राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 22 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसानों के संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को कहा कि नए कृषि कानून पर सरकार का प्रस्ताव उसे मंजूर नहीं है। आंदोलनरत किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले मोर्चा ने एक बयान में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की आमसभा में सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। सयुंक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात दोहराई है।
किसान यूनियनों के साथ बुधवार को 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने नए कृषि कानूनों के अमल को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने यह भी कहा है कि इस अवधि के दौरान सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाकर नये कानून और आंदोलन से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करके समाधान निकाल लिया जाएगा। किसान ंयूनियनों ने इस प्रस्ताव पर अपना निर्णय सुनाने के लिए वक्त मांगा था, इसलिए अगले दौर की वार्ता शुक्रवार को दोहपर 12 बजे तय की गई है।
मगर, इस वार्ता से पहले प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। इसलिए अब 11वें दौर की वार्ता में सरकार और यूनियन के नेताओं के बीच किसी नतीजे पर पहुंचने को लेकर फिर एक असमंजस की स्थिति बनी रह सकती है।
सयुंक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसान नेता डॉ. दर्शन पाल द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस आंदोलन के दौरान 140 किसान अपनी जान गवां चुके हैं। मोर्चा ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े हैं। इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।"
उधर, पूर्व घोषित किसान परेड को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ हुई बैठक की जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही, वहीं किसानों ने दिल्ली के रिंग रोड पर परेड करने की बात मजबूती से रखी।
--आईएएनएस
कोलकाता, 22 जनवरी | वर्ष 1941 में 44 वर्षीय सुभाष चंद्र बोस को दक्षिण कोलकाता में उनके एल्गिन रोड स्थित आवास पर नजरबंद (हाउस अरेस्ट) किया गया था और उनके घर के बाहर पूरा क्षेत्र पुलिस की निगरानी में था।
विख्यात नेताजी शोधार्थी जयंत चौधरी के अनुसार, नेताजी 16 जनवरी 1941 को काले रंग की जर्मन वांडरर सेडान कार से अंग्रेजों को चकमा देकर भाग निकले थे। उन्होंने इसी कार से एल्गिन रोड से एजेसी रोड और फिर महात्मा गांधी रोड से होते हुए हावड़ा ब्रिज के माध्यम से हुगली नदी को पार करते हुए हावड़ा जिले में प्रवेश किया था।
इसके बाद राज्य की राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित बर्दवान जिले तक पहुंचने के लिए कार ने जीटी रोड का सफर भी तय किया।
आईएएनएस को मिली जानकारी के अनुसार, बोस बीरभूम जिले के बोलपुर के शांति निकेतन गए, जहां उन्होंने दिल्ली पहुंचने से पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर से आशीर्वाद लिया और फिर से बर्दवान जिला लौट आए।
चौधरी, जो न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग के साक्षी लोगों में से एक रहे हैं, उन्होंने आईएएनएस को बताया, बर्दवान से उन्होंने 'फ्रंटियर मेल' नामक एक ट्रेन पकड़ी और मोहम्मद जियाउद्दीन के भेष में दिल्ली पहुंचे। मैं उस थ्योरी का समर्थन नहीं करता कि बोस ने गोमो स्टेशन से कालका मेल पकड़ी और दिल्ली पहुंचे, जो कि अब झारखंड में है। क्योंकि यह पूरी तरह से मनगढ़ंत है।
1941 में ब्रिटिश साम्राज्य के चंगुल से बाहर निकलने वाले बोस के सम्मान में 2009 में गोमो रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो रेलवे स्टेशन कर दिया गया था।
केंद्र ने 23 जनवरी को नेताजी की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। भारतीय रेलवे ने बुधवार को नेताजी की 125वीं जयंती समारोह से पहले हावड़ा-कालका मेल का नाम बदलकर 'नेताजी एक्सप्रेस' कर दिया है।
इस जानकारी को साझा करते हुए पीयूष गोयल ने ट्वीट करते हुए लिखा, नेताजी के पराक्रम ने भारत को स्वतंत्रता और विकास के एक्सप्रेस मार्ग पर पहुंचा दिया। मैं 'नेताजी एक्सप्रेस' की शुरुआत के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए रोमांचित हूं।
चौधरी ने कहा, हमारे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, नेताजी दिल्ली से सबसे पहले पाकिस्तान के पेशावर पहुंचे और वहां से काबुल पहुंचे, जहां उन्हें लगभग 48 दिनों तक इंतजार करना पड़ा। काबुल से वे समरकंद पहुंचे और वहां से वह हवाई मार्ग से मास्को गए और आखिरकार वह मार्च 1941 में बर्लिन पहुंच गए।
चौधरी ने यह भी कहा कि नेताजी के एल्गिन रोड स्थित आवास से भाग निकलने को लेकर कई थ्योरी हैं। उन्होंने कहा, लेकिन सबूतों के अनुसार, बोस को उनके एक करीबी सहयोगी सरदार निरंजन सिंह तालिब ने निकाला था न कि शिशिर बोस ने।
बोस की परपौत्री (भांजी, बहन की नातिन) और एबीएचएम की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने भी इस घटनाक्रम को याद करते हुए कहा कि सिख समुदाय ने बोस को भारत से भागने में मदद की थी और शिशिर बोस के बारे में बताई गई बातों की कोई प्रासंगिकता नहीं है।
--आईएएनएस
जम्मू, 22 जनवरी | जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ के कृष्णा घाटी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन कर गोलीबारी की, जिसमें भारतीय सेना का एक एनसीओ शहीद हो गया। सैन्य अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सेना ने कहा, पाकिस्तान की सेना ने आज जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर अकारण संघर्ष विराम का उल्लंघन किया।
उन्होंने कहा, "हमारी सेना ने दुश्मन को कड़ा जवाब दिया। संघर्ष विराम उल्लंघन में हवलदार निर्मल सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में उसने दम तोड़ दिया। हम हमेशा निर्मल और उनके परिवार के ऋणी रहेंगे और उनके सर्वोच्च बलिदान को सलाम करेंगे।
पुंछ में कई सेक्टरों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन में तेजी आई है और पाकिस्तान ने लंबी दूरी के मोर्टार और छोटे हथियारों के साथ रिहायशी इलाकों और रक्षा ठिकानों को निशाना बनाया है।
सेना का कहना है कि वह नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा आक्रामकता के सभी कृत्यों का लाभ दे रही है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सैनिक की मौत पर दुख जताया है।
शहीद सैनिक को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि हम देश की अखंडता और संप्रभुता सुनिश्चित करने की दिशा में उनके सर्वोच्च बलिदानों के लिए वर्दी में अपने आदमियों के सदा ऋणी हैं।
उन्होंने शोक संतप्त परिवार को दुख की घड़ी में दिवंगत आत्मा और शक्ति की शांति के लिए प्रार्थना की।
--आईएएनएस
मुंबई, 21 जनवरी | मुंबई में ड्रग कार्टेल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई में, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को भगोड़े अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर के लिंक मिले हैं। इस सिलसिले में एजेंसी ने मुंबई के डोंगरी में एक ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया, जिसे करीम लाला का पोता परवेज खान ऊर्फ चिंकू पठान चला रहा था। एनसीबी के अधिकारियों ने उसके सहयोगी एक अन्य किंगपिन आरिफ भुजवाला के परिसर से 2.18 करोड़ रुपये की नकदी भी बरामद की।
जांच से जुड़े एनसीबी के एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस को बताया, "एनसीबी ने बुधवार को लाला के पोते चिंकू पठान को गिरफ्तार किया। लाला दाऊद इब्राहिम का मेंटर था।"
अधिकारी ने कहा कि लाला मुंबई का मूल अंडरवल्र्ड डॉन था।
उन्होंने कहा, "यह कार्टेल मूल रूप से पठानी गिरोह द्वारा चलाया जा रहा था और उनका दाऊद गिरोह के साथ भी संबंध है।"
अधिकारी ने कहा कि चिंकू पठान का साझेदार भुजवाला महाराष्ट्र में ड्रग्स का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।
यह कार्रवाई बुधवार सुबह तब शुरू हुई, जब एजेंसी के सदस्यों ने चिंकू पठान को उसके सहयोगी जाकिर हुसैन फजल हक शेख के साथ गिरफ्तार किया। साथ ही एजेंसी ने उसके निवास स्थान से 2.9 ग्राम हेरोइन और 52.2 ग्राम मेफ्रेडोन या 'एमडी' जब्त किया।
