राष्ट्रीय
विशाल गुलाटी
चंडीगढ़, 29 नवंबर | नए कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी आ रहे किसानों के शांतिपूर्ण मार्च को रोकने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा आंसू गैस के गोले दागने और पानी की तेज धार छोड़ने जैसी 'क्रूरता' ने कनाडा में रह रहे प्रवासी भारतीयों को चिंतित और हैरान कर दिया है।
उन्होंने भारत सरकार से किसानों के साथ एक खुली बातचीत करने को कहा है क्योंकि ये मामला उनकी आजीविका को प्रभावित करने वाला है। किसानों के समर्थन में आए कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ क्रूर होने की खबरें बहुत परेशान करने वाली थीं।
उन्होंने रविवार को ट्वीट कर कहा, "मेरे कई मतदाताओं के परिवार वहां रहते हैं और वे अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। स्वस्थ लोकतंत्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति देता है। मैं इसमें शामिल लोगों से आग्रह करता हूं कि वे इस मौलिक अधिकार को बनाए रखें।"
कनाडा के ब्रैंपटन साउथ की सांसद सोनिया सिद्धू ने ट्वीट किया, "मुझे भारत के हालातों के बारे में ब्राम्पटन साउथ में कई मतदाताओं से संदेश मिले। मेरे क्षेत्र के निवासियों ने मुझे बताया कि वे पंजाब के किसानों के विरोध के बारे में कितने चिंतित हैं। मैं उनकी चिंताओं से चिंतित हूं और आशा करती हूं कि स्थिति शांति से हल हो जाएगी।"
ब्रैंपटन (उत्तर) की सांसद रूबी सहोता ने भी ट्वीट किया, "एक स्वतंत्र और न्यायपूर्ण समाज में बल प्रयोग की धमकी के बिना उनके कारण की वकालत करने में सक्षम होना चाहिए। फोटो में भारतीय किसानों पर बरती जा रही क्रूरता बहुत ही निराशाजनक है।"
चंडीगढ़ में जन्मी ब्रिटिश कोलंबिया की संसद सचिव रचना सिंह ने कहा, पंजाब के किसानों के साथ जिस तरह से बर्ताव किया जा रहा है, उससे वह वाकई दुखी हैं। यह अस्वीकार्य है।
वहीं कनाडा के न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने ट्वीट किया, "मैं पंजाब और पूरे भारत के किसानों के साथ खड़ा हूं और मैं भारत सरकार से आह्वान करता हूं कि वे हिंसा के बजाय शांतिपूर्ण संवाद करें।"
मिसिसॉगा-माल्टन के सांसद नवदीप बैंस ने कहा, "शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी लोकतंत्र में मौलिक है। मैं प्रदर्शनकारियों के अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह करता हूं।"
ब्रिटेन से सांसद प्रीत कौर गिल ने टिप्पणी की, "दिल्ली से चौंकाने वाले ²श्य सामने आए हैं। किसान अपनी आजीविका को प्रभावित करने वाले विवादास्पद बिलों का शांतिपूर्वक तरीके से विरोध कर रहे हैं। वहीं उन्हें चुप कराने के लिए पानी के तोप और आंसू गैस का उपयोग किया जा रहा है।" (आईएएनएस)
मूल रूप से किसान परिवार से आने वाले इंडो-कनाडाई राजनेता गुरूतन सिंह ने कहा, "मैं किसानों के परिवार से आता हूं। मुझे लगता है कि किसानों की पीड़ा और संघर्ष को समझा जाना चाहिए। किसान हमारे समाज की रीढ़ हैं। वे शहरों को भोजन देते हैं।"
वहीं ओंटारियो न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता एंड्रिया होरवाथ ने कहा, "हर किसी को राज्य द्वारा की जाने वाली हिंसा के डर के बिना अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए।"
कनाडा के सांसद टिम उप्पल ने पोस्ट किया, "भारत के किसान सुनने और सम्मान के लायक है।"
बता दें कि किसान 3 कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म कर देगा और वे बड़े कॉपोर्रेट संस्थानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे।
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भोपाल, 29 नवंबर | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, विकास और कानून व्यवस्था का मॉडल बनेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को इस दिशा में अधिकारियों को काम करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने रविवार को अपने आवास पर भोपाल के विकास, सौंदर्यीकरण और कानून व्यवस्था के संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा भोपाल के विकास की रणनीति दो सप्ताह में तैयार करें, एक्शन प्लान तैयार किया जाए और कानून व्यवस्था पर निगरानी हो।
चौहान ने अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए कहा कि सुशासन लागू करें। सरकार अपराधियों के लिए वज्र से भी कठोर और सज्जनों के लिए फूल से भी कोमल होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि सौंदर्यीकरण के प्रयास भी बढ़ाएं, स्वच्छता में भोपाल उदाहरण बने। भोपाल के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए, स्वशासन मूल मंत्र हो और भोपाल को मॉडल बनाएं। इसके साथ ही नागरिकों को समय पर सेवाएं मिले, इसका भी ध्यान रखा जाए।
राजधानी में मेट्रो ट्रेन का काम जारी है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मेट्रो ट्रेन के कार्यों की गति बढ़ाएं। विकास कायरें को करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाए कि किसी भी कार्यवाही में गरीबों की रोजी रोटी न छिने। (आईएएनएस)
लखनऊ, 29 नवंबर | उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता के साथ ही उसके भंडारण के लिए स्पेस बनाने को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिसंबर के मध्य तक राज्य में 1.23 लाख लीटर कोल्ड चेन भंडारण क्षमता तैयार करने के निर्देश जारी किए हैं।
कोल्ड चेन स्पेस को कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण से लेकर लाभान्वितों तक पहुंचाने की अवधि तक आवश्यक तापमान पर स्टोर करने को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
अधिकारियों को उम्मीद है कि राज्य को प्रारंभिक चरण में वैक्सीन की चार करोड़ खुराक मिल सकती है और इस्तेमाल होने तक वैक्सीन प्रभावी बनी रहे यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त भंडारण स्थान की आवश्यकता है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राज्य में 26 जिलों में अतिरिक्त कोल्ड चेन स्टोरेज सुविधाएं बनाई जा रही हैं।
लखनऊ, लखीमपुर खीरी, बस्ती, कानपुर देहात, हाथरस और सिद्धार्थनगर में पहले से ही 36,901 लीटर के बर्फ से बने रेफ्रिजरेटर रखने के लिए पर्याप्त जगह हैं।
अन्य जिलों में व्यवस्थाएं चरणबद्ध तरीके से की जा रही हैं और 1,23,205 लीटर की कोल्ड चेन स्पेस बनाने की पूरी कवायद 15 दिसंबर तक पूरी हो जाएगी।
इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोनोवायरस से निपटने के लिए अपनी सक्रिय भूमिका के लिए उत्तर प्रदेश की सराहना की है। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर (उप्र/दिल्ली), 29 नवंबर | कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच कर रहे उत्तर प्रदेश के किसानों को गाजीपुर बॉर्डर पर रोक दिया गया है। वे शनिवार से यहीं डटे हुए हैं। रविवार को गाजीपुर बॉर्डर पर आए किसानों को पुलिस प्रशासन ने बुराड़ी जाने की इजाजत दे दी, लेकिन किसान संसद भवन जाने पर अड़े हुए हैं। पूर्वी दिल्ली एडिशनल डीसीपी मनजीत ने दिल्ली सीमा पार कर दिल्ली से सटे गाजियाबाद में आकर किसानों से बातचीत की।
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसान आए हुए हैं। लेकिन फिलहाल इन किसानों की संख्या करीब 200 के आसपास है। बॉर्डर पर अड़े रहने की वजह से आम जनता को भी परेशानी हो रही है।
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले मुजफ्फरनगर से आए किसान संजय त्यागी ने आईएएनएस को बताया, हम बुराड़ी जाकर क्या करेंगे, अमित शाह क्या हमसे बुराड़ी आकर वोट मांगेगे। अगर उन्हें बात करनी है तो हमसे बॉर्डर पर आकर बात करें।
केंद्र सरकार ने किसानों को परेशान कर रखा है, कोरोना के समय में किसान और जवान ही थे जिन्होंने हिम्मत नही हारी। हम संसद भवन जाएंगे, इसके अलावा कहीं नहीं जाएंगे।
आम नागरिक की परेशानी हम लोग सोच रहे हैं लेकिन उनको रोटी भी हम ही खिलाते हैं।
