कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरिया, 5 अगस्त। सरगुजा संभाग में सडकों पर दौड रही यात्री बसों की हाल बेहाल है। चलती बस के पीछे के दानों एक साथ टायर फट गए, बस में बैठें पति और पत्नी दोनों घायल हो गए, पत्नी के दोनों पैरों में फैक्चर हो गया, पूरी घटना की जानकारी देते हुए पीडि़त ने फेसबुक पोस्ट कर आम लोगों को अनफिट और खटारा बसों में बैठने से पहले सावधानी बरतने की सलाह दी है।
वहीं भाजपा जिला उपाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने जिला प्रशासन पर सवाल उठाए हैं उनका कहना है कि अंबिकापुर से आने और जाने वाली बसों पर कम से कम नजर बनाया जाए, आखिर इस तरह से दौड रही अनफिट और खटारा बसों पर कार्यवाही कब होगी, बसों में जिस तरह से यात्रियों की जान के साथ खिलवाड हो रहा है वो बहुत चौकाने वाला है।
जानकारी के अनुसार बैकुंठपुर निवासी रौशन राजवाड़े पत्नी के चेकअप के लिए अम्बिकापुर जा रहे थे, बैकुंठपुर से वो डाल्फिन बस सुरजपुर बायपास से गुजर रही थी कि बस के में पीछे के दोनों टायर फट गए चलती बस अनबैलेंस हो गई, सीट निकल कर फेंका गई।ंंंंंंं श्री राजवाड़े को हल्की चोटें आई, परन्तु पत्नी के दोनों पैर फ्रेैक्चर हो गए, दुर्घटना के बाद बस चालक और उसके स्टॉफ ने घायलों की किसी भी प्रकार की मदद नहीं की, रविवार का दिन होने के कारण बडी जद्दोजहद के बाद किसी तरह वो एक ऑटो को बुलाने में कामयाब हुए और जैसे तैसे अपने परिवार को अम्बिकापुर पहुंचाया, जहां पत्नी के दोनों पैर में प्लास्टर हुआ।
रौशन राजवाड़े लिखते हैं-अनफिट बसों में बैठने से बचे व सावधान रहें, तथा डॉल्फिन बस में यात्री बैठने से पहले बस की कंडिशन देख ले बस की स्थिति बहुत खराब है। आप देख सकते है फोटो में सीट भी बैठने लायक नही है इसका उदाहरण मैं खुद हूँ मेरा परिवार बाल बाल बचा है बस के पीछे डबल टायर रहता है दोनों टायर ऐसा ब्लास्ट हुआ जैसे कोई बम फटा हो दोनों टायर फटने के कारण सीट उखड़ के फेंका गया मैं मेरी वाइफ और मेरा बाबू तीनो बाल बाल बचे मेरी पत्नी का दोनों पैर फैक्चर है। दो सप्ताह से ज्यादा हो गया हैं ,अभी तक बिस्तर से उठ नही पा रही है। आप सभी से मेरा हाथ जोड़ के निवेदन है कि अपने परिवार की जान जोखिम में ना डाले मेरा यही आग्रह है ये बस दो दिन बन्द था फिर चालू हो गया है बस में ड्राईवर कन्डेक्टर और खलासी बहुत लपरवाह है। उनको केवल सवारी से मतलब है बस की हालत पे कोई ध्यान नही ।
सिर्फ सवारी पर ध्यान
रौशन राजवाडे ने फेसबुक टाइमलाइन में जो बातें लिखी है वो कडवा सच है। उन्होनें यह बताया कि बस के कंडेक्टर चालक को सवारी से कोई मतलब नहीं होता है, सिर्फ सवारी भरना और पैसा कमाना उद्देश्य रहता है। सीट टूटी है, खिडकी टूटी है, दरवाजे सही नहीं है, सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है, इससे उन्हें कोई लेना देना नही है।