राष्ट्रीय
भोपाल, 28 मई | गर्मी के मौसम में और बरसात से पहले बिजली लाइनों में सुधार कार्य होता है। मध्य प्रदेश में इस बार भी ऐसा होगा, जिसके चलते बिजली की आपूर्ति बाधित होती है। मध्य प्रदेश में सुधार कार्य की वजह से बाधित होने वाली बिजली आपूर्ति की जानकारी लोगों को सोशल मीडिया के प्लेटफार्म ट्विटर के जरिये मिल सकेगी। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में रखरखाव के लिए प्लान्ड शटडाउन लिया जाता है। इस शटडाउन की सूचना प्रिंट मीडिया के साथ-साथ अब ट्विटर पर भी उपलब्ध है। शटडाउन लेने वाले स्थान, दिनांक और समय की सूचना आम उपभोक्ताओं को ट्विटर पर उपलब्ध रहेगी।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे ट्विटर एड्रेस एट द रेट एम पीपी जेड डिस्कॉम पर फॉलो कर सूचना प्राप्त कर सकते हैं।(आईएएनएस)
लखनऊ, 28 मई| लखनऊ में एक डॉक्टर पर हुए हमले का संबंध एक कोविड मरीज की मौत से जुड़ा पाया गया है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने मरीज से मोटी रकम वसूल की थी, लेकिन वह उसकी जान नहीं बचा सका।
चिनहट के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) धनंजय पांडे ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस ने डॉक्टर के आवास के पास सफेद रंग की एक एसयूवी का पता लगाया, जिसका इस्तेमाल हमलावर ने संभवत: किया है।
पांडे ने कहा, "शुरूआती जांच से पता चला है कि एसयूवी मृतक के एक रिश्तेदार की है।"
पुलिस आयुक्त, लखनऊ, डी.के. ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस को मामले में पर्याप्त सुराग मिले हैं और आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इलाज के दौरान मरने वाले मरीज के परिजनों ने बुधवार देर रात घर लौटते समय डॉक्टर संदीप जायसवाल पर हमला कर दिया।
एसयूवी सवार हमलावरों ने जिस जायसवाल को गोली मारी थी, उसकी हालत अभी भी नाजुक बताई जा रही है। उसके सिर पर ईंट से वार किया गया और उस पर फायरिंग भी की गई। एक गोली अभी भी उसके जबड़े में फंसी हुई है।
पुलिस फरार हमलावरों के परिजनों से पूछताछ कर रही है।
खबरों के मुताबिक मृतक डॉक्टर का दोस्त भी था और किसी बीमारी से पीड़ित था।
परिवार के एक सदस्य ने कहा, "इलाज के दौरान उसे कोविड हो गया था और संक्रमण के लिए उनका इलाज किया गया। इलाज पर लगभग 2.5 लाख रुपये खर्च किए गए, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।"
मृतक के परिवार ने पैसे वापस करने के लिए डॉक्टर पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, लेकिन डॉक्टर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया । उसके बाद उन्होंने हमले की योजना बनाई।
डॉक्टर की पत्नी संगीता द्वारा अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद गुरुवार को हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 27 मई | बेंगलुरु केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) पुलिस ने गुरुवार को अस्पतालों में बिस्तर घोटाले के लिए नकदी से जुड़े मामले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया। संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपराध, संदीप पाटिल ने दोनों की पहचान यशवंत कुमार एम (21), और वरुण एस (20) के रूप में की, जो बाद में बीबीएमपी साउथ जोन वॉर रूम में काम कर रहे थे।
बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की केंद्रीकृत प्रणाली के माध्यम से बिस्तर आवंटित किए गए थे।
पाटिल ने कहा, "आरोपियों में से एक वरुण बीबीएमपी साउथ जोन वॉर रूम में काम कर रहा था, और उसे अपने दोस्त यशवंत के साथ मरीजों के नंबर साझा करने का पता चला था। यशवंत तब बेड बुकिंग के लिए पैसे मांगने के लिए रेफर किए गए मरीजों से संपर्क करता था।"
सीसीबी के अधिकारियों ने 34 वर्षीय बाबू को भी गिरफ्तार किया है, जिसे इसी मामले में भाजपा बोम्मनहल्ली विधायक सतीश रेड्डी का करीबी सहयोगी बताया जाता है।
इन दोनों की गिरफ्तारी के साथ ही पुलिस अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
बिस्तर घोटाले के लिए नकद तब सामने आया जब बैंगलोर दक्षिण भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या, चाचा और बसवनागुडी विधायक, एलएस रवि सुब्रमण्य, बोम्मनल्ली विधायक, सतीश रेड्डी और चिकपेट विधायक उदय गरौडचर के साथ, 2 मई को बीबीएमपी दक्षिण क्षेत्र के वार रूम में घुस गए थे।
यह खुलासा जैसे ही सुर्खियों में आया, मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने घोटाले की सीसीबी जांच के आदेश दिए थे। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 28 मई | तेलंगाना के सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार रात अपनी हड़ताल वापस ले ली। बुधवार सुबह से हड़ताल पर चल रहे जूनियर डॉक्टर गुरुवार को रात नौ बजे से ड्यूटी पर लौट आए।
तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने घोषणा की कि वे मरीजों के स्वास्थ्य को उनकी पहली प्राथमिकता और वर्तमान महामारी संकट में उनकी सेवा करने की जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए हड़ताल वापस ले रहे हैं।
एसोसिएशन ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा व स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा निदेशक के साथ बातचीत की। संगठन ने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और स्वास्थ्य अधिकारियों का वजीफा बढ़ाने और डॉक्टरों व उनके परिवार के सदस्यों के लिए निजाम के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एनआईएमएस) में बिस्तरों के आवंटन के लिए धन्यवाद दिया।
एसोसिएशन ने कहा, "स्वास्थ्य अधिकारियों ने हमें मौखिक आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री के साथ अनुग्रह राशि के विकल्प पर चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री जल्द से जल्द शहीद एचसीडब्ल्यू को सम्मानित करने और उनके आश्रितों को सहायता प्रदान करने का कष्ट करें।"
अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए करीब 4,000 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर थे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 मई| दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को आवारा कुत्ते को पीट-पीटकर मार डालने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा ने कहा कि गुरुवार सुबह सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दो युवकों को एक गली के कुत्ते को बेरहमी से लाठी से पीटते देखा जा सकता है।
मीणा ने बताया कि एक गैर सरकारी संगठन पीपल फॉर एनिमल के पशु कल्याण अधिकारी गौरव गुप्ता ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद, ओखला औद्योगिक क्षेत्र पुलिस स्टेशन में आईपीसी की संबंधित धाराओं, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
मीणा ने कहा, जांच के दौरान, एक आरोपी को पकड़ लिया गया। दूसरे आरोपी की पहचान जयविंदर उर्फ भोला के रूप में हुई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 मई | भारत भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है, जो 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित है। वह डोमिनिका में पकड़ा गया, उसके वकील विजय अग्रवाल ने दावा किया कि गीतांजलि समूह अध्यक्ष को एंटिगुआ से एक जहाज में चढ़ने के लिए मजबूर किया गया और उसे डोमिनिका ले जाया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि चोकसी को वहीं रखा गया और फिर सोमवार को उसे थाने ले जाया गया, लेकिन उसकी खबर बुधवार को जारी की गई। उसके शरीर पर बल प्रयोग के निशान हैं।
उनकी टिप्पणी चोकसी के बाद आई है, जो 13,500 करोड़ रुपये से अधिक के पीएनबी ऋण धोखाधड़ी मामले में सीबीआई और ईडी द्वारा वांछित है। कथित तौर पर उसे डोमिनिका में हिरासत में लिया गया है।
चोकसी के रविवार को एंटीगुआ और बारबुडा से लापता होने की सूचना मिली थी, जहां उसने नागरिकता ले ली थी, जिससे भगोड़े व्यवसायी की तलाश शुरू हो गई।
अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, एंटीगुआ और डोमिनिका के वकील डोमिनिका में चोकसी के संवैधानिक अधिकारों के अनुसार कानूनी साक्षात्कार करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उनसे किसी भी तरह की पहुंच से वंचित कर दिया गया। काफी प्रयास के बाद, वे उनसे दो मिनट तक बात करने में सक्षम हुए।
वकील ने कहा, चोकसी ने अपना भयावह अनुभव सुनाया है जो आंख खोलने वाला है और मेरे रुख की पुष्टि करता है कि वह स्वेच्छा से एंटीगुआ से नहीं गया था। चोकसी ने कहा है कि उसे एंटीगुआ के जॉली हार्बर से एक जहाज में चढ़ने के लिए उसे मजबूर किया गया था और उसे डोमिनिका ले जाया गया।
अग्रवाल ने यह भी कहा कि कानूनी टीम ने डोमिनिका में चोकसी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है और उस तक पहुंच से वंचित करने और कानूनी सहायता के संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने पर भी प्रकाश डाला है।