हालांकि पुलिस प्रशासन ने किसानों के साथ बातचीत की है, पूछा है कि आप लोगों का क्या प्लान है। लेकिन किसानों की तरफ से फिलहाल कुछ बताया नहीं गया है।
पूर्वी दिल्ली एडिशनल डीसीपी मनजीत श्योराण ने आईएएनएस को बताया, बातचीत चल रही है, हमने किसानों से कहा है कि हम आपको बुराड़ी भेजने को तैयार हैं। इसपर इन्होंने अभी तक फैसला नहीं लिया है। अगर ये तैयार होते हैं तो हम इन्हें छोड़ कर आएंगे।
फिलहाल और किसानों के यहां पहुंचने की सूचना नहीं है। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 29 नवंबर | जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में रविवार को एक मां और उसकी बेटी सहित तीन महिलाएं रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गईं। पुलिस ने कहा कि तीन महिलाएं बारामूला जिले के उरी तहसील के लारी गांव में मृत पाई गईं।
रिपोर्टों में कहा गया है कि ये त्रासदी खाना पकाने के गैस सिलेंडर में विस्फोट के कारण हो सकती है, लेकिन पुलिस ने कहा कि मौत का सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है और कहा कि पुलिस टीम गांव के लिए रवाना हुई है। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर (दिल्ली/उप्र), 29 नवंबर | भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में किसानों का काफिला गाजीपुर बॉर्डर पहुंच कर सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह के बातचीत करने के प्रस्ताव पर राकेश टिकैत ने आईएएनएस से कहा कि, सरकार बुराड़ी गांव के निरंकारी मैदान को दूसरा शाहीन बाग बनाना चाहती है, वो हम नहीं होने देंगे। राकेश टिकैत ने आईएएनएस से कहा कि, 1 बजे तक सारी स्थिति साफ होगी कि हम लोगों की आगे की रणनीति क्या है। इस पूरे मसले पर सिंघु बॉर्डर पर बैठक चल रही है, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए।
उन्होंने कहा, सरकार किसानों को निरंकारी मैदान क्यों बुलाना चाहती है? अगर उन्हें बातचीत करनी है तो लोगों को बुलाकर बात करें।
बुराड़ी गांव पहुंचने के बाद हमारे ऊपर आरोप लगेंगे कि शाहीन बाग की तरह यहां पर भी वही हो रहा है। हम दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे। निरंकारी मैदान को सरकार दूसरा शाहीन बाग बनाना चाहती है।
इससे पहले राकेश टिकैत ने कहा था कि सरकार को किसानों की दिक्कतें समझनी होगी। तभी कोई बातचीत हो सकेगी।
कृषि विधेयक सहित विभिन्न कृषि कानूनों को लेकर भाकियू ने किसानों से आंदोलन का आह्वान किया है। रास्ते में जगह-जगह किसानों का जत्था दिल्ली कूच में शामिल होता चला जा रहा है। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 29 नवंबर | मध्यप्रदेश में भले ही अभी नगरीय निकायों के चुनावों की तारीखों का ऐलान न हुआ हो मगर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी नगरीय निकाय का चुनाव लड़ने वाली है और अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
राज्य में विधानसभा के उपचुनाव हो चुके हैं और आगामी समय में नगरीय निकाय व पंचायतों के चुनाव प्रस्तावित हैं। संभावना इस बात की है कि पहले नगरीय निकाय चुनाव होंगे। यह चुनाव सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, दोनों ही दल तैयारियों में जुटे हैं, तो वहीं बसपा ने भी चुनाव लड़ने का मन बनाया है।
बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजीव कुशवाहा का कहना है कि आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव बसपा पूरी ताकत से लड़ेगी। विधानसभा का उपचुनाव भी बसपा ने पूरी ताकत से लड़ा था और नतीजे भी बेहतर रहे हैं। नगरीय निकाय के चुनाव में भी बसपा दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत बनेगी।
बसपा के नगरीय निकाय के चुनाव लड़ने के फैसले से कई स्थानों पर मुकाबले के त्रिकोणीय होने के आसार बनेंगे। साथ ही कांग्रेस के वोट बैंक पर भी सेंधमारी होगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा को राज्य में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में पांच से सात प्रतिशत तक वोट मिलते हैं और यही मत प्रतिशत कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बनता है। नगरीय निकाय चुनाव में भी बसपा के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को ही नुकसान होने के आसार हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव बसपा को वोट कटुवा पार्टी से ज्यादा कुछ नहीं मानते। उनका कहना है कि राज्य में बसपा का जनाधार कुछ क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में है, उसका नगरीय क्षेत्र में असर नहीं है। हां वह चुनाव में असंतुष्टों और बागियों के लिए एक सहारा बन सकती है, तो इसका असर दोनों ही दलों पर पड़ेगा। पिछले विधानसभा के उप-चुनाव में यह बात साबित हो चुकी है कि बसपा नतीजे प्रभावित नहीं कर सकती, कुछ वोट जरुर काट सकती है। बसपा के मैदान में आने से सिर्फ कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा, भाजपा को भी नुकसान हेागा।
राज्य का ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य का वह इलाका है जहां बसपा का प्रभाव है। पिछले कई चुनावों में इस इलाके में कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बसपा ही बनी है। इसलिए इस बात की संभावना ज्यादा है कि अगर बसपा पूरी ताकत से चुनाव लड़ी तो भाजपा की राह आसान होगी। (आईएएनएस)
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 29 नवंबर | किसानों के दिल्ली सीमा पर चल रहे आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए कृषि कानूनों को उनके हित में बताया। उन्होंने कहा कि कानून की सही और पूरी जानकारी किसानों के लिए ताकत बन सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से हर तरह के अफवाहों से दूर होकर सही जानकारी से खुद को संबल बनाने की अपील की। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे महीनों से पेमेंट के लिए चक्कर लगा रहे महाराष्ट्र के एक किसान जितेंद्र भोइजी का पैसा नए कानून की वजह से मिल सका। नए कानून में जहां तीन दिन के अंदर किसान को पैसा मिलने की बात है, वहीं एक महीने के अंदर उनकी शिकायतें भी दूर होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि महाराष्ट्र के धुले जिले के किसान जितेंद्र भोइजी ने मक्का की खेती की थी। सही दाम के लिए उन्होंने फसल व्यापारी को बेचना तय किया। तीन लाख 32 हजार रुपये का पेमेंट तय हुआ था। 25 हजार रुपये उन्हें एडवांस मिल गए थे। बाकी पैसा 15 दिन में चुकाने की बात हुई थी। लेकिन उन्हें बाकी पेमेंट नहीं मिला।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मक्का खरीदने वाले बरसों से चली आ रही उसी परंपरा को निभा रहे थे कि 'किसान से फसल खरीद लो, महीनों तक पेमेंट न करो'। चार महीने तक जितेंद्र का पेमेंट नहीं हुआ था। सितंबर से जो नए कृषि कानून बने हैं, इस कानून में यह तय हुआ है कि फसल खरीदने के तीन दिन में ही किसान को पूरा पैसा पेमेंट करना है। किसान शिकायत दर्ज कर सकता है। क्षेत्र के एसडीएम को एक महीने के भीतर ही किसान की शिकायत का निपटारा करना होगा। ऐसे में जितेंद्र की शिकायत का समाधान होना था। आखिर शिकायत के चंद दिन में उनका बकाया मिल गया। इस प्रकार कानून की सही और पूरी जानकारी जितेंद्र की ताकत बनी।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम मन की बात के दौरान किसानों से जुड़े मसले पर खासतौर से चर्चा की। उन्होंने कहा, भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नए संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। बरसों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वायदा किया था, वो मांगें पूरी हुई हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि काफी विचार-विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं, नए अवसर भी मिले हैं। (आईएएनएस)
जब वैक्सीन बनाने और देने की बात होती है, तो भारत उसके लिए बड़े एक पावरहाउस की तरह है.
