जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुरनगर, 15 सितंबर। एक ओर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग सुपोषण माह मना रहा है, दूसरी तरफ एक 15 वर्षीय कुपोषित किशोरी की खून की कमी और बुखार की वजह से मौत हो गई। इस परिवार में अभी भी तीन और बच्चे कुपोषित हैं।
घटना बगीचा नगर पंचायत के बादरपाठ वार्ड की है, जहां 15 साल की पद्मा को चार दिन पहले से तेज बुखार आया। तेज उल्टी के बाद जब उसकी सांसें उखड़ने लगी तो सोमवार को उनके पिता सनू कोरवा व घर के लोग बगीचा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर गये। उसकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने अस्पताल पहुंचने के थोड़ी ही देर बाद कह दिया कि उसकी मौत हो चुकी है।
सनू कोरवा के पांच बच्चों में से तीन का नाम कुपोषित बच्चों की सूची में महिला बाल विकास विभाग ने दर्ज कर रखा था, पर सुपोषण माह में भी इनकी मॉनिटरिंग नहीं की गई। पद्मा की तबियत अधिक बिगड़ी तब उसे अस्पताल में लाया गया। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर आरएन दुबे का दावा है कि बच्ची की मौत अस्पताल लाते समय रास्ते में हो गई थी। मौत पर कलेक्टर डॉ. महादेव कांवरे की भी प्रतिक्रिया आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि कुपोषण से मौत के लिये जो भी जिम्मेदार होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
उल्लेखनीय है पहाड़ी कोरवाओं को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है किन्तु उनकी सेहत की तरफ जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों का ध्यान नहीं है। सरगुजा संभाग के ही बलरामपुर जिले में खून की कमी से बड़ी संख्या में लोग बीमार पाये गये हैं, जिनमें से 6 लोगों की एक माह के भीतर मौत हो चुकी है।