राष्ट्रीय
बृज खंडेलवाल
आगरा, 11 दिसम्बर | एसिड अटैक सर्वाइवर्स द्वारा संचालित शीरोज हैंगआउट कैफे, लगभग दो वर्षों के बाद, कोविड -19 महामारी के कारण आगरा और लखनऊ में फिर से खुल गया है।
शीरोज हैंगआउट कैफे, आगरा में 10 दिसंबर 2014 को लॉन्च किया गया था। दो साल के अंतराल के बाद, ताज नगरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों की उपस्थिति में, यह अपनी सातवीं वर्षगांठ के दिन खुला।
इस पहल को छांव फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है। कैफे न केवल सर्वाइवर्स को रोजगार देता है बल्कि एसिड हमलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस मुद्दे को पर्यटन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
आईएएनएस से बात करते हुए, परियोजना से जुड़े अजय तोमर ने कहा कि 2014 में 'स्टॉप एसिड अटैक' अभियान की शुरूआत के साथ, परिवर्तन की लहरें शुरू हुईं, और कई बचे लोग छांव फाउंडेशन से जुड़े। लेकिन इससे बाहर होने के कारण समाज में, बचे लोगों की बेहतरी की उपेक्षा की गई। परिवर्तनों की आवश्यकता के लिए और बचे लोगों को सशक्त बनाने के लिए, आगरा में 'शीरोज हैंगआउट कैफे' शुरू किया गया था।
रूपा और गीता ने कहा कि कैफे उस मॉड्यूल पर आधारित है जो पीड़ितों को पुनर्वास में मदद करता है और उन्हें उस मंच के साथ सशक्त बनाता है जिससे वे अपनी आवाज उठा सकते हैं। कैफे का एक अलग राजस्व मॉड्यूल है यानी 'पे एज यू विश' यानी एक नेक काम के लिए लोगों को एक साथ लाना।
ताजमहल के पास बना यह कैफे दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। डॉली और खुशबू ने कहा कि आगंतुक शीरोज हैंगआउट कैफे जा सकते हैं और लोगों के साथ बातचीत कर सकते हैं, उनके साहस और ताकत की दुनिया की सराहना कर सकते हैं।
समन्वयक आशीष शुक्ला ने कहा कि छाव फाउंडेशन का राजस्व मॉडल और इसकी विभिन्न परियोजनाएं आगरा में कैफे पर काफी हद तक निर्भर करती हैं। शीरोज होम (एक पुनर्वास केंद्र) का किराया कैफे से उत्पन्न राजस्व से भुगतान किया जाता है।
कैफे में काम कर रहे सर्वाइवर्स ने कहा कि महामारी बड़ी चुनौतियां लेकर आई थी, क्योंकि उनके राजस्व का मुख्य स्रोत कैफे था, जो बंद था।
अजय तोमर ने कहा कि चुनौतियां सिर्फ सामान्य खचरें के बारे में नहीं थीं, मुख्य समस्या चिकित्सा उपचार थी जो कैफे के बंद होने के साथ रुक गई थी। इससे जीवित बचे लोगों के विकास को सुनिश्चित करने वाली छांव की परियोजनाएं/अभियान भी प्रभावित हुए। छाव फाउंडेशन से जुड़े सभी बचे लोगों के लिए कैफे का उद्घाटन बहुत महत्वपूर्ण है।
सर्वाइवर्स ने कहा कि शीरोज हैंगआउट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसा स्थान है जहां लोगों को समाज में हमारे सर्वाइवर्स द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को समझने का अवसर मिलता है, जिससे अधिक से अधिक सामाजिक परिवर्तन होता है। हम अपने माध्यम से बचे लोगों के जीवन को बढ़ाने के अपने मिशन को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। विजन 2022 कार्यक्रम के तहत साथ हम न केवल अपनी देनदारियों को दूर करेंगे बल्कि बेहतर रोजगार अवसर प्रदान करते हुए नए बचे लोगों को भी शामिल करेंगे। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 11 दिसम्बर | कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने प्रस्तावित धर्मातरण विरोधी कानून का विरोध करने के लिए विपक्षी कांग्रेस पर तीखा हमला किया है, जिसे बेलगावी में सोमवार से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना है। भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कदम रखा है और राजनीतिक लाभ के लिए समुदाय के बड़े हितों का त्याग करने के लिए कांग्रेस को कई पोस्टों में फटकार लगाई है। पार्टी ने एक पोस्ट में कहा कि यदि धर्मांतरण विरोधी कानून बनाया जाता है, तो समाज का एक वर्ग आहत होगा। किसी और चीज से ज्यादा, यह आपके सर्वोच्च नेता (सोनिया गांधी) को चोट पहुंचा सकता है। हिंदुओं के हितों पर आपके लिए राजनीतिक लाभ महत्वपूर्ण हैं।
भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून का विरोध करने को लेकर कांग्रेस के भीतर एक प्रतिस्पर्धा है। कुछ दिन पहले, यह विपक्ष के नेता सिद्धारमैया थे, और अब कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार की बारी है। आप ही हैं जो आलाकमान को खुश करने के लिए कनकपुरा में अवैध रूप से यीशु की मूर्ति को स्थापित करने के लिए तैयार थे।आपके विरोध में कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
कांग्रेस पर और हमला करते हुए, भाजपा ने कहा, वह टीपू जयंती मनाने वाले कांग्रेस नेताओं से कुछ उम्मीद नहीं कर सकती है।
भाजपा राज्य में धर्मातरण विरोधी कानून लाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसके सोमवार (13 दिसंबर) से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में हंगामा होने की संभावना है। ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि भाजपा राज्य में जबरन धर्मातरण को रोकने के लिए कानून ला रही है, चाहे कुछ भी हो जाए। (आईएएनएस)
गोपालगंज, 11 दिसम्बर | बिहार में चल रहे ग्राम पंचायत चुनाव में कई पंचायतों में दिलचस्प मामले देखने को सामने आ रहे हैं। जिले के बरौली प्रखंड के माधोपुर पंचायत में ऐसा ही एक मामला देखने को मिला। यहां चुनाव में सबकी निगाहें मुखिया पद के हो रहे चुनाव को लेकर था। इस पद के लिए मुख्य मुकाबला पिता और पुत्र के बीच था, जिसमें अंतत: पुत्र की जीत हुई। बिहार में चल रहे पंचायत चुनाव के दसवें चरण में संपन्न हुए चुनाव की मतों की गणना शुक्रवार को हुई। माधोपुर पंचायत में पिता और उनका छोटा पुत्र मुखिया पद के लिए आमने-सामने चुनाव मैदान में थे।
माधोपुर पंचायत में निवर्तमान मुखिया विजय प्रसाद को उनके छोटे बेटे संतोष कुमार गुप्ता ने शिकस्त दी। संतोष प्रसाद को 1981 वोट मिले और विजय प्रसाद 900 वोट पाकर तीसरे स्थान पर चले गए।
नवनिर्वाचित मुखिया संतोष कुमार बताते हैं कि उनके पिता की ओर से पंचायत में जो भी विकास काम किया जा रहा था, उसके ही सहयोग से किया गया था। वह अपने पिता के हर कार्य में सहयोग बंटा रहा था। लेकिन कुछ सालों से उसके पिता विजय प्रसाद अपने बड़े बेटे से प्रभावित होकर पंचायत में विकास कार्य नहीं कर पा रहे थे। जिसके परिणाम स्वरूप वह खुद पंचायत में विकास करने के लिए चुनाव मैदान में उतर गया था।
इधर, चुनाव परिणाम आने के बाद संतोष कुमार के समर्थकों में खुशी की लहर दौड गई। इस पंचायत में मुखिया पद के लिए इस चुनाव में सभी की निगाहें इस पिता-पुत्र पर थी।
नवनिर्वाचित मुखिया ने कहा कि पंचायत की समस्याओं का समाधान करना है। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 11 दिसम्बर | भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने मार्च 2020 के समाप्त हुए वर्ष के लिए सामान्य और सामाजिक क्षेत्र पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि ओडिशा में छह मंदिरों की 4,500 एकड़ से अधिक भूमि पर अतिक्रमण है। कैग ने राज्य के 13 मंदिरों के अभिलेखों का लेखा-जोखा किया और पाया कि इन मंदिरों की कुल 12,767.679 एकड़ भूमि में से केवल 5,749.464 एकड़ (45.03 प्रतिशत) उनके कब्जे में थी और 35.28 प्रतिशत भूमि अतिक्रमण के तहत थी।
रिपोर्ट के अनुसार देबत्तर ढेंकनाल की सबसे ज्यादा 4,030.78 एकड़ जमीन पर कब्जा है। इसी तरह जगन्नाथ बल्लव मठ की 296.664 एकड़, ठाकुर महल की 139.330 एकड़, श्री लिंगराज मंदिर की 36.370 एकड़, मां मंगला मंदिर की 0.070 एकड़ और मां समलेश्वरी मंदिर की 0.657 एकड़ जमीन पर कब्जा है।
शेष सात ऑडिट किए गए मंदिरों में, चार मामलों में किसी भी भूमि पर अतिक्रमण नहीं पाया गया है, जबकि तीन अन्य धार्मिक संस्थानों (आरआई) के पास डेटा नहीं है। कैग ने कहा कि जबकि केवल चार आरआई के पास उनकी सभी भूमि संपत्तियों का कब्जा था, दो आरआई (मां मंगला और मां सरला मंदिर) को जमीन की संपत्ति के कब्जे की सीमा के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी।
इसमें बताया गया, "आगे, तीन क्षेत्रीय संस्थाओं के संबंध में भू-संपत्ति के अतिक्रमण की सीमा का भी पता नहीं था। इसलिए, 7,018.215 एकड़ भूमि संबंधित सात क्षेत्रीय संस्थाओं के कब्जे में नहीं थी।"
इसके अलावा, हालांकि श्री लिंगराज मंदिर के पास राज्य भर में जमीन-जायदाद की संपत्ति है, यह केवल भुवनेश्वर शहर से संबंधित कब्जे और अतिक्रमण के बारे में जानता था। अन्य स्थानों पर भूमि के स्वामित्व और अतिक्रमण की जानकारी मंदिर प्रशासन को नहीं थी।
कार्यकारी अधिकारी, श्री लिंगराज मंदिर ने लेखापरीक्षा को सूचित किया कि भुवनेश्वर में 69.423 एकड़ भूमि में से 36.370 एकड़ भूमि पर कब्जा है। (आईएएनएस)
शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब पकड़ी जा रही है, बनाई जा रही है और पुलिस वाले हों या नेता या फिर आम लोग इसका सेवन भी कर रहे हैं.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
देसी या नकली विदेशी शराब जब जहरीली हो जा रही तो लोगों की जान जा रही है. आखिर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दृढ़ निश्चय व तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद राज्य में शराबबंदी क्यों विफल होती दिख रही है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार, जनवरी, 2021 से अक्टूबर तक प्रदेश में 38 लाख लीटर से अधिक शराब पकड़ी जा चुकी है जबकि 62 हजार से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए हैं. वाकई, यह प्रश्न लाजिमी है कि बिहार में यह कैसी शराबबंदी है.
