महासमुन्द

मुंशी प्रेमचंद जयंती पर आस्था की परिचर्चा
03-Aug-2021 4:46 PM
मुंशी प्रेमचंद जयंती पर आस्था की परिचर्चा

महासमुंद, 3 अगस्त। आस्था साहित्य समिति महासमुंद द्वारा कहानी एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 141वीं जयंती के अवसर प्रेमचंद का साहित्य संसार विषय पर उ.मा वि.महासमुंद में साहित्यकार एस चंद्रसेन की अध्यक्षता में परिचर्चा का आयोजन किया गया। 
इस अवसर पर साहित्यकार एवं आस्था साहित्य समिति अध्यक्ष आनंद तिवारी पौराणिक ने कहा कि समकालीन साहित्यकारों में प्रेमचंद अकेले ही देदीप्यमान प्रकाशपुंज थे। उनकी रचनाएं सदैव प्रासंगिक रहेगी। डा.्साधना कसार ने कहा कि हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार एवं युग प्रवर्तक रचनाकार प्रेमचंद जी कोहिनूर हीरे की तरह चमकदार थे। उन्होंने आदर्शोन्मुख यथार्थवाद का चित्रण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये एस् चंद्रसेन ने परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुये कहा कि प्रेमचंद समाज के द्वारा प्रताडि़त वर्गों एवं निष्क्रिय माने जाने वर्गों को मुख्य पात्र मानकर साहित्य सृजन में रत् रहे। उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक है ।

सभा का संचालन करते हुये साहित्यकार टेकराम सेन चमक ने प्रेमचंद की कविता का पाठ करते उनके प्रसिद्घ उपन्यास सेवासदनए प्रेमाश्रय, निर्मला, रंगभूमि, गबन, गोदान एवं कहानी संग्रह नमक का दरोगा, प्रेमतीर्थ, पांच फूल, सप्त सुमन को समाज का धरोहर निरुपित किया । साहित्यकार एसआर बंजारे, सुरेन्द्र अग्निहोत्री एवं कमलेश पाण्डेय ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने भारतीयता एवं कृषि संस्कृति पर अपनी लेखनी चलाई है। उनके पात्र की व्यथा पाठक की व्यथा सी लगती है ।
 

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