बुधवार को, एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधान मंत्री गैस्टन ब्राउन ने कहा है कि भगोड़े हीरा व्यापारी को भारत लौटने की जरूरत है, ताकि वह अपने खिलाफ लगाए गए आपराधिक आरोपों का सामना कर सके। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 28 मई| कर्नाटक कांग्रेस ने गुरुवार को सत्तारूढ़ भाजपा के दागी विधायक रमेश जारकीहोली की गिरफ्तारी की मांग की, जिन्होंने एक महिला के साथ कथित रूप से अश्लील वीडियो सामने आने के बाद मार्च की शुरुआत में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, "हम राज्य के गृहमंत्री बसवराज बोम्मई से जारकीहोली को गिरफ्तार करवाने का आग्रह करते हैं, क्योंकि वह एक महिला के साथ अश्लील वीडियो के मामले में पकड़े गए थे। महिला ने उन पर सरकारी नौकरी दिलाने के बहाने उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।"
सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के एक दिन बाद जारकीहोली ने 3 मार्च को राज्य के जल संसाधन मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसे 2 मार्च को स्थानीय समाचार चैनलों पर भी प्रसारित किया गया था।
नवंबर, 2019 में कांग्रेस से अलग होने और भाजपा में शामिल होने के बाद जारकीहोली बेलगावी जिले की गोकक विधानसभा सीट से फिर से निर्वाचित हुए। वह फरवरी 2020 में कैबिनेट मंत्री बने।
पीड़िता की दुर्दशा के प्रति राज्य सरकार की कथित उदासीनता से नाराज शिवकुमार ने कहा कि यह शर्म की बात है कि महिला की शिकायत पर कथित दुष्कर्म के मामले में राज्य पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत आरोपित किए जाने के बाद भी जारकीहोली को स्वतंत्र घूमने की अनुमति है।
हालांकि मार्च के मध्य में पीड़िता की शिकायत पर जारकीहोली के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और जांच दल द्वारा उससे पूछताछ की गई थी।
शिवकुमार ने कहा, पुलिस कानून का पालन करने के बजाय सत्ताधारी पार्टी के निर्देशों पर काम कर रही है।
मार्च के दौरान जब विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था, तब जारकीहोली को कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया और छुट्टी मिलने के बाद उन्हें घर पर आराम करने की सलाह दी गई। (आईएएनएस)
जयपुर, 27 मई | जयपुर में दो एंबुलेंस चालकों ने भूखी 22 वर्षीय गर्भवती महिला से खाना देने का वादा कर उसके साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया। इस घटना के विरोध में विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय महिला आयोग ने गुरुवार को इस घटना का संज्ञान लिया और राजस्थान के डीजीपी से मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच करने को कहा। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एसएमएस अस्पताल के सामने फुटपाथ पर अपने पति के साथ रहने वाली गर्भवती महिला 24 मई को भोजन के लिए भीख मांगने निकली थी। उसे एक एंबुलेंस चालक ने फुसलाया और अपने दोस्त को भी बुला लिया।
चुप रहने पर उसे पूरा खाना देने का वादा कर वह महिला को एंबुलेंस में ले गया और दोनों ने बारी-बारी से उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे एसएमएस अस्पताल के पास छोड़ दिया।
हालांकि पुलिस ने बुधवार रात दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने राज्य में 'बिगड़ती' कानून व्यवस्था पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूछा "शहर के बीचोबीच एक भूखी गर्भवती महिला भोजन के लिए भीख मांगती है और उसके साथ दुष्कर्म हो जाता है। राज्य में लोगों को किस तरह की सुरक्षा दी जा रही है?"
उन्होंने गहलोत के इस दावे को 'विफल' करार दिया कि वह गरीबों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।
इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक ट्वीट में कहा, "आयोग कथित घटना से परेशान है और इसने मामले का संज्ञान लिया है। अध्यक्ष रेखा शर्मा ने राजस्थान के डीजीपी को पत्र लिखकर इस मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच करने जल्द से जल्द कार्रवाई कर आयोग को रिपोर्ट देने के लिए कहा है।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 मई | राष्ट्रीय स्तर के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता पहलवान मनजीत को डकैती और अवैध शराब की बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। द्वारका के डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने कहा कि स्पेशल स्टाफ ने कौशल गैंग के सक्रिय सदस्य मनजीत को 24 मई को नजफगढ़ इलाके से गिरफ्तार किया। उसके पास से पिस्टल, जिंदा कारतूस और चोरी के मोबाइल बरामद हुए।
मनजीत के खिलाफ आर्म्स एक्ट की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
डीसीपी ने बताया कि मनजीत ने स्कूल के दिनों से पहलवानी शुरू की थी और 2010 में उन्होंने जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती इवेंट के 55 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। हालांकि, इसके बाद वह गलत संगती में चले गए और अपराध में शामिल हो गए।
डीसीपी ने कहा, "मनजीत ने अपने सहायकों के साथ 2012 में हरियाणा से एक गाड़ी चोरी की थी और वह पहली बार 2013 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे 2019 में पकड़ा गया।"
मीणा ने बताया कि भोंदसी जेल में मनजीत कौशल गैंग के संपर्क में आया और इसका हिस्सा बन गया। फरवरी 2021 में जेल से रिहा होने के बाद मनजीत ने हरियाणा से दिल्ली तक अवैध शराब बेचने का काम शुरू किया।(आईएएनएस)
गुवाहाटी, 27 मई | असम में कांग्रेस के एक विधायक पर गुरुवार को नगालैंड के संदिग्ध भूमि अतिक्रमणकारियों ने उस समय हमला कर दिया, जब विधायक जोरहाट जिले के मरियानी रेंज के डिसोई वैली रिजर्व फॉरेस्ट में गए थे। कांग्रेस विधायक रूपज्योति कुर्मी ने मीडिया को बताया कि नगालैंड के कुछ लोगों द्वारा असम की वन भूमि के अतिक्रमण के बारे में पूछताछ करने के लिए जब वह वन क्षेत्र में गए तो नगालैंड के भूमि अतिक्रमणकारियों ने उन पर हमला किया।
कुर्मी ने कहा, "मेरे साथ आए असम पुलिस कर्मियों, स्थानीय निवासियों और मेरे दो निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) ने मुझे हमले से बचाया। क्षेत्र में प्रवेश करते ही भूमि अतिक्रमणकारियों ने हम पर गोलीबारी शुरू कर दी। असम पुलिसकर्मियों और मेरे पीएसओ ने जवाबी कार्रवाई की, तो वे भाग गए और हम बाल-बाल बचे।"
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असम-नगालैंड अंतर-राज्य सीमा के पास न्यू सोनोवाल सीमा चौकी (बीओपी) पर हुई गोलीबारी की घटना पर चिंता व्यक्त की।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच संबंधों को खतरे में डाल सकती है।
सरमा ने विशेष डीजीपी जी.पी. सिंह को जांच करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्र में जाने के लिए कहा। (आईएएनएस)
बेंगलुरू, 27 मई| असम पुलिस द्वारा एक वीडियो पोस्ट किए जाने के कुछ घंटों के भीतर, जिसमें पांच लोगों द्वारा एक युवा लड़की का यौन उत्पीड़न और हमला किया जा रहा है, वायरल हो गया, बेंगलुरु पुलिस ने गुरुवार को मामले के संबंध में चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया और दावा किया कि ये सभी लोग बांग्लादेशी हैं। राममूर्ति नगर की पुलिस ने एक बयान में कहा कि वीडियो लगभग 10 दिन पहले शूट किया गया था, और पांच लोग, जिन्हें बांग्लादेशी माना जाता था, एक अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट में शामिल थे।
जबकि पुलिस ने अभी तक उनके नामों का खुलासा नहीं किया है। एक अधिकारी ने कहा कि चारों आरोपियों ने 21 वर्षीय युवती के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसके साथ बेरहमी से मारपीट की थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 मई | ट्विटर का कहना है कि वह हाल की घटनाओं के संबंध में अपने कर्मचारियों को लेकर चिंतित हैं, जिसके कुछ घंटों बाद ही दिल्ली पुलिस का बयान भी सामने आ गया है। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को ट्विटर के दावों को खारिज कर दिया। पुलिस ने माइक्रोब्लॉगिंग दिग्गज के बयानों को न केवल झूठा करार दिया, बल्कि नाराजगी जताते हुए इसे जांच में बाधा डालने की कोशिश भी करार दिया।
दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि पब्लिक प्लेटफॉर्म होने के नाते ट्विटर को अपने कामकाज में पारदर्शिता बरतनी चाहिए और सार्वजनिक डोमेन में जो मामले हैं, उनमें स्पष्टता लानी चाहिए।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, प्रथम ²ष्टया ट्विटर का ये बयान ना केवल झूठा है, बल्कि उन्होंने इसे जांच में बाधा डालने के लिए डिजाइन किया है।
दिल्ली पुलिस ने आगे कहा कि ट्विटर एक जांच प्राधिकरण के साथ-साथ एक न्यायिक प्राधिकरण दोनों होने का दावा कर रहा है।
बयान में कहा गया है कि ट्विटर एक जांचकर्ता होने के साथ-साथ न्यायालय का काम भी कर दे रहा है। एकमात्र कानूनी इकाई, जो जिसका काम जांच करने का है, वो पुलिस है और न्याय करने के लिए न्यायालय है।
दिल्ली पुलिस ने अपने बयान में कहा, चूंकि ट्विटर के पास भौतिक जानकारी होने का दावा है, जिसके आधार पर उसने न केवल जांच की बल्कि वह निष्कर्ष पर भी पहुंचा। उन्हें उस जानकारी को पुलिस के साथ साझा करना चाहिए। इस लॉजिकल कोर्स के बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।
दिल्ली पुलिस का बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब व्हाट्सएप द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नए आईटी नियमों को लेकर भारत सरकार के खिलाफ कोर्ट जाने के बाद, ट्विटर ने गुरुवार को आईटी मंत्रालय से अनुरोध किया कि वह कंपनी को नए दिशानिर्देश को लागू करने के लिए कम से कम तीन महीने के विस्तार पर विचार करे, जिसकी समय सीमा 25 मई को समाप्त हो गई है।
