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बस्तर के पर्यावरण को बचाने की दिशा में महिलाओं ने बढ़ाया एक और कदम
01-Aug-2021 6:26 PM
 बस्तर के पर्यावरण को बचाने की दिशा में महिलाओं ने बढ़ाया एक और कदम

पर्यटन स्थलों को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए बना रहीं कागज के थैले

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 1 अगस्त। बस्तर पर प्रकृति ने अपार प्यार बरसाया है। बस्तर की यह खुबसूरती चित्रकोट-तीरथगढ़ जैसे कई जलप्रपातों और गुफाओं में और भी निखर उठती है। बस्तर की इस खुबसूरती को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है। लोगों की अधिक आवाजाही के कारण इन स्थानों की खुबसूरती में कोई कमी नहीं आए, इसके लिए अधिक से अधिक साफ-सुथरा बनाए रखने की जरुरत है। साफ-सफाई में प्लास्टिक का उपयोग एक बड़ी बाधा है। इसी को देखते हुए पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक के स्थान पर कागज से बनाए गए थैलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कलेक्टर रजत बंसल द्वारा पर्यटन स्थलों के आसपास साफ-सफाई को विशेष रुप से प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे प्रेरित होकर तीरथगढ़ की महिलाएं इन दिनों कागज के थैले और लिफाफे बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं।

पर्यटन समिति की लगभग 15 महिलाओं को कागज के थैले और लिफाफे बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, बिहान से जुड़ी स्वसहायता समूह की भी महिलाएं शामिल हंै। कागज से थैला बनाने वाली इन महिलाओं की आय भी बढ़ेगी।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ऋचा प्रकाश चैधरी ने बताया कि पर्यटन क्षेत्रों में नो प्लास्टिकमुक्त जोन बनाने की परिकल्पना हेतु यह प्रयास समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है, बहुत जल्द सभी पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक की सामग्रियाँ प्रतिबंधित की जाएंगी और केवल कागज से बने थैले और लिफाफों का ही उपयोग किया जाएगा।

सहायक परियोजना अधिकारी श्रीमती नेहा देवांगन ने आगे बताया महिलाओं द्वारा  बीजा लाड़ू जिसे प्रचलित भाषा मे सीड बॉल कहा जाता है का वृहद स्तर पर निर्माण किया गया है जिसकी पैकिंग इन्ही पेपर बैग्स में कई जा रही है। इन बीजा लाड़ू को पर्यटन स्थल में आने वाले सैलानियों को सशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है जिससे महिलाओं को आर्थिक लाभ भी मिल रहा है।

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