सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 5 सितंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बस्तर अंचल से कुपोषण को दूर भगाने के संकल्प को सार्थक करता दिख रहा है मुख्यमंत्री बघेल ने बस्तर अंचल की गरीबी दूर करने और कुपोषण को भगाने का संकल्प लिया था और दोनों संकल्प को वे पूरा करते हुए नजर आ रहे हैं।
कुपोषण की समस्या अज्ञानता और गरीबी दोनों का ही परिणाम है। इसलिए शिक्षा और जागरुकता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सुकमा अंचल की अपनी कई समस्याएं अब भी हैं, जिनमें घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे इक्का-दुक्का घर और सडक़ों का अभाव एक बड़ी समस्या है। इन्हीं समस्याओं के कारण निश्चित तौर पर शासन की योजनाओं को हितग्राहियों तक पहुंचा पाना एक बड़ी चुनौती होती है। इसके साथ ही स्थानीय योग्य युवाओं के अभाव में भी शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन एक बड़ी चुनौती है।
इन चुनौतियों के बीच जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा इस आदिवासी अंचल से कुपोषण जैसी समस्या को दूर करने का संकल्प लिया गया, तब यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही यहां के शासकीय अमले ने भी कुपोषण की समस्या के समूल अंत के लिए कमर कस ली।हम सभी जानते हैं कि कुपोषण का प्रभाव आने वाली पीढ़ी पर भी निश्चित तौर पर पड़ता है। पोषक आहार के अभाव में बच्चे आगे चलकर शारीरिक रुप से तो कमजोर होते ही हैं, साथ ही मानसिक रुप से भी कमजोर रह जाते हैं।
माता-पिता अपने कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए पोषण पुनर्वास केन्द्रों में पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों में लगातार आ रही जागरूकता से निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के कुपोषण मुक्त सुकमा का सपना साकार होता दिख रहा है।