जहरीली शराब पीने से लगातार हो रहीं मौतें भी इस पर प्रश्नचिन्ह लगा रहीं हैं. बीते नवंबर माह में सात दिनों के अंदर प्रदेश में 45 से अधिक लोगों की मौत के बाद बिहार सरकार पूरी तरह एक्शन में आ तो गई, लेकिन शायद ही कोई दिन बीतता है कि शराब बरामदगी तथा धंधेबाजों के पकड़े जाने की खबर मीडिया की सुर्खियां न बनती हों. शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार विधानसभा परिसर में शराब की तीन खाली बोतलें मिलीं और अब समस्तीपुर जिले के हथौड़ी थाना क्षेत्र के बल्लीपुर गांव में बीते दो-तीन दिनों में जहरीली शराब पीने से फिर चार लोगों की मौत हो गई. ग्रामीण साफ तौर पर शराब पीने से मौत की बात कह रहे, किंतु पुलिस हर बार की तरह इससे सहमत नहीं है और उसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है.
फैसला कितना व्यावहारिक?
एकबारगी, फिर बहस तेज हो गई है कि क्या यह एक ऐसा अव्यावहारिक निर्णय था, जिसे कभी अमली जामा नहीं पहनाया जा सकता है. शायद यही वजह रही होगी कि बिहार की एनडीए सरकार की प्रमुख घटक बीजेपी भी शराबबंदी की समीक्षा करने की मांग कर चुकी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल साफ तौर पर कह चुके हैं कि राज्य में शराबबंदी कानून फेल है. उन्होंने बिहार पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए. बांका जिले के कटोरिया की भाजपा विधायक निक्की हेम्ब्रम ने तो विधानसभा में कह दिया कि आदिवासियों का एक तबका शराब के कारोबार से जीविका चलाता है. इस कानून से उन्हें दिक्कत होती है. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बीच में ही यह कह कर रोका कि शराब के कारोबार पर आश्रित आदिवासी आबादी न्यूनतम है. अगर उनके पास इस कानून के लागू होने के बाद बेरोजगार हुए लोगों की सूची है तो वे उसे सरकार को दें, उन्हें रोजगार के साधन मुहैया कराए जाएंगे.
शराबबंदी कानून के लचर कार्यान्वयन के कारण प्रदेश में समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी हो गई है. यह स्थिति तब है जब सख्ती से शराबबंदी लागू करने के लिए बनाए गए एक्शन प्लान में मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर यह घोषणा कर रखी है कि जिस क्षेत्र में शराब मिली, उस इलाके के थानेदार तुरंत सस्पेंड होंगे तथा एसपी को निलंबित कर दिया जाएगा. लेकिन, कोई विवश होकर इसे बना व बेच रहा तो किसी के लिए यह बेहिसाब कमाई का जरिया बन गया है. जिस महकमे को शराब के अवैध धंधे की रोकथाम का जिम्मा दिया गया है, उनके अधिकारियों की धंधेबाजों से साठगांठ की वजह से यह अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है.
एनडीए के एक और सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी शराबबंदी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि बिहार में 50 हजार करोड़ की शराब की खपत होती है. माफिया, पुलिस व पदाधिकारी मालामाल हो रहे हैं और गरीब जनता पिस रही है. इस कानून से कोई फायदा नहीं है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी बार-बार सरकार से पूछते रहे हैं कि क्या बिहार में शराब सिर्फ बोतलों में बंद है. दूसरे राज्यों से आने वाली खेप आखिर चार-पांच जिलों को पार कर गंतव्य स्थल तक कैसे पहुंच जाती है. हालांकि, इसके जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने साफ किया है कि इसे सफल बनाने की जिम्मेदारी बीजेपी की भी है. इतना ही नहीं जदयू ने तो कहा है कि यह सभी दलों की जिम्मेदारी है. विधानसभा में सबों ने इसकी शपथ ली थी. बिहार में शराबबंदी अप्रैल, 2016 से लागू है.
सबसे बड़ी बाधा भ्रष्टाचार
जानकार बताते हैं, इस स्थिति के लिए कोई एक नहीं, बल्कि आज की पूरी व्यवस्था जिम्मेदार है. हर स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है. पद्मश्री सुधा वर्गीज साफ कहती हैं, ‘‘सरकार की शराबबंदी को पुलिस ने हाईजैक कर लिया है. पुलिस शराबबंदी के नाम पर कमाई में लगी हुई है. सरकार ने शराब का कारोबार करने वालों को कोई अल्टरनेटिव नहीं दिया है. जब उन्हें कोई विकल्प नहीं मिलता है तो वे फिर से इसके धंधे से जुड़ जाते हैं.'' थाने में बैठकर शराब की दावत उड़ाने व शराब के धंधेबाजों को संरक्षण देने के आरोप पुलिस पर लगते रहे हैं.
बीते बुधवार को मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) के उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के तीन ठिकानों पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) की टीम ने छापेमारी की तो करोड़ों की अवैध संपत्ति का पता चला. उनके ठाठ-बाट देख टीम दंग रह गई. यह तो एक बानगी भर है. एसवीयू के एक अधिकारी के अनुसार ऐसे अफसरों की लंबी लिस्ट है, जिन पर शराब माफिया से साठगांठ कर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप है. शराब के धंधे में राजनेता भी पीछे नहीं हैं. दो दिन पहले ही सिवान के राजद नेता व सेंट्रल कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन को पुलिस ने पकड़े गए शराब तस्करों की निशानदेही पर गिरफ्तार किया. पत्रकार सुधीर कुमार कहते हैं, "नेता, पुलिस व अफसर का गठजोड़ बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है."
खुली सीमा की कैसे हो निगरानी
दरअसल, राज्य में शराब तस्करी के दो मॉडल हैं. एक तो उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, झारखंड व दिल्ली से विदेशी शराब बिहार पहुंच कर विभिन्न शहरों में डंप की जाती है और फिर स्थानीय धंधेबाजों द्वारा इसकी सप्लाई होती है. शहरी इलाकों में मुख्य रूप से इसी मॉडल पर काम होता है, वहीं ग्रामीण इलाकों में स्प्रिट की खेप मंगा कर या महुआ चुलाकर स्थानीय स्तर पर देसी शराब बनाई जाती है. यही शराब नशीली बनाने के चक्कर में कभी कभी जहरीली हो जाती है. राज्य में अवैध शराब की तस्करी में एक तिहाई से अधिक हिस्सेदारी देसी शराब की है. बिहार से सटे झारखंड, पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश में शराबबंदी नहीं है.
नेपाल का बड़ा इलाका भी बिहार से सटा है. पुलिस की सक्रियता मुख्य मार्गों पर रहती है. खुली सीमा होने के कारण शराब के धंधे को रोक पाना मुश्किल होता है. यही वजह है कि केवल नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में शराब की दुकानों की संख्या में पिछले पांच सालों में काफी वृद्धि हुई है. उत्तर बिहार के पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण और मधुबनी के ग्रामीण इलाकों में शराब की तस्करी जोरों पर है. इन इलाकों में उत्तर प्रदेश से तो शराब आती ही है, नेपाल के सुस्ता से भी नाव के जरिए कच्ची शराब लाई जाती है. यही स्थिति नेपाल के सीमावर्ती वीरगंज, रौतहट, सर्लाही, परसा व मुसहरवा के इलाके में है. नेपाल के इन इलाकों में शाम ढलते ही पीने-पिलाने का दौर शुरू हो जाता है.
खुली सीमा होने के कारण लोग आराम से इस पार से उस पार चले जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक केवल रक्सौल बॉर्डर से रोजाना दो हजार से अधिक लोग शराब रोजाना शराब पीने नेपाल जाते हैं. यही हाल नेपाल से सटे पूर्वी बिहार के इलाकों का भी है. इंडो-नेपाल बार्डर को इसलिए शराब के तस्करों का सेफ जोन माना जाता है. हालांकि जहरीली शराब से मौत की घटनाओं के बाद सरकार ने राज्य की सीमा पर सख्ती बरतने तथा शराब तस्करी के रूट की पहचान कर उन्हें सील करने का निर्देश जारी किया है.
