लेकिन वहां उन्हें गोल में बदलने में नाकाम रहा।
लोरेंज ने जर्मनी को मिले तीसरे पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करके अपनी टीम को बढ़त दिलाई। लोरेंज ने मंगलवार को भारत के खिलाफ खेले गए पहले मैच में दोे गोल किए थे।
स्टेपनहॉर्स्ट ने इसके बाद मैदानी गोल करके जर्मनी की जीत सुनिश्चित की।
भारतीय महिला हॉकी टीम को अब स्पेन का दौरा करना है जहां वह स्पेनिश हॉकी महासंघ के 100 साल पूरे होने पर आयोजित किए जाने वाले टूर्नामेंट में भाग लेगी। (भाषा)
मीरपुर, 19 जुलाई । जेमिमा रोड्रिग्स की करियर की सर्वश्रेष्ठ 86 रन की पारी के बाद चार विकेट की मदद से भारत ने बुधवार को यहां दूसरे महिला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में बांग्लादेश को 108 रन से हराकर तीन मैच की श्रृंखला 1-1 से बराबर कर दी।
भारत ने जेमिमा (86) और कप्तान हरमनप्रीत कौर (52) के अर्धशतक और दोनों के बीच चौथे विकेट की 91 गेंद में 73 रन की साझेदारी से आठ विकेट पर 228 रन का स्कोर खड़ा किया था।
इसके जवाब में बांग्लादेश की टीम फरगाना हक (81 गेंद में 47 रन) और रितु मोनी (46 गेंद में 27 रन) के बीच चौथे विकेट की 68 रन की साझेदारी से तीन विकेट पर 106 रन बनाकर अच्छी टक्कर दे रही थी। हालांकि इस साझेदारी के टूटने के बाद मेजबान टीम 35.1 ओवर में 120 रन पर सिमट गई।
जेमिमा ने गेंदबाजी से भी कमाल दिखाते हुए 3.1 ओवर में तीन रन देकर चार विकेट चटकाए। लेग स्पिनर देविका वैद्य ने भी 30 रन देकर तीन विकेट हासिल किए।
रितु और फरगाना दोनों को विकेटकीपर यस्तिका भाटिया ने क्रमश: देविका और जेमिमा की गेंद पर स्टंप किया। सितंबर के बाद अपना पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहीं तेज गेंदबाज मेघना सिंह ने
सलामी बल्लेबाज मुर्शीदा खातून (12) को आउट किया।
तीसरा और अंतिम एकदिवसीय शनिवार को खेला जाएगा।
हरमनप्रीत ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए पहले बल्लेबाजी करते हुए प्रभावी स्कोर खड़ा करने का अच्छा मौका था। हमने एक बल्लेबाज के अंत तक बल्लेबाजी करने के बारे में बात की थी। जब जेमी (जेमिमा) आई तो हमने गेंद के अनुसार बल्लेबाजी की और हमारा ध्यान स्ट्राइक रोटेट करने पर था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सपाट पिचों पर बल्लेबाजी कर रहे थे, काफी लंबे समय बाद एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले और इसलिए हम तेजी से सामंजस्य नहीं बैठा पाए। लेकिन (पहले मैच के बाद) हमने सामंजस्य बैठाने और इस तरह की पिच पर बल्लेबाजी करने को लेकर बात की।’’
इससे पहले टॉस गंवाने के बाद बल्लेबाजी करने उतरे भारत के लिए सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने 58 गेंद में 36 रन की पारी खेली लेकिन इसके बावजूद मेहमान टीम 68 रन तक तीन विकेट गंवाकर संकट में थी। जेमिमा और हरनमप्रीत ने इसके बाद पारी को संभाला।
करियर की सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय पारी खेलने वाली जेमिमा ने हरलीन देओल (25) के साथ भी 55 रन की साझेदारी की। हरमनप्रीत के बाएं हाथ में दर्द के कारण रिटायर्ड हर्ट होने पर हरलीन क्रीज पर उतरी थी।
भारत जेमिमा की आक्रामक पारी की बदौलत शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम में धीमी शुरुआत से उबरने में सफल रहा।
जेमिमा ने 78 गेंद की अपनी पारी में नौ चौके मारे। हरमनप्रीत पारी के अंतिम ओवरों में मैदान पर उतरीं और उन्होंने अर्धशतक पूरा किया। हरमनप्रीत ने 88 गेंद का सामना करते हुए तीन चौके जड़े।
इससे पहले भारतीय बल्लेबाजों को बांग्लादेश के गेंदबाजों की सटीक लाइन और लेंथ के सामने रन बनाने में परेशानी हुई।
मारूफा अख्तर ने पारी के पांचवें ओवर में सलामी बल्लेबाज प्रिया पूनिया (07) को बोल्ड किया जबकि यस्तिका भाटिया (15) रन आउट हुईं।
हरमनप्रीत और स्मृति इसके बाद क्रीज पर थे। स्पिनरों को पिच से अच्छा टर्न और उछाल मिल रहा था।
दोनों 66 गेंद में 28 रन की जोड़ी सकीं। रन गति बढ़ाने में प्रयास में स्मृति लेग स्पिनर राबिया खान की गेंद पर बोल्ड हो गईं जिससे भारत का स्कोर तीन विकेट पर 68 रन हो गया।
जेमिमा के आने के बाद चीजें बदलीं। जेमिमा और हरमनप्रीत ने अपनी साझेदारी के दौरान स्पिनरों के खिलाफ कदमों का अच्छा इस्तेमाल किया। भारत के रनों का शतक 28वें ओवर में पूरा हुआ।
दोनों ने स्ट्राइक रोटेट करने को तरजीह दी और खराब गेंद पर बाउंड्री भी लगाई। बांग्लादेश ने अपनी गेंदबाजों से लंबे स्पैल कराके दबाव बनाया।
जेमिमा और हरमनप्रीत के बीच अर्धशतकीय साझेदारी 32वें ओवर में पूरी हुई।
जेमिमा ने मारूफा पर चौके के साथ अर्धशतक पूरा किया।
जेमिमा ने अंतिम पांच ओवर में पांच चौके जड़कर रन गति में इजाफा किया। (भाषा)
पोर्ट आफ स्पेन, 19 जुलाई भारतीय कप्तान रोहित शर्मा को युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन से काफी उम्मीदें हैं और उन्होंने संकेत दिया कि उसके हुनर को निखारने के लिये उसे टेस्ट क्रिकेट में और मौके दिये जायेंगे ।
ईशान ने रोसीयू में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में पदार्पण किया जो भारत ने एक पारी और 141 रन से जीता । रोहित ने कहा कि रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे स्पिनरों के सामने ईशान की विकेटकीपिंग से वह काफी प्रभावित हैं ।
भारतीय टीम दूसरा टेस्ट बृहस्पतिवार से खेलेगी । पहले टेस्ट में ईशान के प्रदर्शन के बारे में पूछने पर रोहित ने कहा ,‘‘ईशान काफी प्रतिभाशाली है । हमने उसके संक्षिप्त कैरियर में यह देखा है।उसने हाल ही में वनडे क्रिकेट में 200 रन बनाये हैं । उसके पास प्रतिभा है और हमें उसे निखारना है।’’
उन्होंने कहा ,‘‘हमें उसे मौके देने होंगे । वह बायें हाथ का बल्लेबाज है और आक्रामक क्रिकेट खेलता है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने उससे खुलकर बात की है कि मैं उसे किस तरह से खेलते देखना चाहता हूं । मैने उसे पूरी आजादी दी है । यही हमारा काम भी है ।’’
भारत ने जब पहली पारी घोषित की तब तक ईशान 20 गेंद ही खेल सके थे । रोहित ने कहा कि वह ईशान की विकेटकीपिंग से काफी प्रभावित हैं खासकर जब गेंद टर्न ले रही थी ।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं उसकी विकेटकीपिंग के बारे में बात करना चाहूंगा । उसने पहला टेस्ट खेलने के बावजूद शानदार विकेटकीपिंग की । टर्न लेती पिच पर अश्विन और जडेजा के सामने विकेटकीपिंग करना आसान नही था । मैं उससे काफी प्रभावित हूं ।’’
भारतीय कप्तान ने कहा ,‘‘ वह एक रन ही बना सका क्योंकि हमें पारी का ऐलान करना था ।हम चाहते हैं कि शीर्षक्रम के बल्लेबाज लंबे समय तक बल्लेबाजी करेंगे । अगर मौका मिलता है तो ईशान भी लंबी पारी खेलने के लिये तैयार है।’’
रोहित ने विजयी टीम में बड़े बदलाव से इनकार किया लेकिन कहा कि यहां खराब मौसम के कारण पिच को लेकर स्पष्टता नहीं मिल रही है।
भारत ने पहला टेस्ट बड़े अंतर से जीता जिसमें यशस्वी जायसवाल ने भी पदार्पण किया और शुभमन गिल नये क्रम पर बल्लेबाजी के लिये उतरे ।
रोहित ने कहा ,‘‘डोमिनिका में हमें पिच के बारे में पता था । यहां बारिश की बात हो रही है तो कुछ पता नहीं चल रहा । टीम में भारी बदलाव नहीं होंगे लेकिन हम हालात के अनुरूप फैसला लेंगे ।’’