इस सप्ताह की शुरूआत में कथित कांग्रेस टूलकिट विवाद के संबंध में दिल्ली और गुरुग्राम के ट्विटर के कार्यालयों में पुलिस ने छापे मारे थे।
इस बात पर जोर देते हुए कि कंपनी भारत में लागू कानून का पालन करने का प्रयास करेगी, ट्विटर प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अभी हम भारत में अपने कर्मचारियों के बारे में हालिया घटनाओं और उन लोगों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संभावित खतरे से चिंतित हैं, जिनकी हम सेवा करते हैं।
ट्विटर ने अपने कार्यालयों पर पुलिस की छापेमारी के बाद कहा, हम भारत और दुनिया भर में नागरिक समाज में कई लोगों के साथ, हमारी वैश्विक सेवा की शर्तों को लागू करने के साथ-साथ नए आईटी नियमों के मूल तत्वों के जवाब में पुलिस द्वारा धमकाने की रणनीति के उपयोग के संबंध में चिंतित हैं।
दरअसल दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दक्षिण दिल्ली के लाडो सराय और गुरुग्राम में ट्विटर इंडिया के स्थानीय कार्यालयों पर छापे मारे थे और इससे पहले ट्विटर ने भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को मैन्यूपुलेटेड मीडिया के रूप में चिन्हित किया था।
पात्रा ने कांग्रेस पर प्रधानमंत्री और सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस का कथित टूलकिट साझा किया था।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान ट्विटर का पूरा रवैया जिसमें उसकी भारतीय इकाई भी शामिल है, अस्पष्ट, भटकाने वाला और पक्षपातपूर्ण रहा है।
पुलिस ने कहा, एक साधारण सी बात है, जिसे करने से ट्विटर मना कर देता है। वह है, कानून प्रवर्तन के साथ सहयोग करना और कानूनी प्राधिकरण को उसके पास मौजूद जानकारी का खुलासा करना।
पुलिस ने यह भी कहा कि ट्विटर को एक सार्वजनिक मंच होने के नाते अपने कामकाज में पारदर्शिता बरतनी चाहिए और सार्वजनिक डोमेन में जो मामले हैं, उनमें स्पष्टता लानी चाहिए।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि चूंकि इस मामले को सार्वजनिक किया गया है, इसलिए ट्विटर द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों पर सीधे रिकॉर्ड बनाना महत्वपूर्ण है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 मई | देश में कोरोना महामारी के साथ ब्लैक फंगस (म्यूकॉरमायकोसिस) का भी कहर बनने लगा है। कमजोर इम्युनिटी और स्टेरॉयड को इसका जिम्मेदार बताया जा रहा है। डॉक्टरों की इस पर अलग अलग थ्योरी पेश की जा रही है। लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि जिस तरह भारत में ब्लैक फंगस बेकाबू हो रहा है उस तरह किसी अन्य देश में नहीं देखा जा रहा। देशभर में अब तक कुल 11 हजार से अधिक ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं कई राज्य पहले ही म्यूकोरमायकोसिस को महामारी अधिनियम के तहत अधिसूचित बीमारी घोषित भी कर चुके हैं।
भारत में ब्लैक फंसग से जो पीड़ित पाए जा रहे हैं ज्यादातर कोरोना संक्रमण या फिर शुगर के मरीज हैं।
डॉक्टरों के अनुसार भारत में कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण के अलावा अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है।
माना जा रहा है कि खास तौर पर अस्वच्छ मास्क का लगातार प्रयोग, उच्च मधुमेह और कुछ मामलों में औद्योगिक ऑक्सीजन, जिस पर लोग ज्यादा निर्भर है, समेत अन्य कारणों से फंगल इंफेक्शन पनप रहा है। इसके अलावा शरीर में धीमी उपचारात्मक क्षमता के कारण भी मरीजों में ब्लैक और व्हाइट फंगल इंफेक्शन पैदा हो रहा है।
शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स के डॉक्टर के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस की मृत्यु दर 54 प्रतिशत है।
शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स के निदेशक एवं सह संस्थापक डॉ. बी कमल कपूर ने बताया कि, भारत की वयस्क आबादी में मधुमेह के अनुमानित 73 मिलियन मामले हैं। रोग प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए स्टेरॉयड का उपयोग करने से भी मधुमेह का स्तर बढ़ जाता है जिससे मधुमेह संबंधी जटिलताएं भी बढ़ जाती हैं।
भारतीयों में डॉक्टर के परामर्श के बिना खुद दवाएं लेना भी बीमारियों को बढ़ाने का कारण है, जिसकी वजह से मरीजों के ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगता है। इस कारण मरीजों में ज्यादा जटिलताएं पैदा हो रही है और कई प्रकार के इफेक्शन भी बढ़ रहे हैं।
इस मसले पर जोधपुर एम्स अस्पताल के ईएनटी हेड और प्रोफेसर डॉ अमित गोयल ने आईएएनएस को बताया कि, भारत में दो चीजें मुख्य हैं, कई लोग शुगर को रोजाना चेक नहीं करते या तो दवाई नहीं खाते। लोगों का मानना होता है कि यदि एक बार दवाई शुरू कर दी तो जिंदगी भर दवाई लेनी पड़ेगी।
मुझे लगता है कि भारत के मुकाबले दूसरे अन्य देशों में अन मॉनिटर्ड स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं हुआ है। फिलहाल इस पर जब रिसर्च होगी तब पूरी तरह से पता चल सकेगा कि ऐसा क्यों हुआ ?
उन्होंने आगे बताया कि, हमारे यहां साफ सफाई न रहना भी एक कारण हो सकता है। लोग इस्तेमाल हुए मास्क को फिर इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या भारत की जनसंख्या अधिक होने के कारण भी ऐसा है ? इस सवाल के जवाब में डॉ गोयल ने कहा कि, यदि हम यूएस और भारत की एक फीसदी आबादी की तुलना करें तो दोनों में फर्क होगा क्योंकि वो कहने में एक फीसदी हैं, लेकिन नंबर्स अलग अलग होंगे।
ये भी एक कारण हो सकता है, लेकिन जिस तरह से हमारे यहां मामले आ रहे हैं, वो अन्य जगहों पर नहीं दिख रहे। इसका जवाब तभी मिल सकता है जब अन्य देशों के मधुमेह के शिकार मरीजों की तुलना अपने देश से हों और देखा जाए कि हमारे यहां और अन्य देश में मधुमेह की जो प्रिवेलेन्स है उसके मुकाबले क्या हमारे यहां फंगस की प्रिवेलेन्स ज्यादा आ रही है?
डॉक्टरों के अनुसार, ब्लैक फंगस की खासियत ये भी है कि इससे ग्रसित मरीज कभी घर नहीं बैठ सकता उसे अस्पताल जाना ही होगा। कोरोना संक्रमित, कम प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग जो लंबे समय से आईसीयू में रहे, कैंसर, कीमोथेरेपी वाले मरीज, स्टेरॉयड के उपयोग करने वाले मरीज और अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित मरीजों में ज्यादातर फंगस से ग्रहसित हो रहे हैं।
सर गंगा राम अस्पताल के डॉ. (प्रो.) अनिल अरोड़ा, चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज ने आईएएनएस को बताया, मेडिकल ल्रिटेचर में देखें तो ओर विश्व में अधिक्तर फंगल इंफेक्शन भारत से रिपोर्टेड हैं। बाकी छोटे देशों में जनसंख्या कम है और कुल मामले भी कम हैं। भारत में सेकंड वेव के आखिरी पड़ाव में भी 2 लाख मामले कोरोना संक्रमण के आ रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में कुल 30 हजार कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं। इसके अलावा भारत में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, ब्लैक फंगस अलग-अलग तरह से नाक के नथुने, साइनस, रेटिना वाहिकाओं और मस्तिष्क को प्रमुखता से प्रभावित करता है।
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ. ऋतु सक्सेना ने आईएएनएस को बताया कि, हमारे यहां अधिक मात्रा में स्टोरॉइड लेना, वहीं यहां की वातवरण की परिस्थितियां भी एक कारण हो सकती हैं। तीसरा कारण इंडस्ट्रियल ऑक्सिजन का इस्तेमाल करना, जिंक का ज्यादा इस्तेमाल होना। ये सब भी कारण हो सकते हैं लेकिन ये आब फिलहाल थ्योरी हैं कुछ भी अभी तक साबित नहीं हो सका है।
भारत में लोगों ने लापरवाही बरती, दवाइयों के मामले में घर पर भी स्टोरॉइड लें रहे थे। ब्लैक फंगस उन मरीजों में ज्यादा देखा रहा है जिन्होंने अपना घर ध्यान रखा है या प्राइवेट अस्पताल में जिनका इलाज हुआ है। सरकारी अस्पताल में ऐसे कम मरीज देखे गए हैं।
एलएनजेपी अस्पताल से जितने मरीज यहां से गए हैं उनमें से इक्का दुक्का मरीज ही वापस इलाज कराने आए वरना सभी मरीज बाहर के हैं।
हालांकि जानकारी के अनुसार, इस बीमारी से निपटने के लिए डॉक्टर लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी नाम के इंजेक्शन का उपयोग करते हैं, इस दवा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने पांच और कंपनियों को इसे बनाने का लाइसेंस दिया है।
दूसरी ओर यह जानकारी भी सामने आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ये निर्देश दिए गए हैं कि, यह दवा दुनिया के जिस भी कोने में भी उपलब्ध हो, उसे तुरंत भारत लाया जाए।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 मई | भारत के 75 प्रतिशत से अधिक जिले चरम जलवायु घटनाओं के लिए हॉटस्पॉट हैं। पूर्वी तट पर, 90 प्रतिशत से अधिक जिले चक्रवात, बाढ़, सूखे और उनसे जुड़ी घटनाओं के लिए हॉटस्पॉट हैं। इन जिलों में 25 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। हाल के चक्रवात के पीछे, पूर्वी तट से टकराने वाले यास, ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में एक स्वतंत्र विश्लेषण किया है।
सीईईडब्ल्यू के एक अध्ययन के अनुसार, 2005 के बाद भारत में चक्रवातों से प्रभावित जिलों की संख्या का वार्षिक औसत तीन गुना और चक्रवात की आवृत्ति दोगुनी हो गई है। पिछले एक दशक में ही 258 जिले प्रभावित हुए हैं।