कैरियर बना धंधेबाज देते रोजगार
शराब तस्कर अपने धंधे में बेरोजगार युवाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ये युवा ही इनके लिए कैरियर बनकर शराब की होम डिलीवरी करते हैं. इनमें अधिकतर छात्र या वैसे युवा होते हैं, जो कुछ कमाई के चक्कर में इनकी गिरफ्त में आ जाते हैं. अगर ये पकड़ लिए गए तो छूटकर आने के बाद सिंडिकेट के लोग उन्हें डरा-धमका कर फिर से इस दलदल में धकेल देते हैं. भागलपुर में बच्चे द्वारा कैरियर का काम करने का मामला संज्ञान में आया है. विभिन्न इलाकों से अब तक करीब चार दर्जन से अधिक बच्चे इस सिलसिले में पकड़े जा चुके हैं. दरअसल, तस्कर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे को टारगेट करते हैं. पहले छोटे-मोट लालच देकर ये बच्चों से थोड़ी दूरी तक शराब की ढुलाई करवाते हैं. फिर बच्चे को मोबाइल फोन थमा होम डिलीवरी के काम में लगा देते हैं. अवकाश प्राप्त पुलिस अधिकारी एस के सिंह कहते हैं, ‘‘हर शहर में यहां तक कि गांवों-कस्बों में युवा लालच में आकर तस्करों के लिए कैरियर का काम कर रहे हैं. बच्चों-महिलाओं पर कोई शक नहीं करता, इसलिए ये उनके लिए सॉफ्ट टारगेट होते हैं.'' मद्य निषेध विभाग के आंकड़ों के अनुसार शराब बरामदगी तथा गिरफ्तारी के मामले में मुजफ्फरपुर राज्य में सबसे अव्वल है.
जहरीली हुई शराब तो सक्रिय हुई सरकार
शराबबंदी कानून पर सख्ती से अमल के लिए सरकार ने एकबार फिर केके पाठक नामक उस कडक़ आइएएस अफसर को कमान सौंपी, जिन्हें पहले महकमे की जिम्मेदारी सौंपने के बाद हटा दिया गया था. अब सख्ती का आलम यह है कि पुलिस तथा मद्य निषेध व उत्पाद विभाग हर घंटे छापेमारी कर रहा है. बीते एक हफ्ते में 13,405 छापे मारे गए और 2220 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें सबसे अधिक 1131 लोग शराब बेचने के आरोप में पकड़े गए. होम डिलीवरी के नेटवर्क को ध्वस्त करने पर सरकार का विशेष जोर है. अब जंगल, पहाड़ व दियारा वाले इलाकों में धंधेबाजों की निगरानी ड्रोन से की जाएगी. वहीं शहरों के कुछ खास इलाकों की पहचान कर ऑनलाइन सिस्टम के जरिए निगाह रखी जाएगी. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़ी बेबाकी से ऐलान कर चुके हैं कि राज्य में न शराब आने देंगे और न किसी को पीने देंगे. पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वे राज्य की यात्रा पर निकलेंगे और इस दौरान खासकर महिलाओं को शराबबंदी के बारे में बताएंगे और उनसे इससे सफल बनाने की अपील करेंगे. जाहिर है, सरकार तमाम प्रयास कर रही है और सामाजिक संगठन भी सक्रिय हैं, लेकिन जब तक आम लोग जागरूक नहीं होंगे तथा भ्रष्ट अफसरों पर कानून का डंडा नहीं चलेगा तब तक पूर्ण शराबबंदी की कल्पना बेमानी है. (dw.com)
13 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों ने गुरुवार को इसे खत्म करने का ऐलान किया. सरकार की ओर से पांच मांगों पर भेजे गए प्रस्ताव को संयुक्त किसान मोर्चा ने सहमति दे दी.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
दिल्ली की सीमाओं पर बीते 13 महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों ने गुरुवार को आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के तीन सप्ताह बाद और संसद द्वारा आधिकारिक रूप से उन्हें वापस करने के कुछ दिनों बाद, आंदोलनकारी किसानों ने इसे खत्म कर दिया.
विरोध ने एनडीए सरकार के लिए एक अभूतपूर्व राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया था. आंदोलन के कारण बीजेपी की प्रमुख सहयोगी अकाली दल ने साथ छोड़ दिया. मामला देश के सर्वोच्च अदालत तक जा पहुंचा था. किसान संगठनों का दावा था कि आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत भी हो गई. हालांकि सरकार का कहना है कि आंदोलन में कितने किसान मरे उसे आधिकारिक संख्या नहीं पता.
केंद्र सरकार की तरफ से किसानों की पांच मांगों पर भेजे गए प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा ने सहमति दे दी. प्रस्ताव पर गुरुवार को किसान नेताओं की बैठक हुई थी. बैठक के बाद किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की. किसान नेता राकेश टिकैत के मुताबिक 11 दिसंबर से किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़कर अपने-अपने घरों को लौटने लगेंगे.
किसान नेताओं ने इसे अपनी "ऐतिहासिक जीत" करार दिया है और 11 दिसंबर को विजय दिवस मनाने का फैसला किया है. दरअसल केंद्र की ओर से दोबारा भेजे गए मसौदा प्रस्ताव पर किसानों ने अपनी सहमति जाहिर कर दी थी, उसी प्रस्ताव पर सरकार ने किसानों को अब लिखित में दे दिया है.
15 जनवरी को किसानों की समीक्षा बैठक होगी और इस बैठक में नेता इस बात की समीक्षा करेंगे सरकार सहमत प्रस्तावों को लागू करती है या नहीं. इस बीच, सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट हटाना शुरू भी कर दिया है.
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि बलबीर सिंह राजेवाल ने मीडिया से कहा, "आज हम तानाशाह सरकार को हराकर जा रहे हैं. 15 जनवरी को एसकेएम फिर से बैठक करेगा और समीक्षा करेगा कि क्या सरकार प्रदर्शनकारियों पर लगाए गए मामलों को वापस लेती है और वह अन्य मांगों पर कार्रवाई करती है या नहीं."
गुरुवार से ही कई किसानों ने दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर बने टेंट हटाने शुरू कर दिए थे. साल भर से अधिक समय से हाईवे पर चले आंदोलन की वजह से आम लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. (dw.com)
नई दिल्ली : तमिलनाडु में कुन्नूर के पास हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले सीडीएस जनरल बिपिन रावत उनकी पत्नी और ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर की आज अंत्येष्टि की जाएगी. जनरल बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी दी जाएगी और अंतिम संस्कार के दौरान 800 सैन्यकर्मी मौजूद रहेंगे. शुक्रवार सुबह 11 बजे से जनरल रावत और उनकी पत्नी के शवों को उनके परिवार, दोस्तों और जनता के अंतिम दर्शन के लिए उनके दिल्ली स्थित घर पर रखा गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के पार्थिक शरीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की. अंत्येष्टि यात्रा दोपहर करीब दो बजे शुरू होगी जबकि अंतिम संस्कार शाम 4 बजे बरार स्क्वायर श्मशान घाट में निर्धारित किया गया है.
वहीं इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने हादसे में शहीद हुए लोगों को बृहस्पतिवार को पालम हवाई अड्डे पर श्रद्धांजलि दी. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, थल सेना प्रमुख एम एम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, एयर चीफ मार्शल ए वी आर चौधरी, रक्षा सचिव अजय कुमार उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के अन्य कर्मियों को मेरी श्रद्धांजलि. भारत उनके बहुमूल्य योगदान को कभी नहीं भूलेगा. वहीं पालम हवाई अड्डे पर हृदय विदारक दृश्य दिखे. एक हैंगर में 13 ताबूत रखे गए थे और इस दौरान परिवार के सदस्य भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री मोदी इस मौके पर दिवंगतों के परिजनों के पास गए और उनसे कुछ मिनट तक बात की.
पार्थिव शरीरों को भारतीय वायुसेना के सी-130 जे विमान से सुलूर एयरबेस से दिल्ली लाया गया. श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद पार्थिव शरीरों को धौलाकुआं स्थित सेना के अस्पताल ले जाया गया. बता दें कि जनरल रावत, उनकी पत्नी और ब्रिगेडियर लिद्दर के अलावा, एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सशस्त्र बल के 10 जवानों की मृत्यु हो गई थी. दुर्घटना में मारे गए अन्य कर्मियों में लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर पी एस चौहान, स्क्वाड्रन लीडर के सिंह, जेडब्ल्यूओ दास, जेडब्ल्यूओ प्रदीप ए, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार और लांस नायक साई तेजा शामिल हैं. इस दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का बेंगलुरु के एक सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है. (भाषा)
शादी होने के बाद रिसेप्शन में दूल्हा-दुल्हन दोनों के रिश्तेदार दोनों को स्टेज पर आशीर्वाद देने आते हैं. इन लोगों में कपल के दोस्त भी स्टेज पर आते हैं और उनकी खुशियां शेयर करते हैं. कई बार ये दोस्त शादी में ऐसा गिफ्ट दे देते हैं जो हमेशा के लिए यादगार बन जाता है. सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले एक वीडियो में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है.
वीडियो में दूल्हे के दोस्तों ने स्टेज पर आकर बड़ा मजाक कर दिया. वे शादी में दूल्हा-दुल्हन के लिए इतना बड़ा गिफ्ट पैकेट लेकर पहुंचे कि इसे देखकर दूल्हा-दुल्हन भी भौचक्के रह गए. उन्होंने गिफ्ट के साथ ही स्टेज पर फोटो भी खिंचवाई लेकिन इसके तुरंत बाद जो हुआ उसे देखकर वहां मौजूद मेहमान भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए. आप भी ये वीडियो ज़रूर अंत तक देखिए और अपना मूड लाइट कर लीजिए.
