कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 1 अगस्त। शारीरिक व्याधियां यदि किसी इंसान को हो तो उनकी पहचान एवं इलाज करना संभव हो पाता है परन्तु मानसिक व्याधियों से जुझ रहे इंसान की पहचान एवं उनके इलाज में लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। मानसिक रोगियों को कई बार स्वयं की बीमारी के संबंध में भी ज्ञान नहीं होता और वे स्वयं को आहत करने के साथ अन्य लोगों को भी अनभिज्ञता में गंभीर रूप से हताहत कर जाते हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों के परिजनों को सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक व्याधियों के उपचार हेतु अस्पतालों के दूरस्थ शहरों में होने से गरीबी रेखा से नीचे एवं मध्यम वर्ग के लोगों को आर्थिक समस्याओं के चलते इन महंगे अस्पतालों में इलाज कराना संभव नहीं हो पाता। जिससे मानसिक रोगियों को बिना इलाज के ही परिजनों द्वारा भटकने के लिये छोड़ दिया जाता है या फिर हिंसक होने पर घरों में ही लोहे की जंजीरों अथवा पट्टों में पशुओं की भांति बांध कर रख दिया जाता है।
जिले में मानसिक रोगियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा द्वारा मानसिक रोगियों के नि:शुल्क इलाज एवं परामर्श के लिए संवेदना कार्यक्रम सम्पूर्ण जिले में प्रारंभ किया गया। इसके तहत् सर्वप्रथम जिला अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ आदित्य चतुर्वेदी की मनोरोग विभाग में नियुक्ति की गई तत्पश्चात् जिले में अन्य डॉक्टरों एवं आरएमए डॉक्टरों की टीम बनाकर उन्हें मानसिक रोगियों की पहचान एवं उनसे परामर्श करने हेतु विशेष मानसिक रोग उपचार प्रशिक्षण शिविर लगाकर प्रशिक्षण दिया गया। इन शिविर में बेंगलुरू के एनआईएमएचएएनएस अस्पताल की विशेषज्ञ एवं अनुभवी डॉक्टरों की टीम द्वारा प्रशिक्षण कार्यशाला में अपने अनुभव सभी से साझा किये गये। इस प्रशिक्षण उपरांत महिला बाल विकास विभाग द्वारा अभियान चलाकर गांवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता से मरीजों के चिन्हांकन एवं परिजनों से चर्चा कर उन्हें ईलाज के संबंध में जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न गांवों में रोगियों की संख्या के आधार पर रोस्टर एवं रोड मैप तैयार कर गांवों में शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में मानसिक रोगियों को लाने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा उठाई गई है। इन शिविरों में पहुंच रहे मानसिक रोगियों से डॉक्टरों द्वारा परामर्श कर उनके लक्षणों को दर्ज करते हुए आवश्यक होने पर जिला अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक से विडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा रोगी से बात करा कर विशेषज्ञ द्वारा रोगियों के लिये दवाईयों हेतु परामर्श करते हुए उन्हें दवाईयां प्रदान की जाती है।
अति गंभीर एवं उग्र हो चुके मानसिक रोगियों का घरों में जाकर डॉक्टरों द्वारा परामर्श कर स्थिति अनुसार जिला अस्पताल में रिफर किया जाता है।