जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव, 19 सितंबर। रविवार को गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारों के साथ विघ्नहर्ता गणपति की मूर्ति को नदी-तालाबों में विसर्जित किया गया। बीते 10 सितंबर को पूरे विधि विधान से घरों-पंडालों में विघ्नहर्ता गणेश की स्थापना कर परिवार के लिए सुख शांति और समृद्धि मनोकामना प्राप्ति की कामना करते हुए विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई।
10 दिन गणपति को घरों और पंडालों में बिठाने के बाद रविवार को तालाबों-नदियों में विसर्जन किया गया। नदी-तालाबों में परिवार भक्ति भाव से पहुंचे। यहां भगवान गणेश की जय-जयकार करते रहे। सभी ने एक बार फिर से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर अपनी सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हुए अगले बरस पुन: आने कहते हुए पानी में विसर्जन किया गया।
पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि महर्षि वेदव्यास ने गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान श्री गणेश को महाभारत की कथा सुनानी प्रारंभ की थी। लगातार दस दिन तक वेदव्यास जी ने श्री गणेश को कथा सुनाते रहे और गणेश जी कथा लिखते रहे। जब कथा पूर्ण होने के बाद महर्षि वेदव्यास ने आंखें खोली तो देखा कि अत्याधिक मेहनत करने के कारण गणेश जी का तापमान बढ़ा हुआ था। गणेश जी के शरीर का तापमान कम करने के लिए वेदव्यास जी ने पास के सरोवर में गणेश जी को ले जाते हैं और स्नान कराते हैं। अनंत चर्तुदशी के दिन गणेश जी के तेज को शांत करने के लिए सरोवर में स्नान कराया गया था, इसलिए इस दिन गणेश प्रतिमा का विर्सजन करने का चलन शुरू हुआ।