5-6 लोग ढोकर लाए वेडिंग गिफ्ट
वायरल हो रहे वीडियो में दूल्हा-दुल्हन आराम से रिसेप्शन स्टेज पर खड़े रहते हैं. तभी दूल्हे के दोस्त वहां एक भारी-भरकम सा गिफ्ट बॉक्स उठाए पहुंचते हैं. पहली नजर में देखकर लगता है कि इसमें कोई बड़ा और महंगा उपहार होगा, जो न्यूली वेडड कपल को मिलने वाला है. ये सभी ऐसे दिखाते हैं, जैसे उस बॉक्स के अंदर बड़ी भारी वॉशिंग मशीन रखी हुई है. दूल्हे को भी लगा कि उनके दोस्तों ने मिलकर उसे बड़ा गिफ्ट मिल रहा है, लेकिन बाद में जैसे ही फोटो खिंच जाती है तो पता चलता है कि उस बड़े से डिब्बे में कुछ भी नहीं है. इस प्रैंक पर वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगते हैं.
Social Media पर छाया वीडियो
इंस्टाग्राम पर theshaadiswag नाम के अकाउंट से ये वीडियो अपलोड किया गया है. सोशल मीडिया पर इस वीडियो लोग खूब पसंद कर रहे हैं. हज़ारों लोगों ने जहां इसे पसंद किया है, वहीं इस पर ढेर सारे कमेंट्स भी आ रहे हैं. एक यूजर ने कहा कि इस गिफ्ट के बाद अब दूल्हा-दुल्हन को कमाने की जरूरत नही है. वहीं ज्यादातर यूज़र्स ने हंसने वाले इमोटिकॉन्स कमेंट सेक्शन में पोस्ट किए हैं. वहीं कुछ यूज़र्स ने लिखा- भला शादी में ऐसा कौन करता है?
तिरुवनंतपुरम, 9 दिसम्बर | तमिलनाडु के कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय वायुसेना के एमआई 17 हेलिकॉप्टर में सवार 38 वर्षीय प्रदीप का सपना अब कभी पूरा नहीं हो पायेगा। जूनियर वारंट अधिकारी प्रदीप भारतीय वायुसेना में फ्लाइट गनर थे और सुलूर से हेलिकॉप्टर में सवार हुए थे।
त्रिशूर के रहने वाले, प्रदीप पिछले सप्ताह के अंत तक अपने बीमार पिता के पास थे। वह सप्ताह के लिए ब्रेक पर आये थे।
पिछले हफ्ते के अंत में ही वह ड्यूटी पर लौटे थे और ड्यूटी में शामिल होने के चार दिन बाद हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, जिसमें भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य लोगों की जान चली गई।
यह 2002 में, प्रदीप एक हथियार-फिटरके रूप में आईएएफ में शामिल हुए और फिर एक एयर क्रू बन गए। जब केरल ने एक सदी में सबसे भीषण बाढ़ देखी तो उन्होंने हेलिकॉप्टर दस्ते में शामिल होने का विकल्प चुना, जो राज्य के विभिन्न स्थानों पर बचाव कार्यों में लगा हुआ था और इस प्रयास के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनकी सराहना की गई थी।
बुधवार की देर रात तक यह खबर नहीं आई थी कि प्रदीप हेलिकॉप्टर में सवार थे और तब से त्रिशूर में उनके घर जहां उनके माता-पिता रहते हैं, लोगों का जमावड़ा लगा रहा।
प्रदीप के एक पड़ोसी ने कहा, "वह हमेशा हमारे साथ एक जैसे थे और अपने पड़ोस में सभी कार्यों में सबसे आगे रहते थे। जब वह आखिरी बार छुट्टी पर आये थे, तो वह ज्यादातर अपने बीमार पिता के साथ रहते थे।"
एक अन्य पड़ोसी के अनुसार, प्रदीप अपने घर के पास जमीन खरीदने के बाद एक नया घर बनाना चाहते थे, क्योंकि दो साल में वह सेवानिवृत्त होने वाले थे।
प्रदीप का गांव अब अपने चहेते बेटे के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है और ग्रामीणों को उम्मीद है कि शुक्रवार को अंतिम संस्कार हो सकता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर | भाजपा राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने तमिलनाडु में हुए हेलिकॉप्टर दुर्घटना मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में करवाने की मांग की है। इस दुर्घटना में भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और उनके रक्षा सलाहकार समेत 13 लोगों की मौत हो गई।
आईएएनएस से बात करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह सार्वजनिक मामला है। उन्होंने कहा कि हमारे दुश्मन, लोगों को गुमराह करने के लिए कई तरह के दुष्प्रचार कर रहे हैं, इसलिए इसकी वास्तविकता को सामने लाने के लिए मेरी यह मांग है कि इस दुर्घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में होनी चाहिए और सेना से जुड़े अधिकारी जांच के लिए एक्सपर्ट के तौर पर कमेटी में होने चाहिए।
आईएएनएस से बातचीत करते हुए स्वामी ने कहा कि कमेटी की जांच रिपोर्ट को सर्वमान्य बनाने के लिए यह जरूरी है क्योंकि देश के लोगों को आज भी सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करके भी इस मांग को उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, सीडीएस, उनकी पत्नी और कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मृत्यु कैसे हुई, इस बारे में संदेह पैदा होता है। इसलिए सरकार को किसी बाहरी व्यक्ति जैसे एससी जज द्वारा सरकारी जांच का नेतृत्व कराना चाहिए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर | देश भर के सुनने में अक्षम छात्रों के लिए शिक्षा मंत्रालय सांकेतिक भाषा पर काम कर रहा है। इस पहल के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र, सांकेतिक भाषा में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें विकसित कर रहा है। साथ ही, ऐसे छात्रों के लिए 10,000 शब्दों की आईएसएल डिक्शनरी भी तैयार की गई है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पैरा नबंर 4.22 में देश भर में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के मानकीकरण और सुनने में अक्षम छात्रों द्वारा उपयोग के लिए राष्ट्रीय और राज्य पाठ्यक्रम सामग्री के विकास की सिफारिश की गई है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) के साथ भारतीय सांकेतिक भाषा में एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक आधारित वीडियो विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
वहीं आईएसएलआरटीसी ने 10,000 शब्दों वाली डिक्शनरी तैयार और लॉन्च की हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक वीडियो प्रारूप में आईएसएल डिक्शनरी की व्यापक पहुंच और प्रसार के लिए यह शब्दकोश दीक्षा पोर्टल पर उपलब्ध है। एनसीईआरटी वीडियो में ऑडियो और उपशीर्षक एम्बेड करके इस डिक्शनरी को मजबूत कर रहा है।
ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि 10,000 शब्दों की डिक्शनरी की पहुंच केवल सुनने में अक्षम छात्रों तक ही सीमित न रहे। इसके अलावा, एनसीईआरटी आईएसएलआरटीसी के साथ मिलकर 10,000 शब्दों के मौजूदा आईएसएल डिक्शनरी में स्कूली पाठ्यक्रम पर आधारित नए नियम और शब्द जोड़े जा रहे हैं।
शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी के मुताबिक अब तक, एनसीईआरटी ने कक्षा एक से छह तक 800 से अधिक आईएसएल वीडियो विकसित किए हैं। इन्हें सुनने में अक्षम (एचआई) छात्रों के उपयोग के लिए दीक्षा पोर्टल पर अपलोड किया गया है।
इन वीडियो को पीएम ईविद्या (वन क्लास, वन चैनल), डीटीएच टीवी चैनलों के माध्यम से भी नियमित रूप से प्रसारित किया जा रहा है ताकि इन ई-सामग्री की सुसंगत पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
वहीं शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के तहत ऑडियो और टॉकिंग बुक्स योजना विकसित करने का भी निर्णय किया है। दरअसल राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी शिक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका का उल्लेख किया गया है।
इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 12 तक की एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों से अब तक 3211 ऑडियो बुक चैप्टर को ऑडियो, टॉकिंग बुक्स के रूप में विकसित किया गया है और व्यापक प्रसार के लिए दीक्षा पोर्टल पर मुफ्त में अपलोड किया गया है।
इसके अलावा, ऑडियो सामग्री 230 ऑडियो स्टेशनों (ज्ञानवाणी एफएम स्टेशन - 18, सामुदायिक अनुपात स्टेशन - 80, अखिल भारतीय रेडियो स्टेशन - 132 और इंटरनेट रेडियो) पर भी उपलब्ध है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर | कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन पर गुरुवार को कृषि मंत्रालय की ओर से किसानों को आधिकारिक पत्र मिल गया है। इसके बाद, एसकेएम की अपनी बैठक शुरू हो गई है। दरअसल केंद्र की ओर से दोबारा भेजे गए मसौदा प्रस्ताव पर किसानों ने अपनी सहमति जाहिर कर दी थी, उसी प्रस्ताव पर सरकार ने किसानों को लिखित में दे दिया है। अब उम्मीद है कि किसान आंदोलन पर अंतिम फैसला लेंगे।
इस बीच, सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट हटाना शुरू कर दिये हैं और आपस मे किसान मिठाई भी बाट रहें है। इसे देखते हुए अब यह लगभग तय हो गया है कि किसान आज अपना इस आंदोलन पर अंतिम फैसला ले सकते हैं। (आईएएनएस)
चेन्नई, 9 दिसम्बर | तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम (टीएनएसटीसी) के एक बस चालक ने गुरुवार सुबह मदुरै में दिल का दौरा पड़ने से पहले 30 लोगों की जान बचाई। अरुमुगम, 30 यात्रियों के साथ अराप्पलायम से कोडाईकनाल के लिए टीएनएसटीसी बस चला रहे थे। जैसे ही बस सुबह 6.20 बजे अरप्पलायम से रवाना हुई, चालक ने कंडक्टर भगियाराज को सीने में तेज दर्द की शिकायत की और दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले किसी तरह वाहन को सड़क किनारे खड़ा कर दिया।
कंडक्टर ने तुरंत एक एम्बुलेंस को फोन किया, लेकिन जब तक वह पहुंची, तब तक अरुमुगम की मौत हो चुकी थी।
टीएनएसटीसी के उप वाणिज्य प्रबंधक, मदुरै, युवराज ने आईएएनएस को बताया, "अरुमुगम को टीएनएसटीसी में ड्राइवर के रूप में 12 साल का अनुभव था और सड़क के किनारे बस को पार्क करने की उनकी यादगार कार्रवाई को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी दो बेटियां हैं।"
शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी राजाजी अस्पताल भेज दिया गया है और करीमेदु पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने कहा कि शव को जीआरएच अस्पताल ले जाने से पहले अरुमुगम के परिवार को सूचित कर दिया गया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर | लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तमिलनाडु में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्य अधिकारियों के निधन पर गुरुवार को शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "सीडीएस जनरल बिपिन रावत को उनकी देशभक्ति और राष्ट्र के लिए उनकी सेवा के लिए हमेशा याद किया जाएगा। दुख की इस घड़ी में, पूरा सदन शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता है।"
उन्होंने अकेले जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की, जिनका वेलिंगटन अस्पताल में इलाज चल रहा है।
सदन ने दिवंगत आत्माओं के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा।
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हेलीकॉप्टर दुर्घटना की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर सदन में बयान दिया।
उन्होंने कहा, "गंभीर दुख और भारी मन के साथ, मैं 8 दिसंबर, 2021 की दोपहर में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत के सैन्य हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की दुर्भाग्यपूर्ण खबर देने के लिए खड़ा हूं।"
उन्होंने यह भी कहा कि जनरल रावत रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन के निर्धारित दौरे पर थे। वायु सेना के एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर ने बुधवार को सुबह 11.48 बजे सुलूर एयर बेस से उड़ान भरी और दोपहर 12.15 बजे तक वेलिंगटन में उतरने की उम्मीद थी। सुलूर एयर बेस पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल का दोपहर करीब 12.08 बजे हेलीकॉप्टर से संपर्क टूट गया।"
सिंह ने आगे कहा कि कुछ स्थानीय लोगों ने कुन्नूर के पास जंगल में आग देखी और मौके पर पहुंचे जहां उन्होंने आग की लपटों में घिरे सैन्य हेलीकॉप्टर के मलबे को देखा।
"आसपास के स्थानीय प्रशासन से बचाव दल घटनास्थल पर पहुंचे और दुर्घटनास्थल से बचे लोगों को निकालने का प्रयास किया।"
मलबे से बरामद सभी लोगों को वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल ले जाया गया। नवीनतम रिपोटरें ने पुष्टि की है कि दुर्भाग्यपूर्ण हेलीकॉप्टर में सवार कुल 14 लोगों में से 13 ने दम तोड़ दिया है। मृतकों में सीडीएस मधुलिका रावत की पत्नी, उनके रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर अलखबिंदर सिंह लिद्दर, स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और वायु सेना के हेलीकॉप्टर चालक दल सहित नौ अन्य सशस्त्र बल कर्मी शामिल हैं।
अन्य लोगों में विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान, स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह, जूनियर वारंट अधिकारी राणा प्रताप दास, जूनियर वारंट अधिकारी अरक्कल प्रदीप, हवलदार सतपाल राय, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांस नायक बी साई तेजा थे। मंत्री ने कहा कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर हैं और उनकी जान बचाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
सभी सैन्य कर्मियों के पार्थिव शरीर को आज शाम तक वायुसेना के विमान से लाया जाएगा।
सिंह ने यह भी बताया कि एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ट्रेनिंग कमांड एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में भारतीय वायु सेना द्वारा घटना की 'त्रि-सेवा जांच' का आदेश दिया गया है।
सिंह ने कहा कि जनरल रावत का राष्ट्रीय राजधानी में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा, जबकि बाकी रक्षा कर्मियों का भी उनके रैंक के अनुसार सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। (आईएएनएस)
भुज (गुजरात) :गुजरात के कच्छ जिले के भुज कस्बे के समीप गुरुवार तड़के एक कार और ट्रक की टक्कर में तीन महिलाओं की मौत हो गई और एक अन्य महिला घायल हो गई. यह दुर्घटना मनकुवा-सुखपार मार्ग पर उस समय हुई जब महिलाएं एक धार्मिक कार्यक्रम से कार से लौट रही थीं. मनकुवा पुलिस थाने के निरीक्षक वाई पी जडेजा ने बताया कि अज्ञात वाहन चालक दुर्घटनास्थल से फरार हो गया.
Gujarat में Dwarka के निकट रिक्टर पैमाने पर 3.9 तीव्रता वाले भूकंप के झटके
उन्होंने बताया कि प्रमिलाबेन वर्सानी (45), शीलू वर्सानी (25), सविता हिरानी (45) भरासर गांव की रहनेवाली थीं और उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई. अधिकारी ने बताया कि कार चला रहीं महिला इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गईं और उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अधिकारी ने बताया कि चालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
हर दिन सैकड़ों अफगान ईरान की कठिन यात्रा करते हैं. लेकिन ईरान पहुंचने में सफल होने के बावजूद उन्हें वापस अफगानिस्तान भेज दिया जाता है.
हर दिन कई बसें पश्चिमी अफगान शहर हेरात से सैकड़ों लोगों को ईरान-अफगानिस्तान सीमा तक ले जाती हैं. वहां वे अपने तस्करों से मिलते हैं और फिर कई दिनों तक पैदल यात्रा करते हैं. कई बार वे ट्रकों में फंसे लोगों के साथ यात्रा करते हैं और कभी-कभी वे चोरों और सीमा प्रहरियों से बचते हुए अंधेरे में एक पर्वत श्रृंखला पर चलते हैं.
ईरान पहुंचने पर वे नौकरी पाने की कोशिश करते हैं और कुछ यूरोप जाने की योजना बनाते हैं. ईरान तक का सफर बहुत कठिन होता है, उनके पास खाने के लिए कुछ ही रोटी और पीने का पानी होता है. वे ज्यादा देर तक पैदल चल सकें इसके लिए वे भारी बैग नहीं साथ रखते.
मर जाएंगे लेकिन देश छोड़ देंगे
ईरानी सीमा पर जाने वाली बस में सवार 20 वर्षीय हारून ने कहा कि वह अपने दोस्त फाउद के साथ यूरोप जाना चाहते हैं. वे कहते हैं, "हमारे पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. भले ही हमें मरना पड़े, हम इसे स्वीकार करते हैं."
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश गंभीर आर्थिक संकट में है. अफगान सरकार को चलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडिंग रुकी पड़ी है. अमेरिका ने अफगान सरकार की विदेशी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया है. वहीं तालिबान को दुनिया शक की नजर से देखती है. देश में अंतरराष्ट्रीय सहायता और सूखे की वजह से कई लोगों के सामने रोटी तक हासिल करने में दिक्कत हो रही है. लोगों के पास रोजगार नहीं है और अधिकांश आबादी भूख से मर रही है.
ऐसे में देश छोड़कर जाने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के अनुसार पिछले तीन महीनों में तीन लाख अफगान देश छोड़कर भाग गए हैं और हर दिन 4,000 से 5,000 के बीच लोग अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं. हालांकि बहुत से लोग यूरोप पहुंचना चाहते हैं, लेकिन यूरोप में पहुंचने वाले अफगान शरणार्थियों की संख्या बहुत सीमित है. अधिकांश ईरान में एक नया जीवन शुरू करना चाहते हैं.
ईरान अब लौटा रहा है अफगान शरणार्थी
ईरान में पहले से ही 30 लाख अफगान शरणार्थी हैं. ईरान अब हर हफ्ते 20,000 से 30,000 अफगानों को वापस भेज रहा है. प्रवासन के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन के मुताबिक ईरान ने अकेले इस वर्ष 11 लाख अफगानों को लौटा दिया है. यह पिछले साल के निर्वासन की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है.
हेरात में एक महिला मानव तस्कर ने बताया कि वह एक अफगान नागरिक को ईरान ले जाने के बदले 400 डॉलर लेती है. लेकिन उसे अग्रिम में केवल 16 डॉलर चाहिए. बाकी पैसा शरणार्थियों द्वारा नौकरी मिलने पर भेज दिया जाता है. यात्रा के दौरान मानव तस्कर तालिबान, ईरानी और पाकिस्तानी गार्डों को रिश्वत भी देते हैं ताकि वे उन्हें रोकें नहीं.
हेरात अफगानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. यह शहर ईरानी सीमा से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है. लेकिन प्रशासन द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है. अधिकांश नागरिक तीन सौ मील दक्षिण में निमरोज की यात्रा करते हैं, जहां वे पाकिस्तान में प्रवेश करते हैं और वहां से ईरान में दाखिल होने का प्रयास करते हैं.
हेरात के रहने वाले रजा रेजाई अपने 17 वर्षीय बेटे के साथ यात्रा कर चुके हैं. वह कहते हैं, "यह एक थकाऊ यात्रा है. सबसे कठिन रास्ता ईरान-पाकिस्तान सीमा पार करना है. यहां प्रवासियों को पहले बेहद कठिन पर्वत श्रृंखला पर चढ़ना पड़ता है और फिर उतरना पड़ता है."
रजा कहते हैं, ''बहुत अंधेरा होता है लेकिन हम टॉर्च का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. ऐसा सुरक्षा कारणों से करना होता है.'' रजा ईरान तो पहुंचे लेकिन शिराज में कुछ दिन काम करने के बाद पुलिस ने उन्हें पकड़कर वापस अफगानिस्तान भेज दिया. रजा एक बार फिर ईरान जाना चाहते हैं. उनके पिता का हाल ही में निधन हो गया. अब चालीस दिन के शोक के बाद वे फिर कोशिश करेंगे. वह कहते हैं, ''मैं और क्या कर सकता हूं? यहां कुछ नहीं है."
