कोण्डागांव

खुले आसमान के नीचे गणपति की मूर्ति, नहीं हो पा रहा संरक्षण
13-Sep-2021 6:04 PM
खुले आसमान के नीचे गणपति की मूर्ति, नहीं हो पा रहा संरक्षण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिश्रामपुरी/केशकाल, 13 सितंबर।
इन दिनों पूरे अंचल में भगवान गणेश जी की पूजा पाठ चल रहा है और जय गणेश जय गणेश देवा गुंजायमान हो रहा है। गांव गांव में आकर्षक पंडाल और मंच सजाकर स्थापित किये गये । वही वनग्राम से राजस्व ग्राम घोषित किये गये ग्राम कोपेनकोनाड़ी सडक़ किनारे खुले आसमान के नीचे  विशालकाय भगवान गणपति की मूर्ति है, जो संरक्षण के आभाव में धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही है। 

बडेराजपुर ब्लाक के कोरगांव से महज 3 किमी और कोंगेरा कोर्रोबेड़ा से सटे हुए ग्राम कोपेनकोनाड़ी में लगभग 4 फिट ऊंची बालुई पत्थर से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा कितनी पुरानी है और किस राजा महराजा के काल की है यह तो कोई अता पता नहीं है पर सभी यह बताते हैं कि यह प्रतिमा बहुत पुरानी है। गांव के लोग अपने बड़े बुजुर्गो से सूनी हुई बात याद करके बताते हैं कियह मूर्ति गांव के पास की पहाड़ी पर थी जिसे लाकर पहले गांव के एक किसान के खेत में रख दिया गया। कई दशक तक भगवान गणेश की मूर्ति खेत में ही थी जिसे 3-4 वर्ष पूर्व खेत से लाकर सडक़ किनारे स्कूल के पास रख दिया गया है । गांव के लोग समय समय पर उसका पूजा पाठ करते रहते हैं ।

खुले आसमान तले तेज धूप बरसात ठंड में मौसम की मार झेलते पड़े रहने के कारण बहुत नरम बालुई पत्थर की बनी प्रतिमा धीरे धीरे स्वत: क्षतिग्रस्त हो रही है। वहीं बताया जा रहा है कि अंधविश्वासी लोगों द्वारा चोरी छिपे प्रतिमा को घीसकर उसका चूर्ण ले जाया करते थे जिससे भी बहुत ही सुंदर प्रतिमा कई जगह से टूट फूटकर क्षतिग्रस्त हो चुकी है। जानकार बताते हैं कि इस मूर्ति को सुरक्षित बचाये रखने हेतु और आगंतुकों के सुविधा के लिए मंच एवं भवन बनाने हेतु धनराशि स्वीकृत हुआ था। निर्मांण कार्य प्रारंभ करने पंचायत के द्वारा गिट्टी भी गिरवाया गया था लेकिन आज भी निर्माण कार्य  की शुरुआत नहीं हुआ और यह किसी को पता नहीं की स्वीकृत धनराशि कहा कैसे समायोजित कर लिया गया।                    

बिश्रामपुरी के ग्राम खल्लारी में भी अतिप्राचीन काल की भगवान श्रीगणेश की दो प्रतिमा है,  जो यह प्रमाणित करता है किबिश्रामपुरी क्षेत्र एवं सटे हुए केशकाल क्षेत्र में मां दंतेश्वरी , भगवान विष्णु , भगवान शंकर,भगवान श्री गणेश की पूजा उपासना आदिकाल से चली आ रही है और देवी देवताओं के उपासकों ने अपने समय में भगवान की सुंदर प्रतिमाओं एवं भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया था। जिन्हें सहेज कर रखना निहायत जरूरी है ।
 

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