राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 11 मई | खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने सोमवार को बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को दो महीने की अवधि यानी मई और जून, 2021 के लिए लागू किया जा रहा है। इसी तरह के पैटर्न के अनुसार, प्रति माह पांच किलोग्राम प्रति व्यक्ति के अनुसार अतिरिक्त खाद्यान्न लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को दिया जाएगा। भारत सरकार 26,000 करोड़ रुपये से अधिक का सारा खर्च वहन करेगी। उन्होंने बताया कि विभाग इस योजना की लगातार समीक्षा कर रहा है और व्यापक प्रचार देने के लिए और जारी की गई सलाहों के अनुरूप कोविड-19 से संबंधित सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद ईपीओएस उपकरणों के माध्यम से पारदर्शी तरीके से खाद्यान्नों का समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है। 26 अप्रैल को सचिव की ओर से और पांच मई 2021 को संयुक्त सचिव के माध्यम से राज्यों के साथ इस बारे में बैठक भी हो चुकी है।
सचिव पांडेय ने बताया कि रबी विपणन सीजन 2021-22 में खरीद सुचारु रूप से चलने के साथ नौ मई तक कुल 337.95 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई है, जबकि पिछले वर्ष 248.021 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई थी।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 34.07 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं जो पिछले साल 28.15 लाख थे। उन्होंने कहा कि खरीद पूरे भारत में 19,030 खरीद केंद्रों के माध्यम से की गई है। उन्होंने कहा कि किसानों को अब देश भर में बिना किसी देरी के अपनी फसलों की बिक्री के खिलाफ प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो रहा है।
सचिव ने बताया कि कुल डीबीटी भुगतान में से अब तक 49,965 करोड़ रुपये किसानों के खाते में सीधे हस्तांतरित किए गए हैं और ये गेहूं की खरीद के लिए किए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि पंजाब में 21,588 करोड़ रुपये और हरियाणा में लगभग 11,784 करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित किए गए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 मई | कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच बंगाल से आई युवती की मौत का मामला गरमा गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर मीडिया के सामने कई पहलू रखे। इस दौरान मृत युवती के पिता भी मौजूद रहे। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जानकारी दी गई है कि मोर्चे को युवती के साथ दुष्कर्म की जानकारी 2 मई को उनके पिता से मिली।
पीड़िता के पिता ने मीडिया को बताया कि बेटी ने उनसे कहा था कि दोषियों को सजा मिले और उसे इंसाफ मिले, लेकिन मोर्चे पर कोई आंच न आए। कानूनी कार्रवाई की तरफ बढ़ने में वह शुरुआत में थोड़ा हिचकिचाए, लेकिन जब संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें मदद का भरोसा दिलाया, तब उनमें हिम्मत आई और उन्होंने कानूनी कार्रवाई करने का फैसला लिया, 8 मई को मुकदमा दर्ज कराया।
मृत युवती के पिता ने कहा कि उन्होंने सिर्फ किसान सोशल आर्मी से जुड़े अनिल मलिक और अनूप सिंह पर दुष्कर्म के आरोप लगाए हैं, क्योंकि बेटी ने इन दोनों के बारे में जानकारी दी थी। इन दोनों के अलावा उनकी बेटी ने किसी अन्य व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं कहा।
उन्होंने कहा, "कविता और योगिता ने उनकी मदद की और अभी तक मदद कर रही हैं। लेकिन पुलिस ने अनिल और अनूप के अलावा महिला को भी ओरोपित बना दिया।"
हालांकि दूसरी ओर टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन में आई पश्चिम बंगाल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप को पर एफआइआर दर्ज होने के बाद पुलिस अब इस मामले में तेजी से जांच में जुट गई है।
जिस अस्पताल में पीड़िता भर्ती रही थी, उस अस्पताल से पुलिस ने पूरा रिकार्ड तलब किया है, जिसमें कुछ सवाल हैं, जैसे कि युवती को कब अस्पताल में लाया गया? किसने दाखिल कराया? उसको क्या तकलीफ हुई? आदि अन्य सवाल शामिल हैं।
फिलहाल पुलिस इन सभी बिंदुओं पर जानकारी जुटाने में लग गई है। सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकार्डस आदि पुलिस खंगाल रही है। पुलिस ने अनुसार, जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
हालांकि किसान नेताओं का इस मसले पर साफ कहना है कि वे पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं, दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। किसान नेताओं के अनुसार, पीड़िता के साथ जो कुछ हुआ, इसकी जानकारी उन्हें शुरुआत में नहीं थी।
योगेंद्र यादव ने कहा, 24 अप्रैल से पहले मैं ना पीड़िता को जानता था और न ही उनके पिता को जानता था। 25 अप्रैल को पता लगा कि कुछ गड़बड़ हुआ है, लेकिन क्या, ये नहीं पता था।"
उन्होंने कहा, जिस वक्त युवती को आगरा की बताकर हांसी ले जाया जा रहा था, मैंने पीड़िता से बात कर लोकेशन मंगाया तो वो हरयाणा के पास की दिखा रहा था। तुरंत वापस कॉल कर आरोपी युवकों को वापस आने को कहा गया था।
उन्होंने कहा कि उस वक्त तक युवती के साथ दुष्कर्म जैसी कोई बात सामने नहीं आई थी। हालांकि युवती की तबीयत खराब होने की जानकारी थी। उनकी प्राथमिकता थी कि युवती को पहले इलाज मिले।
किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आई पश्चिम बंगाल की युवती के साथ दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
बताया जा रहा है कि युवती 11 अप्रैल को आरोपियों के साथ पश्चिम बंगाल से दिल्ली आई थी। किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के दौरान उसके साथ दुष्कर्म की घटना हुई। युवती की 30 अप्रैल को कोरोना संक्रमण से मौत हो गई।(आईएएनएस)
चंडीगढ़. हरियाणा सरकार ने कोरोना संक्रमण की वजह से प्रभावित गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों को आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि सरकार उन लोगों को पांच हजार रुपये की मदद देगी जो होम आइसोलेट हैं. यह एकमुश्त राशि चिकित्सा सहायता के रूप में दी जाएगी. यह राशि सीधे मरीजों के बैंक खाते में भेजी जाएगी.
कोरोना की वजह से अधिकांश लोगों के परिवार भारी परेशानी उठा रहे हैं. इसी को लेकर हरियाणा सरकार की ओर से आर्थिक मदद की पहल की गई है. हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को 5000 रुपये प्रदान करने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि उनकी आजीविका रुक गई है. उन्हें कोविड के बीच काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. विज ने बताया कि इसके लिए लाभार्थी कोविड मरीजों का परिवार पहचान पत्र होना अनिवार्य होगा.
इसके अलावा प्रदेश में ऐसे कोविड मरीज जो गरीबी रेखा से नीचे हैं व आयुष्मान भारत योजना के तहत सुविधा प्राप्त नहीं कर रहे हैं, उनको राज्य सरकार द्वारा कोविड उपचार अधिकृत निजी अस्पतालों में इलाज के लिए प्रतिदिन प्रति मरीज सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया है. यह राशि मरीज के डिस्चार्ज होने के समय बिल से घटा दी जाएगी.
शादियों में 11 लोगों से अधिक की अनुमति नहीं
10-17 मई से एक सप्ताह के लिए राज्य में महामारी की चेतावनी जारी करते हुए 'सूरक्षित हरियाणा' की घोषणा की गई है. इसको लेकर लॉकडाउन के नियमों को और सख्त बनाया गया है. इस दौरान शादियों और अंत्येष्टि में भी 11 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक है. इस दौरान किसी भी जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी. वहीं कोरोनाकाल में ब्लैक मार्केटिंग करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं. जमाखोरी करने वालों की सूचना के लिए उपभोक्ता शिकायत नंबर भी जारी किया गया है.