चक्रवात हॉटस्पॉट जिले मुख्य रूप से पूर्वी तट पर केंद्रित हैं। इनमें बालेश्वर, पूर्वी गोदावरी, हावड़ा, केंद्रपाड़ा, नेल्लोर, उत्तर 24 परगना, पश्चिम मेदिनीपुर, पुरी, शिवगंगा, तूतीकोरिन और पश्चिम गोदावरी शामिल हैं।
पूर्वी तट के जिलों में, पिछले 50 वर्षों में चक्रवातों और तूफानी लहरों की आवृत्ति सात गुना बढ़ गई है। 2005 के बाद से, प्रभावित जिलों की संख्या में दशकीय आधार पर पांच गुना वृद्धि हुई है।
अध्ययन के अनुसार, पूर्वी तट पर संबंधित चक्रवात की घटनाओं में 20 गुना वृद्धि हुई है जैसे कि तूफान, भारी वर्षा, बाढ़ और गरज। इसके अलावा, जबकि पूर्वी तट चक्रवात पूर्व-मानसून मौसम की तुलना में मानसून के बाद के मौसम में अधिक बार आते हैं, पिछले दशक में इस पैटर्न में उलटफेर हुआ है।
पूर्वी तट के आधे से अधिक चक्रवात हॉटस्पॉट जिलों में सूखे या सूखे जैसी स्थिति देखी जा रही है। पूर्वी तट के गर्म होने वाले क्षेत्रीय माइक्रॉक्लाइमेट - भूमि उपयोग परिवर्तन और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के बिगड़ने जैसे कारकों से प्रेरित प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून दोनों मौसमों में बंगाल की खाड़ी में तेज चक्रवाती गतिविधि को जन्म दिया है।
अध्ययन में कहा गया है कि पूर्वी तट के राज्यों में बाढ़ की आवृत्ति पंद्रह गुना बढ़ गई है। 8.1 करोड़ से अधिक लोगों को उजागर करते हुए, प्रभावित जिलों की संख्या में 13 गुना वृद्धि हुई है। पूर्वी तट पर बाढ़ के हॉटस्पॉट में बांकुरा, चेन्नई, कटक, पूर्वी गोदावरी, जगतसिंहपुर और विशाखापत्तनम शामिल हैं।
जबकि पूर्वी तट पारंपरिक रूप से चक्रवात और बाढ़ के लिए अधिक प्रवण रहा है, हाल के दशकों में सूखे में सात गुना वृद्धि हुई है। पूर्वी तट राज्यों में सूखे के हॉटस्पॉट में अनंतपुर, अंगुल, बालेश्वर, बांकुरा, कोयंबटूर, कांचीपुरम, कंधमाल, मदुरै, नलगोंडा, प्रकाशम, पुरुलिया, सुंदरगढ़ और तिरुपुर शामिल हैं। (आईएएनएस)
कोलकाता, 27 मई | पश्चिम बंगाल में चक्रवात यास से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यो के लिए 1,000 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा के अलावा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को घोषणा की कि महामारी के मद्देनजर राज्य में लगाए गए प्रतिबंध अगले 15 दिनों तक जारी रहेंगे। उन्होंनें कहा कि सरकार 15 जून को फिर से स्थिति की समीक्षा करेगी।
राज्य सरकार के साथ सहयोग करने के कारण कोविड संक्रमण दर धीमी होने पर लोगों को बधाई देते हुए ममता ने कहा, "हालांकि संक्रमण दर कम हो गई है, राज्य सरकार ने प्रतिबंधों को अगले 15 दिनों तक जारी रखने का फैसला किया है। हम शुक्रगुजार हैं कि लोगों ने हमारा साथ दिया और हमें अच्छे नतीजे मिलने लगे हैं, लेकिन मैं लोगों से आग्रह करती हूं कि वे थोड़ी देर और कष्ट सहें। हम 15 जून को स्थिति की समीक्षा करेंगे और फिर आगे की कार्रवाई तय करेंगे।"
मुख्यमंत्री ने जूट और निर्माण श्रमिकों के लिए कुछ छूट की घोषणा भी की। उन्होंने कहा, "पंजाब से कई अनुरोध किए गए हैं और इसलिए हमने जूट उद्योग में कार्यबल को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का फैसला किया है, लेकिन उन्हें सभी कोविड मानदंडों का पालन करना होगा। निर्माण श्रमिक भी काम पर जा सकते हैं बशर्ते वे उचित टीकाकरण हो। नियोक्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे अपने कर्मचारियों को निजी स्थानों से टीकाकरण करें। यदि उन्हें टीका लगाया जाता है तो वे काम में शामिल हो सकते हैं।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "बाकी शर्ते, जैसा कि पहले घोषित किया गया था, प्रबल होंगी।"
राहत और बचाव कार्य से जुड़े अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में ममता ने कहा कि सरकार ने राहत उपायों के लिए 1,000 करोड़ रुपये का फंड मंजूर किया है, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि पैसा सही लाभार्थियों तक जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने 'दुआरे सरकार' योजना के बारे में बताते हुए कहा, "3 जून से 18 जून तक प्रभावित ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों में राहत शिविर होंगे, जहां लोग आएंगे और विवरण देते हुए अपना पंजीकरण कराएंगे। उनके व्यक्तिगत और बैंक विवरण के साथ उनकी क्षति का ब्योरा भी दर्ज होगा।"
उन्होंने कहा कि 'दुआरे सरकार' की तरह 'दुआरे राहत' सेवा भी चलेगी।
ममता ने कहा, "सरकार अगले 15 दिनों के लिए - 16 जून से 30 जून तक - सभी आवेदनों का निरीक्षण करेगी और लाभार्थियों की सूची बनाएगी। लाभार्थियों की सूची तैयार होने के बाद, राज्य वित्त विभाग नुकसान के अनुसार धन का वितरण शुरू करेगा। क्षति का आकलन प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर तैयार किया जाएगा। 8 जुलाई तक समस्त संवितरण प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। धनराशि सीधे हितग्राहियों के खाते में भेजी जाएगी, बीच में कोई नहीं होगा।"(आईएएनएस)
जयपुर, 27 मई | राज्य के शिक्षा मंत्री और पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजस्थान शिक्षा बोर्ड राज्य में कोविड का ग्राफ कम होते ही 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए योजना बना रहा है। उन्होंने आईएएनएस से विशेष रूप से बात करते हुए कहा, "परीक्षा रद्द करना उन छात्रों के लिए अनुचित होगा, जिन्होंने अपने सपनों के संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत की है।"
उन्होंने कहा, "इसके अलावा, छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए एक उचित मानदंड होना चाहिए। इसलिए हम परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुकूल स्थिति की तलाश कर रहे हैं।"
राज्य भर के छात्र और अभिभावक परीक्षा रद्द करने पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, डोटासरा ने ऐसी किसी भी आशंका से इनकार किया है और कहा है कि भले ही बोर्ड 10 वीं कक्षा की परीक्षा रद्द कर दे और छात्रों को 11वीं कक्षा में भेज दे, लेकिन फिलहाल कक्षाएं नहीं चल रही हैं।
उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में, छात्र फिर से परीक्षा रद्द करने की मांग करेंगे और उनका आधार कमजोर होगा। इसलिए एक बार संक्रमण दर कम होने के बाद हमारे पास परीक्षा आयोजित करने की योजना है।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 मई | प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मलकाजगिरी संसदीय क्षेत्र से सांसद अनुमुला रेवंत रेड्डी, सथुपल्ली विधानसभा क्षेत्र से तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) विधायक सैंड्रा वेंकट वीरैया, बिशप हैरी सेबेस्टियन, रुद्र शिवकुमार उदय सिम्हा, मथैया जेरूसलम और वेम कृष्ण कीर्तन के खिलाफ कैश फॉर वोट यानी वोट के बदले नोट घोटाले में आरोपपत्र दायर किया है।
प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि उसने हैदराबाद की एक विशेष अदालत में छह लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है।
ईडी ने रेड्डी और अन्य के खिलाफ तेलंगाना भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया।
अधिकारी ने कहा कि एसीबी ने एक जाल बिछाया था। तेलंगाना विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को 50 लाख रुपये नकद में रिश्वत का भुगतान किया जा रहा था, ताकि उन्हें या तो मतदान से दूर रहने या तेदेपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट कराने का लालच दिया जा सके। यह तेदेपा उम्मीदवार वेम नरेंद्र रेड्डी के पक्ष में 1 जून, 2015 को निर्धारित एमएलसी (विधान परिषद का सदस्य) चुनाव में माहौल बनाने के लिए दी जा रही कथित रिश्वत थी।
एसीबी ने ट्रैप प्रोसीडिंग के दौरान पकड़े गए आरोपी को गिरफ्तार किया था और जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की।
अधिकारी ने कहा कि ईडी ने रेड्डी, हैरी सेबेस्टियन, रुद्र उदय सिम्हा सहित आरोपियों के बयान दर्ज किए थे, जो स्टीफेंसन को 50 लाख रुपये की रिश्वत की राशि सौंपने में शामिल थे।
उन्होंने कहा, उनका सामना उपलब्ध ऑडियो-विजुअल रिकॉडिर्ंग से भी हुआ है।
अधिकारी ने कहा कि ईडी की जांच ने स्थापित किया कि रेड्डी, सैंड्रा और अन्य ने एमएलसी चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवार नरेंद्र रेड्डी के पक्ष में अपना वोटिंग कराने के लिए स्टीफेंसन को रिश्वत देने की साजिश रची थी।
वित्तीय जांच एजेंसी के अधिकारी ने कहा कि आरोपी ने स्टीफेंसन से संपर्क किया था और उसे 5 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी।
उन्होंने कहा, '' स्टीफेंसन ने एसीबी पुलिस को शिकायत की और एक जाल बिछाया गया और आरोपियों के साथ उसकी मुलाकात को गुप्त रूप से ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड किया गया।''
अधिकारी ने दावा किया कि आरोपी व्यक्ति 30 मई 2015 को शिकायतकर्ता से उसके घर पर मिले और रिश्वत की पेशकश की।
एक दिन बाद रेड्डी, सेबेस्टियन और रुद्र उदय सिम्हा स्टीफेंसन के एक दोस्त मैल्कम टेलर के घर 50 लाख रुपये की अग्रिम रिश्वत राशि नकद में देने आए और वह इसी दौरान एसीबी पुलिस के बिछाए हुए जाल में फंस गए। उन्हें हिरासत में ले लिया गया और नकदी जब्त कर ली गई।
अधिकारी ने कहा कि चुनाव में अपने पिता की मदद करने के लिए वेम नरेंद्र रेड्डी के बेटे वेम कृष्ण कीर्तन ने आरोपी को नकदी सौंपी थी.