एनसीबी की टीम ने चिंकू पठान के आवास से एक 9 एमएम पिस्तौल भी बरामद किया।
अधिकारी ने बताया कि इसी तरह के एक समानांतर छापे में, पेशे से डीजे और रैपर राहुल कुमार वर्मा को मुंबई के भिवंडी इलाके में पकड़ा गया।
अधिकारी ने कहा कि संदेह है कि डीजे को चिंकू पठान मेफ्रेडॉन की आपूर्ति करता था।
अधिकारी ने कहा कि लाला के पोते की गिरफ्तारी के बाद, एनसीबी को एक बड़ी सफलता हासिल हुई, क्योंकि ड्रग कानून प्रवर्तन टीम ने बुधवार शाम को डोंगरी इलाके में भुजवाला के निवास पर छापे मारे, जो गुरुवार की सुबह तक जारी रहा।
छापे के दौरान, एनसीबी टीम ने 2.18 करोड़ रुपये, एक रिवॉल्वर बरामद की। माना जा रहा है कि यह राशि मादक पदार्थों की तस्करी से जमा की गई थी।
अधिकारी ने कहा कि उसी इमारत में भुजवाला द्वारा संचालित एक गुप्त ड्रग प्रयोगशाला का भी भंडाफोड़ किया गया। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 21 जनवरी | गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महिला के परिवार की शिकायत पर बनासकांठा जिले के पालनपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक अंतर-धर्म में विवाहित जोड़े की तत्काल रिहाई का आदेश दिया है। पालनपुर के 30 वर्षीय एक मुस्लिम व्यक्ति ने पिछले साल दिसंबर में कस्बे की 29 वर्षीय एक हिंदू युवती से शादी की थी।
9 जनवरी को, युवती के पिता की शिकायत के बाद कि उसकी बेटी ने 82,000 रुपये चुराए और पहले से शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति के साथ भाग गई, पालनपुर पुलिस ने सूरत में रहने वाले दंपति को हिरासत में ले लिया। एक स्थानीय अदालत ने बाद में उन्हें चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया, जैसा कि पुलिस ने मांग की थी।
गिरफ्तारी के बाद, इस शख्स के भाई ने 18 जनवरी को हैबियस कॉर्पस पेटीशन के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उसने हाल ही में विवाहित अपने भाई की गिरफ्तारी को अवैध बताया।
याचिका पर विचार करते हुए, उच्च न्यायालय ने स्थानीय मजिस्ट्रेट द्वारा जारी रिमांड आदेश को रद्द कर दिया और पालनपुर पुलिस को युगल को तुरंत रिहा करने के लिए कहा।
जस्टिस सोनिया गोकानी और संगीता विसेन की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने आदेश के साथ घटनाओं पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तथ्य काफी चौंकाने वाले हैं।
यह भी देखा गया कि पालनपुर पुलिस ने 'अंतर-धर्म विवाह' के इस मामले से निपटने के दौरान 'अनुचित व्यवहार' दिखाया था।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में, पुलिस महानिरीक्षक, बनासकांठा को निर्देश दिया कि वह पालनपुर पूर्व और पालनपुर पश्चिम पुलिस स्टेशनों के पुलिस निरीक्षकों के आचरण की जांच करें, जिनकी हिरासत में इन्हें कई दिनों तक रखा गया।
यह दंपति सूरत में रहता है। युवती का पति वहीं काम करता है। सरकारी वकील ने अदालत को आश्वासन दिया है कि सूरत के पुलिस आयुक्त को इस दंपति की सुरक्षा शुरुआती चार सप्ताह की अवधि के लिए सुनिश्चित करने के लिए कहा जाएगा। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 21 जनवरी | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार 15 अगस्त, 2022 तक देश के हर नागरिक को घर मुहैया कराएगी। शाह ने अहमदाबाद के शिलज में एक किलोमीटर लंबे ओवरब्रिज के वर्चुअल उद्घाटन के दौरान यह बात कही।
शाह ने कहा, "जिस तरह से हमारी भाजपा सरकार देश में ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी आवास परियोजनाएं चला रही है, मुझे पूरा भरोसा है कि 15 अगस्त 2022 तक देश में सभी को रहने के लिए एक घर की सुविधा होगी। नरेंद्र मोदी सरकार ने 10 करोड़ से अधिक किफायती आवास प्रदान किए हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उज्जवला योजना के तहत 13 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर प्रदान किए गए। हमारी सरकार ने देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचाई है और अब हम 2022 तक देश के हर घर में पानी की कनेक्टिविटी प्रदान करने की दिशा में काम कर रहे हैं।"
शाह ने गुरुवार को अहमदाबाद के थलतेज- शिलज क्षेत्र में रेलवे ट्रैक पर ओवरब्रिज का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया। इस दौरान गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ओवरब्रिज स्थल पर मौजूद रहे।
शाह ने अपने संबोधन में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लगभग एक लाख रेलवे क्रॉसिंग को मुक्त करने का निर्णय लिया है और इसके तहत हमने राज्य सरकारों के साथ 50-50 लागत साझा करते हुए इन स्थानों पर ओवरब्रिज या अंडरब्रिज बनाने का काम किया है।"
शाह ने कहा कि देश में मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को हटाने का फैसला किया गया है और 2022 तक देश में एक भी मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग नहीं होगी।
गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शाह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में जरूरी कार्यों के लिए गुजरात के उपमुख्यमंत्री को धन्यवाद भी दिया। (आईएएनएस)
भोपाल, 21 जनवरी | मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने पत्रकारों और मीडिया संस्थानों से जुड़े कर्मियों को कोरोना टीकाकरण अभियान में प्राथमिकता देते हुये, उनका निशुल्क टीकाकरण किये जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि मीडिया के साथियों ने कोरोना महामारी के मुश्किल दौर में जो जिम्मेदार पत्रकारिता का कर्तव्य निभाया है, उसका सम्मान किया जाना चाहिये। कमल नाथ ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने अपने पत्र में कोरोना महामारी से निपटने के लिये स्वदेशी कोरोना वैक्सीन विकसित करने में अमूल्य योगदान देने और संक्रमण से रोगियों को मुक्त कराने में योगदान देने वाले चिकित्सकों और उनके सहयोगियों को भी बधाई दी है।
कमल नाथ ने अपने पत्र में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों का जिक्र करते हुए कहा कि, "इसके साथ ही एक वर्ग ऐसा है, जिसने मुश्किल से मुश्किल दौर में भी कोरोना संक्रमण की रोकथाम के प्रति लोगों में जागरूकता लाने और समय-समय पर महत्वपूर्ण जानकारी लोगों तक पहुंचाने में सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। यह वर्ग मीडिया से जुड़ा है। पत्रकार साथियों और उनके संस्थान में कार्यरत लोगों ने कोरोना महामारी के दौरान अनवरत काम किया और संक्रमण की रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन लोगों ने कोरोना से संबंधित भ्रांतियों को दूर किया और वास्तविक स्थिति की जानकारी से शासन एवं नागरिकों तक पहुंचाई।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया के प्रति भी संवेदनशीलता और उनके जज्बे का सम्मान किए जाने के लिए प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा कि कोरोना टीकाकरण अभियान में जिस तरह अन्य लोगों को जोड़ा गया है, उसी प्रकार मीडियाकर्मियों को भी प्राथमिकता प्रदान कर उनका निशुल्क टीकाकरण किया जाये। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 जनवरी | केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच गुरुवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही। किसान नेताओं और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के बीच गुरुवार को मंत्रम रिजॉर्ट में बैठक आयोजित की गई थी।
अब, शुक्रवार को एक और बैठक होने की उम्मीद है।
हालांकि किसान पहले सभी मुद्दों पर आपस में चर्चा करेंगे, जिसके लिए सिंघु बॉर्डर पर एक संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी। इसके बाद गुरुवार शाम तक उम्मीद है कि किसान अपनी रणनीति को सार्वजनिक करेंगे।
बैठक में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (स्पेशल सीपी, लॉ एंड ऑर्डर) संजय सिंह, स्पेशल सीपी (इंटेलिजेंस) दीपेंद्र पाठक, ज्वाइंट सीपी एस. एस. यादव और दिल्ली पुलिस के दो अतिरिक्त डीसीपी के अलावा उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे। वहीं किसान संगठनों की ओर से दर्शन पाल, योगेंद्र यादव, युद्धवीर सिंह और अन्य किसान नेताओं ने बैठक में भाग लिया।