हैदराबाद, 10 मई | हैदराबाद में एक प्रमुख स्वास्थ्य सुविधा वाले अस्पताल के डॉक्टर्स के पास ऐसे कोविड 19 सकारात्मक रोगी आए हैं जिनमें श्लेष्मा रोग, घातक फंगल संक्रमण पाया गया। अस्पताल ने सोमवार को कहा कि पिछले 3 से 4 हफ्तों में कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स में इस संक्रमण के साथ कुल पांच मरीज आए।
डॉक्टरों के अनुसार, लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का लगातार उपयोग, जो कोविड 19 उपचार के लिए मानक बन गया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली कम हो रही है। इससे श्लेष्मा जैसे संक्रमण की आशंका हो सकती है जिससे अंगों को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है और संक्रमित रोगियों के जीवन को खतरा हो सकता है।
डॉ. दुश्यान्त गणेशुनी, सलाहकार, ईएनटी, हेड एंड नेक सर्जन और लेरिंजोलॉजिस्ट, कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स ने कहा, "आंखों के चारों ओर सूजन, एक तरफा चेहरे या आंखों में दर्द, गाल पर सनसनी में कमी, खून से सना हुआ नाक का निर्वहन, अन्य लोगों में श्लेष्मा संक्रमण के लक्षण हैं और ऐसे मामलों को तुरंत चिकित्सा के लिए सूचित किया जाना चाहिए। रोग के बोझ को कम करने के लिए रोगी को शर्त के आधार पर ऐंटिफंगल ड्रग्स या एक सर्जिकल डीब्रिडमेंट दिया जाएगा।"
इलाज करने वाले डॉक्टरों और आईसीयू विशेषज्ञों को इस स्थिति के बारे में पता होना चाहिए और विशेष रूप से गंभीर कोविड 19 संक्रमण के साथ अन्य संबंधित जोखिम कारकों वाले रोगियों में संदेह की एक उच्च डिग्री की आवश्यकता होती है। यह इकाई रोग के मध्य और बाद के चरणों में विशेष रूप से स्पष्ट है। स्टेरॉयड का तर्कसंगत उपयोग, रक्त शर्करा का सख्त नियंत्रण, नमकीन आइसोटोनिक नाक स्प्रे का उपयोग करके नाक की स्वच्छता बनाए रखना और नाक में 0.5 प्रतिशत बीटाडीन की बूंदों का उपयोग करना, दोनों नासिका में दो बूंदें दो या तीन बार दैनिक रूप से इन रोगियों में रोगनिरोधी उपचार के रूप में यूज करने को बताया जाता है। (आईएएनएस)
चेन्नई, 10 मई | तमिलनाडु में 10 मई से 24 मई तक बंद के दौरान राज्य में एक बार फिर से प्रवासी कामगारों का पलायन जारी है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के करोड़ों प्रवासी कामगार पहले ही कोयंबटूर और तिरुपुर के औद्योगिक शहरों से वापस आने का फैसला कर चुके हैं। तिरुपुर कपड़ा उद्योग में काम करने वाले एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद सुहैब आलम ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "हमारे आधे दोस्त पहले ही शहर छोड़ चुके हैं क्योंकि हम लगातार डर रहे हैं। लोगों को लगता है कि अगर हम अपने घर पहुंचते हैं तो एक विदेशी भूमि के बजाय परिवार के साथ होंगे। हमारे और हमारे छह कमरे के साथी हमारी औद्योगिक इकाई के मालिक के रूप में रह रहे हैं और बहुत दयालु हैं और हमें सब कुछ प्रदान कर रहे हैं। यह हर किसी के बस की बात नहीं है और इसलिए लोग बाहर जा रहे हैं।"
तमिलनाडु सरकार के पास इन प्रवासी कामगारों का समुचित डेटा बेस नहीं है, सिवाय एक मोटे अनुमान के कि उनमें से लगभग 30 लाख तमिलनाडु में फैले हुए हैं जो विभिन्न प्रकार की नौकरियों में लगे हुए हैं।
अक्टूबर 2020 में, तमिलनाडु सिविल सेवा निगम ने प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण और उन्हें 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के तहत शामिल करने के लिए एक पोर्टल की घोषणा की थी, लेकिन यह परियोजना अभी जारी है। इससे राज्य में मौजूद प्रवासी कामगारों और उनके ठिकानों और विवरणों पर एक विचार आया होगा, लेकिन दुर्भाग्य से, राज्य में हमें कार्यकर्ताओं के आंकड़ों की कमी है।
हालांकि, तमिलनाडु के श्रम विभाग ने एक पहल में राज्य में प्रवासी श्रमिकों के ठिकाने और विवरण को ट्रैक करने के लिए एक विशेष पोर्टल विकसित किया था। इसका उद्देश्य भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम, 1996 और अन्य श्रम कानूनों के तहत लाभ उठाने के लिए राज्य के बाहर से कार्यबल की मदद करना था। इस पोर्टल पर 4.5 लाख प्रवासी कामगारों का डेटा दर्ज है लेकिन दुर्भाग्य से यह अपडेट नहीं है।
कोयम्बटूर और तिरुपुर के औद्योगिक निकाय श्रमिकों को राज्य नहीं छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। श्रमिकों को काम जारी रखने के लिए प्रयास करने के लिए फेडरेशन ऑफ कोयम्बटूर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, क्रेडाई और तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन द्वारा पहल की जा रही है।
यूरोपीय बाजारों के खुलने और तिरुपुर में कई अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर निष्पादित करने के बाद, शहर की निर्यात इकाइयां इन श्रमिकों की सेवाओं को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती हैं।
आईएएनएस से बात करते हुए झारखंड की राजधानी रांची के तिरुपुर में कपड़ा इकाई के कार्यकर्ता कलेश कुमार ने कहा, "इन कंपनियों के मालिक आकाश का वादा कर रहे हैं। लेकिन हम आश्वस्त नहीं हैं, अगर स्थिति बदतर हो जाती है, तो कोई भी मदद नहीं करेगा। मुझे 2020 का कड़वा अनुभव है और इसलिए मैं जोखिम नहीं उठा सकता हूं, मैं खुद और झारखंड की हमारी दस टीमें वापस जा रही हैं और क्या हो सकता है।"
अगर तमिलनाडु सरकार तेजी से कार्रवाई नहीं करती है और पलायन को नहीं रोकती है, तो वास्तविकता में उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।(आईएएनएस)
चिक्कामगलुरु, 10 मई | पुलिस ने एक दुखद और चौंकाने वाली घटना बताई जिसमें एक 72 वर्षीय सेवानिवृत्त सहायक तहसीलदार ने कथित तौर पर कोविड के लिए सकारात्मक परीक्षण के बाद सोमवार को खुद को सिर में गोली मार ली।
पुलिस ने कहा कि उसके सुसाइड नोट का मार्मिक बिंदु यह है कि वह इस बात से बहुत परेशान था कि उसकी पोती और उसकी बेटी उसकी वजह से कोरोना पॉजिटिव हो गए थे।
सुसाइड नोट में उन्होंने कन्नड़ में लिखा, "मैं अपनी प्यारी गुड़िया, अपनी प्यारी पोती और अपनी बेटी के लिए इस खतरनाक बीमारी को प्रसारित करने के लिए खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। मैं उनका दर्द नहीं देख पा रहा हूं।"
अपने सुसाइड नोट में उन्हेंने आगे लिखा मैंने सारी उम्मीद खो दी हैं, मैं वृद्ध हूं। अपनी अंतिम इच्छा भी व्यक्त करता हूं कि मेरे खेत में मेरा अंतिम संस्कार किया जाए और यदि परिवार मेरे दाह संस्कार का गवाह बनना चाहता है, तो उन्हें भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।"
उन्होंने अपनी पत्नी, दामाद, पोती और बेटी से भी क्षमा मांगी।
घटना चिकमंगलूरु के तारिकेरे तालुक के बेलेनहल्ली टंड्या में हुई। इस छोटे से गांव में 220 से अधिक घर हैं और सिर्फ 1000 से अधिक लोगों की आबादी है। यह गांव दक्षिणी राज्य की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 250 किलोमीटर दूर है।(आईएएनएस)
बल्ला सतीश
कोरोना वायरस का आंध्र प्रदेश वैरिएंट. ये शब्द अब हर किसी को डरा रहा है. कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस का एक वैरिएंट कुर्नूल में सबसे पहले देखा गया और विशाखापत्तनम में ये मौजूदा वायरस की तुलना में 1000 गुना तेज़ी से फैल रहा है.
इस ख़बर से लोग बुरी तरह से डरे हुए हैं और राजनीतिक तूफान आने की भी आशंका जताई जा रही है.
यहां तक कि दिल्ली सरकार ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से आने वाले लोगों पर पाबंदी भी लगा दी है.
ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना वायरस का आंध्र प्रदेश वैरिएंट क्या सचमुच में इतना शक्तिशाली है?
और विशेषज्ञ इस पर क्या कह रहे हैं?
वायरस का वैरिएंट क्या होता है?
एक वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में पनपने लगता है. विज्ञान की भाषा में कहें तो मनुष्य के शरीर में ये वायरस अपने सेल्स (कोशिकाओं) की संख्या बढ़ाने लगता है. इस प्रक्रिया को हम रेप्लिकेशन या प्रतिकृति बनाना कहते हैं.
फिर ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने लगता है और इसी तरह से इसका विकास होता है. इस प्रक्रिया में ये आप बदलने भी लगता है जिसे विज्ञान की भाषा में म्यूटेशन कहा जाता है.
अलग-अलग हो रहे ये म्यूटेशन दो-तीन महीने की अवधि में एक वैरिएंट बन जाते हैं.
जब एक वायरस बीमारी के लक्षण बदल देता है, तो इसके फैलने की रफ्तार और शरीर पर बीमारी का असर भी बदल जाता है.
ठीक इसी तरह जब से कोरोना वायरस अस्तित्व में आया है, इसके सैकड़ों-हज़ारों म्युटेशन हुए हैं और उनमें से कुछ वैरिएंट बन गए हैं.
लेकिन कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट्स पर चर्चा नहीं हो रही है. उनमें से कुछ कहीं ज़्यादा तेजी से फैल रहे हैं.