ईडी ने इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत तेलंगाना एसीबी द्वारा जब्त की गई 50 लाख रुपये की रिश्वत राशि को कुर्क किया था।(आईएएनएस)
सिस्टम की कमजोरियां उजागर करने में यूं तो कोई अस्वाभाविक बात नहीं लेकिन हैरानी तब होती है जब सरकार को उसकी कमियां और गल्तियां बताने के बजाय सिस्टम पर ही निशाना साधा जाता है. महामारी के दौर में यही हो रहा है.
डॉयचे वैले पर शिवप्रसाद जोशी की रिपोर्ट-
दिन रात डटे हुए स्वास्थ्यकर्मियों, नर्सो और डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बीच, आम लोग महामारी से जूझ रहे हैं. केंद्र हो या राज्य, सरकारी ढांचे में दूरदर्शिता का अभाव और अन्य कमियां भी उजागर हुई हैं. लेकिन एक अजीब बात ये भी दिखी है कि चुनिंदा विपक्षी नेताओं को छोड़ दें तो सरकारों की आलोचना के बजाय दोष बड़े ही अमूर्त ढंग से सिस्टम पर मढ़ा जा रहा है. आखिर ‘सिस्टम' को ही क्यों कोसा जाता है? क्या इसलिए कि उसे कोसने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता?
1993 में हिंदी की एक चर्चित हिट फिल्म ‘दामिनी' में वकील के रूप में अभिनेता सनी देओल का किरदार अदालत में चीख चीख कर कहता है तारीख पे तारीख तारीख पे तारीख तारीख पे तारीख. फिल्म के इस अंश की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यूट्यूब पर इसके वीडियो को पांच करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है. फिल्मी डायलॉग का आशय ये है कि अदालतों में सुनवाई की तारीखें ही बढ़ती जाती हैं और न्याय मिलने में बहुत देर होती जाती है. तारीख की आड़ में कथित अपराधी भरसक छिपे रहते हैं.
अलग अर्थों में कमोबेश ऐसी ही बात सिस्टम के बारे में कही जा सकती है. जो अक्सर खराब प्रशासनिक कार्रवाइयों और सत्ता राजनीति की कमजोरियों की आलोचना करते हुए की जाती है. सिस्टम में गड़बड़ी है, सिस्टम बेकार है, सिस्टम सड़ चुका है. सिस्टम सिस्टम सिस्टम. मानो समस्या और मुश्किलों की जड़ यही सिस्टम है और सारा दोष उसी का है न कि उसे चलाने वाले का. जी हां, उस पर गुस्सा निकालते हुए लोग अक्सर ये भुला देते हैं या अनदेखा कर देते हैं कि वो कोई स्वचालित मशीनरी नहीं है, वो अपनी मर्जी से चलने वाली कोई दैवी शक्ति नहीं है! सिस्टम हवा में नहीं बनता, उसे तैयार किया जाता है और वो एक खास नियंत्रण में काम करता है. उसकी बागडोर उन लोगों के हाथ में होती है जो उसके जरिए सरकार और प्रशासनिक व्यवस्था चलाते हैं.
आखिर क्या होता है वो सिस्टम जिस पर अंगुलियां उठाना, उसे चलाने वालों की अपेक्षा, आसान होता है. क्या उसका मतलब विभिन्न सरकारी सेवाओं, मंत्रालयों, विभागों और तमाम बुनियादी ढांचे से होता है. मिसाल के लिए कोविड-19 महामारी में ढिलाई को लेकर कौनसा सिस्टम खराब बताएंगें. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण का, और उसके तहत आने वाले तमाम सब-सिस्टम्स का जैसे चिकित्सा, हाईजीन, पोषण, दवा, उपकरण, अस्पताल, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, कर्मचारी, एम्बुलेन्स आदि का या मानव संसाधन, पर्यावरण का सिस्टम या वित्त और वाणिज्य का सिस्टम, या गृह मामलों का सिस्टम. एक बड़े सिस्टम के भीतर न सिर्फ उसके सब-सिस्टम होते हैं बल्कि उन सबकी भी कई परतें होती हैं और हिस्से. जिसे कुल मिलाकर सरकारी मशीनरी कहा जाता है.
सिस्टम इसी मल्टी-लेयर्ड मशीनरी का एक केंद्रीय पुर्जा है, उसे चलाने वाला स्टीयरिंग कह लीजिए. इसीलिए जाहिर है कि ये अपने आप नहीं चलता और स्वतःस्फूर्त ढंग से काम नहीं करता. इसे चलाने वाले हाथ हैं, दिमाग हैं और एक भरीपूरी नौकरशाही और राजनीतिक नेतृत्व है. वो व्यक्तियों से चलता है- वे व्यक्ति जो सरकार और प्रशासन का हिस्सा हैं. उनमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों, डिप्टी मंत्रियों से लेकर सचिव अधिकारी- एक समूची और भरीपूरी कार्यपालिका होती है. आम लोग कार्यपालिका के विभिन्न पदों पर बैठे व्यक्तियों को छोड़, एक अमूर्त सी संज्ञा पर ही अपना आक्रोश अभिव्यक्त करने लगते हैं. सिस्टम पर भड़ास निकालकर उन्हें लगता है कि वे प्रतीकात्मक रूप से सत्ता राजनीति के कान उमेठ चुके या उसे खबरदार कर चुके. लेकिन ये भी ध्यान रहे कि बाज मौके ऐसे होते हैं जहां सिस्टम को कोसने का मतलब उसे निर्मित, संचालित और नियंत्रित करने वाले व्यक्तियों को सीधे सीधे आरोपों से बचाना है और एक ऐसी बंद कोठरी में चीखने की तरह है जिसे कोई सुनने वाला नहीं और जहां अपनी आवाज ही लौट कर आ जाती है जिसे ये कहकर धीरे धीरे भुला दिया जाता है कि सिस्टम न सिर्फ ढीठ है बल्कि बहरा भी है.
अगर टीकाकरण में आज चिंता, असमंजस, अफरातफरी और कमी के हालात बने तो क्या ये सरकार और उसे चलाने वाले राजनीतिक नेतृत्व का दोष नहीं है? उन्हें साफतौर पर आलोचना के दायरे में न रखकर सिस्टम की बखिया उधेड़ने वाले ‘साहसी' और ‘निष्पक्ष' आलोचक भी एक तरह से उनकी सुरक्षा दीवार जैसे होते हैं. उन तक आंच न आए इसलिए ये अमूर्तता के आलोचक हरकत में आ जाते हैं. कुछ इस तरह कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे! पीने का साफ पानी न मिल पाना, शौचालय न बन पाना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर स्कूलों तक की जर्जरता का बने रहना, जंगलों का कटते जाना, और बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण, बीमारी क्या सिर्फ सिस्टम की लंबे समय से चली आ रही कमजोरियां हैं या उसे बनाने और चलाने वाली सरकारों की नीतिगत और रणनीतिक नाकामियां भी हैं.
क्या सिस्टम ही था जो तबाही को ऐन दरवाजे पर खड़ा नही देख पाया! वही था जो अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन, दवाओं से लेकर वेंटिलेटर तक मुहैया नहीं करा सका! पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं उपलब्ध करा सका! शवों को दफना सकने के लिए कब्रिस्तान, न जलाने के लिए शमशान! - सिस्टम ही हर चीज में पिछड़ता रहा जबकि नेता तो तड़पता रहा! महामारी जैसे अभूतपूर्व, असाधारण और अप्रत्याशित समय में धैर्य और विवेक का जज्बा बनाए रखने के साथ साथ सही जगह सही सवाल पूछने का साहस भी रखना चाहिए. लोकतंत्र में बतौर नागरिक इसे अधिकार ही नहीं फर्ज भी कह सकते हैं. (dw.com)
कंबोडिया में कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाली गरीब महिलाएं कर्ज के अजीब भंवर में फंसी हुईं हैं. वे कोरोना की मार के बाद अपना कर्ज चुकाने के लिए एक नया कर्ज ले रही हैं. साहूकार कर्ज नहीं चुकाने पर धमकाता है.