योगेंद्र यादव ने कहा, "किसान रिंग रोड पर परेड करने के लिए अड़े हैं, मगर दिल्ली पुलिस हमारी मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है।"
यादव ने कहा कि उनकी रैली शांतिपूर्ण तरीके से होगी और इस दौरान गणतंत्र दिवस की प्रतिष्ठा भी बनी रहेगी।
उन्होंने कहा, "देश भर के लाखों किसान इस परेड के लिए रवाना हुए हैं, हम उन्हें रोक नहीं सकते।"
बैठक में दिल्ली पुलिस ने सुझाव दिया था कि किसान दिल्ली के बाहर केएमपी एक्सप्रेसवे (कुंडली-मानेसर-पलवल) और केजीपी एक्सप्रेसवे (कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) पर ट्रैक्टर रैली कर सकते हैं। हालांकि, किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 जनवरी | यस बैंक के वाइस प्रेसिडेंट धीरज अहलावत की मौत के लगभग पांच महीने बाद यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हरियाणा पुलिस से अपने हाथ में ले लिया है। इस साल 17 जनवरी को केंद्र से अधिसूचना मिलने के बाद सीबीआई ने हत्या और अपहरण का मामला दर्ज किया। सीबीआई जांच के लिए अधिसूचना राज्य सरकार के अनुरोध पर जारी की गई थी।
यस बैंक के कॉरपोरेट बैंकिंग में उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत अहलावत बीते साल 5 अगस्त को गुरुग्राम के सेक्टर 46 में अपने आवास के पास टहलते हुए लापता हो गए थे।
दो दिन बाद उनका शव दिल्ली के रोहिणी इलाके में मिला था।
सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, 38 वर्षीय अहलावत को आखिरी बार 5 अगस्त को शाम 7.45 बजे गुरुग्राम स्थित उनके आवास के पास एक सर्विस लेन में उनके नौकर महेंद्र ने चलते हुए देखा था।
उस शाम घर न लौटने पर उनके पिता ने अहलावत के दोस्तों से उनके बारे में जानने की कोशिश की, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया।
अगले दिन उनके परिवार ने सेक्टर 50 पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 346 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
रोहिणी में एक नहर में उनका शव मिलने के बाद, अपहरण और हत्या की धारा भी प्राथमिकी में जोड़ी गई।
चूंकि जांच में बहुत कम प्रगति हुई थी, उनके परिवार ने 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की और मामले की सीबीआई जांच की मांग की।
इससे पहले मामले की जांच तीन सदस्यीय एसआईटी कर रही थी, जिसमें एसपी स्तर के अधिकारी शामिल थे। (आईएएनएस)
प्रमिला कृष्णन
यह अमेरिका की नव-निर्वाचित उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की माँ का पैतृक गाँव है. पिछले साल नवंबर में चुनावी नतीजे आने के बाद से उनकी जीत का जश्न तमिलनाडु के इस गांव में मनाया जा रहा है और अब जब कमला हैरिस बुधवार को शपथ ग्रहण करेंगी तो गांव में इसको लेकर जश्न में इज़ाफ़ा हो गया है.
गाँव को जाने वाली सभी सड़कों पर 'कमला हैरिस को बधाई वाले पोस्टर' लगे हुए हैं.
गाँव के लोग कमला हैरिस की उपलब्धि से बहुत ख़ुश हैं.
गाँव की कुछ महिलाओं ने उनकी सफलता का जश्न मनाने के लिए घरों में मिठाइयाँ बनायी हैं.
एक स्थानीय संस्था ने इस गाँव में कमला हैरिस और नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की तस्वीर वाले कैलेंडर बाँटे हैं.
दिन में महिलाओं के एक समूह ने पास के ही श्री धर्म सस्था मंदिर में कमला हैरिस के लिए प्रार्थना की. मंदिर के बाहर पटाख़े फोड़े गये और चॉकलेट बाँटे गये.
इस सामूहिक प्रार्थना सभा के आयोजकों में से एक - सुधाकर ने बीबीसी से इसके बारे में बात की. साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह गाँववालों ने नवंबर, 2020 में उनकी जीत के बाद जश्न मनाया था और ऐसी ही पूजा की थी.
सुधाकर ने कहा, "तमाम कठिनाइयों के बावजूद कमला हैरिस ने यह चुनाव जीता. हमें गर्व है कि वे हमारे गाँव से संबंधित हैं, इस जगह से उनका रिश्ता है और हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में कभी तो वे हमारे गाँव आयें. उनकी इस उपलब्धि ने हमारे गाँव की कई महिलाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया है."
इसी गाँव की शिवरंजिनी टीवी पर कमला हैरिस का शपथ ग्रहम समारोह देखने के लिए उत्साहित हैं. वे एक कॉमर्स स्टूडेंट हैं. उन्होंने कहा, "कमला का परिवार हमारे घर से थोड़ा दूर रहता है, लेकिन हम उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं. हमें इस बात की ख़ुशी है कि अमेरिका को पहली महिला उप-राष्ट्रपति मिल रही हैं और उनका संबंध हमारे गाँव से भी है. हमारे गाँव की महिलाएं महान हैं."
शिवरंजिनी राजनीति में दिलचस्पी रखती हैं. वे बीते दो महीने से अमेरिकी चुनाव से जुड़ी सभी ख़बरें पढ़ रही हैं, बल्कि शिवरंजिनी ही नहीं थुलसेन्द्रपुरम गाँव के अधिकांश लोग ऐसा कर रहे हैं.
इस गाँव के लोग मानते हैं कि उनकी प्रार्थनाओं का जवाब उन्हें कमला हैरिस की उत्साहपूर्ण जीत के तौर पर मिला है. (bbc.com)
नई दिल्ली, 21 जनवरी | 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों के ट्रैक्टर मार्च को लेकर दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। दिल्ली के मंत्रम रिसॉर्ट में गुरुवार को ये बैठक बुलाई गई थी। दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच जल्द ही फिर से एक और बैठक इसी मुद्दे पर होगी। अभी तक की जानकारी के अनुसार ये बैठक शुक्रवार को हो सकती है।
हालांकि इन सब मसले पर किसान आपस में चर्चा करेंगे, जिसके लिए सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी और गुरुवार शाम तक उम्मीद लगाई जा रही है कि किसान अपनी रणनीति सबके सामने रखेंगे।
इस बैठक में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी लॉ एंड आर्डर संजय सिंह, स्पेशल सीपी इंटेलिजेंस दीपेंद्र पाठक, जॉइंट सीपी एसएस यादव और दिल्ली पुलिस के दो एडिशनल डीसीपी के अलावा यूपी और हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। वहीं किसान संगठनों की ओर से दर्शन पाल, योगेंद यादव, युद्धवीर सिंह और अन्य किसान नेता इस बैठक में शामिल रहे।
किसान नेता योगेंद यादव ने बताया, किसान रिंग रोड पर परेड करने के लिए अड़े है, वहीं दिल्ली पुलिस हमारी मांग को मानने की लिए तैयार नहीं है। ये रैली शांतिपूर्ण तरह से होगी। गण के उत्सव की प्रतिष्ठा बरकरार रहेगी।
देशभर से लाखों की संख्या में किसान इस परेड के लिए रवाना हो गए हैं, हम उनको नहीं रोक सकते।
बैठक में दिल्ली पुलिस ने किसानों को दिल्ली के बाहर केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल) और केजीपी (कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) राजमार्ग पर ट्रैक्टर परेड निकालने का सुझाव दिया था जिसे किसानों ने खारिज कर दिया। (आईएएनएस)
पटना, 21 जनवरी | बिहार की राजधानी पटना के 10, सकरुलर रोड स्थित बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के सामने गुरुवार को अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब आवास के सुरक्षाकर्मी और सचिवालय थाना पुलिस आपस में उलझ गई और स्थिति तू-तू, मैं-मैं तक पहुंच गई। पूर्व मुख्यमंत्री आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि सचिवालय थाना पुलिस राजद नेता तेजस्वी यादव से मिलने आने वाले लोगों को हटा रही है। उनका आरोप है कि यह प्रतिदिन होता है।
इधर, सचिवालय थाना पुलिस का कहना है कि वह यहां से भीड़ हटा रहे थे, जबकि राबड़ी आवास में तैनात सुरक्षाकर्मियों का कहना था कि जो लोग भी तेजस्वी यादव से मिलने आते हैं उन्हें सचिवालय थाना के जवान जबरन यहां से भगा देते हैं।
इसी बात को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई, लेकिन बाद में बीच बचाव के बाद स्थिति संभल गई।
इधर, राजद के वरिष्ठ नेता भोला यादव ने कहा कि यहां आने वाले लोगों को विरोधी दल के नेता से मिलने से रोका जाता है, इसमें सचिवालय थाना के पुलिसकर्मी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह कहीं से भी उचित नहीं है। इसका अधिकार किसी को भी नहीं है। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 21 जनवरी | केंद्र सरकार के नये कृषि कानून पर गतिरोध समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन कानून के अमल को फिलहाल टालने को लेकर हो रही चर्चा में किसान संगठनों की दिलचस्पी दिख रही है। हालांकि, देश की शीर्ष अदालत ने पहले ही तीनों नये कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और समाधान के रास्ते तलाशने के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बना दी है, लेकिन आंदोलनकारी किसानों को उस कमेटी के पास जाना मंजूर नहीं है। हालांकि किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे अधिकांश किसान संगठनों को सरकार द्वारा दिया गया प्रस्ताव पसंद है और इस पर एकराय बनाने के लिए वे आज (गुरुवार) को आपस में विचार-विमर्श कर रहे हैं।