निज़ामाबाद गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर मदाला किरण कहती हैं, "विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज दुनिया में कोरोना वायरस के सैकड़ों वैरिएंट्स हैं लेकिन उनमें से हमें केवल तीन को गंभीरता से लेना चाहिए. वे दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और ब्रितानी वैरिएंट हैं. यही वो वैरिएंट्स हैं जिनका ऊपर जिक्र किया गया है. इसके अलावा सात अन्य वैरिएंट हैं जिन पर हमें नजर रखनी है. इन सात वैरिएंट्स में एक महाराष्ट्र वैरिएंट है."
जिसे ब्रितानी वैरिएंट बताया जा रहा है, उसके 23 म्यूटेशन हो चुके हैं और महाराष्ट्र वैरिएंट के 15 म्यूटेशन हैं.
भारत में इस समय कितने वैरिएंट्स सक्रिय हैं?
भारत में इस समय कोरोना वायरस के कई वैरिएंट्स हैं जो यहां फैले हुए हैं. इनमें से कुछ वैरिएंट्स को महामारी के तेजी से फैलने की वजह बताया जा रहा है.
कुछ वैरिएंट्स के संक्रमण के मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम है.
सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्युलर बॉयोलॉजी के पूर्व निदेशक राकेश मिश्र बीबीसी से कहते हैं, "ये वैरिएंट डबल म्यूटेंट के नाम से जाना जा रहा है. महाराष्ट्र में 50 से 60 फीसदी संक्रमण के मामलों के लिए यही जिम्मेदार है. इस डबल म्यूटेंट की कुछ गंभीर खूबियां हैं."
"ब्रितानी वैरिएंट इस समय पंजाब में पाया गया है. महाराष्ट्र वैरिएंट अब आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में फैल रहा है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में संक्रमण के 20 फीसदी मामले इसी वैरिएंट के हैं. मुझे लगता है कि अन्य वैरिएंट शायद खत्म हो जाएंगे और हर कोई अब कोरोना के इसी वैरिएंट से संक्रमित होगा."
राकेश मिश्र कहते हैं, "हजारों म्यूटेशन और वैरिएंट आते हैं और चले जाते हैं. उनका संक्रमण बहुत ज्यादा नहीं होता है. लेकिन अगर हम उन पर सावधानी से निगाह नहीं रखें तो कोई भी वैरिएंट बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है."
क्या N440K वैरिएंट 1000 गुना तेज़ी से फैलता है?
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फैले कोरोना वैरिएंट को N440K का नाम दिया गया है.
राकेश मिश्र बताते हैं, "ये केवल एक अफवाह है. कोरोना के N440K की अब कोई अहमियत नहीं रह गई है. कई महीनों पहले ये अस्तित्व में था और अब ये ख़त्म हो गया है."
वे इस वैरिएंट को लेकर तस्वीर साफ़ करते हुए कहते हैं, "दक्षिण भारत के पांच फीसदी मामलों के लिए भी शायद ये वैरिएंट अब ज़िम्मेदार नहीं है. इससे भी ऊपर ये कहना ग़लत है कि ये 1000 गुना तेज़ी से फैलता है."
उनका ये भी कहना है कि इस वैरिएंट और कोरोना संक्रमितों के मौत के बढ़ते आंकड़ों के बीच कोई संबंध नहीं है.
राकेश मिश्र कहते हैं, "सच तो ये है कि महाराष्ट्र का डबल म्यूटेंट वैरिएंट और ब्रितानी वैरिएंट कोरोना के N440K वैरिएंट से अधिक तेजी से फैलते हैं."
उनका कहना है कि मनुष्य के शरीर में वायरस में वायरस के फैलने की रफ्तार और लैब में इसकी तेजी को एक ही तरह से नहीं देखा जाना चाहिए.
वे कहते हैं, "लैब में एक वायरस तेजी से फैल सकता है लेकिन मनुष्य के शरीर में ये उतनी तेजी से नहीं पनपता है. क्योंकि लैब में वायरस को किसी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता है. शरीर के पास प्रतिरोधक क्षमता भी होती है जो लैब में नहीं होती है."
राकेश मिश्र बताते हैं, "इसलिए वायरस वहां ग्रोथ तो करता है. हमें ये समझना चाहिए कि जो चीज़ में लैब में विकसित होगी वो मनुष्य के शरीर में भी बढ़ेगी."
इन हालात में आंध्र प्रदेश वैरिएंट शब्द का इस्तेमाल राजनीतिक संदर्भ में होने लगा है और लोगों में इसका डर बढ़ रहा है.
यहां तक कि आंध्र प्रदेश सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देने के लिए सामने आना पड़ा.
आंध्र प्रदेश कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर के चेयरपर्सन केएस जवाहर रेड्डी ने कहा, "कोरोना वायरस के N440K वैरिएंट को लेकर चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है. पिछले साल जून-जुलाई में इसकी पहचान की गई थी. ये दिसंबर, जनवरी और फरवरी में फैला और मार्च में खत्म हो गया. इसके संक्रमण के मामले तीन राज्यों में देखने को मिले थे लेकिन ये बहुत कम फैला था."
वे कहते हैं, "अगर ये सचमुच खतरनाक होता तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके बारे में बात की होती. इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने इसे खतरनाक घोषित कर दिया होता. ये कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसे लेकर हमें परेशान होना चाहिए."
ग्लोबल इन्फ्लुएंज़ा सर्विलांस एंड रिस्पॉन्सिव सिस्टम (जीआईएसएआईडी) से दुनिया भर के कई संगठन और प्रमुख वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं. जीआईएसएआईडी का भी कहना है कि कोरोना वायरस का N440K म्यूटेंट उतना गंभीर नहीं है.
डॉक्टर मदाला किरण कहती हैं, "कोरोना वायरस का N440K वैरिएंट कुर्नूल से पूरे देश में फैला लेकिन ये पिछले साल हुआ था. अभी नहीं."
क्या महाराष्ट्र वैरिएंट खतरनाक है?
इस समय महाराष्ट्र वैरिएंट आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तेजी से फैल रहा है. इसे डबल म्यूटेंट का नाम दिया गया है. कोरोना वायरस के दो म्यूटेशन L452R और E484Q की खूबियां महाराष्ट्र वैरिएंट में उच्च स्तर पर मौजूद है.
डॉक्टर मदाला किरण कहती हैं, "महाराष्ट्र के दोनों ही म्यूटेंट ने इंसानी शरीर से अपना जुड़ाव मजबूत कर लिया है. इस वजह से संक्रमित लोगों में इसके गंभीर लक्षण देखने को मिल रहे हैं."
दूसरी तरफ़ स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि विशाखपत्तनम में संक्रमण के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
आंध्र मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और उत्तरी आंध्र प्रदेश में कोविड प्रबंधन के नोडल ऑफ़िसर डॉक्टर सुधाकर कहते हैं, "वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड (संक्रमण के लक्षण सामने आने में लगने वाला समय) ज़बरदस्त रूप से कम हो गया है. अतीत में सात दिनों में इसके लक्षण सामने आते थे. अब इसमें केवल तीन दिन का समय लग रहा है. कफ़ की प्रॉब्लम बढ़ गई है. नौजवान लोगों पर इसका असर दिख रहा है. मृत्यु दर के आँकड़े भी बढ़े हैं. ठीक इसी तरह ऑक्सीजन की ज़रूरत वाले मरीजों की संख्या भी 15 फीसदी बढ़ गई है. कुल मिलाकर देखें तो इसका गंभीर असर पड़ा है. ऐसा लगता है कि अगले दो महीने तक ये इसी तरह से जारी रहेगा."
हालांकि इस बात को लेकर फिलहाल तस्वीर साफ नहीं है कि विशाखपत्तनम में कोरोना महामारी की गंभीरता महाराष्ट्र वैरिएंट की वजह से या फिर किसी अन्य वैरिएंट के कारण.
जीआईएसएआईडी के आंकड़ों को हम देखें तो पाएंगे कि महाराष्ट्र वैरिएंट के अलावा A2A नाम का एक अन्य वैरिएंट विशाखपत्तनम में पाया गया है.
डॉक्टर मदाला किरण कहती हैं, "जब हमने विशाखपत्तनम के 36 सैंपल्स का परीक्षण किया था तो हमने पाया कि एक तिहाई सैंपल में महाराष्ट्र वैरिएंट मिले. कोरोना का N440 K वैरिएंट पांच फीसदी सैंपल में पाया गया जबकि A2A नाम का वैरिएंट 62 फीसदी सैंपल में पाया गया. दक्षिण अफ्रीका, ब्राज़ील और ब्रिटेन के वैरिएंट विशाखपत्तनम में नहीं फैले हैं."
क्या हम नए वैरिएंट को आने से रोक सकते हैं?
जैसे ही वायरस खुद को बदलता है, नई समस्याएं सामने आनी शुरू हो जाती हैं.
क्या होगा अगर वायरस का म्यूटेशन न हो और नए वैरिएंट बन ही न पाए? तो कोई समस्या ही पैदा नहीं होगी.
ऐसे में ये पूछा जा सकता है कि वायरस को म्यूटेट होने से रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
राकेश मिश्र कहते हैं, "कोई दवा या वैक्सीन वायरस को म्यूटेट होने से रोक नहीं सकती है. केवल इंसान वायरस को म्यूटेट होने से रोक सकता है."
ये कैसे संभव है?
