रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 8 सितंबर। यूरिया की कालाबाजारी और जमाखोरी के बीच उर्वरक निर्माता कंपनियों की मनमानी भी सामने आई है। सोमवार को एक कंपनी की रैक आई, लेकिन कंपनी ने कुछ खाद प्राइवेट कारोबारियों को देने की जिद की। जिसके बाद कलेक्टर के आदेश पर रैक का बाकी यूरिया भी जब्त कर लिया गया है।
यूरिया की कमी से धान के साथ -साथ किसानों के चेहरे भी मुरझा गए हैं। बारिश होने के बाद अब यूरिया की बहुत जरूरत है, लेकिन आपूर्ति नहीं होने और जमाखोरी के कारण किसानों तक आवंटित स्टॉक भी नहीं पहुंच रहा है। थोक डीलरों की चालबाजी के कारण इस बार दोगुनी कीमत पर यूरिया बेचा जा रहा है।
सोमवार को इंडियन पोटाश लिमिटेड कंपनी की रैक खरसिया पहुंची, जिसमें 2658 टन यूरीया थी। मिली जानकारी अनुसार इसे डीपीएमके फर्टिलाइजर ने मंगवाया था, लेकिन उसका लाइसेंस कृषि विभाग ने निलंबित किया हुआ है। आईपीएल कंपनी ने परिवहन का ठेका डीजी ट्रांसपोर्ट को दिया है, जो डीपीएमके कंपनी का ही है। डीपीएमके का लाइसेंस निलंबित होने के कारण डीजी ट्रांसपोर्ट खाद का वितरण करने की कोशिश कर रहा था।
इसकी खबर लगने पर कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी नृपराज डनसेना अपनी टीम के साथ पहुंचे तो 2658 टन में से रायगढ़ जिले की समितियों के लिए 1348 टन और जांजगीर चाम्पा के जिले के लिए 605 टन यूरिया आबंटित किया गया। शेष यूरिया भी सहकारी समितियों को देने कहा गया, लेकिन आईपीएल कंपनी और डीजी ट्रांसपोर्ट सहमत नहीं हुए, इसलिए बाकी का 705 टन यूरिया भी जब्त कर लिया गया। पूरा यूरिया रेक से उतारकर ट्रकों में लोड करवा लिया गया। सुरक्षा के लिए पुलिस की ड्यूटी लगवाई गई है। कलेक्टर भीमसिंह के आदेश पर पूरा यूरिया सहकारी समितियों के जरिए वितरित कराने की योजना बनाई गई है।