प्रस्ताव पर किसानों की मंत्रणा शुरू होने से पहले आईएएनएस ने सरकार के प्रस्तावों को किसानों से ही समझने और उनकी मंशा जानने की कोशिश की।
नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान यूनियनों के साथ सरकार की 10वें दौर की वार्ता में बुधवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर, कड़कड़ाती सर्दी में चल रहे किसान आन्दोलन को समाप्त करने के लिए सरकार कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित करने को सहमत है।
श्री गुरु गोविंद सिखों के 10वें गुरु हैं और उनकी जयंती पर हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने कानून के अमल को फिलहाल टालने की जो पेशकश की वह कुछ किसान यूनियनों के नेताओं को भी जंची। मगर इस पर सबकी राय लेना लाजिमी था, इसलिए उन्होंने सरकार से अपना निर्णय सुनाने के लिए वक्त मांग लिया।
इन किसान नेताओं से आईएएनएस ने जब पूछा कि सरकार के इस प्रस्ताव में उनकी क्यों दिलचस्पी है जबकि सरकार ने फिर कमेटी बनाकर ही मसले का समाधान करने का प्रस्ताव दिया जिसे वे मानने को तैयार नहीं थे।
इस पर उनका कहना था कि कमेटी का प्रस्ताव आज भी उन्हें मंजूर नहीं है, लेकिन कानून के अमल को टालने के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है क्योंकि अगर दो से तीन साल भी इस पर रोक लग जाए तो फिर यह ठंडे बस्ते में चला जाएगा। जब पूछा कि ऐसा वे क्यों सोचते हैं तो उनका कहना था कि इसके बाद आगे आम चुनाव रहेगा तो फिर सरकार इसे लाना ही नहीं चाहेगी।
पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने भी बताया कि कुछ लोगों का ऐसा विचार है कि कानून के अमल पर दो साल से भी अधिक अवधि तक रोक लगाने की मांग रखी जाए, हालांकि इस संबंध में सबकी राय लेने के बाद ही एक निर्णय लिया जाएगा। लाखोवाल ने कहा कि किसानों की दूसरी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी की भी है और इस पर अब तक कोई ठोस चर्चा नहीं हो पाई है, इसलिए सरकार के प्रस्ताव पर एकराय बनाने और आंदोलन समाप्त करने से पहले किसानों की सभी मांगों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
एक अन्य किसान नेता ने बताया कि सरकार के प्रस्तावों का गहन विश्लेषण करने की जरूरत है, कानून को निरस्त करने की मांग पर सभी किसान व किसान संगठनों के लोगों की एकराय है और कानून के अमल पर रोक लगाने पर सबकी सम्मति नहीं है। हालांकि बहुमत की राय है कि सरकार अगर दो से ढाई साल भी कानून के अमल पर रोक लगाने को तैयार हो तो फिर सरकार की बात मानी जा सकती है।
सर्व हिंद राष्ट्रीय किसान महासंघ के शिव कुमार कक्काजी ने आईएएनएस से कहा कि किसानों का फैसला बहुमत से नहीं, बल्कि सर्वसम्मति से होता है, इसलिए आज की बैठक में सबकी राय मांगी जाएगी।
कक्काजी का भी कहना है कि एमएसपी के मसले पर उलझन है। उन्होंने बताया, कल कृषि मंत्री ने जब कहा कि एमएसपी के मसले को लेकर एक छोटी कमेटी बना देते हैं तो मैंने कहा कि आजादी के बाद से अब तक छह आयोग बने हैं और आखिरी आयोग स्वामीनाथन आयोग था। लेकिन एक भी आयोग की सिफारिशें लागू नहीं हो पाईं। ऐसे में कमेटी बनाकर क्या होगा और कमेटी क्या करेगी?
हरिंदर सिंह लाखोवाल से पंजाब के एक बड़े किसान समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनसे जब पूछा कि किसान क्या चाहते हैं तो उन्होंने कहा, किसान बस यही चाहते हैं कि उनके साथ धोखा न हो। (आईएएनएस)
भोपाल, 21 जनवरी | देश को कोरोना मुक्त करने के लिए टीकाकरण का अभियान जारी है, इसमें आम आदमी की ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी रहे, इसके लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास चल रहे है। मध्य प्रदेश में इस अभियान को सफल बनाने के लिए जारी जागृति अभियान में धर्मगुरुओं और समाज प्रमुखों का भी साथ मिला है। कोरोना टीका को लेकर विभिन्न स्तरों पर भ्रम भी है, इस भ्रम को तोड़ना सरकार और स्वास्थ्य महकमे के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। यही कारण है कि समाज में जागृति के अलग-अलग स्तर पर अभियान चलाए जा रहे है। इसी क्रम में राजधानी में नगर निगम ने जनजागृति के मकसद से कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन में पहुंचे 85 से अधिक धर्म गुरुओं और समाज प्रमुखों ने कोरोना टीकाकरण अभियान का समर्थन करते हुए इसमें सहयोग पर सहमति दी।
इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे जहांगीराबाद क्षेत्र के शिवमंदिर यादव समाज समिति के अध्यक्ष यशवंत यादव ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए जरुरी है कि मास्क का उपयोग करें, हाथ बार-बार धोएं, दो गज की दूरी रखें साथ ही कोरोना वैक्सीन आ गई है, इसलिए यह टीका भी लगवाएं ताकि आगे किसी को इस बीमारी का सामना न करना पड़े।
इसी तरह कत्यानी शक्तिपीठ के मुख्य पुजारी ने भी कोराना वैक्सीन को बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए जरुरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग यह टीका लगवाएं और लोगों को जागृत भी करें। बीमारी से बचना है तो टीकाकरण जरुर कराएं।
नगर निगम भोपाल के आयुक्त वी.एस. चौधरी ने धर्म गुरुओं को कोविड-19 टीकाकरण की जानकारी देते हुए अभियान में उनका सहयोग मांगा। उन्होंने स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और कोविड-19 के स्वच्छता व्यवहार के लिए नगर निगम द्वारा जारी प्रयासों की जानकारी भी दी। कार्यक्रम में शामिल प्रतिनिधियों ने कचरा प्रबंधन में नगर निगम के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए स्वच्छता सर्वे 2021 में सहयोग का आश्वासन दिया।
उप संचालक राज्य टीकाकरण स्वास्थ्य विभाग डॉ. पद्माकर त्रिपाठी ने टीकाकरण से जुड़े मिथक और टीकाकरण के नुकसान से जुड़े भय की चर्चा की। उन्होंने टीकाकरण के बाद सुरक्षा, कोविन ऐप, टीकाकरण की प्राथमिकता आदि पर धर्म गुरुओं के सवालों के जवाब दिए। कार्यक्रम में अतिरिक्त आयुक्त एमपी सिंह भी मौजूद थे।
यूनिसेफ की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ वंदना भाटिया और डॉ रवींद्र बागल ने कोविड-19 टीकाकरण के महत्व और इससे सुरक्षा के लिए उपयुक्त व्यवहार की बात की। यूनिसेफ के संचार विषेषज्ञ अनिल गुलाटी कार्यक्रम का संयोजन किया तथा धर्म गुरुओं से संवाद किया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 जनवरी | सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी को सैंडलवुड ड्रग मामले में जमानत दे दी, जो करीब साढ़े चार महीने से हिरासत में है। द्विवेदी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल के पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि मादक पदार्थ व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं था, बल्कि इसे रेव पार्टी के लिए उपलब्ध कराया गया था। मेहता ने जोर देकर कहा कि सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना है और अदालत को कम से कम तब तक जमानत देने पर विचार नहीं करना चाहिए, जब तक मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हो जाती।
पीठ में जस्टिस नवीन सिन्हा और के.एम. जोसेफ भी शामिल थे। पीठ ने मामले में एक संक्षिप्त सुनवाई के बाद द्विवेदी को जमानत दे दी, जो पिछले साल 4 सितंबर से हिरासत में है।
जमानत देते हुए, अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया पाया गया है कि केवल थोड़ी मात्रा में ड्रग्स मिला था और इसलिए, एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 को लागू नहीं किया जा सका।
