सरगुजा

मैनपाट में भूस्खलन से मकान क्षतिग्रस्त, 2 एकड़ खेत में दरारें
02-Aug-2021 8:05 PM
मैनपाट में भूस्खलन से मकान क्षतिग्रस्त, 2 एकड़ खेत में दरारें

   पर्यटन स्थल उल्टा पानी के अस्तित्व पर भी मंडरा रहा खतरा   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 2 अगस्त। छत्तीसगढ़ का शिमला मैनपाट में 4 दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से भूस्खलन हुआ है, जिससे एक कच्चा मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, वहीं 2 एकड़ खेत में भी दरार आ गई है।

 हालांकि मैनपाट में भूस्खलन की यह कोई नई घटना नहीं है। पूर्व में भी बारिश के मौसम में क्षेत्र के कई हिस्सों में भूस्खलन होते आया है लेकिन इस बार घटना से वहां के स्थानीय ग्रामीण काफी चिंतित व दहशत में हंै। जानकारी के मुताबिक भूस्खलन की वजह से मैनपाट बिसरापानी के घोघरा गांव में हरीनाथ मंझवार का कच्चे का मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। मकान के साथ हरीनाथ मंझवार के 2 एकड़ खेत में भी दरार आ गई है।

हरीनाथ मंझवार ने बताया कि हल्की दरार पडऩा एक-दो दिन पहले से ही शुरू हो गया था, जिसकी वजह से वह अपने 6 सदस्य परिवार को लेकर दूसरे जगह चला गया था। सोमवार की सुबह जमीन पूरी तरह फट गई, जिससे उसका मकान धसक गया और उससे लगे जमीन में भी दरारें आ गई। ।

मैनपाट के कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों ने बताया कि बिसरपानी के घोघरा गांव में जहां दरार पड़ी है, वह पहाड़ का अंतिम छोर है। इसी गांव में वन अधिकार पट्टा की लालच में ग्रामीणों ने लगभग 2000 एकड़ में लगे पेड़ पौधों को अंधाधुंध तरीके से काट दिया और उस पर कब्जा बताते हुए वन अधिकार पट्टा बनवा लिया है। यही कारण है कि आज बारिश के कारण अंतिम छोर के इस गांव के बड़े हिस्से में दरार आई है।

मौसम विज्ञानी एएम भट्ट ने इस भूस्खलन को लेकर कहा कि भूस्खलन का कारण अत्यधिक बारिश, जंगलों की कटाई और मैनपाट क्षेत्र में मौजूद खदान हैं, जिससे इलाके में दलदली क्षेत्र एक बड़ा आकार लेता जा रहा है, जिससे भूस्खलन जैसी स्थिति निर्मित हो रही है।

इसी गांव में स्थित है प्रसिद्ध पर्यटन स्थल उल्टा पानी

भूस्खलन की घटना जिस बिसरपानी गांव में हुई है, वहीं पर छत्तीसगढ़ व देश का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल उल्टा पानी है, जिसे देखने बड़ी संख्या में प्रदेश के साथ-साथ देश के कई हिस्सों से लोग यहां पहुंचते हैं। आज जिस प्रकार से एक बड़े क्षेत्र में भूस्खलन की घटना हुई है उससे उल्टा पानी के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है।

 ग्रामीण जमीन के लालच में वनों की कटाई कर वन अधिकार पट्टा बनवा रहे हैं, उस पर रोक और पौधारोपण कर इसे संरक्षित नहीं कराया जाएगा, तो और भी बड़े पैमाने पर यहां भूस्खलन हो सकती है।

पूरे भारत में उल्टा पानी पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यहां पानी विपरीत दिशा में बहती है, जिसके कारण पर्यटन का यह प्रमुख केंद्र है और आज भूस्खलन की वजह से इसी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

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