राजनांदगांव
एसपी को लिखे एक पत्र में आत्महत्या के दोषियों का नाम तो अन्य में मित्रों से परिवार की सुरक्षा की गुहार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 अगस्त। राजनांदगांव में एक बार फिर रसूखदार व्यक्ति के आत्महत्या की घटना ने खलबली मचा दी है। राजनीतिक रूप से भाजपा से जुड़े संजीव जैन की माली हालत की वजह से खुदकुशी किए जाने को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है। करीब तीन साल पहले ब्रोकर महावीर चौरडिय़ा की आत्महत्या की घटना के बाद यह दूसरा मामला है जब राजनीतिक और गैर राजनीतिक स्तर पर मामले की उच्च स्तरीय छानबीन किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। संजीव जैन के नजदीकी रिश्तेदारों और मित्रों ने खुदकुशी किए जाने से कुछ साल पहले तक उनके रहन-सहन से बखूबी वाकिफ थे। एकाएक गुजरे तीन साल के भीतर आर्थिक रूप से संजीव लगातार निचले स्तर पर गिरने लगे।
बताया जाता है कि सुसाइड नोट में पुलिस को करीब 5 पत्र मिले हैं, जिसमें एसपी के नाम लिखे पत्र में संजीव जैन ने अपनी मौत के लिए दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। इस संबंध में सीएसपी लोकेश देवांगन ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि मृतक के लिखे पत्रों की जांच की जा रही है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पत्र में आर्थिक तंगी के बीच लेनदेन के लिए दबाव बनाने का भी जिक्र है। हालांकि पुलिस ने भाजपा नेता के लिखे सुसाईड नोट को सार्वजनिक नहीं किया है। पुलिस सभी पत्रों की अलग-अलग स्तर पर जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि एसपी से मृतक संजीव जैन ने अपनी पूरी खराब आर्थिक स्थिति का जिक्र करते हुए खुदकुशी के लिए उकसाने वालों के नाम लिखे हैं।
बताया जा रहा है कि संजीव जैन पर चौतरफा कर्ज था। कर्ज की शुरूआत एक करोड़ की बैंक लोन लेने की प्रक्रिया से शुरू हुई। बताया जा रहा है कि 30 से 35 लाख रुपए खर्च करने के बावजूद ऋण के रूप में संजीव को फूटी कौड़ी नहीं मिली। यहीं से वह आर्थिक संकट में घिरता चला गया। बताया जा रहा है कि संजीव जैन का उत्तर प्रदेश के वाराणसी से भी एक व्यक्ति से संपर्क था। चर्चा है कि उक्त व्यक्ति के नहीं लोन दिलाने के नाम पर संजीव से लंबी धांधली की। भाजपा में भी संजीव की अच्छी खासी पहचान रही है।
बताया जा रहा है कि कर्ज के मकडज़ाल से बाहर निकलने के लिए संजीव हर संभव कोशिश कर रहे थे। नगर निगम में पंजीकृत ठेकेदार होने की वजह से वह कर्ज चुकाने के लिए एफडीआर की रकम को निकालने की भी कोशिश में थे। शहर में हुए विकास कार्यों में संजीव जैन ने बतौर ठेकेदार कई निर्माण कार्य किए। एक वक्त उनकी काबिल ठेकेदारों में गिनती होती थी। वहीं भाजपा से जुड़े होने के कारण वह राजनीतिक पहचान भी बना चुके थे।
बताया जा रहा है कि आर्थिक संकट में फंसते ही उन्हें काम भी मिलना बंद हो गया। जिसके चलते उन्होंने परेशानी से उबरने आत्महत्या जैसा एक घातक कदम उठाया।
पैसे की तंगी से खुदकुशी के दो चर्चित मामलों में अब भी अनसुलझे
राजनांदगांव शहर में पैसे की तंगी के चलते खुदकुशी किए जाने के दो चर्चित मामले अनसुलझे हैं। करीब तीन साल पहले युवा ब्रोकर महावीर चौरडिया ने आर्थिक संकट से त्रस्त होकर ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी। यह मामला इसलिए भी चर्चित रहा, क्योंकि चौरडिय़ा ने आत्महत्या से पूर्व सोशल मीडिया के जरिये एक वीडियो पोस्ट किया था। इस वीडियो में उन्होंने अपनी खुदकुशी किए जाने की वजहों का खुलेतौर पर जिक्र किया था।
बताया जा रहा है कि 10 फरवरी 2018 को चौरडिय़ा ने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। इस मामले में दो रसूखदारों को आरोपी बनाया गया। यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है। इसी तरह स्थानीय धनेश फायनेंस के संचालक सुनील बरडिया के नाम पत्र लिखकर ममता जैन नामक महिला ने आत्महत्या कर ली थी। ममता जैन ने मृत्यु पूर्व बरडिया पर लाखों रुपए की रकम हजम करने का आरोप लगाया था। मृतिका स्थानीय दिग्विजय महाविद्यालय में पदस्थ प्रो. डॉ. चंद्रकुमार जैन की पत्नी थी। इस मामले ने भी काफी तूल पकड़ा। आरोपी बरडिया लंबे समय तक पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए फरार रहे। आखिरकार हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिली। यह भी मामला हाईकोर्ट में लंबित है।