वायरस एक व्यक्ति के शरीर में म्यूटेट करने के साथ-साथ जब दूसरे व्यक्ति में प्रवेश करता है, अगले ठिकाने पर भी वो म्यूटेट करता है.
अगर पहला व्यक्ति इस बात को लेकर एहतियात बरते कि उससे किसी और को संक्रमण न हो तो वायरस पहले व्यक्ति के शरीर में ही रहेगा.
इसका मतलब ये हुआ कि पहले व्यक्ति में ही म्यूटेशन की प्रक्रिया रुक जाएगी.
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस को फैलने से रोकने का तरीका है- मास्क पहनना.
राकेश मिश्र कहते हैं, "अगर आप मास्क पहनते हैं तो चाहो वे महाराष्ट्र वैरिएंट हो या ब्रितानी वैरिएंट या फिर चाहे कोई अन्य वैरिएंट, आपको कोई कुछ नहीं कर सकता है. अगर आप मास्क पहनते हैं तो इससे वायरस नहीं फैलेगा. म्यूटेशन रुक जाएगा."
क्या वैक्सीन नए वैरिएंट्स के लिए कारगर है?
राकेश मिश्र कहते हैं, "मैं ये बात पूरी पुष्टि के साथ नहीं कह सकता हूं कि वैक्सीन कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट्स के लिए कारगर है या नहीं. लेकिन आज जो वैक्सीन दिए जा रहे हैं, वे भारत में मौजूद सभी वैरिएंट्स से प्रभावी रूप से मुकाबला कर रहे हैं."
"ये मुमकिन है कि एक नया वैरिएंट सामने आए जो खतरनाक हो. इसलिए हमें नए वैरिएंट को पनपने से रोकना चाहिए. एक नए वैरिएंट को जन्म नहीं लेने देना है, इसका मतलब ये हुआ कि कोरोना वायरस फैलने से रोकना है. और इसके लिए हम सबको मास्क पहनना चाहिए." (bbc.com/hindi)
-मनोज पाठक
पटना, 10 मई | बिहार में कोरोना संक्रमण की गति को धीमी करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में सरकार ने शादी, विवाह के लिए कुछ शर्तो के साथ अनुमति भले ही प्रदान की है, लेकिन पंडितों और पुरोहितों के नही मिलने के कारण परेशानी बढ गई है। कोरोना से लगातार हो रही मौत के बाद पंडित नहीं मिलने के कारण परिजनों को श्राद्ध कराने में भी मशक्कत करनी पड़ रही है।
पंडितजी को भी कोरोना का डर सताने लगा है, यही कारण पंडित अपने यजमानों के यहां भी जाने से बच रहे हैं। बिहार में कोरोना संक्रमण से डरे पंडित भी अब घर में ही कैद रहना चाह रहे है। शहर के लोगों को श्राद्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के पंडितजी की शरण में जाना पड़ रहा है। उन्हें मुंहमांगा दक्षिणा देने की सिफारिश कर रहे हैं, जिससे श्राद्धकर्म पूरा हो और मृतात्मा को शांति मिल सके।
कई लोग तो पंडितों की खोज में अन्य राज्यों की ओर रूख कर रहे है। ऐसा नहीं कि ऐसे लोगों को अगर पंडित जी मिल भी जा रहे हैं लॉकडाउन में बाजार बंद रहने के कारण श्राद्ध में जरूरी चीजें नहीं मिल रही है, ऐसे में पंडित जी पैसा ही लेकर काम चला ले रहे हैं।
औरंगाबद जिले के उपाध्याय बिगहा गांव के रहने वाले सत्यदेव चौबे की मौत तीन दिन पहले हो गई है, लेकिन उनके श्राद्धकर्म को लेकर पंडित जी नहीं मिल रहे थे। अंत में उन्हें पड़ोसी राज्य झारखंड के हरिहरगंज से एक पंडित को लाना पड़ा जो अंतिम संस्कार से लेकर श्राद्धकर्म तक करने के लिए राजी हुए है।
सनातन मार्ग में मृत्यु के 10 वें दिन दषगात्र होता है, 11 वें दिन श्राद्धकर्म, 12 वें दिन कर्म कांड पूरा होता है और 13 वें दिन पूजा-पाठ से संपन्न होता है। ऐसे में पंडित जी का दक्षिणा भी काफी बढ गया है।
ऐसा ही एक मामला भागलपुर में देखने को मिला जहां सिंकदरपुर के रहने वाले मुकेश कुमार सिंह के कोरोना से हुए निधन के बाद उनके परिजनों को गोड्डा से पंडित बुलाना पड़ा।
औरंगाबाद में कर्मकांड के लिए चर्चित पंडित विंदेश्वर पाठक कहते हैं, '' सनातन धर्म में मृतात्मा की शांति के लिए 13 दिनों तक का विधान है। इसके बाद मृतक की आत्मा को शांति मिलती है। अभी कोरोना से प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं। पहले इस समय में एक-दो लोगों के श्राद्ध के लिए कॉल आता था। अभी पांच से छह लोगों का कॉल आ रहा है।''
कोरोना से हुई मौत के बाद पंडितजी श्राद्ध कराने से कतरा रहे हैं। उन्हें डर है कि उनके परिजनों को भी कोरोना का संक्रमण हो जाएगा। पंडितजी बड़ी मुश्किल से मिल रहे हैं।
लोग भी कम से कम समय में कर्मकांड पूरा कराने के लिए लोग जुगाड़ लगा रहे हैं।
कई लोग सनातन विधि विधान को छोडकर गायत्री परिवार और आर्य समाज के विधि विधान से कर्मकांड निपटाने लगे हैं, जिससे कम समय में विधि विधान से संपन्न कराया जाए। इसके लिए लोग इन दोनों समाज के कर्मकांड के जानकारों के पास भी पहुंच रहे हैं।
बताया जाता है कि गायत्री परिवार में श्राद्ध के लिए कर्मकांड अधिक से अधिक तीन दिन और कम से कम एक दिन में पूरा हो जाता है।
शादी, विवाह के लिए भी स्थिाति ऐसी ही हो गई है। शादी कराने के लिए पंडित जल्दी नहीं मिल रहे हैं। लोगों का कहना है पंडित जी शादी के लिए भी दक्षिणा की अधिक मांग करने लगे हैं।(आईएएनएस)
गाजियाबाद, 10 मई | कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अस्पताल लगातार भर्ती मरीजों का हौसला अफजाई करने का प्रयासरत है। अस्पताल मरीजो को छोटी छोटी खुशियां देकर उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा गाजियाबाद स्थित एक निजी अस्पताल में आईसीयू वार्ड में देखने को मिला जब एक मरीज की शादी की 21 वीं सालगिरह मनाई गई। गाजियाबाद के इंदिरापुरम क्षेत्र में स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों का हौसला बढ़ाये जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने संक्रमित गजेंद्र नामके मरीज की रविवार को शादी की 21वीं सालगिरह अस्पताल के आईसीयू वार्ड में मनाई।
स्पर्श मेडिकेयर एन्ड ट्रॉमा सेंटर में पति और पत्नी दोनों कोविड पोजेटिव होने के कारण एक मई को एडमिट हुए थे। हालांकि पत्नी 6 मई को डिस्चार्ज हो गयी। लेकिन पति का अस्पताल के आईसीयू वार्ड में उपचार जारी है।
सालगिरह के मौके पर अस्पताल के बेड पर ही केक काटा गया। इस अवसर पर पत्नी भी मौजूद रही। साथ ही डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी मौजूद था।
अस्पताल की मेडीकल डायरेक्टर संध्या सिन्हा ने बताया कि, अस्पताल में भर्ती गजेंद्र जी की शादी की 21वीं सालगिरह मनाई गई । इस दौरान दोनों बहुत ही खुश थे, पति की हालत सुधर रही है। अस्पताल की तरफ से मरीजों के हौसले अफजाई के लिए ते कदम उठाया गया।
उन्होंने कहा कि, अस्पताल का स्टाफ जो दिन रात काम कर रहा है, इस कदम से उनका भी मनोबल बढ़ता है क्योंकि कोरोना हारेगा और हम जरूर जीतेंगे।
अस्पताल में शादी की सालगिरह मानते देख गजेंद्र और उनकी पत्नी लक्ष्मी भावुक हो गई वहीं आईसीयू वार्ड में एडमिट अन्य 15 मरीज भी इस दौरान भावुक हुए। सभी मरीजों ने जल्द स्वस्थ होने की कामना की और डॉक्टरो का धन्यवाद भी किया।(आईएएनएस)
लखनऊ, 10 मई | कोरोना की वैश्विक महामारी में संक्रमितों के उपचार में मेडिकल और आयुष किट रामबाण साबित हो रही है। एलोपैथ से लेकर आयुर्वेद, होम्योपैथ और यूनानी औषधियां होम आइसोलेट संक्रमितों को नि:शुल्क दी जा रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से होम आइसोलेट और क्वारंटीन 90 फीसदी से अधिक संक्रमितों को मेडिकल किट दिया जा रहा है। जबकि आयुष विभाग की ओर से 13 अप्रैल से छह मई तक 25 दिनों में नौ लाख 18 हजार 577 लोगों को निशुल्क आयुष किट दी गई है।
मुख्यमंत्री योगी ने हाल ही में आयुष विभाग को निर्देशित किया था कि कोरोना संक्रमितों के उपचार के लिए नि:शुल्क मेडिकल किट के अलावा आयुष किट भी दी जाए।
13 अप्रैल से सात मई तक नौ लाख 18 हजार 577 लोगों को नि:शुल्क किट दी गई है। इसमें 75572 लोगों को आयुष किट, 58,339 लोगों को आयुष काढ़ा, सात लाख 82 हजार 793 लोगों को होम्योपैथी औषधि, 5450 लोगों को यूनानी किट और 6565 लोगों को यूनानी जोशांदा दी गई है। अपर मुख्य सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर विभाग की ओर से लगातार होम आइसोलेशन में रहे रहे लोगों को किट का वितरण निशुल्क किया जा रहा है, इन दवाओं के सेवन से बड़ी संख्या में लोग घर पर ही उपचार कर स्वस्थ हो रहे हैं। इसके अलावा लोगों को इम्यूनिटी बूस्ट करने के योग आदि के टिप्स भी दिए जा रहे हैं।
