राष्ट्रीय
एहतेशाम खान
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज फैमिली प्लानिंग से संबंधित एक याचिका (PIL) से जुड़े मामले में केन्द्र सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल किया है. जनसंख्या नियंत्रण पर केंद्र सरकार का कहना है कि किसी को जबरन फैमिली प्लानिंग के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. टू चाइल्ड के नियम यानी सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की बाध्यता का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आज हलफनामा दाखिल किया. केंद्र सरकार ने अपने हलाफनमे में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस देश ने भी बच्चे पैदा करने की बाध्यता के लिए कानून बनाया है उसका नुक़सान ही हुआ है. ऐसा करने पर पुरुष और महिला की आबादी में संतुलन बनाना मुश्किल होता है.
यह कहा गया है सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में
सुप्रीम कोर्ट में बढ़ती जनसंख्या पर परेशानी जताते हुए एक याचिका दाखिल की गई है. याचिका में मांग की गई है कि देश में हर दम्पत्ति को सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की इजाज़त होनी चाहिए. इससे देश की जनसंख्या को नियंत्रित किया जाए. लेकिन केंद्र सरकार इस सुझाव का विरोध कर रही है.
गोबर, मिट्टी और दालों से बने नए घर में इसलिए कुमार विश्वास का रंग हो गया सांवला!
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि पिछले दो सेंसस के डेटा से पता चलता है कि लोग खुद ही दो बच्चे का ही परिवार रखना चाहते हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि भारत में फैमिली प्लैनिंग के लिए लोगों को अपने हालात और ज़रूरत के हिसाब से नियंत्रित करने की आज़ादी दी गई है. इसे किसी पर जबरन लागू नहीं किया जा सकता.
बीजेपी के सांसद भी कर चुके हैं पीएम मोद से डिमांड
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी मांग होने लगी थी. राज्यसभा सदस्य डॉ. अनिल अग्रवाल ने देश में लगातार बढ़ रही आबादी को काबू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आगामी संसद सत्र में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक पेश करने की अपील की थी. डॉक्टर अग्रवाल ने शुक्रवार को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से ये अपील की.
डॉक्टर अग्रवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, ‘आपने 15 अगस्त 2019 के अवसर पर देश में जनसंख्या नियंत्रण की जो जरूरत बताई थी, अब उस संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप आगामी संसद सत्र में इस संबंध में उचित विधेयक लाने पर विचार करें.’
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | भारत सरकार द्वारा बनाई गई नई शिक्षा नीति को किस प्रकार से लागू किया जाए, इसके लिए टास्क फोर्स गठित की जा रही है। विभिन्न शिक्षण संस्थान, केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपने स्तर पर टास्क फोर्स का गठन कर रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षण संस्थानों द्वारा की गई इस पहल का स्वागत किया है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इस टास्क फोर्स की रिपोर्ट को भी अंतिम रूप देना शुरू कर दिया गया है। यह टास्क फोर्स महेंद्रगढ़ केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति आरसी कुहाड़ के नेतृत्व में काम कर रही है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "हमने इस दिशा में शिक्षक पर्व, विजिटर कॉन्क्लेव, गवर्नर कॉन्क्लेव, एजुकेशन कॉन्क्लेव जैसे तमाम कदम उठाए हैं। यह बेहद हर्ष की बात है कि नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन हेतु विभिन्न संस्थान, राज्य, केंद्र शासित प्रदेश अपने-अपने स्तर पर टास्क फोर्स का गठन कर रहे हैं तथा नीति को सफल बनाने के लिए प्रभावी कदम बढ़ा चुके हैं।"
केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरसी कुहाड़ ने आईएएनएस से कहा, "हमारा लक्ष्य विश्वविद्यालय के स्तर पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का प्रारूप तैयार करना है। राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व शिक्षा मंत्रालय के समक्ष भी इस नीति को सफलता के साथ लागू करने की दिशा में आवश्यक सुझाव प्रस्तुत करना है। इसके लिए एक विस्तृत दस्तावेज तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा कि यही वजह है कि 34 वर्षो के लंबे अंतराल के बाद आई हमारी इस नीति को ग्राम पंचायत से लेकर प्रधानमंत्री तक, शिक्षक से लेकर शिक्षाविद तक, छात्र से लेकर अभिभावक तक एक 'अद्भुत स्वीकार्यता' मिली है, जो इसे 21वीं सदी के नए भारत के 'विजन डॉक्यूमेंट' के रूप में स्थापित करती है।
केंद्रीय मंत्री ने सभी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए आह्वान करते हुए कहा, "इस नीति द्वारा एक ऐसा वैश्विक नागरिक तैयार होगा जो अपने मूल्य और संस्कृति से तो जुड़ा ही रहेगा, साथ ही उसमें वैश्विक संस्कृति, वैश्विक भाषा तथा वैश्विक समाज के प्रति भी एक गंभीर समझ विद्यमान होगी। वह अपनी मातृभाषा एवं भारतीय भाषाओं को पूरे सम्मान एवं आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाएगा। मैं आप सभी लोगों का आह्वान करता हूं कि आप अपनी एक्सपर्टीज, विद्या, ज्ञान का दान करें तथा नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन में अपना अभूतपूर्व योगदान दें।"
टास्क फोर्स के सुझावों में गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम, बहुविषयक अवसर, उपयोगी कार्ययोजना का समावेश आवश्यक है। विश्वविद्यालय विभागीय स्तर पर विजन-मिशन के साथ-साथ विश्वविद्यालय के स्तर पर भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से प्रेरित सह-सहयोगी विजन-मिशन निर्धारित कर रहे हैं, ताकि माइक्रो स्तर पर इस नई नीति का क्रियान्वयन सम्भव हो और कम समय में निर्धारित परिणाम प्राप्त हों।(आईएएनएस)
काईद नजमी
मुंबई, 12 दिसम्बर | भारतीय मर्चेट नेवी नाविकों के सबसे बड़े संगठन ने मांग की है कि सभी समुद्री नाविकों को बहुप्रतीक्षित कोविड-19 वैक्सीन 'सर्वोच्च प्राथमिकता' पर दी जाए, क्योंकि उन्होंने महामारी के दौरान 10 महीने के राष्ट्रव्यापी बंद के समय आर्थिक इंजनों को चालू रखा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में नेशनल यूनियन ऑफ सीफर्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) ने कहा है कि महामारी के दौरान जब दुनिया में जमीन पर सड़कें बंद थीं, यहां तक कि वैश्विक आसमान भी निष्क्रिय था, क्योंकि सभी गैर-जरूरी उड़ानें भी बंद हो चुकी थीं, तब व्यापारिक नौसेना (मर्चेट नेवी) के जहाज ही लगातार काम कर रहे थे और उस कठिन समय के दौरान भी नाविकों ने समुद्र में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।
एनयूएसआई महासचिव अब्दुलगानी वाई. सेरांग ने आईएएनएस से कहा, "उस कठिन समय में, दुनिया में केवल व्यापारिक नौसेना (मर्चेंट नेवी) के जहाज चल रहे थे, सक्रिय थे और उन्होंने बिना रुके काम किया था। उन्होंने खाद्यान्न से लेकर ईंधन तक सभी आवश्यक वस्तुओं के थोक भार (बल्क लोड) का परिवहन करके मानवता के लिए एक सेवा प्रदान की।"
उन्होंने बताया कि भारतीय मर्चेट नेवी के समुद्री नाविकों के समर्पण और जुनून ने यह सुनिश्चित किया कि समुद्री मार्गो के माध्यम से राष्ट्र की आर्थिक जीवनरेखा हमेशा खुली रहे और दुनिया भर में स्वास्थ्य संकट के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार को किसी भी तरह से नुकसान न पहुंचे।
एनयूएसआई के प्रवक्ता सुनील नायर ने कहा, "हमारे पास वर्तमान में दुनिया भर के सभी समुद्रों और महासागरों में लगभग 2.40 लाख समुद्री नाविक हैं। इनमें से लगभग एक-तिहाई भारतीय-ध्वजवाहक जहाजों पर हैं और बाकी विदेशी जहाजों पर हैं, लेकिन उन्होंने देश की जरूरत के समय में समान उत्साह के साथ प्रदर्शन किया।"
सेरांग ने कहा कि आवश्यक सेवाओं के रखरखाव अधिनियम, 1968 के तहत देश की अर्थव्यवस्था में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए सरकार की ओर से एक आवश्यक सेवा के रूप में समुद्री सेवाओं को शामिल किया गया है।
सेरांग ने कहा, "हम जो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, उसे देखते हुए, एनयूएसआई चाहता है कि कोविड-19 वैक्सीन देने के लिए सभी समुद्री नाविकों को सरकार की 'प्राथमिकता सूची' में शामिल किया जाए। इसके साथ ही हम राष्ट्र के लिए एक सेवा के रूप में सभी एनयूएसआई सदस्यों के लिए वैक्सीन की पूरी लागत वहन करने के लिए भी तैयार हैं।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | भारत ने कोविड-19 महामारी को लेकर देखभाल के सभी स्तरों को बेहतर करने के लिए 2020-2021 के लिए 20.6 अरब डॉलर की परोपकारी निधि में से 2 अरब डॉलर देने का वादा किया है। इससे महिलाओं, बच्चों, किशोरों और सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के लिए जरूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम होगा। यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में प्रगति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को आयोजित वैश्विक स्वास्थ्य शिखर सम्मलेन 'लाइव्स इन द बैलेंस' के मौके पर इन प्रतिबद्धताओं के बारे में बताया गया।