पहले मैच में 171 रन बनाने वाले जायसवाल की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा ,‘‘ भारतीय क्रिकेट में आज या कल बदलाव का दौर आयेगा । मुझे खुशी है कि नये खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं । हमारा काम उन्हें उनकी भूमिका के बारे में समझाना है । अब तैयारी करना और अच्छा प्रदर्शन करना उनके जिम्मे है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ हमें इन पर भरोसा है और ये भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं जो भारतीय क्रिकेट को नयी ऊंचाइयों तक ले जायेंगे ।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 19 जुलाई मौजूदा अंडर 20 विश्व चैम्पियन अंतिम पंघाल ने बुधवार को विनेश फोगाट को एशियाई खेलों के लिये चयन ट्रायल से छूट दिये जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ वह ही नहीं बल्कि कई अन्य भारतीय पहलवान 53 किलो वर्ग में विनेश को हराने में सक्षम हैं ।
विनेश (53 किलो) और बजरंग पूनिया (65 किलो) को भारतीय ओलंपिक संघ की तदर्थ समिति ने मंगलवार को एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश देने का फैसला किया जबकि बाकी पहलवानों को 22 और 23 जुलाई को ट्रायल से गुजरना होगा ।
हिसार की रहने वाली 19 वर्ष की पंघाल भी 53 किलो में उतरती हैं । उन्होंने पूछा कि इतने समय से अभ्यास नहीं करने के बावजूद विनेश का चयन कैसे हुआ ।
सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता पंघाल ने एक वीडियो में कहा ,‘‘ विनेश फोगाट को एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश मिलेगा जबकि उसने पिछले एक साल से अभ्यास भी नहीं किया । पिछले एक साल में उसकी कोई उपलब्धि नहीं है।’
उसने कहा ,‘‘ पिछले साल जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में मैने स्वर्ण पदक जीता था और यह करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी । एशियाई चैम्पियनशिप 2023 में मैने रजत पदक जीता जबकि विनेश ने कुछ नहीं किया । वह चोटिल भी थी ।’’
पंघाल ने कहा ,‘‘ साक्षी मलिक ने ओलंपिक पदक जीता है लेकिन उसे भी नहीं भेजा जा रहा । विनेश में ऐसा क्या खास है जो उसे सीधे भेजा जा रहा है । ट्रायल कराइये । सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि ऐसी कई लड़कियां हैं जो विनेश को हरा सकती हैं ।’’
विनेश को पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने के कारण एशियाई खेलों में सीधे भेजा जा रहा है । वह इस समय हंगरी के बुडापेस्ट में अभ्यास कर रही है ।
पंघाल ने कहा कि बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भी उसके साथ नाइंसाफी हुई थी ।
उसने कहा ,‘‘ राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रायल में उसके खिलाफ मुकाबले में अधिकारियों ने धोखेबाजी की । मैने कहा कि कोई नहीं । मैं एशियाई खेलों के जरिये पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने की कोशिश करूंगी लेकिन अब वे विनेश को भेज रहे हैं ।’’
उसने कहा ,‘‘ वे यह भी कह रहे हैं कि एशियाई खेलों में जाने वाले ही विश्व चैम्पियनशिप में जायेंगे । विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाले ओलंपिक जायेंगे । हम इतने साल से मेहनत कर रहे हैं तो हमारा क्या ।’’
उसने कहा ,‘‘ क्या हमें कुश्ती छोड़ देनी चाहिये । हमें बताइये कि उसे किस आधार पर भेजा जा रहा है।’’ (भाषा)
पोर्ट आफ स्पेन , 19 जुलाई वेस्टइंडीज के खिलाफ बृहस्पतिवार से यहां शुरू हो रहे दूसरे और आखिरी क्रिकेट टेस्ट में भारतीय टीम की नजरें ‘क्लीन स्वीप’ पर होंगी जबकि अजिंक्य रहाणे बड़ी पारी खेलकर अपने कैरियर को विस्तार देने की कोशिश में होंगे ।
यह मैच दोनों टीमों के बीच सौवां टेस्ट भी है । भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने कहा है कि यह बड़ा मौका है और उनकी टीम पहले मैच की तरह अपना दबदबा बनाये रखने का प्रयास करेगी ।
डोमिनिका में पहले मैच में भारत ने एक पारी और 141 रन से जीत दर्ज की थी । यहां कल से शुरू हो रहे टेस्ट के बाद भारत को अब दिसंबर जनवरी में ही दक्षिण अफ्रीका दौरे पर टेस्ट खेलना है । यानी रहाणे जैसे खिलाड़ियों के लिये उस श्रृंखला की टीम में चयन की दावेदारी पुख्ता करने का यह आखिरी मौका है।
पिछले 18 महीने में पहला टेस्ट खेलते हुए रहाणे ने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन डोमिनिका में मौके नहीं मिल सके क्योंकि भारत ने एक पारी में ही बल्लेबाजी की ।
ऐसी प्रबल संभावना है कि भारतीय टीम फिर एक ही बार बल्लेबाजी करेगी । ऐसे में रहाणे को पूरा फायदा उठाना होगा क्योंकि दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले श्रेयस अय्यर भी फिट हो जायेंगे ।
बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड ने इस मैच से पहले कहा था कि दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिये भारत को रहाणे के फॉर्म में रहने की जरूरत होगी ।
उन्होंने कहा ,‘‘ तकनीक पर तो आप लगातार काम करते हैं लेकिन मुझे उनके स्थिर रवैये ने प्रभावित किया । वह गेंद को देर से खेल रहा था और शरीर के पास भी । वह नेट्स पर भी ऐसे ही खेल रहा है ।दक्षिण अफ्रीका के हालात में ऐसे बल्लेबाज की जरूरत होगी ।’’
पहला मैच तीन दिन के भीतर ही जीतने वाली टीम में ज्यादा बदलाव की गुंजाइश तो नहीं है लेकिन देखना होगा कि खराब प्रदर्शन कर रहे तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट को फिर मौका मिलता है या नहीं ।
31 वर्ष के उनादकट ने 13 साल में तीन ही टेस्ट खेले हैं । डोमिनिका में उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला और उन्होंने नौ ओवर ही डाले ।
पहले मैच में स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की तूती बोली । इस मैच में भी पिच टर्निंग होने की संभावना है जिससे कैरेबियाई टीम में बल्लेबाजी हरफनमौला रेमन रीफर की जगह स्पिन हरफनमौला केविन सिनक्लेयर को शामिल किया गया है ।
भारतीय टीम ऐसे में उनादकट की जगह एक और स्पिनर के तौर पर अक्षर पटेल को उतार सकती है । शार्दुल ठाकुर को भी मौका मिल सकता है जिनकी बल्लेबाजी में काफी सुधार आया है ।
पदार्पण टेस्ट में 150 से अधिक रन बनाने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने यशस्वी जायसवाल इस लय को कायम रखना चाहेंगे । शुभमन गिल तीसरे नंबर पर उतरने के बाद 11 गेंद ही खेल सके और वह भी बड़ी पारी खेलने को बेताब होंगे ।
दिसंबर 2018 से विदेश में शतक नहीं लगा सके विराट कोहली उस कमी को पूरा करना चाहेंगे ।वहीं पदार्पण टेस्ट में पहला रन बनाने के लिये 20 गेंद तक इंतजार करने वाले ईशान किशन को भी मौके का इंतजार होगा ।
वेस्टइंडीज के लिये पदार्पण करने वाले एलिक अथानाजे को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज भारतीय स्पिनरों का सामना नहीं कर सका । उसे तेज गेंदबाजों की मददगार पिच की जरूरत है ताकि केमार रोच और अलजारी जोसेफ कोई कमाल कर सकें ।
टीमें :
भारत : रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल, रूतुराज गायकवाड़, विराट कोहली, यशस्वी जायसवाल, अजिंक्य रहाणे, केएस भरत, ईशान किशन, रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, शार्दुल ठाकुर, अक्षर पटेल, मोहम्मद सिराज, मुकेश कुमार, जयदेव उनादकट, नवदीप सैनी ।
वेस्टइंडीज : क्रेग ब्रेथवेट (कप्तान) , जर्मेन ब्लॉकवुड, जोशुआ डासिल्वा, एलिक अथानाजे, रहकीम कॉर्नवेल, शेनोन गैब्रियल, जैसन होल्डर, अलजारी जोसेफ, रेमन रीफर, केमार रोच, टी चंद्रपॉल, किर्क मैकेंजी, जोमेल वारिकन ।