द्विवेदी ने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड साहिल भलाइक के माध्यम से याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा अभियोजन पक्ष ने जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है। भलाइक ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार ने दावा किया था कि वह ड्रग रैकेट का हिस्सा है, लेकिन मामले में दिखाने के लिए उनके पास कुछ नहीं है।
याचिका में तर्क दिया गया कि यह उल्लेखनीय है कि रागिनी को आरोपी बनाया गया है और उसे मामले में सह-आरोपी के बयान पर गिरफ्तार किया गया।
द्विवेदी ने तर्क दिया कि पुलिस द्वारा तैयार किए गए झूठे बयान के आधार पर ही उसे फंसाया गया और वह मीडिया ट्रायल का शिकार हुई। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 जनवरी | आईएएनएस सी वोटर तिब्बत पोल में दो तिहाई उत्तरदाताओं ने दलाई लामा को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग का समर्थन किया है। 62 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं (62.4 प्रतिशत) ने दलाई लामा को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का समर्थन किया है।
मतदान के अनुसार, 21.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया।
आयु समूहों की बात करें तो, 55 से अधिक आयु वर्ग में 73.1 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो दलाई लामा के लिए भारत रत्न का समर्थन करते हैं।
क्षेत्रवार देखें तो, उत्तर भारत में इस बाबत उन्हें सबसे ज्यादा 67.6 प्रतिशत समर्थन मिला है।
दो तिहाई उत्तरदाता दलाई लामा को आधुनिक भारत के एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नेता के रूप में स्वीकार करते हैं। वास्तव में, सैंपल से प्राप्त गुणात्मक प्रतिक्रिया के अनुसार, उनमें से एक बड़ी संख्या में लोग दलाई लामा को एक भारतीय आध्यात्मिक नेता के रूप में मानते हैं, न कि एक विदेशी के रूप में।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि एक तरफ इसे बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है, लेकिन दूसरी ओर सर्वेक्षण यह भी संकेत देता है कि चीन के मोर्चे पर आक्रामक नहीं होने से दलाई लामा की तिब्बती ब्रांड पहचान कमजोर हुई है।
भारतीय तिब्बत में मानवाधिकारों के मुद्दे पर चीन के साथ बिगड़ते संबंधों को जोखिम में डालने के लिए तैयार हैं। यह इस सर्वेक्षण की सबसे महत्वपूर्ण खोज है। लगभग दो-तिहाई भारतीय चीन के साथ बिगड़ते रिश्ते की कीमत पर भी तिब्बत के मुद्दे का समर्थन करना चाहते हैं।
लगभग 80 प्रतिशत भारतीय स्वतंत्र तिब्बत का समर्थन करते हैं। इस सर्वेक्षण का अच्छा हिस्सा यह है कि अधिकांश भारतीय इस मुद्दे का समर्थन करेंगे यदि उन्हें पर्याप्त जानकारी दी जाए और वे इसके बारे में सोचना शुरू कर दें। इस जानकारी का बुरा हिस्सा यह है कि उन्हें वास्तव में इस बारे में बताने की आवश्यकता है। इस जानकारी का सबसे बुरा हिस्सा यह है कि कोई भी वास्तव में ऐसा नहीं कर रहा है। (आईएएनएस)
मुंबई, 21 जनवरी : भारतीय जनता पार्टी अब हास्य-व्यंग्य का विषय बन गई है। रोज नए स्वांग-ढोंग रचकर जनता का मनोरंजन करने का प्रयोग वे करते ही रहते हैं, लेकिन उनके प्रपंची प्रयोग जनता को पसंद नहीं आते। ‘तांडव’ नाम की एक वेब सीरीज वर्तमान में प्रदर्शित हुई है। कहा जाता है कि यह सीरीज मौजूदा राजनीति की वास्तविकता पर आधारित है। दिल्ली की राजनीति, विश्वविद्यालयों में सियासी खींचतान, इस तरह के कुछ विषय इसमें दिखाए गए हैं। इस बीच इस सीरीज में हिंदू देवी-देवताओं के संदर्भ में कुछ आपत्तिजनक संवाद होने का हो-हल्ला भारतीय जनता पार्टी ने मचाया। भगवान शंकर और नारद के संवाद में श्रीराम का उल्लेख उपहासात्मक तरीके से किए जाने का ‘तांडव’ भाजपा ने शुरू किया।
हिंदू देवी-देवताओं के संदर्भ में किसी भी प्रकार के अपमानजनक संवाद शिवसेना ने कभी भी बर्दाश्त नहीं किए हैं। एम. एफ. हुसैन निसंदेह महान चित्रकार थे, लेकिन उन्होंने हिंदू देवताओं के चित्र जिस तरह से बनाए, उस पर शिवसेना ने आपत्ति जताई थी। विवाद इतना बढ़ा कि एम. एफ. हुसैन को देश छोड़कर जाना पड़ा। अर्थात हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर किसी भी स्थिति में समझौता संभव ही नहीं है, परंतु भारतीय जनता पार्टी ने जो ‘तांडव’ शुरू किया है, उसमें प्रामाणिकता का अंश कितना है, उस पर संदेह है ही। क्योंकि जो ‘तांडव’ के विरोध में खड़ी है, वही भाजपा भारत माता का अपमान करनेवाले उस अर्णब गोस्वामी के संबंध में मुंह में उंगली दबाकर चुप क्यों बैठी है? हिंदुस्थानी सैनिकों का व उनकी शहादत का अपमान जितना गोस्वामी ने किया है, उतना अपमान पाकिस्तानियों ने भी नहीं किया होगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी समेत सुशीलकुमार शिंदे, सलमान खुर्शीद और गुलामनबी आजाद ने भी बुधवार को पत्रकार परिषद में इस पूरे मामले की जांच कराने व ‘सरकारी गोपनीयता अधिनियम’ के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। पूरे मामले को देशद्रोह ही बताते हुए कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे को संसद सत्र में उठाने के संकेत भी दिए हैं। इस प्रकरण में जो सच्चाई है, उसे सरकार को बाहर लाना चाहिए। एक तो ‘पुलवामा’ में हमारे सैनिकों की हत्या यह देशांतर्गत राजनैतिक षड्यंत्र था।
लोकसभा चुनाव जीतने के लिए इन 40 जवानों का खून बहाया गया, ऐसे आरोप उस समय भी लगे थे। अब अर्णब गोस्वामी की जो व्हॉट्सऐप चैट बाहर आई है, वह उन आरोपों को बल देनेवाली ही है। ऐसा कहने के कारण हैं। ये सब देखकर स्वयं भगवान श्रीराम भी अपना माथा पीट रहे होंगे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इस पर ‘तांडव’ तो छोड़िए, भांगड़ा भी नहीं किया। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित अनेक गोपनीय बातें गोस्वामी ने सार्वजनिक कर दीं, इस पर भाजपा ‘तांडव’ क्यों नहीं करती? चीन ने लद्दाख में घुसकर हिंदुस्थानी जमीन पर कब्जा कर लिया। चीन पीछे हटने को तैयार नहीं, इस पर ‘तांडव’ क्यों नहीं होता? गोस्वामी को गोपनीय जानकारी देकर राष्ट्रीय सुरक्षा की धज्जियां उड़ानेवाले असल में कौन थे, जरा पता चलने दो! गोस्वामी द्वारा 40 जवानों की हत्या पर आनंद व्यक्त करना, यह देश, देव और धर्म का ही अपमान है। ‘तांडव’ के निर्माता और निर्देशक के विरोध में भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार में अपराध दर्ज किए, यह अच्छी बात है पर जवानों की शहादत का अपमान करनेवाले गोस्वामी के विरोध में भी भाजपा इस तरह के अपराध जगह-जगह दर्ज करवाती है तो वे सच्चे मर्द।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा ली गई भूमिका पर आपत्ति जताएं, ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन हिंदुत्व और भारत माता का अपमान केवल ‘तांडव’ तक ही सीमित नहीं है। श्री मोदी ये भगवान विष्णु के १३वें अवतार हैं, ऐसा भाजपा के प्रवक्ता द्वारा कहा जाना, यह ‘तांडव’ की तरह ही हिंदुत्व का अपमान है। यदि ‘तांडव’ सीरीज में कुछ आपत्तिजनक बातें होंगी और उसमें हिंदुत्व, हमारे देवी-देवताओं का अपमान होगा तो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मुद्दे पर कठोर कार्रवाई तो होगी ही। संक्षेप में कहें तो श्रद्धास्थान चाहे किसी धर्म के हों, उनके बारे में इस तरह के आपत्तिजनक शब्द कहना गलत ही है। ‘तांडव’ के किस दृश्य पर भाजपा को आपत्ति है और क्यों है, इस पर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं है, पर अर्णब गोस्वामी के देशद्रोह के संबंध में चर्चा भी हुई तो पुलवामा हमले के शहीदों की आत्मा को शांति मिलेगी। पुलवामा हमले के संदर्भ में अर्णब का संवाद यह पाकिस्तानियों के लिए सहूलियतवाला ही है और इमरान खान इस पर प्रतिक्रिया दें, ये अलग ही विनिमय है।