एए/वीके (एपी)
स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नया ग्रह खोजा है. बाहरी अंतरिक्ष में मिले इस ग्रह का आकार इतना बड़ा है कि हमारे वैज्ञानिकों की सारी कल्पनाएं छोटी पड़ गई हैं.
वैज्ञानिकों को एक ग्रह मिला है जो सूर्य से दस गुना बड़े दो जुड़वां सितारों की परिक्रमा करता है. यह ग्रह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से 11 गुना बड़ा है और इसकी कक्षा सौ गुना ज्यादा चौड़ी है. इस खोज ने वैज्ञानिकों के वे सारे अनुमान झुठला दिए हैं जो अब तक उन्होंने बाहरी अंतरिक्ष में मौजूद तारों और ग्रहों के आकार को लेकर लगा थे.
पृथ्वी से लगभग 325 प्रकाश वर्ष दूर यह ग्रह बृहस्पति की ही तरह एक गैसीय पिंड है लेकिन भार में यह गुरु से 11 गुना बड़ा है. यह बाह्य अंतरिक्ष में पाए जाने वाले ग्रहों की उस श्रेणी में आता है जिसे ‘सुपर जुपिटर' कहा जाता है. यानी वे खगोलीय पिंड जो हमारे सौर मंडल के सबसे बड़ी पिंड से भी बड़े हैं.
छोटी पड़तीं कल्पनाएं
यह ग्रह दो जुड़वां सितारों का चक्कर लगाता है. इसके चक्कर का घेरा जितना बड़ा है वो अब तक पहले कभी नहीं देखा गया. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा जितने बड़े घेरे में करती है, इस ग्रह का घेरा उससे 560 गुना ज्यादा चौड़ा है.
अब तक ऐसा कोई ग्रह नहीं मिला था जो सूर्य के भार से तीन गुना से ज्यादा बड़े सितारों का चक्कर लगाता हो. अब तक वैज्ञानिक यह मानते आए थे कि सूर्य से तीन गुना बड़ा कोई तारा होगा तो उसकी विकिरणें इतनी तेज होंगी कि किसी भी ग्रह को जला देंगी और चक्कर लगाने ही नहीं देंगी. इस ग्रह ने उस समझ को झुठला दिया है.
स्वीडन की स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के खगोलविद मार्कुस यानसन के नेतृत्व में हुई यह खोज ‘नेचर' पत्रिका में प्रकाशित हुई है. मार्कुस बताते हैं, "ग्रह संरचना एक बेहद विविद प्रक्रिया लगती है. यह हमारी अब तक की कल्पनाओं से कई गुना अधिक है. और भविष्य में भी हमारी कल्पनाएं छोटी पड़ती रहेंगी.”
तरह तरह के सौरमंडल
1990 के दशक में हमारे सौर मंडल के बाहर पहले ग्रह की खोज हुई थी. ऐसे ग्रहों को बाह्यग्रह (एक्सोप्लेनेट) कहा गया था. वैज्ञानिक तभी से इस बात को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे हमारे सौरमंडल में कुछ ग्रह एक तारे का चक्कर लगाते हैं, क्या अन्य सौरमंडलों में भी ऐसा ही होता है.
इस खोज में शामिल एक वैज्ञानिक भारतीय मूल की गायत्री विश्वनाथ हैं. स्टॉकहोम यूनिवर्सटी में पीएचडी कर रहीं विश्वनाथ कहती हैं, "अब तक जो चलन दिखे हैं, हमारा सौरमंडल सबसे आम ग्रह व्यवस्था नहीं है. मसलन कथित ‘जलते बृहस्पतियों वाले' ऐसे सौरमंडल भी हैं जहां बृहस्पति के आकार के ग्रह अपने तारों के बहुत नजदीक जाकर परिक्रमा करते हैं. ज्यादातर ग्रह जो खोजे गए हैं, उनका आकार पृथ्वी और नेपच्यून के बीच का है. हमारे सौरमंडल में इस आकार का कोई ग्रह नहीं है.”
वीके/एए (रॉयटर्स)
अमेरिका की रियल एस्टेट वेबसाइट बेटर डॉट कॉम के भारतीय मूल के सीईओ विशाल गर्ग ने अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी है. कुछ दिन पहले उन्होंने 900 से ज्यादा कर्मचारियों को जूम कॉल के दौरान नौकरी से निकाल दिया था.
एक जूम कॉल के दौरान 900 से ज्यादा लोगों को निकाले जाने की सूचना देने वाले बेटर डॉट कॉम के सीईओ विशाल गर्ग ने माफी मांगी है. भारतीय मूल के अमेरिकी विशाल गर्ग का एक वीडियो पिछले हफ्ते वायरल हो गया था जिसमें वह लोगों से कह रहे थे कि उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है.
क्रिसमस की छुट्टियों से कुछ ही दिन पहले इतने सारे लोगों को एक साथ नौकरी से निकालने और जूम पर संवेदनहीनता के लिए गर्ग की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हो रही थी. इसलिए उन्होंने एक पत्र लिखकर माफी मांगी है.
मंगलवार को एक पत्र में गर्ग ने कहा, "मुझे अहसास है कि जिस तरह मैंने यह सूचना दी उसने बुरी स्थिति को बदतर बना दिया.” उन्होंने अपनी टीम को संबोधित इस माफीनामे की शुरुआत ही माफी मांगने से की है.
गर्ग ने लिखा, "जिस तरह पिछले हफ्ते मैंने लोगों को निकाले जाने की प्रक्रिया को संभाला उसके लिए मैं माफी चाहता हूं. जिन लोगों पर इसका असर पड़ रहा था उनके प्रति और बेटर (कंपनी) के लिए उनके योगदान के प्रति मैंने समुचित सम्मान नहीं दिखाया. मैंने लोगों को निकालने के फैसले को अपने ऊपर लिया लेकिन उसे प्रेषित करने में बड़ी गड़बड़ कर दी. और ऐसा करके मैंने आप सभी को शर्मिंदा किया.”
उन्होंने कहा जिस तरह यह सूचना दी गई उससे स्थिति बदतर हुई. अपने पत्र में उन्होंने लिखा, "मुझे बहुत ज्यादा खेद है और मैं वादा करता हूं कि इस स्थिति से सबक लूंगा और वैसा नेता बनने की और ज्यादा कोशिश करूंगा जैसा आप मुझसे उम्मीद करते हैं.”
क्या हुआ था?
पिछले हफ्ते विशाल गर्ग का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. इस वीडियो को एक कर्मचारी ने जूम मीटिंग के दौरान अपने फोन से रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था.
इस वीडियो में विशाल गर्ग ने कहा था कि जो लोग इस जूम कॉल में शामिल हैं उन्हें नौकरी से हटाया जा रहा है. गर्ग ने कहा, "हम करीब 15 फीसदी लोगों को निकाल रहे हैं. यह फैसला बाजार, प्रदर्शन और उत्पादकता के आधार पर लिया जा रहा है. अगर आप इस जूम कॉल में शामिल हैं तो आप उन बदकिस्मत लोगों में शामिल हैं जिनकी नौकरी तुरंत प्रभाव से चली गई है.”
विशाल गर्ग ने यह भी कहा कि ऐसा वह पहले भी कर चुके हैं. उन्होंने कहा, "यह दूसरी बार है जब मुझे ऐसा करना पड़ रहा है. पिछली बार जब मैंने ऐसा किया था तो मैं रोया था. उम्मीद है इस बार मैं मजबूत बना रहूंगा.”
बेटर डॉट कॉम
बेटर डॉट कॉम को 2016 में न्यू यॉर्क में स्थापित किया गया था. कंपनी घरों के लिए इंश्योरेंस और होम लोन उपलब्ध करवाती है. इसका पूरा काम ऑनलाइन होता है. अमेरिका के अलावा भारत में भी कंपनी में कई कर्मचारी हैं.
बेटर डॉट कॉम ने मई में कहा था कि उसका ऑरोरा एक्विजीशन कॉर्प के साथ विलय हो रहा है और इस 7.7 अरब डॉलर के समझौते के बाद कंपनी शेयर बाजार में उतरेगी. इस महीने की शुरुआत में समझौते की शर्तों में बदलाव किया गया जिसके तहत सॉफ्टबैंक ने तय 1.5 अरब डॉलर में से आधी राशि समझौते के लिए इंतजार करने के बजाय तुरंत उपलब्ध करवाई.
वीके/एए (रॉयटर्स)
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को त्रिपुरा सरकार और पुलिस को झटका देते हुए एक निजी चैनल की दो महिला पत्रकारों के खिलाफ तमाम आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगाने का निर्देश दिया.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
बीते महीने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा कवर करने त्रिपुरा पहुंची एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क की दो महिला पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को पुलिस ने आपराधिक साजिश रचने और दो समुदायों में दुश्मनी बढ़ाने समेत कई आरोपों में गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि बाद में उनकी जमानत हो गई थी.
इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. उसके बाद इस चैनल और दोनों पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ त्रिपुरा पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में त्रिपुरा पुलिस से चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने को कहा है.
अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में पूजा पंडालों में तोड़फोड़ और कुछ लोगों की मौत के बाद विश्व हिंदू परिषद ने त्रिपुरा में एक रैली निकाली थी. उस दौरान बड़े पैमाने पर संप्रदायिक हिंसा हुई थी और कथित रूप से कुछ मस्जिदों में भी तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी.