आयुष विभाग की ओर से पिछले तीन दिनों में 1,52,159 होम आइसोलेटेड और क्वारंटीन लोगों को नि:शुल्क किट दिया गया है। सात मई को 9526 लोगों को आयुर्वेदिक, 39,985 लोगों को होम्योपैथिक और 597 लोगों को यूनानी औषधियां दी गई हैं, यानि एक दिन में कुल 50,108 लोगों को निशुल्क औषधियां दी गई हैं। ऐसे ही छह मई को 47,359 और आठ मई को 54692 लोगों को औषधियां दी गई हैं।
अगर सिर्फ पिछले माह अप्रैल की बात करें, तो आयुष विभाग की ओर से सात लाख 23 हजार 190 लोगों को औषधियां दी गई हैं। इसमें 91,692 संक्रमितों को आयुर्वेदिक, 6,28,300 संक्रमितों को होम्योपैथिक और 3198 संक्रमितों को यूनानी दवाइयां दी गई हैं। महज दो दिनों तीन और चार मई को 55,579 संक्रमितों को दवाइयां दी गई हैं। इसमें 6848 आयुष किट, 7644 आयुष काढ़ा, 45904 होम्योपैथी औषधि, 959 यूनानी किट और 1820 यूनानी जोशांदा दी गई है।
आयुर्वेद सेवाएं के निदेशक प्रो. एसएन सिंह कहते हैं कि आयुष विभाग की ओर से दिए जा रहे किट संक्रमण को रोकने में सौ फीसदी कारगर हैं। ऐसा अभी तक कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है, जिन्हें दवाएं खाने के बाद भी गंभीर स्थिति हुई हो। होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को 10 से 15 दिनों में आराम मिल जा रहा है। इसके अलावा लोगों को योग में अनुलोम, विलोम और प्राणायम के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। किट में आयुष काढ़ा, संशमनी वटी, आयुष 64, अगस्तहरितकी और अणुतैल दिया जा रहा है।
आयुष विभाग के आयुष कवच ऐप के माध्यम से सुबह आठ बजे से योगाभ्यास और शाम पांच बजे से आयुष संवाद जल्द शुरू होने वाला है। इसमें कोरोना संक्रमण से बचाव, रोकथाम और औषधियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा आयुष विभाग के 20 विशेषज्ञ चिकित्सकों के पैनल से भी ऐप के माध्यम से सवाल किया जा सकता है, जिसका जवाब विशेषज्ञ चिकित्सक देंगे। आयुष ऐप को 20 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया है और सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 मई| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को कहा कि उसने मुंबई में 7.1 किलोग्राम प्राकृतिक यूरेनियम बरामद होने के मामले को अपने हाथ में लिया है। यूरेनियम की कीमत 21.30 करोड़ रुपये आंके गए हैं। आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर मुंबई पुलिस से मामला संभाला और परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 की धारा 24 (1) (ए) के तहत मामला फिर से दर्ज किया। पहला मामला मुंबई में दर्ज किया गया था। 5 मई को कालाचौकी पुलिस स्टेशन।
नायर ने कहा, यह मामला 7.1 किलोग्राम नेचुरल यूरेनियम की जब्ती से संबंधित है, जो आरोपी व्यक्तियों जिगर जयेश पंड्या और अबू ताहिर अफजल चौधरी के अवैध कब्जे से बरामद हुआ है, जिसकी कीमत लगभग 21.30 करोड़ रुपये है।
उन्होंने कहा कि मामले की त्वरित जांच के लिए कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई शुरू की गई है।
एनआईए ने गुरुवार को महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते से जब्ती के बारे में एफआईआर और अन्य जानकारी एकत्र की जिसमें पांड्या और चौधरी को गिरफ्तार किया थाा और 5 मई को उनके कब्जे से यूरेनियम जब्त किया गया था।
27 वर्षीय ठाणे निवासी पांडे और 31 वर्षीय मानखुर्द (मुंबई) स्क्रैप डीलर चौधरी को विशेष एनआईए अदालत में पेश किया गया, जहां से 12 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 मई| भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने असम और तमिलनाडु में विधायक दल के नेता के चयन के लिए पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) नियुक्त किए हैं। असम में जीत के बाद भाजपा की सरकार बनने जा रही है। ऐसे में जो विधायक दल का नेता होगा, वही मुख्यमंत्री बनकर राज्य की कमान संभालेगा। असम में विधायक दल का नेता चुनने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह को नियुक्त किया गया है, जबकि तमिलनाडु में भाजपा के कुल चार विधायक इस बार जीते हैं। तमिलनाडु में विधायक दल का नेता चुनने के लिए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी को ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। दोनों राज्यों में कल होने वाली विधायक दल की बैठक में भाजपा संसदीय बोर्ड से नियुक्त ऑब्जर्वर हिस्सा लेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 मई| दिल्ली सरकार की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि कोरोना महामारी से बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण है, लेकिन अरविंद केजरीवाल के पास इसको लेकर कोई नीति नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा, "केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए गलत नीति के कारण आज देश में टीके की भारी कमी है ऐसे में सभी दिल्लीवासी को आने वाले समय में टीका लगाने का एक मात्र उपाय है कि दिल्ली सरकार आरोप- प्रत्यारोप की जगह टीके को लेकर ग्लोबल टेंडर जारी करें।"
"दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रेस वार्ता में 3 करोड़ से भी अधिक टीके डोज की मांग रखी, लेकिन आज के हालात अनुसार यह आने वाले कुछ समय तक मुमकिन नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में दिल्ली सरकार को ग्लोबल टेंडर जारी कर टीका खरीदने चाहिए।"
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में करीब 1.5 करोड़ लोग हैं, जो 18 साल से ऊपर के उम्र के हैं। इन 1.5 करोड़ लोगों के लिए करीब 3 करोड़ वैक्सीन के डोज की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "अगर हमें अगले तीन महीने में सभी को वैक्सीन लगा देना है, तो 80 से 85 लाख वैक्सीन की डोज प्रतिमाह में हमें जरूरत पड़ेगी और 80 से 85 लाख वैक्सीन प्रतिमाह लगाने के लिए हमें प्रतिदिन तीन लाख डोज लगानी पड़ेगी।"
अनिल कुमार के अनुसार, दिल्ली में टीकाकरण पर केजरीवाल झूठ बोल गुमराह कर रहे हैं कि रोजाना 1 लाख टीका लगाए जा रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि पिछले कुछ दिनों में टीके लगाने की रफ्तार में कमी हुई है।
उन्होंने कोविन पोर्टल व दिल्ली सरकार के द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के हवाले से कहा कि 16 जनवरी से टीकाकरण शुरू होने के बाद से मात्र 2 दिन ही 1 लाख से अधिक टीके लगे।
अनिल कुमार ने कहा कि जिस रफ्तार से टीकाकरण हो रहे उस रफ्तार से अगले वर्ष तक भी 18 वर्ष से अधिक उम्र के वैध नागरिकों का टीकाकरण संभव नहीं होगा। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनमें ज्यदातर स्कूल जाते हैं, उनके लिए टीके का कोई अता पता नहीं है, तीसरे लहर में इन्हें प्रभावित होने की बात सामने आ रही है।
उन्होंने केजरीवाल सरकार से टीका केंद्र बढ़ाने व टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की है, वहीं कोविन पोर्टल पर पंजीकृत होने के बाद ज्यादातर दिल्लीवासी को टीके लगाने के दिन नहीं मिल पा रहे हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 8 मई | महाराष्ट्र में पहला कोविड मामला सामने आने के ठीक 14 महीनों के बाद शनिवार को कोरोना मामलों की कुल संख्या 50 लाख को पार कर गई। महाराष्ट्र में 9 मार्च, 2020 को दो कोविड-19 मामले सामने आए थे, जिसके बाद राज्य में कोरोना का प्रकोप जारी रहा और अब 9 मई 2021 को यहां कोरोना के मामले 50 लाख से भी अधिक हो चुके हैं। प्रदेश में संक्रमण की वजह से 75,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने यहां शनिवार को यह जानकारी दी।
शुक्रवार को जहां 898 लोगों की मौत हुई थी, वहीं शनिवार को इस संख्या में कुछ कमी देखने को मिली और राज्य में 864 लोगों की मौत दर्ज की गई। इसके साथ ही अब प्रदेश में संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले लोगों की कुल संख्या 75,277 हो गई है, जो देश में सबसे अधिक है।
राज्य में शनिवार को 53,605 नए मामले दर्ज किए गए। यहां 18 अप्रैल को सबसे अधिक 68,631 मामले सामने आए थे, जिसके मुकाबले अब मामलों में कुछ कमी जरूर देखने को मिली है। शनिवार को नए मामलों के बाद राज्य में कुल कोरोना मामलों की संख्या बढ़कर 50,53,336 हो चुकी है।