भारत में बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाए जाते हैं, यहां दुनिया भर की 60 प्रतिशत वैक्सीन बनती हैं और यहां आधे दर्जन वैक्सीन निर्माता मौजूद हैं, जिनमें दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल है.
इसमें हैरानी की बात नहीं कि भारत सरकार अरबों लोगों तक कोविड-19 की वैक्सीन पहुंचाने की इच्छा रखती है.
भारत की अगले साल जुलाई तक वैक्सीन की 50 करोड़ डोज़ बनाने और 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना है.
भारत का ये आत्मविश्वास तब और बढ़ जाता है जब वो हर साल बड़ी संख्या में टीकाकरण के अपने पिछले रिकॉर्ड को देखता है.
देश का 42 साल पुराना टीकाकरण अभियान दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य अभियानों में से एक है जिसे 55 करोड़ लोगों तक पहुंचाया जाता है. इनमें खासतौर पर नवजात शिशु और गर्भवती महिलाएं शामिल हैं जिन्हें हर साल कई बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीन की करीब 39 करोड़ मुफ्त खुराकें मिलती हैं.
भारत के पास इन वैक्सीन को संग्रहित करने और उन पर नज़र रखने का एक बेहतरीन इलैक्ट्रॉनिक सिस्टम भी है.
इन सबके बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि पहली बार लाखों वयस्कों सहित अरबों लोगों तक कोरोना की वैक्सीन पहुंचाना सरकार के सामने एक असाधारण चुनौती होगी.
भारत में विकसित की जा रहीं 30 वैक्सीन में से पांच का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है. इनमें से एक है ऑक्सफ़र्ड और एस्ट्राज़ेनिका की वैक्सीन जिस पर फिलहाल भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में ट्रायल चल रहा है. भारत बायोटेक एक स्वदेशी कोरोना वैक्सीन विकसित कर रही है.
भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉक्टर रेणु स्वरूप बताती हैं, "एक स्वदेशी वैक्सीन का होना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है."
वहीं माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर गगनदीप कांग कहती हैं, "कई वैक्सीन में से एक को चुनना और फिर उसे चुने गए समूहों तक पहुंचाना, ये सब बड़ी चुनौतियां हैं."
गगनदीप कांग रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लंदन की फेलो चुनी जाने वालीं पहली भारतीय महिला हैं. वह कहती हैं, "हम इस काम की जटिलता को समझते हैं. भारत की आधी आबादी का टीकाकरण करने में ही कुछ साल लग जाएंगे."
वैक्सीन की आपूर्ति और संग्रहण
वैक्सीन प्रभावी रहे इसके लिए ज़रूरी है कि उसे उचित तापमान पर स्टोर किया जाए. भारत में 27,000 कोल्ड स्टोर्स हैं जहां से संग्रहित की गईं वैक्सीन को 80 लाख स्थानों पर पहुंचाया जा सकता है. लेकिन, क्या ये पर्याप्त होगा?
देश में जितनी संख्या में वैक्सीन की ज़रूरत होगी, उतनी ही संख्या में अपने आप नष्ट हो वाली सीरिंज (इंजेक्शन) की भी ज़रूरत होगी ताकि उनके दोबारा इस्तेमाल और किसी तरह के संभावित संक्रमण को रोका जा सके.
दुनिया के सबसे बड़े सीरिंज निर्माता का कहना है कि वो वैक्सीन की मांग को पूरा करने के लिए अगले साल तक एक अरब सीरिंज बनाएगा. इसके अलावा कांच की उन शीशियों की आपूर्ति को लेकर भी सवाल हैं जिनमें वैक्सीन की खुराक रखी जाएगी.
वहीं, उस मेडिकल कचरे के निपटारे को लेकर क्या किया जाएगा जो इस टीकाकरण अभियान से बड़े स्तर पर निकलेगा?
इन सबके अलावा भारत में आम तौर पर होने वाले टीकाकरण कार्यक्रम को पूरा करने के लिए क़रीब 40 लाख डॉक्टर और नर्सों की ज़रूरत होती है. लेकिन, कोविड-19 के टीकाकरण के लिए और ज़्यादा लोगों की ज़रूरत पड़ेगी.
देश की प्रमुख बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोकॉन की संस्थापक किरन मजूमदार शॉ कहती हैं, "मुझे चिंता है कि ग्रामीण भारत तक इन संसाधनों का विस्तार हम कैसे करेंगे."
किसे पहले मिलेगी वैक्सीन
सरकार के लिए ये फ़ैसला लेना भी चुनौतीपूर्ण होगा कि सबसे पहले किसे वैक्सीन दी जाए.
स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन का कहना है कि निजी और सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य विभागों के फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहले वैक्सीन दी जाएगी. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करना आसान नहीं होगा.
एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया कहते हैं, "हमारे पास वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति कभी नहीं होगी. ऐसे में किसे पहले वैक्सीन दी जाए ये तय करना अपने आप में बड़ी चुनौती बनने वाला है."
एक और बात का ध्यान रखा जाना ज़रूरी है. भारत एक ऐसा देश है जहां बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी निजी क्षेत्र से जुड़े हैं. तो क्या एक निजी क्षेत्र के स्वास्थ्यकर्मी को सरकारी स्वास्थ्यकर्मी के मुक़ाबले प्राथमिकता दी जाएगी? क्या स्थानीय कर्मियों को अनुबंध पर काम करने वालों के मुक़ाबले प्राथमिकता दी जाएगी?
अगर पहले से दूसरी बीमारियों से जूझ रहे बुज़ुर्गों को पहले वैक्सीन दी जाएगी तो उसमें अलग-अलग बीमारियों के हिसाब से किन्हें प्राथमिकता मिलेगी?
जैसे भारत में सात करोड़ लोगों को डायबिटीज है, ये आंकड़ा पूरी दुनिया में दूसरे नंबर है. तो क्या इन सभी लोगों को पहले वैक्सीन दी जाएगी.
वहीं सभी 30 राज्यों में कोरोना की वैक्सीन पहुंचाना संभव नहीं है. तो क्या उन राज्यों में वैक्सीन पहले दी जाएगी जहां कोरोना वायरस के ज़्यादा मामले हैं?
लाखों खुराकों की निगरानी
वॉशिंगटन स्थित सेंटर फ़ॉर ग्लोबल डेवलपमेंट में स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति श्रृंखला का अध्ययन करने वाले डॉक्टर प्रशांत यादव के मुताबिक़ वैक्सीन के अच्छे पोर्टफोलियो वाले वैक्सीन निर्माताओं से विनिर्माण अनुबंध करने से भारत को लोगों तक जल्दी पर्याप्त वैक्सीन पहुंचाने में मदद मिलनी चाहिए.
