राजनांदगांव

खैरागढ़ में मंदिर को दान की जमीन पर विवाद
19-Sep-2021 4:59 PM
खैरागढ़ में मंदिर को दान की जमीन पर विवाद

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
खैरागढ़, 19 सितंबर।
संगीत नगरी खैरागढ़ के राम मंदिर को विधायक देवव्रत सिंह के पिता ने जमीन को दान में दिए थे, जिसको लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। 
ब्रह्म ऋ षि बर्फानी बाबा के शिष्यों ने शनिवार को स्थानीय बर्फानी धाम में प्रेसवार्ता आयोजित कर बताया कि यह धाम बर्फानी बाबा ने यज्ञ, हवन, पूजा आदि के लिए उपयोग करते थे तथा यहां पर धार्मिक आयोजन भी होते रहे हैं। इसका व्यवसायिक उद्देश्य कतई नहीं रहा है। कुछ शिकायत मिली थी कि इसका उपयोग व्यवसायिक रूप में हो रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते शार्गिद दूर थे, अत: उन्हें इनकी जानकारी नहीं हो पाई। 

कुछ दिनों पहले राम मंदिर को लेकर वार्डवासियों की आपत्ति पर विधायक देवव्रत सिंह  द्वारा शासक नियुक्त करने की मांग की गई थी, जिसके बाद राम मंदिर के मालिकाना हक को लेकर विवाद छिड़ गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विधायक की शिकायत पर कलेक्टर ने जांच के आदेश जारी किए हैं ।

मंदिर में काबिज रहे बर्फानी दादा के उत्तराधिकारी बाल योगी लक्ष्मण दास के साथ 10 से ज्यादा साधु-संत अमरकंटक से मंदिर पहुंच गए। उनका कहना है कि 2001 से यहां बर्फानी दादा रहे हैं। विधायक देवव्रत सिंह के पिता राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने दादा को मंदिर से लगी जमीन आश्रम बनाने के लिए दान में दी थी, यहां लगातार धार्मिक आयोजन होते रहे थे। बर्फानी दादा के ब्रह्मलीन होने और कोरोनाकाल की बंदिशों के चलते साधु-संत आश्रम नहीं आ पाए और इसका फायदा उठाकर कुछ लोग ट्रस्ट बनाकर हक जता रहे हैं, जो गलत है। बर्फानी धाम में विवाद की स्थिति होने की जानकारी मिलने पर जब वह पहुंचे तो पता चला कि कुछ लोग ट्रस्ट बनाकर यहां बस गए हैं। 

बाल योगी लक्ष्मण दास ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बर्फानी दादा के उत्तराधिकारी होने के कारण आश्रम पर उनका अधिकार है। राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने दान में दी जमीन का अधिकार पत्र जिसमें 1 एकड़ 28 डिसमिल जमीन खसरा नंबर 167 में श्री रामचंद्र मंदिर के नाम से दान में अंकित है। इतने जमीन पर ट्रस्ट को लेकर जानकारी नहीं होने की बात उन्होंने कहा कि बर्फानी दादा का नाम दर्ज है। 

उन्होंने बताया कि विवाद के स्थिति को देखते हुए रिकॉर्ड निकलवाया जा रहे है। ट्रस्ट को लेकर कोई जानकारी नहीं होने की बात कही। उन्होंने कहा कि किसी अन्य को जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। साधु समाज संतो के दावे के बाद विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है। 

विवाद के बाद मंदिर पहुंचे बर्फानी दादा के शिष्यों ने बताया कि जब साधु संतों के साथ वह बर्फानी धाम पहुंचे तो प्राइवेट ट्रस्टियों ने उन्हें मंदिर में घुसने नहीं दिया। करीब कुछ घंटों तक बाहर खड़े रहकर सवाल-जवाब करते रहे। उनका कहना था कि मंदिर ट्रस्ट की प्रॉपर्टी है और जिसे हम चला रहे हैं, यह आश्रम हमारा है। लेकिन साधु-संतों ने मंदिर में जबरन प्रवेश किया और ताला तोडक़र उस कक्ष का दरवाजा खोला, जहां बर्फानी दादा रहा करते थे। 

उल्लेखनीय है कि टिकरापारा वासियों ने मंदिर के संचालन और पूजा-पाठ करने से रोकने पर वर्तमान के ट्रस्टी की व्यवहार से विधायक को अवगत कराया। विधायक देव्रत सिंह ने मंदिर में प्रशासक नियुक्त करने की मांग सहित मामले की जांच कराने का अनुरोध प्रशासन से किया है।
 

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