विष्णु नागर

आडवाणीजी, यह आपका उपहार है बुजुर्गवार !
05-Aug-2020 3:30 PM
आडवाणीजी, यह आपका उपहार है बुजुर्गवार !

द हिंदू में काटूनिस्ट सुरेन्द्र

-विष्णु नागर

आज लालकृष्ण आडवाणी भी मस्त हैं और मोदीजी की तो आज की मस्ती लाजवाब है।आडवाणी जी गए नहीं या बुलाए नहीं गए अयोध्या मगर वे आज के दिन का पूरा श्रेय मोदी जी को कैसे लूट लेने देते,जो हर श्रेय लूट लेने की कला में पारंगत हैं और हर दोष जवाहरलाल नेहरू पर थोप देने की कला में अद्वितीय! तो माननीय आडवाणी जी ने श्रेय का बड़ा हिस्सा अपने पास रखने के लिए आज के दिन को ऐतिहासिक और भावपूर्ण दिन बताया है और इस दिन को लाने में अपनी भूमिका को रेखांकित किया है। वह जानते हैं कि मोदी का क्या भरोसा, अपने एक-डेढ़ घंटे के भाषण में आडवाणी का नाम तक न ले! तो बेचारे ने सोचा अपना विज्ञापन स्वयं ही करना पड़ेगा वरना ये ऐतिहासिक दिन,ऐतिहासिक दिन करेगा मगर मेरा नाम तक ये ‘इतिहास’ से गायब कर देगा। आखिर चेला भी तो मेरा ही है! गर्व से कहोगे आडवाणीजी, मोदी मेरा चेला है। कह दो बस एक बार।

माननीय आडवाणीजी, मोदीभक्तों के अलावा सबको मालूम है कि आपके नेतृत्व में और आपकी उकसावे वाली रामरथ यात्रा ने ही बाबरी मस्जिद को ढहाने का कुकृत्य किया था।यह आप ही थे महाशय, जिसने मस्जिद को ढहाने की वैधता स्थापित करने के लिए उसे ढाँचा बताया था, मुसलमानों के तुष्टिकरण, छद्म धर्मनिरपेक्षता, हिंदुओं के आत्माभिमान को आहत करने का दोष मढ़ा था। आप ही ने मुसलमानों के लिए मोहम्मदी हिन्दू शब्द प्रचलित करने का प्रयास किया था, जो सफल नहीं रहा।

और आप क्यों याद दिलाएँगे कि आपकी इस यात्रा ने कैसा भयंकर सांप्रदायिक विद्वेष फैलाया था और यह भी आपको कैसे याद रहेगा कि मस्जिद ढहाने के बाद कई महीनों तक सांप्रदायिक हिंसा फैली थी, उसमें कम से कम दो हजार लोगों की जानें चली गई थीं। वे जानें भी उतनी ही कीमती थीं, जितनी आपकी और मोदीजी की जान है। और आज तक वह जहर है और बढ़ता जा रहा है।कार्बनडाई आक्साइड इतनी फैल चुकी है कि साँस लेना मुश्किल है। यह आपकी का उपहार है बुजुर्गवार!

यह प्रधानमंत्री भी देश को दी गई आपकी ही भेंट है, जो आपके नमस्कार का जवाब तक नहीं देता।वह उतना भी सम्मान आपकी बुजुर्गीयत का नहीं करता, जितना कांग्रेस किया करती थी।

तो आडवाणीजी आप खुश हैं और आप बुजुर्ग हैं मगर मैं मानता हूँ कि अगर आप भी आज प्रधानमंत्री होते तो शायद वर्तमान वाले से बेहतर नहीं होते। बस ये है कि आप इतिहास के कूड़ेदान में अपनों द्वारा ही आपके जीवित रहते ही फेंक दिए गए हैं और आपके शिष्य को अभी इसमें समय लगेगा। धन्यवाद और आभार कि आप खुश हैं और आपकी खुशी ने आपकी भूमिका की याद और ताजा कर दी है।

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