भाजपा के कुछ नकबहों ने अब शगूफे छोड़े हैं कि अर्णब की गुप्त ‘चैट’ लीक होने के चलते मुंबई पुलिस पर कार्रवाई करो। अरे नकबहोेंं, तुम्हारे उस अर्णब ने देश की सुरक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी ही सार्वजनिक कर दी, पहले उस पर बोलो। इसके उलट मुंबई पुलिस ने देश पर उपकार किया है। ये आस्तीन के सांप देश की नींव पर ही आ गए थे। उनका फन मुंबई पुलिस ने कुचला तो भाजपा के नकबहों को संताप क्यों हो रहा है? हमें आश्चर्य होता है कि देश के तमाम तथाकथित राष्ट्रभक्त कहे जानेवाले मीडिया पर ये लोग खुद को देश का चौथा स्तंभ या जो कुछ समझते हैं! फिर उनमें से एक दीमक ने देश के चौथे स्तंभ को खोखला कर दिया, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गोपनीयता सार्वजनिक कर दी, उसने देशद्रोह ही किया फिर भी ‘मीडिया’ शांत क्यों? अब तक सुशांत, कंगना, ईडी, धनंजय मुंडे मामलों में चौबीसों घंटे बड़बड़ानेवाले अर्णब के देशद्रोही कृत्यों पर घृणा तो छोड़िए, लेकिन रोष तक न करें, तब दुख होता है। सौ ग्राम गांजा किसी के पास पकड़ा गया तो ‘तांडव’ करनेवाली मीडिया अर्णब के देशद्रोही कृत्यों पर ‘राष्ट्रीय बहस’ करने को तैयार नहीं। क्योंकि उन्होंने अपनी स्वतंत्रता और राष्ट्राभिमान किसी के चरणों में गिरवी रख दिया है। स्वतंत्रता की, राष्ट्रवाद की लड़ाई दूसरे लड़ें, ये मात्र राष्ट्र का चौथा स्तंभ बनकर घूमते फिरें! सब धंधा बन गया है, दोष आखिर किसे दें? ‘तांडव’ शुरू है, ये चलता ही रहेगा! (hindisaamana.com)
गांधीनगर, 21 जनवरी | गुजरात एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी के खिलाफ राज्य में सबसे बड़ी अनुपातहीन संपत्ति का केस दर्ज किया है। एसीबी ने अधिकारी के खिलाफ कथित रूप से 30 करोड़ रुपये की अनुपातहीन संपत्ति का केस दर्ज किया है। इतनी बड़ी राशि कहां से आई, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। वीरम देसाई, डिप्टी ममलतदार (क्लास 3), जो कुछ साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे, ने 55.45 करोड़ रुपये का व्यय/निवेश किया, जबकि उनकी वैध आय 24.97 करोड़ रुपये है। एसीबी के अनुसार, यह उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से 30.47 करोड़ रुपये या 122.39 प्रतिशत अधिक है।
2006 और 2020 के बीच, देसाई ने बैंक खातों में 5.48 करोड़ रुपये नकद जमा किए थे। एसीबी ने यह भी पाया कि देसाई ने 7.42 करोड़ रुपये नकद भुगतान किया था और इस अवधि में अपने बैंक खातों से 3.08 करोड़ रुपये निकाले। जांच के दौरान एसीबी को विरम के 30 बैंक खाते मिले।
इसके अलावा, 4.61 करोड़ रुपये की राशि देसाई द्वारा अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों से कई अन्य देशों में हस्तांतरित की गई थी जिससे पता चलता है कि उन्होंने विदेशों में भी निवेश किया है।
देसाई, उनकी पत्नी, बेटे, बहू, बेटी और अन्य पर भ्रष्टाचार विरोधी कानून, 2018 संशोधन, धारा 12, 13 (1) (बी) और 13 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एसीबी के इतिहास में यह सबसे बड़ा मामला है, जिसमें इतनी बड़ी मात्रा में अनुपातहीन संपत्ति का पता चला है। एसीबी ने वीरम के तीन फ्लैटों, बंगले, 11 दुकानों, एक कार्यालय, दो भूखंडों, बीएमडब्ल्यू, ऑडी, जगुआर, होंडा सिटी सहित कुल 11 कारों का पता लगाया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आंदोलन गुरुवार को 57वें दिन जारी है। आंदोलन समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 12 बजे पंजाब किसानों की सिंघु बॉर्डर पर एक बैठक होने जा रही है। केंद्र सरकार ने किसानों को नये कृषि कानूनों के अमल पर डेढ़ साल यानी 18 महीने तक रोक लगाने और इस बीच किसानों व सरकार के प्रतिनिधियों की कमेटी बनाकर तमाम मसलों का समाधान करने का प्रस्ताव दिया है। किसान प्रतिनिधियों ने आईएएनएस को बताया कि सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर पहले पंजाब के किसान संगठनों के बीच विस्तृत चर्चा होगी और सबकी सहमति बनने के बाद उस पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में चर्चा होगी। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक दोपहर दो बजे से शुरू होगी।
सर्व हिंद राष्ट्रीय किसान महासंघ के शिव कुमार कक्का ने कहा कि किसान आंदोलन में सबसे बड़ा समूह पंजाब का है और इस प्रस्ताव पर पंजाब के किसानों की सहमति बनने के बाद दोपहर दो बजे से होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इस पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों का फैसला बहुमत से नहीं बल्कि सर्वसम्मति से होता है। इसलिए सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर जब सर्वसम्मति बनेगी तभी सरकार के पास इस पर सहमति जताई जाएगी।
बैठक में जाने से पहले पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने भी कहा कि सभी किसानों की सहमति से ही इस पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा, हमलोग आज सरकार के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं अगर सबकी सहमति बनेगी तो हम शुक्रवार को सरकार के साथ होने वाली वार्ता में अपना निर्णय बता देंगे, लेकिन अब तक हमारी वही मांग है कि तीनों कानूनों को सरकार वापस ले क्योंकि ये कानून किसानों के हित में नहीं है।
लाखोवाल से जब आईएएनएस ने पूछा कि क्या किसी राजनीतिक दल के उकसावे में किसानों का यह आंदोलन चल रहा है। इस पर उन्होंने कहा, यह आंदोलन किसानों का है और किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। किसान किसी के उकसावे में नहीं है और सरकार के प्रस्ताव पर जो भी फैसला होगा वह खुद किसान ही लेगा।
उन्होंने कहा, हम बस यही चाहते हैं कि किसानों के साथ कोई धोखा न हो। हरिंदर सिंह ने कहा कि बुधवार को एमएसपी के मसले पर कोई ठोस बातचीत नहीं हुई जोकि एक अहम मसला है।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इन कानूनों के अमल पर फिलहाल रोक लगा दी है और इस पर विचार-विमर्श के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित कर दी है। इस बीच बुधवार को किसान संगठनों के साथ हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संगठनों को इन कानूनों के कार्यान्वयन को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया। (आईएएनएस)
आगरा, 21 जनवरी | आगरा में फव्वारे के साथ एक पानी की टंकी मिली है जो, 16वीं शताब्दी के मुगल युग की बताई जा रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को खुदाई के दौरान फतेहपुर सीकरी में ये पानी की टंकी मिली है। टोडरमल बारादरी के संरक्षण कार्य की खोज के दौरान जब आसपास के क्षेत्र की खुदाई हुई तब इस पानी की टंकी का पता चला। बारादरी या बारा दरिया एक इमारत या मंडप है जिसमें बारह दरवाजे होते हैं ताकि हवा का मुक्त प्रवाह हो सके।
एएसआई (आगरा सर्कल) के पुरातत्वविद, वसंत स्वर्णकार ने कहा, खुदाई के दौरान, एक वर्गाकार टैंक, जिसकी लंबाई 8.7 मीटर और 1.1 मीटर की गहराई है, की खोज की गई। फव्वारा टैंक का फर्श चूने से प्लास्टर किया गया था। यह उस समय बारादरी के साथ बनाया गया होगा।
एएसआई अब क्षेत्र में आगे की खुदाई कर रहा है।
सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान राजा टोडरमल मुगल साम्राज्य के वित्त मंत्री थे। वह अकबर के दरबार में 'नवरत्नों' में से एक थे और उन्होंने कराधान की एक नई प्रणाली शुरू की थी।
फतेहपुर सीकरी अपनी हवेली, बगीचे, मंडप, अस्तबल और कारवां के लिए जाना जाता था। बारादरी को अभी भी पहचाना जा सकता है। (आईएएनएस)
मुंबई, 21 जनवरी | मुंबई में ड्रग कार्टेल के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी )को भगोड़े अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर के लिंक मिले हैं। एनसीबी को यह सफलता तब मिली जब एजेंसी ने मुंबई के डोंगरी इलाके में एक ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया, जिसे करीम लाला के पोते चिनकू पठान संचालित कर रहा था। जांच से संबंधित एनसीबी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, एनसीबी ने कल चिनकू पठान को गिरफ्तार किया, जो लाला का पोता है। लाला दाऊद इब्राहिम का मेंटॉर रहा है।
अधिकारी ने कहा कि लाला मुंबई का मुख्य अंडरवल्र्ड डॉन था।
उन्होंने कहा, यह कार्टेल मूल रूप से पठानी गिरोह द्वारा चलाया जा रहा था और वे दाऊद गिरोह के साथ भी संबंध बना रहा था।
अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने कारखाने में एक करोड़ रुपये की नकदी और भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद की। साथ ही कुछ हथियार भी बरामद हुए हैं।
अधिकारी ने कहा कि सिंघू पठान के साथी आरिफ बुझवाला महाराष्ट्र में दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। (आईएएनएस)
आम तौर पर आप पुलिस के पास चोरी की शिकायत लिखवाते हैं और उसके बाद पुलिस आपका सामान ढूंढती है. लेकिन इटली में तो चोरी हुई पेंटिंग बरामद होने के बाद पता चला कि वह कभी चोरी भी हुई थी.
