कोण्डागांव
प्रकाश नाग
केशकाल, 4 अगस्त (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। केशकाल तहसील अंतर्गत निवासरत एक महिला के जीवित होने के बावजूद राजस्व रिकार्ड में उसे मृत घोषित कर व उसकी फौती काट कर उसके अधिकारों से वंचित करने का लगातार तीसरा मामला प्रकाश में आया है। जीते जी मृत दर्शाकर अपनी मां से मिली जमीन के हक से वंचित हुई महिला और उसके पुत्र लम्बे जद्दोजेहद के बाद कोर्ट से केस जीत जाने के बाद भी अपने हक से वंचित रहकर फरियाद करते हुए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए लाचार हो गए हैं।
यह है पूरा मामला
ज्ञात हो कि 2 अगस्त 2021 को केशकाल तहसील के ग्राम हरवेल का राजेश्वर कुंजाम केशकाल तहसील पहुंचकर तहसीलदार को एक लिखित आवेदन देकर अर्ज किया कि मेरी मां रिसोबाई आज भी जिंदा है, जिसे मृत बताकर 2010 में ही उसका फौती काटकर हक से वंचित कर दिया गया था। जिसके विरूद्ध अनुविभागीय अधिकारी राजस्व केशकाल के कोर्ट में अपील किया गया था। जिस पर 31 मार्च 2021 को हम सबके पक्ष में फैसला भी आ गया, फिर भी फैसले का पालन न किए जाने से मेरी मां और हम लोग अपने हक से वंचित ही रह गये हैं। राजेश्वर ने तहसीलदार से पारित आदेश का पालन करवाने की प्रार्थना की।
राजेश्वर ने न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (रा.) केशकाल के द्वारा 31 मार्च 2021 को पारित आदेश की अभिप्रमाणित छायाप्रति संलग्न कर तहसीलदार को दिये गये आवेदन की प्रति ‘छत्तीसगढ़’ को प्रदान किया गया।
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के पारित आदेश का अवलोकन करने से यह पता चलता है कि रिसोबाई पति- स्व.जगतराम कुंजाम एवं उसके पुत्र राजेश कुंजाम, राजेश्वर, कु. अजिता साजन ने न्यायालय में अपील किया, जिस पर रा.प्र.क्र. अ- 6/2020 -21 पंजीबद्ध किया गया। अपीलार्थी गण ने यह अपील किया गया कि पटवारी हल्का नं.12 तहसील केशकाल स्थित भूमि खसरा नं.66 रकबा 0.24 एकड़ पर अपीलार्थी क्र.1 को फौती बताकर नामान्तरंण पंजी में पारित आदेश दिनांक ज्ञ11-12-2010 से पीडि़त व क्षुब्ध होकर अपील किया जा रहा है। अपीलार्थी क्र.1 रिसोबाई जीवित है तथा उनके 3 पुत्र व 1 पुत्री है जो अपीलार्थी गण है। जीवित रिसोबाई को फौत तथा जीवित सहखातेदारों सबत गंगाबाई की जानकारी बिना नामांतरण कर दिया गया है।
उक्त प्रकरण में थाने में भी दर्ज हुई थी रिपोर्ट
मामले की जानकारी मिलने पर 20 दिसंबर 2019 को केशकाल पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाया गया था, परन्तु तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य मानकर धारा 155 के तहत न्यायालय के शरण में जाने का सलाह दे दिया गया था।
मामले में उत्तरवादी की ओर तर्क पेश किया गया था कि रिसोबाई का विवाह स्व.जगत के साथ हुआ था, रिसोबाई वर्ष 2007-08 में अपने छोटे-छोटे बच्चों को छोडक़र अन्य व्यक्ति से दूसरा विवाह कर लिया था, दूसरा विवाह करने पर प्रथम पति के परिवार वालों द्वारा समाज में मरती जीती खिलाया गया था, जिससे गांव वालों के द्वारा पटवारी अभिलेख में अपीलार्थी रिसोबाई का नाम कटवाया गया था। न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा 31 मार्च 2021 को पारित किए गये आदेश का पालन न किए जाने से जीते जी मृत घोषित कर हक से वंचित कर दिये गये महिला रिसोबाई एवं उसके पुत्रों को अपने हक के लिए फरियाद करते फिरना पड़ रहा है।
पूर्व में इस तरह के और भी मामले हुए थे उजागर
महिलाओं को हक से वंचित करने का अभी हाल में उजागर होने वाला तीसरा मामला है और तीनों मामला पुराना है। इसके पूर्व नगर पंचायत केशकाल के बोरगांव डिहीपारा के कंवली पत्नी स्व. गुलाब को 2016 में नामांतरण करते वक्त हक से वंचित कर देने का और 18 अगस्त 2013 को मरने वाली मस्जिद पारा निवासी इंताजबाई की दो वर्ष पूर्व ही 2011 में 29 सितंबर को मृत दर्शाकर फौती काट देने का मामला उजागर हो चुका है। इंताज बाई को कूटरचित फर्जी अभिलेख के माध्यम से मृत दर्शाकर उसके 3 पुत्रियों को हक से वंचित रखकर एक पुत्र को भूस्वामी बना देने का मामला भी खुलासा हो चुका है।