बलौदा बाजार

कोरोनाकाल के 16 माह बाद खुले स्कूल, न बच्चों के हाथ धोने की व्यवस्था, न बुखार नाप, न सामजिक दूरी का पालन
05-Aug-2021 5:37 PM
कोरोनाकाल के 16 माह बाद खुले स्कूल, न बच्चों के हाथ धोने की व्यवस्था, न बुखार नाप, न सामजिक दूरी का पालन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 5 अगस्त। ब
लौदा बाजार कोरोना के कारण 16 महीने के बाद छठवीं, सातवीं एवं नवमीं की कक्षाओं के बच्चों को छोडक़र बाकी सभी कक्षाओं के बच्चे स्कूल पहुंचे।
सोमवार से स्कूल खुलने के पहले प्रशासन द्वारा बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे मगर सोमवार स्कूलों के खुलने के बाद सारे दावे दम तोड़ते दिखे, स्कूलों में आने वाले बच्चों की गेट पर ही तापमान की जांच करानी थी मगर बलौदा बाजार शहर के चक्रपाणि स्कूल, पंडित लक्ष्मी प्रसाद तिवारी कन्या विद्यालय, गांधी चौक स्थित बालक शाला, बेसिक शाला, नवीन शाला जैसे अन्य स्कूलों में निजी स्कूलों को छोडक़र किसी भी स्कूल के गेट पर तापमान नहीं मापा गया। सभी स्कूलों में बच्चों को सैनिटाइजर कर प्रवेश देना था मगर कई स्कूलों में सैनिटाइजर या साबुन ही नहीं था। जिन स्कूलों में था वहां भी बच्चे उसका इस्तेमाल किए बिना ही कक्षा में प्रवेश कर रहे थे। चक्रपाणि स्कूल में पाया कि मध्यान भोजन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया। 

आधे बच्चों को आना था उससे भी कम पहुंचे
जिले में 2083 सरकारी, 294 निजी स्कूल व तीन अनुदान प्राप्त स्कूल है। जिलों में 50त्न की उपस्थिति के चलते सिर्फ आधे बच्चे को बुलाया गया था मगर जिन्हें बुलाया गया था उनमें से आधे ही नहीं आए। अंबुजा विद्यापीठ, डीएवी स्कूल सोनाडीह, आदित्य बिड़ला स्कूल ग्रासिम जैसे सभी निजी स्कूलों में सभी सिर्फ 10वीं एवं 12वीं के कक्षाएं शुरू की गई है। फ्री-प्राइमरी के बच्चों को नहीं बुलाया जा रहा है। स्कूलों में सभी की कम उपस्थिति चिंताजनक थी। बालक शाला की एक कक्षा में सिर्फ चार ही आए थे वही नवीन साला के आठवीं के 40 छात्रों में से केवल 8 छात्र ही आए थे।

प्रार्थना हाजिरी खेलकूद नहीं हुए लंबे समय से स्कूल ऑफलाइन पढ़ाई के लिए खुले मगर इस बार माहौल पूरी तरह बदला हुआ था, सुबह की प्रार्थना, हाजिरी, खेलकूद जैसे गतिविधियां नहीं हुई कई बच्चे ऐसे थे जिनका स्कूलों में दाखिला तो डेढ़ साल पहले हो चुका था मगर स्कूलों की सीढिय़ों पर पहला कदम उन्होंने सोमवार को रखा। 

डीईओ सीएस ध्रुव का कहना है कि जिस बच्चों को किताबें नहीं मिली है उन्हें स्कूल से ही दी जाएगी। सभी शिक्षकों को बच्चों के हाथ धोने व सामाजिक दूरी का पालन करवाने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश का पालन नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 
डीपी साहू, आर एल पटेल, सोमनाथ वर्मा, सुंदरलाल आर्य जैसे पालकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन की बिना ढिलाई कोविड प्रोटोकाल का हर मिनट पालन कराएंं। वहीं स्कूल नहीं भेजने वाले बच्चों के पालकों को देवव्रत पांडे, शीलू ठाकुर, देवाशीष ध्रुव, इमरान नजीर को शंका है कि स्कूल प्रबंधन कितने भी वादे पूरे करें वह कोविड-19 टोकोल का पालन नहीं कर पाएंगे। कॉलेज खोलकर स्थिति का आंकलन करने के बाद ही स्कूल खोलना।
 

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