हालांकि राज्य सरकार ने सोशल मीडिया पर इस बारे में आने वाली खबरों, तस्वीरों और वीडियो को फर्जी बताते हुए करीब 102 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए थे. केंद्र सरकार ने भी इनको निराधार बताया था.
क्या है मामला
दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में कई पूजा पंडालों पर हमले, तोड़-फोड़ और आगजनी की गई थी. इन घटनाओं में कुछ लोगों की मौत भी हो गई थी. उस घटना के विरोध में त्रिपुरा में विश्व हिंदू परिषद की ओर से एक रैली का आयोजन किया गया था.
आरोप है कि उस दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और मस्जिदों पर हमले और आगजनी की गई. हालांकि पुलिस और सरकार ने इन घटनाओं को सिरे से खारिज कर दिया. लेकिन सोशल मीडिया पर इन घटनाओं की कथित तस्वीरें वायरल हो गईं.
उसके बाद पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ झूठी तस्वीरें और वीडियो अपलोड करने के मामले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था. इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया.
राज्य सरकार ने 29 अक्टूबर को आरोप लगाया था कि बाहर से आए निहित स्वार्थ वाले एक समूह ने 26 अक्टूबर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर जलती हुई एक मस्जिद की फर्जी तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा में अशांति पैदा करने और प्रशासन की छवि खराब करने के लिए साजिश रची.
उसके बाद बीते महीने त्रिपुरा हिंसा की रिपोर्टिंग कर रहीं दो महिला पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को गिरफ्तार कर लिया गया था. यह गिरफ्तारी विश्व हिंदू परिषद की शिकायत के बाद दर्ज की गई थी. लेकिन त्रिपुरा की एक स्थानीय अदालत ने अगले दिन ही दोनों पत्रकारों को जमानत दे दी.
दोनों पत्रकारों को असम के करीमगंज से हिरासत में लिया गया था. गोमती जिले की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने उनको 15 नवंबर को जमानत दे दी थी. इसके बाद उन्होंने मामले को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
उनकी रिहाई के बाद सूचना व सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुशांत चौधरी ने आरोप लगाया था कि दोनों महिला पत्रकार राजनीतिक दल की एजेंट हैं. मंत्री का कहना था कि दोनों महिला पत्रकारों का मकसद राज्य में अशांति फैलाना था और इसी वजह से उन्होंने फर्जी तस्वीरें और खबरें वायरल की थीं.
'असिहष्णुता का सबूत'
दोनों महिला पत्रकारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 153 ए (धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 504 (जानबूझकर अपमान करने के इरादे से शांति भंग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
प्रेस परिषद से लेकर तमाम मीडिया संगठनों और राजनीतिक दलों ने महिला पत्रकारों की गिरफ्तारी की निंदा की थी. त्रिपुरा में सीपीएम के सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा था, "विश्व हिंदू परिषद के कहने पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. यह गलत व असहिष्णुता का सबूत है.”
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले बीते महीने ही त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर यूएपीए के तहत दर्ज प्राथमिकी के मामले में वकीलों व पत्रकारों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक वकीलों व पत्रकारों पर कठोर कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिए थे.
अदालत ने उस याचिका पर त्रिपुरा सरकार से जवाब भी मांगा था. उक्त याचिका में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून को भी चुनौती दी गई थी. यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों अंसार इंदौरी व मुकेश और एक पत्रकार ने दाखिल की थी. वकीलों ने स्वतंत्र तथ्य खोजी टीम के सदस्य के तौर पर त्रिपुरा का दौरा किया था जबकि पत्रकार पर उनके एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
निजी चैनल और उसकी दो महिला पत्रकारों ने त्रिपुरा पुलिस की कार्रवाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें पत्रकारों के खिलाफ दायर प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी. इसी पर सुनवाई के बाद डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को पत्रकारों के खिलाफ अगले आदेश तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए त्रिपुरा पुलिस से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि पत्रकार इस मुद्दे पर रिपोर्ट कर रहे थे और फिर प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्होंने बताया कि पत्रकारों को जमानत दे दी गई है. लेकिन उसके बाद भी एक और प्राथमिकी दर्ज की गई. लूथरा का कहना था, यह वास्तव में असहनीय है और अनुचित है.
गृह मंत्री का बयान
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने त्रिपुरा की हिंसा पर इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा में अपने लिखित बयान में कहा था कि इस मामले में राज्य सरकार ने अब तक 15 केस दर्ज किए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए लगातार कदम उठाए. पुलिस बल को प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया गया और गश्त बढ़ा दी गई. इसके साथ ही धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा भी बढ़ाई गई.
केंद्र और राज्य सरकार सांप्रदायिक हिंसा के आरोपों को लगातार खारिज करती रही हैं. उल्टे इसकी रिपोर्ट करने वालों या सोशल मीडिया पर संबंधित खबरें, तस्वीरें और वीडियो डालने वालों के खिलाफ भी मामले दर्ज किए जा चुके हैं. (dw.com)
भोपाल, 9 दिसम्बर | मध्य प्रदेश की सरकार अनाथ बालिकाओं के जीवन को सुखद बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा रही है, इसके मुताबिक अनाथ बालिकाओं को भी लाडली लक्ष्मी योजना से जोड़कर लाभ दिया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिला एवं बाल विकास विभाग की लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 की समीक्षा बैठक में कहा कि अनाथ बालिकाओं को लाडली लक्ष्मी योजना में जोड़ा जाए, ताकि इन बालिकाओं को भी सरकार की इस योजना का लाभ मिल सके। इसके साथ ही राज्य, जिला, ब्लॉक, ग्राम पंचायत स्तर पर लाडली लक्ष्मी दिवस का आयोजन किया जाये।
राज्य में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्राम पंचायतों एवं ग्रामों को लाडली लक्ष्मी फ्रेंडली घोषित करन्एो के मापदंड तय कर लिये जायें। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष के ऊपर की लाडली लक्ष्मी को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बालिकाओं के शासकीय-अशासकीय मेडिकल, इंजीनियरिंग, आईआईटी, आईआईएम में प्रवेश पर पढ़ाई का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा कि लाडली बालिका कॉलेज में प्रवेश लेगी तो उसे 25 हजार रुपए दिये जायेंगे। इस समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।(आईएएनएस)
मैसूर, 9 दिसम्बर| पिछले 24 घंटों में मैसूर जिले के बाइलाकुप्पे में तिब्बती लामा शिविर में 23 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए। आवासीय कैंप को सील कर दिया गया है और सभी कोविड पॉजिटिव मरीजों को आइसोलेट कर दिया गया है। स्वास्थ्य अधिकारी डॉ शरथ ने स्थिति का जायजा लेने के लिए तिब्बती शिविर का दौरा किया। शिविर में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए और सावधानी बरतने के लिए बस्ती के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
बाइलाकुप्पे धर्मशाला के बाद तिब्बत के बाहर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी तिब्बती बस्ती है। यह मैसूर शहर से 80 किलोमीटर दूर स्थित है। इस बस्ती में सभी प्रमुख तिब्बती बौद्ध परंपराओं में कई मठ और मंदिर हैं जो पूरे भारत में बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। कोविड के प्रकोप के बाद अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं।
इसके अलावा कोविड संक्रमण के जोखिम से बचने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे केरल में सबरीमाला यात्रा से लौटने वालों का आरटी-पीसीआर परीक्षण करें, खासकर मैसूर जिले के गांवों में। अधिकारियों को उन व्यक्तियों पर 10 दिनों तक निगरानी रखने का भी निर्देश दिया जाता है क्योंकि केरल में अभी भी कोविड संक्रमण की दर अधिक है।
इस बीच, कर्नाटक सरकार ने बुधवार को एक और सकरुलर जारी कर उच्च जोखिम वाले देशों से अंतरराष्ट्रीय आगमन के लिए केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (केआईएएल), मंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और राज्य के अन्य हवाई अड्डों के परिसर में आरटी-पीसीआर परीक्षण करवाना अनिवार्य कर दिया है। इसकी घोषणा पहले ही की जा चुकी थी और ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के मद्देनजर सभी हवाई अड्डों पर कड़ी निगरानी की जा रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 दिसंबर | शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के तहत ऑडियो और टॉकिंग बुक्स योजना विकसित करने का निर्णय किया है। दरअसल राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी शिक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका का उल्लेख किया गया है। सीआईईटी-एनसीईआरटी दिव्यांग छात्रों के लिए ऑडियो, वीडियो और सुलभ प्रारूप जैसे कई प्रारूपों में किताबें उपलब्ध करा रहा है। इसमें भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में पाठ्य पुस्तकें और बोलने वाली किताबें शामिल हैं।
कक्षा 1 से 12 तक की एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों से अब तक 3211 ऑडियो बुक चैप्टर को ऑडियो, टॉकिंग बुक्स के रूप में विकसित किया गया है और व्यापक प्रसार के लिए दीक्षा पोर्टल पर मुफ्त में अपलोड किया गया है।
इसके अलावा, ऑडियो सामग्री 230 ऑडियो स्टेशनों (ज्ञानवाणी एफएम स्टेशन - 18, सामुदायिक अनुपात स्टेशन - 80, अखिल भारतीय रेडियो स्टेशन - 132 और इंटरनेट रेडियो) पर भी उपलब्ध है।
एनईपी-2020 की परिकल्पना है कि शिक्षण-अधिगम और मूल्यांकन के उद्देश्यों के लिए शैक्षिक सॉफ्टवेयर की एक समृद्ध विविधता विकसित की जाएगी और सभी स्तरों पर छात्रों और शिक्षकों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।
ऐसे सभी सॉफ्टवेयर सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे। खास बात यह है कि यह दूरदराज के क्षेत्रों के छात्रों और दिव्यांग छात्रों सहित उपयोगकर्ताओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए सुलभ होंगे।
वहीं 'समग्र शिक्षा' शिक्षा, पर शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि संविधान की समवर्ती सूची में होने के कारण, अधिकांश स्कूल संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के अधीन हैं। केंद्र प्रायोजित योजना 'समग्र शिक्षा' के तहत वर्ष 2021-22 से व्यावसायिक शिक्षा का हब एंड स्पोक मॉडल पेश किया गया है।
2021-22 के दौरान कुल 136 हब स्कूलों और 241 स्पोक स्कूलों को मंजूरी दी गई है। इस मॉडल के तहत, हब स्कूलों के मौजूदा व्यावसायिक बुनियादी ढांचे का उपयोग पास के स्पोक स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए करने की परिकल्पना की गई है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया था क्योंकि वर्ष 2021-22 से हब और स्पोक मॉडल पेश किया गया है। रोजगार कौशल मॉड्यूल को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का एक अभिन्न अंग बनाया गया है।(आईएएनएस)
तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना का एक Mi-17 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है, जिसमें सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी भी मौजूद थे. इस हेलीकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे, जिनमें सेना के बड़े अफसर भी सवार थे. हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो चुका है. फिलहाल यह मालूम नहीं चल पाया है कि सेना का हेलीकॉप्टर मौसम खराब होने के कारण क्रैश हुआ या फिर किसी तकनीकी खराबी के कारण. भारतीय वायुसेना ने भी इस घटना पर ट्वीट कर पुष्टि की है कि जनरल रावत इस हेलीकॉप्टर में सवार थे. इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
क्रैश होने के बाद हेलीकॉप्टर से आग की लपटें उठने लगीं. हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और मदद शुरू कर दी. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक एयरफोर्स सूत्रों ने बताया कि जल्द ही घटनास्थल पर पहुंचने की कोशिश की जा रही है.