मैच का समय : शाम 7 . 30 से । (भाषा)
नई दिल्ली, 19 जुलाई । बाएं हाथ के स्पिनर शाहबाज अहमद ने बुधवार को कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम एशियाई खेलों में अपनी आधिकारिक शुरुआत में स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश करेगी।
उन्होंने इस तथ्य पर टिप्पणी की कि क्रिकेट को पीली धातु जीतने का मौका मिलना बहुत गर्व की बात है। यह दूसरी बार है जब पुरुष क्रिकेट टीम किसी बहु-खेल प्रतियोगिता में खेलेगी। भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम ने 1998 में कुआलालंपुर में राष्ट्रमंडल खेलों में 50 ओवर के प्रारूप में खेला था। हालांकि, मैचों को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया गया और उन्हें सूची ए खेलों के रूप में दर्ज किया गया।
शाहबाज़ अहमद ने एक यूट्यूब चैनल 'क्रिकेट बसु' से कहा, “हमारे लिए हमारा टूर्नामेंट क्वार्टर फाइनल चरण से शुरू होता है। सभी टीमें अच्छी तरह से तैयार होंगी। हम देश के लिए स्वर्ण पदक की उम्मीद करते हैं।”
बीसीसीआई ने पिछले हफ्ते 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चीन के हांगझाउ में होने वाले आगामी एशियाई खेलों 2023 के लिए 15 सदस्यीय भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम और पांच स्टैंडबाय खिलाड़ियों की घोषणा की थी।
टी20 प्रारूप में खेले जाने वाले एशियाई खेल 2023 में पुरुष क्रिकेट प्रतियोगिता 28 सितंबर से 8 अक्टूबर तक होगी। सभी मैच झेजियांग यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी पिंगफेंग क्रिकेट फील्ड में खेले जाएंगे।
पुरुष टीम: रुतुराज गायकवाड़ (कप्तान), यशस्वी जयसवाल, राहुल त्रिपाठी, तिलक वर्मा, रिंकू सिंह, जितेश शर्मा (विकेटकीपर), वाशिंगटन सुंदर, शाहबाज अहमद, रवि बिश्नोई, आवेश खान, अर्शदीप सिंह, मुकेश कुमार, शिवम मावी, शिवम दुबे, प्रभसिमरन सिंह (विकेटकीपर)
स्टैंडबाय खिलाड़ी: यश ठाकुर, साई किशोर, वेंकटेश अय्यर, दीपक हुडा, साई सुदर्शन (आईएएनएस)।
नयी दिल्ली, 18 जुलाई। भारत ने कोरिया के चांगवोन में आईएसएसएफ जूनियर विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप के तीसरे दिन मंगलवार को चौथा स्वर्ण पदक जीतकर चीन को पीछे छोड़ते हुए पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया। चीन के तीन स्वर्ण पदक हैं।
पार्थ माने, अभिनव साव और धनुष श्रीकांत ने मिलकर पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में भारत के लिए दिन का एकमात्र स्वर्ण पदक जीता।
उनके अलावा राइजा ढिल्लों ने महिलाओं की स्कीट में रजत पदक जबकि उमामहेश मदीनेनी ने पुरुषों की 10 मीटर राइफल व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। यह प्रतियोगिता अभी छह दिन और चलेगी।
पार्थ, अभिनव और धनुष की तिकड़ी ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में कुल 1886.7 का स्कोर बनाया। चीन दूसरे स्थान पर रहा, जिसके निशानेबाजों ने कुल 1883.5 का स्कोर किया। कोरिया ने कांस्य पदक जीता।
यह अभिनव का टूर्नामेंट में दूसरा स्वर्ण पदक है। उन्होंने सोमवार को गौतमी भनोट के साथ मिलकर 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था।
पुरुषों के 10 मीटर एयर राइफल व्यक्तिगत स्पर्धा में उमामहेश के अलावा अभिनव और धनुष भी फाइनल में पहुंचने वाले आठ खिलाड़ियों में शामिल थे।
अभिनव ने 631.4 अंक बनाए और वह 64 खिलाड़ियों में शीर्ष पर रहे थे। धनुष 629.9 अंक लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। उमामहेश ने 627.9 अंक बनाए और उन्होंने सातवें स्थान पर रहकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। फाइनल में हालांकि उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और 229 अंक बनाकर कांस्य पदक हासिल किया।
वह उस समय रजत पदक जीतने वाले चीनी वांग होंगहाओ से 0.6 अंक पीछे थे। फ़्रांस के रोमेन औफ़्रेरे ने स्वर्ण पदक जीता।
अभिनव चौथे और धनुष छठे स्थान पर रहे ।
महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में सोनम मासकर फाइनल में पहुंचने वाली एकमात्र भारतीय रही। वह आखिर में सातवें स्थान पर रही ।
महिलाओं की स्कीट में राइजा ने 110 का स्कोर बनाकर छठा और अंतिम क्वालीफाइंग स्थान हासिल किया। फाइनल में वह और स्लोवाकिया की मिरोस्लावा होकोवा समान 51 अंक लेकर शीर्ष पर रही। इसके बाद शूट ऑफ का सहारा लिया गया जिसमें भारतीय खिलाड़ी दूसरा लक्ष्य चूक गई। होकोवा ने दोनों अवसरों पर सही निशाने लगाए।
पुरुषों की स्कीट में हरमेहर लाली ने 119 का स्कोर किया। वह छह खिलाड़ियों के फाइनल में जगह बनाने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी रहे लेकिन आखिर में उन्हें पांचवें स्थान से संतोष करना पड़ा। (भाषा)
नई दिल्ली, 18 जुलाई । बेहद रोमांचक एसीसी मेन्स इमर्जिंग एशिया कप 2023 में भारत ए का मुकाबला पाकिस्तान ए से होगा, जो एक रोमांचक मुकाबला होने का वादा करता है और क्रिकेट में 'सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता' की लौ को फिर से जगाएगा।
इंडिया ए का नेतृत्व होनहार युवाओं के एक समूह द्वारा किया जाएगा जो पहले ही घरेलू मंच पर अपने कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं। यश ढुल, ध्रुव जुरेल, साई सुदर्शन और अभिषेक शर्मा जैसे खिलाड़ी अपने शानदार आईपीएल सीज़न के बाद एक स्थायी छाप छोड़ना चाहेंगे और सीनियर राष्ट्रीय टीम में अपना रास्ता बनाना चाहेंगे।
इस मैच में उनका प्रदर्शन उनकी संभावनाएं निर्धारित कर सकता है और भारत की समृद्ध क्रिकेट विरासत में योगदान दे सकता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता खेल में सबसे तीव्र और ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता में से एक होने के कारण, यह मैच विशेष महत्व रखता है। यह न केवल उभरती प्रतिभाओं को चमकने का मौका देता है, बल्कि 'महानतम प्रतिद्वंद्विता' के शानदार इतिहास में एक और अध्याय जोड़ने का भी अवसर देता है।
पुरुष इमर्जिंग एशिया कप 2023 में बुधवार को भारत ए का सामना पाकिस्तान ए से होगा
भारत ए और पाकिस्तान ए के बीच मुकाबला सिर्फ व्यक्तिगत प्रदर्शन के बारे में नहीं है बल्कि इस प्रतिद्वंद्विता के ऐतिहासिक महत्व के बारे में भी है। दोनों टीमें इस साल दो प्रमुख टूर्नामेंटों, अर्थात् एशिया कप 2023 और आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप 2023 में एक-दूसरे का सामना करने के लिए तैयार हैं। इसलिए, यह मैच भविष्य में होने वाले उच्च दांव वाले मुकाबलों के अग्रदूत के रूप में कार्य करता है और प्रशंसकों को पता है कि क्या होने वाला है।
दो क्रिकेट शक्तियों के बीच यह टकराव प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार है क्योंकि वे दोनों देशों की अगली पीढ़ी की प्रतिभाओं को आमने-सामने होते देखेंगे।
भारत भर के प्रशंसक 19 जुलाई, दोपहर 2 बजे से विशेष रूप से स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क पर सभी लाइव एक्शन देख सकते हैं।
पुरुष इमर्जिंग एशिया कप 2023 में बुधवार को भारत ए का सामना पाकिस्तान ए से होगा
पुरुष इमर्जिंग एशिया कप 2023 में बुधवार को भारत ए का सामना पाकिस्तान ए से होगा
