सरगुजा
9 महीने में 168 घरों को किया क्षतिग्रस्त, 3 लोगों की गई जान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 1 अगस्त। छत्तीसगढ़ का शिमला सरगुजा के मैनपाट में 10 हाथियों के दल ने शनिवार की रात जमकर उत्पात मचाते हुए ढांडकेसरा गांव में 14 ग्रामीणों के मकान तोड़ दिये।
भरी बरसात में उजड़ा घर देख वहां के ग्रामीण बिलख पड़े और अपने अस्तित्व व रहने को लेकर काफी चिंतित नजर आए। ग्रामीणों में वन विभाग के विरुद्ध आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग केवल मुआवजा बांटने तक ही सीमित रह गया है, उनकी कोई भी कार्ययोजना हाथियों को भगाने व बस्ती में आने से रोकने में कामयाब नहीं हो रही है, अगर ऐसा ही रहा तो उनका पूरा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
जानकारी के मुताबिक शनिवार की रात 9 बजे हाथियों के दल ने ढांडकेसरा केसरा गांव में 14 ग्रामीणों के मकान को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। हाथियों ने जब हमला बोला तो उस समय पानी गिर रहा था, अफरा-तफरी के बीच ग्रामीण किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकले। रविवार की सुबह आकर ग्रामीणों ने देखा तो उनका पूरा घर उजड़ चुका था। आशियाने को उजड़ा देख ग्रामीण रो पड़े और अपने रहने को लेकर काफी चिंतित नजर आए। इधर सूचना के बाद वन विभाग मौके पर पहुंच क्षतिपूर्ति आंकलन करने में लगा हुआ था। हाथियों का दल अभी धरमजयगढ़ वन मंडल के बोरो जंगल में अपना डेरा डाले हुए हैं।
हाथी और मानव के बीच कड़ा संघर्ष जारी
पिछले 9 महीनों की बात करें तो मैनपाट क्षेत्र में गजदलों ने 168 मकानों को नेस्तानाबूद किया है, वहीं 3 ग्रामीणों की जान ली है। यही नहीं गजदल अब तक कई हेक्टेयर में लगे फसलों को भी रौंद चुके हैं और एक पालतू घोड़े की भी जान ले चुके हैं। बारिश के इस मौसम में हाथी और मानव के बीच कड़ा संघर्ष जारी है। हाथियों के आतंक से उन्हें कब निजात मिलेगी फिलहाल इसका जवाब न तो विभाग के पास है और ना ही ग्रामीणों के पास।
हाथियों के लगातार हमले से बारिश और धुंध के बीच ग्रामीणों को अपनी जान बचाना काफी कठिन हो रहा है। एक ओर बारिश और दूसरी ओर धुंध में कुछ दिखाई नहीं देने से हाथियों के धमक के बीच ग्रामीणों को अपनी जान बचा कर भागना बड़ी चुनौती है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग केवल मुआवजा बांटने तक ही सीमित रह गया है। लगातार हमले के बावजूद विभाग ग्रामीणों को सही समय पर सूचना नहीं दे पा रहा है और ना ही उन्हें खदेडऩे कोई उचित कदम अब तक उठा पाया है।
ग्रामीणों के घरों को लगातार निशाना बना रहे गजदल
मैनपाट के तराई क्षेत्र में 10 सदस्यीय हाथियों के दल ने पिछले 9 महीनों से डेरा डाला हुआ है। वन विभाग द्वारा हाथियों को खदेडऩे प्रयास किया जाता है तो हाथी कभी कापू रेंज तो कभी धरमजयगढ़ वन मंडल के बोरो रेंज के जंगल में चले जाते है, फिर पुन: मैनपाट की ओर चढा़ई कर तराई क्षेत्रों में उत्पात मचाते हैं। हाथियों को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा बैरिकेडिंग भी की गई है, इसके बावजूद हाथी मैनपाट वन परीक्षेत्र के अलग-अलग बस्तियों में पहुंचकर ग्रामीणों के घरों को लगातार निशाना बना रहे हैं।
ग्रामीण भटकने पर विवश, कई ने तिरपाल व मचान को बनाया सहारा
जंगली हाथियों ने कई ग्रामीणों के घर को अब तक तोड़ा है, ग्रामीण बरसात के इस मौसम में उसकी मरम्मत नहीं करा पा रहे हैं।वहीं आंगनबाड़ी केंद्र में 12 से 15 परिवारों के रहने के कारण लोग वहां आश्रय लेना नहीं चाहते हैं, इस कारण ग्रामीण जंगलों में तिरपाल गाड़ व पेड़ों पर मचान बना बारिश के इस मौसम में अपने परिवार वालों के साथ रह रहे हैं। घर में रखे अनाज को हाथियों द्वारा चट कर जाने से उनके सामने राशन की भी मजबूरी हो गई है। ग्रामीण जैसे तैसे उधार मांग अपना भरण पोषण कर रहे हैं।