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आम जनजीवन की पीड़ा एवं संवेदनाओं को उकेरा है मुंशी प्रेमचंद ने- गिरीश
02-Aug-2021 4:25 PM
आम जनजीवन की पीड़ा एवं संवेदनाओं को उकेरा है मुंशी प्रेमचंद ने- गिरीश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 2 अगस्त।
जनजागृति मंडल के संयोजन में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं सद्भावना दर्पण के संपादक गिरीश पंकज रायपुर ने प्रमुख वक्ता के रूप में अपनी वर्चुअल उपस्थिति दी एवं मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने आम आदमी के दु:ख-दर्द को अपने साहित्य में उतारा है। उनकी अधिकांश रचनाएं आम आदमी की संवेदनाओं एवं सामाजिक विसंगतियों के काफी करीब थी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते कामरेड हरिद्वार सिंह ने कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद को एक संवेदनशील लेखक बताते हुए उनके व्यक्तित्व एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि पर विस्तार से विचार व्यक्त किए। वर्चुअल विचार संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि कामरेड जितेंद्र सोढी ने मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में योगदान की चर्चा करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व  को साहित्यकारों के लिए एक नवीन दिशा देने वाला बतलाया। 

शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ प्रभारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार सतीश उपाध्याय ने शालेय पाठ्यक्रम में मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में समाहित विभिन्न सामाजिक संदेशों की चर्चा करते हुए कहा कि प्रेमचंद की कहानियां एवं उनके सरल साहित्य रचना के माध्यम से एक सुसंस्कृत समाज की संरचना की जा सकती है। 

इसी कड़ी में ओपन स्कूल के प्रभारी व्याख्याता नारायण प्रसाद तिवारी ने अपने काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद के साहित्य के योगदान की चर्चा की। जेसीज क्लब के भूतपूर्व प्रशिक्षक एवं संवेदनशील विचारक द्वारिका अग्रवाल बिलासपुर ने मुंशी प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट बताते हुए कहा कि आने वाली कई साहित्य प्रेमी पीढ़ी इनके साहित्य को पढक़र एक अच्छे  समाज की रचना कर सकेगी। चिरमिरी की महिला साहित्यकार मल्लिका रुद्रा ने मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनकी सुप्रसिद्ध रचनाओं की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए उन्हें प्रगतिशील विचारक बताया।

 प्रबल फाउंडेशन से जुड़ी डॉ. रश्मि सोनकर ने मुंशी प्रेमचंद के साहित्य को जन-जन का साहित्य बताते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद की बोलचाल की भाषा इतनी सहज एवं सरल थी कि जिसे गांव की चौपालों में भी आसानी से सुनाया और समझा जा सकता है। 
कार्यक्रम संयोजक एवं जन जागृति मंडल के सचिव संतोष कुमार जैन ने मुंशी को संवेदनशील लेखक की संज्ञा देते हुए कहा कि उन्होंने आम आदमी के दुख-दर्द को अपने साहित्य में स्थान देकर समाज की विसंगतियों को दूर करने इशारा किया है। 

सीएम तिवारी ने मुंशी प्रेमचंद के जयंती पर आयोजित वर्चुअल संगोष्ठी को एक सार्थक एवं सफल प्रयोग बतलाया और कहा कि महान साहित्यकारों को याद करना समाज में एक अच्छा वातावरण बनाने जैसा ही सफल अनुष्ठान है। कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से अरविंद वैश्य, अभिनव द्विवेदी, जयंत, देवनाथ, दयाशंकर सेनगुप्ता एवं गौरव अग्रवाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संतोष कमार जैन एवं आभार प्रदर्शन सतीश उपाध्याय ने किया।

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