भारतीय महिला बास्केटबॉल टीम का प्रशिक्षण 11 अगस्त तक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 जुलाई। बास्केटबॉल की नर्सरी राजनांदगांव के नाम एक अन्य उपलब्धि जुडने जा रही है। थाईलैंड में 13-19 अगस्त तक आयोजित फीबा वुमेनस् एशिया कप बास्केटबॉल प्रतियोगिता एवं 23 सितंबर से 5 अक्टूबर तक हेंगजाव चीन में आयोजित एशियन गेम्स में भाग लेने वाली भारतीय महिला बास्केटबॉल टीम का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन राजनांदगांव में किया जा रहा है।
प्रथम फेस में यह केम्प राजनांदगांव में 17 जुलाई से 11 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। टीम के एशिया कप में खेल के आने के पश्चात अगला केम्प भारतीय ओलंपिक द्वारा निर्धारित किया जाएगा। राजनांदगांव में आयोजित इस केम्प में 29 महिला खिलाड़ी भाग लेंगी। उसमें से चयनित 12 खिलाड़ी एशिया कप एवं एशियन गेम्स में भाग लेगी। इस केम्प में देश के विभिन्न राज्यों एवं विभिन्न रेल्वे की श्रेष्ठ महिला खिलाड़ी भाग लेने आएंगी। इसमें छत्तीसगढ़ से एकमात्र खिलाड़ी साई ट्रेनिंग सेंटर राजनांदगांव की मोनी अडला जो कि भिलाई मूल निवासी है, भी भाग लेगी। टीम के कोच एस. भास्कर तमिलनाडु, कालवा राजेश्वर राव साई ट्रेनिंग सेंटर राजनांदगांव एवं मीना लता तमिलनाडु होंगी। जबकि अहाना पुरानिक टीम की फिजियो होगी।
नयी दिल्ली, 17 जुलाई अमेरिकी ओपन के क्वार्टर फाइनल में हार ने पीवी सिंधू पर ‘काफी भावनात्मक प्रभाव’ छोड़ा है लेकिन भारत की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी की नजरें सत्र का अंत शानदार तरीके से करने पर टिकी हैं।
टखने में स्ट्रेस फ्रेक्चर कारण पांच महीने बाद वापसी करने पर सिंधू मौजूदा सत्र में रंग में नजर नहीं आई हैं। आधे से अधिक साल बीतने के बावजूद पूर्व विश्व चैंपियन और दो बार की ओलंपिक पदक विजेता सिंधू को अब भी इस सत्र में अपने पहले खिताब का इंतजार है।
दुनिया की 12वें नंबर की खिलाड़ी सिंधू अमेरिकी ओपन में चीन की गाओ फांग जी के खिलाफ सीधे गेम में हार के साथ क्वार्टर फाइनल से बाहर हो गईं थी।
सिंधू ने ट्वीट किया, ‘‘इस हार ने मुझ पर काफी भावनात्मक प्रभाव छोड़ा है, खासकर मेरे लिए चुनौतीपूर्ण वर्ष को देखते हुए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक सफल टूर्नामेंट के बाद निराशाजनक हार का अनुभव करना दिल तोड़ने वाला है। हालांकि मैं अपनी भावनाओं का इस्तेमाल अपने प्रयासों को दोगुना करने और बाकी बचे साल को उल्लेखनीय बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।’’
सिंधू फरवरी में दोहा में बैडमिंटन एशिया मिश्रित टीम चैंपियनशिप में भारत की कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थी लेकिन इस साल विश्व टूर पर कुछ प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाईं।
इस साल उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अप्रैल में मैड्रिड मास्टर्स सुपर 300 प्रतियोगिता में रजत पदक जीतना रहा।
सिंधू इस महीने की शुरुआत में कनाडा ओपन के सेमीफाइनल में पहुंची थीं और अच्छी लय में दिख रही थीं लेकिन दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी अकाने यामागुची से हार गई।
उन्होंने लिखा, ‘‘अमेरिकी ओपन में मेरा सफर क्वार्टर फाइनल में समाप्त हुआ जहां मेरा सामना प्रतिभावान गाओ फांग जी से हुआ। पहले उसे कनाडा में हराने के बावजूद उसने मेरी कमजोरियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हुए इस बार मुझे सीधे गेम में हरा दिया।’’
सिंधू ने लिखा, ‘‘पूरी तरह से तैयार रहने और प्रभावशाली प्रदर्शन करने के लिए मुझे उसकी सराहना करनी चाहिए। अगली बार जब मैं गाओ आपका सामना करूंगी तो कड़ी टक्कर होनी चाहिए।’’
इस 27 वर्षीय खिलाड़ी ने हमवतन लक्ष्य सेन की भी सराहना की जो कनाडा ओपन जीतने से पहले नाक की सर्जरी के प्रभाव के कारण मौजूदा सत्र में संघर्ष कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं लक्ष्य के लिए अपनी वास्तविक खुशी व्यक्त करना चाहती हूं जो कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद असाधारण प्रदर्शन कर रहा है। उसके मजबूत प्रदर्शन को देखना वास्तव में प्रेरणादायक रहा है।’’
सिंधू अब इस सप्ताह यिओसु में कोरिया ओपन सुपर 500 में हिस्सा लेंगी। (भाषा)
जोनाथन जरेज्को
कार्लोस अल्कारेज़ ने एक चौंकाने वाली जीत के साथ नोवाक जोकोविच के हालिया प्रभुत्व को समाप्त करके पहली बार विंबलडन पुरुष एकल खिताब जीत लिया है.
स्पेन के 20 वर्षीय खिलाड़ी अल्कारेज़ ने ख़राब शुरुआत के बाद 1-6 7-6 (8-6) 6-1 3-6 6-4 के अंतर से मौजूदा चैंपियन को हरा दिया.
जोकोविच लगातार पांचवीं जीत की तरफ़ बढ़ रहे थे, अगर वो ये खिताब जीत लेते तो ये पुरुष एकल में उनकी आठवीं जीत होती और किसी प्रमुख टूर्नामेंट में 24वीं जीत होती. इसके साथ ही वो रिकॉर्ड बराबर कर लेते.
लेकिन टॉप सीड खिलाड़ी अल्कारेज़ ने 36 वर्षीय सर्बियाई खिलाड़ी नोवाक जोकोविच को हरा ही दिया. अल्काराफ़ की किसी प्रमुख टूर्नामेंट में ये दूसरी खिताबी जीत है.
हरी घास के मैदान पर अपना चौथा टूर्नामेंट खेल रहे अल्कारेज़ ने जीत के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ये मेरे लिए किसी सपने के पूरे होने जैसा है.”
“अगर मैं हार भी जाता तो, मुझे अपने ऊपर गर्व ही होता. ऐसे मौक़े पर इस स्तर पर आकर खेलना, वो भी बीस साल का लड़का, ये बहुत तेज़ी से हुआ. मुझे अपने ऊपर गर्व है.”
अल्कारेज़ ने पिछले साल यूएस ओपन के दौरान अपना पहला ग्रैंड स्लैम खिताब जीता था. विंबलडन में जोकोविच के हराने के बाद वो मैदान में लेट गए और ख़ुशी में गेंद दर्शकों की तरफ़ उछाल दी.
विंबलडन का सेंट्रल कोर्ट खचाखच भरा था. प्रिंस एंड प्रिसेंज़ ऑफ़ वेल्स के अलावा अभिनेता ब्रैड पिट और दो बार के विजेता एंडी मरे भी दर्शकों में शामिल थे. सभी दर्शक ऑल इंग्लैंड क्लब के नए चैंपियन के सम्मान में खड़े हो गए.
और इसके बाद, परंपरा को निभाते हुए, अल्कारेज़ सीढ़ियों पर दौड़ते हुए मैदान से अपने बॉक्स में पहुंचे और अपने कोच ह्वान कार्लोस फेरेरो, परिजनों और दोस्तों को गले लगा लिया.
तीसरे सबसे युवा विजेता
अल्कारेज़ ओपन एरा में विंबलडन खिताब जीतने वाले तीसरे सबसे युवा खिलाड़ी बन गए हैं. 1985 में 17 वर्षीय बोरिस बेकर और 1976 में बीस वर्षीय बियोन बॉग ने ये खिताब जीता था.
इस हार के बाद 23 बार ग्रैंड स्लेम खिताब जीत चुके चैंपियन खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने कहा, “आप कभी भी इस तरह का मैच हारना नहीं चाहते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि जब सभी भावनाएं शांत हो जाएंगी तो भी मैं इसके लिए शुक्रगुज़ार रहूंगा.”
मैदान पर बयान देते समय नोवाक जोकोविच भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू थे.
उन्होंने कहा, “यहां मैंने कई मुक़ाबले जीते हैं. संभवतः मैंने कई ऐसे फ़ाइनल जीते हैं, जिन्हें शायद मैं हार गया होता. इसलिए मेरे लिए ये मामला बराबरी का ही रहा.”
“जब आप इतना क़रीब हों तो इसे पचा पाना मुश्किल होता है. मैं एक बेहतर खिलाड़ी के सामने हारा हूं, मुझे उन्हें मुबारकबाद देनी है और आगे बढ़ना है, उम्मीद है मज़बूती के साथ मैं आगे बढ़ूंगा.”
दर्शकों के लिए दावत जैसा रहा मुक़ाबला
दो टॉप सीड खिलाड़ियों के बीच इस बहुप्रतीक्षित मुक़ाबले से पहले, जोकोविच ने ये कहकर रोमांच और अधिक बढ़ा दिया था कि ये मुक़ाबला ऐसे दो खिलाड़ियों के बीच एक ‘दावत’ जैसा होगा जो ‘बराबर भूखे’ हैं.
जैसा माहौल इस मुक़ाबले से पहले बना था, ये उतना ही शानदार रहा- शानदार खेल, नाटकीय पल और फिर ज़ोरदार प्रहार, इसमें वो सबकुछ था, जिसका इंतज़ार दर्शक कर रहे थे.