लेकिन वो कहते हैं कि नियमित टीकाकरण में सफलता मिलना कोविड-19 वैक्सीन के मामले में सफलता की गारंटी नहीं देता.
डॉक्टर प्रशांत यादव का कहना है, "नियमित टीकाकरण में सरकार के पास पहले से बनी हुई व्यवस्था है लेकिन ये ज़्यादातर सरकारी क्लीनिक्स के लिए है. फिलहाल वयस्कों के लिए बड़े स्तर पर कोई टीकाकरण कार्यक्रम नहीं है और वयस्क सरकारी स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में नियमित तौर पर नहीं जाते."
किरण मजूमदार शॉ और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि सुझाव देते हैं कि भारत को वैक्सीन की हर खुराक का रिकॉर्ड रखने और निगरानी के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल करना चाहिए.
नंदन नीलेकणि ने एक अख़बार से कहा, "हमें एक ऐसी प्रणाली बनाने की ज़रूरत है जिससे देशभर में एक दिन में एक करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा सके लेकिन ये सब एक डिजिटल आधार द्वारा एकीकृत हो."
धोखाधड़ी की आशंका
इस बात को लेकर भी चिंता जताई जा रही है कि वैक्सीन पहुंचाने में भ्रष्टाचार भी हो सकता है.
प्रशासन उन लोगों की पहचान कैसे करेगा जो नकली दस्तावेजों के आधार पर उन लोगों में शामिल होने की कोशिश करेंगे जिन्हें शुरुआती टीकाकरण के लिए चुनाव गया है. वहीं, दूर-दराज के बाज़ारों में बेची जा रही नकली वैक्सीन को कैसे रोका जाएगा?
दुष्प्रभावों की निगरानी
कुछ लोगों में वैक्सीन के दुष्प्रभाव भी सामने आ सकते हैं. भारत के पास टीकाकरण के दौरान सामने आने वाले प्रतिकूल प्रभावों की जांच करने के लिए 34 साल पुराना निगरानी कार्यक्रम है.
लेकिन, शोधकर्ताओं ने पाया है कि दुष्प्रभावों के बारे में बताने के लिए मानक अभी भी कमजोर हैं और गंभीर प्रतिकूल घटनाओं की संख्या अभी भी अपेक्षित संख्या से कम है.
वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभावों की पारदर्शी रूप से रिपोर्ट करने में विफलता के कारण इसे लेकर डर पैदा हो सकता है.
किसे देने होंगे पैसे
ये संभवत: एक बड़ा सवाल है. क्या सरकार वैक्सीन की सभी खुराकें लेकर उसे निशुल्क या सब्सिडी के साथ टीकाकरण अभियान में लोगों को देगी? या फिर टीके को निजी वितरण और बिक्री के माध्यम से बाज़ार की क़ीमत पर दिया जाएगा?
डॉक्टर लहरिया जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को हर भारतीय को टीका लगाने के लिए भुगतान करने को तब तक तैयार रहना चाहिए जब तक कि महामारी ख़त्म न हो जाए.
डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ का कहना है कि निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों को टीका लगाने के लिए खुद भुगतान कर सकती हैं.
नंदन नीलेकणि कहते हैं कि शुरुआत में वैक्सीन की क़ीमत 3 से 5 डॉलर (लगभग 220 से 369 रुपये) होती है तो हर भारतीय के लिए इसकी दो खुराक की क़ीमत 10 डॉलर (क़रीब 739 रुपये) और भारत के लिए 13 अरब डॉलर (लगभग नौ खरब रुपये से ज़्यादा) हो सकती है. ये बहुत मंहगा होगा.
इसलिए डॉक्टर गगनदीप कांग कहती हैं कि भारत के लिए एक अच्छी वैक्सीन की लागत 50 सेंट (क़रीब 2.25 रुपये) प्रति खुराक से कम होनी चाहिए. ये भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो और इसकी एक खुराक की ज़रूरत हो. (bbc)
चंडीगढ़, 29 नवंबर | पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों से आग्रह किया कि वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर एक निर्धारित स्थान पर शिफ्ट होने की अपील स्वीकार कर लें, इस प्रकार उनके मुद्दों को हल करने के लिए जल्द वार्ता का मार्ग प्रशस्त होगा। अमरिंदर सिंह ने किसानों के साथ जल्द से जल्द विचार-विमर्श करने की शाह की पेशकश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बड़े पैमाने पर किसान समुदाय और राष्ट्र के हित में है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की बात सुनने की केंद्र की इच्छा को दर्शाता शाह का बयान एक स्वागत योग्य कदम है, कृषि कानूनों के मुद्दे पर मौजूदा गतिरोध का एकमात्र समाधान चर्चा है।
गृहमंत्री ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार किसानों की हर समस्या और मांग पर विचार करने के लिए तैयार है, मगर किसानों को उनके विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में निर्धारित स्थल बुराड़ी के निरंकारी मैदान में शिफ्ट होने के बाद ही वार्ता होगी।
--आईएएनएस
गुवाहाटी, 29 नवंबर | असम में आठ और रोहिंग्या मुसलमानों के असम में गिरफ्तार होने के साथ ही 22 म्यांमार की महिलाओं और बच्चों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है, शनिवार को अधिकारियों ने कहा। असम पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में अपने शिविरों से भागकर आने वाले शरणार्थी होने का संदेह रखने वाले आठ रोहिंग्याओं पर शुक्रवार को दक्षिणी असम के हैलाकांडी जिले के मजारपार गांव से कार्रवाई की गई।
हेलाकांडी जिले के पुलिस अधीक्षक, पबिंद्र कुमार नाथ ने कहा कि तीन बच्चों और एक महिला सहित आठ रोहिंग्याओं को यूसुफ अली मजूमदार के घर में शरण दी गई थी, जो पुलिस के गांव में पहुंचने पर अपने घर से भाग गए थे। मजूमदार के भाई इस्लामुद्दीन मजूमदार को पुलिस ने पकड़ लिया था।
बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों से रोहिंग्या अक्सर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अवैध रूप से नौकरियों की तलाश में प्रवेश करते हैं या मानव तस्करी में फंस जाते हैं।
पश्चिमी म्यांमार के राखाइन से 738,000 से अधिक रोहिंग्या हिंसा और उत्पीड़न की लहर के बाद 25 अगस्त, 2017 को जातीय संकट की शुरुआत के बाद से कॉक्स बाजार में शिविरों में पहुंचे हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने जातीय सफाई का प्रयास बताया है।
--आईएएनएस
हैदराबाद, 29नवंबर | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां शनिवार को कहा कि कुछ लोग उनसे कह रहे हैं कि हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखा जाना चाहिए। योगी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए यहां भाजपा की ओर से प्रचार करने आए हैं। आदित्यनाथ ने लाल दरवाजा में एक चुनावी सभा में कहा, "कुछ लोगों ने मुझसे पूछा कि क्या हम हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर सकते हैं? मैंने कहा, क्यों नहीं।"
यूपी के मुख्यमंत्री ने संभावना व्यक्त करते हुए इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने का उदाहरण दिया।
उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के बीच संबंधों को भी खतरे में डाल दिया। आदित्यनाथ ने दावा किया कि बिहार में नवनिर्वाचित एआईएमआईएम विधायक ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 'हिंदुस्तान' शब्द नहीं कहा, जो पार्टी के असली चेहरे को प्रदर्शित करता है।
भगवा बलवान ने दावा किया कि टीआरएस और एआईएमआईएम का गठबंधन हैदराबाद की प्रगति में बाधक है।
इस बीच, तेलंगाना भाजपा के प्रवक्ता के. कृष्ण सागर राव ने दावा किया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के भाषण ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में हारने के उनके डर को उजागर किया।