इटली के शहर नेपल्स के म्यूजियम को 500 साल पुरानी एक पेंटिंग लौटाई गई है. पुलिस को यह पेंटिंग नेपल्स के ही पास एक अपार्टमेंट में मिली. कमाल की बात यह थी कि म्यूजियम खुद ही नहीं जानता था कि उसके यहां से यह पेंटिंग कभी चोरी भी हुई थी. क्योंकि जब से इटली में कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू हुई है, तब से यह म्यूजियम बंद पड़ा है.
म्यूजियम का नाम सेन डॉमेनिको मागियोरे म्यूजियम है और पेंटिंग येशु की है. इसे किसने बनाया, इस पर विवाद है लेकिन माना जाता है कि 16वीं सदी के पेंटर जियाकोमो अलीब्रांडी ने इसे बनाया है, जो इटली के मशहूर पेंटर लियोनार्डो दा विंची के शागिर्द थे.
पुलिस का कहना है कि उन्हें अपने एक सूत्र से जानकारी मिली थी जिसके बाद उन्होंने अपार्टमेंट पर छापा मारा. अपार्टमेंट के बैडरूम में मौजूद एक अलमारी में उन्हें यह पेंटिंग मिली. अपार्टमेंट के 36 वर्षीय मालिक को इस मामले में हिरासत में ले लिया गया है.
पुलिस का कहना है कि जिस किसी ने भी पेंटिंग चुराई है, वह किसी बड़े गिरोह का हिस्सा है जो इस तरह की मशहूर पेंटिंगों की तस्करी करता है. वहीं, हिरासत में लिए गए व्यक्ति का कहना है कि उसने इटली के एक कबाड़ी बाजार से इसे खरीदा था. पेंटिंग पुरानी है लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि वह कीमती भी है.
हैरत की बात यह भी है कि म्यूजियम में कोई खिड़की दरवाजा टूटा हुआ नहीं पाया गया है यानी मुमकिन है कि चोरी में म्यूजियम के किसी कर्मचारी का हाथ था. पुलिस द्वारा जारी की गई तस्वीरों में वह खाली दीवार देखी जा सकती है जहां इस पेंटिंग को मूल रूप से रखा गया था.
पुलिस अधिकारी जियोवानी मेलिलो ने बताया कि पेंटिंग को ढूंढ निकालना एक "बेहद पेचीदा ऑपरेशन" था लेकिन स्थानीय पुलिस की "सूझबूझ और मेहनत" के कारण इसे पूरा किया जा सका. उन्होंने कहा, "इस बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी, बल्कि हमने खुद म्यूजियम से संपर्क किया. उसे इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी क्योंकि जिस कमरे में यह पेंटिंग रखी हुई थी, वह पिछले तीन महीनों से खोला ही नहीं गया है. पुलिस प्रमुख अल्फ्रेडो फाबरोचिनी ने इस बारे में कहा कि वे पेंटिंग के मिलने से बहुत खुश हैं "क्योंकि हमने केस शुरू होने से पहले ही उसे सुलझा दिया."
यह लियोनार्डो दा विंची की मशहूर पेंटिंग "साल्वातोर मुंडी" की एक नकल है जिसे उन्हीं के चेले अलीब्रांडी ने उनकी याद में बनाया था. असली पेंटिंग की कहानी भी दिलचस्प है. उसे 2017 में 45 करोड़ डॉलर में नीलाम किया गया था. यह नीलामी न्यूयॉर्क में हुई थी और कमाल की बात यह थी कि पेंटिंग खरीदने वाले का नाम गुप्त रखा गया था. बाद में खबर आई थी कि इसे सऊदी अरब के किसी शेख ने "लूव्र अबु धाबी" म्यूजियम के लिए खरीदा था. एक साल इस बाद इसे म्यूजियम में एक प्रदर्शनी में पेश किया जाना था लेकिन तब से अब तक किसी ने उस पेंटिंग को नहीं देखा है.
आईबी/एके (एएफपी, रॉयटर्स)
अमीरों के रहनसहन और खानपान से अधिक प्रदूषण फैल रहा है. ये बात भारत पर भी लागू होती है. जलवायु परिवर्तन से जुड़ा एक नया अध्ययन बताता है कि गरीबों के मुकाबले अमीर लोग, सात गुना अधिक कार्बन-उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं.
डॉयचेवेले पर शिवप्रसाद जोशी की रिपोर्ट-
जापान स्थित पर्यावरणीय अध्ययन के एक प्रमुख केंद्र "रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ह्युमैनिटी ऐंड नेचर" ने अपने अध्ययन में भारत के संपन्न वर्ग की विलासितापूर्ण जीवनशैली और महंगे खानपान को पर्यावरण के लिहाज से चिंताजनक पाया है. पूरी दुनिया में करीब सात प्रतिशत कार्बन डाइय ऑक्साइड उत्सर्जन का जिम्मेदार भारत है और वैश्विक उत्सर्जन में उसका नंबर तीसरा है.
भारत में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जित करने वाली दो प्रमुख गतिविधियां हैं भोजन और बिजली की खपत. ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे प्रमुख चुनौती बनकर उभरा है, ऐसे अध्ययन समस्या को समझने और उनसे निपटने का एक रास्ता सुझाते हैं.
घरेलू खर्च पर सरकार के ही राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन से मिले डाटा के आधार पर हुए इस अध्ययन के मुताबिक बड़ी आय और बड़े खर्च वाले सबसे संपन्न 20 प्रतिशत परिवारों में, कम आय और कम खर्चों वाले यानी निर्धन घरों के मुकाबले सात गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है.
एक व्यक्ति का कार्बन फुटप्रिंट: आधा टन
भारत में हर व्यक्ति का औसत कार्बन फुटप्रिंट प्रति वर्ष आधा टन से कुछ अधिक का पाया गया है. इसमें अमीरों की हिस्सेदारी 1.32 टन की है. किसी व्यक्ति के कार्बन फुटप्रिंट का मतलब है अपनी गतिविधियों से वो कितना कार्बन उत्सर्जित करता है यानी आम भाषा में कहें कि कितना प्रदूषण फैलाता है.
गरीब घरों और सीमित आय वाले घरों में डिटर्जेंट, साबुन और कपड़े-लत्तों से सबसे अधिक कार्बन फुटप्रिंट बनते हैं. अमीर घरों में निजी वाहनों और महंगे साजोसामान से सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है. अध्ययन के जरिए पहली बार देशव्यापी स्तर पर कार्बन फुटप्रिंट का क्षेत्र और वर्ग विशेष आकलन संभव हुआ है. इसके लिए 623 जिलों के दो लाख से अधिक घरों का डाटा लिया गया है. लेकिन इसमें सरकारों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का डाटा शामिल नहीं है.