एटीपी टूर में इस साल ये दोनों खिलाड़ी शीर्ष पर रहे हैं और नंबर वन स्थान के लिए भिड़ रहे थे.
जोकोविच ऑस्ट्रेलियन ओपन और फ्रेंच ओपन जीतकर रफेल नडाल के 22 खिताबी मुकाबले जीतने के रिकॉर्ड से आगे बढ़ गए थे.
जोकोविच जानते थे कि अगर एक खिताबी मुक़ाबला उन्होंने और जीत लिया तो वो टेनिस की महानतम खिलाड़ियों में शामिल मार्गरेट कोर्ट के 24 एकल खिताबी जीतने के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे. अभी तक कोई भी टेनिस खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ी मार्गरेट कोर्ट के इस रिकॉर्ड को पार नहीं कर सका है.
लेकिन करियर के तराजू के दूसरे पलड़े पर खड़े अल्कारेज़ ये साबित करने के लिए खेल रहे थे कि युवा पीढ़ी के सभी खिलाड़ी जोकोविच की महानता के प्रभाव के सामने अभिभूत नहीं होंगे.
स्पेन का ये युवा खिलाड़ी फ्रेंच ओपन के सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में जोकोविच के सामने पहले ही कठिन अनुभव से गुज़र चुका है. शायद उस समय अल्काराफ़ पर घबराहट हावी थी और उन्हें शरीर में क्रैंप्स (एंठन) का भी सामना करना पड़ा था.
विंबलडन के फ़ाइनल मुक़ाबले से पहले अल्कारेज़ की मनोस्थिति को लेकर भी चर्चा हो रही थी.
अल्काराफ़ को विश्वास था कि रविवार को जब वो जोकोविच से भिड़ेंगे तो डर उन पर हावी नहीं होगा. लेकिन मुक़ाबले का पहला सेट एकतरफ़ा रहा और ऐसा लगा कि एक बार फिर अल्कारेज़ पर जोकोविच हावी हो रहे हैं. जोकोविच ने पहला सेट सिर्फ़ 34 मिनट में ही जीत लिया था.
जोकोविच ने लगातार और गहरे रिटर्न शॉट मारकर अपने विपक्षी खिलाड़ी के पसीने छुटा दिए. अल्कारेज़ जल्दबाज़ी में रिटर्न शॉट मारने और ग़लतियां करने के लिए मजबूर हो गए.
हालांकि धीरे-धीरे अल्कारेज़ मुक़ाबले में वापस आए, उन्होंने अपनी लय पकड़ ली और ज़बरदस्त ग्राउंडस्ट्रोक लगाए. उन्होंने और अधिक संख्या में ड्राप शॉट भी खेले. ये शॉट अब उनकी पहचान बनते जा रहे हैं.
पीछे चल रहे अल्कारेज़ ने तीसरे सेट को 27 मिनट में जीतकर बढ़त बना ली लेकिन चौथे सेट में उन्होंने दो भारी ग़लतियां कीं और जोकोविच बराबरी पर आ गए.
लेकिन निर्णायक सेट में अल्काराफ़ ने फिर से ज़बरदस्त वापसी की.
उन्होंने जोकोविच की 2-1 की बढ़त को तोड़ दिया. जोकोविच इतने खीज गए कि उन्होंने अपना रैकेट नेट में दे मारा. यहां से अल्काराफ़ ने और बेहतरीन खेल दिखाया और आख़िराकर चार घंटे और 42 मिनट चले इस मुक़ाबले को जीत ही लिया.
अब भी इतिहास बना सकते हैं जोकोविच
इस हार के बाद जोकोविच की आंखों से बह रहे आंसू साफ़ बता रहे थे कि इस ऐतिहासिक पल तक पहुंचने के लिए उन्होंने कितनी शारीरिक और मानसिक मेहनत की है.
इस हार का मतलब ये हुआ कि वो रोजर फ़ेडरर के विंबलडन में आठ एकल खिताबी मुक़ाबले जीतने के रिकार्ड की बराबरी नहीं कर सके. वो मार्गरेट कोर्ट के 24 खिताबी मुक़ाबले जीतने का रिकॉर्ड भी बराबर नहीं कर पाये.
अल्कारेज़ ने जोकोविच की 2017 के बाद से लगातार 34 मैच जीतने और 2013 के बाद से सेंटर कोर्ट में लगातार 45 मुक़ाबले जीतने की लय को भी समाप्त कर दिया.
इस निराशाजनक हार के बावजूद भी ये कहा जा सकता है कि जोकोविच अब भी रोजर फेडरर और मार्गरेट कोर्ट के रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं.
उनका खेल, शारीरिक मज़बूती और लचीलापन अभी भी पहले जैसा ही है.
अल्कारेज़ के साथ आगे और मुक़ाबलों की संभावना पर जोकोविच ने कहा, “मुझे लगता है कि ये हम दोनों के बीच प्रतिद्वंदिता की शुरुआत है और ये मेरे हित में ही है.”
“वो लंबे समय तक टूर पर रहेंगे लेकिन मैं नहीं जानता कि अभी मैं और कितने समय तक हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि हम यूएस ओपन में खेलें. मैं मानता हूं कि ये खेल के लिए अच्छा है. दुनिया का नंबर एक और नंबर दो खिलाड़ी पांच घंटे, पांच सेट वाले रोमांचक मुक़ाबले में आमने-सामने हों.”
“हमारे खेल के लिए इससे बेहतर और क्या ही होगा.” (bbc.com/hindi/)
लंदन, 17 जुलाई । अपना पहला विंबलडन खिताब जीतने के बाद 20 वर्षीय कार्लोस अल्कराज ने खुलासा किया कि जब से उन्होंने टेनिस खेलना शुरू किया, तब से वह नोवाक जोकोविच को हराने और विंबलडन चैंपियनशिप जीतने का सपना देखते थे।
सात बार के विंबलडन चैंपियन जोकोविच ने 2013 के बाद से सेंटर कोर्ट पर कोई मैच नहीं हारा था, लेकिन अल्कराज ने रोमांचक पांच सेटों में 1-6, 7-6(6), 6-1, 3-6, 6-4 से जीत कर ग्रास-कोर्ट पर सर्बियाई खिलाड़ी के प्रभुत्व को समाप्त कर दिया।
अल्कराज ने मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "आज मैंने जो इतिहास रचा, वह मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल है। मुझे लगता है कि यह लंबे समय तक नहीं बदलेगा। नोवाक को हराना, विंबलडन चैंपियनशिप जीतना, कुछ ऐसा है जिसका मैंने तब से सपना देखा था जब मैंने टेनिस खेलना शुरू किया था। यही कारण है कि यह यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा क्षण है।"
उन्होंने कहा, "नोवाक को उसके पीक पर हराना, इतिहास बनाना, उस कोर्ट पर 10 साल तक अजेय रहने वाले को हराने वाला खिलाड़ी बनना, मेरे लिए आश्चर्यजनक है। यह कुछ ऐसा है जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा।"
अल्कराज ने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी जीत अगली पीढ़ी को प्रेरित करेगी।
उन्होंने कहा, "यह नई पीढ़ी के लिए भी बहुत अच्छा है, मुझे लगता है कि मैं उन्हें यह सोचने पर मजबूर करूंगा कि वे भी ऐसा कर सकते हैं। यह मेरे लिए बहुत अच्छा है और मैं युवा खिलाड़ियों के लिए भी ऐसा सोचता हूं।"
अल्कराज ओपन एरा (1968 से) में 21 साल की उम्र से पहले कई प्रमुख खिताब जीतने वाले पांचवें खिलाड़ी बन गए।
अल्कराज ने कहा, "मैं रोलैंड गैरो से बिल्कुल अलग हूं। मैं उस पल के बाद से काफी बड़ा हो गया हूं। मैंने उस पल से बहुत कुछ सीखा है। जैसा कि मैंने फाइनल से पहले कहा था, मैंने उस मैच से सबक लिया। मैंने मैच से पहले कुछ अलग किया। मैंने मैच से पहले मानसिक रूप से कुछ अलग तैयारी की। मैं रोलांड गैरो की तुलना में दबाव से बेहतर तरीके से निपट सका।"
“स्पष्ट रूप से घास कोर्ट क्ले से अलग है। मैंने हार नहीं मानी, मैंने आखिरी गेंद तक संघर्ष किया। मुझे लगता है कि हर गेंद पर हमने शानदार रैलियां बनाईं, शानदार अंक बनाए। यह एक लंबा मैच था। मुझे लगता है कि इतने लंबे मैच में मानसिक रूप से संतुलन बनाना काफी अहम है।"
हालांकि, रविवार की जीत अल्कराज की 23 बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन जोकोविच के खिलाफ पहली बड़ी जीत थी, और उन्हें लगता है कि यह एक ऐसा परिणाम है जो उन्हें भविष्य में उनका आत्मविश्वास बढ़ाएगा।
अल्कराज ने कहा, "इस मैच से पहले, मैंने सोचा था कि मैं नोवाक को नहीं हरा सकता। लेकिन इस मैच के बाद मैं नोवाक के बारे में अलग सोचता हूं जैसे शायद अन्य टूर्नामेंटों में, अन्य ग्रैंड स्लैम में, मैं इस पल को याद रखूंगा।"