कई हफ्ते बिना वेतन के रहने के बाद जब कपड़ा फैक्ट्री खुली तो कर्ज में डूबी इयांग मलिया वहां पहुंचीं. उन्हें फैक्ट्री में रहते हुए कोरोना से संक्रमित होने का डर सताता है. कंबोडिया का कपड़ा उद्योग सात अरब डॉलर का है, जिसमें करीब साढ़े आठ लाख लोग काम करते हैं. कपड़ा उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए वैक्सीन की प्राथमिकता दी गई है, लेकिन मलिया को यह अब तक नहीं मिली है और ना ही उन्हें कर्ज से छुटकारा ही मिल पाया है. 26 साल की मलिया कहती हैं, "मुझे किराया, जरूरी चीजों और कर्ज चुकाने के लिए पैसे की जरूरत है." वह कहती हैं, "मुझे चिंता इस बात की है कि अगर मैं बिना टीका लगवाए काम पर जाती हूं तो संक्रमित हो सकती हूं."
कंबोडिया ने अप्रैल के महीने में कपड़ा फैक्ट्रियां बंद कीं और ऐसी बस्तियों पर सख्त पाबंदियां लगाईं, जहां काम करने वाले कर्मचारी रहते भी हैं. इन बस्तियों में हर रोज 100 से अधिक संक्रमण के मामले सामने आए. 100 के करीब फैक्ट्रियों में संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं. एक करोड़ साठ लाख की आबादी वाले कंबोडिया में महामारी के पहले साल में सिर्फ 500 मामले सामने आए थे. इस साल फरवरी में महामारी की चपेट में 22 हजार लोग आए और 156 लोग मारे गए. अधिकारियों ने 19 अप्रैल को उन इलाकों को "रेड जोन" घोषित किया जहां संक्रमण की दर अधिक थी. जनता को मेडिकल जरूरतों के अलावा घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी.
जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा हुई कम आय वाले हजारों श्रमिक बिना वेतन के हो गए. अधिकार समूहों ने ऐसे कर्मचारियों के लिए अभियान चलाया जिसके बाद कंबोडियन माइक्रोफाइनेंस असोसिएशन ने 7 अप्रैल को अपने सदस्यों को संघर्ष कर रहे कर्मचारियों की आर्थिक मदद करने को कहा. लेकिन कई कर्जदारों ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि उन्हें ऋण अधिस्थगन की पेशकश नहीं की गई थी और उन्होंने आशंका जताई कि कर्ज के बदले जो जमीन गिरवी रखी है वह उनके हाथ से चली जाएगी.
जिंदा रहने के लिए संघर्ष
कंबोडिया के छोट कर्ज देने वाले हाल के साल में जांच के दायरे में आए हैं. शोधकर्ताओं और अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस तरह से कर्ज देने को प्रवासन, बाल श्रम और जबरन जमीन पर कब्जा करने से जोड़ा है. कंबोडिया में औसत कर्ज 3,800 डॉलर प्रति कर्जदार है जो कि दुनिया में सबसे अधिक है. माइक्रोफाइनेंस ने हजारों कंबोडियाई लोगों को कर्ज के चक्र में डाला है, जहां ऋण चुकाने के लिए और कर्ज लिए जाते हैं और यह सिलसिला ऐसा ही चलता रहता है.
ट्रेड यूनियनों और अधिकार समूहों द्वारा 2020 के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग एक तिहाई श्रमिकों ने मौजूदा कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लिया. इस सर्वे में पाया गया कि कर्जदार अपने परिवारों का पेट भरने के लिए और अपनी जमीन को वापस पाने के लिए संघर्ष करते रहते हैं और कर्ज देने वालों का उन पर बहुत अधिक दबाव रहता है. मानवाधिकार संगठन लिकाडो की निदेशक नेली पिलोरगे कहती हैं, "कंबोडिया के कई माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं ने 2020 में रिकॉर्ड मुनाफा कमाया. अब ऐसी संस्थाओं को आगे आकर गरीब कंबोडियाई लोगों की मदद करनी चाहिए और उन्हें कर्ज से राहत देने चाहिए."
कर्ज चुकाने के लिए कर्ज
कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाली 41 साल की थान चंथी पर छह हजार डॉलर से अधिक का कर्ज है. उन्होंने पुराना कर्ज चुकाने के लिए एक नया कर्ज लिया था. मध्य अप्रैल में चंथी अपने लगभग 100 सहकर्मियों के साथ कोरोना पॉजिटिव हो गईं थीं. इलाज के बाद जब वह वापस घर पहुंचीं तो माइक्रोफाइनेंस के वसूली एजेंट उनके घर पर आ धमके. चंथी के पास सिर्फ तीन डॉलर थे. उन्होंने राहत की गुजारिश की लेकिन एजेंट ने उन्हें कम से कम 60 डॉलर देने को कहा. चंथी कहती हैं, "मेरी कोई कमाई नहीं हो रही है और मेरे पास कोई बचत भी नहीं है. मैं तभी कर्ज चुका पाऊंगी जब मैं नया कर्ज लूं. वास्तव में मुझे पता नहीं कि मैं क्या करूं."
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
रॉश और सिप्ला कंपनियों की एंटीबॉडी कॉकटेल से भारत में पहले कोरोना संक्रमित व्यक्ति का उपचार किया गया है. यह एक महंगी और प्रयोगात्मक दवा है जिसका इस्तेमाल पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर किया गया था.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ने जानकारी दी है कि इस 'मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल' का इस्तेमाल एक 82 साल के कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति पर सफलतापूर्वक किया गया है. मरीज का पिछले पांच दिनों से अस्पताल में इलाज चल रहा था. उन्हें इंट्रावेनस तरीके से यानी नसों के अंदर इंजेक्शन दे कर यह कॉकटेल चढ़ाने की प्रक्रिया करीब आधे घंटे चली, और उसके बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई. अस्पताल ने कहा है कि वो उनसे संपर्क में रहेगा और उनके स्वास्थ्य की निगरानी करता रहेगा.
यह एक प्रयोगात्मक दवा है जिसे हाल ही में भारत सरकार ने आपात इस्तेमाल की अनुमति दी थी. इसे अमेरिकी कंपनी रेजेनेरॉन और स्विट्जरलैंड की कंपनी रॉश ने मिलकर बनाया था. इसे पिछले साल अक्टूबर में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को भी दिया गया था जब वो कोरोना से संक्रमित हो गए थे. उस समय अमेरिकी नियामकों द्वारा इसे सिर्फ प्रयोगात्मक तौर पर दिए जाने की अनुमति दी गई थी.
इसमें दो एंटीबॉडी, कसिरिवीमैब और इमदेवीमैब, का मिश्रण होता है. इन्हें 'मोनोक्लोनल एंटीबॉडी' कहा जाता है, क्योंकि इन्हें एक विशेष व्हाइट ब्लड सेल को क्लोन करके बनाया जाता है. भारत में इसे रॉश और सिप्ला मिल कर लाए हैं. हालांकि इसके इस्तेमाल की सीमाएं हैं. इसे सिर्फ हलके लक्षणों वाले मरीजों पर इस्तेमाल किया जा सकता है. मेदांता के प्रबंधक निदेशक डॉक्टर नरेश त्रेहान ने मीडिया को बताया कि जब शरीर में कोविड-19 वायरस से संक्रमण शुरुआती चरण में हो, उस समय इसे दिया जा सकता है.
इस चरण में वायरस अपने आप को बढ़ाने के लिए मरीज की कोशिकाओं में घुसने की कोशिश कर रहा होता है, ताकि वहां से उसे पोषण मिल सके. डॉ. त्रेहान ने बताया कि ये एंटीबाडी उसी समय वायरस को कोशिकाओं में घुसने से रोक देते हैं. ध्यान रखने की बात यह है कि यह उपचार कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित लोगों पर नहीं किया जाना चाहिए. डॉक्टर त्रेहान ने बताया कि अमेरिका और यूरोप में इसकी काफी जांच हो चुकी है और इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है.
यह एक महंगी दवा है. भारत में सिप्ला इसे बाजार में 59,000 रुपए प्रति खुराक के दाम पर उपलब्ध करा रही है. एक मरीज को एक ही खुराक की जरूरत पड़ती है. (dw.com)
यूरोपीय संघ ने इंटरनेट पर फर्जी सूचनाओं से लड़ने के लिए अपने नियम-कानूनों को और सख्त बनाने का ऐलान किया है. नए बदलावों के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फेक न्यूज से डिजिटल विज्ञापन कंपनियां मुनाफा न कमा सकें.
(dw.com)
यूरोपीय आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि फर्जी खबरों की समस्या से निपटने के लिए कड़े दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं. यह प्रस्ताव उस दौरान और अहम हो जाता है जबकि कोरोनावायरस महामारी के दौरान फर्जी सूचनाओं के प्रसार को लेकर पूरी दुनिया में चिंता जताई गई है. यूरोपीय संघ के उद्योग प्रमुख थिअरी ब्रेटन ने कहा, "फर्जी सूचनाएं धन कमाने का जरिया नहीं हो सकतीं. हमें ऑनलाइ माध्यम चलाने वालों, विज्ञापन देने और प्रसारित करने वालों और तथ्यों की जांच करने वालों से ज्यादा मजबूत प्रतिबद्धता चाहिए.”
