बीजापुर

दिव्यांगता बच्चों के विकास में बाधक नहीं बनना चाहिए- शंकर
08-Aug-2021 8:39 PM
दिव्यांगता बच्चों के विकास में बाधक नहीं बनना चाहिए- शंकर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 8 अगस्त ।
समग्र शिक्षा अभियान के समावेशी शिक्षा त था पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के सामूहिक प्रयास से ब्लाक बीजापुर के 19 दिव्यांग बच्चों को सहायक उपकरण प्रदान किया गया। 

पोटाकेबिन बीजापुर में आयोजित कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुडियम, जिला पंचायत सदस्य एवं बस्तर विकास प्राधिकर के सदस्य नीना रावतिया उददे जनपद उपाध्यक्ष सोनू पोटाम डिप्टी कलेक्टर उमेश पटेल, जिला मिशन समन्वयक, विजेंद्र राठौर, बीईओ मो. जाकिर खान, बीआरसी कामेश्वर दूब्बा की मौजूदगी में दिव्यांग बच्चों को उनके जरूरत के मुताबिक सहायक उपकरण का वितरण किया गया।

इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुडियम ने बच्चों का उत्साह वर्धन करते हुये कहा कि दिव्यांगता बच्चों के विकास में बाधक नही बनना चाहिए इसके लिए शासन ने समावेशी शिक्षा के तहत् सहायक उपकरण से लेकर छात्रवृत्ति तक की व्यवस्था की है इसका लाभ  देकर बच्चों के विकास में हम सब को सहभागी बनना है। जिला पंचायत सदस्य नीना रावतिया उददे ने कहा कि दिव्यांग बच्चों के सामाजिक तथा शैक्षणिक समानता के लिए समावेशी शिक्षा एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसके जरिये दिव्यांग बच्चों को समान्य बच्चों की तरह स्कूलों में समान वातावरण देकर उनके भविष्य को संवारा जाता है। दिव्यांगता कभी भी जीवन में बांधा नहीं बननी चाहिए। बल्कि उनके अंदर विशेष गुणों को पहचान कर उन्हे प्रोत्साहित करते हुए आगे बढऩे में मदद करना सच्ची मानवता है। इस दिशा में पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जिसके चलते सहायक उपकरण की उपलब्धता आसानी से हो रही है। 

कार्यक्रम के अंत में दिव्यांग बच्चों को अतिथियों के द्वारा ट्राईसाईकल, बैशाखी, लैंस, श्रवण यंत्र सीपी चेयर, एमआर कीट तथा लो-विजन कीट का वितरण किया गया।

डंडे  नहीं करचर्स के सहारे जाएंगे स्कूल 
मिंघाचल नदी के पार बसे गांव चेरकंटी की रहने वाली अमीशा दौरा जो पोटाकेबिन में कक्षा आठवीं में अध्यनरत है। उसको सहायक उपकरण के रूप में कर्चस का वितरण किया गया। अमीशा को बचपन में लकवा ग्रसित होने से अपंगता का सामना करना पड़ रहा था। गांव और समाज के लोग उसके अपंगता को लेकर प्रतिकूल बाते किया करते थे। अमीशा के माता-पिता ने अपनी बेटी को सहारा दिया और अपने 
कंधों पर ढोकर स्कूल छोडने लगे। इसके बाद माता-पिता ने अमीशा को डंडे के सहारे चलने का अभ्यास कराया जिसे लेकर अमीशा स्कूल आने-जाने लगी। कुछ समय बाद अमीशा की पढाई की रूचि को देखते हुए जनपद प्राथमिक शाला बीजापुर में दाखिला दिलाया गया। जहां की शिक्षिका काजल चक्रवर्ती के प्रोत्साहन व मार्गदर्शन में अमीशा का हौसला बढ़ता गया। पैरो से अपंग अमीशा की रूचि पढ़ाई के साथ-साथ ड्राईंग और पेंटिग में भी है। 

संतोष को मिली ट्राइसाइकिल
चिन्नाकवाली निवासी बिच्चेम कोरसा के पुत्र संतोष कोरसा दो साल की उम्र में घर के बाहर खेलते-खेलते आग से जल जाने से जख्मी होकर अपंग हो गया। इसके चलते उसे स्कूल जाने में कठिनाई होती थी, इसके चलते प्रतिदिन सकूल नहीं जा रहा था। अब उसे ट्राइकिलप्रदान की गई है। जिससे वह प्रतिदिन समय पर स्कूल जा सकेेगा। संतोष की इच्छा पढ़ाई कर शिक्षक बनने की हैं। वह शिक्षक बनकर लोगों को प्रेरणा देना चाहता है।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news