इस महामारी ने महिलाओं, नवजात शिशुओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं को लेकर 3 दशकों के लिए खतरा पैदा कर दिया है।
1 हजार से ज्यादा संगठनों के गठबंधन, द पार्टनरशिप फॉर मेंटल, न्यूबोर्न एंड चाइल्ड हेल्थ (पीएमएनसीएच) के वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, महामारी का प्रकोप होने के बाद से आवश्यक स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सेवाओं में आई रुकावट के कारण इस कमजोर समूह की स्थिति दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित हो रही है।
महिलाओं, नवजात शिशुओं, बच्चों और किशोरों के लिए बिगड़ती सेवाओं को बहाल करने के एक बड़े प्रयास में ऊंची आय वाले समूह निम्न-मध्यम और मध्यम आय वाले देशों के समूह की सुरक्षा के लिए 20.6 अरब डॉलर देने का वादा कर रहे हैं। इसमें से 6.6 अरब डॉलर (32 प्रतिशत) निम्न और मध्यम-आय वाले देशों द्वारा खुद दी गई है, जिसमें अफगानिस्तान, भारत, केन्या, लाइबेरिया और नाइजीरिया शामिल हैं। वहीं 14 अरब डॉलर (68 प्रतिशत) जर्मनी, कनाडा, स्वीडन, ब्रिटेन, अमेरिका और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से दी गई है।
105 देशों के हालिया डब्ल्यूएचओ आंकड़ों से पता चलता है कि 90 प्रतिशत देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं में रुकावट का अनुभव किया है, जिनमें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तो सबसे ज्यादा मुश्किलें हुई हैं। इसमें टीकाकरण, परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक सेवाएं प्रमुख हैं।
दुनियाभर में 2000 से 2017 के बीच मातृ मृत्युदर में 38 प्रतिशत की गिरावट आई है। फिर भी 2017 में लगभग 25 हजार महिलाएं गर्भावस्था और प्रसव के दौरान हर महीने मर रही थीं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर में भी 1960 के बाद कमी आई, लेकिन अब भी हर साल 5 साल से कम उम्र के 52 लाख बच्चे ऐसे कारणों से मर रहे हैं, जिन्हें रोका जा सकता है।
पीएमएनसीएच ने महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में बेहतरी के लिए कोविड-19 के विनाशकारी प्रभावों के जवाब में सात-सूत्रीय प्रोग्राम शुरू किया है। इसमें दुनिया के नेताओं से आह्वान किया गया है कि वे कोविड-19 की प्रतिक्रिया के दौरान अपने अधिकारों और स्वास्थ्य की रक्षा करें और उसे प्राथमिकता दें। इसके लिए वे विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों की अहम स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता, नीतियों और वित्तपोषण को मजबूत करे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर| फेसबुक से हुई दोस्ती के बाद 18 वर्षीय युवक ने एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण कर लिया, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर लिया। लड़की को बदरपुर बॉर्डर पर ट्रेस कर बचाया गया, जहां आरोपी शोएब खान ने उसे 1 महीने के भीतर कम से कम चार राज्यों में घुमाने के बाद एक ऑटोरिक्शा में छोड़ भाग निकला।
लड़की के परिजनों ने अक्टूबर में रजौरी गार्डन पुलिस स्टेशन में अपहरण का मामला दर्ज किया था, जिसके बाद छानबीन के लिए पुलिस की एक टीम गठित की गई थी।
पुलिस के मुताबिक, शोएब खान ने पीड़िता को उसके साथ शादी करने के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया। शोएब 22 अक्टूबर को दिल्ली आया और लड़की को बिहार के मुजफ्फरपुर ले गया और बाद में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ चला गया।
फिर वह उसे वापस दिल्ली लाकर ऑटोरिक्शा में छोड़ दिया, जिसके बाद पुलिस ने उसे बचाया।
डीसीपी वेस्ट दिल्ली के दीपक पुरोहित ने कहा, "आरोपी राजस्थान के अलवर जिले का निवासी है। उसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | एजेंसियां आरोप लगा रही हैं कि हरियाणा के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के संस्थापक गुरनाम सिंह चादुनी का आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से करीबी रिश्ता है। इस बारे में इंटेलिजेंस को जानकारी मिली है। गुरनाम सिंह कुरुक्षेत्र के एक प्रसिद्ध किसान नेता हैं। वह हरियाणा में किसानों के मुद्दों को लेकर कई आंदोलनकारी कार्यक्रम आयोजित करते आए हैं और अन्य राज्यों के किसान नेताओं के साथ समन्वय भी बनाकर रखते हैं। उन्होंने 2004 में बीकेयू/जी की स्थापना की थी। बीकेयू का यह गुट पहले टिकैत से संबद्ध था, लेकिन अब यह एक स्वतंत्र संगठन है।
गुरनाम सिंह अक्सर कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, सोनीपत, रोहतक, करनाल, अंबाला, पंचकूला और हिसार क्षेत्रों का दौरा करते रहते हैं, ये क्षेत्र उनके संगठन के गढ़ हैं। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, वह चाहता है कि उसे राष्ट्रीय स्तर के किसान नेता के रूप में पहचाना जाए।
बीकेयू-टी के अध्यक्ष एम.एस.राकेश के बेटे होने के कारण राकेश टिकैत ने इसकी बैठक/आंदोलनों में सक्रियता से भाग लिया। उन्होंने संघ की गतिविधियों का आयोजन भी किया और निगरानी भी की। 28 जनवरी, 2004 को बीकेयू-टी की राजनीतिक शाखा भारतीय किसान दल (बीकेडी) के गठन के बाद उन्हें इसका अध्यक्ष बनाया गया। बीकेडी ने 2004 में संसदीय चुनाव और 2007 में विधानसभा चुनाव लड़ा और असफल रहा।
बीकेयू/मान के राज्य महासचिव बलवंत सिंह बेहरामके मोगा क्षेत्र में किसानों से संबंधित मुद्दे पर बहुत सक्रिय नहीं हैं। वह क्षेत्र में सिख कट्टरपंथी संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और वे जरनैल सिंह भिंडरावाले के अनुयायी हैं। वह राज्य में अपवित्रीकरण की घटनाओं के बाद प्रदर्शन करने वाले संगठनों के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
उधर, 2008 में 77 वर्षीय बलबीर सिंह राजेवाल ने बीकेयू/एमआर से इस्तीफा दे दिया और बीकेयू/राजेवाल का गठन किया जिसके वे राज्य के अध्यक्ष हैं। वह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर किसानों से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रहते थे और किसानों के मुद्दों को उठाते थे।
खुफिया इनपुट के आधार पर उनके पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और शिअद के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से अच्छे संबंध हैं। वह पंजाब की जानी-मानी हस्ती हैं। 1990 के दशक में बीकेयू के मूल संगठन से अलग हो जाने के बाद से अपने गुट का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें बीकेयू के संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने का श्रेय दिया जाता है। उनके गहरे नॉलेज और अनुभव ने उन्हें पंजाब में किसान आंदोलन का 'थिंक टैंक' बना दिया है।
केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत के दौरान किसानों को लेकर उनके चतुर दृष्टिकोण को एक संपत्ति के रूप में देखा जाता है। विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में 31 यूनियनों की बैठकों के दौरान उभरी अलग-अलग राय को एकजुट रखने में भी उनकी वरिष्ठता का उपयोग हुआ है। उन्होंने ही इस विरोध के लिए मांगों का चार्टर तैयार किया है। साथ ही उन्होंने कभी भी किसी भी पार्टी से कोई भी राजनीतिक पद को स्वीकार नहीं किया और ना चुनाव लड़ा।
कीर्ति किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष निर्भय सिंह धुडिके कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही नक्सली आंदोलन में शामिल हो गए थे। 1970 में गांव में उन्होंने सरकार विरोधी पोस्टर चिपकाए। उन्हें कॉलेज के छात्र संघ का सचिव भी चुना गया। इसके बाद उन्होंने पंजाब छात्र संघ (एम/एल) द्वारा 1972 के कुख्यात मोगा फायरिंग प्रकरण में 2 छात्र नेताओं की हत्या के बाद आंदोलन में उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया और मोगा-चंडीगढ़ के बीच एक सरकारी बस में आग लगा दी थी। इसके बाद उन्होंने कई और धरने-प्रदर्शनों में अहम भूमिका निभाई।
गिरफ्तार भाकपा-माओवादी कैडर जय प्रकाश दुबे को पकड़ने के लिए जनवरी 2009 में उनके घर पर जालंधर पुलिस ने छापेमारी भी की थी। लेकिन खुफिया इनपुट के मुताबिक, पुलिस इस मामले को आगे नहीं बढ़ा पाई, क्योंकि छापे से पहले ही वह उनके घर से भागने में कामयाब हो गया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच किसानों के मुद्दे और मौजूदा समय चल रहे आंदोलन को सुलझाने पर चर्चा हुई। दुष्यंत चौटाला ने किसानों के मुद्दों से राजनाथ सिंह को अवगत कराते हुए उसका हल निकालने के लिए जरूरी सुझाव भी दिए। दोनों नेताओं के बीच यह मीटिंग इसलिए भी अहम है कि सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को किसान संगठनों की ओर से खारिज किए जाने के बाद फिलहाल दोनों तरफ से बातचीत का सिलसिला रुका हुआ है।
