कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 16 सितंबर। जल उपलब्धता सर्वाधिक अनिवार्य संसाधनों में से एक है। हमारे कृषि, व्यापार, वाण्जिय, उद्योग संस्कृति इसी पर निर्भर है। बड़े-बड़े जल स्रोतो जैसे नदियां बड़े नालो, तालाबो, झीलों, कुंओं के अलावा छोटे मंझोले नालों की भी भू-जल रिर्चाज में अहम भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता। राज्य शासन द्वारा प्रारंभ किये नरवा योजना से न केवल इन लघु नालों को पुनर्जीवन मिला है बल्कि कहीं कहीं तो ये नाले बारहमासी में तब्दील हो चले हैं। इस तरह जंगल में सूखते पेड़ो को बचाने और मिट्टी कटाव को रोकने के लिए भी नरवा योजना संजीवनी साबित हुई है।
इस क्रम जिले में फ्लैगशिप योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत् जल संचय और जल स्रोतो के संरक्षण के तहत् विगत दो वर्षो मे कुल 62 नालो में कार्य किया गया है जिसकी कुल लंबाई 524.29 कि.मी है। इसके साथ ही नरवा के उपचार हेतु कुल 10 हजार 156 कार्य लिये गये है जिनकी कुल लागत 21.57 करोड़ रूपये है। नरवा कार्यो में अब तक 9 हजार 120 कार्य पूर्ण कर लिए गये है जिसमें कुल 15.288 करोड़ रूपये का व्यय किया गया है। जिनमें 205 गैबियन निर्माण, 1652 लुज बोल्डर चौक डेम, 179 डाइक, 1756 30-40 मॉडल, 26 चौक डेम 4 स्टाप डेम 6 अर्धन डेम के साथ-साथ डबरी तालाब, मेड़ बंधान, ब्रश हुड, गलीप्लग जैसे जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है। ड्रेनैज ट्रीटमेंट और कैचमेंट ऐरिया ट्रीटमेंट के बाद पहले सितम्बर तक बहने वाले नरवा अब फरवरी माह तक जल प्लावित रहते है। जिससे खरीफ और रबी फसल के लिए पानी मिलने के कारण फसल पैदावार और वनोपज में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जो किसान पहले एक फसली कृषि तक सिमित रहते थे वे अब दुगुने उत्साह के साथ डबल फसल ले रहे है। इससे उनके जीवन यापन के साथ उनके आर्थिक स्तर में भी आर्श्चयजनक सुधार परिलक्षित हुआ है इस तरह अब तक जिल में नरवा योजना के क्रियान्वयन से लगभग 128 ग्राम पंचायत के किसान लाभान्वित हुये है।
प्राप्त सूत्रो के अनुसार नालो में जल संरचनाओं के निर्माण से जिले के कुल 11 नालो को पुनर्जीवित कर लिया गया है साथ ही 18 नालो में बारहमासी पानी रहने लगा है। नाला के विकास से इसका दुसरा सुखद पहलू यह रहा कि नाला के विकास से 1605.876 हैक्टयर सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि भी हुई है एवं संबधित ग्राम में भूमिगत ग्राम में 9.64 इंच की औसतन वृद्धि दर्ज होने के साथ-साथ नाले की आस-पास की भूमि में 1.24 प्रतिशत मृदा में नमी के स्तर में बढ़ोतरी हुई है।
नरवा योजना के शूरूवाती परिणाम ही उत्साह जनक रहे है। इसमें इसका सीधा फायदा किसानो को हुआ है। जिन्हे मानसूनी सीजन के पश्चात दूसरी फसल लगाने के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगा है। जिले में तो किसी किसान ने तो अपनी फसल दुगुनी कर ली तो किसी ने मजदूरी छोड़ सब्जियों की खेती आरंभ कर दी और अधिकतर किसानो नें नरवा के पानी से दुबारा धान की खेती कर के अपनी आर्थिक दशा को नयी दिशा दी। इस तरह नरवा योजना का सकारात्मक परिणाम सभी के सामने है।