अल्कराज के खिलाफ जोकोविच का खिताबी मुकाबला एक शानदार प्रदर्शन था, जिसमें चैंपियन ने ट्रॉफी के साथ नंबर 1 एटीपी रैंकिंग पाई। (आईएएनएस)।
मीरपुर, 16 जुलाई । भारतीय टीम का बल्लेबाजी में लचर प्रदर्शन जारी रहा जिससे बांग्लादेश ने अपने गेंदबाजों की बदौलत रविवार को यहां बारिश से प्रभावित शुरूआती महिला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में डकवर्थ लुईस पद्धति से 40 रन से जीत हासिल की। यह बांग्लादेश की मेहमान टीम पर वनडे में पहली जीत है जिससे उसने तीन मैचों की श्रृंखला में 1-0 से बढ़त बना ली।
भारत की युवा तेज गेंदबाज अमनजौत कौर ने वनडे में पदार्पण पर 31 रन देकर चार विकेट हासिल किये जिससे बांग्लादेश की टीम 43 ओवर में 152 रन पर सिमट गयी।
भारतीय टीम इस आसान लक्ष्य का पीछा करते हुए 35.5 ओवर में महज 113 रन के भीतर सिमट गयी।
करीब एक घंटे की बारिश के कारण मैच 44-44 ओवर का कर दिया गया था और भारत को डकवर्थ लुईस पद्धति से 154 रन का संशोधित लक्ष्य मिला।
भारत की बल्लेबाजी इससे पहले हुई टी20 श्रृंखला में भी लचर रही थी जिसमें टीम दूसरे मैच में 95 रन पर ही सिमट गयी थी, लेकिन गेंदबाजों की बदौलत इसे जीतने में सफल रही थी।
बांग्लादेश ने हालांकि तीसरे और अंतिम मैच में भारत को उसकी लचर बल्लेबाजी के कारण हरा दिया था।
अनुभवी खिलाड़ी दीप्ति शर्मा 20 रन की पारी खेलकर शीर्ष स्कोरर रहीं। उनके अलावा कोई भी बल्लेबाज 20 रन के स्कोर तक नहीं पहुंच सकी।
बांग्लादेश की मध्यम गति की गेंदबाज मारूफा अख्तर ने सात ओवर में 29 रन देकर चार विकेट झटके और लेग स्पिनर राबिया खान ने 7.5 ओवर में 30 रन देकर तीन विकेट प्राप्त किये।
भारत की स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना (11 रन) इस बार भी बड़ी पारी खेलने में नाकाम रही और आउट होने वाली पहली खिलाड़ी रहीं।
शीर्ष क्रम की बल्लेबाज प्रिया पूनिया 2021 के बाद पहली बार भारतीय टीम में वापसी कर रही हैं, लेकिन वह 27 गेंद खेलकर 10 रन ही बना सकी और 30 रन के स्कोर पर आउट होने वाली टीम की दूसरी खिलाड़ी रहीं।
स्कोर में सात रन ही जुड़े थे कि कप्तान हरमनप्रीत कौर (05 रन) नाहिदा अख्तर की गेंद पर पगबाधा हो गयीं।
विकेटकीपर बल्लेबाज यास्तिका भाटिया (15 रन) को राबिया ने अपना पहला शिकार बनाया, इससे स्कोर चार विकेट पर 44 रन था।
मध्यक्रम को संभालने की जिम्मेदारी जेमिमा रोड्रिग्स (10 रन) के कंधों पर थीं, लेकिन उनकी खराब फॉर्म जारी रही और वह राबिया की दूसरी शिकार बनीं।
फिर अमनजोत (15 रन) ने दीप्ति का साथ निभाने का पूरा प्रयास किया, पर मरूफा अख्तर ने उनके बीच 30 रन की साझेदारी तोड़कर टीम की उम्मीदें तोड़ दीं।
लगातार विकेट गिरते रहे और अनुषा बारेड्डी के रन आउट होते ही बांग्लादेश महिला टीम ने वनडे में पहली बार भारत को पराजित किया।
इससे पहले भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया। बांग्लादेश की टीम बादलों से भरे मौसम में अपने ही मैदान पर दबदबा नहीं बना सकी। वहीं भारत को अमनजोत के जादुई स्पैल तथा स्नेह राणा और दीप्ति शर्मा की किफायती गेंदबाजी से मदद मिली जिससे टीम ने शुरु से ही मेजबानों पर शिकंजा कस दिया।
अमनजोत (23 साल) ने सलामी बल्लेबाज मुर्शिदा खातून, फरगना हक, कप्तान निगार सुल्ताना और राबिया खान के विकेट झटके जिससे बांग्लादेश की टीम जूझती नजर आयी।
निगार सुल्ताना घरेलू टीम के लिए सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी रहीं, उन्होंने शेरे बांग्ला राष्ट्रीय स्टेडियम में 39 रन की पारी खेलने के अलावा फरगना हक (27 रन) के साथ 49 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी निभायी।
स्नेह राणा ने भारत को पहली सफलता दिलायी जब सलामी बल्लेबाज शर्मिन अख्तर आठवें ओवर में इस स्पिनर की गेंद पर रन आउट हो गयीं।
गीली आउटफील्ड पर रन नहीं बना पाने के दबाव का असर शर्मिन पर दिखा जो मुर्शिदा के तेजी से रन लेने प्रयास में रन आउट हुईं और उन्होंने टीवी अंपायर के फैसले का भी इंतजार नहीं किया।
16वें ओवर के शुरु में बारिश की बाधा से एक से ज्यादा घंटे का खेल खराब हुआ और इसके बाद भी बांग्लादेश की धीमी रन गति जारी रही जिससे टीम 21वें ओवर के खत्म होने पर तीन विकेट पर 63 रन पर बनाकर जूझ रही थी।
अनुभवी बल्लेबाज फरगना हक (27 रन) ने कप्तान निगार सुल्ताना के साथ अच्छी साझेदारी की लेकिन वह 21वें ओवर में अमनजोत का दूसरा शिकार बनीं।
कप्तान सुल्ताना भी जल्द ही अमनजोत की गेंद पर पगबाधा आउट हो गयीं जिससे यह तेज गेंदबाज और भारतीय खिलाड़ी खुशियां मनाने लगे।
विकेट लगातार अंतराल पर गिरते रहे और बांग्लादेश की पारी एक ओवर पहले सिमट गयी क्योंकि अंतिम बल्लेबाज शोर्ना अख्तर चोटिल होने के कारण बल्लेबाजी करने नहीं उतरीं।
भारत के लिए अमनजोत के अलावा बायें हाथ की स्पिनर अनुषा बारेड्डी ने वनडे पदार्पण किया। बांग्लादेश के लिए शोर्ना अख्तर ने अपना वनडे पदार्पण किया। (भाषा)
काउंसिल ब्लफ्स (यूएसए), 16 जुलाई । लक्ष्य सेन के पुरुष एकल सेमीफाइनल में हारने के बाद यूएस ओपन 2023 बैडमिंटन टूर्नामेंट में भारत की चुनौती समाप्त हो गई है।
वर्तमान में बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन रैंकिंग में 12वें स्थान पर मौजूद लक्ष्य शनिवार रात को बीडब्ल्यूएफ सुपर 300 टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में चीन के ली शी फेंग से 17-21, 24-22, 17-21 से हार गए।
लक्ष्य की शुरुआत धीमी रही और दुनिया के 7वें नंबर के खिलाड़ी ली शी फेंग ने 15-9 की बढ़त बना ली। भारतीय शटलर ने वापसी की कोशिश की लेकिन फेंग को बढ़त लेने से नहीं रोक सके।
दूसरा गेम काफी करीबी मुकाबला था, जिसमें कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के चैंपियन सेन और मौजूदा ऑल इंग्लैंड चैंपियन ली शी फेंग दोनों आमने-सामने थे।
स्कोर 11-11 से बराबर होने पर, भारतीय खिलाड़ी ने मैच पर कब्ज़ा करने की कोशिश में कई स्मैश लगाए लेकिन चीनी शटलर ने खेल में बने रहने के लिए अच्छा बचाव किया। भारतीय शटलर ने अंतिम क्षणों में अपने खेल में सुधार किया और मैच को अगले गेम में ले गए।
हालांकि, लक्ष्य तीसरे गेम में लय बरकरार रखने में नाकाम रहे और ली शी फेंग से 14-8 से पिछड़ गए। भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने वापसी करते हुए अंतर को 17-15 तक कम कर लिया, लेकिन ली शी फेंग को जीतने से नहीं रोक सके।
हार के बावजूद, लक्ष्य का ली शी फेंग पर 5-4 का रिकॉर्ड है। पिछले हफ्ते कनाडा ओपन के फाइनल में भारतीय खिलाड़ी ने ली शी फेंग को हराया था।
भारतीय शटलर अगले कोरिया ओपन में भाग लेंगे, जो 18 से 23 जुलाई तक होना है। (आईएएनएस)।
विंबलडन ने 146 साल लंबे अपने इतिहास में पहली बार, महिला टेनिस खिलाड़ियों के ड्रेस कोड में बदलाव किया है.
