बलौदा बाजार

छोटे-छोटे संरचनाओं से नरवा लबालब,भूमिगत जलस्तर में सुधार
17-Sep-2021 7:27 PM
  छोटे-छोटे संरचनाओं से नरवा लबालब,भूमिगत जलस्तर में सुधार

भोथाही नाला से 4 पंचायतों के 25 किसान हो रहे हैं लाभांवित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 17 सितंबर। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना  सुराजी गांव के तहत नरवा के संरक्षण एवं विकास से किसानों को अब जमीनी स्तर में लाभ मिलना शुरू हो गया है। जिले के कसडोल विकासखण्ड के अंर्तगत बहने वाली भोथाही नाला के नरवा संरक्षण एवं विकास संरचनाओं से 4 ग्राम पंचायतों के 25 किसान लाभांवित हो रहे हंै।

नरवा में निर्मित छोटे-छोटे संरचनाओं से लबालब हो गया है। जिससे भूमिगत जलस्तर में भी काफी सुधार हुआ हैं। भोथाही नाले में कुल 7625 प्रकार के कार्य का चिन्हांकन किया गया है। जिसमें 600 गली प्लाटिंग 13 सौ 70 लुज बोल्डर, 5 हजार 630 कंटूर बंड, 30 से 40 कंटूर ट्रेंच,4 मॉडल-, 2 परकोलेशन टेैंक,1चेेकडेम, 1 स्टॉपडेम, 17 गेबियन स्ट्रक्चर-17 शामिल है। इस तरह नाला में 7 हजार 625 प्रकार के संरचना का निर्माण किया गया है। संरचना निर्माण से 4 ग्राम पंचायतों के 25 किसानों के लगभग 58 एकड़ भूमि पर 2 फसल लिया जा रहा है। चार ग्राम पंचायतों में 41.97 एकड़ सिंचित रकबा में वृद्धि हुई है।

नरवा के पानी से लाभांवित हो रहें ग्राम मुढ़ीपार निवासी शनी राम धनवार ने बताया कि वह 1 एकड़ पर सतत रूप सब्जी बाड़ी का कार्य कर रहा है। वह इसके लिए नरवा के पानी का ही उपयोग कर रहे है। उन्हें विगत दो सालों में सब्जी बाड़ी से औसतन 80 हजार रुपए की वार्षिक आमदनी प्राप्त हुई है। संरचना निर्माण से तीनो ग्रामो में औसतन 1.98 मीटर की भू-जल स्तर में वृद्धि हुआ है। गौरतलब है कि भोथाही नाला विकासखंड मुख्यालय से करीब 31 किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र में प्रवाहित होती है। नाले का उदगम स्थल देवगढ़ है। जिसका प्रवाह पहाडिय़ों से होता हुआ महानदी नदी जाकर समाहित होता है।

इस नाले की कुल लंबाई  लगभग 13 कि.मी.है। जो कि वन क्षेत्र में 10 कि.मी. एवं राजस्व क्षेत्र में 3 कि.मी. प्रवाहित होता है। नाले का विस्तार 4 ग्राम पंचायत क्रमश: मुड़पार, भिंभौरी, पुटपुरा, मुढ़ीपार में है। भोथाही नाला की चयन का मुख्य उद्दे्श्य जल संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य करते हुए किसानो के अतिरिक्त आय में वृद्धि करना था। इसमें बहते हुए वर्षा जल का संरक्षण कर भू-जल स्तर मेें वृद्धि तथा किसानों के सिंचित रकबा में वृद्धि करना है, तथा वन्यप्राणियों एवं मवेशियों को पर्याप्त जल उपलब्ध हो सके।

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