गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 10 अगस्त। खेल रत्न देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार है, जिसमें गोल्ड मेडल एवं 2500000 रुपए प्रदान किया जाता है। देश के सबसे श्रेष्ठ एवं उत्कृष्ट खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल का सबसे बड़ा सम्मान मिलना नैतिक एवं न्याय उचित है। इससे देश के सभी खिलाडिय़ों को प्रेरणा और उनमें एक जुनून पैदा करेगा।
उक्त फेसला के स्वागत करते हुए खोरपा मंडल महामंत्री नेहरूलाल साहू ने कहा कि मेजर ध्यानचंद हॉकी का सबसे श्रेष्ठ एवं अद्भुत खिलाड़ी था। जिन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। जो 16 साल की उम्र में सेना में जाकर मेजर बन गया। 1928-1932 और 1936 में ओलंपिक में गोल्ड मेडल मिला। मेजर ध्यानचंद के बारे में कहा जाता है कि वह चांद के रोशनी में प्रैक्टिस करते थे इसलिए उसका नाम मेजर ध्यानचंद पड़ा। 1928 में उन्होंने 14 गोल किए थे इसीलिए उसे हॉकी का जादूगर कहा जाता है। 1936 में जर्मनी के खिलाफ गोल्ड मेडल जीते तो वहां पर उपस्थित हिटलर ने गुस्से में स्टेडियम छोडक़र चला गया और मेजर ध्यानचंद को बार-बार बोला कि वह जर्मनी के तरफ से खेले। उन पर दबाव डालने लगे मेजर ध्यानचंद असहमति जताया। मेजर ध्यानचंद हिटलर के प्रस्ताव को ठुकरा कर उन्हें कडा शब्दों में कहा कि मैं आजीवन भारत के लिए खेलूंगा। आज वर्तमान में भारत में 600 सरकारी योजना गांधी परिवार के नाम पर है। जिसमें 201 सडक़ भवन स्थान सम्मिलित है। 98 शैक्षणिक संस्थान शामिल है। 50 अवार्ड शामिल है।
15 छात्रवृत्ति योजना शामिल है। 5 हवाई अड्डे शामिल है। 520 राज्य सरकारों की योजनाएं हैं। 15 नेशनल पार्क हवाई अड्डा एवं बंदरगाह है। 15 राष्ट्रीय उद्यान है।
इस प्रकार देश के बड़े योजनाओं के नाम गांधी प्रभाव से प्रस्तावित है। ऐसे में राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न रखना एक सच्चे खिलाड़ी को श्रद्धांजलि है। इससे आने वाली खिलाडिय़ों को ऊर्जा मिलेगा।