केंद्र सरकार की ओर से तैयार तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलित है। दिल्ली सीमा पर किसानों का आंदोलन चल रहा है। दुष्यंत चौटाला की पार्टी का हरियाणा के किसानों के बीच अच्छा जनाधार माना जाता है। उनकी पार्टी के कुछ विधायक किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। दुष्यंत चौटाला पूर्व में कह चुके हैं कि किसानों की एमएसपी पर वह किसी तरह की आंच नहीं आने देंगे। अगर किसानों की एमएसपी प्रभावित हुई तो वह उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। (आईएएनएस)
लखनऊ ,12 दिसम्बर | उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रामनगरी अयोध्या का कायाकल्प करने के लिए नित नए कदम उठा रही है। इसको और भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए 343 और गांवों को अयोध्या में शामिल करने की मंजूरी प्रदान की है। सरकार ने अयोध्या विकास प्राधिकरण क्षेत्र में कुल 343 गांवों को शामिल करने का फैसला किया है। इन गांवों के शामिल होने के बाद विकास प्राधिकरण का क्षेत्र 872़81 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
अयोध्या में जन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए सरकार नई अयोध्या बसा रही है। अयोध्या के 154 राजस्व गांव, गोंडा के 63 और बस्ती के 126 गांव को अयोध्या विकास क्षेत्र में शामिल किया गया है। यहां की आबादी सन 2011 की जनगणना के आधार पर 8,73,373 है।
धार्मिक व पुरातात्विक लिहाज से अति महत्वपूर्ण इस शहर को आधुनिक तरीके से विकसित करने को लेकर सरकार ने गंभीर पहल की है। अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। चूंकि अयोध्या में दुनिया भर से पर्यटक आते हैं और राम मंदिर बनने के बाद इनकी संख्या के और बढ़ने की संभावना है। इसलिए सरकार ने शहर के विस्तार की रूपरेखा तैयार कराई है।
अयोध्या विकास क्षेत्र में अयोध्या नगर निगम का पूरा क्षेत्र, अयोध्या की भदरसा नगर पंचायत और गोंडा जिले में आने वाले नवाबगंज पालिका परिषद को शामिल किया गया है। नवाबगंज पालिका परिषद अयोध्या से बिल्कुल सटा हुआ है। अयोध्या विकास क्षेत्र में नवाबगंज पालिका परिषद का पूरा क्षेत्र शामिल किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि सरकार का मकसद किसानों की माली हालत में सुधार लाना है और इसके लिए चौतरफा प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों और कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है और इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अहम कदम उठाए गए हैं, जिनका लाभ किसानों को मिलना शुरू भी हो गया है।
ईलेट्स टेक्नो मीडिया द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नॉलेज एक्सचेंज समिट के दसवें संस्करण का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से भी किसानों को फायदा पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास किसानों का बड़ा डाटा बैंक होगा, जिससे मिट्टी की जांच, बाढ़ की चेतावनी, सैटेलाइट की तस्वीरों से लेकर जमीन के राजस्व रिकॉर्ड जैसी सूचनाएं उन्हें घर बैठे ही मिलेंगी।
उन्होंने कहा, "सरकार का उद्देश्य है कि किसानों की माली हालत सुधरे, कृषि क्षेत्र फायदे में आए व नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित हो।"
देश में कृषि सुधारों के विषय पर आयोजित इस समिट में बतौर मुख्य अतिथि तोमर ने कहा कि कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में बीते कुछ समय में कई नए आयाम जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा है और राज्यों के साथ मिलकर गांवों का विकास करना और गरीबों व किसानों के जीवन में खुशहाली लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है जिसे हासिल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
तोमर ने कहा, "हमारे गांव और कृषि क्षेत्र बरसों से इस देश की ताकत रहे हैं, जिन्हें और मजबूत करने पर सरकार का पूरा ध्यान है। इसी कड़ी में आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्च र फंड की ऐतिहासिक शुरूआत हो चुकी है। इसका उपयोग गांवों में कृषि इंफ्रास्ट्रक्च र तैयार करने में किया जाएगा। इस फंड से कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने के लिए लोन दिया जाएगा।"
कृषि मंत्री ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जब गांव-गांव में बुनियादी ढांचे तैयार होंगे तो किसान अपनी उपज को कुछ समय रोक कर रख पाएंगे जिससे उनको बाद में उचित मूल्य पर बेचने में सक्षम होंगे।
तोमर ने कहा कि छोटी-छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स गांव-गांव में खुलने से किसानों को लाभ मिलेगा और रोजगार के अवसर खुलेंगे। इससे किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम मिलने लगेगा।
उन्होंने कहा कि एक और महत्वपूर्ण स्कीम 10 हजार एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन बनाने की प्रारंभ की गई है, जिस पर केंद्र सरकार 6,850 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से, छोटे-मझौले किसानों, जिनकी निवेश की शक्ति कम होती है, जोत का रकबा छोटा होता है और वे महंगी फसलों के लिए निवेश करने में सक्षम नहीं होते है, उन्हें संगठित किया जाएगा ताकि उनके खेती के खचरें में कमी आएं, उन्हें आधुनिक तकनीकों का लाभ मिले, उनके लिए मार्केटिंग की सुविधा विकसित हो व इन सबसे उनकी आय बढ़े।
उन्होंने कहा कि नए एफपीओ को क्रांतिकारी कदम के रूप में माना जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि से सम्बद्ध सेक्टरों के लिए भी सरकार ने करीब 50 हजार करोड़ रुपये के पैकेजों सहित अन्य उपा किए हैं जिसका फायदा किसानों को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि, किसानों की आय बढ़ाने एवं उनके जीवन स्तर में आमूलचूल बदलाव लाने के उद्देश्य से नए कृषि कानून बनाए हैं, जिनसे सिर्फ और सिर्फ किसानों के हितों का संरक्षण किया गया है। (आईएएनएस)
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 12 दिसंबर )| मोदी सरकार की ओर से तैयार नए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग अधिनियम के तहत मध्य प्रदेश में पहली कार्रवाई हुई है। कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद कंपनी ने धान नहीं खरीदा तो केंद्र सरकार के नए कानून के तहत कार्रवाई होने पर किसानों का धान फिर से खरीदने पर कंपनी राजी हुई है। मध्य प्रदेश के कृषि विभाग ने शिकायत मिलने पर 'किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020' के नियम-कायदों के अनुसार कार्रवाई करते हुए किसानों को न्याय दिलाया है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया तहसील के भौखेड़ी सहित अन्य गांवों के किसानों से मंडी के उच्चतम मूल्य पर धान खरीदी करने के लिए जून 2020 में फोर्चून राईस लि.कंपनी दिल्ली ने लिखित करार किया था। कंपनी ने शुरू में अनुबंध के अनुसार धान की खरीद की। लेकिन, संबंधित धान के भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल होने पर नौ दिसंबर को कंपनी के कर्मचारियों ने खरीदी बंद कर फोन बंद कर लिए।
10 दिसंबर को भौखेड़ी के किसान पुष्पराज पटेल और ब्रजेश पटेल ने एसडीएम पिपरिया को शिकायत की। शिकायत पर जिला प्रशासन ने कृषि विभाग से मार्गदर्शन मांगा। कृषि विभाग ने उन्हें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग एक्ट की धारा 14 के तहत सर्वप्रथम बोर्ड के गठन की कार्रवाई करने और फिर भी व्यापारी के न मानने पर उसके खिलाफ आदेश पारित करने की सलाह दी।
इस मामले में एसडीएम पिपरिया की कोर्ट ने समन जारी कर फॉर्चून राइस लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधि को 24 घंटे मे जवाब के लिए तलब किया। एसडीएम कोर्ट से जारी समन पर फॉर्चून राइस लिमिटेड के डायरेक्टर अजय भलोटिया ने जबाव प्रस्तुत किया। जिस पर 'कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण)अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020' की धारा 14(2)(ए) के तहत गठन किया। बोर्ड में तहसीलदार पिपरिया और किसानों के प्रतिनिधि को शामिल किया गया।
बोर्ड के समक्ष कंपनी ने 9 दिसंबर के पहले अनुबंध अनुसार उच्चतम दर पर धान क्रय करना स्वीकार किया और बाजार मूल्य बढ़ जाने पर खरीदी अनुबंध के अनुसार नहीं करने की बात मान ली गयी। बोर्ड में सहमति के आधार पर फॉर्चून राइस लि.कंपनी दिल्ली ने अनुबंधित कृषकों से 2950 रुपये के साथ 50 रुपये बोनस कुल 3,000 प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने के लिए सहमति दी।
अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार नए कृषक कानून के माध्यम से शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर किसानों को अनुबंध अनुसार उच्चतम कीमत दिलाई जा सकी। इस फैसले से अनुबंध के अनुसार किसान अपनी उपज कंपनी को बेच पाएंगे। उनके हितों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं होगा। (आईएएनएस
