महासमुन्द
रात को फैक्ट्री के पीछे दरवाजे से दीवार फांदकर निरीक्षण के लिए घुसे अफसर
फर्नेस ऑयल फैक्ट्री हादसे की जांच शुरू
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 2 अगस्त। औद्योगिक क्षेत्र बिरकोनी में शनिवार को हुए फर्नेस ऑयल फैक्ट्री में हादसे के बाद जांच शुरू हो गई है। जानकारी मिली है कि औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा विभाग की टीम रात को फैक्ट्री पहुंची थी। उस वक्त ताला बंद होने के कारण फैक्ट्री के पीछे दरवाजे से अफसर दीवार फांदकर निरीक्षण के लिए घुसे थे।
अफसर इस हादसे का कारण अप्रशिक्षित ऑपरेटर का होना बताते हैं। इनके अनुसार फैक्ट्री में जो मशीन लगी है, वो नई टेक्नोलॉजी की है। विभाग द्वारा संचालक को कई बार निरीक्षण के दौरान प्रशिक्षत ऑपरेटर रखने के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन संचालक ने अप्रशिक्षित को काम पर रखा। घटना तारीख को जल्दबाजी व लापरवाही के कारण ऑपरेटर ने प्रेशर मीटर को देखा नहीं और रिएक्टर का ढक्कन खोलने कर्मचारियों को भेज दिया। जैसे ही रिएक्टर के चेंबर का ढक्कर कर्मचारियों ने खोला, वे गर्म गैस से झुलस गए। इस हादसे में चार कर्मचारी खतरे से बाहर बताए गए हैं, वहीं एक की हालत अभी भी गंभीर है। कर्मचारियों के इलाज का पूरा खर्चा संचालक द्वारा उठाया जाएगा। राजधानी के निजी अस्पताल में सभी का इलाज जारी है।
इस संबंध में औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा बलौदाबाजार महासमुंद के सहायक संचालक आशुतोष पाण्डेय कहते हैं कि निरीक्षण में प्रथम दृष्टया ऑपरेटर की लापरवाही सामने आई है। प्रेशर मीटर देखे बिना और गैस रिलीज हुए बिना कर्मचारियों से रिएक्टर चेंबर का ढक्कन खुलवा दिया और हादसा हुआ है। फैक्ट्री को बंद करने का आदेश दे दिया गया है। घायल कर्मचारियों से बयान लेने के बाद जिस किसी की लापरवाही पाई जाएगी, उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मालूम हो कि कोतवाली पुलिस ने श्रीराम टॉयर फैक्ट्री के संचालक अरविंद महाजन के खिलाफ धारा 285, 287, 338 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।
यह भी जानकारी मिली है कि बिरकोनी स्थित श्रीधाम फर्नेश ऑयल फैक्टी के संचालन में ग्रामीणों की लगातार आपत्तियों की वजह से फैक्ट्री को जनवरी 2020 से बंद करवा दिया गया था। विभाग की ओर से फैक्ट्री में कमी को पूरा करने के लिए संचालक को विभिन्न बिंदुओं में पालन प्रतिवेदन सौंपा गया था। फैक्ट्री को आपत्तियों के चलते 1 साल के लिए बंद कर दिया था औैर संचालक ने कमियों को दूर करने के बाद फैक्ट्री खोली। लेकिन फैक्ट्री में औद्योगिक स्वास्थ्य सुरक्षा विभाग के मानकों के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था है, यदि हां तो ये दुर्घटना कैसे हो गई, चार लोग झुलस कैसे गए? और यदि नहीं तो विभाग ने परमिशन कैसे दे दिया?, क्या यहां श्रम विभाग के नियमों का पालन हो रहा है ?, यहां काम करने वाले मजदूरों का लेखा-जोखा विभाग के पास है ?, जो गर्म गैस से झुलसकर जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं, उनके पास ईएसआईसी का कार्ड है ?, जैसे सवाल लोग अभी भी उठा रहे हैं।
बिरकोनी के लोगों का आरोप है कि उक्त उद्योग से संबंधित विभागों को नियमित रूप से फैक्ट्री में पहुंचकर इन तमाम बातों का सूक्ष्मता से निरीक्षण परीक्षण करना होता है, लेकिन अफसर ऐसा नहीं कर रहे हैं। नियम कायदों की अवहेलना करते हुए यह फैक्ट्री 10 सालों से चल रही है।
औद्योगिक विभाग के अफसरों की मानें तो पहले फैक्ट्री में जिस रिएक्टर चेंबर का इस्तेमाल संचालक कर रहा था, वह पुरानी टेक्नोलॉजी की थी। रिएक्टर चेंबर को जमीन पर रखकर कर्मचारियों से काम कराया जा रहा था, जो जानलेवा था। रिएक्टर मशीन में न तो प्रेशर मीटर था और ना ही अन्य जानकारियों का मीटर था। इसके बाद फैक्ट्री के संचालक ने फरवरी 2021 में नई रिएक्टर मशीन की स्थापना की, जो पूरी तरह आटोमैटिक मशीन है। इसमें प्रेशर मीटर के साथ सारे यंत्र लगे हुए हैं। इस मशीन को सीमेंट का बेस बनाकर स्थापित किया गया है। इससे हादसे होने की संभावना भी कम है।
विभाग के अफसर ने बताया कि संचालक ने कुशल मशीन ऑपरेटर रखने के बजाए अकुशल ऑपरेटर को रखा। यहीं नहीं उसने जिस ऑपरेटर को रखा है, वह उस फैक्टी का श्रमिक ठेकेदार है। यानी ठेकेदार ही मशीन की ऑपरेटिंग करता था। शनिवार का हादसा ऑपरेटर की लापरवाही की वजह से हुआ। ऑपरेटर ने रिएक्टर चेंबर का ढक्कर बिना गैस रिलिज हुए ही कर्मचारियों से ढक्कर खुलवा दिया। इसकी वजह से रिएक्टर से जो गर्म गैस निकला इससे कर्मचारी झुलस गए।