कोरिया
काफी संख्या में बच्चे हो रहे प्रभावित, हर वार्ड फुल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 8 सितंबर। मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। एक-दो दिन पहले तक जहां तेज गर्मी पड़ रही थी, वहीं अचानक बारिश होने की वजह से मौसम ठंडा हो गया है। इस तरह के बदलते मौसम में सबसे ज्यादा वायरल बुखार ने लोगों को परेशान कर रखा है। जिला अस्पताल में बीमार बच्चों से शिशु वार्ड, एसएनसीयू के साथ एक दो बरामदें में लगे बेड भरे हुए हैं। सोमवार को एक बच्चें की मौत हुई, पर उसका कारण हार्ट की बीमारी था, वहीं जिला अस्पताल में काफी कम स्टॉफ में बच्चों की देखभाल की जा रही है।
इस संबंध में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. भास्कर दत्त मिश्रा का कहना है कि वैसे तो वायरल फीवर किसी को भी हो सकता है। लेकिन छोटे बच्चों की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए उन्हें वायरल फीवर सबसे पहले अपनी चपेट में लेता है। ऐसे में अगर आपके बच्चे को हाई फीवर है, आंखों में जलन महसूस हो रही है, सिरदर्द, बदन दर्द और उल्टी भी हो रही है। तो समझ लीजिए कि आपका बच्चा वायरल फीवर की चपेट में आ गया है। ऐसे में आप सेल्फ मेडिकेशन करने की बजाए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जरूरी दवाएं दिलाएं। नमी पाने पर यह बुखार फैलता हैं, ज्यादा मामले निमोनिया के भी सामने आए हंै। कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। उन्होनें बताया कि बीते 4 दिनों से काफी मामले आ चुके है। पर अब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में आ चुकी है।
जानकारी के अनुसार तीखी धूप के बाद बारिश और जलजमाव से संक्रामक रोग तेजी से बढऩे लगा है। मौसम में बदलाव का सबसे अधिक असर 12 वर्ष उम्र तक के बच्चों में देखा जा रहा है। जिला अस्पताल में भर्ती बच्चों में बुखार, सर्दी खांसी के साथ कुछ बच्चों में उल्टी दस्त के साथ बुखार शुरू हो रहा है, जो देखते ही देखते बच्चों को गंभीर बना दे रहा है। बारिश के बाद बुखार से पीडि़त मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। बीते 3 से 4 दिनों में प्रतिदिन 30 से 40 बच्चें वायरल से पीडित जिला अस्पताल पहुंच रहे है।
एसएनसीयू सहित वार्ड है फुल
वर्तमान में जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड पूरा भरा हुआ है, शिशु वार्ड में 30 बेड है, जबकि बच्चें दोगुना भर्ती है। वहीं पास लगा बरामद प्राय खाली रहता है, परन्तु यहां लगे 10 बेड भी पूरी बच्चों से भरे हुए हैं वहीं एसएनसीयू के सामने बरामदे में आपरेशन के मरीजों को रखा जाता है वहां भी बच्चों को रखकर इलाज किया जा रहा है। इसमेें सभी बुखार से गंभीर है। जिनका उपचार चल रहा है।
मेनपॉवर की है कमी
जिला अस्पताल में एक वार्ड के लिए एक ही वार्ड ब्वॉय की नियुक्ति की गई है, शिशु वार्ड में भी एक ही वार्डब्वाय है, ऐसे में अलग-अलग रखे बीमार बच्चों को देखने के लिए अकेले को दौड़ लगानी पड़ रही है, वहीं एकमात्र शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. भास्कर दत्त मिश्रा रात दिन बच्चों की देखभाल में जुटे हुए हंै, यहां काम करने वाला नर्सिंग स्टाफ भी एक स्थान से दूसरे स्थान जाकर बच्चों को दवाईयां देने के अलावा उनकी पर्याप्त देखभाल में लगे हुए हैं, वहीं बच्चों की संख्या को देखते हुए बनाए गए नए वार्ड मेें एक वार्ड को शिशु रोग के लिए दिए जाने की मांग भी उठ रही है।