नई दिल्ली, 12 दिसंबर| आंदोलनकारी किसान संघों ने 3 कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में शनिवार को भारत को 'टोल-फ्री' देश बनाने के लिए देशभर के अपने कैडरों के बीच एक संदेश भेजा है। यह संदेश एक दिन पहले ही भेज दिया गया था और इसकी घोषणा गुरुवार और शुक्रवार को दिल्ली-चंडीगढ़ राजमार्ग पर सिंघू सीमा पर आयोजित किसानों की बैठक में की गई थी। कुछ प्रतिनिधियों के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसानों की एक विशेष शाखा अपना निर्धारित विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए दिल्ली-गुड़गांव टोल प्लाजा की ओर बढ़ गई है।
भारतीय किसान यूनियन (पंजाब) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने आईएएनएस को बताया कि वे शनिवार को पूरे देश को इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "हम दिल्ली-गुड़गांव टोल प्लाजा से शुरू करेंगे और इसी तरह के कदम हमारे समर्थक पूरे देश में उठाएंगे।"
लाखोवाल ने यह भी कहा कि उन्होंने दिल्ली-जयपुर राजमार्ग को भी बंद करने की योजना बनाई है। किसानों ने पहले से ही कुंडली, टिकरी, पलवल और गाजीपुर सीमाओं को बंद कर दिया है। यह सीमाएं दिल्ली को हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश से जोड़ती हैं। किसान नेता ने कहा कि 14 दिसंबर को किसान सभी जिला मुख्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष (हरियाणा) गुरनाम सिंह ने आईएएनएस को बताया कि शनिवार के लिए किसानों का एजेंडा एक दिन के लिए भारत को 'टोल मुक्त' बनाना है। उन्होंने कहा, "हमने आज (शनिवार) के लिए टोल नाकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क को रोकने का फैसला किया है।"
बता दें कि मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान सितंबर में पारित हुए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर 20 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 5 दौर की वार्ताओं के बाद भी किसानों और सरकार के बीच अभी भी मामला सुलझ नहीं पाया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर| किसानों के विरोध प्रदर्शन के 17 वें दिन शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को केंद्र सरकार की भावनाओं और उनके कल्याण के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में एक ताजा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सरकार केवल किसानों के हितों की रक्षा के लिए तीन कृषि कानूनों को लेकर आई है। सरकार किसानों और कृषि क्षेत्र को अधिक समृद्ध बनाने के लिए सभी उपायों को अपना रही है। चूंकि किसान संसद के मानसून सत्र के दौरान सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी पहली और प्रमुख मांग पर अड़े हुए हैं, मंत्री ने कहा कि नए कानून किसानों के जीवन में बड़े बदलावों के लिए लाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की उपज का उचित मूल्य प्रदान करने, उनकी आय बढ़ाने और उनके जीवन में आवश्यक बदलाव लाने के लिए कानून लाई है।
2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार की प्राथमिकता को दोहराते हुए, तोमर ने कहा कि सरकार न केवल किसानों की वित्तीय स्थिति को बेहतर करने के लिए नई योजनाओं के माध्यम से विभिन्न उपाय कर रही है, बल्कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश भर में किसान 10.5 करोड़ से अधिक किसानों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है ।
उन्होंने कहा कि किसानों के लिए एक डेटा बैंक उन्हें उनके घरों पर आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा।
तीन दिवसीय 10 वें इंटेलिजेंस नॉलेज एक्सचेंज समिट में बोलते हुए, मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने किसानों को लाभ पहुंचाना शुरू कर दिया है।
तोमर ने कहा कि सरकार का एकमात्र मकसद किसानों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाना, कृषि क्षेत्र को लाभ प्रदान करना और नई पीढ़ी को खेती की ओर आकर्षित करना है।
यह देखते हुए कि किसान वर्षो से देश की ताकत रहे हैं, मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने गांवों में कृषि बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि बुनियादी ढांचा कोष स्थापित किया है।
कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, ग्रेडिंग और पैकेजिंग इकाइयों की स्थापना के लिए भी फंड का उपयोग किया जाएगा, मंत्री ने कहा कि सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है, जो किसानों को सही समय पर उनकी उपज को बेचने में मदद करेगा।
परियोजना के बारे में बताते हुए, मंत्री ने कहा कि किसानों को लाभान्वित करने के लिए गांवों में छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां खोली जाएंगी। किसान किसी विशेष समय के लिए अपनी उपज का स्टॉक कर सकते हैं और तब बेच सकते हैं जब उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी।
तोमर ने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए और किसानों के कल्याण के लिए 50,000 करोड़ रुपये का पैकेज पेश किया है और पैकेज के तहत एक-एक करके कदम उठाए जा रहे हैं। (आईएएनएस)
चेन्नई, 12 दिसम्बर | मद्रास हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीबीसीआईडी) को सुराणा कॉर्पोरेशन लिमिटेड से केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जब्त किए 400.47 किलोग्राम सोने में से गायब हुए 103.864 किलोग्राम सोने की जांच के आदेश दिए हैं। यह 103.864 किलोग्राम सोना तब गायब हुआ, जब इसे सुराणा कॉर्पोरेशन के परिसमापक (लिक्विडेटर) को सौंपा गया था।
हाईकोर्ट का फैसला शुक्रवार को आया है।
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि जब कई साल पहले इसे जब्त किया गया था, तो उस दौरान इसे इकट्ठा तौला गया था और जब परिसमापक को यह सौंपा गया, तो हर एक चीज का वजन अलग-अलग से नापा गया। इस वजह से अंतर है।
सीबीआई के मुताबिक, जब्त किए गए सोने को सुराणा कॉर्पोरेशन के वॉल्ट में रखा गया था और इसकी चाबी एक विशेष अदालत को सौंप दिया गया था।
सीबीसीआईडी की जांच के खिलाफ सीबीआई ने यह कहते हुए आपत्ति जताया था कि इससे संस्था की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी इस आपत्ति को खारिज कर दिया और यह कहते हुए जांच के आदेश दिए कि सभी पुलिसकर्मियों पर भरोसा किया जाएगा।
अदालत ने परिसमापक सी. रामासुब्रमण्यम को सीबीसीआईडी के साथ शिकायत दर्ज करने का भी आदेश दिया है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 12 दिसंबर | पंजाब और हरियाणा समेत दिल्ली हाईवे पर स्थित सभी टोल प्लाजा पर शनिवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कब्जा कर लिया है। उन्होंने यहां से गुजर रहे वाहनों को बिना कोई शुल्क दिए गुजरने दिया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के गृहनगर करनाल में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग -44 पर बस्तरा टोल प्लाजा और करनाल-जींद राष्ट्रीय राजमार्ग 709-ए पर पिऑन्ट टोल प्लाजा को बंद कर दिया है।
किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए दोनों राज्यों में पुलिस तैनात की गई है।
किसानों ने आधी रात से ही बस्तरा टोल प्लाजा को बंद कर किया है और यात्रियों को बिना शुल्क दिए यहां से जाने दे रहे हैं। वहीं पिऑन्ट टोल प्लाजा को सुबह से शुल्क मुक्त कर दिया गया।
किसानों ने आंदोलन के 17 वें दिन यह कदम उठाया है और उनके इस आंदोलन के और तेज होने की उम्मीद है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 12 दिसम्बर | विपक्षी दल के नेता रमेश चेन्निथला ने शनिवार को जानना चाहा कि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन कहां हैं क्योंकि वह लोगों के बीच में नजर नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि केरल निकाय चुनाव के प्रचार में भी वह नहीं नजर आए। कासरगोड में मीडिया से बात करते हुए चेन्निथला ने कहा कि कोई समझ ही नहीं पा रहा है कि विजयन को क्या हुआ है।
चेन्निथला ने कहा, "उनका कोई अता-पता नहीं है और हमनें सुना है कि कुछ दिनों पहले वह कन्नूर में अपने होमटाऊन पहुंचे हुए थे, जहां सोमवार को चुनाव होने हैं। जिस वक्त उन्हें चुनाव के मैदान में सबसे आगे रहने की जरूरत है, उस वक्त वह छुप रहे हैं।"
मतदान का अंतिम और तीसरा चरण सोमवार को है। इस दिन केरल के चार उत्तरी जिलों में मतदान होना है। (आईएएनएस)
एक भारतीय नेटवर्क पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुष्प्रचार अभियान चलाने के 'ईयू डिसइन्फ़ोलैब' के आरोपों को भारत ने पूरी तरह ख़ारिज किया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि एक ज़िम्मेदार लोकतंत्र के तौर पर भारत ने ग़लत सूचनाएं फैलाने का अभियान नहीं चलाया. ऐसा करने वाला भारत नहीं बल्कि पड़ोसी है जो आंतकवादियों को पनाह देता है और ऐसे अभियान चलाता है.
