कवर्धा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बोड़ला, 10 अगस्त। तहसील मुख्यालय के सुदूर वनांचल के मध्य प्रदेश की सीमा से लगे ग्राम पंचायत लोहारी डीह में आज भी बच्चे खपरैल वाले जर्जर स्कूल में पढऩे को विवश हैं। कई बार उच्च अधिकारी व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा उक्त स्कूल का निरीक्षण किया जा चुका है उसके बाद भी बच्चों को नया शाला भवन नहीं मिल सका है।
लोहारी डीह के सरपंच व ग्रामीणों ने बदहाल स्कूल भवन को लेकर कई बार अधिकारिक पहल कर चुके हैं, उनके द्वारा शासन प्रशासन से कई कई बार मांग किए जाने के बाद भी गांव को नया स्कूल भवन नहीं मिल पाया है। ग्रामीणों के अनुसार जिनमें पूर्व सरपंच जनक मेरावी, गुलाब साहू, मंगल यादव, चिंता साहू आदि ने बताया कि यह स्कूल सन 1972 में निर्माण किया गया था। 40 साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद खपरैल वाला शासकीय प्राथमिक शाला भवन की हालत बेहद जर्जर हो गया है। स्कूल के खपरैल कवेलू लकड़ी कां ड़ मियार पूरी तरह जर्जर हो गया है।
जमीन के प्लास्टर उखड़ गए हैं, दीवारें दरक रही हैं। कभी भी भवन को कुछ भी हो सकता है ।खपरैल कवेलू वाले बदहाल स्कूल के बदले में नए स्कूल भवन के विषय में अब ग्रामीण मांग करते करते हार गए हैं।
उन्होंने नए स्कूल भवन के मांग को लेकर किसे किसे नहीं कहा लेकिन एक बार भी उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक एक बार जिलाधिकारी तक पहुंचकर समस्या के विषय में सारे ग्रामीण कबीरधाम कलेक्टर से मिले कलेक्टर ने इस विषय में विकास खंड शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया विकास खंड शिक्षा अधिकारी ने पंचायत को कहा जबकि ग्रामीणों के साथ पंचायत के प्रतिनिधि भी नए स्कूल भवन की मांगने गए थे फिर ग्रामीण जहां से चले थे वहीं वापस आ गए। उसके बाद से भी उनके द्वारा नए स्कूल भवन की मांग के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। उसके बाद भी लोहारी डी को नया स्कूल भवन नहीं मिल पा रहा है।
एक और शासन-प्रशासन द्वारा शिक्षा स्तर में सुधार हेतु नित्य नए-नए प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा निशुल्क गणवेश निशुल्क पुस्तकें यहां तक नि:शुल्क साइकिल वितरण की जा रही है ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बालक बालिकाओं को बेहतर शिक्षा मिल सके। लेकिन लोहारीडीह के स्कूल भवन की लोगों की लंबी मांग के बाद भी नया स्कूल भवन नहीं बन पाना दिया तले अंधेरा की कहावत को चरितार्थ करते नजर आता है।
नया शिक्षा सत्र 2 अगस्त से प्रारंभ हो गया है इस जर्जर प्राथमिक शाला में ग्राम के नौनिहाल पढऩे को विवश है जिसे लेकर पालक वर्ग चिंतित हैं। यहां कुल 86 बच्चे अध्ययनरत हैं, जिनमें 49 लड़कियां और 37 लडक़े हैं। ग्राम पंचायत के लोगों द्वारा जब कभी भी क्षेत्र में बड़े अधिकारी मंत्री आदि का दौरा होता है तो उनके द्वारा नए स्कूल भवन के विषय में आवेदन किया जाता है।
गौरतलब है कि विकासखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी व जिले के वनांचल क्षेत्र में रेंगाखारअंचल की एक अलग विशेष पहचान रही है। इन क्षेत्रों से दोनों ही पार्टियों में जनपद व जिला स्तर के प्रसिद्ध नेता व क्षत्रप भी बड़ी भूमिका में काम करते नजर आते हैं। उसके बाद भी लोहारी डीह को एक पक्का स्कूल मौहिया ना हो पाना बड़ी विडंबना की बात है।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में जहां बमुश्किल भवन बनाने के लिए सामग्री पहुंचाई जाती है। ऐसे स्थानों में भी स्कूल भवन बन चुके और यहां स्कूल भवन का ना होना शासन प्रशासन की लापरवाही को प्रदर्शित करती है। इन सब से परे लोहारिडीह के ग्रामीण अब भी नए स्कूल की मांग प्रशासन से कर रहे हैं।