राजनांदगांव

बजट के लिए तरसते जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों का संकट
19-Aug-2021 12:49 PM
बजट के लिए तरसते जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों का संकट

  कलेक्टर पर टिकी शहर की निगाहें, बजट के लिए प्रशासनिक कोशिश तेज  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 19 अगस्त।
छह साल तक मेडिकल कॉलेज के रूप में संचालित रहा जिला चिकित्सालय बजट के लिए तरस रहा है। मेडिकल कॉलेज के पूर्ण रूप से पेंड्री में शिफ्ट होने के बाद जिला चिकित्सालय की दुर्दशा दिन-ब-दिन बिगड़ रही है। प्रबंधन के खाते की जमा पूंजी लगभग खत्म हो गई है। ऐसे में अस्पताल की जरूरतों पर प्रबंधन कलेक्टर के जरिये बजट के लिए शासन की ओर ताक रहा है। राजनांदगांव शहर के मध्य में स्थित जिला चिकित्सालय में मेडिकल कॉलेज स्टॉफ ने भी पेंड्री का रूख कर लिया है। अत्याधुनिक उपकरणों और चिकित्सकों के मेडिकल कॉलेज में कार्यभार सम्हालने के बाद से जिला चिकित्सालय में गिनती के ही चिकित्सक रह गए हैं।  चिकित्सकों की कमी के कारण बेहतर उपचार संभव नहीं है।

बताया जा रहा है कि बजट की कमी से जिला अस्पताल के संचालन में अड़चने खड़ी हो गई है। अस्पताल की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बड़ी रकम की जरूरत है। बरसों से अस्पताल भवन का रंग-रोगन नहीं हुआ है। अस्पताल के वार्डों की खाली होने के चलते सूनापन नजर आ रहा है। वहीं चिकित्सकों की कमी के कारण गिनती के ही मरीज उपचारार्थ दाखिल हो रहे हैं। हालांकि स्टॉफ नर्सों की संख्या चिकित्सकों की तुलना में बेहतर है। बिना चिकित्सक के अस्पताल का संचालन करना प्रबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।

मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल का दर्जा होने के दौरान मरीजों की भरमार रही है। पेंड्री में मेडिकल कॉलेज के शुरू होते ही जिला चिकित्सालय में मरीजों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। शहर के मध्य में होने के कारण जिला अस्पताल में उपचार कराना स्थानीय लोगों की पहली पसंद है। मेडिकल कॉलेज के शहर से दूर होने के कारण लोगों को आपातकालीन स्थिति में उपचार के लिए पेंड्री तक का सफर बोझ लग रहा है। बजट की कमी के चलते लंबे समय से खरीदी करने में अस्पताल प्रबंधन नाकाम रहा है। फिलहाल अस्पताल की हालत दोयम दर्जे की रह गई है।

विशेषज्ञ चिकित्सकों के सिर्फ चुनिंदा पद
जिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तादाद कम हो गई है। बताया जा रहा है कि स्त्री, शिशु, हड्डी और दूसरे रोगों के चिकित्सक की कमी साफ तौर पर दिख रही है। स्त्री रोग विशेषज्ञ में डॉ. विमल खुंटे जिम्मेदारी सम्हाल रहे हैं। वहीं शिशु विशेषज्ञ के रूप में डॉ. माधुरी खुंटे, हड्डी रोग विशेषज्ञ में डॉ. राजेश सदानी पदस्थ हैं। वहीं सर्जन में एकमात्र चिकित्सक डॉ. डीसी जैन और ईएनटी में आरएस ठाकुर कार्यरत हैं। मेडिसीन विशेषज्ञ के तौर पर प्रभारी सिविल सर्जन का जिम्मा सम्हाल रहे यूएस चंद्रवंशी कार्यरत हैं। वहीं अनिल महाकालकार पदस्थ हैं। बताया जा रहा है कि जच्चा-बच्चा के साथ-साथ हड्डी, सर्जरी और मेडिसीन के विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत अधिक है। बताया जा रहा है कि लंबे समय से विशेषज्ञों की कमी के कारण जिला अस्पताल में ऑपरेशन भी बंद पड़ा है। हालांकि स्टॉफ नर्स की संख्या पर्याप्त मानी जा सकती है। जिला अस्पताल में कुल 71 स्टॉफ नर्स कार्यरत हैं।

रेडियोलॉजिस्ट की कमी
जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण करोड़ों की सीटी स्केन मशीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। जबकि डिजीटल एक्स-रे  की सुविधा होने का भी रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में मरीजों को बाहर जांच कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि बाहर में तकनीकी जांच के एवज में मरीजों से मनमाफिक शुल्क लिए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के पद भरने से मानसिक तनाव झेल रहे मरीजों को आर्थिक राहत मिल सकती है।
बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल की बदहाल स्थिति को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी बैठकें हुई है। पद भरने का पूरा मामला शासन पर टिका हुआ है। फिलहाल करोड़ों रुपए की सीटी स्केन मशीन धुल खा रही है।


बजट और विशेषज्ञों के पद से लैस होगा अस्पताल-कलेक्टर
जिला चिकित्सालय की खराब अधोसंरचना और  बजट की कमी को लेकर कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने कहा कि जल्द ही आर्थिक जरूरतों के लिए शासन से बजट मिल जाएगा। वहीं पत्र के जरिये सरकार से विशेषज्ञ चिकित्सकों के पदों को भरने की भी मांग की गई है। कलेक्टर श्री सिन्हा ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि जिला अस्पताल की मामूली आवश्यकताओं को लेकर जीवनदीप समिति से खरीदी करने का निर्देश दिया गया है। बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रबंधन को आवश्यक मशीनरी और साफ-सफाई के संसाधन की खरीदी करने के लिए कलेक्टर ने 5 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। जीवनदीप समिति के अध्यक्ष होने के नाते कलेक्टर ने जिला अस्पताल के कर्मियों और शहर की जनता को आश्वस्त किया है कि मरीजों का समुचित उपचार हो, ऐसा प्रयास किया जाएगा।

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