यूरोपीय यूनियन में फ़ेक न्यूज़ पर काम करने वाले एक संगठन' ईयू डिसइन्फ़ोलैब' ने दावा किया है कि पिछले 15 सालों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नेटवर्क काम कर रहा है जिसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बदनाम करना और भारत के हितों को फ़ायदा पहुँचाना है.
ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस काम के लिए कई निष्क्रिय संगठनों और 750 स्थानीय फ़र्ज़ी मीडिया संस्थानों का इस्तेमाल किया गया.
शुक्रवार को एक प्रेस कॉऩ्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इस मामले पर भारत का पक्ष रखा.
साथ ही उन्होंने ग़लत सूचनाएं फैलाने के लिए परोक्ष रूप से पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया. हालांकि, उन्होंने साफ़तौर पर पाकिस्तान का नाम नहीं लिया.
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ''ग़लत सूचनाएं वो लोग फैलाते हैं जिनका छुपाने का रिकॉर्ड रहा है जैसे ओसामा बिन लादेन सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ढूंढे जा रहे आंतकवादियों को पनाह देना और 26/11 के मुंबई हमले में अपनी भूमिका को छुपाने के असफल प्रयास करना.''
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ''एक ज़िम्मेदार लोकतंत्र होने के नाते भारत ग़लत सूचनाएं फैलाने का अभियान नहीं चलाता है. बल्कि, अगर आप ग़लत सूचनाएं देखना चाहते हैं तो सबसे अच्छा उदाहरण है पड़ोसी जो काल्पनिक और मनगढ़ंत डोज़ियर देता रहा है और लगातार फेक न्यूज़ फैलाता रहा है.''
ईयू डिसन्फ़ोलैब की रिपोर्ट
ईयू डिसइन्फ़ोलैब का कहना है कि "पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम" करने और संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार काउंसिल और यूरोपीय संसद में फ़ैसलों को प्रभावित करने के इरादे से इस नेटवर्क को बनाया गया था.
इस दुष्प्रचार अभियान के लिए जिस व्यक्ति की पहचान चुराई गई उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के जनक में से एक माना जाता है. उनकी मौत साल 2006 में ही हो गई थी. तब वो 92 साल के थे.
'इंडियन क्रोनिकल्स' के नाम से बनी इस जाँच रिपोर्ट को इसी बुधवार प्रकाशित किया गया था.
बीते साल ईयू डिसइन्फ़ोलैब ने आंशिक तौर पर इस नेटवर्क का पर्दाफ़ाश किया था लेकिन अब संस्था का कहना है कि ये अभियान पहले उन्हें जितना शक था उससे कहीं अधिक बड़ा और विस्तृत है.
हालांकि, रिपोर्ट में इस नेटवर्क का भारत सरकार से कोई सीधा संबंध होने की बात नहीं की गई है. इससे जुड़े कोई सबूत नहीं मिले हैं.
बीते साल शोधकर्ताओं को दुनिया के 65 देशों में भारत का समर्थन करने वाली 265 वेबसाइट्स के बारे में पता चला था. इन वेबसाइट्स को ट्रेस करने पर पता चला कि इनके तार दिल्ली स्थित एक भारतीय कंपनी श्रीवास्तव ग्रूप से जुड़े हैं.
लेकिन, मौजूदा रिपोर्ट के मुताबिक श्रीवास्तव ग्रुप की ओर से चलाया जा रहा ये अभियान कम से कम 116 देशों में फैला हुआ है. इसमें यूरोपीय संसद के कई सदस्यों और संयुक्त राष्ट्र के कई कर्मचारियों को निशाना बनाया गया है.
डिसइन्फॉर्मेशन नेटवर्क के जानकार बेन निम्मो ने बीबीसी को बताया कि अब तक उन्होंने जो देखा है "उसमें ये सबसे अधिक जटिल और लगातार काम करने वाला अभियान है." हालांकि वो भी इसे किसी ख़ास संगठन के साथ जोड़ कर देखने से परहेज़ करने की बात कहते हैं.
डिजिटल मॉनिटरिंग कंपनी ग्राफ़िका के जाँच निदेशक निम्मो इंटरनेट पर इस तरह के बड़े ट्रोलिंग अभियानों के उदाहरण देते हैं जो निजी तौर पर चलाए गए थे. वो कहते हैं, "केवल इसलिए कि ये व्यापक तौर पर चलाया गया अभियान है, इसका मतलब ये नहीं कि ये सरकार प्रायोजित है."
प्रोफ़ेसर लुई बी शॉन के नाम का इस्तेमाल
जाँच से पता चलता है कि श्रीवास्तव ग्रूप के इस अभियान की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन यूएनएचसीआर के मौजूदा स्वरूप के अस्तित्व में आने के कुछ महीनों बाद साल 2005 में हुई.
एक एनजीओ जिस पर शोधकर्ताओं का ध्यान गया वो था कमीशन टू स्टडी द ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ पीस (सीएसओपी). ये संगठन साल 1930 में बना और 1975 में इसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता भी मिली लेकिन 1970 के दशक के आख़िरी सालों में इस संगठन ने अपना काम बंद कर दिया था.
जाँच में पता चला कि सीएसओपी के एक पूर्व चेयरमैन प्रोफ़ेसर लुई बी शॉन का नाम साल 2007 में हुए यूएनएचसीआर के एक कार्यक्रम के सत्र में सीएसओपी के प्रतिभागी, लुई शॉन के तौर पर लिखा था. साल 2011 में वॉशिगटन में हुए एक और कार्यक्रम में भी उनका नाम था.
उनका नाम देख कर शोधकर्ताओं को आश्चर्य हुआ क्योंकि उनकी मौत साल 2006 में हो चुकी थी.
लुई 20वीं सदी के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के जानकारों में अग्रणी थे और 39 सालों तक हावर्ड लॉ फ़ैकल्टी के सदस्य रहे थे.
शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट प्रोफ़ेसर लुई को समर्पित की है और कहा है कि "फ़र्ज़ी तत्वों ने उनके नाम का इस्तेमाल किया."