राव ने कहा, "केसीआर के 80 प्रतिशत से अधिक भाषण जीएचएमसी मतदाताओं को डर बेचने के लिए समर्पित है। केसीआर ने राज्य में भाजपा के आसन्न उदय और जीएचएमसी में भयभीत मतदाताओं को प्रभावित करने और डराने के लिए 45 मिनट में एक डरावनी फिल्म का निर्माण किया है।"
उन्होंने यह भी दावा किया कि जीएचएमसी मतदाता टीआरएस को खारिज कर देंगे।
--आईएएनएस
कोलकाता, 28 नवंबर | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को अवैध खनन और कोयले की चोरी के मामले में ईस्ट कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के दो महाप्रबंधकों के परिसरों सहित चार राज्यों में 45 स्थानों पर तलाशी ली। इस बीच एक चौंकाने वाली खबर आई है कि तलाशी के बीच ईसीएल के एक सुरक्षा अधिकारी की उसके निवास पर मौत हो गई है। मृतक धनंजय रॉय पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के रानीगंज में कुनुस्तोरिया क्षेत्र में सरकारी कंपनी में एक सुरक्षा निरीक्षक (सिक्योरिटी इंस्पेक्टर) के तौर पर तैनात था।
ईसीएल अध्यक्ष के सचिव नीलाद्रि रॉय ने कहा कि जब सीबीआई द्वारा तलाशी अभियान आज (शनिवार) सुबह चलाया जा रहा था, तब रॉय बीमार महसूस कर रहे थे। ईसीएल में एक इंटक ट्रेड लीडर हरेराम सिंह ने कहा, "सीबीआई की पूछताछ के दौरान वह बीमार महसूस करने लगे और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।"
केंद्रीय जांच ब्यूरो की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के अधिकारियों द्वारा मैराथन सर्च ऑपरेशन किया गया था। अधिकारियों ने चार राज्यों के विभिन्न जिलों में 45 स्थानों पर छापेमारी की। इस ऑपरेशन में अधिकारियों को 22 टीमों में विभाजित किया गया था। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सीबीआई के एक सूत्र ने बताया कि एजेंसी ने पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के 45 स्थानों पर ईसीएल के दो महाप्रबंधकों के परिसरों पर तलाशी ली, जिनमें से एक सुरक्षा प्रमुख अनूप मांझी उर्फ लाला शामिल है, जो कथित रूप से अवैध खनन और ईसीएल से कोयले की चोरी में शामिल था।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई अधिकारियों ने बर्दवान जिले के आसनसोल, दुगार्पुर और रानीगंज में अनूप मांझी उर्फ लाला के कार्यालय और घरों के साथ ही कोलकाता के दक्षिण 24-परगना जिले के बिश्नुपुर में भी छापा मारा।
उन्होंने कोलकाता के शेक्सपियर सरानी, सीआईटी रोड, साल्ट लेक और अन्य स्थानों पर भी तलाशी अभियान चलाया। शनिवार को पश्चिम बंगाल में 30 विभिन्न स्थानों पर छापे मारे गए।
एजेंसी ने शुक्रवार को मांझी और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें ईसीएल के कुछ कर्मचारी और अन्य केंद्र सरकार के कार्यालय शामिल थे। यह आरोप लगाया गया है कि कुनुस्तोरिया और कजोरा इलाके में ईसीएल की लीजहोल्ड खदानों से कोयले की चोरी में मांझी शामिल था।
सूत्रों ने कहा कि सीबीआई की तलाशी में मांझी के सहयोगियों के कुछ घरों में भी छापे मारे गए।
इससे पहले, सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में सक्रिय एक पशु तस्करी रैकेट का भी भंडाफोड़ किया था और मुर्शिदाबाद जिले के रहने वाले उसके कथित किंगपिन इनामुल हक को गिरफ्तार किया था।
--आईएएनएस
चंडीगढ़, 28 नवंबर | हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित है और इनका लिंक खालिस्तान से भी है। उन्होंने मीडिया को बताया, "राज्य को राष्ट्रीय राजधानी में और आसपास चल रहे किसानों के विरोध में खालिस्तान समर्थक नारे लगाने वाले कुछ अवांछित तत्वों के इनपुट मिले हैं।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारे पास इनपुट है कि कुछ अवांछित तत्व भीड़ के अंदर आए हुए हैं। हमारे पास इसकी रिपोर्ट है। अभी इसका खुलासा करना ठीक नहीं है। उन्होंने सीधे नारे लगाए हैं। जो ऑडियो और वीडियो सामने आए हैं, उनमें इंदिरा गांधी को लेकर साफ नारे लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि जब इंदिरा के साथ ये कर दिया तो मोदी क्या चीज है।"
उन्होंने कहा कि इसकी 'ठोस' जानकारी मिलने के बाद वह पूरी जानकारी साझा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारे पास भीड़ में मौजूद कुछ असामाजिक तत्वों के इनपुट हैं। हमारे पास इसकी रिपोर्ट भी है और एक बार ठोस जानकारी मिलने पर हम इसका खुलासा करेंगे। यही लोग उस तरह के नारे लगा रहे थे।"
उन्होंने कहा कि यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है कि कैसे कुछ लोग किसानों के नाम पर अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
खट्टर ने पंजाब के किसानों से यह अपील भी की कि उनके प्रतिनिधि केंद्र सरकार के साथ बातचीत करें, क्योंकि यही एकमात्र समाधान है। खट्टर ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा, "केंद्र सरकार हमेशा बातचीत के लिए तैयार है।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पिछले तीन दिनों से किसान मार्च को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने उनके फोन का कोई जवाब नहीं दिया है।
खट्टर ने कहा, "मैंने व्यक्तिगत रूप से पंजाब के मुख्यमंत्री को कई बार फोन किया लेकिन हर बार उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया। यह कहना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह पहली बार हुआ है कि एक मुख्यमंत्री दूसरे मुख्यमंत्री से बात करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उनके समकक्ष बात करने के लिए तैयार नहीं हैं।"
अमरिंदर सिंह के फोन न उठाने के पीछे के कारण पर एक सवाल का जवाब देते हुए खट्टर ने कहा कि केवल पंजाब के मुख्यमंत्री ही इस बात का जवाब दे सकते हैं कि उन्होंने आखिर बात क्यों नहीं की।
खट्टर ने किसानों के विरोध प्रदर्शन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय के पदाधिकारी इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार स्पष्ट रूप से किसानों के विरोध के लिए जिम्मेदार है। खट्टर ने कहा कि किसानों का मार्च पंजाब सरकार की राजनीतिक साजिश की तरह दिखता है ।
खट्टर ने कहा कि हरियाणा के किसानों ने इस मार्च में भाग नहीं लिया। उन्होंने इसके लिए हरियाणा के किसानों को धन्यवाद भी दिया।
मार्च से निपटने के लिए हरियाणा पुलिस की सराहना करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस ने संयम दिखाया और किसी भी बल का उपयोग नहीं किया।
उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस ने केवल इतनी बड़ी तादाद में किसानों को दिल्ली की ओर जाने से रोकने की कोशिश की।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 28 नवंबर | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को अवैध खनन और कोयले की चोरी के मामले में ईस्ट कोल फील्ड्स लिमिटेड के दो महाप्रबंधकों के परिसरों सहित चार राज्यों में 45 स्थानों पर तलाशी ली। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। सीबीआई के एक सूत्र ने बताया कि एजेंसी ने पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के 45 स्थानों पर ईसीएल के दो महाप्रबंधकों के परिसरों पर तलाशी ली, जिनमें से एक सुरक्षा प्रमुख अनूप मांझी उर्फ लाला शामिल है, जो कथित रूप से अवैध खनन और ईसीएल से कोयले की चोरी में शामिल था। सीबीआई ने ईसीएल, सीआईएसएफ, रेलवे के अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ राष्ट्रीय संपत्ति पर विश्वासघात करने के आरोप में शुक्रवार को मामला दर्ज किया था। (आईएएनएस)
