महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 30 जुलाई। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत् महिला एवं युवतियों को एक स्वसहायता समूह के रूप में गठित कर उन्हें प्रेरित और विभिन्न आजीविका गतिविधियों का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। शासन की महत्वाकांक्षी योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा महासमुंद जिले में 5 हजार 223 महिला स्वसहायता समूह काम कर रही हैं। जिले कीं 55 हजार 910 महिलाएं इससे जुडक़र मोमबत्ती, दीया, वाशिंग पाउडर, फिनॉयल, बांस की टोकरी सहित अन्य सामग्रियां बनाकर आत्मनिर्भर हुई है। बिहान योजना से जुड़ी महिलाएं सिलाई कढ़ाई करने, जैविक खाद बनाने और खुद बनाए सामानों को बजार में बेचने का काम करती हैं।
जिले के विकासखंड बागबाहरा के अंदरूनी गांव कोमाखान की एकता महिला स्वसहायता समूह दीदीयों के जज्बे के आगे अब लोहा भी नरम पड़ गया है। यहां की बिहान समूह की महिलाएं आजीविका के रूप में लोहे की तार फेंसिंग का निर्माण कर रही हंै। इन महिलाओं ने बीते माहों में 169 बण्डल फेंसिंग तार का निर्माण कर 1 लाख 90 हजार 365 रुपए का विक्रय किया है। इनके फेंसिंग तार को सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा मांग की जा रही है। जिले की स्व सहायता समूह की महिलाओं ने साबित कर दिया की उनके अन्दर भी परिवार को आर्थिक सहायता देने की क्षमता है। ऐसे में बिहान की योजनाएं उन्हें और मजबूत कर रही है। बिहान की योजनाओं का लाभ उठा कर महिलाएं सिर्फ अपने ही परिवार के आर्थिक स्थिति को मजबूत नहीं कर रही है बल्कि और भी लोगों को रोजगार प्रदान कर उन्हें भी आगे बढऩे में मदद कर रही हंै। ये महिलाएं फेसिंग तार के साथ आचार, पापड़, निरमा, साबुन, फिनाइल आदि निर्माण कर रही है। कलेक्टर डोमन सिंह भी उनसे मिलने पहुंचे थे। इनके द्वारा बनाए जाने वाले फेंसिंग तार की प्रक्रिया और उपकरण आदि देखें। महिलाओं ने बताया कि काम मुश्किल था पर मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया गया तो काम आसान लगने लगा। कलेक्टर ने उनके काम की तारीफ की।