हालांकि, ये कोई क्रांतिकारी बदलाव नहीं बल्कि सांकेतिक ही हैं. महिला खिलाड़ियों को अब गहरे रंगों के अंडरशॉर्ट या अंडरपैंट पहनने की इजाज़त है.
ये कहा जा रहा है कि ये क़दम उन खिलाड़ियों की चिंताओं को दूर करने के लिए उठाया गया है, जिनके पीरियड टूर्नामेंट के दौरान चल रहे होंगे.
ऑल इंग्लैंड क्लब की सीईओ सैली बोल्टन ने एक बयान में कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि नए नियम से ‘खिलाड़ियों को चिंता की एक वजह से छुटकारा मिलेगा और वो पूरी तरह अपने खेल पर ध्यान लगा सकेंगीं.’
कई खिलाड़ियों ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है.
अमेरिका की टेनिस स्टार कोको गॉफ ने पिछले हफ़्ते स्काई न्यूज़ से कहा, “मुझे लगता है कि इससे निश्चित रूप से मेरा और लॉकर रूम में मौजूद दूसरी लड़कियों का तनाव काफ़ी हद तक कम हो जाएगा.”
महिला खिलाड़ियों को मामूली छूट
रोजर फेडरर और नोवाक जोकोविच की जीवनी लिखने वाले टेनिस इतिहासकार क्रिस बॉवर्स की नज़र में विंबलडन ने अपने नियमों में ये बदलाव सामाजिक दबाव में किया है.
बीबीसी कल्चर से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, “विंबलडन काफ़ी असहज स्थिति में था. मुझे लगता है कि कई मायनों में उनके पास ये बदलाव करने के सिवा कोई और विकल्प नहीं था.”
महिला खिलाड़ियों को अपनी सहूलियत और ज़रूरत के हिसाब से कपड़े पहनने देने के बजाय टेनिस कोर्ट में उन पर ख़ास तरह के कपड़े पहनने की शर्त लादना न सिर्फ़ अजीब और बीते ज़माने का ख़याल लगता है, बल्कि ये पुरातनपंथी और लैंगिक भेदभाव वाला विचार भी है.
वैसे विंबलडन ने महिला खिलाड़ियों को भले थोड़ी सी छूट दे दी हो, लेकिन बाक़ी का ड्रेस कोड पहले जैसा ही है.
इस मुक़ाबले में हिस्सा लेने वाली खिलाड़ियों को बता दिया गया कि ‘उन्हें टेनिस खेलने वाला ऐसा लिबास पहनना होगा, जो लगभग सफ़ेद हो.’ इसमें ये शर्त भी जुड़ी हुई है कि, ‘सफ़ेद रंग में ऑफ़ व्हाइट या क्रीम कलर शामिल नहीं है.’
टेनिस की ड्रेस में वैसे दूसरे रंग की पट्टियों की इजाज़त है, जैसे- नेकलाइन, कफ, टोपी, हेडबैंड, दुपट्टा, कलाई नारा, मोज़े, शॉर्ट, स्कर्ट या अंडरगारमेंट आदि के साथ.
हालांकि कोई खिलाड़ी रंग-बिरंगे कपड़े पहनने की सोचें, उससे पहले उन्हें शर्त बता दी जाती है कि सफ़ेद रंग के कपड़ों पर दूसरे रंग की पट्टियों की चौड़ाई एक सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.
इससे पहले कि खिलाड़ी ड्रेस कोड से अलग हटकर कुछ करें, उन्हें याद दिला दिया जाता है कि ‘पैटर्न के दायरे में दिखने वाली रंगीन पट्टी को इस तरह मापा जाएगा कि ये ठोस रंग है और इसे एक सेंटीमीटर वाले नियम के दायरे में रहना चाहिए.’
इसके साथ साथ ‘खिलाड़ी की ड्रेस पर कपड़े के मैटीरियल या पैटर्न से अलग रंग के लोगो मंज़ूर नहीं किए जाएंगे.’
वक़्त के साथ आए बदलाव
अ सोशल हिस्ट्री ऑफ़ टेनिस इन ब्रिटेन के लेखक रॉबर्ट लेक बीबीसी कल्चर को बताते हैं, “पूरी तरह सफ़ेद कपड़ों वाला ये ड्रेस कोड विंबलडन में हमेशा से ऐसा ही रहा है.”
वो कहते हैं, “सफ़ेद रंग में पसीना सबसे अच्छे से छुप जाता है. ये साफ़ सुथरा और चटख दिखता है और देखने में भी अच्छा माना जाता है. चूंकि टेनिस का क्रिकेट से भी रिश्ता रहा है, तो ये ऐतिहासिक रूप से उच्च-मध्य वर्ग के आराम की नुमाइंदगी करता है.”
हालांकि वो कहते हैं कि विंबलडन की टेनिस ड्रेस में समय के साथ कुछ बदलाव आया है.
विक्टोरिया युग के उत्तरार्ध में महिलाओं से उम्मीद की जाती थी कि वे ‘उचित पहनावे की सांस्कृतिक अपेक्षाओं के मुताबिक़ कपड़े पहनें. सीधी ज़बान में कहें तो उनसे लाज-लज्जा का ख़याल रखने की उम्मीद की जाती थी.’
रॉबर्ट लेक बताते हैं कि दोनों विश्व युद्धों के बीच के दौर में, टेनिस कोर्ट के पहनावे में फ़ैशन पर बहुत ज़ोर दिया जाता था.
1950 के दशक में टेनिस कोर्ट के लिबास में, ‘उपयोगिता, आराम और सहजता’ को तरज़ीह दी जाने लगी और खुलेपन के दौर में, महिलाओं के दिलकश होने के पारंपरिक मानकों या फिर सेक्सी दिखने की चाहत खिलाड़ियों के पहनावे तय करने लगी.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ विंबलडन में ड्रेस कोड लागू किया जाता हो. किसी बड़ी खिलाड़ी के नियम तोड़ने की एक मिसाल 2018 में दिखी थी. तब अमेरिका की टेनिस सुपरस्टार सेरेना विलियम्स ने वकांडा से प्रेरित कैटसूट पहनकर फ्रेंच ओपन जीता था.
मां बनने के बाद ये उनका पहला ग्रैंड स्लैम मुक़ाबला था. हालांकि, भविष्य के टूर्नामेंट में सेरेना के ऐसी ड्रेस पहनने पर रोक लगा दी गई थी.
उस वक़्त एक समीक्षक ने इस बारे में लिखा था: “असल में ये मामला औरतों के शरीर पर नज़र रखने का है. ख़ास तौर से अश्वेत औरतों के शरीर को अमानवीय, यौन और दूसरी नज़र से देखने का उदाहरण है.”
दूसरे टूर्नामेंट में ड्रेस कोड भले लागू होता हो, लेकिन नियमों की सख़्ती के मामले में विंबलडन बिल्कुल अलग खड़ा दिखता है.
फैशन इतिहासकार और 'शी हैज़ गॉट लेग्स: ए हिस्ट्री ऑफ हेमलाइंस ऐंड फ़ैशन' की सह-लेखिका केरेन बेन-होरिन बीबीसी कल्चर से कहती हैं, “टेनिस कोर्ट हमेशा से ही ऐसा अखाड़ा रहा है, जहां महिलाओं ने समाज की लगाई बंदिशों और उनकी तय की हुई सरहदों को चुनौती दी है और उनका दायरा बढ़ाया है. चूंकि विंबलडन हमेशा से ही अमरीकी या फ्रेंच ओपन से ज़्यादा पारंपरिक और रूढ़िवादी टूर्नामेंट रहा है. इसलिए यहां किसी इंसान की मामूली सी भी निजी अभिव्यक्ति को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है.”
नियमों को तोड़ने वाले
क्रिस बॉवर्स कहते हैं, “जो बात पसंद नहीं की जाती, वो ये कि 80 के दशक से महिलाएँ ही नहीं, पुरुष खिलाड़ियों पर भी पाबंदियां बहुत ज़्यादा सख़्त होती गई.”
क्रिस कहते हैं, “ड्रेस कोड को ‘मुख्य रूप से सफ़ेद से बदलकर पूरी तरह सफ़ेद लिबास वाला किया गया... 90 के दशक में आयोजक और भी सख़्त हो गए और यह सिलसिला पिछले कुछ दशकों से बदस्तूर जारी है.”
“पहले स्टेफी ग्राफ और बोरिस बेकर जैसे खिलाड़ी, जिस तरह के कपड़े पहनकर सेंटर कोर्ट में उतरते थे, उसकी इजाज़त तो आज क़तई नहीं मिल सकती.”