गुरुग्राम, 28 नवंबर | हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को राज्य के किसानों को केंद्र द्वारा पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में भाग नहीं लेने के लिए धन्यवाद दिया। खट्टर जिला जनसंपर्क और लोक निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए शहर में थे।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि किसानों का विरोध मुख्य रूप से पंजाब के राजनीतिक दलों और वहां के कुछ अन्य संगठनों द्वारा प्रायोजित है।
खट्टर ने कहा कि पिछले तीन दिनों के दौरान वह अपने पंजाब के समकक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ किसानों के आंदोलन के बारे में चर्चा करना चाहते थे, लेकिन उनके फोन कॉल का जवाब नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि वह खुद पंजाब के मुख्यमंत्री की ओर से जवाब नहीं देने के पीछे के सटीक कारण को नहीं समझ सके हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा, "कुछ राजनीतिक दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।"
मुख्यमंत्री ने हरियाणा पुलिस के कामकाज की सराहना की।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस आंदोलन के दौरान पूरे संयम के साथ काम किया और किसी भी बल का उपयोग नहीं किया, केवल उन्हें रोका गया, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में दिल्ली जाने का कोई औचित्य नहीं है।
खट्टर ने कहा, "हम फिर से किसान प्रतिनिधियों से इस मामले में केंद्र से बात करने की अपील करते हैं, क्योंकि बातचीत ही समाधान है।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 नवंबर | भाजपा ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने हजारों किसानों को भड़काकर दिल्ली बुला लिया, जिससे उनके कोरोना कैरियर बनने का खतरा है। भाजपा की दिल्ली इकाई ने कहा है कि केजरीवाल सरकार किसानों को दिल्ली बुलाकर निरंकारी मैदान में आवभगत करने में लगी है, लेकिन किसानों के कोरोना टेस्ट के लिए कोई सेंटर नहीं बनाया गया। इस तरह अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए केजरीवाल सरकार किसानों की खिदमत करने के साथ उन्हें कोरोना परोस रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने पार्टी कार्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि, "केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में शादी समारोहों में सिर्फ 50 लोगों को आने की अनुमति दी है। लेकिन खुद पंजाब से हजारों की तादाद में किसानों को दिल्ली बुला रही है। क्या अब केजरीवाल सरकार को दिल्ली में कोरोना फैलने का डर नहीं है?"
प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि, "केजरीवाल सरकार ने अपने नेता और मंत्रियों को बिना मास्क के सार्वजनिक कार्यक्रम करने की छूट दी है। दो हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये का जुर्माना तो सिर्फ दिल्ली की आम जनता पर है।"
प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और विधायक अमानतुल्लाह के बिना मास्क के सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पर भी निशाना साधा।(आईएएनएस)
बेंगलुरू, 28 नवंबर | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के निजी सहायक (पीए) फिलहाल खतरे से बाहर हैं। एम.एस. रमैया अस्पताल ने शनिवार को जानकारी दी कि येदियुरप्पा के निजी सहायक एन.आर. संतोष की हालत पहले से बेहतर है और वह खतरे से बाहर हैं। उन्हें शनिवार की शाम तक गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) से सामान्य वार्ड में स्थानांतरित किया जा सकता है। संतोष को कथित तौर पर आत्महत्या की कोशिश करने के बाद शुक्रवार देर रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शहर की डॉलर्स कॉलोनी निवासी 31 वर्षीय संतोष ने करीब एक दर्जन नींद की गोलियां खा ली थी।
पुलिस ने कहा कि कथित तौर पर यह घटना तब सामने आई, जब संतोष की पत्नी जाह्नवी उनके कमरे में यह पूछने के लिए गई कि रात में खाने के लिए क्या बनाना है।
इसके बाद जाह्नवी उन्हें तुरंत एम.एस. रमैया सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल लेकर गईं, जहां उन्हें भर्ती कराया गया और उपचार दिया गया।
शनिवार की सुबह अस्पताल ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि संतोष खतरे से बाहर है और उन्होंने अपना नाश्ता भी कर लिया है। बयान में कहा गया, "वह खतरे से बाहर है और जल्द ही उन्हें आईसीयू से सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।"
खबर सुनने के बाद शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने संतोष का हाल जानने और उनकी पत्नी को सांत्वना देने के लिए अस्पताल का दौरा किया। बता दें कि संतोष येदियुरप्पा के रिश्तेदार भी हैं।
येदियुरप्पा ने मीडिया को बताया कि संतोष उनसे शुक्रवार सुबह मिले थे और वह दोनों साथ-साथ टहले भी थे, मगर तब उन्हें ऐसा कोई आभास नहीं हुआ कि संतोष किसी बात को लेकर उदास है। उन्होंने मीडिया से कहा कि वह सामान्य थे और उनके साथ भी खुश दिख रहे थे। येदियुरप्पा ने कहा कि फिलहाल वह खतरे से बाहर हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए संतोष की पत्नी जाह्नवी ने शुक्रवार की रात दावा किया था कि उनका एक खुशहाल परिवार है और कोई पारिवारिक समस्या भी नहीं है। जाह्नवी ने इशारा किया कि कोई राजनीति से जुड़ी बात ही इस घटना का कारण हो सकती है। हालांकि उन्होंने इस बारे में अधिक बात नहीं की। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 28 नवंबर | ओडिशा सरकार ने शनिवार को नयागढ़ जिले में पांच साल की एक बच्ची की कथित हत्या की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी की अगुवाई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा करेंगे, जिन पर मासूम के अपहरण और हत्या के मामले की जांच का जिम्मा होगा।
सरकार ने उड़ीसा उच्च न्यायालय से जांच की निगरानी करने का अनुरोध किया है।
गृह विभाग के विशेष सचिव संतोष बाला ने शनिवार को उड़ीसा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को एक पत्र लिखा, जिसमें अनुरोध किया कि राज्य सरकार ने एसआईटी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के एक पैनल का चयन किया है।
गृह विभाग ने मुख्य न्यायाधीश से एसआईटी जांच की निगरानी के लिए एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अनुमति देने का अनुरोध किया।(आईएएनएस)
काबुल, 28 नवंबर | काबुल में शनिवार को हुए दो अलग-अलग मैग्नेटिक विस्फोटों में कम से कम सात लोग घायल हो गए। स्थानीय पुलिस के हवाले से यह जानकारी दी गई। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पहला धमाका सुबह के सात बजकर दस मिनट के करीब खर खाना इलाके के पीडी11 में लैंड क्रूजर पर रखे गए मैग्नेटिक आईईडी से हुआ।
पुलिस ने कहा, धमाके में चार लोग घायल हो गए हैं।
दूसरा धमाका काबुल के पीडी6 में ओमिद-ए-सब्ज शहर में सुबह सात बजकर चालीस मिनट के करीब हुआ। यहां पर भी कार में मैग्नेटिक आईईडी को रखकर छोड़ दिया गया था। इससे यहां तीन लोग घायल हुए हैं।