'इंडियन क्रॉनिकल' के लेखकों का कहना है कि "अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का ग़लत इस्तेमाल करने वालों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने संबंधी ढांचा बनाने के लिए नीतिनिर्माता" उनके शोध के निष्कर्षों का इस्तेमाल कर सकते हैं. (bbc.com)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर| देश में खेती-किसानी से जुड़े नए कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसानों के चल रहे आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सुधारों को बहुत जरूरी बताया है। उन्होंने कहा है कि एग्रीकल्चर और इससे जुड़े सेक्टर में खड़ीं दीवारों और अड़चनों को खत्म किया जा रहा है। जिससे कृषि क्षेत्र में ज्यादा निवेश आने से सबसे ज्यादा फायदा किसानों को होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की 93वीं वार्षिक आम बैठक में कहा, "एग्रीकल्चर सेक्टर और उससे जुड़े अन्य सेक्टर जैसे एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर हो, फूड प्रोसेसिंग हो, स्टोरेज हो, कोल्ड चैन हो इनके बीच हमने दीवारें देखी हैं। अब सभी दीवारें हटाई जा रही हैं, सभी अड़चनें हटाई जा रही हैं।"
उन्होंने कहा कि इन रिफॉर्म्स के बाद किसानों को नए बाजार मिलेंगे,नए विकल्प मिलेंगे, टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, देश का कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक होगा। इन सबसे कृषि क्षेत्र में ज्यादा निवेश होगा। इन सबका सबसे ज्यादा फायदा देश के किसान को होने वाला है। आज भारत के किसानों के पास अपनी फसल मंडियों के साथ ही बाहर भी बेचने का विकल्प है।
आज भारत मे मंडियों का आधुनिकीकरण तो हो ही रहा है, किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म पर फसल बेचने और खरीदने का भी विकल्प दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अलग-अलग सेक्टर में दीवारें नहीं ब्रिज (पुल) चाहिए। ताकि वे एक दूसरे का सपोर्ट कर सकें। बीते वर्षों में इन दीवारों को तोड़ने के लिए प्रयास किए गए हैं। देश के कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए बीते वर्षों में तेजी से काम किए गए है। उससे भारत का एग्रीकल्चर सेक्टर पहले से कहीं अधिक वाइब्रेंट हुआ है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये निश्चित है कि 21वीं सदी के भारत की ग्रोथ को गांव और छोटे शहर ही सपोर्ट करने वाले हैं। आप जैसे एंटरप्रोन्योर्स को गांव और छोटे शहरों में निवेश का मौका बिल्कुल नहीं गंवाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल के दौरान सरकार के प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमेशा से वैश्विक महामारी के साथ एक इतिहास, एक सबक जुड़ा रहा है। जो देश ऐसी महामारी के समय अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को बचा ले जाता है, उस देश की बाकी सारी व्यवस्थाएं उतनी ही तेजी से सुधरती हैं। भारत ने अपने नागरिकों के जीवन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आज इसका नतीजा देश भी देख रहा है, दुनिया भी देख रहा है। (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
वाराणसी, 12 दिसंबर| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विश्व स्तरीय कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष आकार ले रहा है। जल्द ही इस कन्वेंशन सेंटर में सैलानी गीत संगीत, नाटक और प्रदर्शनियों का लुत्फ उठा सकेंगें।
नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि जापान और भारत की दोस्ती वाराणसी को ऐसे नायाब तोहफे से नवाजेंगें जिसके सभी कायल रहेंगे। साल 2015 में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ आए थे तब ही इस भव्य कन्वेंशन सेंटर की नींव पड़ गई थी। अद्भुत काशी की झलक लिए इस कन्वेंशन सेंटर का नाम भी रुद्राक्ष है। इस कन्वेंशन सेंटर में 108 रुद्राक्ष के दानों को जड़ा गया है जो इसको और भी भव्य बनाता है।
वाराणसी में तीन एकड़ में बनने वाले कन्वेंशन सेंटर की लागत 186 करोड़ है। इस कन्वेंशन सेंटर में ग्राउंड फ्लोर, प्रथम तल से लेकर एक विशाल हॉल होगा। जिसमें वियतनाम से मंगाई गई बेहतरीन कुर्सियों पर 1,200 लोग एक साथ बैठकर कार्यक्रम का लुत्फ उठा सकेंगे। रुद्राक्ष में 120 गाड़ियों की पार्किं ग बेसमेंट में हो सकती है। दिव्यांगों के लिए यहां विशेष इंतजाम किए गए हैं जिसके तहत दोनों दरवाजों के पास 6-6 व्हील चेयर का इंतजाम है। आधुनिक ग्रीन रूम भी बनाया गया है जिसमें 150 लोगों की क्षमता वाले दो कॉन्फ्रेंस हॉल व गैलरी भी शामिल हैं जो दुनिया के आधुनिकतम उपकरणों से लैस है।
रुद्राक्ष को तैयार करने का पूरा काम जापान की फुजिता कॉर्पोरेशन नाम की कंपनी कर रही है। जापानी कंपनी इंटरनेशनल कापोर्रेशन एजेंसी द्वारा रुद्राक्ष की फंडिग की गई है। इस भव्य इमारात को डिजाइन भी जापान की कंपनी ओरिएंटल कंसल्टेंट ग्लोबल ने किया है। रुद्राक्ष में जैपनीज गार्डन होगा और 110 किलोवाट की ऊर्जा के लिए सोलर प्लांट लगाया गया है। यहां पर वीआईपी रूट और उनके आने का रास्ता भी अलग है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी को नए साल में नई सौगात देंगें। रुद्राक्ष का निर्माण कार्य साल 2018 में शुरू हुआ जो साल 2021 में पूरा हो जाएगा। इस कन्वेंशन सेंटर को सुविधाओं से लैस रखने के लिए विदेशी कंपनियों के उपकरणों को लगाया जा रहा है। रुद्राक्ष को वातानुकूलित रखने के लिए इसमें इटली के उपकरणों को लगाया गया है। निर्माण और उपयोग की चीजों को देखते हुए इसको ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट की ओर से तीसरी ग्रेडिंग मिली है। रुद्राक्ष में कैमरा समेत सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं साथ ही आग से सुरक्षा के उपकरणों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
रेजिडेंट सुपरवाइजर (आर्किटेक्ट) मित्सुगु तोमिता बताते हैं कि जापान और भारत की संस्कृति में काफी समानताएं हैं। रुदाक्ष दोनों देशों के रिश्तों में और भी मजबूती लाएगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी के जनरल मैनेजर ने बताया कि रुद्राक्ष के बन जाने के बाद ये स्मार्ट सिटी को हैंडओवर कर दिया जाएगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की 93वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि 2020 के इस साल में देश उतार-चढ़ाव से गुजरा है। लेकिन सबसे अच्छी बात रही है कि जितनी तेजी से हालात बिगड़े, उतनी ही तेजी से हालात सुधर भी रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था की चर्चा करते हुए कहा कि आर्थिक संकेतक हौसला और उत्साह बढ़ाने वाले हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "फरवरी-मार्च से जब हालात शुरू हुए थे, तब हम अज्ञात दुश्मन से लड़ रहे थे। सवाल यही था कि कब तक ऐसा चलेगा? कैसे सब ठीक होगा? इन्हीं सवालों, चुनौतियों, चिंताओं से दुनिया का हर मानव फंसा पड़ा था। लेकिन आज दिसंबर आते-आते स्थिति बहुत बदली नजर आ रही है। हमारे पास जवाब भी है और रोडमैप भी है।"
उन्होंने कहा, "आज जो आर्थिक संकेतक हैं, वो उत्साह बढ़ाने वाले हैं। हौसला बढ़ाने वाले हैं। संकट के समय जो देश ने सीखा है, उसने भविष्य के संकल्पों को और ²ढ़ किया है। इसका बहुत ज्यादा श्रेय एंटरप्रेन्योर्स, किसानों, उद्यमियों और देशवासियों को जाता है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में विदेशी निवेशकों ने रिकार्ड इनवेस्टमेंट किया है। आज देश का प्रत्येक नागरिक आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। लोकल के लिए वोकल होकर काम कर रहा है। देश को अपने प्राइवेट सेक्टर के सामथ्र्य पर इतना विकास है। भारत का प्राइवेट सेक्टर न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा कर सकता है, ग्लोबली भी अपनी पहचान और मजबूती से स्थापित कर सकता है। (आईएएनएस)
गुरुग्राम, 12 दिसंबर| विभिन्न किसान संगठनों द्वारा दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे को 12 दिसंबर को बंद करने की धमकी के बीच दिल्ली-गुरुग्राम सीमा के बिलासपुर, पंचगांव, खेरकी दौला टोल क्षेत्र, डूंडाहेड़ा-दिल्ली और राष्ट्रीय राजमार्ग -48 पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
