बीजापुर
भारी बारिश और पुलिस समझाइस के बाद छोड़ी जिद, साढ़े तीन घंटे नाकेबंदी के बाद ज्ञापन सौंपा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 30 अगस्त। अपने संवैधानिक हक को लेकर सोमवार को जिला मुख्यालय सहित सभी ब्लाक मुख्यालयों के मार्गो में सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में आदिवासी एक जुट होकर सुबह साढ़े आठ बजे से भारी वाहनों को नगर प्रवेश से रोकने लगे थे।
बीजापुर स्थित तुरनार चौक में लंबी लगी मालवाहकों की कतारों के बीच एसडीओपी कुंजाम ने आदिवासी समाज से नाकेबंदी खत्म करने की अपील के बाद विभिन्न मुद्दों पर बहस होने लगी। अंतत: आदिवासी समाज के लोगों ने सहमति जाहिर कर एसडीएम देवेश ध्रुव को ज्ञापन सौंप कर समापन किया।
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अशोक तलान्डी ने बताया कि बीजापुर के तुरनार चौक, भोपालपटनम के फारेस्ट नाका, आवापल्ली के इलमिडी चौक व भैरमगढ़ के पुसनार में गुज्जा राम पवार, अल्वा मदनैया, नरेंद्र बुरका व आयतू राम तेलामी के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के समाज प्रमुखों, युवाओं द्वारा आर्थिक नाके बंदी के लिए भारी वाहनों, मालवाहक वाहनों को आगे बढऩे से रोक दिया। साढ़े 11 बजे बारिश के कारण बीजापुर में एसडीएम देवेश ध्रुव को ज्ञापन सौंपा गया और समापन किया गया। इसी तरह भोपालपटनम, उसूर व भैरमगढ़ में तहसीलदार को राष्ट्रपति, राज्यपाल के नाम से कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौपा गया।
अशोक तलान्डी ने बताया कि छग सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश इकाई के आव्हान पर पूरे प्रदेश में अपने संवैधानिक हक के लिए समाज ने आज आर्थिक नाके बंदी का कार्यक्रम किया था। लगातार समाज द्वारा प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ज्ञापन सौंपा गया पर आदिवासियों की मांगों पर भूपेश बघेल सरकार द्वारा कोई पहल न किये जाने से यह कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ा।
क्या है मांगें
सिलगेर घटना में मारे गए आदिवासियों के परिजनों को 50-50 लाख का मुआवजा और परिजनों को योग्यतानुसार शासकी नॉकरी व घायलों को 5 लाख का मुआवजा, नक्सल समस्या के स्थायी समाधान के लिए पहल, पदोन्नति में आरक्षण, बैक लॉग भर्ती किये जाने, आदिवासियों का उत्पीडऩ रोकने, वन अधिकार कानून 2006 व पेसा कानून के क्रियान्वयन नियम तत्काल लागू करने जैसे 20 सुत्रीय मांगे रही।