रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 अगस्त। छत्तीसगढ़ के सरगुजा विश्वविद्यालय में नए कुलपति की नियुक्ति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कहा जा रहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद प्रोफेसर अशोक सिंह की नियुक्ति की गई है, जबकि 65 साल से अधिक आयु के उम्मीदवारों को कुलपति पद के लिए पात्र नहीं माना जाता है। देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए आवेदकों को 65 साल से कम आयु का होना अनिवार्य है।
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अशोक सिंह को कुलपति बनाया गया है। विवि में नए कुलपति की नियुक्ति करीब दो साल बाद हुई है। सरगुजा विवि के नए कुलपति के लिए 30 दिसंबर 2020 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। हालांकि प्रकाशित विज्ञापन में आयु सीमा का कोई जिक्र नहीं किया गया, लेकिन दिल्ली सहित दूसरे केन्द्रीय विवि में 65 साल से अधिक आयु वर्ग के उम्मीदवारों को कुलपति पद के लिए योग्य नहीं माना जाता।
इन विवि के विज्ञापनों में स्पष्ट उल्लेख किया जाता है कि आवेदक को आवेदन प्राप्ति की समापन तिथि पर 65 वर्ष की आयु से अधिक आयु का नहीं होना चाहिए। इसे वांछनीय माना गया है। ऐसे में प्रो अशोक सिंह की नियुक्ति को लेकर विवाद हो सकता है। वे बीएचयू में आचार्य और कला संकाय के प्रमुख रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि प्रो. अशोक सिंह मार्च 2020 में रिटायर हो गए थे और विज्ञापन दिसंबर 2020 में निकाला गया है। ऐसे में उनकी नियुक्ति मानव संसाधन विभाग और यूजीसी के नियमों के खिलाफ है। उल्लेखनीय है कि प्रकाशित विज्ञापन में कहा गया था कि नियुक्ति पांच साल या 70 वर्ष की आयु तक के लिए की जाएगी।