हालांकि पंचगांव चौक से एक्सप्रेसवे तक किसान अभी आगे नहीं बढ़े हैं। वहीं गुरुग्राम पुलिस विभाग ने दावा किया है कि उन्होंने कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए और यातायात गतिविधि में कोई व्यवधान न हो इसके लिए एनएच-48 के विभिन्न पॉइंट्स पर 2 हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए हैं।
मानेसर की डीसीपी निकिता गहलौत ने कहा, "किसानों के राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने के फैसले को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया है और अब तक हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है कि रेवाड़ी या राजस्थान के जरिए गुरुग्राम में किसी भी किसान संगठन ने प्रवेश किया हो।"
उधर दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर दिल्ली पुलिस राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाले संदिग्ध वाहनों पर कड़ी निगरानी रख रही है। उन्होंने सीमा पर कीचड़ से लदे कुछ ट्रक और बैरिकेड लगाए हैं।
एक्सप्रेस वे पर तैनात एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने कहा, "सप्ताहांत होने के कारण एक्सप्रेसवे पर यात्रियों की संख्या कम है और हमने सीमा पर कोई भी ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं देखी है। हम कमर्शियल वाहनों और राज्य परिवहन बसों की जांच करते रहेंगे।"
एनसीआर के इस शहर में जिला प्रशासन ने किसी भी घटना से निपटने के लिए जिले भर की पुलिस के साथ 68 डिप्टी मजिस्ट्रेटों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है।
गुरुग्राम महानगर सिटी बस लिमिटेड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंजू चौधरी को राजमार्ग अवरुद्ध होने की स्थिति में पूरे जिले के लिए प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है। पुलिस सूत्रों ने कहा कि दक्षिण हरियाणा और राजस्थान के किसानों का एक समूह किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए रविवार को राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ सकता है। उन्हें यह भी इनपुट मिले हैं कि कुछ समूह एनएच -48 पर खेरकी दौला टोल प्लाजा में धरना दे सकते हैं।
गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर के.के.राव ने कहा, "अब तक जिले भर में कोई अप्रिय घटना या सड़क को अवरुद्ध किए जाने की सूचना नहीं मिली है। बल के साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को तैनात किया गया है। हमने एक्सप्रेसवे और टोल प्लाजा को अवरुद्ध करने की योजनाओं के मद्देनजर जरूरी एहतियाती उपाय करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है।"
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों को सभी संवेदनशील स्थानों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों और खेरकी दौला टोल प्लाजा में गश्त करने के लिए कहा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसम्बर| भारत सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार प्रजा त्रिवेदी को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रमंडल (कॉमनवेल्थ) महासचिव के विशेष दूत के रूप में नामित किया गया है।
वह शुक्रवार को महासचिव पैट्रीशिया स्कॉटलैंड द्वारा विशेष दूत और चैंपियन के रूप में नामित किए गए चार लोगों में से एक हैं जो राष्ट्रमंडल के मूल्यों और सिद्धांतों को दुनिया भर में बढ़ावा देंगे।
राष्ट्रमंडल के 54 देशों और 2.5 अरब लोगों की सहायता और मदद के लिए बनाए गए प्रमुख मुद्दों को कवर करने वाले पोर्टफोलियो क्षेत्रों के लिए चारों की भूमिकाएं जिम्मेदार होंगी।
इन नई भूमिकाओं की जिम्मेदारी लेने वाले तीन अन्य तीन शख्स द प्रिंस ऑफ वेल्स इंटरनेशनल सस्टेनेबिलिटी यूनिट के पूर्व निदेशक जस्टिन मनडे हैं, जो जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक मामलों के विशेष दूत के रूप में हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए महासचिव के विशेष दूत रवांडन मेडिकल डॉक्टर राजनयिक और राजनीतिज्ञ, रिचर्ड सेजूबेरा हैं। वह स्वास्थ्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संबंधित एसडीजी की प्राप्ति पर फोकस करेंगे।
त्रिवेदी संयुक्त राष्ट्र एजेंडा 2030 और इसके 17 एसडीजी को लागू करने पर फोकस करेंगे जिसमें गरीबी का मुकाबला करना और असमानताओं को कम करना शामिल है।
अंत में, स्पोर्ट्स में समानता के लिए महासचिव की चैंपियन ब्रिटिश पैरालिंपिक एथलीट, ऐनी वेफुला स्ट्राइक है।
उनकी भूमिका में खेल संबंधी इनीशिएटिव को जोड़ना और खेल, शांति और विकास से संबंधित एसडीजी के क्रियान्वयन का समर्थन करना और खेल में समानता में सुधार करना शामिल है।
घोषणाओं पर बोलते हुए, महासचिव पैट्रीशिया स्कॉटलैंड ने कहा, "मैं दिल से आभारी हूं कि इन विशेष दूतों और प्रतिभाओं ने राष्ट्रमंडल के मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देने में हमारी मदद करने के लिए सहमति व्यक्त की है ताकि हम ताकि हम सतत विकास लक्ष्यों को बेहतर तरीके से डिलिवर कर सकें।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे परिवर्तनों को अपनाने में मदद करने के लिए विकसित देशों द्वारा कम से कम 100 अरब डॉलर की सहायता देने के वादे पर तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। यह बात संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई स्वतंत्र विशेषज्ञों की नई रिपोर्ट में कही गई है।
कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक संकट बहुत बढ़ चुका है और जलवायु संकट बदतर हो रहा है, ऐसे में रिपोर्ट में 2021 में 100 अरब डॉलर की राशि को जल्द देने की बात कही गई है। साथ ही यह मजबूत और स्थायी रिकवरी पैकेज, महत्वाकांक्षी जलवायु कार्य योजना, कार्बन तटस्थता और क्लाइमेट-रिजिलिएंट ग्रोथ की दिशा में त्वरित प्रगति करने के लिए भी जरूरी होगा।
'डिलिवरिंग ऑन द 100 बिलियन (अरब) डॉलर क्लाइमेट फायनेंस कमिटमेंट एंड ट्रांसफामिर्ंग क्लाइमेट फायनेंस' शीर्षक से इस रिपोर्ट को शुक्रवार को जारी किया गया। इसे एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह ने तैयार किया गया, जो महामारी के दौरान बनी वित्त की स्थिति को लेकिन सिफारिफों की एक श्रृंखला बताता है। साथ ही लक्ष्य को 100 अरब डॉलर से ऊपर ले जाने की बात कहता है। ताकि प्रणाली में ज्यादा धन का प्रवाह बना रहे और बड़े पैमाने पर वित्तीय प्रणाली को मोबलाइज किया जा सके।
दूसरा मुद्दा वित्त के एडॉप्शन को बढ़ाना है, हालांकि फिर भी पूरे जलवायु वित्त में इसका केवल एक छोटा हिस्सा है। जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर बता करें तो लोगों, समुदायों और देशों में जलवायु परिवर्तन में बदलाव के कारण आ रही मुश्किलों से निपटने के लिए सक्षम बनाना होगा।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी धन दाताओं और बहुपक्षीय विकास बैंकों से जलवायु वित्त सहायता के कम से कम 50 प्रतिशत तक की वित्तीय हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कहा था।
इस रिपोर्ट में कम से कम विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों के लिए ज्यादा जलवायु वित्त को देने की वकालत की गई है, जिनमें से कई ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बहुत कम योगदान दिया है लेकिन वे पहले से ही सूखा, बाढ़, समुद्र के बढ़ते स्तर जैसे गंभीर प्रभावों का सामना कर रहे हैं।
आखिर में समूह यह सिफारिश करता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त तक जल्दी पहुंच देने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए क्योंकि अभी यह बहुत धीमे तरीके से हो रही है और तकनीकी समेत अन्य क्षमताओं को प्रभावित कर रही है।
(आईएएनएस)
एक हालिया शोध में बताया गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मोटे तौर पर मांसभक्षी थे. वे गाय, भैंस और बकरी के मांस खाते थे. सिंधु घाटी क्षेत्र में मिले मिट्टी के बर्तन और खान-पान के तौर-तरीक़े इस शोध के आधार हैं.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सटी से पुरातत्व-विज्ञान में पीएचडी और अब फ्ऱांस में पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो ए सूर्यनारायण ने सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान लोगों के खान-पान के तौर-तरीक़ों पर शोध किया है. उनका शोध आर्कियोलॉजिकल साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
सिंधु घाटी के लोगों की जीवन-शैली के बारे में हालांकि कई अध्ययन हो चुके हैं, लेकिन इस शोध में मूल रूप से उस क्षेत्र में उगाई गई फसलों पर फोकस किया गया है.
