गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 12 अगस्त। नगर के युवाओं ने एक अच्छी पहल करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर व मेधावी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने का बीड़ा उठाया है। ये युवा स्थानीय शासकीय हरिहर उच्चतर विद्यालय के पूर्व छात्र हैं। इनमें गजेंद्र साहू, हरीश नागवानी, घनश्याम देशमुख और शिव गुप्ता शामिल हैं। गजेंद्र ने बताया, शिव मेरे बैच के छात्र हैं। वे नया रायपुर में बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं। वे तोरला के रहने वाले हैं। उन्हें गांव से एक पालक का फोन आया कि मेरा बच्चा 12वीं में 92 प्रतिशत लाया है लेकिन वह भविष्य को लेकर असमंजस में है। आप उसे मार्गदर्शन दे दीजिये। शिव ने मुझसे बात की। हमने तय किया कि ऐसे और भी बच्चे होंगे जिन्हें मार्गदर्शन की जरूरत होगी। हमने स्कूल से टॉपर लिस्ट निकाली और बच्चों व उनके अभिभावकों से चर्चा कर वर्कशॉप के लिए आमंत्रित किया। कार्यशाला पारागांव स्थित बिजली विभाग में रखी गई।
पीईटी की तैयारी पर शिव ने कहा कि हम जो और जितना जानते हैं उसी का बेस्ट देना है। कॉम्पिटेटिव एग्जाम पहले टफ हुआ करते थे अब स्कोरिंग होने लगे हैं। 50: क्वेश्चन तो सभी के लिए होते हैं। 20-25 सवाल ही तय करते हैं कि आपको किधर पहुंचना हैं। हमें उसी पर फोकस्ड रहना है। हमें यह अंदाजा लगाना है कि एक मिनट कितना होता है। जो सवाल एक मिनट से ज्यादा वक्त ले रहा है उसे छोडक़र आगे बढऩा है।
एनआईटी राउरकेला से केमिकल इंजीनियरिंग कर चुके घनश्याम देशमुख ने कहा, टेस्ट देते वक्त उन्हीं सवालों को पहले अटेम्प्ट करो जो इजी हैं। जिस टाइम पर एग्जाम होना है रोजाना उसी समय पर एग्जाम हॉल जैसा टेस्ट दो। इससे अच्छा अभ्यास होता है। गजेंद्र ने कहा कि किसी का मुंह बंद करने का तरीका है कि जो तुम यह नहीं कर सकते उसी को करके दिखा दो। पढ़ाई के साथ बहुत कुछ करने वाले ही आगे बढ़ते हैं। इसलिए अदर एक्टिविटी पर भी ध्यान देना चाहिए।
हरीश ने कहा कि पहले यह तय होना चाहिए कि हमें क्या करना है। क्यों करना है और किसके लिए। जब आप कुछ बन जाओगे तो जरूरतें अपनेआप पूरी हो जाएंगी। मैं बॉयो का छात्र रहा हूँ। बॉयो की टर्मिनोलॉजी काफी टफ होती है। इसलिए नोट्स बनाने बहुत जरूरी हैं। अगर प्रॉपर नोट्स बनाकर पढ़ा जाए तो कोटा हो या रायपुर, आप एग्जाम निकाल लेंगे
गजेंद्र ने बताया हम इन बच्चों को समय-समय पर गाइड करते रहेंगे। टेस्ट के लिए स्ट्रेटजी भी बताएंगे। कुछ और साथी भी हमसे जुड़ रहे हैं, उनकी भी मदद ली जाएगी। मकसद यही है कि सही रास्ता बताकर इन्हें पढ़ाई का ऐसा माहौल देना जिससे इन्हें प्राइवेट कॉलेज की बजाय सरकारी में दाखिला दिलवाना जिससे इनके परिजन आर्थिक तंगी से न जूझें।