अध्ययन का एक प्रखर संदेश यह भी है कि गरीबों के लिए बनने वाली विकास परियोजनाएं पर्यावरण का उतना नुकसान नहीं करती हैं जितना कि अमीरों को और अमीर बनाने वाली नीतियां. आंकड़ों के मुताबिक गरीबी निवारण की कोशिशों से कार्बन उत्सर्जन में सिर्फ करीब दो फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है. यानी गरीबोन्मुख विकास से पर्यावरण का कम नुकसान होता है. लेकिन यही बात उन आर्थिक नीतियों पर लागू नहीं होती जो समाज के अमीरों और उच्च मध्यवर्ग की मदद करती हैं.
मध्य आय वाले परिवारों को उच्च वर्ग में ले जाने की कार्रवाई से कार्बन उत्सर्जन में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है. इंडिया स्पेंड वेबसाइट में जापानी अध्ययन केंद्र के आंकड़ों को प्रकाशित करते हुए बताया गया है कि अगर सभी भारतीय, अमीरों जितना ही उपभोग करने लगें तो कुल उत्सर्जन में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी.
बिजली और खाना है जिम्मेदार
बिजली की खपत से सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जित होती है. कुल बिजली उत्पादन का 74 प्रतिशत कोयले से ही आ रहा है. दूसरी ओर भोजन दूसरा सबसे प्रमुख उत्सर्जक है लेकिन उसकी खपत के पैटर्न बहुत अलग अलग हैं. कम और मध्य आय वर्ग वाले घरों में अनाज पर निर्भरता है, जबकि अमीर वर्ग सामान्य खाद्य सामग्री से अधिक महंगे भोजन पर खर्च करता है. जैसे मीट, अल्कोहल, अन्य पेय पदार्थ, फल, जूस, रेस्तरां आदि.
भोजन की उपलब्धता का संबंध कृषि और उससे जुड़े पशुपालन, सिंचाई और डेयरी जैसे उद्योगो से है. खाद्यान्न उत्पादन में भी बिजली की खपत होती है. कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने का अर्थ यह नहीं है कि इन गतिविधियों को रोक दिया जाए या उन्हें कम से कम किया जाए. अगर ऐसा करना पड़े तो सबसे बुरी मार एक बार फिर देश के गरीबों पर ही पड़ेगी.
आशय यह है कि सरकारें अपनी नीतियां इस तरह बनाएं, अपने उद्योगों को पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से इतनी उपयोगी और हिफाजती बनाएं कि गरीबों पर उसका गलत असर न पड़े, आर्थिक गतिविधि शिथिल न हो और जलवायु परिवर्तन की वजहें न्यूनतम हो सकें. जाहिर है खेती-किसानी और संबद्ध उद्योगों को और आधुनिक बनाना होगा लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि पारंपरिक खेती को अलविदा कह दिया जाए. उसके कुछ महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती और देश के ग्राम्य परिवेश की स्वाभाविकता से छेड़छाड़ भी नहीं की जा सकती.
आधुनिकता की दौड़ में
अध्ययन में यह भी पाया गया कि हरित क्रांति के दौर में भारत में अधिक उत्पादन लेकिन कम पोषक तत्वों वाली गेहूं और चावल की नस्लें तैयार की जिनसे बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी हुआ. अधिक पोषक और कम उत्सर्जक देसी नस्लों की अनदेखी का खामियाजा भी भुगतना पड़ा है. जानकारों का मानना है कि मोटे अनाज के उत्पादन पर और ध्यान देने की जरूरत है. जो पोषण के लिहाज से भी अधिक और सर्वथा उपयुक्त है. सबसे अधिक जरूरी है खानपान में विलासिता और स्थानीय भोजन से अरुचि छोड़नी होगी.
अमीरों और गरीबों की जीवनशैलियों और उपभोग की क्षमताओं से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के बारे में ये पहली रिपोर्ट नहीं है. संयुक्त राष्ट्र और अन्य संस्थाओं के वैश्विक अध्ययनों में ऐसे तुलनात्मक अध्ययन हो चुके हैं जिनके मुताबिक दुनिया में सबसे अमीर एक प्रतिशत लोग, दुनिया के 50 प्रतिशत सबसे गरीब लोगों के दोगुने से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं.
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत भारत, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 2030 तक 33-35 प्रतिशत की कटौती कर उसे 2005 के स्तर से नीचे लाने और अक्षय ऊर्जा स्रोतों की क्षमता बढ़ाकर 40 फीसदी करने की अपनी दो प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की राह पर है. सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करना भी जरूरी है. गरीबी उन्मूलन की दिशा में व्यवहारिक कदम उठाए जाएं तो विकास के लाभ बनाम पर्यावरणीय नुकसान के असंतुलन को ठीक किया जा सकता है.
नई दिल्ली, 21 जनवरी | आईएएनएस सी-वोटर तिब्बत सर्वे के अनुसार, भारत के लोग तिब्बत में मानवाधिकारों के मुद्दे पर चीन के साथ संबंध खराब करने के लिए तैयार हैं। यह बात इस सर्वेक्षण की सबसे महत्वपूर्ण खोज है। लगभग दो-तिहाई भारतीय चीन के साथ बिगड़ते रिश्ते की कीमत पर भी तिब्बत के मुद्दे का समर्थन करना चाहते हैं। चीन की ब्रांड इक्विटी पिछले एक साल में काफी कमजोर हुई है और अधिकांश भारतीय अपनी धारणाओं में चीन विरोधी बन गए हैं।
विडंबना यह है कि भारत के लोगों को ये पता नहीं है कि तिब्बत में मानव अधिकारों की क्या स्थिति है, इसलिए लोग कई चीजों से अनजान हैं लेकिन लोग चाहते हैं कि भारत सरकार इस पर कड़ा रुख अपनाए।
अधिकांश भारतीयों ने कहा कि वे तिब्बत में चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में कुछ भी नहीं जानते, यह सर्वेक्षण के अनुसार चिंता का कारण होना चाहिए।
अन्य सर्वेक्षणों ने यह बताया कि अधिकांश लोग चीन के उईघुर क्षेत्र में मुसलमानों और हांगकांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में सामान्य रूप से जानते हैं, जो इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कवरेज का संकेत देते हैं।
लेकिन ये भी देखने वाली बात है कि दुनिया तिब्बत के मुद्दे को उईघुर या हांगकांग की तरह पर्याप्त महत्व नहीं देते हैं।
कश्मीर के मुद्दे के विपरीत, ज्यादातर संगठन तिब्बत पर चुप हैं। प्रत्येक तीसरे भारतीय को लगता है कि वे इस मोर्चे पर पर्याप्त नहीं कर रहे हैं।
दो-तिहाई उत्तरदाताओं ने दलाई लामा को आधुनिक भारत के एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया। वास्तव में, लोगों की एक बड़ी संख्या दलाई लामा को एक भारतीय आध्यात्मिक नेता के रूप में मानती है, न कि एक विदेशी के रूप में।
एक तरफ, इसे समावेश करने की एक महान उपलब्धि माना जा सकता है, लेकिन दूसरी तरफ यह बताता है कि चीन के मोर्चे पर आक्रामक नहीं होने से दलाई लामा की तिब्बती ब्रांड पहचान कमजोर हो गई है।
इसलिए, लोगों की एक बड़ी संख्या दलाई लामा को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न के सम्मान का समर्थन करती है। यह भावना पिछले प्रश्नों में उत्तरदाताओं द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं का विस्तार है।
देश भर में 3,000 लोगों पर ये सर्वे किया गया।
--आईएएनएस
चुनाव आयोग ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया है कि इस साल अप्रैल-मई में होने वाले असम विधानसभा चुनावों में वे लोग भी वोट डाल सकेंगे जिनका नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में नहीं है लेकिन मतदाता सूची में है.
हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार में छपी एक ख़बर के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि 29 अगस्त 2019 के केंद्रीय गृह मंत्रालय के नोटिफ़िकेशन में साफ़ है कि जिसका भी नाम एनआरसी में नहीं है उसका यह मतलब नहीं है कि वो व्यक्ति विदेशी घोषित हो चुका है.
उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी व्यक्ति जिसका नाम मतदाता सूची में है वो मतदान कर सकता है जब तक कि ट्राइब्यूनल उसको लेकर कोई फ़ैसला न दे.
31 अगस्त 2019 को प्रकाशित हुई असम की एनआरसी की अपडेटेड सूची में 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं था. (BBC)