समग्र रूप से इस शोध में फसलों के साथ मवेशियों और लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. वैज्ञानिक विधि से इन बर्तनों की पड़ताल बताती है कि प्राचीन भारत के लोग उनमें क्या खाते-पीते थे.
पूरी दुनिया में पुरातत्व-विज्ञानी इस तरह के अध्ययन कर रहे हैं. इससे मिलता-जुलता शोध सिंघु घाटी सभ्यता के मिट्टी के बर्तनों पर किया गया है.
सिंधु घाटी सभ्यता की फसलें
सिंधु घाटी सभ्यता में जौ, गेहूं, चावल के साथ-साथ अंगूर, खीरा, बैंगन, हल्दी, सरसों, जूट, कपास और तिल की भी पैदावार होती थी.
पशुपालन में गाय और भैंस मुख्य मवेशी थे. इलाक़े में मिले हड्डियों के 50-60 प्रतिशत अवशेष गाय-भैंस के हैं जबकि लगभग 10 प्रतिशत हड्डियां बकरियों की हैं.
इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि लोगों का पसंदीदा मांस बीफ़ और मटन रहा होगा.
गाय को दूध के लिए जबकि बैल को खेती के लिए पाला जाता था.
हालांकि खुदाई में सूअर की हड्डियां भी मिली हैं, लेकिन सूअर किस काम आते रहे होंगे, ये अभी स्पष्ट नहीं है. कुछ अवेशष हिरण और पक्षियों के भी मिले हैं.
इस शोध के लिए हरियाणा में सिंधु सभ्यता के स्थल राखीगढ़ी को चुना गया. आलमगीरपुर, मसूदपुर, लोहारी राघो और कुछ अन्य जगहों से मिले मिट्टी के बर्तनों को भी एकत्र किया गया.
इन बर्तनों से सैंपल लिए गए और वैज्ञानिक विधि से विश्लेषण से पता चला कि उनमें पशुओं का मांस खाया जाता था.
शोध के नतीजे
शोध से पता चला है कि जुगाली करने वाले दूध से बने उत्पाद, जुगाली करने वाले पशुओं के मांस और वनस्पतियां इन बर्तनों में पकाई जाती थीं. सिंधु घाटी के शहरी और ग्रामीण इलाक़ों में इस बारे में कोई अंतर नहीं था. बर्तनों का प्रयोग कुछ अन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी किया जाता था.
तब उस इलाक़े में जुगाली करने वाले कई पशु थे और इन बर्तनों में दुग्ध उत्पादों का सीधा इस्तेमाल तुलनात्मक रूप से कम होता था.
गुजरात में इससे पहले हुए एक अध्ययन से पता चला था कि मिट्टी के कई बर्तनों में मुख्य रूप से दुग्ध उत्पाद ही पकाए जाते थे. ये शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ था.
कैम्बिज यूनिवर्सटी से पुरातत्व-विज्ञान में पीएचडी और अब फ्ऱांस में पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो ए सूर्यनारायण का कहना है कि शोध के अगले चरण में ये पता किया जाएगा कि संस्कृति और जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में खानपान के तौर-तरीक़ों में सिलसिलेवार तरीक़े से क्या बदलाव आए.
उनका कहना है कि ये पता लगाने में मिट्टी के बर्तनों के अवशेष अहम भूमिका अदा करेंगे.
उनका ये भी कहना है कि दक्षिण एशियाई शहरों में पुरातात्विक जगहों से मिले मिट्टी के बर्तनों का विश्लेषण करके हम प्रागैतिहासिक काल में दक्षिण एशिया में खान-पान में विविधता को समझ सकेंगे.
ए सूर्यनारायण ने अपने शोध में सिंधु सभ्यता के बारे में कुछ जानकारियों को शामिल किया है. प्रागैतिहासिक काल में सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार भौगोलिक रूप से आधुनिक पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिम भारत, दक्षिण भारत और अफ़ग़ानिस्तान के इलाकों में था.
मैदान, पहाड़, नदी-घाटी, रेगिस्तान और समुद्र तटीय अलग-अलग इलाक़ों में सिंधु सभ्यता का विस्तार था. इसमें पांच मुख्य शहर और कई छोटी आबादियां शामिल हैं जिनकी अवधि ईसापूर्व 2600 से ईसापूर्व 1900 के बीच है.
हार-चूड़ी, वज़न मापने के टुकड़े और मोहर सिंधु सभ्यता की ख़ासियतों में शामिल हैं. लेन-देन में वस्तुओं की अदला-बदली का व्यापक प्रचलन था.
ये नहीं कहा जा सकता कि सिंधु सभ्यता में शहरों का गांवों पर दबदबा था. दोनों का संबंध मुख्य रूप से आर्थिक आदान-प्रदान पर आधारित था.
ईसापूर्व 2100 के बाद सिंधु सभ्यता के पश्चिमी भाग धीरे-धीरे खाली होते गए और पूर्वी भाग विकसित हुए.
इस दौर में सिंधु सभ्यता में शहर कम गाँव अधिक थे.
इसकी कई वजहें बताई जाती हैं जिनमें ख़राब मॉनसून को सबसे बड़ा कारण बताया जाता है. ईसापूर्व 2150 के बाद कई सदियों तक यही हालात रहे. (bbc)
जम्मू, 12 दिसम्बर | जम्मू एवं कश्मीर में गुरुवार को हुए पंच और सरपंच उपचुनावों के पांचवें चरण में क्रमश: 59.90 प्रतिशत और 52.43 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। राज्य निर्वाचन आयुक्त के के शर्मा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) ने विवरण देते हुए बताया कि रिक्त चरण की सीटों के लिए उपचुनाव पांचवें चरण में 229 निर्वाचन क्षेत्रों में हुए थे। कुल 42,504 मतदाताओं (22,140 पुरुष और 20,364 महिलाएं) में से 25,460 ने पांचवें चरण में मतदान किया।
शर्मा ने कहा कि पंच उपचुनावों के पांचवें चरण में जम्मू संभाग (डिविजन) में 77.52 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि कश्मीर संभाग में 58.35 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
इसी तरह सरपंच के लिए 125 निर्वाचन क्षेत्रों में हुए पांचवें चरण के चुनाव में 52.43 प्रतिशत मतदान हुआ। एसईसी ने कहा कि 88,078 मतदाताओं में से (45,766 पुरुष और 42,312 महिलाएं) 46,179 ने अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए मतदान किया।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू संभाग में 75.84 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि कश्मीर संभाग में 42.85 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
एसईसी ने कहा कि जम्मू संभाग में, डोडा जिले में पंच-उप-चुनावों के लिए सबसे अधिक 90.83 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। इसके बाद रियासी में 88.51 प्रतिशत और पुंछ में 84.09 प्रतिशत मतदान हुआ।
इसके साथ ही कश्मीर संभाग के बडगाम जिले में सबसे अधिक 69 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया। इसके बाद कुपवाड़ा में 66.82 प्रतिशत और बांदीपुरा में 64.91 प्रतिशत दर्ज किया गया।
एसईसी ने कहा कि सरपंच उपचुनावों में कश्मीर डिवीजन में कुपवाड़ा में सबसे अधिक 84.24 प्रतिशत मतदान दर्ज किया। इसके बाद बांदीपुरा में 71.60 प्रतिशत और बडगाम में 55.78 प्रतिशत मतदान हुआ।
इसके अलावा जम्मू संभाग में सबसे अधिक 81.13 प्रतिशत मतदान जम्मू में दर्ज किया गया। इसके बाद पुंछ में 80.37 प्रतिशत और रियासी में 79.78 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ है।
एसईसी ने यह भी बताया कि सरपंच उपचुनाव के लिए 271 मतदान केंद्रों और पंच उपचुनाव के लिए 229 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | सरकारी एजेंसियां चालू खरीफ सीजन में किसानों से एमएसपी पर 369 लाख टन धान खरीद चुकी हैं, जोकि सीजन के लक्ष्य का 50 फीसदी है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्यों की एजेंसियों ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में 738 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत आने वाले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में 10 दिसंबर तक सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 368.70 लाख टन धान खरीदा है, जोकि पिछले साल की इसी अवधि में हुई कुल खरीद 300.97 लाख टन से 22.50 फीसदी ज्यादा है।
सरकारी एजेंसियों ने चालू सीजन में पंजाब में 202.77 लाख टन धान खरीदा है, जोकि कुल खरीद का 54.99 फीसदी है। बाकी धान हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में खरीदा गया है। विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, धान की अब तक हुई कुल खरीद में से 15.2 फीसदी धान हरियाणा में खरीदा गया है, जबकि उत्तर प्रदेश का योगदान 8.5 फीसदी है।
--आईएएनएस