मुंबई की स्थिति में पहले के मुकाबले कुछ सुधार देखने को मिला है। यहां अब नए संक्रमणों के मामले 5,000 के स्तर से नीचे दर्ज किए जा रहे हैं। शनिवार को यहां 2,664 नए मामले सामने आए, जिसके बाद शहर में अब तक कुल मामलों की संख्या 673,235 हो गई है।
मुंबई जहां शुक्रवार को 71 लोगों की मौत हुई थी, वहीं शनिवार को यहां 62 लोगों ने अपनी जान गंवाई। देश की वाणिज्यिक राजधानी में संक्रमण की वजह से अब तक कुल 13,713 लोग दम तोड़ चुके हैं।
राज्य में मृत्युदर 1.49 प्रतिशत दर्ज की गई है। यहां फिलहाल सक्रिय मामलों की संख्या 628,213 है।
शनिवार को 82,266 लोग पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर लौट गए। राज्य में ठीक होने वालों की कुल संख्या 43,47,592 तक पहुंच गई है। (आईएएनएस)
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नई दिल्ली, 9 मई| सर्वोच्च न्यायालय ने शनिवार को एक पैनल का गठन किया, जो दिल्ली सरकार द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन के वितरण, इसे की गई आपूर्ति और प्रभावकारिता की जांच करेगा। ऑडिट पैनल में एम्स प्रमुख रणदीप गुलेरिया को भी शामिल किया गया है। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और एम.आर. शाह की पीठ ने कहा : एनसीटीडी के लिए ऑडिट को अंजाम देने के लिए ऑडिट उप-समूह में डॉ. रणदीप गुलेरिया, प्रोफेसर और प्रमुख पल्मोनरी मेडिसिन और नींद विभाग, एम्स संदीप बुधिराज, शामिल होंगे। इसमें नैदानिक निदेशक और निदेशक, आंतरिक चिकित्सा, मैक्स हेल्थकेयर और केंद्र सरकार और जीएनसीटीडी (दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार) के प्रत्येक आईएएस अधिकारी, संयुक्त सचिव के पद से नीचे नहीं, शामिल होंगे।
शीर्ष अदालत ने जोर दिया कि ऑडिट आयोजित करने का उद्देश्य हर राज्य/संघ राज्य क्षेत्र को प्रदान की गई ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो आपूर्ति आवंटित की गई है, वे अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं, उन्हें वितरण नेटवर्क के माध्यम से अस्पतालों में उपलब्ध कराया जा रहा है।
पीठ ने यह स्पष्ट किया कि ऑडिट का उद्देश्य डॉक्टरों द्वारा उनके रोगियों का इलाज करते समय लिए गए निर्णयों की जांच करना नहीं है।
पीठ ने कहा कि केंद्र जब तक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन नहीं करता है, तब तक ऑक्सीजन के आवंटन की मौजूदा प्रथा जारी रहेगी।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मेडिकल ऑक्सीजन की व्यवस्था के लिए दिल्ली सरकार सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा कई मांगें अवास्तविक थीं। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 8 मई | पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को कहा कि लॉकडाउन के उल्लंघन की इजाजत किसी को नहीं है। इस समय महामारी के कारण गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य में सप्ताहांत में तालाबंदी और अन्य प्रतिबंधों के उल्लंघन की अनुमति दी किसी भी कीमत पर नहीं दी जा सकती। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को कुचलने का कोई सवाल ही नहीं है। केंद्र के इन कानूनों का उनकी सरकार विरोध करती है।
मुख्यमंत्री ने बीकेयू (एकता उग्राहन) और बीकेयू (एकता दकौंडा) के नेताओं से आग्रह करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर उनकी शुक्रवार की टिप्पणी का कोई और मतलब न निकालें। उन्होंने कहा, "किसानों की जिंदगी दांव पर है, उन्हें बचाना हमारी प्राथमिकता है और उन्हें बचाना हर पंजाबी की जि़म्मेदारी है।"
सप्ताहांत के बंद का विरोध करने के संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान के बीच, मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक से सभी सप्ताहांत प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने और किसी भी कीमत पर किसी को भी उल्लंघन की अनुमति नहीं देने को कहा था।
किसान नेताओं की दुकानदारों से अपील के बावजूद, शनिवार को राज्य में बड़े पैमाने पर दुकानें बंद रहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो किसान संगठनों के नेताओं ने उनके बयान के बारे में गलतफहमी पैदा की और उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रही किसानों की हलचल के बारे में उनके इरादों पर संदेह जताया।
अमरिंदर ने कहा, "मेरी सरकार किसानों के हितों के खिलाफ कैसे जा सकती है, जब केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधानसभा में संशोधन कानून लाने वाली देश की पहली राज्य सरकार है? जहां तक केंद्रीय कानूनों का सवाल है, उनके खिलाफ उनकी सरकार का रुख स्पष्ट और सुसंगत है।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "यह देखते हुए कि राज्य की स्थिति बेहद विकट है, यह राजनीति खेलने का समय नहीं है, बल्कि हमारी सारी ऊर्जाओं को हर इंसान के जीवन की रक्षा करने में लगाना है।"
मुख्यमंत्री ने किसानों को कोविड संकट से निपटने में राज्य सरकार को सहयोग देने की अपील करते हुए कहा कि पंजाब के लोगों का जीवन और सुरक्षा उनकी सरकार के लिए सर्वोपरि है।
उन्होंने दोहराया कि वह कोविड संकट के बीच पंजाबियों के जीवन को खतरे में डालने की अनुमति किसी को नहीं देंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 मई | कोविड-19 फैसिलिटी या अस्पताल में भर्ती के लिए कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट दिखाना अब अनिवार्य नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी। कोरोना काल में अस्पताल में भर्ती होने में हो रही दिक्कतों के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐलान किया है कि अब किसी भी कोविड हेल्थ सुविधा में भर्ती होने के लिए कोविड-19 पॉजिटिव रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। मंत्रालय ने कोरोना मरीजों के भर्ती होने की राष्ट्रीय नीति में कुछ बदलाव किए हैं।
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि एक संदिग्ध मामला सीसीसी, डीसीएचसी या डीएचसी के संदिग्ध वार्ड में भर्ती किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश दिया है किसी भी स्थिति में मरीज को इलाज से वंचित नहीं रखा जाएगा, जिसमें ऑक्सीजन या जरूरी दवाएं भी शामिल हैं। किसी और शहर के अस्पताल में मरीज को ले जाने पर भी उन्हें भर्ती करने से मना नहीं किया जा सकता।
यानी अगर मरीज के पास उस शहर के होने का कोई पहचान पत्र नहीं है तो भी उन्हें भर्ती होने से नहीं रोका जा सकता।
यह निर्देश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को जारी किया गया है।
मंत्रालय ने ये भी कहा है कि अस्पताल में बेड जरूरतमंद के हिसाब से दिए जाएं। जिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है, उन्हें नियमों का पालन करते हुए छुट्टी दी जा सकती है।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अस्पताल में प्रवेश जरूरत के आधार पर होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिन व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती होने की कोई जरूरत नहीं है, उन्हें भर्ती न रखा जाए।
यह आदेश केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी अस्पतालों के साथ ही सभी निजी अस्पतालों में भी लागू होंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 मई | सुप्रीम कोर्ट ने देश में ऑक्सीजन आवंटन को कारगर बनाने के लिए शनिवार को गठित 12-सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) को निर्देश दिया है कि प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक ऑडिट आयोजित करने के लिए उप-समूह बनाया जाए, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि केंद्र द्वारा आवंटित ऑक्सीजन की आपूर्ति संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश तक पहुंच रही है या नहीं। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह की एक पीठ ने कहा, ऑडिट आयोजित करने का उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराई गई ऑक्सीजन आपूर्ति के उचित वितरण के लिए जवाबदेही को सुनिश्चित करना है।
