बीजापुर

अंधकार हुआ दूर, फिर तैयार हुआ शिक्षा का मंदिर
08-Aug-2021 7:12 PM
अंधकार हुआ दूर, फिर तैयार हुआ शिक्षा का मंदिर

14 साल बाद खुले स्कूल को कर दिया था ध्वस्त 

घंटी की गूंज और बच्चों की किलकारी से दुबारा गुलजार हुआ गोरना 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 8 अगस्त।
जिले के घोर माओवाद प्रभावित इलाके गोरना में ध्वस्त स्कूल को दुबारा स्थापित करने में जिला प्रशासन ने सफलता पाई है। यहां जिला प्रशासन और ग्रामीणों की मदद से दो साल पहले बंद स्कूल को दुबारा शुरू कर आस्थाई शेड बनाया गया था जिसे बीते साल कोरोना काल में असामाजिक तत्वों ने ध्वस्त कर दिया था । 

स्कूल ध्वस्त होने के बाद एक बार फिर गोरना के बच्चों के भविष्य अंधकारमय हो गया था जिसे जिला प्रशासन ने अपने मज़बूत इरादों से फिर से स्थापित कर उम्मीदों को जीवित किया है। ग्रामीणों के सहमत होने के बाद गोरना में फिर से स्कूल स्थापित करने की कवायद शुरू की गई जो जद्दोजेहद के बाद फिर से बच्चों की शिक्षा के मंदिर के रूप में तैयार हो गई। 

ज्ञात हो कि सलवा जुडूम अभियान के बाद बीजापुर में सैकड़ों स्कूल नक्सल दहशत से बंद हो गए थे जिनमें गोरना का प्राथमिक शाला भी शामिल है। इन स्कूलों को दुबारा खोलने की कवायद भूपेश बघेल सरकार की कयादत में फिर शुरू हुई जिसके चलते 14 साल बाद गोरना में ग्रामीणों के सहयोग से स्कूल संचालित कर शिक्षा का अधिकार दिया गया। अभी स्कूल खुले साल नही ंबीता था कि असामाजिक तत्वों ने स्कूल के आस्थाई शेड को जमींदोज कर शिक्षा के रास्ते बंद कर दिए।कोरोना काल के बाद शासन के स्कूल खोलने के निर्णय का सकारात्मक माहौल गोरना में देखने को मिला। टूटे और ध्वस्त स्कूल को देखकर मायूस बच्चे स्कूल खुलते ही उत्साह से अपने ज्ञान दूतों के पास पहुंचने लगे हैं। 

स्कूल की घंटी और बच्चों की किलकारी की गूंज फिर से गोरना को नई पहचान दे रहे। पुस्तकों के साथ बच्चे अपने सुनहरे भविष्य को गढऩे की दिशा में आशाओं के साथ अपनी उपस्थिति स्कूल में दे रहे हैं। गोरना के पालक अब अपने बच्चों के शिक्षा में मददगार साबित हो रहे हैं।स्कूल के जमीं दोज हो जाने के बाद एक बार फिर गोरना के बच्चों के भविष्य पर अंधकार छा गया। इस अंधकार को दूर करने का बीड़ा कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने उठाया और मजबूत इरादों के साथ स्कूल फिर से स्थापित करने की मुहिम् को अमली जामा पहनाया। कलेक्टर की पहल से विभागीय अमले और ज्ञान दूतों ने ग्रामीणों से बात की और उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाते हुए स्कूल दुबारा तैयार करने के लिये एक सकारात्मक माहौल तैयार किया।यहां के ज्ञान दूत  सोनू और और सुरेश स्कूल संचालन  से काफी उत्साहित होकर बच्चों को ककहरा सिखाने में जुट गये हैं। बच्चों को मिड डे मिल मिल जाने से माताओं की चिंता दूर हो गई है अब वे खूद बच्चो को लेकर स्कूल आने लगी हैं।

आसान नहीं है गोरना की राह    
बीजापुर से महज पांच किलोमीटर दूरी होने के बावजूद गोरना की राह किसी के लिए आसान नही मानी जाती है। जिले के सर्वाधिक माओवाद प्रभावित इलाकों में इस गांव की पहचान की जाती है। इस गांव तक जाने के लिये न सडक़ है न ही यहां बिजली है। इन हालातो में यहाँ स्कूल दुबारा खोला जाना महत्वपूर्ण उपलब्धि से कम नहीं मानी जा सकती।
 

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