कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 14 सितंबर। कोरिया जिले के एक तहसील में कुपोषित बच्चे बढ़ गए, जबकि बची तहसीलों में मामूली प्रतिशत की कमी आई है। बीते दो वर्षों में 863 मध्यम कुपोषित और 452 गंभीर कुपोषित बच्चे ही सुपोषित हो पाए हंै, जो कुल कुपोषित बच्चों का 3.85 फीसदी है।
इस संबंध में महिला बाल विकास अधिकारी खलखो का कहना है कि बीते 2 वर्षों में कुपोषण में कमी आई है। कलेक्टर के निर्देश पर कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सिर्फ भरतपुर में कुपोषित बच्चे बढ़े हैं, बहुत मामूली बढ़त है। कुपोषण कम हो रहा है।
कोरिया जिले में 0 से 5 वर्ष के आयु के बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए जुलाई 2021 में वजन त्यौहार के बाद जिले में लगभग 11369 कुपोषित बच्चे (8479 मध्यम कुपोषित एवं 2890 गंभीर कुपोषित बच्चे) कुपोषित पाए गए हंै। इससे पूर्व वर्ष 2019 जुलाई में कोरिया जिले में 0 से 5 वर्ष के आयु के बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए माह जुलाई 2019 से विधानसभा अध्यक्ष, सांसद, विधायक एवं जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में ‘सुराजी सुपोषित कोरिया अभियान’ का विधिवत शुभारंभ किया गया। जिसके अंतर्गत जिले में लगभग 13184 कुपोषित बच्चों (9842 मध्यम कुपोषित एवं 3342 गंभीर कुपेाषित बच्चे) को सुपोषित करने का लक्ष्य का निर्धारण किया गया था।
भरतपुर में बढ़ गए कुपोषित बच्चे
महिला बाल विकास के जुलाई 2021 तक मिले आंकड़ों के अनुसार कोरिया जिले के भरतपुर विकासखंड में वर्ष 2019 में 2184 बच्चे कुपोषण के शिकार थे, जो वर्ष 2021 में बढक़र 2331 हो गए हैं। सिर्फ भरतपुर परियोजना में ही घटने के बजाय कुपोषित बच्चों के संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं मनेन्द्रगढ़ भी कोई खास कमी नहीं है, यहां मात्र 1.67 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह खडग़वां और चिरमिरी जहां विभागीय परियोजना अधिकारी है यहां 4.35 और 8.74 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि बैकुंठपुुर 5.62 प्रतिशत और सोनहत में 7.49 की कमी देखी गई है।
ज्ञानेन्द्र तिवारी ने दान की थी सम्मान निधि
एबीपी न्यूज के संवाददाता ज्ञानेन्द्र तिवारी को राज्य सरकार का वर्ष 2018 का चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता पुरस्कार मिला था, जिसके बाद जिले भर के पत्रकारों ने उनका सम्मान समारोह बैकुंठपुर में आयोजित किया था। तब उन्होंने कहा था कि मुझे वर्ष 2018 में किए गए कार्यों का सम्मान मुझे छत्तीसगढ़ सरकार ने दिया है।
इस सम्मान का श्रेय राज्य के दूर दराज से जुड़े, कोरिया जिले से जुड़े पत्रकारों को जाता है, जिनका मुझे हमेशा स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहा है। तब उन्होंने कहा था कि मैं इसी जिले का निवासी हूं, अपने जिले में जारी कुपोषण की लड़ाई में मैं भी भागीदार बनना चाहता हूं, इसलिए मैंने सम्मान राशि कोरिया जिले में राज्य द्वारा चलाए जा रहे सुपोषण अभियान में देने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर डोमन सिंह को राज्य सरकार से मिली सम्मान निधि जाकर सौंपी थी।