पाकिस्तानी वन्यजीव अधिकारियों ने इस साल 900 हरे कछुओं के बच्चों को तटों से बचाया है. पर्यावरणविद इसे कछुओं के अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बता रहे हैं.
कोरोना महामारी ने दुनिया भर के समुद्र तटों पर इंसानी आवाजाही को गंभीर रूप से प्रतिबंधित कर दिया है. इसका फायदा कछुओं ने उठाया है. अब ये बड़ी संख्या में तटों पर आ रहे हैं और प्रजनन भी कर रहे हैं. मादा कछुए समुद्र में लौटने से पहले तट की रेत में दर्जनों अंडे देती हैं.
कराची के तटों पर हरे कछुओं की संख्या पिछले साल 15,000 तक पहुंच गई. सिंध वाइल्डलाइफ के मुताबिक 2019 में यह संख्या आठ से साढ़े आठ हजार के बीच थी. हालांकि पाकिस्तान में लॉकडाउन खत्म हो गया है. विशेषज्ञ अभी भी बड़ी संख्या में जीवों के तट पर पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं. हरे कछुए सबसे बड़े समुद्री कछुओं में से एक हैं. इन शाकाहारी हरे कछुओं का वजन 90 किलो तक हो सकता है.
ऐसे कछुए 80 से अधिक देशों में पाए जाते हैं और लगभग 140 उष्णकटिबंधीय तटीय क्षेत्रों में रहते हैं. सी टर्टल कंजर्वेशन ग्रुप के अनुसार दुनिया भर में 85,000 और 90,000 के बीच अंडे देने वाली मादा कछुए हैं.
कराची का मौसम अगले साल जनवरी तक अंडे देने के लिए अनुकूल हो सकता है, इसलिए वन्यजीव अधिकारी समुद्र तटों की निगरानी कर रहे हैं. सिंध वाइल्डलाइफ के अशफाक अली मेमन कहते हैं, "कछुओं के पास अब अपने अंडे देने के लिए काफी समय है. इस मौसम में यहां बड़ी संख्या में कछुए आते हैं. तीन महीने की अवधि में हमने 6,000 अंडे बचाए हैं."
जैसे ही मादा कछुए अंडे देकर जाती हैं, कर्मचारी अंडे को एक मीटर गहरी हैचरी में रख देते हैं. 40-45 दिनों के बाद अंडे से कछुए बाहर आने लगते हैं. फिर इन बच्चों को समुद्र में छोड़ दिया जाता है.
1970 के बाद से सिंध टर्टल यूनिट ने 8,50,000 से अधिक बच्चे कछुओं को समुद्र में छोड़ा है. मेमन के मुताबिक अकेले इस मौसम में 900 बच्चों को समुद्र में ले जाया गया. विशेषज्ञों का कहना है कि पहले समुद्री कछुओं का उनके मांस, वसा और अंडे के लिए शिकार किया जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में प्रदूषण और भूमि की कमी उनके अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है.
एए/सीके (रायटर्स)
ताजा ‘वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2022’ के मुताबिक भारत दुनिया के उन देशों में प्रमुखता से खड़ा है जहां गरीबी और असमानता व्यापक रूप से मौजूद है जबकि एक छोटा सा तबका धन-धान्य में खेल रहा है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
भारत में सिर्फ दस प्रतिशत लोगों के पास देश की आधे से भी ज्यादा (57 प्रतिशत) संपत्ति है जबकि देश की आधी आबादी सिर्फ 13 प्रतिशत संपत्ति पर गुजारा करने को मजबूर है. ‘वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2022' में भारत में गैरबराबरी और अमीर-गरीब की बढ़ती खाई की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है.
इस रिपोर्ट ने चेताया है कि 2020 में दुनिया की कुल आय घटी है जिसमें लगभग आधी गिरावट अमीर देशों में आई है जबकि बाकी कम आय वाले और नए उभर रहे देशों में दर्ज हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक यह गिरावट दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया और खासतौर पर भारत में दर्ज की गई है.
वर्ल्ड इनइक्विटी लैब के सह-निदेशक और अर्थशास्त्री लूकस चांसल के नेतृत्व में यह रिपोर्ट अर्थशास्त्रियों थॉमस पिकेटी, इमानुएल साएज और गाब्रिएल जुकमान ने तैयार की है. रिपोर्ट कहती है, "जब भारत को विश्लेषण से हटा दिया गया ऐसा सामने आया कि दुनिया के निचले आधे हिस्से की आय 2020 में बढ़ गई.”
भारत की औसत आय
रिपोर्ट ने भारत की स्थिति पर कहा है, "ऊपर के दस फीसदी लोगों के पास 57 प्रतिशत आय है. सबसे ऊपरी एक फीसदी लोगों के पास देश की कुल आय का एक प्रतिशत है. और निचले 50 प्रतिशत लोगों का हिस्सा गिरकर 13 प्रतिशत पर चला गया है.”
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत का मध्य वर्ग तुलनात्मक रूप से ज्यादा गरीब है. उसके पास देश की कुल आय का औसत सात लाख 23 हजार 930 रुपये यानी लगभग 29.5 प्रतिशत है. उधर सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों की औसत आय तीन करोड़ 24 लाख 49 हजार 360 रुपये है. ऊपरी दस फीसदी लोगों की औसत आय 63 लाख 54 हजार 70 रुपये है.
2021 में भारत की वयस्क आबादी की औसत आय दो लाख चार हजार 200 रुपये आंकी गई. निचले आधे हिस्से की औसत आय 53 हजार 610 रुपये आंकी गई. एक औसत भारतीय घर की सालाना कमाई नौ लाख 83 हजार 10 रुपये रही जबकि निचले तबके के आधे से ज्यादा घरों के पास संपत्ति लगभग ना के बराबर (66 हजार 280 रुपये) है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से सबसे अमीर दस फीसदी और सबसे गरीब 50 प्रतिशत लोगों की आय में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन रिपोर्ट ने इस बात को विशेष तौर पर कहा है कि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए असमानता डेटा की गुणवत्ता बहुत खराब है.
नीति आयोग ने हाल ही में मल्टी-डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (MPI) जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हर चार में से एक भारतीय बहुआयामी तौर पर गरीब है. ऐसे गरीबों की संख्या बिहार में सबसे ज्यादा (51.91 प्रतिशत) है. दूसरे नंबर पर झारखंड (42.16 प्रतिशत) है और तीसरे पर उत्तर प्रदेश जहां कि 37.79 प्रतिशत आबादी गरीब है.
दुनिया की स्थिति
असमानता रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में असमानता आज उसी स्तर पर पहुंच चुकी है, जो 20वीं सदी की शुरुआत में तब हुआ करती थी जब साम्राज्यवाद अपने चरम पर था. रिपोर्ट कहती है कि दुनिया की आधी गरीब आबादी के पास लगभग कुछ भी नहीं है. दुनिया की कुल आय में इस तबके का हिस्सा मात्र दो फीसदी है जबकि दुनिया के दस प्रतिशत सबसे अमीर लोग 76 प्रतिशत धन पर काबिज हैं.
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका को असमानता के मामले में सबसे ऊपर रखा गया है जबकि यूरोप में असमानता सबसे कम है. यूरोप के दस फीसदी सबसे अमीर लोगों के पास 36 प्रतिशत आय है जबकि पूर्वी एशिया के सबसे अमीर दस फीसदी लोगों के पास 43 प्रतिशत. दक्षिण अमेरिका में यह आंकड़ा 55 प्रतिशत है.
रिपोर्ट कहती है कि लोग अमीर हो रहे हैं लेकिन देश गरीब होते जा रहे हैं. इसके मुताबिक, "सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति जीरो के करीब और अमीर देशों में तो नकारात्मक हो गई है. यानी पूरा धन निजी हाथों में चला गया है. कोविड संकट के दौरान यह चलन बढ़ा है क्योंकि सरकारों ने जीडीपी का 10-20 प्रतिशत तक उधार लिया.” (dw.com)