2018 में ऐसे दिशा निर्देश जारी किए गए थे लेकिन उनका पालन ऐच्छिक और अबाध्यकारी था. गूगल, फेसबुक, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट, टिकटॉक और मोजिला जैसी इंटरनेट कंपनियों के अलावा बहुत सी विज्ञापन कंपनियों ने भी इन दिशा-निर्देशों पर दस्तखत किए थे. लेकिन नया प्रस्ताव इन भागीदारों पर प्रतिबद्धता बढ़ाने के लिए जोर देने की बात कहता है.
यूरोपीय आयोग चाहता है कि विज्ञापन कंपनियां, विज्ञापनों के लिए तकनीक देने वाली और इन विज्ञापनों से लाभान्वित होने वाली ब्रैंड्स के अलावा निजी संदेश प्रसारित करने वाली कंपनियां भी नए कोड पर दस्तखत करें. यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष (नीति और पारदर्शिता) वेरा योरोवा कहती हैं, "फर्जी सूचनाएं आज भी ऐसी चीज है जो खूब बिकती है. इसलिए हम चाहते हैं कि विज्ञापन उद्योग फर्जी सूचनाओं के साथ अपने विज्ञापन न दे.”
क्या हैं नए प्रस्ताव
नए प्रस्ताव के मुताबिक इंटरनेट कंपनियां पारदर्शिता लाएं और यह जानकारी साझा करें कि जिन कंपनियों के विज्ञापन लगाए गए हैं वे क्यों लगाए गए हैं जबकि गलत सूचनाएं फैलाने वाले कौन से विज्ञापनों को खारिज कर दिया गया है. योरोवा कहती हैं, "यह सेंसरशिप नहीं है. लेकिन हम चाहते हैं कि प्लैटफॉर्म तथ्यों की ज्यादा जांच करें. अब वक्त आ गया है कि बिना अभियव्यक्ति की आजादी को प्रभावित किए, बड़ी टेक कंपनियों का आत्मनियंत्रण की नीति पर चलना बंद हो और फर्जी सूचनाओं से धन कमाना थमे.”
नए प्रस्ताव पर ट्विटर ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. कंपनी ने एक बयान में कहा है कि वह एक समावेशी व्यवस्था का समर्थन करता है जिसमें फर्जी सूचनाओं से लड़ने के लिए सूचना तंत्र के पूरे परिदृश्य को देखा जाए. फेसबुक ने कहा, "हम आयोग की इस बात का समर्थन करते हैं कि ग्राहकों के लिए अधिक पारदर्शिता हो और प्लैटफॉर्म्स व विज्ञापन जगत के बीच ज्यादा बेहतर तालमेल हो.” यूरोपीय संघ अगले साल से नए नियम लागू करने की तैयारी कर रहा है.
भारत में नए नियम
यूरोपीय आयोग का यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जबकि भारत में सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नए नियम बनाए गए हैं और इन्हें मानने के लिए दबाव बढ़ाया जा रहा है. सोशल मीडिया कंपनियों को नए नियमों पर सहमति जताने के लिए तीन महीने दिए गए थे. इनके तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक अनुकूलन अफसर तैनात करना होगा, शिकायतों से निपटने के लिए एक प्रक्रिया बनानी होगी और कानूनी आदेश मिलने के 36 घंटे के भीतर कोई भी सामग्री हटा लेनी होगी.
इसके अलावा अगर कोई सूचना भारत की संप्रभुता, सुरक्षा या शांति-व्यवस्ता को प्रभावित करती है तो सबसे पहले उसे जारी करने वाले का नाम बताना होगा. वॉट्सऐप ने इन नियमों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटा दिया है. उसका कहना है कि ये नियम निजता का उल्लंघन होंगे. फेसबुक का कहना है कि वह कुछ मामलों पर विमर्श करना चाहती है. ट्विटर ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है.
वीके/सीके (रॉयटर्स, डीपीए)
व्हाट्सएप भारत में सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नए नियमों को अदालत में चुनौती देनी वाली पहली बड़ी कंपनी बन गई है. जानकारों का कहना है कि कंपनी के अपनी व्यापारिक हितों के अलावा ये लड़ाई निजता की सुरक्षा के लिए जरूरी है.
व्हाट्सएप ने सोशल मीडिया मध्यस्थ कंपनियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों में से एक प्रावधान को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. 'ट्रेसेबिलिटी' कहे जाने वाले इस प्रावधान के तहत व्हाट्सएप जैसी संदेश भेजने वाली सेवाओं को कई बार भेजे गए संदेशों को सबसे पहले भेजने वाले की पहचान करनी होगी और जांच एजेंसियों को उसके बारे में बताना होगा.
मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि व्हाट्सएप ने अदालत को बताया है कि यह प्रावधान असंवैधानिक है और निजता के मूलभूत अधिकार के खिलाफ है. व्हाट्सएप दावा करती है कि वो "एन्ड-टू-एन्ड एन्क्रिप्शन" का इस्तेमाल करती है, यानी संदेश भेजने से लेकर पहुंचने की पूरी यात्रा के बीच पूरी तरह से कोड में बदला हुआ होता है. इसकी वजह से उसे सिर्फ या तो भेजने वाले उपकरण से या पाने वाले उपकरण से पढ़ा जा सकता है. बीच में कोई भी संदेश को पढ़ नहीं सकती, यहां तक की कंपनी खुद भी नहीं पढ़ सकती.
व्हाट्सएप ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक ब्लॉग लेख में कहा है कि तकनीक और निजता के विशेषज्ञ यह मानते हैं कि ट्रेसेबिलिटी इस "एन्ड-टू-एन्ड एन्क्रिप्शन" को तोड़ देगी और इससे डिजिटल रूप से एक दूसरे से संवाद करने वाले करोड़ों लोगों की निजता का हनन होगा. कंपनी ने कहा है कि चूंकि यह कोई नहीं बता सकता कि सरकार भविष्य में किस संदेश की जांच करना चाहेगी, ऐसे में "ट्रेसेबिलिटी" लागू करने का मतलब होगा कि कंपनियों को सभी उपभोक्ताओं के सभी संदेश अपने पास जमा कर के रखने होंगे.
न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन
इसे एक तरह की "सामूहिक निगरानी" बताते हुए, व्हाट्सएप ने कहा है कि इसकी वजह से कंपनियों को उनके उपभोक्ताओं के बारे में और ज्यादा जानकारी इकठ्ठा करनी पड़ेगी, जबकि आज के समय में लोग यह चाहते हैं कि कंपनियां उनके बारे में कम से कम जानकारी इकठ्ठा करें. निजता विशेषज्ञों का भी मानना है कि "ट्रेसेबिलिटी" का प्रावधान निजता के लिए नुकसानदेह है.
सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) कहता है कि इसे लोगों की निजी बातचीत की गोपनीयता पर खतरा तो आएगा ही, साथ ही साथ समस्या यह भी है कि मेसेजिंग कंपनियों से यह जानकारी हासिल करने के लिए जांच एजेंसियों को या तो एक न्यायिक आदेश या सूचना प्रौद्योगिकी कानून के भाग 69 के तहत आदेश की जरूरत होगी. यह वही प्रावधान है जिसके तहत भारत सरकार ने देश में चीनी वेबसाइटों को प्रतिबंधित किया हुआ है.
बेहतर तकनीक की जरूरत
एसएफएलसी के मुताबिक, इस प्रावधान का इस्तेमाल करके जांच एजेंसियां न्यायिक प्रक्रिया को बाईपास भी कर सकती हैं. यह सवाल उठ सकता है कि अगर मेसेजिंग कंपनियां संदेश सबसे पहले भेजने वाले की जानकारी नहीं देंगी तो आपराधिक अफवाहें उड़ाने जैसे मामलों में एजेंसियां जांच कैसे पाएंगी? हार्वर्ड केनेडी स्कूल के कुछ शोधकर्ताओं ने यह पहले भी कहा है कि व्हाट्सऐप वैसे भी बच्चों की अश्लील तस्वीरें, ड्रग्स इत्यादि जैसी गैर कानूनी चीजों के प्रसार को रोकने के लिए प्रोफाइल तस्वीरें और मेटाडाटा को स्कैन करता है.
कंपनी पहचान हो जाने पर ऐसी सामग्री भेजने वाले खातों की अलग से पुष्टि भी करती है और उन्हें.बैन कर देती है. व्हाट्सऐप यही जानकारी जांच एजेंसियों से भी साझा कर सकती है. लेकिन अब जब यह मामला अदालत में पहुंच गया है तो सरकार का क्या रुख होगा यह कहा नहीं जा सकता. नए प्रावधानों के लागू होने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है और 26 मई से ये लागू हो चुके हैं. देखना होगा कि दिल्ली हाई कोर्ट में मामले पर सुनवाई कब होती है और दोनों पक्ष क्या दलीलें पेश करते हैं.