हाल के दिनों में काबुल में आईईडी विस्फोटों में अधिकता देखने को मिली है।
22 नवंबर को भी काबुल में दो अलग-अलग आईईडी विस्फोटों को अंजाम दिया गया था, जिसमें एक नागरिक के घायल होने की खबर मिली थी। इससे इलाके में दहशत का माहौल पैदा हो गया था।(आईएएनएस)
हैदराबाद, 28 नवंबर | हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीएचएमसी) के चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेताओं की ओर से कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषण के बाद पुलिस ने दो फायरब्रांड नेताओं के खिलाफ यह कार्रवाई की है।
हैदराबाद पश्चिम क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) ए.आर. श्रीनिवास ने आईएएनएस को बताया, "हमने संजय और ओवैसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।"
श्रीनिवास ने कहा कि दोनों नेताओं के खिलाफ हाल ही में राजनीतिक बैठकों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एआईएमआईएम के नेताओं पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 501 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हाल ही में एक चुनावी भाषण में अकबरुद्दीन ओवैसी ने सार्वजनिक स्थान पर एक ऐसा बयान दिया, जिससे बवाल मच गया। उन्होंने सवाल किया कि क्या हुसैन सागर झील के तट पर बनीं पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के संस्थापक एन.टी. रामाराव की समाधियां हटाई जाएंगी? उन्होंने जलाशय के करीब रह रहे गरीब लोगों को हटाने के अभियान पर सवाल उठाते हुए यह बयान दिया था।
इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद बंदी संजय ने अकबरुद्दीन ओवैसी का नाम लिए बिना कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर ओवैसी में दम है तो वह समाधियों को तोड़कर दिखाएं।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 नवंबर | दिल्ली सरकार में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे ने सत्येंद्र जैन ने शनिवार को एक बार फिर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए इस आंदोलन को न रोके जाने की बात कही है। इससे पहले सत्येंद्र जैन ने पुलिस की उस अपील को ठुकरा दिया था, जिसमें दिल्ली के स्टेडियमों को किसानों के लिए अस्थाई जेल बनाने की मांग की गई थी। किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, "किसानों का यह शांतिपूर्वक आंदोलन है और इसे नहीं रोकना चाहिए। किसानों की जायज मांगे हैं और यह उनके हक की लड़ाई है। केंद्र सरकार को इस आवाज को सुनना चाहिए। अगर वह दिल्ली आना चाहते हैं, तो उनको दिल्ली आने देना चाहिए।"
वहीं दिल्ली के 9 स्टेडियमों को किसानों की अस्थायी जेल बनाने के दिल्ली पुलिस के आवेदन पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "पुलिस का प्रपोजल 9 स्टेडियम को अस्थायी जेल बनाने का था जिसको हमारी दिल्ली सरकार ने मना कर दिया। हमने कहा कि जब कोई शांतिपूर्वक तरीके से अपनी बात रखना चाहता है तो उसे जेल में नहीं डालना चाहिए।"
सत्येंद्र जैन ने कहा कि, "किसान हमारे देश के अन्नदाता हैं, यही लोग हमारे लिए सब्जी उगाते हैं, अनाज पैदा करते हैं, उनको आने से नहीं रोका जाना चाहिए। दिल्ली सरकार द्वारा किसानों को दिए गए समर्थन के तहत ही आम आदमी पार्टी के कई विधायक बुराड़ी स्थित निरंकारी मैदान में किसानों के लिए खाने-पीने, सोने, पेयजल, साफ-सफाई, टॉयलेट आदि की व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं।"
सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार किसानों का स्वागत कर रही है, जबकि केंद्र सरकार किसानों को रोकना चाहती है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए जो भी सुविधा मुहैया करानी होगी, हम वो सब करेंगे। मंत्री ने कहा कि हम किसानों के लिए बिजली, पानी, खाने-पीने, उनके रहने एवं शौचालय की सुविधा में कोई कमी नहीं आने देंगे।
वहीं दिल्ली सरकार के एक और मंत्री कैलाश गहलोत ने जानकारी देते हुए कहा, "डिविजनल कमिश्नर को निर्देश दिये गये हैं कि संत निरंकरी ग्राउंड में रहने,पानी, मोबाइल टॉयलेट एवं साफ सफाई की व्यवस्था के इंतजाम किए जाएं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हमारी कोशिश रहेगी कि दिल्ली में पहुंचे सभी किसानों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो।"
इससे पहले आम आदमी पार्टी के विधायक एवं अन्य नेता, किसानों के लिए व्यवस्था करने में जुटे थे। हालांकि अब सीधे दिल्ली सरकार की ओर से प्रशासनिक अधिकारियों को किसानों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया गया है।(आईएएनएस)
चेन्नई, 28 नवंबर| तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के.पलानीस्वामी ने शनिवार को कहा कि सरकार की योजना 15 दिसंबर से पहले राज्यभर में कई मिनी क्लीनिकों का निर्माण करवाने की है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना राज्य में 2,000 मिनी क्लीनिक बनाने की है, जिसमें एक डॉक्टर के साथ एक नर्स और एक असिस्टेंट मौजूद रहेंगे।
राज्य में कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जिला कलेक्टरों को संबोधित करते हुए पलानीस्वामी ने कहा कि कोरोनवायरस और संबंधित राहत उपायों पर 7,525.71 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है।
उनके मुताबिक, राज्य में प्रतिदिन के हिसाब से पुष्ट होने वाले कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या घटकर 1,500 के करीब आ गई है।
पलानीस्वामी ने कहा, राज्य द्वारा उठाए गए कदमों के चलते संक्रमण की दर में कमी आई है जैसे कि लगभग 5.22 लाख शिविरों की स्थापना, जिनमें 2.79 करोड़ लोगों ने अपना चेकअप कराया, घर-घर जाकर तापमान मापने के चलते लगभग 11.46 लाख लोगों में बुखार होने का पता चला, कोविड-19 संक्रमित इलाकों में इम्यूनिटी बूस्ट ड्रिंक काबासुरकुडीनेर का वितरण इत्यादि। (आईएएनएस)
बुराड़ी, 28 नवंबर| दिल्ली के निरंकारी मैदान में कुछ संगठनों के किसान आ चुके हैं। वहीं अभी भी हजारों की संख्या में बॉर्डर पर मौजूद हैं। केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानून के खिलाफ ये पूरा विरोध प्रदर्शन चल रहा है। शुक्रवार को टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर जमकर बवाल हुआ, किसानों ने जहां उग्र रूप धारण किया तो वहीं उनको रोकने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे गए। शनिवार सुबह बॉर्डर पर शांति बनी रही। शुक्रवार को किसानों का व्यवहार देख पुलिस ने भी शनिवार को पूरी व्यवस्था और योजना के तहत काम किया। फिलहाल अभी सिंघु बॉर्डर पर शांति बनी हुई है। वहीं किसानों द्वारा लगातार नारे बाजे भी हो रही है।
किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, वहीं किसान संगठनों ने नारे लगाते हुए कहा कि 'हम एक हैं'।
हालांकि सिंघु बॉर्डर पर किसानों में आपसी मतभेद भी देखा जा रहा है। बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन करने की अनुमति मिलने के बाद शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर 2 विचार देखे गए। जिसमें कुछ किसान का कहना था कि बुराड़ी मैदान चलना चाहिए, लेकिन कुछ संगठनों ने तय किया कि हम बुराड़ी मैदान नहीं जाएंगे।
