महासमुन्द

जिले में 4 हजार पोषण बाडिय़ों से कुपोषण में कमी के साथ किसानों की आमदनी में इजाफा
02-Aug-2021 5:39 PM
 जिले में 4 हजार पोषण बाडिय़ों से कुपोषण में  कमी के साथ किसानों की आमदनी में इजाफा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 2 अगस्त।
महासमुंद जिले में पोषण बाड़ी योजना के तहत इस वर्ष 3922 पोषण बाडिय़ों को चिन्हित कर योजना का क्रियान्वयन किया गया है। इनमें महासमुंद सहित विकासखंड बागबाहरा और सरायपाली में 785.785 पोषण बाड़ी का चयन किया गया, वहीं पिथौरा ब्लॉक में 783 तथा बसना में 784 पोषण बाडिय़ां चयनित की गई। 

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण करने घर के समीप उपलब्ध भूमि पर फल, सब्जी एवं पुष्प की खेती कृषकों द्वारा कराया जाना ही सुराजी गांव योजना अंतर्गत बाड़ी की परिकल्पना का मुख्य आधार है। योजनान्तर्गत महिलाओं, महिला स्वसहायता समूह को तथा ग्राम के गरीब तबके और कमजोर वर्गों के परिवारों को जिनके घर पर बाड़ी के लिए जगह हैं, किन्तु बाड़ी की गतिविधि नहीं कर रहे हैं। उन्हें इस योजना का लाभ दिये जाने हेतु महासमुंद जिले में पोषण बाडिय़ों का चिन्हित कर योजना बनाई गयी। इन बाडिय़ों में सब्जी भाजी के साथ लगभग 58 हज़ार फलदार पौधे भी रोपे जा रहे हैं। कृषि की दृष्टि के कम विकसित क्षेत्रों में नई तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने और कृषि उत्पादन में वृद्धि के उपायों से जुड़े विभिन्न विषयों पर कृषि से जुड़े विभागों के जिला अधिकारियों द्वारा किसानों से चर्चा भी की जा रही है। 

जिला उद्यानिकी द्वारा खऱीफ सीजन को ध्यान रखते हुए चयनित ग्राम पंचायतों की पोषण बाड़ी योजना के तहत 15-15 फलदार पौधे दिए जा रहे हैं। सब्ज़ी बीज मिनीकिट किसानों को दिए जा रहे हंै। इन बाड़ी से ग्रामीण परिवारों के अतिरिक्त आय में वृद्धि हो रही है। भूमिहिनों को रोजगार के अवसर मिल रहे तथा कृषक परिवार का भोजन संतुलित भी हो रहा है। पोषण बाड़ी विकास योजना में स्थानीय विभिन्न प्रजातियों के पौधों को बढ़ावा देना भी शामिल हैं। जिसमें भाजी की स्थानीय प्रजातियों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा रहा हैं। इसका प्रमुख कारण भाजियों में उपलब्ध पोषक तत्व हैं। भाजी के अधिकाधिक उपयोग से आयरन एवं आयोडीन की कमी को दूर किया जा सकेगा। सामान्य के  साथ यह आदिवासी परिवारों का पर्यावरण से जुड़ते हुए आजीविका उपार्जन करने का सशक्त माध्यम यह योजना बन रही है। ग्रामीण परिवेश में आत्मनिर्माण लाने के लिए एवं कुपोषण मुक्ति में यह योजना कारगार साबित हो रही है।

स्व उत्पादित फसल का उपयोग यह सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। बाजारों या कही अन्य जगह से खरीदी गई सब्जियां महंगी होती हैं, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन का मुख्य उद्देश्य है कि किसान स्वयं की खाली पड़ी जमीन बाड़ी में सब्जियों की फसल उगाएं और ताजे रूप में इसका सेवन करें। सब्जी की फसल बाड़ी में उगाकर स्वयं के उपयोग के पश्चात किसान शेष उत्पाद का विक्रय स्थानीय बाजारों में कर रहे हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त आय की प्राप्ति हो रही है। ग्रामीण अब घर की बाड़ी से आत्मनिर्भर बन रहे हंै और अधिक आय अर्जित कर रहे हैं। हरी, ताजी साग-सब्जी उत्पादन के साथ फलदार ताजे-रसीले फलों से ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण में भी कमी लाने का सार्थक और सकारात्मक प्रयास भी है। 

सहायक संचालक उद्यानिकी एसएन कुशवाह की माने तो इस वर्ष जिले में किसानों के घर के समीप 3922बाडिय़ां चयनित की गयी है। यहां स्थानीय जलवायु वातावरण पानी की उपलब्धता मिट्टी और मौसम के अनुरूप उन्नत किस्म की साग-सब्जियों, फल लेने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इसमें अपेक्षित सफलता मिल रही है। किसानों को विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधों नीबू, आम, करोंदा, अमरूद, मुनगा, पपीता और कटहल आदि का वितरण किया जा रहा है। यह काम 5 अगस्त तक चलेगा।

 

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