नेशनल टास्क फोर्स के संदर्भ की शर्तों पर विस्तार करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि यह चिकित्सा ऑक्सीजन की आवश्यकता, उपलब्धता और वितरण के आधार पर पूरे देश के लिए आकलन और सिफारिशें करेगा।
भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एक 12-सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया है। यह टास्क फोर्स पूरे देश के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता, उपलब्धता और वितरण के आधार पर मूल्यांकन करने का काम करेगी।
टास्क फोर्स का उद्देश्य है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर हो।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह की एक पीठ ने कहा, एक आम सहमति बन गई है कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर किया जाए। इसी समय, लचीलेपन के लिए उन आपात स्थितियों के कारण अप्रत्याशित मांगों को पूरा करने की अनुमति देनी चाहिए, जो आवंटित क्षेत्रों के भीतर उत्पन्न हो सकती हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा, यह आवश्यक है कि कोविड-19 महामारी के दौरान सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चिकित्सा ऑक्सीजन आवंटित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के भीतर एक प्रभावी और पारदर्शी तंत्र स्थापित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स (राष्ट्रीय कार्य बल) गठित करने पर सहमति व्यक्त की है। इस टास्क फोर्स को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऑक्सीजन के वैज्ञानिक आवंटन के लिए एक कार्यप्रणाली तैयार करने के साथ अन्य चीजों का काम सौंपा जाएगा।
उप-समूहों द्वारा ऑडिट निर्धारित करेगा कि केंद्र सरकार द्वारा आवंटित आपूर्ति संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश तक सही प्रकार से पहुंच रही है या नहीं।
यह अस्पतालों, स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और अन्य के लिए आपूर्ति वितरण में वितरण नेटवर्क की प्रभावकारिता, उपलब्ध स्टॉक, पारदर्शिता और जवाबदेही आदि की निगरानी करने का काम करेगा।
पीठ ने कहा कि इस टास्क फोर्स की स्थापना से निर्णय लेने वालों को इनपुट प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
पीठ ने कहा, महामारी के संभावित भविष्य के पाठ्यक्रम पर वर्तमान समय में विचार किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य की अनुमानित आवश्यकताओं को वर्तमान में वैज्ञानिक रूप से मैप किया जा सकता है और प्राप्त अनुभवों के प्रकाश में इसे संशोधित किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टास्क फोर्स अभी और भविष्य के लिए पारदर्शी और पेशेवर आधार पर महामारी की चुनौतियों का सामना करने के लिए इनपुट और रणनीति प्रदान करेगी। टास्क फोर्स वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर राज्यों को ऑक्सीजन के लिए कार्यप्रणाली तैयार करेगी। (आईएएनएस)
जम्मू, 8 मई| पुलिस और सेना के संयुक्त अभियान के दौरान जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में हथियारों का जखीरा बरामद किया गया है। शनिवार को सेना ने एक बयान में कहा कि भारतीय सेना, सीआरपीएफ, एसएसबी और जेकेपी की संयुक्त टीम ने डोडा जिले के चकरंडी गांव के इलाके में एक तलाशी अभियान शुरू किया था।
संयुक्त तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने 40 किलोग्राम उच्च विस्फोटक, चार इलेक्ट्रिकल डेटोनेटर, बिजली के तार, बिजली के स्रोत, छह भारी शुल्क सेल, इन्सुलेशन टेप, प्रेशर कुकर आईईडी 5 लीटर, लोहे के पाइप आईईडी 5 इंच और 1.5 किलोग्राम के लोहे के हथियार बरामद किये।
सेना ने कहा, इन दुर्गम इलाकों में आतंकवादियों ने सुरक्षा की स्थिति को अस्थिर करने के लिए इस्तेमाल किया है, जो सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है।
डोडा में भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों और उनके कुछ समर्थकों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए हाल के महीनों में आईईडी, विस्फोटक, हथियार और गोला-बारूद सफलतापूर्वक बरामद किया है। (आईएएनएस)
चेन्नई, 8 मई | तमिलनाडु में सोमवार से शराब की दुकानें दो सप्ताह के लिए बंद होने जा रही हैं। ऐसे में शराबियों के परिवार के सदस्यों को अपने प्रियजनों के लिए क्या करना चाहिए? एक अनुभवी परामर्शदाता का सुझाव है कि शराब के आदी लोगों को समय-समय पर स्वादिष्ट भोजन खिलाएं, तरल पदार्थो का सेवन बढ़ाएं, सैनिटाइटर और शराब से युक्त अन्य तरल पदार्थो को छिपाकर रखें और उनसे सौम्य और समझदारी से बातचीत करें। कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए तमिलनाडु सरकार ने कड़े तालाबंदी उपायों के तहत दो सप्ताह के लिए शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है।
टीटीके अस्पताल की वरिष्ठ परामर्शदात्री जैकलीन डेविड ने कहा, "शराबियों के परिवार के सदस्यों के लिए यह एक मौका है कि वे अपने प्रियजनों की यह आदत दूर करें। लेकिन परिवार के सदस्यों को इस मौके को सलीके से संभालना होगा।"
उन्होंने कहा कि जब कोई शराबी अपने प्रिय पेय से वंचित हो जाता है तो वह निर्लिप्तता के लक्षणों से पीड़ित होता है।
निर्लिप्तता या उदासीनता के लक्षण हैं, गुस्से करना, नाराज रहना, दिमाग में सनसनी, मतिभ्रम, कानों में तरह-तरह की आवाजें गूंजना, नींद न आना, हिंसक व्यवहार वगैरह।
जैकलीन के अनुसार, निर्लिप्तता के लक्षण वालों को बहुत सारी स्वादिष्ट सब्जियां नियमित अंतराल पर खिलाया जाना चाहिए और कोई तरल पदार्थ बार-बार पिलाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "शराबी को पानी में चीनी के साथ नींबू का रस और नमक मिलाकर पीने के लिए दिया जा सकता है या कोई अन्य रस भी पिलाया जा सकता है। परिवार के सदस्यों को चाहिए कि वे शराबी को विचलित न होने दें, बातचीत कर उसके दिमाग को व्यस्त रखें। खूब खिलाएं, क्योंकि भूखे पेट रहने पर वह शराब के लिए तरस जाएगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि परिवार के सदस्यों को सैनिटाइजर, आफ्टर शेव लोशन और अल्कोहल युक्त तरल पदार्थो को छुपाकर रखना चाहिए।
साल 2020 के लॉकडाउन के दौरान पानी के साथ पेंट वार्निश पीने से तीन व्यक्तियों की मौत हो गई थी और दो व्यक्तियों ने पानी के साथ आफ्टर शेव लोशन पीने के बाद अपनी जान गंवा दी थी।
जैकलीन डेविड ने कहा कि कई लोगों को पता ही नहीं है कि शराब का लती होना एक मानसिक और तंत्रिका संबंधी बीमारी है, जिसकी चिकित्सा की जरूरत है।
शराब की आदत छुड़ाने के लिए सरकार की कई योजनाएं हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दारान सरकारी अस्पतालों ने बेचैन शराबियों को डिटॉक्स दवा दी थी।
इस बीच, सरकार द्वारा दो सप्ताह के लिए शराब की दुकानों को बंद करने की घोषणा के बाद राज्य में शराब की दुकानों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली: उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है. अब ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के 100 से अधिक चिकित्साकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया कि कुल 110 डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ कोरोना वायरस से संक्रमित मिले हैं.
हरीश थपलियाल ने बताया कि इन सभी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का कोरोना टीकाकरण हो चुका था. थपलियाल ने कहा कि रोजाना कोविड-19 मरीजों के सीधे संपर्क में रहना इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों के संक्रमित होने की वजह हो सकती है. इस समर्पित कोविड-19 अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक विजयेश भारद्वाज भी कोरोना वायरस से संक्रमित मिले हैं.
आज कितने केस आए?
उत्तराखंड में रोज़ाना कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है. पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य में 8,390 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं. इस दौरान कोरोना का इलाज करा रहे 118 मरीज़ों की मौत हो गई है.
उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों के दौरान 4,771 मरीज़ ठीक भी हुए हैं. फिलहाल राज्य में 71,174 कोरोना के एक्टिव केस हैं, यानी जिनका इलाज किया जा रहा है. इन नए मामलों के साथ अब यहां कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा 2 लाख 38 हज़ार 383 तक जा पहुंचा है. राज्य में अब मृतकों का आंकड़ा 3548 तक डा पहुंचा है. (एजेंसी)
नई दिल्ली, 8 मई | देश में बढ़ती कोरोना महामारी ने एक बार फिर लोगों को सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है। जिधर एक तरफ अस्पताल में संक्रमित मरीज भर्ती है तो उनके परिजन अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर ही सोने को मजबूर हैं। हालांकि इस तरह परिजन खुद को संक्रमित कर अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार लोगों से घरों में रहने की बात कर रही है तो दूसरी ओर मरीज की चिंता में बेबस परिजन सड़कों पर लावारिस हालात में पड़े हुए हैं।
दिल्ली के अस्पतालों के बाहर परिजनों को अपने मरीज के पास रुकने का कोई उपाय नहीं मिला तो फुटपाथ पर ही अपने लिए जगह ढूंढली है। दिन हो या रात परिजन फुटपाथ पर ही अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।
कुछ मरीज 20 दिनों से फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं, तो कुछ दिल्ली से सटे दूसरे राज्यों से आकर रुक रहे हैं।
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं। लेकिन मरीज के परिजनों ने अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर ही अस्थाई व्यवस्था कर ली है। मच्छरो से बचने के लिए मच्छर दानी टांगी हुई है, तो लेटने के लिए बिस्तर लगा रखा है।
दिल्ली के करावल नगर निवासी अनिता एलएनजेपी अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर चादर बिछा आराम कर रही है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि, "20 दिन से अधिक समय से हम यहां रुके हुये हैं, दिन में हम महिलाएं रुकती हैं और रात में घर के अन्य पुरुष आकर फुटपाथ पर सोते हैं।"
दरअसल अनिता की बहन कोरोना संक्रमण के चलते एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती हैं। फिलहाल परिजनों के अनुसार उनकी हालत बेहतर है।
अनिता की तरह ही अन्य मरीजों के परिजन फुटपाथ पर ही सोने पर मजबूर हैं। आस पास गेस्ट हाउस न होना वहीं आर्थिक तंगी से परेशान परिजन इसी तरह अपना गुजर कर रहे हैं।
यूपी के रहने वाले सौरव नोएडा में काम करते हैं, हालांकि उनकी पत्नी का कोरोना संक्रमण का इलाज एलएनजेपी अस्पताल में चल रहा है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि, "30 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया था तब से मैं इसी फुटपाथ पर रुक रहा हूं। हालांकि रात होते ही मैं नोएडा चला जाता हूं क्योंकि अगले दिन पत्नी के लिए खाना बनाकर लाना होता है।"
"रात में फुटपाथ पर रुकना सुरक्षित भी नहीं है इसलिए मैं और इधर नहीं रुकता। एक दो बार अज्ञात लोगों ने एक व्यक्ति का मेरे सामने की मोबाइल छीन लिया, तबसे डर भी लगता है।"
सौरव के अनुसार, कोई न कोई आकर अस्पताल के बाहर खाना वितरित करता है लेकिन वो बस एक ही वक्त का होता है। तीनों वक्त का खाना बाहर खाने के लिए आपकी आर्थिक स्थिति भी ठीक होनी चाहिए।
ये हाल एलएनजेपी अस्पताल का ही नहीं बल्कि दिल्ली के कई अन्य अस्पताल के बाहर परिजन इसी तरह रुकने को मजबूर हैं। (आईएएनएस)
-रवि सिंह
नई दिल्ली. कोरोना के मुद्दे पर शनिवार को 25वीं ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक हुई. जिसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने की. इस दौरान हर्षवर्धन ने लोगों से अपील की कि वो कोरोना के टीके की सेकेंड डोज जरूर लें. इस बैठक में ये जिक्र किया गया कि कोरोना मरीजों की रिकवरी बढ़ रही है पिछले 24 घंटे में 3 लाख लोग रिकवर हुए. 180 जिलों में पिछले 7 दिनों में कोई नया केस नहीं. इसके अलावा 18 जिलों में पिछले 14 दिनों से और 54 जिलों में 21 दिनों से, 32 जिलों में 28 दिनों से नए केस नहीं है.
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को बताया गया कि देश में 4,88,861 मरीज ICU में हैं, जबकि 1,70,841 मरीज वेंटिलेटर पर है. 9,02,291 मरीज़ ऑक्सीजन सपोर्ट पर है. वहीं, देश में 16.73 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है. हर्षवर्धन ने कहा कि 53,25000 डोज पाइपलाइन में जो राज्यों को सप्लाई की जाएगी. बढ़ते केस को देखते हुए टायर- 2/3 शहरों में टेस्टिंग और हॉस्पिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत है.
देश में कोविड-19 से रिकॉर्ड 4,187 मौत, संक्रमण के 4,01,078 नए मामले : सरकार
भारत में आज शनिवार को एक दिन में कोविड-19 से रिकॉर्ड 4,187 मरीजों की मौत होने के बाद मृतक संख्या 2,38,270 पर पहुंच गई है, जबकि 4,01,078 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 2,18,92,676 हो गए हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सुबह 8 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक 37,23,446 मरीजों का अब भी इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 17.01 प्रतिशत है जबकि कोविड-19 से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर घटकर 81.90 प्रतिशत हो गई है. आंकड़ों के मुताबिक संक्रमण से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या 1,79,30,960 हो गई है जबकि संक्रमण से मृत्यु दर 1.09 फीसदी दर्ज की गई है.
यहां सबसे अधिक मौतें
मौत के नए मामलों में, सर्वाधिक 898 मौत महाराष्ट्र में, कर्नाटक में 592, उत्तर प्रदेश में 372, दिल्ली में 341, छत्तीसगढ़ में 208, तमिलनाडु में 197, पंजाब में 165, राजस्थान में 164, हरियाणा में 162, उत्तराखंड में 137, झारखंड में 136, गुजरात में 119 और पश्चिम बंगाल में 112 लोगों की मौत हो गई.
नई दिल्ली, 8 मई | फेसबुक के स्वामित्व वाले इंस्टाग्राम ने एक तकनीकी बग के लिए माफी मांगी है, जिसने वैश्विक स्तर पर सामाजिक कार्यकतार्ओं सहित लाखों उपयोगकर्ताओं द्वारा लिखी पोस्ट को हटा दिया है।
इंस्टाग्राम हेड एडम मोसेरी ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा कि मंच ने एक तकनीकी बग का अनुभव किया, जिसने दुनिया भर के लाखों लोगों की कहानियों, हाइलाइट्स और अभिलेखागार को प्रभावित किया।
मोसेरी ने बताया कि इस बग से प्रभावित लोगों के लिए, उन्होंने अपनी कहानियों को देखा जो फिर से साझा करने वाली पोस्ट गायब थीं और उनके संग्रह और हाइलाइट्स कहानियां गायब थीं।
यह तकनीकी समस्या नेशनल डे ऑफ अवेयरनेस ऑफ मिसिंग एंड मर्डरड इंडिजिनस वुमेन के आसपास दिखाई दी, जिसमें रेड ड्रेस जैसी संस्थाओं ने सवाल उठाया कि क्या उनके पोस्ट जानबूझकर डिलीट किए गए थे।
इंस्टाग्राम प्रमुख ने कहा, "इस महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इंस्टाग्राम पर हमारे स्वदेशी समुदाय का समर्थन करने के लिए यह दिन अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने कहा, "हम उन सभी से माफी मांगते हैं जिन्होंने महसूस किया कि वे इन अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण चाजों पर ध्यान नहीं दे सके।"
इंस्टाग्राम ने पहले के एक ट्वीट कर कहा था कि कुछ लोगों को कहानियां अपलोड करने और देखने में परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा, "यह एक व्यापक वैश्विक तकनीकी समस्या है जो किसी चीज से संबंधित नहीं है और हम इसे अभी ठीक कर रहे हैं। हम जल्द से जल्द उस बारे में एक अपडेट देंगे।"
मोसेरी ने कहा कि कई लोगों को लगा कि कंपनी "उनके कंटेंट इसलिए हटा रही है कयिोंकि उन्होंने पोस्ट में गलत हैशटैग का इस्तोमाल किया।"
"लेकिन यह बग से संबंधित नहीं था, बल्कि एक व्यापक मुद्दा था जिसे अब ठीक कर दिया गया है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 मई| कोरोना के कारण देशभर में बीते 24 घंटे में 4187 लोगों की मौत हुई है। अभी तक 1 दिन में कोरोना के कारण हुई यह सबसे अधिक मौतें हैं। इसके साथ ही पिछले 24 घंटे के दौरान देशभर में 4 लाख से अधिक नए कोरोना रोगी भी सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देशभर में 24 घंटे के दौरान 4,01,078 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। 24 घंटे में ही देशभर में कोरोना से 4,187 लोगों की मौत हुई। इसी दौरान 3,18,609 कोरोना रोगी स्वस्थ हुए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देशभर में अभी तक 2,18,92,676 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हुए हैं। हालांकि इनमें से 1,79,30,960 व्यक्ति कोरोना से पूरी तरह स्वस्थ हुए हैं।
देश में इस समय एक्टिव कोरोना रोगियों की संख्या 37 लाख 23 हजार 446 हो चुकी है। कोरोना के कारण अभी तक पूरे देश में 2,38,270 लोगों ने अपनी जान गवाई है।
दिल्ली में चालू लॉकडाउन के बीच बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना से 341 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। दिल्ली में कोरोना रोगियों की जांच के लिए 1 दिन में 79 हजार से अधिक कोरोना टेस्ट किए गए। इनमें से 19,832 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। दिल्ली में फिलहाल कोरोना पॉजिटिविटी दर 24.92 प्रतिशत है। 1 सप्ताह पहले तक कोरोना पॉजिटिविटी दर 32 से 35 फीसदी के बीच थी। अब इसमें कुछ गिरावट दर्ज की जा रही है। हालांकि अभी भी दिल्ली में कोरोना से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही है। अभी तक दिल्ली में कोरोना वायरस के कारण 18,739 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है।
महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 54,022 नए मामले आए। 24 घंटों में ही 37,386 कोरोना रोगी ठीक हुए लेकिन 898 मरीजों की मौत हो गई। महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के चलते कुल 74,413 लोगों की जान जा चुकी है। (आईएएनएस)