तो, क्या वजह है कि विंबलडन वक़्त के साथ आगे बढ़ने के बजाय उल्टी दिशा में चल रहा है?
क्रिस बॉवर्स मानते हैं, “ये सारा मामला इस बात का है कि विंबलडन अपने ब्रांड को लेकर कुछ ज़्यादा ही सजग है... विंबलडनको इस बात पर ज़ोर देने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है कि आप रॉयल बॉक्स में जैकेट और टाई पहनकर ही बैठें. लेकिन, वो ऐसा करते हैं.”
क्रिस बॉवर्स सेंटर कोर्ट में घास की बारीक़ी से तैयार की गई परत की ओर भी इशारा करते हैं.
वो कहते हैं, “ये सफ़ेद पोशाक का सख़्त नियम विंबलडन ब्रांड का ही हिस्सा है, जिस पर हम आँख मूंदकर विश्वास करते हैं. जिस तरह हम इसे टेनिस का बड़ा ब्रांड मानते हैं, उसी तरह वहां की स्ट्रॉबेरी और क्रीम को भी उसी ब्रांड का हिस्सा समझते हैं.”
हालांकि, ऐसा नहीं कि इस रूढ़िवादी व्यवस्था को चुनौती नहीं दी गई.
बॉवर्स एक खिलाड़ी मे सटन का उदाहरण देते हुए कहते हैं, “उन्होंने 1905 में अपने बदन की थोड़ी सी नुमाइश क्या की कि लोग बेहोश होने लग गए थे.”
1919 में फ्रांस की एक खिलाड़ी सुज़ेन लेंगलेन ने अपने ‘अश्लील’ लिबास से प्रेस में हंगामा मचा दिया था. सुज़ेन बिना ब्रा और बिना पेटीकोट वाली ड्रेस पहनकर कोर्ट में उतरी थीं. उनकी ड्रेस खुले गले और छोटी आस्तीन वाली थी. उनकी स्कर्ट से आधी टांग दिख रही थी और रेशमी जुराबें, घुटने से बस ज़रा सी ऊपर थीं.
सुज़ेन ने उस साल का विंबलडन खिताब भी जीता था.
1934 में जब एईलीन बेनेट सेंटर कोर्ट पर शॉर्ट्स पहनकर उतरने वाली पहली खिलाड़ी बनीं, तो हंगामा मच गया था.
1949 में गेरट्रूड ‘गसी’ मोरैन, डिज़ाइनर टेड टिंगलिंग की बनाई ड्रेस पहनकर टेनिस कोर्ट में उतरी थीं. टिंगलिंग 1920 के दशक में विंबलडन में काम किया करते थे.
केरेन बेन-होरिन कहती हैं, “अमरीका में मोरैन शॉर्ट्स पहनकर खेला करती थीं और उन्हें चटख़ रंग पसंद थे.”
हाल में, केरेन की निगरानी में टिंगलिंग के बारे में एक ख़ास सिरीज़ प्रकाशित की गई थी.
क्या होगा अगला कदम?
वो कहती हैं, “टिंगलिंग को पता था कि विंबलडन में रंगीन कपड़े पहनने की इजाज़त नहीं थी. तो उन्होंने मोरैन के अंडरगारमेंट में एक लेस लगा दिया, जिससे एक बड़ा स्कैंडल बन गया. उसके बाद आयोजकों ने टिंगलिंग को बर्ख़ास्त कर दिया.”
केरेन कहती हैं, “टिंगलिंग अपने संस्मरण में लिखते हैं कि उनकी बर्ख़ास्तगी की वजह यह स्कैंडल नहीं बल्कि उनका ख़ुद का रंगीन मिज़ाज बर्ताव था, जिससे आयोजक नाराज़ हो गए थे.”
1985 में अमरीका की खिलाड़ी एन व्हाइट ने अपने बिल्कुल सफ़ेद कैटसूट से हंगामा बरपा दिया था. उनसे कहना पड़ा कि वो इसे दोबारा न पहनें.
2017 में वीनस विलियम्स को ग़ुलाबी स्ट्रैप वाली ब्रा के के कारण बारिश के कारण मैच रोके जाने के समय कपड़े बदलने को कहा गया था.
एक वक़्त में विंबलडन का सख़्त ड्रेस कोड तोड़ने वाली एन व्हाइट अब दूसरे रंग के शॉर्ट पहनने की इजाज़त दिए जाने के बारे में क्या सोचती हैं?
एन व्हाइट कहती हैं, “यह सारा मामला खिलाड़ी की ड्रेस और विंबलडन ब्रांड के बीच रिश्ते का है.”
वो कहती हैं, “विंबलडन के ये सारे नियम ही तो उसे पेशेवर खिलाड़ियों के लिए ख़ास और चुनौती भरा टूर्नामेंट बनाते हैं. मैं तो सदमे में हूं कि ऑल इंग्लैंड क्लब ने महिला खिलाड़ियों की ड्रेस में कुछ रंग भरने की इजाज़त दे दी है. मैं सोच रही हूं कि अब उनका अगला क़दम क्या होगा?” (bbc.com/hindi)
मीरपुर, 15 जुलाई। भारत की कप्तान हरमनप्रीत कौर को उम्मीद है कि बांग्लादेश के खिलाफ रविवार से यहां शुरू होने वाली तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला बल्लेबाजी के लिए बेहतर विकेट पर खेली जाएगी।
भारत ने टी20 श्रृंखला 2-1 से जीती लेकिन शेरे बांग्ला राष्ट्रीय स्टेडियम की धीमी पिच पर बल्लेबाजों को रन बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। भारतीय टीम ने दूसरे और तीसरे मैच में क्रमश: 95 और 102 रन बनाए जबकि बांग्लादेश ने पहले मैच में 114 रन बनाए थे।
हरमनप्रीत ने कहा कि वनडे टी20 की तुलना में अलग तरह का खेल है और उसमें बल्लेबाजों को मुश्किल परिस्थितियों में अच्छा स्कोर बनाने के लिए धैर्य बरतना होता है।
हरमनप्रीत ने पहले वनडे की पूर्व संध्या पर कहा,‘‘ हम जहां भी जाते हैं वहां अच्छे और दोनों टीम के लिए अनुकूल विकेट पर खेलना चाहते हैं लेकिन जितना मुझे पता है कल फिर से हमें उसी पिच पर खेलना होगा। उम्मीद है कि अंतिम दो मैचों में हमें बल्लेबाजी के लिए बेहतर विकेट मिलेगा।’’
उन्होंने कहा,‘‘ एशियाई परिस्थितियों में विकेट धीमा हो सकता है। बल्लेबाजी इकाई के रूप में हमें रन बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी और हम इसके लिए तैयार हैं।’’
बांग्लादेश श्रृंखला जीत सकती थी लेकिन दूसरे टी20 मैच में उसकी टीम 96 रन के लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाई थी। बांग्लादेश ने तीसरे मैच में जीत दर्ज की जिससे उसकी टीम का मनोबल बढ़ा होगा।
हरमनप्रीत को छोड़कर भारतीय टीम में लंबे शॉट खेलने वाली कोई खिलाड़ी नहीं है जिसका उसे टी20 श्रृंखला में खामियाजा भुगतना पड़ा। स्मृति मंधाना और जेमिमा रोड्रिग्स जैसे खिलाड़ियों को वनडे में अपनी पारी संवारने के लिए अधिक समय मिलेगा।
युवा सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा की फॉर्म पिछले कुछ समय से चिंता का विषय है और वह अच्छा प्रदर्शन करके अपने आलोचकों का मुंह बंद करने की कोशिश करेगी।
बांग्लादेश ने वनडे श्रृंखला के लिए शमीम अख्तर को टीम में शामिल किया है। उनके अलावा शोर्ना अख्तर, मारुफा अख्तर और सलमा खातून को भी टीम में लिया गया है।
टीम इस प्रकार हैं
भारत: हरमनप्रीत कौर (कप्तान), स्मृति मंधाना, दीप्ति शर्मा, शैफाली वर्मा, जेमिमा रोड्रिग्स, यास्तिका भाटिया (विकेटकीपर), हरलीन देयोल, देविका वैद्य, उमा छेत्री (विकेटकीपर), अमनजोत कौर, प्रिया पुनिया, पूजा वस्त्राकर, मेघना सिंह , अंजलि सरवानी, मोनिका पटेल, राशि कनौजिया, अनुषा बारेड्डी, स्नेह राणा।
बांग्लादेश : निगार सुल्ताना (कप्तान), नाहिदा अख्तर, मुर्शिदा खातून, फरगना हक, शोभना मोस्तरी, शोर्ना अख्तर, रितु मोनी, लता मंडल, दिशा बिस्वास, मारुफा अख्तर, शर्मिन अख्तर, संजीदा अख्तर, राबेया खान, सुल्ताना खातून, सलमा खातून , फाहिमा खातून, शमीमा सुल्ताना।
मैच भारतीय समयानुसार सुबह 9 बजे शुरू होगा। (भाषा)