महासमुन्द

एमपी में हीरा उत्खनन के लिए सवा दो लाख पेड़ काटे जाएंगे
31-Jul-2021 7:17 PM
एमपी में हीरा उत्खनन के लिए सवा दो लाख पेड़ काटे जाएंगे

 

जंगल बचाने 20 राज्यों के पर्यावरण प्रेमी आज से करेंगे विरोध प्रदर्शन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 31 जुलाई।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिला में बक्सवाहा जंगल को बचाने देश भर के करीब 20 राज्यों के पर्यावरण प्रेमी पहुंच कर विरोध प्रदर्शन करेंगे।  ज्ञात हो कि साढ़े सात करोड़ की आबादी वाले राज्य मध्यप्रदेश में 75 लाख लोगों को प्राणदायी ऑक्सीजन देने वाला बकस्वाहा जंगल का अस्तित्व खतरे में है।

उक्त संबंध में जिले की सीमा से लगे खरियार रोङ के पर्यावरण प्रेमी मनोज डागा ने बताया कि हम सभी जानते हैं कि एक स्वस्थ वृक्ष 230 लीटर ऑक्सीजन देता है और यह 7 व्यक्तियों के लिए पर्याप्त है साथ ही यह कार्बन का संचय भी करते हैं धूल को भी कम करते हैं और यहां पर सवा दो लाख पेड़ काटे जाने हैं। पेड़ों की बलि न तो शहर बसाने या नागरिकों की सुविधा के लिए या सडक़ डेम आदि बनाने की नहीं बल्कि सिर्फ हीरे के उत्खनन के लिए काटे जाएंगे।
 
पर्यावरण प्रेमी मनोज डागा खरियाररोड ने बताया है कि एक अनुमान के अनुसार बक्सवाहा के जंगल में 34.2 करोड़ कैरेट के हीरे मिले हैं। हालांकि इन हीरों को पाने के लिए इस जंगल के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों- हर्बल पौधों और अन्य पेड़ों को काटना होगा। खनन परियोजना 382.131 हेक्टेयर की है, जिससे जंगल का विनाश तय है। यह जंगल स्थानीय नागरिकों के जीविका का साधन भी है। जंगल के प्राकृतिक संसाधन करीब 8,000 आदिवासियों की आजीविका प्रदान करते हैं।

पर्यावरणीय क्षति और पीढिय़ों से यहां रहने वाले आदिवासी लोगों की बेदखली का हवाला देते हुए वर्ष 2014 में इस परियोजना का जोरदार विरोध किया गया था, लेकिन पुन: वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश सरकार ने खनन परियोजना के लिए जंगल की नीलामी का टेंडर जारी किया और आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर निविदा अपने नाम कर ली। मध्यप्रदेश सरकार ने 62.64 हेक्टेयर क़ीमती वन भूमि बिड़ला समूह को अगले पचास वर्षों के लिए पट्टे पर दी है। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सिंह की गलतियों को सुधारने के स्थान पर अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है, जिस कारण देश प्रदेश में खासा आक्रोश व्याप्त है।

डागा ने बताया कि वन विभाग की जनगणना के अनुसार बक्सवाहा के जंगल में 2,15,875 पेड़ हैं। इस उत्खनन को करने के लिए सागौन, केन, बेहड़ा, बरगद, जामुन, जम्मू तेंदु, अर्जुन और अन्य औषधीय पेड़ों सहित जंगल के प्राकृतिक संसाधनों का खजाना, जो कुल मिलाकर 2,15,875 तक है, को काटना होगा। इसके साथ ही वन्य जीव, पशु -पक्षी के साथ 22000 वर्ष पुरानी शैलचित्र का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है।

मनोज डागा ने समस्त प्रर्यावरण प्रेमियों से अपील करते हुए कहा है कि उक्त जंगल संरक्षण हेतु देश भर की संस्था आगे आएं।

विगत दो माह पूर्व इसकी कटने की पुन: सूचना मिलते ही देश के पर्यावरण प्रेमियों ने इसके संरक्षण हेतु अभियान चलाया था, 5 जून को बक्सबाहा के ग्राम सगोरिया कार्य स्थल पर सैकड़ों पर्यावरण प्रेमी एकत्रित हुए एवं रक्षा सूत्र बांधे गए क्रम क्रम से अनेक संस्थाएं इस दिशा में आंदोलन कर रही हैं और आन्दोलन चल रहा है।

 जंगल बचाओ अभियान (विभिन्न संगठनों के राष्ट्रीय समन्वय समिति) का गठन कर सैकड़ों संस्थान एक आवाज में बकस्वाहा जंगल को बचाने की दिशा में एकजुट हुए और आज देश - विदेश के करीब लाखो लोग प्रतिदिन सोशल साइट्स, इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया सहित धरातल पर कार्यरत हैं।

इसी अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षकों की एक समूह ने बकस्वाहा जंगल के निरीक्षण कर धरातल की सच्चाई को जाना और तीन दिवसीय यात्रा की घोषणा नर्मदा मिशन के समर्थ सद गुरु भैया जी सरकार के सानिध्य में की गई, जिसमें देश के करीब 20 राज्यों से पर्यावरणविद इस कार्यक्रम में एकत्रित होंगे।

नर्मदा मिशन द्वारा नर्मदा बचाओ अभियान से समर्थ गुरु भैया जी सरकार के संरक्षण में जबलपुर में 1, 2 एवं 3 अगस्त  को होना सुनिश्चित हुआ है। इस कार्यक्रम के तहत सभी पर्यावरण योद्धा 1 अगस्त को जबलपुर में एकत्रित होंगे और 2 अगस्त को बकस्वाहा जंगल का भ्रमण के लिए जाएंगे और वहीं पर बैठक करेंगे, फिर 3 अगस्त को जबलपुर में ही विशाल पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यशाला की जाएगी, जिसमें देश के कई बड़े पर्यावरण योद्धा सहित बकस्वाहा जंगल के संरक्षण सहित देश के सभी हिस्सों में प्रकृति संरक्षण हेतु उद्घोष करेंगे।

इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट दिल्ली, हाईकोर्ट मध्यप्रदेश और एजीटी में दायर मुक़दमे की वकालत कर रहे अधिवक्ताओं का एक समूह भी उपस्थित रहेगा, जो इसकी बारीकियों पर विस्तृत प्रकाश डालेंगे। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश से चौधरी भूपेंद्र सिंह प्रताप पर्यावरण एवं शिक्षा समिति मध्य प्रदेश , कमलेश कुमार सिंह उद्घोष फाउंडेशन ,करुणा रघुवंशी,रितिका गुप्ता , गुलाब चन्द अग्रवाल झारखंड बिहार से संजय कुमार बबलू, छतीसगढ़ से सुरेंद्र साहू, खरियाररोड उड़ीसा से मनोज डागा उत्तर प्रदेश से डॉ. टी के सिन्हा ,कर्नाटका से सुग्गला यल्लामल्ली लाइन एम जे एफ महाराष्ट्र से महेंद्र घाघरे सहित सैकड़ों की संख्या में धरातल पर कार्य कर रहे पर्यावरण प्रेमी का एक विशाल जनसमूह रहेगा। विशेष सहयोगी आजाद डवास पूर्व आई एफ एस, सी सुभाष चन्द्र पांडे वरिष्ठ पर्यावरण विद भोपाल सुनील दुबे वृक्ष मित्र, डॉ प्रकाश नारायण पहरिया ,डॉ राजीव जैन भोपाल प्रमुख हैं  कार्यक्रम के अंत में सभी पर्यावरण के लिए कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया जाएगा।

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