दरअसल किसानों का मानना है कि बुराड़ी मैदान जाने से किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ जायेगा, क्योंकि सरकार फिर हमारी बात नहीं सुनेगी। यदि बॉर्डर पर ही डेरा बनाये बैठे रहे तो हमारे साथ साथ आम लोग भी परेशान होंगे।
सिंघु बॉर्डर पर इस वक्त भी हजारों की संख्या में किसान मौजूद हैं और पूरे जोर शोर से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। दिल्ली के रास्ते सिंघु बॉर्डर होते हुए जो लोग अमृतसर या पानीपत जाना चाहते थे उन्हें काफी परेशानी भी हुई। जगह जगह सड़कें बंद होने के कारण उन्हें पैदल ही सफर करना पड़ा।
बुराड़ी के निरंकारी मैदान में लाखों की संख्या में लोग इकट्ठा हो सकते हैं। किसानों की संख्या को देखते हुए दिल्ली के निरंकारी मैदान में किसानों के लिए व्यवस्था की जा रही है। हालांकि जो संगठन बुराड़ी मैदान पहुंच चुके हैं, वह अपने साथ खुद ही अधिकतर व्यवस्था करके चले हैं।
सुबह से मैदान में कई एनजीओ मदद के हाथ बढ़ाने के लिए किसानों के पास पहुंचे और पानी और खाने की चीजें मुहैया कराई। हालांकि दुनिया भर में कोरोना महामारी को देखते हुऐ निरंकारी मैदान में किसानों को मास्क बाटें जा रहे हैं।
निरंकारी मैदान में सुबह से कोरोना महामारी को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। टेम्पो, ई रिक्शा और लोग पैदल चलते हुए और हाथों में माइक लेकर कोरोना को लेकर जागरूकता फैलाते हुए दिखाई दिए।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे राज्यों से भी कई संगठन इस वक्त किसानों का समर्थन देने पहुंचे हुए हैं। गौतमबुद्धनगर जिले से किसान एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरन प्रधान ने आईएएनएस को बताया, "हम किसानों से मिलने के लिए आए हैं वहीं बॉर्डर से पुलिस लेकर आई है। हम यहां बिल का विरोध तो कर ही रहे हैं, हम किसानों के साथ हुई बर्बरता का भी विरोध करने आए हुए हैं।"
"कोरोना काल में किसान और जवान इन्ही दोनों ने देश भर की महामारी में मदद की। लेकिन किसानों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है जैसे की पराए हों।"
हालांकि निरंकारी मैदान में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से भी कुछ छोटे छोटे संगठन आए हुए हैं। जो सीधे बुराड़ी मैदान पहुंचे हैं। उन्होंने सुबह नृत्य कर सरकार के खिलाफ अपना विरोध भी जताया। इन संगठनों में कुछ महिलाएं भी शामिल हैं जो कि अपनी आवाज बुलंद कर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं।
ऑल इंडिया किसान यूनियन अमृतसर के बैनर तले आए बलजिंदर सिंह ने आईएएनएस को बताया, "कल सुबह हम दिल्ली आ गए थे और दिल्ली के मजनू के टीले के पास पहुंच गए थे। वहीं हमारे 35 बन्दों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, फिर हरिनगर स्टेडिम ले गए है और शाम को बुराड़ी मैदान में छोड़ दिया।"
ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनवाल ने आईएएनएस को बताया, "पंजाब से आए, बॉर्डर पर पुलिस ने हमारे लिए बैरिकेड खोल दिए, हम कुछ लोग ही यहां आ सके हैं लेकिन हमारे अधिक्तर लोग बॉर्डर पर हैं।"
"हमारे सभी साथी बहादुरगढ़, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर मौजूद हैं। बॉर्डर पर मौजूद किसान गुस्से में हैं उनके साथ जो व्यवहार किया है। हमने ये तय किया था कि 26 नवंबर संविधान दिवस के दिन हम राम लीला मैदान जाएंगे, क्योंकि हमारी बात नहीं सुनी जा रही।"
"हम चाहते हैं कि जो तीन कृषि कानून पास हुए हैं वो सरकार वापस लें, यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारा देश भुखमरी का शिकार हो जाएगा। डीजल खरिदने पर 50 फीसदी की सब्सिडी मिले क्योंकि किसान खेती में डीजल की सबसे ज्यादा खपत है।"
उन्होंने बताया, "ढाई बजे एक बैठक हुई है, जिसमें सभी किसानों के नेता शामिल थे। बैठक में इस बात पर फैसला लिया गया है कि रविवार तक जो किसान जहां है वो वहीं रहेंगे। यदि जो किसान बुराड़ी आ गए है वो धीरे धीरे बॉर्डर पहुंचें, वरना वहीं बैठे रहें।"
पंजाब से आए किसानों के अनुसार 10 हजार से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉली पंजाब से आए हैं। जो की बॉर्डरों पर मौजूद है।
पंजाब से भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के बैनर तले आये किसानों को बहादुरगढ़ बॉर्डर पर पुलिस ने इन्हें बुराड़ी जाने के लिए कहा, जिसके बाद करीब दर्जन भर ट्रैक्टर ट्रॉली निरंकारी मैदान में आ गए।
हालांकि अभी कह पाना मुश्किल होगा कि किसानों का आगे का रवैया क्या होने वाला है। बॉर्डर पर मौजूद किसान उठने का नाम नहीं ले रहे हैं, वहीं निरंकारी मैदान में आए किसानों को भी फिलहाल कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
दिल्ली पहुंचे किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में करीब 6 महीने का राशन ले कर आए हैं, किसानों का कहना है कि हम यहां से तभी उठेंगे जब हमारी मांगों को मान लिया जाएगा।
निरंकारी मैदान में दिल्ली सरकार के कार्यकर्ता और स्थानीय विधायक लगातार नजर बनाए हुए हैं और किसानों से बार बार व्यवस्थाओं को लेकर पूछ रहे हैं। हालांकि किसानों को किसी राजनीतिक पार्टी के नेताओं से कोई मतलब नहीं दिखा।
निरंकारी मैदान में हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसमें सीआईएसएफ के जवान भी शामिल हैं। मैदान के चारों ओर जवानों को तैनात किया गया है। ताकि किसी भी हालातों से निपटा जा सके, लेकिन मैदान में ज्यादा किसानों की संख्या न होने के कारण जवान राहत की सांस ले रहे हैं।
सुबह से कई दफा पुलिस के आला अधिकारी मैदान में आ कर मौके का जायजा ले चुके हैं। आला अधिकारियों की मैदान के चप्पे चप्पे पर पैनी नजर बनाए हुई है। इसके अलावा ड्रोन से भी निगरानी रखी जा रही है।
दिल्ली सरकार के अंतर्गत दिल्ली सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स भी निरंकारी मैदान में मौजूद हैं। जो लगातार लोगों को दो गज की दूरी बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। वहीं मैदान में एम्बुलेंस भी खड़ी की गई हैं, ताकि किसी को मेडिकल की जरूरत पड़े तो किसानों को तुरंत सुविधा मुहैया करा सकें।
किसानों से बातचीत करने के लिए मीडिया कर्मी भी मौजूद हैं, जो किसानों से उनकी परेशनियों और उनकी मांगों को लेकर पूछ रहे हैं। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 28 नवंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोनावायरस महामारी से लड़ने के लिए बनाई जा रही वैक्सीन निर्माण की प्रगति की समीक्षा के लिए हैदराबाद समेत तीन शहरों के दौरे पर हैं। दोपहर एक बजे के करीब यहां के हकीमपेट एयरपोर्ट पर मुख्य सचिव सोमेश कुमार, पुलिस महानिदेशक महेंद्र रेड्डी और स्थानीय कलेक्टर श्वेता मोहंती ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री के कार्यालय के एक अधिकारी के मुताबिक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और राज्यपाल तमिलिसाई साउंडराजन मोदी को रिसीव करने नहीं पहुंचे थे।
जबकि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के लिए प्रधानमंत्री को रिसीव करना मानक प्रोटोकॉल का हिस्सा माना जाता है।
एयरपोर्ट से मोदी सड़क के रास्ते से भारत बायेटेक कंपनी की ओर रवाना हो गए हैं। (आईएएनएस)