नई दिल्ली, 27 मई| पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण धोखाधड़ी मामले में सीबीआई और ईडी द्वारा वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को डोमिनिका में कथित तौर पर हिरासत में ले लिया गया है। एंटीगुआ ऑब्जर्वर ने बताया कि चोकसी डोमिनिका में आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की हिरासत में है।
चोकसी के रविवार को एंटीगुआ और बारबुडा से लापता होने की सूचना मिली थी, जहां उसने नागरिकता ले ली थी, जिससे भगोड़े व्यवसायी की तलाश शुरू हो गई।
स्थानीय मीडिया एंटीगुआ न्यूज रूम की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को एंटीगुआ और बारबुडा के रॉयल पुलिस फोर्स के कमिश्नर एटली रॉडने ने कहा था कि बल चोकसी के ठिकाने का पता लगा रहा है, जो कथित तौर पर लापता है।
सीबीआई सूत्रों ने यहां बताया कि इंटरपोल द्वारा पूर्व में जारी रेड कार्नर नोटिस के आधार पर उसे पकड़ा गया था।
हालांकि, सीबीआई के एक अन्य सूत्र ने कहा कि एजेंसी को अभी तक चोकसी को पकड़ने के बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली है।
13,500 करोड़ रुपये से अधिक के पीएनबी धोखाधड़ी मामले में आरोपी चोकसी अपने भांजे नीरव मोदी के साथ 4 जनवरी, 2018 से एंटीगुआ और बरबुडा में रह रहा है। (आईएएनएस)
बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवाती तूफ़ान यास बुधवार की सुबह तक़रीबन नौ बजे उत्तरी ओडिशा के समुद्र तट और उससे सटे पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों से टकरा गया.
इस चक्रवाती तूफ़ान में कम से कम चार लोगों के मारे जाने की अब तक पुष्टि हुई है. इसमें से तीन की मौत ओडिशा और एक की मौत पश्चिम बंगाल में हुई है.
स्थानीय मीडिया के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि कियोंझर और बालासोर में दो लोगों की मौत पेड़ गिरने से हुई है. हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.
वहीं, मयूरभंज ज़िले में घर ढहने से एक बुज़ुर्ग महिला की मौत हुई है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया है कि उनके राज्य में एक व्यक्ति की मौत हुई है जिसे शुरुआत में बचा लिया गया था लेकिन बाद में उसकी मौत हो गई.
कब टकराया तूफ़ान
सुबह 10.30 से 11.30 बजे के बीच यह बालासोर पहुँचा जहां पर हवा की रफ़्तार 130-140 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच थी. मौसम विभाग के मुताबिक़, कुछ इलाक़ों में हवा की रफ़्तार 155 किलोमीटर प्रति घंटा थी और कुछ जगहों पर समुद्र में दो मीटर से ऊंची लहरें उठ रही थीं.
मौसम विज्ञानियों ने बताया कि चक्रवाती तूफ़ान यास का असर दोपहर 1.30 बजे तक था. इसके बाद यह एक तूफ़ान में तब्दील होकर झारखंड की ओर बढ़ गया है जहां पर इसके आधी रात तक पहुँचने का अनुमान है.
भुवनेश्वर में मौसम विभाग केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक उमाशंकर दास ने समाचार एजेंसी एएनआई से बताया था कि तूफ़ान ओडिशा से आगे बढ़ चुका है लेकिन मछुआरों को समुद्र में आज पूरे दिन तक जाने के लिए मना किया गया है.
उन्होंने बताया कि यह गुज़र चुका है लेकिन कल तक बारिश होगी.
पश्चिम बंगाल और ओडिशा प्रभावित
तूफ़ान के कारण ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य ख़ासे प्रभावित हुए हैं. ओडिशा में बालासोर, भद्रक, जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा प्रभावित हुए हैं तो वहीं पश्चिम बंगाल के दक्षिणी और उत्तरी 24 परगना, दिगहा, पूर्वी मिदनापुर और नंदीग्राम पर ख़ासा असर पड़ा है
कोलकाता के 13 निचले इलाक़ों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए हैं.
ओडिशा ने अपने यहां पर 5.8 लाख लोगों को और पश्चिम बंगाल ने 15 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पत्रकारों से कहा है कि चक्रवाती तूफ़ान यास के कारण राज्य में तीन लाख से अधिक घर तबाह हो गए हैं और इससे एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं और 15 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वो चक्रवाती तूफ़ान से प्रभावित पूर्वी मिदनापुर, दक्षिणी और उत्तरी 24 परगना का शुक्रवार को दौरा करेंगी.
उन्होंने बताया है कि प्रभावित इलाक़ों के लिए 10 करोड़ रुपये की राहत सामग्री भेजी गई है.
ज़मीन से पेड़ उखड़े
ओडिशा के स्पेशल रिलीफ़ कमिश्नर पीके जेना ने कहा है कि बालासोर और भद्रक ज़िलों के कई गांवों में समुद्र का पानी घुस गया है और स्थानीय लोगों की मदद से प्रशासन इसे बाहर निकालने की कोशिशें कर रहा है.
उन्होंने बताया कि जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा और जजपुर जैसे ज़िलों में बिजली को वापस जोड़ने का काम शुरू हो चुका है.
वहीं, ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि यास तूफ़ान आने के बाद बालासोर के तटीय गांवों में दो लोगों की मौत हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई नाव, दुकानें और घर तबाह हो गए हैं और कई पेड़ ज़मीन से उखड़ गए हैं. ओडिशा ने पाँच लाख से अधिक लोगों को राहत शिविरों में भेजा है और लोगों से कोरोना महामारी के कारण सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए कहा गया है.
चक्रवाती तूफ़ान अब धीमा होकर झारखंड की ओर बढ़ गया है लेकिन राज्य को हाई अलर्ट पर रखा गया है. ऐसा अनुमान है कि यह तूफ़ान वहां आधी रात तक पहुँचेगा.
मौसम विभाग के मुताबिक़, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां ज़िलों में भारी बारिश की आशंका है जहां पर 92-117 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से हवाएं चल सकती हैं.
राज्य के पुलिस प्रमुख नीरज सिन्हा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा है, "हम स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और हमने बचाव टीम का गठन कर दिया है."
रेल और हवाई यातायात पर असर
यास के कारण हवाई और रेल यातायात पर भी ख़ास असर पड़ा है. पश्चिम बंगाल में कोलकाता और दुर्गापुर तो वहीं ओडिशा में भुवनेश्वर, झारसुगुडा और राउरकेला में उड़ानों को रद्द किया गया है.
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने बताया है कि मौसम की समीक्षा के बाद उड़ानों को लेकर फ़ैसला लिया जाएगा तब तक एयरपोर्ट को मरम्मत का कम करने को कहा गया है.
वहीं, भारतीय रेलवे ने कहा है कि 29 मई तक 30 पैसेंटर ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. उत्तर-पूर्व फ़्रंटियर रेलवे ने बयान जारी कर कहा है कि दक्षिण की ओर जाने वाली 38 ट्रेनें और कोलकाता जाने वाली यात्री ट्रेनों को 24 से 29 मई तक रद्द किया गया है.
ओडिशा और पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफ़ान हलका पड़कर आगे ज़रूर बढ़ गया है लेकिन दोनों ही राज्यों के कुछ इलाक़ों में आज और कल भारी बारिश की आशंका है.
-शरद त्रिपाठी
सिद्धार्थ नगर. जिले के बढ़नी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में वैक्सीनेशन को लेकर भारी लापरवाही सामने आई है. बढ़नी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में 20 ग्रामीणों को पहली डोज कोविडशील्ड की लगाने के बाद दूसरी डोज कोवैक्सीन की लगा दी गई. सीएमओ संदीप चौधरी ने इस पूरे मामले में जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात कही है. बढ़नी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में औदही कला गांव के 20 लोगों को पहली डोज कोविडशील्ड की दी गई लेकिन 14 मई को दूसरी डोज कोवैक्सीन की दी गई. हालांकि जिन लोगों को वैक्सीन का ‘कॉकटेल’ दिया गया, वो सब ठीक है.
मीडिया से बात करते हुए सिद्धार्थ नगर सीएमओ संदीप चौधरी ने कहा, “वैक्सीन के 'कॉकटेल' की किसी भी प्रकार की गाइडलाइन भारत सरकार की ओर से जारी नहीं की गई है. इसलिए ये मामला लापरवाही का है. किसी भी व्यक्ति को एक ही वैक्सीन के दोनों डोज दिए जाने चाहिए."
सीएमओ संदीप चौधरी ने स्वीकार किया कि लगभग 20 लोगों को स्वास्थ्यकर्मियों ने लापरवाही बरतते हुए 'कॉकटेल वैक्सीन' लगा दी है. हमारी टीम इन सभी लोगों पर नजर बनाए हुए है. अभी तक किसी व्यक्ति में कोई समस्या नहीं देखने को नहीं मिली है. इस गंभीर लापरवाही के लिए हमने जांच टीम बना दी है. हमारे पास जांच रिपोर्ट आ गई है. इसमें जो भी विभागीय कर्मचारी दोषी हैं, उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिन पर आरोप सिद्ध हो चुके हैं. उन पर विभागीय कार्यवाही की जा रही है.
उन्होंने आगे कहा, "हमारी टीम ने गांव का दौरा किया था और उन लोगों से बात की, जिन्हें वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज अलग-अलग दी गई. सभी लोग ठीक हैं और फिलहाल उन्हें किसी भी तरह की कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं है. हालांकि पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं."
इसी बीच, औदही कला गांव के एक ग्रामीण रामसूरत ने कहा, "मुझे 1 अप्रैल को पहली डोज कोविडशील्ड की दी गई जबकि 14 मई को दूसरी डोज कोवैक्सीन की दी गई. किसी ने मुझसे यह नहीं पूछा कि मुझे पहली डोज कौनसी लगी थी. मुझे कोविडशील्ड के बजाय कोवैक्सीन दी गई. मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन डर जरूर है कि मेरे शरीर के भीतर कुछ हो ना जाए. अभी तक कोई भी हमसे पूछताछ करने नहीं आया है. मेरे गांव में 20 लोगों को गलत वैक्सीन दी गई."