राजनांदगांव

सात समंदर पार से बिहान राखियों की मांग
12-Aug-2021 12:32 PM
सात समंदर पार से बिहान राखियों की मांग

File Photo

  संयुक्त राज्य अमरीका के नाचा संस्था की दीपाली सरावगी ने ऑनलाइन मंगाई राखियाँ  

राजनांदगांव, 12 अगस्त। सात समंदर पार से राजनांदगांव बिहान की राखियों की मांग आने लगी है। संयुक्त राज्य अमेरिका के नाचा संस्था की दीपाली सरावगी ने ऑनलाइन राखियां मंगाई है।

नार्थ अमेरिकन छत्तीसगढ़ एसोसिएशन शिकागो (नाचा) की संस्थापक श्रीमती दीपाली सरावगी ने अमेरिका के शिकागो शहर से रायपुर में निवास करने वाले अपने भाई स्वप्निल सरावगी को राजनांदगांव बिहान की राखियां राष्ट्रीय ऑनलाइन बाजार प्लेटफार्म अमेजन में उपलब्ध विकल्प के माध्यम से ऑर्डर कर की है। हिन्दू परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व भाई का बहन के प्रति रक्षा का वचन एवं बहन का भाई के प्रति आत्मविश्वास एवं प्रेम की भावना को दर्शाता है। यह खुशी की बात है कि सात समंदर पार बैठी बहन अपने भाई तक अपनी राखी पहुंचाने बिहान की बहनों द्वारा निर्मित राखी को चुना है। ज्ञात हो कि बिहान राजनांदगांव की महिलाओं द्वारा हस्त निर्मित राखियां आज देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय हो रही है। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर के प्रयासों से स्वसहायता समूह की महिलाएं राखी बनाकर आर्थिक रूप से सशक्त बन रही है।

श्रीमती दीपाली सरावगी हर वर्ष भारत में निवास करने वाले अपने परिवार के सदस्यों को ऑनलाइन राखी भेजती है। इस वर्ष वे महिला स्वसहायता समूह द्वारा बनाए परंपरागत हस्त निर्मित राखियां भेजने की इच्छुक थी।

नाचा संस्था द्वारा वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश तथा यहां की लोक कला एवं संस्कृति का प्रसार कर रही है। दीपाली अपने राज्य छत्तीसगढ़ के बिहान समूह की महिलाओं द्वारा धान, बांस, चावल, गेंहू, अरहर, रखिया के बीज,  लौकी बीज, मोती से सजी खूबसूरत राखियों को देखकर बहुत प्रसन्न हुई। दीपाली से संपर्क करने पर कहती है कि वे 2009 से कि श्रीमती दीपाली सरावगी एवं गणेश कर संयुक्त राज्य अमेरिका में निवास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस स्वसहायता समूह की महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहायता करेंगे।

बिहान राजनांदगांव की स्वसहायता समूह की महिलाओं से चर्चा करने पर वे कहती हैं कि इस वर्ष का रक्षाबंधन का त्यौहार उनके लिए दोहरी खुशियां लेकर आया है। हम स्वसहायता समूह की महिलाओं को स्वावलंबी बनने के प्रयास में प्रतिदिन शहर में जगह-जगह स्टॉल लगाकर हस्त निर्मित राखियों का विक्रय किया जा रहा है और हजारों रुपए की आय अर्जित की जा रही है। साथ ही ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय बाजार प्लेटफार्म अमेजन पर राखियां पंजीकृत करने के बाद से राज्य ही नहीं देशभर से और आज तो विदेश अमेरिका से भी हमे आर्डर प्राप्त हुआ है। हमें बहुत खुशी है कि हमारे राज्य और देश-विदेश में रहने वाली बहनें भी ऑनलाइन आर्डर कर हमारा आत्मविश्वास बढ़ा रही है और सहयोग प्रदान कर रही हंै।

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